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हंस रोसलिंग आपको सबसे बेहतर आंकड़े दिखाएँगे जो आपने देखे होंगे।

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    क़रीब दस साल पहले मैंने स्वेडिश छात्रों को वेश्विक विकास पढ़ाने का ज़िम्मा लिया।
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    अध्ययन के प्रति लालयित होने के साथ-साथ अफ्रीका के
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    अफ्रीकी संस्थानों के साथ क़रीबन 20 साल गुज़ार कर मुझसे
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    विश्व के बारे में कुछ जानने की आशा की जाती थी।
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    और मैंने अपनी चिकित्सकीय विश्वविधालय करोलिन्स्का संस्थान,
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    एक पूर्वस्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया।
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    लेकिन जब आपको सुअवसर मिलता है तो आप नर्वस हो जाते हैं।
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    इन छात्रों के उच्चतम ग्रेड हैं जो स्वेडिश कालेज प्रणाली में मिलते हैं- इसलिए इन छात्रों को वह सब
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    आता होगा जो मैं इन्हें पढ़ाने वाला हूँ।
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    इसलिए जब वे आये तो मैंने एक पूर्व-परीक्षा ली।
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    और जिन प्रश्नों से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला उनमें से एक था:
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    "इन पाँच युग्मों में से कौन से देश की बाल मृत्युदर सबसे अधिक है?"
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    और मैंने प्रश्नों को एक साथ रख दिया, जिससे कि प्रत्येक देश के युग्म में,
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    दूसरे देश की अपेक्षा बाल मृत्युदर दोहरी हो। और इसका अर्थ है कि
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    आंकड़ों की अनिश्चितता की अपेक्षा यह एक बड़ा अंतर है।
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    यहाँ मैं आपकी परीक्षा नहीं लूँगा, लेकिन यह देश टर्की है,
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    जिसकी बाल मृत्युदर पोलेन्ड, रूस, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका की अपेक्षा सबसे अधिक है।
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    और ये स्वेडिश छात्रों के परिणाम थे। मैंने इसे किया था इसलिए
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    मैंने विश्वास अन्तराल प्राप्त किया, जोकि थोड़ा-सा अनुदार है, और मैं खुश हो गया,
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    निश्चय ही पाँच सम्भावित जवाबों में 1.8 सही थे। इसका अर्थ है कि
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    अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य (हँसते हुए) और मेरे पाठ्यक्रम के लिए
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    एक प्रोफेसर की ज़रूरत थी।
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    लेकिन एक देर रात, जब मैं रिपोर्ट इकट्ठी कर रहा था
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    तो मैंने अपनी खोज के बारे में महसूस किया।
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    कि स्वेडिश के शीर्ष छात्र भी गणना के आधार पर आवश्यकतानुसार
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    विश्व के बारे में चिंपैंजी से भी कम जानते हैं।
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    (हँसते हुए)
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    क्योंकि अगर मैं चिंपैंजी को दो केले दे दूँ, तो वह श्रीलंका और टर्की
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    के बारे में आधा सही बता देंगे। इन सवालों का वे आधे सही जवाब तो दे ही देंगे।
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    लेकिन ये छात्र ऐसा नहीं कर सकते। यह समस्या अज्ञानता की नहीं थी:
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    यह पूर्व कल्पना विचार थे।
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    मैंने कारोलिंसका संस्थान के प्रोफसरों का भी अनीतिपरक अध्ययन किया
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    (हँसते हुए)
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    -- जो औषधि में नोबल पुरस्कार प्राप्त हैं,
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    और वे वहाँ चिंपैंजी के तुल्य हैं।
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    (हँसते हुए)
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    तभी मुझे एहसास हुआ कि विश्व में क्या हो रहा है
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    के आंकड़े और प्रत्येक देश के
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    देश के बच्चे के स्वास्थ के बारे में जानने की ज़रूरत है।
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    हमने यह सोफ्टवेयर बनाया जो इसे इस तरफ़ दर्शाता है : यहाँ प्रत्येक बुलबुला एक देश है।
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    यहाँ यह देश चीन है। यह भारत है।
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    बुलबुले का आकार जनसंख्या है, और यहाँ अक्ष रेखा पर मैं उत्पादन दर को रखता हूँ।
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    क्योंकि मेरे छात्र, जब वे दुनिया को देखते हैं, वे कहते हैं,
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    जब मैं उनसे पूछ्ता हूँ,
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    "आप दुनिया के बारे में वास्तव में क्या सोचते हैं?"
