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लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना

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    ( तालिया )
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    आदाब
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    दुढ़ती भागती इस फास्ट फॉरवर्ड ज़िंदगी में
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    हम काफी चिजोको नजर अंदाज कर देते है।
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    अभ कहानियों ही ले लीजिये
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    केस वो दिन तोह बस एक ख्वाब से है जब
    अम्मी-अब्बा बिठाकर कहांनिया सुनाया करते थे
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    और आखिर मे मालूम पडताथा कि
    हर कहानी अलग है।
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    हर कहानी की अपनी एक अलग तासीर है।
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    तो चलिये, आज आपको एक कहानी सुनते है,
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    कुछ पुराणी बाते याददिलाते है
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    और देखते है इस कहनीकी क्या तासीर भांति है।
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    कहानी यु है की एक माँ हसपिरादत
    घर की सफाई मशरूफ है।
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    बेटी को आवासीय विद्यालय में भेजके
    आज एक साल हो चूका है
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    तोह सोचती है क्यों न उसकी खास मेझ
    साफ़ कर जाए।
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    इसी के साथ खुलती है एक दराज,
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    दूसरी दराज,
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    तीसरी दराज।
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    तीसरी दराज में मिलती है कुछ चिठिया,
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    चिठिया कुछ दोस्तोंके नाम,
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    नाना नानी के नाम,
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    पर एक आखरी चिठि, उसके अब्बा के नाम।
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    (चिठि खोलती है।)
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    अस्सलाम अलाय्कुम अब्बा।
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    कैसे है आप?
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    क्या हुआ? पहचाना नहीं?
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    मैं आपकी बेटी, आलिआ।
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    कुछ साल पहलेतक आप
    अपने जायज़ बीवी बचोसे ले
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    हम माँ बेटी के गरीब खाने
    चकर लगा आ जाया करते थे।
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    कुछ याद आया?
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    मेरे लिए गुब्बारे खरीदने की
    फुरसत नहीं थी शायद आपको,
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    इसके लिए दो चार रुपीये पकड़कर
    आप बाप होने का फार्ज
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    आप सादआफरीन पूरा कर देते थे।
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    नहीं?
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    क्या याद है? आपको कैसे अक्सर आप
    अम्मी को कहा करते थे
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    की इसका गलत रख दिया है तुमने।
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    इसका नाम तोह आलिआ होन चाहिए था।
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    मगरूर देखी है इस छुटंकी की। अं।
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    और जब में पटर पटर अंग्रेज़ीमें
    पड़ोसियों से बात करा रही होती थी,
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    तो कैसे आप मसखरे अंदाज में
    मुझे चिढ़ाते हुए केहते थे की,
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    "आय वॉक इन इंग्लिश,
    आय टॉक इन इंग्लिश,
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    आय लाफ़ इन इंग्लिश,
    बिकॉज़ इंग्लिश इज़ अ विरी फ़नी लेंग्ग्वज।"
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    (हंसी)
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    और हर बार में उतनी जोर से हस्ति थी
    अब्बा पाटा है क्यों?
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    क्युकी आप हीरो थे मेरे।
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    क्या याद है आपको कैसे,
    "तलख तलख तलख" बोल
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    हल्के से आप बेबुनियादी
    इस रिश्ते से निकल गए थे
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    और अम्मी ने भी नयी शादी कर दी थी।
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    नए अब्बा बड़े अचे थे,
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    मुझे रोज चॉकलेट्स देते थे।
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    अम्मी को भी बहुत खुश रखते थे।
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    मगर में दिल ही दिल आपको रोज याद करती थी
    अब्बा सच में।
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    यकीं था मुझे, खाब में भी याद करुँगी ना
    तो पाहत से आ जायेंगे मेरे पास।
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    मगर हुआ कुछ यु की बुढ़ापे में याददाश्त
    कमजोर होने वाले फिकर को
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    बड़ा सीरियसली ले लिए था आपने।
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    खेर, ये सब तो पुरानी बाते है।
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    पर क्या याद है आपको?
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    वो रात, जिस रात अम्मी मुझे
