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हमें दी गई वास्तविकता
पत्थर से लिखी नहीं है,
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इसे बदला जा सकता है।
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मैं कोस्टा रिका से हूँ,
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एक देश जो शांति के लिए अपनी
प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है,
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हमारी शिक्षा का उच्च स्तर,
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और प्रकृति का हमारा दूरदर्शी प्रबंधन।
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लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था।
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40 के दशक में
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मेरे पिता, जोस फिगरेर्स फेरर,
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एक युवा किसान इन पहाड़ों की
मिट्टी में खेती कर रहे थे
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और अपनी दृष्टि का पोषण करते हुए
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सामाजिक न्याय पर आधारित देश का
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जो कानून के शासन द्वारा निर्देशित हो।
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उनके दृष्टिकोण का परीक्षण
1948 में किया गया था,
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जब सरकार ने मानने से इनकार कर दिया
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लोकतांत्रिक चुनाव के परिणाम को
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और एक सेना रूपी सकरकर लेकर आए थे ।
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मेरे पिताजी उदासीन रहे होंगे,
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पर उन्होंने लोकतंत्र ठीक करने
के लिए जो जरूरी था, उसे चुना,
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अपने घर और अपने खेत को जला देना सहन करा।
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यहाँ से उन्होंने एक क्रांतिकारी
सेना का शुभारंभ किया
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कुछ बहादुर पुरुष और महिलाएं की
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जो सभी संभावनाओं का विरोध करते हुए,
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सरकारी सेना को हराया।
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फिर उन्होंने अपनी सेना को भंग कर दिया,
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सशस्त्र बलों को बाहर करते हुए,
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और अप्रत्यक्ष सैन्य बजट का इस्तेमाल
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नींव स्थापित करने में करा उस देश का जो
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आज कोस्टा रिका में एक अनूठा देश है।
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मेरे पिता से मैंने जिद्दी आशावाद सीखा
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सोचने का आवश्यक तरीका जो
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वास्तविकता को बदलने के लिए उस
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हकीकत में जिसे हम चाहते हैं।
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आज, वैश्विक स्तर पर
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हम तेजी से बढ़ रहे जलवायु
आपातकाल का सामना कर रहे हैं,
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क्योंकि हमने इसे इतने
लंबे समय के लिए टाला है।
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इसको वास्तव में बदलने का एक अंतिम मौका है
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यह मानव इतिहास में निर्णायक दशक है।
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यह अतिशयोक्ति की तरह लग
सकता है, लेकिन है नहीं।
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यदि आप वर्तमान पथ के साथ जारी रखते हैं,
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हम बच्चों और उनके वंशजों को दोषी बनाते हैं
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ऐसी दुनिया में जो रहने लायक नहीं है,
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बीमारी के तेजी से बढ़ते स्तर के साथ,
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अकाल और संघर्ष,
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और अपरिवर्तनीय पारिस्थितिकी तंत्र विफलता।
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यदि आप इसे उल्टा कर काम करते है
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वर्तमान ग्रीनहाउस गैस तो
उत्सर्जन आधा हो जायेगा
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अगले 10 वर्षों में।
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एक रोमांचक दुनिया के द्वार खोलते है
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जहाँ शहर हरा है, हवा साफ है,
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ऊर्जा और परिवहन कुशल हैं,
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एक निष्पक्ष अर्थव्यवस्था
में बहुत सारी नौकरियां हैं,
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वनों, मिट्टी और पानी को
पुनर्जीवित किया जाता है।
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हमारी दुनिया सुरक्षित और स्वस्थ होगी,
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यह अब की तुलना में अधिक
स्थिर और सटीक होगी।
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यह दशक चुनाव का दशक है
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यह उससे से अलग है जिसे हमने कभी जीया है।
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हम सभी लोग अब उस जिम्मेदारी
को साझा कर रहे हैं
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और उस अवसर को भी।
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अगले 10 वर्षों में कई बदलाव होने हैं,
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और हम में से प्रत्येक रास्ते
में अलग-अलग कदम उठाएंगे ।
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लेकिन हम सभी को बदलना शुरू करते हैं
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एक जगह से और वो है हमारे सोचने का तरीका।
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आज के तथ्यों के सामने
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हम उदासीन हैं और कुछ नहीं कर सकते
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और उम्मीद करे कि समस्या दूर हो जाएगी।
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हम हताश और लकवाग्रस्त हो सकते हैं,
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या हम जिद्दी आशावादी हो सकते हैं,
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एक मजबूत विश्वास के साथ,
चाहे कितना भी मुश्किल हो
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हमें करना होगा, और हम
चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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आशावाद आँख बंद कर वास्तविकता
को अनदेखा करना नहीं है
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यह हमें घेर लेता है, यह मूर्खता है।
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यह एक भोला विश्वास भी नहीं है
