लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना
-
0:07 - 0:09( तालिया )
-
0:09 - 0:10आदाब
-
0:12 - 0:15दुढ़ती भागती इस फास्ट फॉरवर्ड ज़िंदगी में
-
0:15 - 0:18हम काफी चिजोको नजर अंदाज कर देते है।
-
0:18 - 0:20अभ कहानियों ही ले लीजिये
-
0:20 - 0:26केस वो दिन तोह बस एक ख्वाब से है जब
अम्मी-अब्बा बिठाकर कहांनिया सुनाया करते थे -
0:26 - 0:29और आखिर मे मालूम पडताथा कि
हर कहानी अलग है। -
0:30 - 0:33हर कहानी की अपनी एक अलग तासीर है।
-
0:33 - 0:37तो चलिये, आज आपको एक कहानी सुनते है,
-
0:37 - 0:39कुछ पुराणी बाते याददिलाते है
-
0:39 - 0:43और देखते है इस कहनीकी क्या तासीर भांति है।
-
0:45 - 0:49कहानी यु है की एक माँ हसपिरादत
घर की सफाई मशरूफ है। -
0:50 - 0:52बेटी को आवासीय विद्यालय में भेजके
आज एक साल हो चूका है -
0:52 - 0:56तोह सोचती है क्यों न उसकी खास मेझ
साफ़ कर जाए। -
0:57 - 1:00इसी के साथ खुलती है एक दराज,
-
1:01 - 1:02दूसरी दराज,
-
1:03 - 1:04तीसरी दराज।
-
1:05 - 1:08तीसरी दराज में मिलती है कुछ चिठिया,
-
1:08 - 1:10चिठिया कुछ दोस्तोंके नाम,
-
1:10 - 1:12नाना नानी के नाम,
-
1:13 - 1:16पर एक आखरी चिठि, उसके अब्बा के नाम।
-
1:17 - 1:21(चिठि खोलती है।)
-
1:23 - 1:25अस्सलाम अलाय्कुम अब्बा।
-
1:25 - 1:27कैसे है आप?
-
1:28 - 1:31क्या हुआ? पहचाना नहीं?
-
1:32 - 1:36मैं आपकी बेटी, आलिआ।
-
1:37 - 1:40कुछ साल पहलेतक आप
अपने जायज़ बीवी बचोसे ले -
1:40 - 1:44हम माँ बेटी के गरीब खाने
चकर लगा आ जाया करते थे। -
1:45 - 1:46कुछ याद आया?
-
1:46 - 1:49मेरे लिए गुब्बारे खरीदने की
फुरसत नहीं थी शायद आपको, -
1:49 - 1:52इसके लिए दो चार रुपीये पकड़कर
आप बाप होने का फार्ज -
1:52 - 1:54आप सादआफरीन पूरा कर देते थे।
-
1:54 - 1:55नहीं?
-
1:56 - 1:59क्या याद है? आपको कैसे अक्सर आप
अम्मी को कहा करते थे -
1:59 - 2:02की इसका गलत रख दिया है तुमने।
-
2:02 - 2:04इसका नाम तोह आलिआ होन चाहिए था।
-
2:05 - 2:07मगरूर देखी है इस छुटंकी की। अं।
-
2:07 - 2:11और जब में पटर पटर अंग्रेज़ीमें
पड़ोसियों से बात करा रही होती थी, -
2:11 - 2:15तो कैसे आप मसखरे अंदाज में
मुझे चिढ़ाते हुए केहते थे की, -
2:15 - 2:17"आय वॉक इन इंग्लिश,
आय टॉक इन इंग्लिश, -
2:17 - 2:20आय लाफ़ इन इंग्लिश,
बिकॉज़ इंग्लिश इज़ अ विरी फ़नी लेंग्ग्वज।" -
2:20 - 2:21(हंसी)
-
2:21 - 2:24और हर बार में उतनी जोर से हस्ति थी
अब्बा पाटा है क्यों? -
2:25 - 2:27क्युकी आप हीरो थे मेरे।
-
2:28 - 2:33क्या याद है आपको कैसे,
"तलख तलख तलख" बोल -
2:34 - 2:37हल्के से आप बेबुनियादी
इस रिश्ते से निकल गए थे -
2:37 - 2:39और अम्मी ने भी नयी शादी कर दी थी।
-
2:40 - 2:42नए अब्बा बड़े अचे थे,
-
2:42 - 2:43मुझे रोज चॉकलेट्स देते थे।
-
2:44 - 2:46अम्मी को भी बहुत खुश रखते थे।
-
2:46 - 2:49मगर में दिल ही दिल आपको रोज याद करती थी
अब्बा सच में। -
2:51 - 2:56यकीं था मुझे, खाब में भी याद करुँगी ना
तो पाहत से आ जायेंगे मेरे पास। -
2:56 - 3:01मगर हुआ कुछ यु की बुढ़ापे में याददाश्त
कमजोर होने वाले फिकर को -
3:01 - 3:03बड़ा सीरियसली ले लिए था आपने।
-
3:03 - 3:06खेर, ये सब तो पुरानी बाते है।
-
3:06 - 3:07पर क्या याद है आपको?
