< Return to Video

गरीबी से छुटकारे पर जैकलिन नोवोग्रात्ज़ की वार्ता

  • 0:00 - 0:04
    मैं पिछले २० वर्षों से गरीबी से जुडे मसलों पर काम करती आयी हूँ,
  • 0:04 - 0:09
    और बडी विडंबना है कि मेरी सबसे बडी समस्या रही है कि
  • 0:09 - 0:12
    गरीबी की सही परिभाषा आखिर क्या है? गरीबी का अर्थ क्या है?
  • 0:12 - 0:14
    तो, अक्सर हम रुपये-पैसे से मापते हैं --
  • 0:14 - 0:16
    जो लोग एक या दो डॉलर रोज़ाना से कम कमा पाते हैं।
  • 0:16 - 0:21
    लेकिन ये समस्या इतनी जटिल है कि इसे
  • 0:21 - 0:23
    कमाई से आगे जा कर देखना होगा।
  • 0:23 - 0:25
    क्योंकि, मौलिक रूप से, ये प्रश्न है विकल्पों की उपलब्धि,
  • 0:25 - 0:27
    और स्वतंत्रता की कमी का
  • 0:27 - 0:30
    मेरे एक अनुभव ने मुझे उस रूप मे इसे समझने में मदद की
  • 0:30 - 0:32
    जिस रूप में मैं आज इसे समझती हूँ।
  • 0:32 - 0:34
    मैं तब कीन्या में थी, और मैं आज इस अनुभव को आपसे बाँटना चाहती हूँ।
  • 0:34 - 0:36
    मैं अपनी एक फ़ोटोग्राफ़र दोस्त, सूज़न मेसालस, के साथ थी,
  • 0:36 - 0:38
    माथेरा घाटी की झुग्गियों में।
  • 0:38 - 0:41
    देखिये, माथेरा घाटी अफ़्रीका की सबसे पुरानी झुग्गियों में से है।
  • 0:41 - 0:43
    ये राजधानी नैरोबी से करीब तीन मील बाहर है,
  • 0:43 - 0:46
    और ये खुद एक मील लम्बी और २०० गज चौडी है,
  • 0:46 - 0:48
    जहाँ करीब ५ लाख लोग
  • 0:48 - 0:50
    टीन के डब्बों जैसे घरों में ठुँसे रहते है,
  • 0:50 - 0:53
    पीढी दर पीढी, उनका किराया देते हुए,
  • 0:53 - 0:55
    करीब आठ से दस लोग प्रति कमरे की दर पर।
  • 0:55 - 1:01
    और ये घाटी वेश्यावृत्ति, हिंसा, और नशीली दवाओं का गढ है।
  • 1:01 - 1:03
    यहाँ पलना-बढना कठिन अनुभव है।
  • 1:03 - 1:05
    और जन हम यहाँ की पतली पतली गलियों में चल रहे थे,
  • 1:05 - 1:08
    तो ये असंभव था कि हमारे पाँव
  • 1:08 - 1:12
    घरों के साथ लगे टट्टी के खुले ढेरों और कूडे के जमावडों में न पडें।
  • 1:12 - 1:14
    पर साथ ही, हमारे लिये ये भी
  • 1:14 - 1:17
    असंभव था कि वहाँ मौजूद मानव उत्साह को अनदेखा करें,
  • 1:17 - 1:20
    वहाँ रहने वाले लोगों की उतकंठाओं और महत्वाकाक्षाओं को अनदेखा करें।
  • 1:20 - 1:23
    बच्चों को नहलाती, कपडे धोती सुखाती औरतें।
  • 1:23 - 1:25
    वहाँ मैं एक औरत से मिली - मामा रोज़,
  • 1:25 - 1:28
    जिसने पिछले ३२ साल से टीन के छोटे से कमरे को किराये पर लिया हुआ था,
  • 1:28 - 1:30
    और अपने सात बच्चों के साथ जीवन यापन कर रही थी।
  • 1:30 - 1:32
    चार लोग एक डबल बेड में सोते थे,
  • 1:32 - 1:35
    और तीन मिट्टी और लिनोलियम के फ़र्श पर।
  • 1:35 - 1:39
    और वो उन सब को पढा रही थी, उसी घर से पानी बेच कर,
  • 1:39 - 1:43
    और साबुन और ब्रेड बेच कर।
  • 1:43 - 1:45
    वो दिन उद्घाटन का अगला दिन भी था,
  • 1:45 - 1:49
    और मुझे ये भी दिखा कि मथारे घाटी अभी भी दुनिया की घटनाओं से जुडी है।
  • 1:49 - 1:51
    मुझे गली के नुक्कडों पर बच्चे दिखे,
  • 1:51 - 1:53
    जो कह रहे थे, "ओबामा, वो तो हमारा ही भाई है!"
