पैट्रिसिया रायन: ज़बरदस्ती इंग्लिश न थोपें!
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0:01 - 0:03मुझे पता है कि आपको क्या लग रहा है।
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0:03 - 0:05आप सोच रहे हैं कि मैं रास्ता भूल गयी हूँ,
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0:05 - 0:07और अभी कोई मंच पर आयेगा और
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0:07 - 0:09मुझे चुपचाप वापस अपनी सीट तक पहुँचा जाएगा।
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0:09 - 0:15(ठहाका)
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0:15 - 0:18दुबई में ये अक्सर मेरे साथ होता है।
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0:18 - 0:20"छुट्टी में आयी हैं?"
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0:20 - 0:22(हँसी)
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0:22 - 0:25"बच्चों से मिलने आयी हैं?"
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0:25 - 0:27"कितने दिन रुकेंगी?"
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0:27 - 0:30असल में, मैं काफ़ी दिन और रुकना चाहती हूँ।
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0:30 - 0:33मैं खाडी में रह रही हूँ और पढा रही हूँ
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0:33 - 0:35करीब पिछले तीस साल से भी ज्यादा से।
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0:35 - 0:39(ठहाका)
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0:39 - 0:43और इतने समय में, मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं।
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0:43 - 0:45और इसकी संख्या
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0:45 - 0:47काफ़ी चौंकाने वाली है।
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0:47 - 0:49और आज मैं आपसे बात करना चाहती हूँ
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0:49 - 0:51भाषाओं के खोने के बारे में
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0:51 - 0:54और इंग्लिश के सारी दुनिया में फ़ैलने के बारे में।
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0:54 - 0:56मैं आपको अपने एक दोस्त के बारे में बताना चाहती हूँ
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0:56 - 0:59जो कि अबु धाबी में व्यस्कों को इंग्लिश पढाते हैं।
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0:59 - 1:01और एक दिन,
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1:01 - 1:03उन्होंने सोचा कि उन सब को बगीचे में ले जा कर
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1:03 - 1:05प्राकृतिक वस्तुओं के नाम आदि सिखायेंगी।
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1:05 - 1:07मगर असल में उन्हें ही सीखने को मिले
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1:07 - 1:09तमाम अरब शब्द उन सब स्थानीय पौधों के,
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1:09 - 1:11और उनके इस्तेमाल भी --
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1:11 - 1:14दवाई के रूप में, सौंदर्य प्रसाधन के रूप में,
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1:14 - 1:17खाने में, आदि।
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1:17 - 1:19इन विद्यार्थियों को ये जानकारी कहाँ से मिली थी?
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1:19 - 1:21ज़ाहिर है, अपने दादा-दादी, नाना-नानी से
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1:21 - 1:24और परदादा, परनाना से भी।
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1:24 - 1:27अलग से ये बताना ज़रूरी नहीं कि कितना महत्वपूर्ण है कि
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1:27 - 1:29हम बातचीते करें
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1:29 - 1:31पीढियों के बीच।
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1:31 - 1:33मगर दुखद है कि, आज,
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1:33 - 1:35भाषाओं मर रही हैं
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1:35 - 1:37बहुत तेज़ दर से।
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1:37 - 1:40हर १४ दिन में एक भाषा लुप्त हो जाती है।
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1:41 - 1:43और ठीक वहीं,
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1:43 - 1:45इंग्लिश विश्व-भाषा बन कर उभर रही है।
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1:45 - 1:47क्या ये बातें संबंधित हैं?