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कि सब कुछ अपना ख्याल खुद रखता है,
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बिना कुछ किए।
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यह गैर जिम्मेदाराना है।
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जिस आशावाद कि बात मैं कर रही हूँ
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परिणामों का परिणाम नहीं है,
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आपको चुनौती को संबोधित
करने की आवश्यकता है।
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वास्तव में, यह
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सफलता की संभावनाओं को
बढ़ाने का एकमात्र तरीका है।
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सकारात्मक सोच के प्रभाव
के बारे में सोचें उन
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व्यक्तिगत लक्ष्यों के लिए जो
आपने खुद के लिए निर्धारित करे।
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मैराथन दौड़ें, एक नई भाषा सीखें,
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मेरे पिता की तरह एक नया देश बनाना
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या, मेरी तरह, जलवायु परिवर्तन
पर वैश्विक समझौते पर पहुंचें।
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2015 के पेरिस समझौते का स्वागत किया गया है
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एक ऐतिहासिक सफलता के रूप में
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जिसे हमने कुल अंधेरे में क्या शुरू किया।
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जब मैंने नेतृत्व किया
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2010 अंतर्राष्ट्रीय
जलवायु परिवर्तन वार्ता का
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कोपेनहेगन सम्मेलन विफल
होने के छह महीने बाद
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जलवायु परिवर्तन के संबंध में
दुनिया बहुत अंधेरी जगह में थी।
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किसी को विश्वास नहीं था कि हम सहमत होंगे
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वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन के बारे में।
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यहाँ तक कि मुझे विश्वास
नहीं था कि यह संभव है
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लेकिन फिर मैंने देखा,
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साझा दृष्टि और विश्व स्तर पर सहमत मार्ग
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यह उस दृष्टि के लिए आवश्यक था।
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सबसे पहले, मुझे सोच में एक
परिवर्तन की आवश्यकता थी,
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और अन्य सभी प्रतिभागियों को भी,
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कोई है जो धीरे-धीरे लेकिन
साहस के साथ आगे बढ़ा
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निराशा से लेकर दृढ़ संकल्प तक,
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टकराव से लेकर सहयोग तक,
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जब तक हम एक साथ वैश्विक
समझौते प्रदान नहीं करते।
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लेकिन हम काफी तेजी से
आगे नहीं बढ़ रहे हैं।
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कई अब मानते हैं कि यह असंभव है
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पिछले 10 वर्षों में वैश्विक
उत्सर्जन में कटौती करने के लिए।
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मुझे हार मानने या त्यागने
का कोई अधिकार नहीं है।
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आशावाद का अर्थ है हमारे
इच्छित भविष्य की कल्पना करना
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और सक्रिय रूप से इसे करीब लाना।
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आशावाद संभावनाओं के क्षेत्र को खोलता है,
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यह एक योगदान करने की आपकी
इच्छा को प्रेरित करता है।
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यह आपको सुबह बिस्तर से
कूदने में मदद करता है
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क्योंकि एक ही समय में चुनौती
और उम्मीद महसूस करते है।
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लेकिन यह आसान नहीं है,
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हम रास्ते में ठोकर खाएंगे।
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कई अन्य वैश्विक एजेंसियां
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यह तेजी से प्रगति से हमारी आशाओं
के साथ छेड़छाड़ कर सकता है,
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और हमारी वर्तमान भू
राजनीतिक वास्तविकता से भी
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यह हमारी आशावाद को आसानी से कम कर सकता है।
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यहीं से जिद खेलने में आ जाती है।
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हमारा आशावाद सिर्फ एक दिन
का रवैया नहीं हो सकता।
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यह दानेदार, निर्धारित और अथक होना चाहिए।
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यह एक विकल्प है जिसे हमें हर दिन चुनना है।
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हर बाधा एक संकेत है विभिन्न
तरीकों की कोशिश करने के लिए।
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एक दूसरे के साथ एक मूलभूत सहयोग में
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हम यह कर सकते हैं।
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सालों तक मुझे बुरे सपने आए थे
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इसमें मैं सात जोड़े बच्चों
की आँखों को देखा था,
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7 वीं पीढ़ी की आँखें,
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मुझे घूर कर पूछती हुई,
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"तुमने क्या किया?"
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अब हमारे लाखों बच्चे सड़क पर हैं,
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हमसे एक ही सवाल पूछते हुए,
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"तुम क्या कर रहे हो?"
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और हमें इसका जवाब देना होगा।
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जैसे हमसे पहले हमारे पिता और माँ थे,
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अब हम भविष्य के किसान हैं।
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मैं आप में से प्रत्येक से सवाल करता हूँ,
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आप कैसा भविष्य चाहते हैं,
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उस भविष्य को असलियत बनाने
के लिए क्या कर रहे हैं?
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आपके पास अलग-अलग उत्तर होंगे,
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लेकिन आप एक बढ़ते परिवार से
जुड़कर शुरुआत कर सकते हैं
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दुनिया भर के जिद्दी आशावादियों के साथ।
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परिवार में आपका स्वागत है।