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    ठीक है, मैंने पहले यह परिणाम निकाला कि पाठ्य-पुस्तक मुख्यतया झुनझुना थी।
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    (हँसते हुए)
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    और उन्होंने कहा, "दुनिया महज 'हम' और 'वे' है।
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    और हम पश्चिमी दुनिया है और वे तीसरी दुनिया।"
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    "और पश्चिमी दुनिया से आपका क्या तात्पर्य है?" मैंने पूछा।
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    "हाँ, उसका जीवन लम्बा और परिवार छोटा है, जबकि तीसरी दुनिया का जीवन छोटा परिवार बड़ा है।"
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    तो यह सब में यहाँ प्रदर्शित कर सकता हूँ। मैं यहाँ उत्पादन दर को रखता हूँ: प्रति औरत बच्चों की संख्या,
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    एक, दो, तीन, चार, प्रति औरत बच्चों की संख्या क़रीबन आठ तक।
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    1962 तक हमारे पास बहुत अच्छे आंकड़े हैं – 1960 में सभी देशों के परिवार के आकार्।
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    त्रुटि हाशिया संकीर्ण है। यहाँ में कुछ देशों में जीवन प्रत्याशा,
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    30 साल से क़रीबन 70 साल रखता हूँ।
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    और 1962 में यहाँ देशों का एक समूह था।
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    वे औधोगिक देश थे, जिनमें परिवार छोटे और जीवन आयु लम्बी होती थी।
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    और ये विकासशील देश थे:
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    इनमें परिवार बड़े और जीवन आयु छोटी होती थी।
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    अब 1962 से क्या हुआ है? हम बदलाव देखना चाहते हैं।
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    क्या छात्र सही कह रहे हैं? क्या अभी भी दो प्रकार के देश हैं?
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    या इन विकासशील देशों के परिवार अधिक छोटे हो गये हैं और वे यहाँ रह रहे हैं?
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    या उनकी जीवन आयु बढ़ गयी है और वहाँ रह रहे हैं?
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    आओ देखें। तब हमने दुनिया को रोक दिया। यह पूर्ण यूएन गणना है
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    जो उपलब्ध रही है। हम यहाँ आते हैं। क्या आप वहाँ देख सकते हैं?
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    यह चीन है, वहाँ स्वास्थ्य बेहतर हो रहे हैं, सुधार हो रहा है।
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    सभी हरित लेटिन अमेरीकी देश छोटे परिवारों में तब्दील हो रहे हैं।
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    यहाँ खाड़ी देश पीले रंग से दर्शाये गये हैं,
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    उनके परिवार बड़े हैं, लेकिन उनकी न, तो लम्बी आयु है, और न ही, परिवार बड़े हो पाते हैं।
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    यहाँ नीचे अफ्रीकी दिखाये गये हैं। वे अभी भी यहाँ हैं।
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    यह भारत है। इंडोनेशिया बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
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    (हँसते हुए)
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    और 80 के दशक में, वहाँ बंगलादेश अफ्रीकी देशों के बीच में था।
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    लेकिन अब, बंगलादेश— में भी 80 के दशक में चमत्कार हो गया है।
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    इमामों ने परिवार योजना को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है।
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    वे उस कोने से निकलकर आगे बढ़े और 90 में हम एचआईवी की भयंकर आपदा झेलते हैं
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    जिससे अफ्रीकी देशों की जीवन प्रत्याशा नीचे आ जाती है
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    और बाकी सब कोने में खिसक जाते हैं जहाँ आयु लम्बी
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    और परिवार छोटे हैं, और हमारा एक पूर्णतया नया संसार बनता है।
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    (करतल ध्वनि)
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    मुझे सीधे संयुक्त राष्ट्र अमेरीका और वियतनाम में तुलना करने दो।
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    1964: अमेरिका के परिवार छोटे और लोगों की आयु लम्बी होती थी,
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    वियतनाम के परिवार बड़े और लोगों की जीवन आयु छोटी होती थी, और जो होता है वह यह है:
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    युद्ध के दौरान के आंकड़े दर्शाते हैं कि मृत्यु के वावजूद भी
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    जीवन प्रत्याशा में सुधार आया। साल के अंत तक,
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    वियतनाम में परिवार योजना शुरू हो गई और उनके परिवार छोटे होने लगे।
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    और संयुक्त राष्ट्र में परिवार को सीमित कर लम्बा जीवन जीने लगे हैं
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    और अब 80 में, वे सामाजिक योजना को त्यागकर
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    बाज़ार अर्थव्यवस्था की और ध्यान देते हैं
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    और यह सामाजिक जीवन से भी अधिक तेज़ गति से चलती है और आज, हमारे
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    वियतनाम में जीवन की समान आशा और परिवार का समान
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    आकार है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र में, 1974 में युद्ध के अंत था।
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    मैं सोचता हूँ कि – कि यदि हम आंकड़े पर नज़र न डालें तो,
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    एशिया में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन को हम कम आंकते हैं जोकि
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    आर्थिक परिवर्तन की अपेक्षा सामाजिक परिवर्तन में पहले देखने को मिला।
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    आओ अब दूसरी तरफ़ रुख़ करें जहाँ हम विश्व में आय
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    के वितरण को देख सकते हैं। यह विश्व के लोगों की आय का वितरण है।
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    प्रतिदिन एक डालर, 10 डालर या 100 डालर।
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    अब अमीर और ग़रीब में ज़्यादा अंतर नहीं है। यह केवल एक मिथ्याभास है।
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    यहाँ थोड़ी सी कमी है। लेकिन सभी तरफ़ लोग ही लोग हैं।
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    और अगर हम वहाँ देखें जहाँ आय ख़त्म होती है-
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    यह आय विश्व की वार्षिक आय की 100 प्रतिशत है, कुल सबसे अधिक अमीर 20 प्रतिशत हैं
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    जिनकी आय क़रीबन 74 प्रतिशत है और सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत हैं
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    जिनकी आय 2 प्रतिशत है और यह दर्शाता है कि
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    विकासशील देशों की संकल्पना अत्याधिक संदेहयुक्त है। हम सहायता राशि के बारे में सोचते हैं, जैसे
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    कि यह लोग इन लोगों को सहायता राशि प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बीच में
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    अधिकांश विश्व की जनसंख्या है, और अब वह आय की 24 प्रतिशत है।
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    हमने इसके बारे में दूसरे रूप में सुना। और ये कौन हैं?
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    विभिन्न देश कहाँ हैं? मैं आपको अफ्रीका दिखा सकता हूँ।
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    यह अफ्रीका है, विश्व की जनसंख्या का 10 प्रतिशत। यहाँ सबसे ज़्यादा ग़रीबी है।
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    यह ओईसीडी है। अमीर देश। संयुक्त राष्ट्र का कंट्री क्लब।
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    और वे यहाँ इस तरफ़ हैं। अफ्रीका और ओईसीडी के बीच पूर्णतया एक से दूसरा किनारा।
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    और यह लेटिन अमेरीका है। यहाँ इस धरती ग्रह पर उपलब्ध सबकुछ है।
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    ग़रीबी से लेकर अमीरी तक
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    और उसके शीर्ष पर, हम पूर्वी यूरोप को रख सकते हैं, हम पूर्वी एशिया को रख सकते हैं।
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    और हम दक्षिणी एशिया को रख सकते हैं। और कहीं अगर हम वापस 1970 के समय में चले जायें,
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    तो कैसा लगेगा? और भी ज़्यादा अंतर।
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    और जो सबसे ज़्यादा ग़रीबी में जीवन-यापन करते हैं वे हैं एशियाई लोग।
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    एशिया की ग़रीबी विश्व की समस्या थी। और अगर मैं अब विश्व को आगे बढ़ने दूँ, तो
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    आप देखोगे कि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी,
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    एशिया में अरबों लोग ग़रीबी से बाहर आयेंगे और कुछ अन्य
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    ग़रीबी में आ जायेंगे, आज हमारा यही स्वरूप बन गया है।
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    और विश्व बैंक की सर्वश्रेष्ठ परिकल्पना यही है कि ऐसा होगा,
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    और हमारा विश्व बंट नहीं पायेगा। मध्य में सबसे अधिक लोग नहीं होंगे।
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    निस्संदेह यह लघुगणक पैमाना है।
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    लेकिन हमारी आर्थिक व्यवस्था का संकल्प प्रतिशत के साथ विकास है। हम इसे
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    प्रतिशतता वृद्धि की संभावना के रूप में देखते हैं। अगर मैं इसे बदल दूँ, और
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    जीडीपी को पारिवारिक आय की अपेक्षा प्रति व्यक्ति लूँ, और इन
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    व्यक्तिगत आंकड़ों को कुल घरेलु उत्पाद के क्षेत्रीय आँकड़ों के आधार पर लूँ
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    और यहाँ क्षेत्र को नीचे कर दूँ, तो बुलबुले का आकार अभी भी जनसंख्या होगा।
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    आप वहाँ ओईसीडी देखें और वहाँ उप-सहारा अफ्रीका और यहाँ हम अफ्रीका
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    और एशिया दोनों से आकर खाड़ी राज्यों की ओर रूख़ करते हैं।
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    और हम उन्हें अलग-अलग रखेंगे।
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    और हम इस अक्ष रेखा का विस्तार कर सकते हैं, सामाजिक मूल्य, बाल जीवन को शामिल कर,
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    और यहाँ मैं इसे एक नया परिमाण दे सकता हूँ,
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    अब उस अक्ष पर मेरे पास पैसा है, और सम्भवता बच्चें संघर्ष कर सकते हैं।
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    कुछ देशों में 99-7 प्रतिशत बच्चे पाँच साल की उम्र से संघर्ष करना शुरू कर देते हैं,
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    और दूसरे देशों में सिर्फ़ 70 प्रतिशत।
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    और यहाँ ओईसीडी और लेटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पूर्वी एशिया,
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    खाड़ी देश, दक्षिणी एशिया, और उप-सहारन अफ्रीका के मध्य अंतर दिखलाई पड़ता है।
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    बाल संघर्ष और धन के बीच अनुरेखीय बहुत सशक्त होता है।
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    लेकिन मुझे उप-सहारन अफ्रीका पर आने दो। वहाँ स्वास्थ्य है और बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है।
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    मैं यहाँ आ सकता हूँ और मैं उप-सहारन अफ्रीका से इसके देशों पर आ सकता हूं
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    और जब यह फूटता है, तो देश के बुलबुले का आकार जनसंख्या का आकार होता है।
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    सिएरा रोआंन वहाँ नीचे है। मोरिशस वहाँ ऊपर है। मोरिशस व्यापारिक बंधनों को तोड़ने वाला पहला देश था।
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    और उसने अपनी चीनी का निर्यात किया।
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    यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लोगों की ही तरह मोरिशस के लोग भी समान शर्तों पर अपना कपड़ा बेच सके।
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    अफ्रीका में बहुत बड़ा अंतर है। और घाना यहाँ मध्य में है।
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    सिएरा रोआंन, मानवीय अनुदान,
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    यूगांडा में विकास अनुदान, यहाँ समय का निवेश,
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    यहाँ आप छुट्टियां बिताने जा सकते हैं। अफ्रीका में यह एक आश्चर्यजनक अंतर है
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    जिसे हम कदाचित मान सकते हैं- जो सब चीजों के समान है।
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    यहाँ से में दक्षिण अफ्रीका को अलग कर सकता हूँ। बीच में भारत एस बड़ा बुलबुला है।
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    लेकिन अफगनिस्तान और श्रीलंका में एक बहुत बड़ा अंतर है
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    मैं खाड़ी देशों में जा सकता हूँ। वे कैसे हैं? एक जैसी जलवायु, एक जैसी संस्कृति,
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    एक जैसा धर्म। बहुत बड़ा अंतर। पड़ोसियों में भी।
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    येमिन, धर्मनिरपेक्ष युद्ध। संयुक्त अरब अमीरात, धन जोकि बिल्कुल बराबर था और उसका सही इस्तेमाल होता था।
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    यह कोई मिथ्याबोध नहीं और इसमें विदेशी कर्मचारियों के बच्चें, जो देश में हैं, भी शामिल हैं।
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    आपके सोचने की अपेक्षा आंकड़े प्राय बेह्तर होते हैं। अधिकतर लोग कह्ते हैं कि आंकड़े अच्छे नहीं होते।
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    अनिश्चितता की गुंजाइश है, लेकिन हम यहाँ अंतर देख सकते हैं:
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    कम्बोडिया, सिंगापुर। आंकड़ों की दुर्बलता की अपेक्षा
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    अंतर बहुत बड़ा है। पूर्वी यूरोप में
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    लम्बे समय तक सोवियत अर्थव्यवस्था रही, लेकिन दस साल बाद
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    वहां सबकुछ बिलकुल अलग था। लेटिन अमेरिका को लीजिए
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    आज लेटिन अमेरिका में स्वस्थ देहात खोजने के लिए हमें क्यूबा जाने की ज़रूरत नहीं है।
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    अब कुछ सालों में चिले में क्यूबा की अपेक्षा कम बाल जन्मदर होगी।
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    और यहाँ ओईसीडी में हम उच्च-आय वाले देश देखते हैं।
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    और पूरे विश्व का प्रारूप देखने को मिलता है
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    जोकि क़रीब-क़रीब इस तरह है। और अगर हम इसे देखते हैं,
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    तो, 1960 में विश्व किस तरह दिखता है, यह जानना होगा।
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    यह ट्से-तुन्ग है, जो चीन में स्वास्थ्य लेकर आया और फिर उसका स्वर्गवास हो गया।
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    और फिर डेन्ग कषिअओपिन्ग चीन में धन लाया, और एकबार फिर चीन मुख्यधारा से जुड़ गया।
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    और फिर हम देख चुके हैं कि किस तरह देशों ने इस तरह विभिन्न दिशाओं में रूख़ किया।
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    इसलिए कोई ऐसा देश जो विश्व प्रारूप का प्रदर्शन करें
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    का उदाहरण प्रस्तुत करना मुश्किल काम है।