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1:47 - 1:49मुझे नहीं पता।
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1:49 - 1:52मगर मैं ये जानती हूँ कि मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं।
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1:52 - 1:55जब मैं पहली बार खाडी में आई, तो मैं कुवैत गयी
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1:55 - 1:58उन दिनों में जब वहाँ जाना कठिन था।
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1:58 - 2:00असल में, उतनी पुरानी बात नहीं है।
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2:00 - 2:03थोडा ही पहले की बात है।
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2:03 - 2:05मगर फ़िर भी,
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2:05 - 2:07मुझे ब्रिटिश काउंसिल ने नौकरी दी थी
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2:07 - 2:09२५ और अध्यापकों के साथ।
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2:09 - 2:11और हम पहले गैर-इस्लामी लोग थे
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2:11 - 2:14जिन्होने कुवैत के सरकारी स्कूलों में पढाया।
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2:14 - 2:16हमें इंग्लिश पढाने के लिये लाया गया था
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2:16 - 2:20क्योंकि सरकार देश को आधुनिक बनाना चाहती थी
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2:20 - 2:23और नागरिको को क्षमता देना चाहती थी, शिक्षा के ज़रिये।
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2:23 - 2:25और बिलकुल ही, यू.के. ने फ़ायदा उठाया
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2:25 - 2:28तमाम सारे तेल के संसाधनों का।
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2:28 - 2:30ओके।
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2:30 - 2:33और जो बदलाव मैने देखा है वो ये है कि-
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2:33 - 2:35कैसे इंगलिश पढाना
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2:35 - 2:37बदला है
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2:37 - 2:41दोनो ओर को फ़ायदे देने वाली क्रिया से
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2:41 - 2:44इतने बडे वैश्विक व्यापार में, जो आज वो है।
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2:44 - 2:48वो सिर्फ़ स्कूल के कोर्स में पढायी जाने वाली विदेशी भाषा नहीं रह गयी है।
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2:48 - 2:50न ही वो बपौती रह गयी है
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2:50 - 2:52इंग्लैण्ड की।
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2:52 - 2:54वो ऐसी पार्टी बन गयी है जिसमें
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2:54 - 2:57इंग्लिश बोलने वाले हर राष्ट्र को शामिल होना ही है।
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2:57 - 2:59और क्यों न हो?
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2:59 - 3:02आखिरकार, सबसे बढिया शिक्षा --
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3:02 - 3:05विश्व के विद्यालयों की लिस्ट के हिसाब से ---
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3:05 - 3:07उन विश्वविद्यालयों में --
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3:07 - 3:11जो कि यू.के. और यू.एस. में हैं।
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3:11 - 3:15तो हर कोई इंग्लिश की पढाई करना चाहता है, ज़ाहिर तौर पर।
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3:15 - 3:17मगर यदि आप इंगलिश के मूल-वक्ता नहीं हैं,
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3:17 - 3:19तो आपको एक परीक्षा देनी होती है।
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3:19 - 3:21क्या यह सही हो सकता है कि
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3:21 - 3:23कि किसी विद्यार्थी को इसलिये दाखिला न मिले
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3:23 - 3:25कि उसकी भाषा पर पकड ठीक नही है?
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3:25 - 3:27शायद कोई ऐसा कम्प्यूटर वैज्ञानिक हो
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3:27 - 3:29जो जीनियास हो।
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3:29 - 3:32क्या उसे भाषा-कौशल की उतनी ही ज़रूरत पडेगी, जितनी कि, एक वकील को?
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3:32 - 3:35देखिये, मुझे तो ऐसा नहीं लगता।
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3:36 - 3:39हम इंग्लिश के अध्यापक अक्सर ऐसे लोगों को हटा देते हैं।
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3:39 - 3:41उनके सामने रुको का साइन-बोर्ड लगा कर,
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3:41 - 3:43और उन्हें हम उनके रास्ते में ही रोक देते हैं।
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3:43 - 3:45वो अपने सपनों को साकार नहीं कर सकते,
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3:45 - 3:48जब तक कि वो इंग्लिश न सीख लें।
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3:49 - 3:52चलिये, दूसरी तरह से कहती हूँ,
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3:52 - 3:56अगर मुझे सिर्फ़ एक भाषा बोलने वाल डच व्यक्ति मिले,
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3:56 - 3:58जिसके पास कैंसर का इलाज है,
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3:58 - 4:01तो क्या मैं उसे ब्रिटिश विश्वविद्यालय में आने से रोकूँगी?