-
3:08 - 3:12वो रात, जिस रात अम्मी मुझे
नए अब्बा के साथ घर में अकेला छोड़ -
3:13 - 3:15लखनऊ किसी काम से चली गई थी।
-
3:15 - 3:16और में सो रही थी।
-
3:16 - 3:18अपने कमरेमे मचार दानी के अंदर।
-
3:19 - 3:21आपको तो पता है न
मचार बर्दाश्त नहीं होते मुझसे। -
3:22 - 3:26पर क्या याद है आपको,
कैसे मुझे घर में अकेला पाकर -
3:26 - 3:31वो हलके से मचार दानी उठाकर
मेरे बिस्तर में ग़ुस्सा गया था। -
3:32 - 3:33में सो रही अब्बा थी सच में।
-
3:34 - 3:38सच में में सो रही की अचानक से
कुछ महसूस हुआ मुझे। -
3:38 - 3:40एक हाथ मेरे कमर पर था,
-
3:41 - 3:45दूसरा हाथ मेरे बालोमे वो अपने भड़े
होठों से मेरे जिस्समपर कुछ कर रहा था। -
3:46 - 3:50मानो सूंघ रहा था, अपने नए शिकार को।
-
3:51 - 3:53उसकी लम्बी उँगलियाँ उन
जूँ की तरह थी -
3:53 - 3:57जो हाट जानेके बाद भी अपने निशान
छोड़ जाती है। -
3:58 - 3:59अले मेरा बच्चा।
-
4:00 - 4:02एक दफा मुझे लगा आप है।
-
4:02 - 4:04ख्वाब से निकलकर मेरे पास।
-
4:05 - 4:06पर क्या याद है आपको,
-
4:06 - 4:09की मेरी आँख खुल गयी थी और वो आप नहीं थे।
-
4:10 - 4:11नए वाले अब्बा थे।
-
4:12 - 4:14वो आहिस्ता से मेरी सलवार सरकार रहे थे
-
4:14 - 4:19और जो गहराइयां तब तफ्सील से
गहरी हुई भी नहीं थी उन गहराइयो मे, -
4:19 - 4:22अपनी जोक उंगलियों से रास्ता बना रहे थेl
-
4:24 - 4:26क्या याद है आपको
कि मुझे हो जा चुका था, -
4:26 - 4:28और मैं उन्हें धोखा दे रही थी की,
-
4:28 - 4:30क्या कर रहे है आप ये क्या कर रहे है अरे।
-
4:30 - 4:32ये क्या कर रहे है आप
मैं अम्मी को बता दूंगी। -
4:32 - 4:37क्या कर रहे है आप मैं अम्मी को बता दूंगीl"
पर एक मिनट, "मैं अम्मी को बता दूंगी।" -
4:38 - 4:40ऐसे क्यों कहा था मेने?
-
4:41 - 4:44मेरा दिल तो चीख चीख कर
सिर्फ आपको बुला रहा था अब्बा कि, -
4:44 - 4:47"में अब्बा को बता दूंगी अब्बा, अब्बाl"
-
4:47 - 4:53तभी मेरा दिमाग मुझे चांटा मारता
और मेरी जबान चिलाती अम्माl अम्मा। -
4:54 - 4:55क्या सुनाई दिया था आपको?
-
4:56 - 4:59"नहीं क्या कर रहे है अब्बा, दर्द,
दर्द हो रहा है क्या कर रहे है आप अब्बा" -
4:59 - 5:06अब्बा नहीं।
अम्मा। अम्मा। अम्मा। -
5:08 - 5:11क्या उस तब्दीली की आवाज
आई थी आपको? -
5:12 - 5:16कैसे एक ही रात में
अम्मी को अम्मा बहाना दिया था मेने -
5:16 - 5:19क्योंकि अभी अब्बा का काम भी
उन्हें ही करना था। -
5:19 - 5:22फात लात मार के
भागी थी में और दूसरे कमरे में -
5:22 - 5:24और खुदको बंद कर लिया था मैंने।
-
5:25 - 5:28और शायद आज तक उस कमरे में बंद हु में।
-
5:29 - 5:31कुछ पैदा हुआ था उस दिन।
-
5:31 - 5:33क्या एहसास हुआ था आपको?