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    मैं आपको फिर से यहाँ 1960 पर वापिस लाना चाहूँगा।
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    मैं दक्षिण कोरिया, जोकि यह है, की तुलना ब्राज़ील, जोकि यह है, से करना चाहूँगा।
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    नामपट्टी मुझे यहाँ ले आयी। और मैं युगांडा,
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    जोकि वहाँ है, की तुलना करना चाहूँगा, और इस तरह मैं इसे आगे बढ़ा सकता हूँ।
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    और आप देख सकते हैं कि दक्षिण कोरिया किस तरह बहुत तेज़ी से विकास कर रहा है।
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    जबकि ब्राज़ील का विकास कितना धीमा है।
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    और अगर हम फिर वापिस यहाँ आयें, और उनका, इस तरह अनुसरण करें,
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    तो आप देख सकते हैं कि विकास की गति
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    बिल्कुल अलग है, और राष्ट्र क़रीबन-क़रीबन उसी दर से
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    आगे बढ़ रहे हैं जिस दर से धन और स्वास्थ्य, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अगर
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    आप पहले धनी होने की अपेक्षा स्वस्थ पहले हो जायें तो अधिक तेज़ गति से आगे बढ़ सकते हैं
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    और दिखा सकते हैं कि, आप संयुक्त अरब अमीरात के मार्ग पर चल सकते हैं।
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    वह खनिज पदार्थ वाल देश के रूप में प्रस्तुत हुआ। उसने अपने तेल को भुनाया,
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    पैसा कमाया, लेकिन स्वास्थ्य सुपरबाज़ार में नहीं बिकता।
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    आपको स्वास्थ्य में निवेश करना होता है। आपको स्वास्थ्य के लिए शिक्षण लेना होता है।
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    आपको स्वास्थ्य स्टाफ को प्रशिक्षित करना होता है। आपको अपने देशवासियों को पढ़ाना होता है।
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    और शेख सय्येद ने इसे बहुत अच्छी तरह से कर दिखाया।
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    और तेल मूल्य गिरने के बावजूद भी, उन्होंने इस देश का विकास किया।
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    इसलिए हम विश्व की मुख्यधारा की सम्भावना के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं,
  • 13:18 - 13:20
    कि आज सभी देश अतीत की अपेक्षा अपने धन को कहाँ
  • 13:20 - 13:25
    उपयोग करने के इच्छुक हैं।
  • 13:25 - 13:32
    और, अगर आप सभी देशों के औसत आंकड़े देखें तो क़रीबन-क़रीबन यही स्थति है।
  • 13:32 - 13:37
    अब औसत आंकड़ों का इस्तेमाल करना भी ख़तरनाक है, क्योंकि देश-देश में ज़मीन-आसमान का अंतर है।
  • 13:37 - 13:43
    तो अगर यहाँ जाकर यह देखूँ तो हम देख सकते हैं कि
  • 13:43 - 13:49
    आज युगांडा जहाँ है दक्षिण कोरिया वहाँ 1960 में ही पहुँच चुका था। अगर मैं युगांडा को छोड़ दूँ,
  • 13:49 - 13:54
    युगांडा में पूर्णतया अंतर है। यह युगांडा का सार है।
  • 13:54 - 13:57
    युगांडा के 20 प्रतिशत अमीर वहाँ हैं।
  • 13:57 - 14:01
    और ग़रीब वहाँ नीचे। अगर मैं दक्षिण अफ्रीका को छोड़ दूं, तो वह ऐसा है।
  • 14:01 - 14:06
    अगर आप नीचे जाकर नाइजीरिया को देखें, जहाँ इतना भयंकर अकाल पड़ा है,
  • 14:06 - 14:11
    नाइजीरिया के 20 प्रतिशत सर्वाधिक ग़रीब यहाँ हैं,
  • 14:11 - 14:14
    और दक्षिण अफ्रिका के 20 प्रतिशत सर्वाधिक अमीर वहाँ हैं,
  • 14:14 - 14:19
    और फिर भी, हम इस बात पर चर्चा करने की इच्छा रखते हैं कि अफ्रिका का क्या समाधान होना चाहियें।
  • 14:19 - 14:22
    अफ्रीका में वह सब विधमान है जो इस दुनिया में है। और आप
  • 14:22 - 14:26
    एचआईवी की सर्वव्यापी पहुँच पर उस सार के साथ जो यहाँ ऊपर है उसी योजना के साथ जो नीचे है, चर्चा नहीं कर सकते।
  • 14:26 - 14:30
    विश्व सुधार अत्यधिक प्रासंगिक होना चाहिए,
  • 14:30 - 14:35
    और इसका क्षेत्रीय स्तर पर होना अनुरूप नहीं है
  • 14:35 - 14:38
    हमारे पास और ज़्यादा जानकारी होनी चाहिए।
  • 14:38 - 14:42
