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[स्त्री वक्ता] मैं एक अंतर्मुखी हूं
...और मुझे यह पसंद है।
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और मैं अकेली नहीं हूं।
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अंतर्मुखी लोग हर जगह हैं
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और जीवन को शांति से जीने, और
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एकांत में समय व्यतीत करने की
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हमारी आवश्यकता कोई कमी नहीं है
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बल्कि यह एक उपहार है।
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पर एक अंर्तमुखी होकर यह समझना हमेशा आसान नहीं होता कि आप कितने अद्भुत हैं
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ऐसा लगता है जैसे संसार बहिर्मुखी लोगों को पुरस्कृत करता है
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जहां ऊंचा बोलने वाले को गलती से आत्मविश्वासी और प्रसन्न समझ लिया जाता है
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जहां सबके पास कहने के लिए कुछ है पर कोई सुनता नहीं है
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दुनिया, जहां "ओपन ऑफिस",
मेलजोल की पार्टियां, और बड़ी हस्तियां हैं,
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जो मृदुभाषी हैं वे बड़ी आसानी से स्वयं को कटा हुआ महसूस करते हैं
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जब मैं बच्ची थी तब मैं पृष्ठभूमि में खो जाती थी
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कई लोग सोचते थे कि मेरे पास कहने को कुछ नहीं है
या मैं दूसरों को पसंद नहीं करती।
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लेकिन वह सच नहीं था।
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लोग अक्सर सोचते हैं कि अंर्तमुखी लोग संकोची या असामाजिक हैं,
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लेकिन यह गलत धारणाएं हैं
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हर किसी की तरह अंर्तमुखी लोगों को भी
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मिलना-जुलना मजेदार लग सकता है
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लेकिन जहां पार्टियां बहिर्मुखी लोगों में
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ऊर्जा भर देती है, वहीं कुछ समय बाद
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अंर्तमुखी लोगों को सबसे दूर
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स्वयं में फिर से ऊर्जा भरने की
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आवश्यकता महसूस होती है
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इसके पीछे एक वैज्ञानिक सिद्धांत है
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हमारे मस्तिष्क में दो महत्वपूर्ण रसायन
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पाये जाते हैं
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डोपामीन और एसिटाइलकोलाइन
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डोपामीन ऊर्जा उत्पन्न करता है जब हम जोखि़म उठाते हैं या नये लोगों से मिलते हैं
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और बर्हिमुखी लोगों को इससे अच्छा महसूस होता है
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पर अंर्तमुखी लोग डोपामीन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं
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और जल्द ही अधिक उत्तेजित हो जाते हैं
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इसलिए हमें अच्छी लगती है जब हमारा मस्तिष्क
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एसिटाइलकोलाइन प्रवाहित करता है
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यह तब होता है जब हम एकाग्र होते हैं पढ़ते हैं या अपना मन केंद्रित करते हैं
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यह हम अंर्तमुखी लोगों को तनावमुक्त सचेत और संतुष्ट बनाता है
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पर बर्हिमुखी लोगों में यह कम ही सक्रिय होता है
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बिल्कुल जैसे यह एक विसर्पी पैमाना है
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आप एक ओर या दूसरी ओर या जरा जरा दोनों ओर झुक सकते हैं जिन्हें उभयमुखी कहते हैं
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अब मैं स्वयं को बेहतर ढंग से समझ सकती हूं
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