-
5:34 - 5:38नफरत ने हल्के से दस्तक दी थी उस दिन,
एक दिल टूटा था उस दिन। -
5:39 - 5:44एक ११ साल की लड़की तबाह हुई थी उस दिन।
क्या भनक पड़ी थी आपको? -
5:45 - 5:51वो लड़की २ दिन उसी कमरे में बंद रो रही थी।
क्या आवाज आई थी आपको? -
5:52 - 5:57नहीं ना?
आती भी कैसे, वो लड़की रोई ही नहीं थी। -
5:58 - 6:04वो न तब रोई थी, ना आज रोई है,
ना ही कल रोयेगी क्योंकि वह लड़की आलिया थी। -
6:06 - 6:10आपकी अलिया।
क्या याद भी है वो अलिया आपको? -
6:11 - 6:15भला केसी होगी,
वो अलिया अभ मर चो चुकी है। -
6:16 - 6:20खबर लगी थी क्या आपकी तबीयत ठीक नहीं है
तो सोचा खत लिख दूं -
6:20 - 6:23मगर लगता है बाकी सारे खतो की तरह यह खत भी
-
6:23 - 6:25किसी दराज में अपना वजूद पाएगा।
-
6:26 - 6:29तो अपना ध्यान रखिएगा अब्बा।
खुदा अफस। -
6:29 - 6:30(चिठि बंद करती है।)
-
6:30 - 6:34( तालिया )
-
6:35 - 6:37तो कैसी लगी यह कहानी आपको?
-
6:38 - 6:41कुछ अपनी सी या नही?
-
6:42 - 6:44इतना तो मैं दावे के साथ कहै सकती हु कि
-
6:44 - 6:48यहाँ बैठे कितने लोगों के दिल में
इस कहानी को सुनकर एक टीस उठी होगी। -
6:49 - 6:53वहीं कुछ लोगों को खुद पर शर्म आई होगी।
आई होगी ना? -
6:55 - 6:59मेरा नाम आफरीन खान है और मैं ही आलिया हु।
-
6:59 - 7:02यह कहानी मेरी है और ना सिर्फ मेरी
-
7:02 - 7:06यह कहानी भारत में
हर पांच में से एक बच्चे की है। -
7:06 - 7:10और अगर मैं असल मुद्दे पर आ जाऊं तो यह
कहानी हर दो में से एक बच्चे की है। -
7:12 - 7:16कुछ साल पहले जब मैंने इस बारे में
खुलकर बात करनी चाहिए तो जवाब में मुझे मिला -
7:16 - 7:23कि, "नहीं झूठ बोल रही हो तुम।" या फिर,
"तुम्हारी गलती होगी तुमहीने दावत दी होगी।" -
7:23 - 7:28आज, यहां खड़े होकर इस बारे में बात करना
मेरे लिए आसान नहीं है। -
7:29 - 7:35यह कहानी उस आदमी के उंगलियों की तरह है
जो भले ही मेरे जिस्म से हट तोह गयी है -
7:35 - 7:38लेकिन मेरे वजूद का हिस्सा बन चुकी है।
-
7:38 - 7:44एक ऐसा हिस्सा जो मुझे कुछ खास पसंद नहीं है
और यकीन मानिए की आपको भी नहीं होगा। -
7:45 - 7:50हमारे इस नॉट सो स्वच्छ भारत में
हर क़िस्म की गंदिगी है। -
7:51 - 7:55पिछले कुछ सालों में जो चाइल्ड सेक्सुअल
एब्यूज केसेस रिपोर्ट हुए हैं। रिपोर्ट। -
7:56 - 8:03उनमें से ५७.३% केसेस लडको के है
और ४२.७% केसेस लड़कों। -
8:04 - 8:07मसलन, ये कहानी इतनी गैर मामूली नहीं है।
-
8:07 - 8:10मसलन, इस बारे में हमें कुछ करना चाहिए।
-
8:11 - 8:14क्योंकि एक दफा मान लेते हैं की यह कहानी
आफरी की नहीं है। -
8:15 - 8:17मान लेते हैं की यह कहानी
आलिया की भी नहीं है। -
8:18 - 8:22कभी सोचा है क्या पता यह कहानी
आपके खुद के बच्चे की हो। -
8:22 - 8:26वो बस आपको बताना पा रहा हो।
तब क्या करेंगे आप? -
8:28 - 8:30तो चलिए शुरू से शुरू करते है।
-
8:31 - 8:34अब भाई वाहियात दिमाग का तो
हम कुछ कर नहीं सकते। -
8:34 - 8:40लेकिन अपने बच्चों को सही और गलत लम्स
याने गुड और बैड टच के बारे में -
8:40 - 8:41हम सिखा सकते है।
-
8:42 - 8:45उन्हें जरूरत पड़ने पर ना बोलना
सिखा सकते है। -
8:45 - 8:48उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में
दिलचस्पी दिखा सकते है। -
8:50 - 8:55और याद रखें जितना जरूरी उन्हें यह बताना
है ना कि बाहर वाला टॉफी दे तो मत लो -
8:56 - 9:00उतना ही जरूरी उन्हें यह बताना भी है कि
चाहे कोई कितना ही अपना क्यों ना हो -
9:01 - 9:05प्यार दिखाने की एक हद होती है
और एक तरीका होता है। -
9:06 - 9:12और जब हदें पार हो और तरीके बदले तोह उन्हें
हिदायत दे की सबसे पहले आपके पास आएं -
9:12 - 9:16क्योंकि रोकथाम, जनाब रोकथाम फिर भी
हमारे हाथ में है। -
9:17 - 9:22मगर रिश्ते तोड़ ना तो आप और मैं हम दोनों
जानते हैं कि हमारे बस की बात नहीं है। -
9:23 - 9:24या फिर है क्या?