  • 1:53 - 1:56
    और मैने कहा, "हाँ, ओबामा मेरा भी भाई है, और इस तरह तुम भी मेरे भाई हुए।"
  • 1:56 - 2:00
    तो वो कौतुहल से मेरी ओर देख के कहते, "ये हुई न बात!"
  • 2:00 - 2:03
    और ऐसे ही माहौल में मेरी मुलाकात जेन से हुई।
  • 2:03 - 2:06
    मुझे जेन के चेहरे में निहित दयाभावना और सद्भाव ने सहज ही छू लिया,
  • 2:06 - 2:09
    और मैने उन से अपनी कहानी सुनाने के लिये कहा।
  • 2:09 - 2:12
    उसने शुरुवात ही अपने सपनों से की। उसने कहा, "देखिये,मेर दो सपने थे।"
  • 2:12 - 2:14
    मेर पहला सपना था कि मैं डॉक्टर बनूँ,
  • 2:14 - 2:16
    और दूसरा था कि एक ऐसे अच्छे आदमी से शादी करूँ
  • 2:16 - 2:18
    जो मेरे और मेरे परिवार के साथ रहे।
  • 2:18 - 2:20
    क्योंकि मेरी माँ अकेली थीं,
  • 2:20 - 2:22
    और मेरे स्कूल की फ़ीस नहीं दे पाती थीं,
  • 2:22 - 2:26
    मुझे अपना पहला सपना छोडना पढा, और मैनें दूसरे वाले पर ध्यान दिया।"
  • 2:26 - 2:29
    जेने की शादी १८ वर्ष में हो गयी, और तुरंत ही एक बच्चा भी।
  • 2:29 - 2:33
    और बीस साल की उम्र मे, वो दोबारा पेट से थी,
  • 2:33 - 2:37
    उसकी माँ का देहान्त हो चुका था, पति ने उसे छोड कर दूसरी औरत से शादी कर ली थी।
  • 2:37 - 2:41
    तो वो वापस माथेरा में थी, बिना किसी हुनर के, बिना पैसे के, और बिना कमाई के।
  • 2:41 - 2:44
    और लिहाज़ा, उसने वेश्यावृत्ति अपना ली।
  • 2:44 - 2:46
    और जैसा हम अक्सर सोचते हैं, वैसा विधिवत बंदोबस्त नहीं था
  • 2:46 - 2:49
    वो रात को करीब २० लडकियों के साथ शहर में जाती थी,
  • 2:49 - 2:52
    काम ढूँढती थी, और कई बार केवल कुछ पैसे ले कर ही लौटती थी,
  • 2:52 - 2:54
    और कई बार, बिना कुछ कमाये भी।
  • 2:54 - 2:57
    उसने कहा, "पता है, गरीबी उतना नहीं सताती जितनी कि बेज्जती
  • 2:57 - 2:59
    और ऐसा करने की शर्म।"
  • 2:59 - 3:03
    २००१ में उसका जीवन बदल गया।
  • 3:03 - 3:07
    उसकी एक सहेली थी, जिसने जामी बोरा नामक संस्था के बारे में सुना था।
  • 3:07 - 3:10
    ये संस्था आपको कर्ज़ा देती थी, चाहे आप कितने भी गरीब क्यों न हों,
  • 3:10 - 3:14
    बस आपके पास कुछ बचाया हुआ धन होना चाहिये।
  • 3:14 - 3:17
    तो उसने एक साल मेहनत करके ५० डॉलर (२००० रुपैये) बचाये,
  • 3:17 - 3:22
    और कर्ज़ लेना शुरु किया, और धीरे धीरे सिलाई मशीन खरीद ली।
  • 3:22 - 3:23
    और उसने दर्ज़ीगिरि शुरु कर दी।
  • 3:23 - 3:26
    और वहीं से शुरुवात उसके आज की,
  • 3:26 - 3:28
    जहाँ वो पुराने कपडे खरीदती है,
  • 3:28 - 3:32
    और करीब सवा तीन डॉलरों में एक पुराना गाउन खरीदती है।
  • 3:32 - 3:34
    हो सकता उसमें कुछ आपके द्वारा दान किये गये हों।
  • 3:34 - 3:38
    और वो इन्हें फ़िर से रिबन और पट्टियाँ लगा कर सुंदर बनाती है,
  • 3:38 - 3:42
    और उन सुंदर गाउनों को औरतों को बेच देती है,
