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ईरानी सईद फ़जलूला के लिए एक लक्ष्य
दृढ़ता से फ़ोकस में है
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कि रिफ़्यूजी ऑलिंपिक टीम के सदस्य
के रूप में टोकियो में भाग लेना है।
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मुझे बेहद गर्व होगा,
रिफ़्यूजी के रूप में जीवन आसान नहीं है
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जैसा कि बहुत सारे लोग नहीं जानते।
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अपने जीवन की रक्षा के लिए 2015 में
बाल्कन से हो कर सईद ईरान से भाग निकला।
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विश्व केनो स्प्रिंट चैम्पियनशिप के दौरान
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उसने मिलान कैथेड्रल के सामने एक सेल्फ़ी ली,
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ईरानी शासन ने उस पर
ईसाई धर्म अपनाने का आरोप लगाया,
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जिसके लिए मृत्यु दंड का प्रावधान है।
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उसने कार्ल्श्रुहे में नया घर पाया।
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उसने अपने जीवन के पिछले 17 वर्ष
प्रतियोगी खेलों को समर्पित किए हैं,
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जर्मनी में बसने के बाद से
कायाकिंग उसकी उच्चतम प्राथमिकता रही है।
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सोमवार से शनिवार तक हमारे प्रतिदिन
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तीन या चार प्रशिक्षण सत्र होते हैं,
जिनमें से प्रत्येक एक से डेढ़ घंटे का है।
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हमें सदैव बुधवार को
आधे दिन की छुट्टी मिलती है,
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मगर हमारी हमेशा फ़िटनेस ट्रेनिंग, दौड़ना,
और पैडल सत्र चलते रहते हैं।
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सईद फ़जलूला को
1996 ऑलिंपिक कायाक चैंपियन,
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डेटलेफ़ होफमान में एक दोस्त मिला है,
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जब भी सईद को प्रेरणा की आवश्यकता होती है,
वह उसे देता है।
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डेढ़ महीने पहले में डिप्रेस्ड था,
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मैं डेटलेफ़ के पास आया और बताया
कि मैं छोड़ना चाहता हूँ
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मगर मैंने डेटलेफ़ से ढेरों बातें कीं।
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वह मुझे स्थानापन्न पिता समझता है।
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उसके ठीक ठीक शब्द हैं कि 8वां या 9वां
बहुत बढ़िया होगा मगर प्लीज़ छोड़ना मत।
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और मैंने कहा, ओके,
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यही एक मौका है, इसका इस्तेमाल
यह दिखाने को करूंगा कि मैं क्या हूँ,
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मैं बस इतना ही कर सकता हूँ।
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इसने सचमुच बढ़िया काम किया,
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क्योंकि मैंने जा कर विश्व कप जीत लिया,
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और उसे आशा रहेगी कि वह टोकियो में भी
पूरी कोशिश कर सकेगा।