    हम पाते हैं कि जब छात्र इसका उपयोग कर सकते हैं तो वे बहुत ज़्यादा उतेजित हो जाते हैं।
  • 14:42 - 14:47
    और नीति-निर्माता त्तथा व्यावसायिक क्षेत्र भी यह जानना चाह्ते हैं
  • 14:47 - 14:51
    कि विश्व कैसे बदल रहा है? अब ऐसा क्यों नहीं होता ?
  • 14:51 - 14:55
    हम उन आकंड़ों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते जो हमारे पास हैं?
  • 14:55 - 14:57
    हमारे पास ये आंकड़े संयुक्त राष्टों, राष्ट्रीय सांख्यिकी
  • 14:57 - 15:01
    एजेंसियाँ, विश्वविद्यालय और ग़ैर-सरकारी संगठनों में उपलब्ध हैं।
  • 15:01 - 15:03
    चूँकि आंकड़े डेटाबेस में छिपे हैं लोग इन्हें इंटरनेट पर देख सकते हैं
  • 15:03 - 15:08
    फिर भी हम उनका प्रभावपूर्ण तरीक़े से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
  • 15:08 - 15:11
    विश्व में परिवर्तन में जो कुछ सूचनाएँ हमने देखीं में,
  • 15:11 - 15:15
    सार्वजनिक -निधि गणनायें शामिल नहीं हैं।
  • 15:15 - 15:21
    इस तरह के कुछ वेबपेज हैं, लेकिन वे डाटाबेस की पुष्टि करते हैं।
  • 15:21 - 15:26
    लेकिन लोग उन पर पैसा चार्ज करते हैं, अरोचक पासवर्ड बनाते हैं, और गणनाएँ भी ऊबाऊ होती हैं।
  • 15:26 - 15:29
    (हँसते हुए) (करतल ध्वनि)
  • 15:29 - 15:33
    और इस तरह काम नहीं चलेगा। तो देखिए किस चीज़ की ज़रूरत है? हमारे पास डाटाबेस है।
  • 15:33 - 15:37
    आपको नये डाटाबेस की ज़रूरत नहीं है। हमारे पास अदभुत डिज़ाइन टूल्स हैं।
  • 15:37 - 15:40
    और ज़्यादा से ज़्यादा यहां जोड़े जा रहे हैं। इसलिए हमने एक
  • 15:40 - 15:45
    गैर-लाभकारी उपक्रम शुरू किया है जिसे हमने लिकिंग डाटा टू डिज़ाइन नाम दिया--
  • 15:45 - 15:48
    हम इसे गेपमाइंडर कह्ते हैं। लंदन वाले आपको चेतावनी देते हैं,
  • 15:48 - 15:51
    "माइंड द गेप" इसीलिए हमने सोचा कि गेपमाइंडर उचित है।
  • 15:51 - 15:55
    और हमने उस सोफ्ट्वेयर पर लिखना शुरू किया जो इस तरह के आंकड़े को जोड़ सकता था।
  • 15:55 - 16:01
    और यह मुश्किल काम नहीं था। इसमें कुछ वर्ष लगे और हमने एनिमेशन का सृजन कर दिया।
  • 16:01 - 16:03
    आप एक डाटा सैट ले सकते हैं और वहाँ रख सकते हैं।
  • 16:03 - 16:08
    हम संयुक्त राष्ट्र डाटा को मुक्त कर रहे हैं, कुछ संयुक्त राष्ट्र संगठनों के।
  • 16:08 - 16:12
    कुछ देश यह स्वीकार करते हैं कि उनका डाटाबेस विश्व में प्रसारित किया जा सकता है,
  • 16:12 - 16:15
    लेकिन वास्तव में हमें जिस चीज़ की आवश्यकता है वह है, सर्च फंग्शन (खोज संचालन)।
  • 16:15 - 16:20
    सर्च फंग्शन में हम डाटा को सर्चेबल फार्मेट में कोपी कर सकते हैं।
  • 16:20 - 16:23
    और पूरे विश्व में प्रसारित कर सकते हैं। और जब हमें अपने आस-पास क्या सुनने को मिलता है?
  • 16:23 - 16:27
    मैंने मुख्य परिगणन ईकाई में डिप्लोमा किया है। हर कोई कह्ता है --
  • 16:28 - 16:32
    "यह असम्भव है। ऐसा नहीं हो सकता। हमारी सूचना का वर्णन इतना
  • 16:32 - 16:35
    निजी है कि इसे सर्च नहीं किया जा सकता जैसा कि दूसरे सर्च करते हैं"
  • 16:35 - 16:40
    हम छात्रों को मुफ़्त डाटा प्रदान नहीं कर सकते, विश्व के उधमियों को भी नहीं।"
  • 16:40 - 16:43
    लेकिन यही वह है जो हम देखना चाह्ते हैं, क्या नहीं?
  • 16:43 - 16:46
    सार्वजनिक - विधि डाटा यहाँ डाउन करें।
  • 16:46 - 16:49
    और हम नेट पर फूल उगाना चाहते हैं।
  • 16:49 - 16:54
    और उनमें सबसे निर्णायक पहलुओं में से एक उन्हें सर्च करना है, और फिर लोग
  • 16:54 - 16:56
    इसे वहाँ एनिमेट करने के लिए विभिन्न टूल का उपयोग कर सकते हैं।
  • 16:56 - 17:01
    और मेरे पास आपके लिये एक अच्छी ख़बर है। यह अच्छी ख़बर यह है कि,
  • 17:01 - 17:05
    संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी का वर्तमान मुखिया ऐसा नहीं कहता है कि यह असम्भव है।
  • 17:05 - 17:07
    वह सिर्फ़ इतना कहता है कि, "हम यह नहीं कर सकते।"
  • 17:07 - 17:11
    (हँसते हुए)
  • 17:11 - 17:13
    और वह बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति है?
  • 17:13 - 17:15
    (हँसते हुए)
  • 17:15 - 17:19
    तो आने बाले सालों में हम बहुत सारा डाटा देख सकते हैं।
  • 17:19 - 17:23
    हम एक बिल्कुल नये तरीक़े से आय वितरण को देख सकेंगे।
  • 17:23 - 17:28
    यह 1970 में चीन का आय वितरण है।
  • 17:29 - 17:34
    और यह 1970 में यूनाइटेड स्टेटस का आय वितरण है।
  • 17:34 - 17:38
    लगभग सब अलग-अलग और क्या हुआ है?