  • 3:42 - 3:46
    उनकी बेटियों के सोलहवें जन्मदिन या किसी और मौके के लिए --
  • 3:46 - 3:49
    जिसे लोग खुशनुमा ढँग से मनाना चाहते हैं,
  • 3:49 - 3:51
    चाहे अमीर हों या गरीब।
  • 3:51 - 3:54
    और उसका धंधा बढिया चलता है। मैने उसे खुद
  • 3:54 - 3:56
    गलियों में फ़ेरी लगाते देखा है। और पलक झपकते ही,
  • 3:56 - 4:00
    उसके आसपास औरतों की भीड जुट जाती है, उसका सामान खरीदने के लिए।
  • 4:00 - 4:03
    और मैं सोच रही थी, जैसे मैं जेन को कपडे
  • 4:03 - 4:05
    और गहने बेचते देख रही थी,
  • 4:05 - 4:08
    कि अब तो जेन रोज़ाना चार डॉलर से ज्यादा ही कमाती होगी।
  • 4:08 - 4:11
    और कई परिभाषाओं के हिसाब से वो अब गरीब नहीं है।
  • 4:11 - 4:13
    मगर वो अब भी मथारे घाटी में ही रहती है।
  • 4:13 - 4:16
    और वो अब भी वहाँ से नहीं निकल सकती है।
  • 4:16 - 4:18
    वो अब भी उस सारी असुरक्षा के साथ रहती है,
  • 4:18 - 4:21
    और जनवरी के दंगों मे,
  • 4:21 - 4:23
    उसे घर से भगा दिया गया था, और उसे दूसरा ठिकाना ढूँढना पडा
  • 4:23 - 4:25
    जहाँ वो अब रहेगी।
  • 4:25 - 4:27
    जामी बोरा संस्था ये समझती है। और ये भी कि
  • 4:27 - 4:29
    जब हम गरीबी की बात करते हैं,
  • 4:29 - 4:32
    तो हमें सारे आर्थिक स्तरों के गरीबों को ध्यान में लेना होगा।
  • 4:32 - 4:35
    और इसलिये अक्यूमन और ऐसी और संस्थाओं की धैर्यवान पूँजी,
  • 4:35 - 4:38
    कर्ज़ और निवेश से, जो कि लम्बे समय तक साथ देने को तैयार हैं,
  • 4:38 - 4:42
    जामी बोरा ने एक कम-खर्च रिहायशी इलाका विकसित किया है,
  • 4:42 - 4:46
    नैरोबी सेन्ट्रल से करीब एक घन्टे की दूरी पर।
  • 4:46 - 4:48
    और उन्होनें इसे अभिकल्पित करते समय
  • 4:48 - 4:50
    जेन जैसे ग्राहकों के बारे में सोचा है,
  • 4:50 - 4:52
    और जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व पर दबाव डाला गया है।
  • 4:52 - 4:56
    इसलिये, जेन को घर की दस प्रतिशत कीमत --
  • 4:56 - 5:00
    करीब ४०० डॉलर (१६००० रुपैये), अपनी बचत से चुकाना पडा।
  • 5:00 - 5:05
    और फ़िर उन्होंने उसकी मासिक किस्त को उसके किराये जितना ही कर दिया।
  • 5:05 - 5:07
    अगले कुछ हफ़्तों मे, वो
  • 5:07 - 5:10
    इस रिहायिशी इलाके में आने वाले पहले २०० परिवारों मे से एक होगी।
  • 5:10 - 5:14
    जब मैनें उस से पूछा कि क्या वो किसी बात से डरती है,
  • 5:14 - 5:16
    या फ़िर मथारे की किस बात की उसे याद आयेगी,
  • 5:16 - 5:18
    तो उसने कहा, "मुझे ऐसा कौन सा डर लग सकता है
  • 5:18 - 5:20
    जो मैनें अब तक न झेला होगा?
  • 5:20 - 5:24
    मुझे एड्स है। वो भी मैने झेल लिया।"
  • 5:24 - 5:27
    और उसने कहा, "मुझे क्या याद आयेगा?
  • 5:27 - 5:30
    आपको लगता है कि मुझे खून-खराबा या नशीली दवायें याद आयेंगी? या पूरी तरह से खुले में रहना?