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4:01 - 4:03मैं तो बिलकुल भी नहीं रोकूँगी।
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4:03 - 4:06मगर सच मे, हम बिलकुल यही कर रहे हैं।
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4:06 - 4:09हम इंग्लिश अध्यापक वो चौकीदर हैं।
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4:09 - 4:12और पहली आपको हमें संतुष्ट करना होगा
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4:12 - 4:15कि आपकी अंग्रेजी ठीक-ठाक है।
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4:16 - 4:18ये बहुत खतरनाक हो सकता है
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4:18 - 4:21कि हम बहुत ज्यादा ताकत दे दें
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4:21 - 4:23समाज के एक छोटे से हिस्से को।
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4:23 - 4:26शायद ये रुकावट सारे विश्व में फ़ैल जाये।
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4:26 - 4:28है न?
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4:28 - 4:31मगर, आप कहेंगे,
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4:31 - 4:33कि "शोध के बारे में मेरी क्या राय है?
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4:33 - 4:35वो तो पूरा ही अंग्रेजी में है।"
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4:35 - 4:37तो सारी किताबें इंग्लिश में हैं,
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4:37 - 4:39सारे जर्नल इंग्लिश में हैं,
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4:39 - 4:42मगर ये खुद को ही स्थापित करते जाने वाली बात है।
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4:42 - 4:44ये तर्क और भी ज्यादा अंग्रेजी जानने को बढावा देता है।
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4:44 - 4:46और ये इसी तरह बढता जाता है।
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4:46 - 4:49मैं आपसे पूछती हूँ, अनुवाद का क्या हुआ?
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4:49 - 4:53अगर आप इस्लाम के स्वर्ण काल के बारे में सोचें,
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4:53 - 4:56तो आप पायेंगे कि तब बहुत अनुवाद होता था।
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4:56 - 4:59वो लेटिन और ग्रीक से अनुवाद करते थे,
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4:59 - 5:01अरबी मे, फ़ारसी में,
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5:01 - 5:03और फ़िर वहाँ से आगे,
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5:03 - 5:05यूरोप की जर्मन मूल की भाषाओं मे,
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5:05 - 5:07और रोमन भाषाओं में।
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5:07 - 5:11और इस तरह से ही यूरोप का अँधकार-युग ख्त्म हुआ।
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5:12 - 5:14देखिये, मुझे गलत मत समझिये;
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5:14 - 5:16मैं इंग्लिश पठन-पाठन के ख़िलाफ़ नहीं हूँ,
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5:16 - 5:18अँग्रेज़ी अध्यापक ध्यान दें।
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5:18 - 5:20मुझे ये बात बहुत अच्छी लगती है हमारे पास एक वैश्विक भाषा है।
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5:20 - 5:23आज हमें ऐसी वैश्विक भाषा की ज़रूरत है।
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5:23 - 5:25मगर मैं उसके
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5:25 - 5:27रुकावट के रूप में विकसित होने के ख़िलाफ़ हूँ।
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5:27 - 5:30क्या हम सच में चाहते हैं कि केवल ६०० भाषाएँ हों
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5:30 - 5:33और मुख्य भाषा इंग्लिश हो, या चीनी हो?
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5:33 - 5:36हमें उस से ज्यादा चाहिये। हम कहाँ पर लाइन खींचें?
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5:36 - 5:38आज का सिस्टम
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5:38 - 5:41बुद्धिमत्ता को
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5:41 - 5:44इंगलिश की जानकारी से कनफ़्यूज़ करता है,
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5:44 - 5:46जो कि बिल्कुल ही गलत है।
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5:46 - 5:52(अभिवादन)
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5:52 - 5:54और मैं आपको याद दिलाना चाहती हूँ
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5:54 - 5:57कि उन महान हस्तियों को, जिनके कंधों
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5:57 - 5:59पर आज के ज्ञान और बुद्धि टिकी है,
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5:59 - 6:01इंगलिश नहीं पढनी पडती थी,
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6:01 - 6:03न हि उन्हें इंग्लिश की कोई परीक्षा पास करनी होती थी।
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6:03 - 6:06मिसाल के तौर पर, आइंस्टाइन।
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6:07 - 6:10और उन्हें तो स्कूल में बुद्धू समझा जाता था
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6:10 - 6:12क्योंकि असल में, वो डिस्लेक्सिक थे।
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6:12 - 6:14मगर ये संसार का सौभाग्य ही था,
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6:14 - 6:17कि उन्हें अँग्रेज़ी की परीक्षा नहीं देनी पडी।
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6:17 - 6:20क्योंकि सन १९६४ तक
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6:20 - 6:22टोफ़ेल (TOEFL) परीक्षा की शुरुवात ही नहीं हुई थी,
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6:22 - 6:24जो कि अमरीकी परीक्षा है अंग्रेज़ी की।
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6:24 - 6:26और अब तो उसके बिना कुछ होता ही न।
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6:26 - 6:29इंग्लिश-कौशल मापने के आज तमाम तरीके हैं
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6:29 - 6:31और कई लाख विद्यार्थी उनमें शरीक हो रहे है,
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6:31 - 6:33साल दर साल।
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6:33 - 6:35और आपको और मुझे लग सकता है,
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6:35 - 6:37कि उनमें लगने वाली फ़ीस, ठीक ही है, बहुत महँगी नहीं,.
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6:37 - 6:39मगर वो रुकावट पैदा करती है
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6:39 - 6:41करोंडों गरीब लोगों की राह में।
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6:41 - 6:43तो इसलिये, उन्हें तो हम बिना परीक्षा के ही भगा दे रहे हैं।
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6:43 - 6:46(अभिवादन)
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6:46 - 6:49मुझे एक खबर याद आ रही है, हाल ही की:
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6:49 - 6:51शिक्षा: विभाजन का ज़रिया
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6:51 - 6:53अब मुझे समझ आया है।
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6:53 - 6:56मैं समझती हूँ कि क्यों लोग इंग्लिश पर इतना ध्यान देते हैं
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6:56 - 6:59वो अपने बच्चों को सफ़लता प्राप्त करने लायक बनाना चाहते हैं।
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7:00 - 7:03और वो करने के लिये, उन्हें पाशचात्य शिक्षा की आवश्यकता है।
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7:03 - 7:05क्योंकि, ज़ाहिर है, सबसे अच्छी नौकरियाँ
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7:05 - 7:08उन्हीं को मिलती हैं जो पश्चिमी विश्वविद्यालयॊं में पढ्ते है,
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7:08 - 7:10जैसा मैने पहले कहा था।
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7:10 - 7:12ये एक घुमावदार मृग-मरीचिका है ।
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7:12 - 7:14ठीक है?
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7:14 - 7:16चलिये मैं आपको दो वैज्ञानिकों की कहानी सुनाती हूँ,
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7:16 - 7:18दो इंग्लिश वैज्ञानिकों की।\
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7:18 - 7:20वो एक प्रयोग कर रहे थे
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7:20 - 7:22जैनेटिक्स पर,
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7:22 - 7:25जानवरो के अगले पाँवों और पिछले पाँवो पर आधारित।
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7:25 - 7:27मगर उन्हें वो निष्कर्श नहीं मिल रहे थे जो वो चाहते थे।
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7:27 - 7:29उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वो आखिर क्या करें,
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7:29 - 7:32जब तक कि एक जर्मन साइंसदान नही आया,
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7:32 - 7:35जिसने ये देखा कि वो लोग दो अलग अलग शब्दों से
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7:35 - 7:37अगले और पिछले पाँवो के बारे में बात कर रह थे.
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7:37 - 7:41जबकि जैनेटिक्स को पाँवो के अगले या पिछले होने से फ़र्क नहीं पडता,
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7:41 - 7:43और न ही जर्मन भाषा को।
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7:43 - 7:45बस धडाके से
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7:45 - 7:47समस्या हल हो गयी।
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7:47 - 7:49यदि आप कोई विचार सोच नहीं पायेंगे,
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7:49 - 7:52तो आप अटक जायेंगे।
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7:52 - 7:54मगर यदि दूसरी भाषा वो विचार सोच सके,
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7:54 - 7:56तो साझेदारी से
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7:56 - 7:59बहुत कुछ पाया जा सकता है, और सीखा जा सकता है।
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8:01 - 8:03मेरी बेटी,
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8:03 - 8:06इंगलैंड से कुवैत यी थी।
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8:06 - 8:09उसने विज्ञान और गणित अरबी भाषा में सीखा है।
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8:09 - 8:12एक अरबी विद्यालय में।
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8:12 - 8:15और उसे उस ज्ञान को अंग्रेजी में अनुवादित करना पडा अपने व्याकरण विद्यालय में।
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8:15 - 8:17और वो कक्षा में अव्वल थी
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8:17 - 8:19इन विषयों में।
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8:19 - 8:21जिस से ये पता चलता है कि
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8:21 - 8:23जब विद्यार्थी विदेश से हमारे पास आता है,
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8:23 - 8:25हम शायद उनके ज्ञान को
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8:25 - 8:27यथोचित सम्मान नहीं दे रहे है,
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8:27 - 8:30और उन्हें ज्ञान अपनी भाषा में होता है।
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8:30 - 8:32जब एक भाषा की मृत्यु होती है,
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8:32 - 8:35हमें नहीं पता चलता है कि उस भाषा के साथ हम क्या खो रहे हैं।
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8:35 - 8:39पता नहीं आपने सी.एन.एन पर देखा या नहीं --
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8:39 - 8:41वो हीरो पुरस्कार देते हैं-
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8:41 - 8:44एक कीन्या के चरवाहे लडके को
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8:44 - 8:47जो कि अपने गाँव में रात को पढ नही पाता था,
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8:47 - 8:49क्यों तमाम और बच्चों की तरह ही
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8:49 - 8:51उसका मिट्टी तेल का दिया,
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8:51 - 8:53धुँआ करता था, और आँखें खराब करता थी।
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8:53 - 8:56और ऐसे भी, उस के पास पर्याप्त तेल नहीं होता थी,
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8:56 - 8:59क्योंकि एक डालर प्रतिदिन में आप क्या क्या खरीद सकते हैं?
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8:59 - 9:01तो उसने अविष्कार किया
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9:01 - 9:04एक मुफ़्त सौर-लालटेन का।
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9:04 - 9:06और अब, उसके गाँव के बच्चे,
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9:06 - 9:08वही नंबर लाते है, जो कि वो बच्चे
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9:08 - 9:12जिनके घरों में बिजली है।
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9:12 - 9:18(अभिवादन)
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9:18 - 9:20जब उसे वो पुरस्कार मिला,
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9:20 - 9:22उसने ये प्यारे शब्द कहे:
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9:22 - 9:25"बच्चे अफ़्रीक को बदल सकते हैं -
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9:25 - 9:27एक अंधकार-युक्त महाद्वीप से,
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9:27 - 9:29एक रोशनी भरे महाद्वीप में"
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9:29 - 9:31एक छोटा सा आयडिया,
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9:31 - 9:34मगर उसके कितने बडा असर हो सकता है।
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9:35 - 9:37जिन लोगों के पास रोशनी नहीं है,
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9:37 - 9:40चाहे दिये की या फ़िर ज्ञान की,
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9:40 - 9:43वो हमारे अंग्रेजी की परीक्षाओं को पास नहीं कर सकते हैं,
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9:43 - 9:46और हमें कभी पता नहीं लगेगा कि उनके पास क्या ज्ञान है।
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9:46 - 9:49आइये उन्हें और स्वयं को
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9:49 - 9:51अँधकार से निकालें।
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9:51 - 9:54विविधता का सम्मान करें।
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9:54 - 9:57अपनी जुबान पर काबू करें।
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9:57 - 10:01उसे महान विचारों को फ़ैलाने में इस्तेमाल करें।
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10:01 - 10:08(अभिवादन)
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10:08 - 10:10धन्यवाद।
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10:10 - 10:13(अभिवादन)
- Title:
- पैट्रिसिया रायन: ज़बरदस्ती इंग्लिश न थोपें!
- Speaker:
- Patricia Ryan
- Description:
-
टेडेक्स दुबई में, अनुभवी इंगलिश अध्यापिका पैट्रिसिया रायन ने एक चुनौती भरा मुद्दा उठाया: क्या विश्व भर का अंग्रेजी पर अत्यधिक केंद्रित होना बाकी भाषाओं में नये विचारों को पैदा होने से रोक रहा है? (उदाहरण के लिये: यदि आइन्सटाइन को टोफ़ेल (TOEFL) की परीक्षा देनी पडती तो क्या होता?)। अनुवाद और विचारों के आदान-प्रदान के पक्ष में दिया गया एक रोचक वकतव्य।
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:14