    नए अब्बा के साथ घर में अकेला छोड़
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    लखनऊ किसी काम से चली गई थी।
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    और में सो रही थी।
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    अपने कमरेमे मचार दानी के अंदर।
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    आपको तो पता है न
    मचार बर्दाश्त नहीं होते मुझसे।
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    पर क्या याद है आपको,
    कैसे मुझे घर में अकेला पाकर
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    वो हलके से मचार दानी उठाकर
    मेरे बिस्तर में ग़ुस्सा गया था।
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    में सो रही अब्बा थी सच में।
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    सच में में सो रही की अचानक से
    कुछ महसूस हुआ मुझे।
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    एक हाथ मेरे कमर पर था,
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    दूसरा हाथ मेरे बालोमे वो अपने भड़े
    होठों से मेरे जिस्समपर कुछ कर रहा था।
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    मानो सूंघ रहा था, अपने नए शिकार को।
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    उसकी लम्बी उँगलियाँ उन
    जूँ की तरह थी
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    जो हाट जानेके बाद भी अपने निशान
    छोड़ जाती है।
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    अले मेरा बच्चा।
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    एक दफा मुझे लगा आप है।
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    ख्वाब से निकलकर मेरे पास।
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    पर क्या याद है आपको,
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    की मेरी आँख खुल गयी थी और वो आप नहीं थे।
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    नए वाले अब्बा थे।
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    वो आहिस्ता से मेरी सलवार सरकार रहे थे
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    और जो गहराइयां तब तफ्सील से
    गहरी हुई भी नहीं थी उन गहराइयो मे,
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    अपनी जोक उंगलियों से रास्ता बना रहे थेl
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    क्या याद है आपको
    कि मुझे हो जा चुका था,
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    और मैं उन्हें धोखा दे रही थी की,
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    क्या कर रहे है आप ये क्या कर रहे है अरे।
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    ये क्या कर रहे है आप
    मैं अम्मी को बता दूंगी।
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    क्या कर रहे है आप मैं अम्मी को बता दूंगीl"
    पर एक मिनट, "मैं अम्मी को बता दूंगी।"
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    ऐसे क्यों कहा था मेने?
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    मेरा दिल तो चीख चीख कर
    सिर्फ आपको बुला रहा था अब्बा कि,
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    "में अब्बा को बता दूंगी अब्बा, अब्बाl"
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    तभी मेरा दिमाग मुझे चांटा मारता
    और मेरी जबान चिलाती अम्माl अम्मा।
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    क्या सुनाई दिया था आपको?
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    "नहीं क्या कर रहे है अब्बा, दर्द,
    दर्द हो रहा है क्या कर रहे है आप अब्बा"
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    अब्बा नहीं।
    अम्मा। अम्मा। अम्मा।
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    क्या उस तब्दीली की आवाज
    आई थी आपको?
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    कैसे एक ही रात में
    अम्मी को अम्मा बहाना दिया था मेने
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    क्योंकि अभी अब्बा का काम भी
    उन्हें ही करना था।
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    फात लात मार के
    भागी थी में और दूसरे कमरे में
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    और खुदको बंद कर लिया था मैंने।
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    और शायद आज तक उस कमरे में बंद हु में।
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    कुछ पैदा हुआ था उस दिन।
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    क्या एहसास हुआ था आपको?
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    नफरत ने हल्के से दस्तक दी थी उस दिन,
    एक दिल टूटा था उस दिन।
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    एक ११ साल की लड़की तबाह हुई थी उस दिन।
    क्या भनक पड़ी थी आपको?
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    वो लड़की २ दिन उसी कमरे में बंद रो रही थी।
    क्या आवाज आई थी आपको?
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    नहीं ना?
    आती भी कैसे, वो लड़की रोई ही नहीं थी।
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    वो न तब रोई थी, ना आज रोई है,
    ना ही कल रोयेगी क्योंकि वह लड़की आलिया थी।
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    आपकी अलिया।
    क्या याद भी है वो अलिया आपको?
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    भला केसी होगी,
    वो अलिया अभ मर चो चुकी है।
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    खबर लगी थी क्या आपकी तबीयत ठीक नहीं है
    तो सोचा खत लिख दूं
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    मगर लगता है बाकी सारे खतो की तरह यह खत भी
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    किसी दराज में अपना वजूद पाएगा।
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    तो अपना ध्यान रखिएगा अब्बा।
    खुदा अफस।
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    (चिठि बंद करती है।)
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    ( तालिया )
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    तो कैसी लगी यह कहानी आपको?
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    कुछ अपनी सी या नही?
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    इतना तो मैं दावे के साथ कहै सकती हु कि
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    यहाँ बैठे कितने लोगों के दिल में
    इस कहानी को सुनकर एक टीस उठी होगी।
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    वहीं कुछ लोगों को खुद पर शर्म आई होगी।
    आई होगी ना?
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    मेरा नाम आफरीन खान है और मैं ही आलिया हु।
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    यह कहानी मेरी है और ना सिर्फ मेरी
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    यह कहानी भारत में
    हर पांच में से एक बच्चे की है।
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    और अगर मैं असल मुद्दे पर आ जाऊं तो यह
    कहानी हर दो में से एक बच्चे की है।
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    कुछ साल पहले जब मैंने इस बारे में
    खुलकर बात करनी चाहिए तो जवाब में मुझे मिला
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    कि, "नहीं झूठ बोल रही हो तुम।" या फिर,
    "तुम्हारी गलती होगी तुमहीने दावत दी होगी।"
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    आज, यहां खड़े होकर इस बारे में बात करना
    मेरे लिए आसान नहीं है।
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    यह कहानी उस आदमी के उंगलियों की तरह है
    जो भले ही मेरे जिस्म से हट तोह गयी है
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    लेकिन मेरे वजूद का हिस्सा बन चुकी है।
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    एक ऐसा हिस्सा जो मुझे कुछ खास पसंद नहीं है
    और यकीन मानिए की आपको भी नहीं होगा।
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    हमारे इस नॉट सो स्वच्छ भारत में
    हर क़िस्म की गंदिगी है।
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    पिछले कुछ सालों में जो चाइल्ड सेक्सुअल
    एब्यूज केसेस रिपोर्ट हुए हैं। रिपोर्ट।
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    उनमें से ५७.३% केसेस लडको के है
    और ४२.७% केसेस लड़कों।
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    मसलन, ये कहानी इतनी गैर मामूली नहीं है।
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    मसलन, इस बारे में हमें कुछ करना चाहिए।
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    क्योंकि एक दफा मान लेते हैं की यह कहानी
    आफरी की नहीं है।
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    मान लेते हैं की यह कहानी
    आलिया की भी नहीं है।
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    कभी सोचा है क्या पता यह कहानी
    आपके खुद के बच्चे की हो।
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    वो बस आपको बताना पा रहा हो।
    तब क्या करेंगे आप?
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    तो चलिए शुरू से शुरू करते है।
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    अब भाई वाहियात दिमाग का तो
    हम कुछ कर नहीं सकते।
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    लेकिन अपने बच्चों को सही और गलत लम्स
    याने गुड और बैड टच के बारे में
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    हम सिखा सकते है।
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    उन्हें जरूरत पड़ने पर ना बोलना
    सिखा सकते है।
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    उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में
    दिलचस्पी दिखा सकते है।
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    और याद रखें जितना जरूरी उन्हें यह बताना
    है ना कि बाहर वाला टॉफी दे तो मत लो
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    उतना ही जरूरी उन्हें यह बताना भी है कि
    चाहे कोई कितना ही अपना क्यों ना हो
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    प्यार दिखाने की एक हद होती है
    और एक तरीका होता है।
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    और जब हदें पार हो और तरीके बदले तोह उन्हें
    हिदायत दे की सबसे पहले आपके पास आएं
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    क्योंकि रोकथाम, जनाब रोकथाम फिर भी
    हमारे हाथ में है।
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    मगर रिश्ते तोड़ ना तो आप और मैं हम दोनों
    जानते हैं कि हमारे बस की बात नहीं है।
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    या फिर है क्या?
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    तोह मैं, आफरीन खान, बहोत खुले
    अल्फाजों में यह बोलना चाहती हूं
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    कि जो मेरे साथ हुआ उसमें मेरी गलती
    नहीं थी और ना ही मैं शर्मिंदा हूं।
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    शर्मिंदा हो वो। तो बस एक
    छोटा सा काम करते है। ठीक है?
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    पांच सेकंड के लिए बिना किसी
    खौफ के बिना किसी शर्म के
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    हल्के से ये राज़ खोलते है
    और बहार निकलते है।
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    हाथ उठाते है।
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    शुक्रिया।
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    अपना ध्यान रखिए, खुद के लिए आवाज उठाई,
    अपने बच्चों के लिए आवाज उठाइए।
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    हिफाजत रहिये आबाद रहिये।
    खुदा हाफिज।
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    ( तालिया )
Title:
लडको के यौन शोषण पर आवाज उठाना
Description:

नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे का यौन शोषण किया जाता है।

यह तथ्य है कि दुनिया भर में लाखों लड़कियों और लड़कों का घरों और बाहर यौन शोषण किया जा रहा है। उन्हें परिवारों और ज्ञात व्यक्तियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है। अपराधी कोई भी हो सकता है जो यौन संतुष्टि पाने के लिए बच्चे की भेद्यता का फायदा उठाता है। इसमें ओवरट और गुप्त यौन कृत्यों, इशारों और स्वभावों के माध्यम से एक बच्चे का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक शोषण शामिल है - जब इस तरह के कृत्यों के लिए पीड़ित बच्चे द्वारा सहमति या प्रतिरोध की सूचना संभव नहीं है। इसमें ऐसी गतिविधियाँ भी शामिल हो सकती हैं जिनमें प्रत्यक्ष स्पर्श शामिल नहीं है।

आफरीन खान बाल यौन उत्पीड़न और उन घटनाओं पर काबू पाने के लिए अपनी कहानी के बारे में बात करती हैं जिन्होंने वर्षों से उसे आकार दिया है।

आफरीन बच्चे को अच्छे बनाम बुरे स्पर्श की पहचान करने में मदद करने के लिए सही शिक्षा देने के महत्व को बताती हैं। आफरीन खान एक कहानीकार और बोली जाने वाली शब्द कवि हैं, जो बाल यौन शोषण को संबोधित करती हैं। वह उस समय सुर्खियों में आई जब टेप ए टेल में एक ओपन माइक सेशन में कविता पाठ करते हुए उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वह अपने स्वयं के व्यक्तिगत अनुभव का उपयोग बाल यौन उत्पीड़न उत्तरजीवी के रूप में करती है, जो आस-पास के बच्चों के यौन शोषण के कलंक को उजागर करती है।
अपनी कथा में भावनात्मक अर्थों को जोड़कर, वह एक माता-पिता और बच्चे के बीच एक पारदर्शी संबंध विकसित करने के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है ताकि ऐसी स्थितियों से निपटा जा सके, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
उनकी कविता यह समझने में जरूरी है कि यौन शोषण हमारे घरों की walls सुरक्षित ’दीवारों के भीतर भी होता है। यह बात एक TEDx कार्यक्रम में TED सम्मेलन प्रारूप का उपयोग करके दी गई थी, लेकिन स्वतंत्र रूप से एक स्थानीय समुदाय द्वारा आयोजित की गई थी। https://www.ted.com/tedx पर और जानें ।

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Video Language:
Hindi
Team:
closed TED
Project:
TEDxTalks
Duration:
10:28

Hindi subtitles

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