  • 5:30 - 5:32
    क्या आपको लगता है कि मैं याद रखना चाहूँगी बच्चों के घर वापस न आने का डर?"
  • 5:32 - 5:34
    उसने कहा, "अगर आप मुझे दस मिनट दें,"
  • 5:34 - 5:36
    तो मैं चलने के तैयार हो सकती हूँ।"
  • 5:36 - 5:39
    मैने पूछा, "और तुम्हारे सपने?"
  • 5:39 - 5:41
    और उसने कहा, "पता है,
  • 5:41 - 5:45
    मेरे सपने वैसे नहीं हैं जैसे तब थे जब मैं बच्ची थी।
  • 5:45 - 5:49
    लेकिन अब सोचने पर लगता है, कि पति की मेरी चाहत
  • 5:49 - 5:52
    असल में ऐसे परिवार के लिये मेरी झटपटाहट थी
  • 5:52 - 5:56
    जहाँ प्यार मिले। और मैं अपने बच्चों को, वो मुझे, बहुत प्यार करते हैं।"
  • 5:56 - 5:59
    उसने कहा, "मुझे लगता था कि मैं डॉक्टर बनना चाहती थी,
  • 5:59 - 6:01
    पर वास्तव में मैं ऐसा कुछ बनना चाहती थी
  • 6:01 - 6:04
    जो सेवा करे, इलाज करे, और बीमारी हटाये।
  • 6:04 - 6:07
    और जो भी आज मेरे पास है, मुझे बहुत भाग्यशाली महसूस करवाता है,
  • 6:07 - 6:11
    मैं भाग्यशाले हूँ कि हफ़्ते में दो दिन मैं एड्स मरीज़ों को सलाह देती हूँ।
  • 6:11 - 6:14
    और मैने कहा, "मेरी तरफ़ देखो। तुम खत्म नहीं हो चुकी हो।
  • 6:14 - 6:17
    तुम अभी जीवित हो, और इसलिये तुम्हें सेवा करनी ही चाहिये।"
  • 6:17 - 6:21
    और उसने कहा, "मैं दवाई देने वाली डॉक्टर तो नहीं हूँ।"
  • 6:21 - 6:23
    मगर शायद मैं और भी ज्यादा कीमती कुछ देती हूँ
  • 6:23 - 6:25
    क्योंकि मैं आशा बाँटती हूँ ।"
  • 6:25 - 6:29
    और आर्थिक मंदी के इस दौर में,
  • 6:29 - 6:32
    जहाँ हम सब बस चुपचाप भागना चाहते है,
  • 6:32 - 6:36
    डर के मारे, मुझे लगता है कि हमें
  • 6:36 - 6:39
    जेन से कुछ सीखना चाहिये,
  • 6:39 - 6:43
    और ये समझना चाहिये कि गरीब होने क मतलब साधारण होना नहीं है।
  • 6:43 - 6:45
    क्योंकि जब व्यवस्था टूट चुकी होती है,
  • 6:45 - 6:47
    जैसा कि हम आज दुनिया में देख रहे हैं,
  • 6:47 - 6:50
    तो वो मौका होता है अविष्कार का और नव-रचना का।
  • 6:50 - 6:53
    ये एक मौका है वास्तव में ऐसी दुनिया बनाने का
  • 6:53 - 6:56
    जहाँ हम सेवाओं और उत्पादों को
  • 6:56 - 6:59
    हर व्यक्ति तक ले जा पाएँगे, जिससे कि वो
  • 6:59 - 7:01
    अपने फ़ैसले ले सकें और उनके पास विकल्प हों।
  • 7:01 - 7:03
    मैं मानती हूँ कि यहीं से स्वाबलम्बन शुरु होता है।
  • 7:03 - 7:06
    हमें विश्व में जेन जैसे लोगों का आभारी होना चाहिये।
  • 7:06 - 7:09
    और उतना ही ज़रूरी है कि हम भी अपना कर्तव्य निभायें।
  • 7:09 - 7:11
    धन्यवाद।
  • 7:11 - 7:12
    तालियाँ और अभिवादन
Title:
गरीबी से छुटकारे पर जैकलिन नोवोग्रात्ज़ की वार्ता
Speaker:
Jacqueline Novogratz
Description:

जैकलिन नोवोग्रात्ज़ वेश्या रह चुकी महिला, जेन, से अपनी मुलाकात का किस्सा सुनाती है|

more » « less
Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
07:18
Swapnil Dixit added a translation

Hindi subtitles

Revisions