  • 17:38 - 17:43
    जो हुआ है वह यह है कि चीन विकास कर रहा है, वह अब और ज़्यादा समान नहीं है।
  • 17:43 - 17:47
    और यहाँ दिखलाई पड़ रहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र की उपेक्षा कर रहा है।
  • 17:47 - 17:49
    सम्भवता एक भूत की तरह?
  • 17:49 - 17:51
    (हँसते हुए)
  • 17:51 - 18:01
    यह बहुत ही अजीब है। लेकिन मुझे लगता है कि ये सारी सूचनाएँ रखना बहुत ज़रूरी हैं।
  • 18:01 - 18:07
    हमें वास्तव में इसे देखने की ज़रूरत है और इसे देखने की अपेक्षा
  • 18:07 - 18:12
    मैं प्रति 1000 इंटरनेट उपयोगकर्ता को दिखाकर समाप्त करना चाहूँगा।
  • 18:12 - 18:17
    इस सोफ्टवेयर में हम बड़ी आसानी से सभी देशों के क़रीबन 500 बदलने योग्य डाटाओं पर पहुंच बना लेते हैं।
  • 18:17 - 18:21
    इसे बदलने में थोड़ा वक्त लगता है।
  • 18:21 - 18:26
    लेकिन शीर्ष पर, आप आसानी से अपना पसन्दीदा परिवर्तन प्राप्त कर सकते हैं।
  • 18:26 - 18:31
    और यह सब आपको सिर्फ़ एस सेकेंड में किलक करके, मुफ़्त डाटाबेस
  • 18:31 - 18:34
    प्राप्त करने, उन्हें सर्च करने, उन्हें ग्राफिक फोर्मेट में पाने,
  • 18:34 - 18:39
    जहां आप उन्हें आसानी से समझ सकते हैं, में मदद करता है।
  • 18:39 - 18:42
    अब गणनाकार इसे पसन्द नहीं करते, क्योंकि वे कहते हैं। कि यह-
  • 18:42 - 18:51
    वास्तविकता नहीं दिखलायेगा: हमें परिगणना, विश्लेषणात्मक विधियाँ अपनानी पड़ती हैं
  • 18:51 - 18:54
    लेकिन इस परिकल्पना का सृजन होता है।
  • 18:54 - 18:58
    और मैं उस संसार के साथ समाप्त करता हूँ जहाँ इंटरनेट आ रहा है।
  • 18:58 - 19:02
    इंटरनेट उपयोग्कर्ता की संख्या इस तरह बढ़ रही है। यह प्रति व्यक्ति जीडीपी है।
  • 19:02 - 19:07
    और यह नयी प्रोद्योगिकी आ रही है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, यह
  • 19:07 - 19:12
    देशों की अर्थव्य्वस्था से कैसे अनुरूप होगी। इसीलिए 100 डालर
  • 19:12 - 19:15
    के कम्प्यूटर भी इतने महत्वपूर्ण होंगे। लेकिन ये एक अच्छी आदत है।
  • 19:15 - 19:18
    यह ऐसा है मानो विश्व एकरूप हो रहा है। क्या नहीं? ये देश
  • 19:18 - 19:21
    अर्थव्यवस्था से कहीं ऊपर उठ रहे होंगे और
  • 19:21 - 19:25
    वर्षों तक इसका अनुसरण करना रुचिप्रद होगा, जैसा कि समस्त
  • 19:25 - 19:27
    सार्वजनिक-डाटा-निधि के साथ आप अनुसरण करने में समर्थ हों। ऐसी मैं आशा करता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद्।
  • 19:28 - 19:31
    करतल ध्वनि
Title:
हंस रोसलिंग आपको सबसे बेहतर आंकड़े दिखाएँगे जो आपने देखे होंगे।
Speaker:
Hans Rosling
Description:

आपने कभी आँकड़ों को ऐसे प्रस्तुत किए हुए नहीं देखा है. एक खेल कॅसटर के ड्रामा और जल्दबाज़ी के साथ, आँकड़ों के गुरु हंस रोसलिंग विकासशील जग के इस गप्प को ग़लत साबित करते हैं।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
19:33
TED added a translation

Hindi subtitles

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