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Google+: Hangouts

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    मुझे यह पसंद है, काश हम उन दिनों में वापस जा पाते जब कुछ भी
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    योजना बनाकर नहीं होता था क्योंकि आप चीजों को बस होने देते थे.
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    अब हम चीजों को होने नहीं देते, सब कुछ शेड्यूल होता है,
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    बोर होना रचनात्मकता के लिए शानदार होता है.
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    मुझे लगता है कि वयस्क होने, और इतना कम समय होने से हम हर चीज को शेड्यूल करने की
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    कोशिश करते हैं, इसलिए थोड़ा सा सरप्राइज़ है जिसकी कमी है.
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    काश हम सब बस एक साथ होते, और कोई योजना नहीं होती. इससे बढ़िया कोई चीज नहीं.
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    मुझे लगता है, वे यादगार पल होते हैं.
Title:
Google+: Hangouts
Description:

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Duration:
0:54
Amara Bot edited Hindi subtitles for Google+: Hangouts

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