-
9:25 - 9:31तोह मैं, आफरीन खान, बहोत खुले
अल्फाजों में यह बोलना चाहती हूं -
9:31 - 9:36कि जो मेरे साथ हुआ उसमें मेरी गलती
नहीं थी और ना ही मैं शर्मिंदा हूं। -
9:37 - 9:42शर्मिंदा हो वो। तो बस एक
छोटा सा काम करते है। ठीक है? -
9:43 - 9:47पांच सेकंड के लिए बिना किसी
खौफ के बिना किसी शर्म के -
9:47 - 9:51हल्के से ये राज़ खोलते है
और बहार निकलते है। -
9:52 - 9:53हाथ उठाते है।
-
10:01 - 10:02शुक्रिया।
-
10:04 - 10:10अपना ध्यान रखिए, खुद के लिए आवाज उठाई,
अपने बच्चों के लिए आवाज उठाइए। -
10:10 - 10:13हिफाजत रहिये आबाद रहिये।
खुदा हाफिज। -
10:13 - 10:17( तालिया )
- Title:
- लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना
- Description:
-
नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे का यौन शोषण किया जाता है।
यह तथ्य है कि दुनिया भर में लाखों लड़कियों और लड़कों का घरों और बाहर यौन शोषण किया जा रहा है। उन्हें परिवारों और ज्ञात व्यक्तियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है। अपराधी कोई भी हो सकता है जो यौन संतुष्टि पाने के लिए बच्चे की भेद्यता का फायदा उठाता है। इसमें ओवरट और गुप्त यौन कृत्यों, इशारों और स्वभावों के माध्यम से एक बच्चे का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक शोषण शामिल है - जब इस तरह के कृत्यों के लिए पीड़ित बच्चे द्वारा सहमति या प्रतिरोध की सूचना संभव नहीं है। इसमें ऐसी गतिविधियाँ भी शामिल हो सकती हैं जिनमें प्रत्यक्ष स्पर्श शामिल नहीं है।
आफरीन खान बाल यौन उत्पीड़न और उन घटनाओं पर काबू पाने के लिए अपनी कहानी के बारे में बात करती हैं जिन्होंने वर्षों से उसे आकार दिया है।
आफरीन बच्चे को अच्छे बनाम बुरे स्पर्श की पहचान करने में मदद करने के लिए सही शिक्षा देने के महत्व को बताती हैं। आफरीन खान एक कहानीकार और बोली जाने वाली शब्द कवि हैं, जो बाल यौन शोषण को संबोधित करती हैं। वह उस समय सुर्खियों में आई जब टेप ए टेल में एक ओपन माइक सेशन में कविता पाठ करते हुए उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वह अपने स्वयं के व्यक्तिगत अनुभव का उपयोग बाल यौन उत्पीड़न उत्तरजीवी के रूप में करती है, जो आस-पास के बच्चों के यौन शोषण के कलंक को उजागर करती है।
अपनी कथा में भावनात्मक अर्थों को जोड़कर, वह एक माता-पिता और बच्चे के बीच एक पारदर्शी संबंध विकसित करने के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है ताकि ऐसी स्थितियों से निपटा जा सके, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
उनकी कविता यह समझने में जरूरी है कि यौन शोषण हमारे घरों की walls सुरक्षित ’दीवारों के भीतर भी होता है। यह बात एक TEDx कार्यक्रम में TED सम्मेलन प्रारूप का उपयोग करके दी गई थी, लेकिन स्वतंत्र रूप से एक स्थानीय समुदाय द्वारा आयोजित की गई थी। https://www.ted.com/tedx पर और जानें । - Video Language:
- Hindi
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDxTalks
- Duration:
- 10:28
Arvind Patil approved Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Janhavi Patil edited Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Arvind Patil declined Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Janhavi Patil edited Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना | ||
Janhavi Patil edited Hindi subtitles for लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना |