मैंने जेल में कैसे पढ़ना लिखना और स्टॉक मार्केट खेलना सीखा?
-
0:01 - 0:03मैं सिर्फ़ 14 साल का था
-
0:03 - 0:05अरुंद दुरफ दुकानोकी गलीमे
-
0:05 - 0:06घुस्कर मैने एक खिलोना लुटा
-
0:07 - 0:09और बिल्डिंग से बाहर आते ही
-
0:09 - 0:11एक ने मेरी बाँह पकड़ी, तो मैं भागा।
-
0:12 - 0:15गली में आगे भाग कर
मैं चहारदीवारी पर चढ़ा -
0:15 - 0:16और जैसे ही उस के ऊपर पहुँचा,
-
0:16 - 0:19बैग में पड़े लूट के 3000
सिक्कों के वज़न ने -
0:19 - 0:20मुझे वापस ज़मीन पर गिरा दिया।
-
0:21 - 0:24और मैंने ऊपर एक सिक्यरिटी गार्ड
को खड़ा हुआ पाया, -
0:24 - 0:27और उसने कहा, "छोटू, अगली बार
वो ही चुराना जिसका वज़न ढो सको।" -
0:27 - 0:29(ठहाका)
-
0:29 - 0:32वहाँ से मुझे बच्चों के जेल ले जाया गया
-
0:32 - 0:34और जब मुझे अपनी माँ की
देख रेख में छोड़ गया, -
0:35 - 0:38तो मेरे अंकल के पहले शब्द थे,
"पकड़े कैसे गए?" -
0:38 - 0:40मैंने कहा, "भाई, बैग बहुत भारी हो गया था।"
-
0:40 - 0:43वो बोले , "सारे सिक्के एक
साथ ले के नहीं भागने थे।" -
0:43 - 0:46मैंने कहा, "इतने छोटे सिक्के थे।
क्या करता मैं?" -
0:46 - 0:51और ठीक दस मिनट बाद, वो और मैं
दूसरी गेम मशीन लूटने निकल पड़े। -
0:51 - 0:53घर जाने के लिए पट्रोल ख़रीदना था।
-
0:53 - 0:54तो ऐसी थी मेरी ज़िंदगी।
-
0:55 - 0:57मैं ओकलैंड, कैलिफ़ोर्निया में पला बढ़ा,
-
0:57 - 1:00अपनी माँ और नज़दीकी रिश्तेदारों के साथ,
-
1:00 - 1:01जो कि कोकीन के नशेड़ी थे।
-
1:02 - 1:06मैं कभी दोस्तों, कभी रिश्तेदारों
के घर रहता था तो कभी -
1:07 - 1:09बेघर लोगों के सरकारी आश्रयो में।
-
1:09 - 1:13अक्सर खाना भी फ़्री जगहों पर और परमार्थ
के लिए चलने वाली रसोईयो में होता था। -
1:13 - 1:15गैंगबाज़ी में मेरा गुरु
एक दोस्त बोला: -
1:15 - 1:17दुनिया में सिर्फ़ पैसे की चलती है
-
1:17 - 1:19पैसा सब कुछ दे सकता है।
-
1:19 - 1:21और पैसा इन गलियों का राजा है।
-
1:21 - 1:23और अगर आप पैसे के पीछे भागेंगे,
-
1:23 - 1:25तो या तो ग़लत लोगों तक पहुँचेंगे,
या सही लोगों तक। -
1:26 - 1:29इस सीख के कुछ ही दिन बाद,
मैंने अपना पहला अपराध किया, -
1:29 - 1:32किसी ने मुझ से पहली बार कहा था
की मुझ में भी क़ाबलियत है -
1:32 - 1:33और कोई मुझ में भी
विश्वास करता है। -
1:34 - 1:36कभी किसी ने मुझे
वकील बनने को नहीं कहा, -
1:36 - 1:38या डॉक्टर या इंजीनियर बनने को।
-
1:38 - 1:41मतलब, मैं ये सब कैसे कर सकता था?
मुझे तो लिखना पढ़ना तक नहीं आता था। -
1:42 - 1:43मैं बिलकुल निरक्षर था।
-
1:43 - 1:45मैं सोचता था की अपराध
मेरा एकमात्र रास्ता है। -
1:47 - 1:49और फिर एक दिन
-
1:49 - 1:50मैं किसी से बात कर रहा था
-
1:50 - 1:54और उसने मुझसे कहा कि
हम एक जगह डकैती कर सकते हैं। -
1:55 - 1:56और हमने वो डकैती डाल दी।
-
1:57 - 1:59सच बात ये थी की मैं पल बढ़ रहा था
-
1:59 - 2:01दुनिया के सब से रईस देश में,
-
2:01 - 2:03यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में,
-
2:03 - 2:07लेकिन मेरी माँ ख़ून बेच कर पैसे
कमाने वालों की लाइन में खड़ी मिलती थी -
2:09 - 2:1240 डॉलर में अपना ख़ून बेच कर
अपने बच्चों का पेट भरने के लिए। -
2:13 - 2:17आज तक उनकी बाँहों में सुइयों
के निशान देखे जा सकते हैं। -
2:17 - 2:19तो मुझे अपने लोगों की
परवाह नहीं थी। -
2:19 - 2:21ना उन्हें मेरी कोई फ़िक्र थी।
-
2:21 - 2:24वहाँ हर कोई जो मन आए करता था,
जो चाहिए उसे पाने के लिए, -
2:24 - 2:26ड्रग बेचना, चोरी डाका करना ख़ून बेचना
-
2:26 - 2:28सब लोग ग़लत पैसा कमा रहे थे।
-
2:28 - 2:30और मैं भी हर तरीक़े का पैसा कमाता था।
-
2:30 - 2:32बस पैसा ज़रूरी था।
-
2:32 - 2:34सिर्फ़ पैसे का ही महत्व था
-
2:35 - 2:37और मैं बचपन से इस तरह
के जीवन का ग़ुलाम था, -
2:37 - 2:38ग़लत उदाहरणों से सीख कर।
-
2:40 - 2:4317 साल की उम्र में मुझे डाके और ख़ून के
लिए गिरफ़्तार कर लिया गया -
2:43 - 2:47और जल्दी मुझे समझ आ गया की जेल में
तो पैसे की और भी ज़्यादा चलती है, -
2:47 - 2:49तो मुझे भी शामिल होना था।
-
2:50 - 2:53एक दिन मैं अख़बार का खेल
वाला पन्ना ले कर -
2:53 - 2:54अपने सेल पार्ट्नर से पढ़वाने ले गया,
-
2:55 - 2:57और ग़लती से बिज़नस वाला पन्ना ले आया।
-
2:57 - 3:00तो इस बूढ़े आदमी ने पूछा,
"लड़के, तुम स्टॉक ख़रीदते हो?" -
3:00 - 3:01और मैंने कहा,
"वो क्या ?" -
3:02 - 3:05उसने कहा, "ये वो जगह है
जहाँ श्वेत लोग अपना सारा पैसा रखते हैं।" -
3:05 - 3:06(ठहाका)
-
3:06 - 3:10और पहले बार मुझे
आशा की कोई किरण दिखी, -
3:10 - 3:11की भविष्य हो सकता है।
-
3:11 - 3:14उसने मुझे संक्षेप में समझाया
की स्टॉक क्या होता है, -
3:15 - 3:16मगर ये सिर्फ़ एक झलक थी।
-
3:18 - 3:20मतलब, मैं ये कैसे करता?
-
3:20 - 3:22मुझे पढ़ना, लिखना, कुछ
नहीं आता था। -
3:23 - 3:25अपनी निरक्षरता छिपाने के मेरे तरीक़े यहाँ
-
3:25 - 3:27इस मामले में काम नहीं आने वाले थे।
-
3:27 - 3:30मैं जैसे पिंजरे में फँस गया था,
शिकारियों के बीच शिकार जैसे, -
3:30 - 3:32अपनी आज़ादी के लिए लड़ते हुए।
-
3:32 - 3:34मैं दिशाहीन और थका हुआ था
-
3:34 - 3:36और कोई विकल्प नहीं था।
-
3:37 - 3:39तो जब मैं 20 साल का हुआ,
-
3:39 - 3:41मैंने अपने जीवन का सबसे कठिन काम किया।
-
3:42 - 3:43मैंने एक किताब उठायी,
-
3:45 - 3:48और वो मेरे जीवन का सबसे कठिन क्षण था,
-
3:49 - 3:51पढ़ना सीखना की कोशिश करना,
-
3:51 - 3:54अपने परिवार से अलग राह पे जाना,
-
3:54 - 3:55गैंग के दोस्तों से अलग।
-
3:56 - 3:58बहुत ही कठिन था, भाई!
-
3:58 - 3:59एक लड़ाई जैसी थी।
-
3:59 - 4:01मगर मुझे अंदाज़ा ही नहीं था
-
4:01 - 4:04कि मुझे अपने जीवन की सबसे ग़ज़ब
का उपहार मिल रहा था: -
4:04 - 4:06उपहार आत्म-सम्मान का,
-
4:06 - 4:08ज्ञान और अनुशासन का।
-
4:09 - 4:13मैं पढ़ने को ले कर इतना उत्साहित था
कि जो भी मिलता था, मैं पढ़ जाता था: -
4:13 - 4:16टॉफ़ी की पन्नी, कपड़ों के स्टिकर,
ट्रैफ़िक साइन, सब कुछ। -
4:16 - 4:17मैं जुनून से पढ़ रहा था!
-
4:17 - 4:18(तालियाँ)
-
4:18 - 4:20बस पढ़ते ही जा रहा था।
-
4:21 - 4:24मुझे पढ़ने और स्पेलिंग सीखने में
ज़बरदस्त मज़ा आ रहा था। -
4:25 - 4:27एक गैंग वाले दोस्त ने पूछा,
"भाई, क्या खा रहा है?" -
4:27 - 4:29मैंने कहा, "सी ए अन डी वाई, कैंडी।"
-
4:29 - 4:31(ठहाका)
-
4:31 - 4:34उस ने कहा, "मुझे भी थोड़ा दो।"
मैंने कहा, "एन ओ, नो।" -
4:34 - 4:35(ठहाका)
-
4:35 - 4:36बहुत मज़ा आ रहा था।
-
4:36 - 4:39मतलब, मैं अब जीवन में पहली बार
ख़ुद पढ़ सकता था। -
4:39 - 4:41मुझे लगा जैसे मेरे
पाँवो में पंख लगे हों। -
4:43 - 4:46और फिर 22 के उम्र में,
-
4:47 - 4:49आत्म विश्वास से भरे होने पर,
-
4:49 - 4:50मुझे उस बूढ़े की बात याद आयी।
-
4:52 - 4:55तो मैंने अख़बार का बिज़नेस
वाला पन्ना उठाया। -
4:56 - 4:57मुझे इन रईस श्वेत लोगों से मिलना था।
-
4:57 - 4:59(ठहाका)
-
5:01 - 5:02तो मैं उस मौक़े की तलाश में रहने लगा।
-
5:03 - 5:05जैसे जैसे मैंने अपना काम बढ़ाया
-
5:05 - 5:09और लोगों को सिखाने का कि
अपने पैसे रुपए का कैसे ध्यान रखें, -
5:09 - 5:12मुझे ये समझ आ गया की अपने
किए के लिए ज़िम्मेदार होना होगा। -
5:12 - 5:15ये सच था कि मैं बहुत कठिन
परिवेश में पला था, -
5:15 - 5:17मगर मैंने अपराध की राह ख़ुद चुनी थी,
-
5:17 - 5:19और मुझे उस की ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
-
5:19 - 5:22और मैंने वो ज़िम्मेदारी ली।
-
5:22 - 5:25मैंने जेल गए लोगों के लिए एक
पाठ्यक्रम तैयार किया -
5:25 - 5:27कि कैसे जेल में कमाए गए पैसे
को उपयोग मी लाये । -
5:29 - 5:32अग़ल हम रहन सहन ठीक रखे
तो हमें ऐसे तरीक़े आ जाएँगे -
5:32 - 5:35जिस से हम जेल से छूटने के बाद
अपने पैसे को ठीक से इस्तेमाल करें -
5:35 - 5:39जैसे की तमाम वो लोग करते हैं
जो बिना अपराध किए जीते हैं। -
5:39 - 5:40तब मुझे पता चला कि
-
5:41 - 5:43मार्केट वॉच के हिसाब से,
-
5:43 - 5:4560 पर्सेंट से ज़्यादा अमरीकियों के पास
-
5:45 - 5:471,000 डॉलर से भी काम की बचत है।
-
5:48 - 5:51स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड कहता है कि
60 पर्सेंट से ज़्यादा NBA -
5:51 - 5:53और NFL खिलाड़ी कंगाल होते हैं।
-
5:53 - 5:5640 प्रतिशत से ज़्यादा शादियाँ
आर्थिक कारणों से टूटती हैं। -
5:57 - 5:58आख़िर चल क्या रहा था?
-
5:58 - 6:00(ठहाका)
-
6:00 - 6:03मतलब जो लोग उम्र भर काम करते हैं,
-
6:03 - 6:06कार, कपड़े, घर ख़रीदते हैं,
-
6:06 - 6:08अगर वो महीने की सैलरी पर जीते हैं?
-
6:08 - 6:12तो आख़िर कैसे हम जेल गए हुए लोगों
के मदद करेंगे -
6:12 - 6:14अपराध छोड़ने में
-
6:14 - 6:16अगर वो अपने पैसे का ख़याल नहीं रख सके?
-
6:16 - 6:17हमारी लगी पड़ी है।
-
6:17 - 6:19(ठहाका)
-
6:19 - 6:21हमें कोई बेहतर तरीका चाहिए।
-
6:23 - 6:25ऐसे तो नहीं चलने वाला है।
-
6:25 - 6:26तो---
-
6:28 - 6:29मैंने सोचा।
-
6:32 - 6:35मेरी ज़िम्मेदारी बनते है की
इस रास्ते पर चलते लोगों की -
6:36 - 6:38मदद करूँ,
-
6:38 - 6:41और ये अजीब था क्योंकि
अब मैं लोगों की फ़िक्र कर रहा था -
6:41 - 6:43तो मैंने सोचा था की वो भी मेरी
फ़िक्र करेंगे। -
6:45 - 6:47आर्थिक समझ ना होना एक बीमारी जैसा है
-
6:47 - 6:50जो कि अल्प-संख्यको और ग़रीब तबके के
लोगों को विकलांग करती है -
6:50 - 6:52कई कई पीढ़ियों तक,
-
6:52 - 6:55और इस बीमारी से ताक़त के साथ लड़ना होगा।
-
6:55 - 6:56ख़ुद से ये सवाल कीजिए:
-
6:56 - 7:00ऐसा कैसे है कि 50 प्रतिशत
अमरीकी जनता -
7:00 - 7:04रुपए पैसे की समझ के बिना जीते है,
वो भी इतने रईस देश में? -
7:05 - 7:08हमारी पहुँच न्याय तक, सामाजिक स्तर पर,
-
7:08 - 7:11जीने के स्तर, परिवहन और भोजन तक,
-
7:11 - 7:14ये सब पैसे पर निर्भर करते है जिसे
ज़्यादातर लोग समझते ही नहीं। -
7:14 - 7:16ये बहुत बढ़ी गड़बड़ है!
-
7:16 - 7:17ये महामारी जैसा ख़तरनाक है
-
7:17 - 7:20और जनता की सुरक्षा के प्रति बहुत बड़ा
ख़तरा भी है। -
7:22 - 7:24कैलिफ़ोरनिया के सुधार विभाग के अनुसार,
-
7:24 - 7:2770% प्रतिशत से ज़्यादा क़ैदी
-
7:27 - 7:30पैसे से जुड़े अपराधों के आरोपी हैं:
-
7:30 - 7:35डकैती, चोरियाँ, ग़बन,
फिरौती -- -
7:36 - 7:37और ये लिस्ट बहुत लम्बी है।
-
7:38 - 7:39एक और बात जानिए:
-
7:39 - 7:42एक औसत क़ैदी
-
7:42 - 7:45जो कैलिफ़ोरनिया के जेल सिस्टम में जाता है
-
7:45 - 7:46बिना किसी आर्थिक शिक्षा के,
-
7:47 - 7:49वो 30 सेंट प्रति घंटे कमाता है,
-
7:49 - 7:51क़रीब 800 डॉलर सालाना,
-
7:51 - 7:54उसकी कोई बचत वग़ैरह नहीं होती है,
-
7:55 - 7:59और जब वो जेल से छूटता है
तो उसे 200 डॉलर दे कर कहा जाता है, -
7:59 - 8:02"शुभकामनायें! कोशिश कीजिए
फिर से जेल ना जाना पड़े।" -
8:03 - 8:06बिना किसी तैयारी के,
या भविष्य के आर्थिक प्लान के, -
8:06 - 8:07वो करे क्या?
-
8:09 - 8:10वो भी 60 की उम्र में?
-
8:11 - 8:12एक अच्छी नौकरी ढूँढे,
-
8:12 - 8:16या उसी आपराधिक राह पर निकल जाए
जिस ने उसे जेल तक पहुँचाया था? -
8:17 - 8:19आप टैक्स देते हैं, आप बताइए।
-
8:19 - 8:22देखिए, उस की पढ़ाई के कमी ने
उस का रास्ता निश्चित कर दिया है। -
8:23 - 8:25तो हम इस बीमारी से कैसे निपटें?
-
8:26 - 8:28मैंने एक कार्यक्रम की
सह-स्थापना की -
8:28 - 8:33जिसे हम फ़ायनैन्शल एमपोवेरमेंट
इमोशनल लिटरेसी कहते हैं -
8:33 - 8:34यानि FEEL,
-
8:34 - 8:37और ये हमें सिखाता है की आप
भावनात्मक फ़ैसलों को -
8:37 - 8:39अपने आर्थिक फ़ैसलों से अलग कैसे रखें,
-
8:39 - 8:43और चार ऐसे नियम जो
आपको आर्थिक रूप से ठीक रखेंगे: -
8:43 - 8:44बचत करने का सही तरीक़ा,
-
8:46 - 8:47अपने रहन सहन को क़ाबू में रखना
-
8:48 - 8:50उधार ठीक तरीक़े से लेना
-
8:50 - 8:54और अपने पैसे को अलग अलग जगह लगाना
जिस से आपका पैसा आपके लिए काम कर सके, -
8:54 - 8:56बजाय इस के की आप पैसे के लिए काम करें।
-
8:56 - 9:00जेल गए लोगों को इन हुनर को सीखना होगा
अगर वो वापस समाज में जाना चाहता हैं। -
9:01 - 9:05बिना इस के पूरी तरह समाज में लौटना
नामुमकिन है। -
9:05 - 9:09ये सोच की केवल पेशेवर लोग ही
निवेश और पैसे की देखभाल कर सकते हैं -
9:09 - 9:11सरासर ग़लत है,
-
9:12 - 9:13और जो भी आप से ये कहता है,
वो झूठा है। -
9:13 - 9:18(तालियाँ)
-
9:18 - 9:21पेशेवर व्यक्ति बिलकुल
-
9:21 - 9:23आम आदमी से ज़्यादा बेहतर हो सकता है,
-
9:23 - 9:28मगर कोई आपसे बेहतर ये नहीं जानता है कि
आपको कब कितने पैसे की ज़रूरत पड़ेगी, -
9:28 - 9:30और इस लिहाज़ से आप भी पेशेवर ही हुए।
-
9:31 - 9:35आर्थिक समझ कोई हुनर नहीं है,
देवियों और सज्जनों, -
9:35 - 9:36वो जीने का एक तरीक़ा है।
-
9:38 - 9:42आर्थिक स्थिरता उस तरीक़े से जीने
का फल है। -
9:42 - 9:46आर्थिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति
टैक्स देने वाला नागरिक बन सकता है, -
9:47 - 9:50और आर्थिक रूप से स्वस्थ टैक्स देने वाला
नागरिक सदा वैसा बना रह सकता है। -
9:50 - 9:55इस से हमें जोड़ने का मौक़ा मिलता है उन
लोगों को जो हमारी बात सुनते हैं -
9:55 - 9:57जैसे परिवार और दोस्त, उन युवा लोगों से
-
9:57 - 10:00जो अभी भी अपराध को पैसा कमाने का
इकलौता रास्ता समझते हैं। -
10:02 - 10:05तो आइए डर और तनाव से आगे बढ़ें
-
10:05 - 10:06जो आर्थिक योजनाओं से लगता है
-
10:06 - 10:10और उन बातों से लगता है
जो हमें आसपास सुनने को मिलती हैं। -
10:10 - 10:14और अपने समाज को विकलांग करती
इस समस्या की जड़ तक पहुँचे -
10:14 - 10:18और लोगों को ज़िम्मेदार और
बेहतर ज़िंदगी जीने वाला बनायें। -
10:19 - 10:22और आइए ऐसा पाठ्यक्रम बनाए जो
सरल हो और सीधा साधा हो -
10:22 - 10:25जो जड़ तक पहुँचता हो,
-
10:25 - 10:29आर्थिक सजगता और भावनात्मक समझ
की जड़ तक। -
10:29 - 10:31और अगर यहाँ आप दर्शकों में
बैठ कर सोच रहे हैं, -
10:32 - 10:34"ओह, मैं इन सब चीज़ों से ऊपर हूँ,"
-
10:34 - 10:35तो बस मेरी क्लास आ जाइए --
-
10:35 - 10:37(ठहाका)
-
10:37 - 10:41मैं आपको दिखाऊँगा कि आपके
भावनात्मक फ़ैसले की क़ीमत कितनी होती है। -
10:42 - 10:45(तालियाँ)
-
10:48 - 10:49बहुत बहुत धन्यवाद।
-
10:49 - 10:50(तालियाँ)
- Title:
- मैंने जेल में कैसे पढ़ना लिखना और स्टॉक मार्केट खेलना सीखा?
- Speaker:
- कर्टिस "वॉल स्ट्रीट" कैरल
- Description:
-
आर्थिक समझ कोई हुनर नहीं - बल्कि जीने का एक तरीक़ा है - कर्टिस "वॉल स्ट्रीट" कैरल कहते हैं। जेल गए क़ैदी होने के नाते, कैरल पैसे का मूल्य समझते हैं। जेल में रहते हुए उन्होंने ख़ुद को पढ़ना लिखना और स्टॉक की ख़रीद बेच सिखाई। इस वार्ता में वो एक साधारण मगर अति महत्वपूर्ण संदेश देते हैं: हमें अपने पैसे को बेहतर इस्तेमाल करना सीखना होगा।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:50
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for How I learned to read -- and trade stocks -- in prison | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for How I learned to read -- and trade stocks -- in prison | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for How I learned to read -- and trade stocks -- in prison | ||
Swapnil Dixit edited Hindi subtitles for How I learned to read -- and trade stocks -- in prison | ||
Swapnil Dixit edited Hindi subtitles for How I learned to read -- and trade stocks -- in prison |