मंगोलिया के बंजारों का प्राचीन, पृथ्वी हितैषी ज्ञान
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0:01 - 0:04मजे की बात है कि विदेशी मुझसे एक जैसे
सवाल पूछते हैं -
0:04 - 0:06जब वह मुझसे पहली बार मिलते हैं
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0:06 - 0:07सवाल जैसे कि
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0:07 - 0:09वाह आप मंगोलिया से हैं?
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0:09 - 0:13क्या आप घुड़सवारी करके काम पर जाती हैं?
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0:13 - 0:15क्या आप जानती हैं कोक क्या है?
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0:15 - 0:18या फिर क्या मंगोलिया में चॉकलेट होती है?
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0:19 - 0:22और अगर मैं मजाक करना चाहती हूं,
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0:22 - 0:24तो मैं कहती हूं जैसे कि,
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0:24 - 0:25"हे भगवान,
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0:25 - 0:27मैंने तो इन चीजों के बारे में कभी नहीं
सुना -
0:27 - 0:29कोक और चॉकलेट क्या होती है?
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0:29 - 0:31क्या आप मुझे इनके बारे में और बता
सकते हैं? -
0:32 - 0:33यह तरकीब हमेशा काम करती है
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0:33 - 0:35और फिर हम इस पर खूब हंस भी सकते हैं
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0:36 - 0:41असल में तो हमारी राजधानी उलन वाटर,
काफी शहरी है. -
0:41 - 0:43वहां व्यवसायिक इमारते हैं
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0:43 - 0:44नामी होटल है
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0:44 - 0:46और खूबसूरत कला केंद्र भी है
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0:46 - 0:50पर ज्यादातर विदेशी मंगोलिया में, क्या
नहीं है -
0:50 - 0:53और चीजों पर ज्यादा ध्यान देते हैं
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0:53 - 0:56वे हमारे विशाल, अनछुए परिदृश्य,
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0:56 - 0:58बंजारों जैसी जिंदगी को
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0:58 - 1:01गरीबी की निशानी समझते हैं
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1:01 - 1:03मैं इस बात से सहमत नहीं हूं
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1:03 - 1:05मैं मानती हूं कि असल में हम
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1:05 - 1:07मंगोलिया के प्राचीन बंजारों से सीख
सकते हैं -
1:07 - 1:09कि आने वाले सालों में और सदियों में
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1:09 - 1:12हम कैसे जी सकते हैं
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1:12 - 1:18इस तस्वीर में मैं मंगोलिया का मशहूर और
पारंपरिक साज बजा रही हूं -
1:18 - 1:19मोरेन खूर
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1:19 - 1:21या "घोड़ासर सारंगी"
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1:21 - 1:25यह मैं तब से बजा रही हूं जब मैं 9
साल की थी -
1:25 - 1:2811 की होने तक मैं विश्व भर में घूम रही थी
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1:28 - 1:30अंतर्राष्ट्रीय उत्सव में मंगोलिया के
प्रतिनिधि बनकर -
1:31 - 1:38जापान, चाइना, फिनलैंड, जर्मनी, और
स्वीडन जैसे देशों में रह कर पढ़ रही थी -
1:38 - 1:39पर अचानक,
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1:39 - 1:41जब मैं 21 साल की थी,
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1:41 - 1:44मेरी प्रिय मां चल बसी,
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1:44 - 1:46और सिर्फ 2 वर्ष पश्चात
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1:46 - 1:47मेरे पिताजी भी चल बसे
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1:47 - 1:50क्योंकि मैं एकमात्र संतान थी,
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1:50 - 1:53मैं बिल्कुल अकेली और तबाह हो गई.
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1:53 - 1:56तब मेरे पास सिर्फ मेरा देश बचा था
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1:56 - 2:00इसलिए मैंने घर बदलने के बारे में सोचा
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2:00 - 2:02जब मैं दुख में खोई थी
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2:02 - 2:06देश ने मुझे सुरक्षा और अपनेपन का एहसास
कराया -
2:06 - 2:10मैंने मंगोलिया के अनंत नीले आसमान को
अपना पिता समझा -
2:10 - 2:14और अनछुई भव्य धरती को अपनी मां
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2:14 - 2:17एक दशक तक समृद्ध देशों में रहने के बाद
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2:17 - 2:21मैं हमारी बंजारों जैसी जिंदगी से बहुत दूर
हो चुकी थी -
2:21 - 2:26दोबारा उससे जोड़कर मैं उसे महसूस करना
चाहती थी -
2:26 - 2:29मैं अक्सर शहर से दूर अपने दादा-दादी और
नाना-नानी -
2:29 - 2:32के गांव की तरफ जाती थी
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2:32 - 2:34यह देखने के मेरे माता-पिता कहां से थे
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2:34 - 2:37और खुद को बेहतर समझने के लिए
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2:37 - 2:42बड़े होते हुए मैंने कहानियां सुनी थी कि
कैसे मंगोलिया के बंजारे -
2:42 - 2:46दुनिया के सबसे मेहमान नवाज लोग थे,
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2:46 - 2:48और यह हमें अपनी आंखों से देखना चाहती थी
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2:48 - 2:53कि वह अजनबी को सच में छत और भोजन देते थे
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2:53 - 2:55इसलिए मैं गांव की तरफ चल पड़ी,
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2:55 - 2:58घंटों कच्ची सड़क पर सवारी करते हुए.
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3:00 - 3:02मंगोलिया के बंजारों की खास बात यह है
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3:03 - 3:05पड़ोसी एक दूसरे से 40 किलोमीटर
दूर होते हैं, -
3:06 - 3:10और मंगोलिया में खुद की कोई जमीन नहीं होती.
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3:11 - 3:12एक तरह से,
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3:13 - 3:15मंगोलिया के बंजारों को पूरी आजादी है
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3:15 - 3:18आलीशान धरती पर जहां जी चाहे वहां
जाने की -
3:19 - 3:21आखिर मुझे उनकी झोपड़ियां दिखाई दी
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3:21 - 3:22और मैं रुक गई
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3:23 - 3:25योटस या "गर",
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3:25 - 3:27मंगोलिया के पारंपरिक निवास स्थान है
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3:27 - 3:30बॉस शत-प्रतिशत प्राकृतिक चीजों से बनाए
जाते हैं -
3:31 - 3:33लकड़ी का ढांचा और फर्श,
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3:33 - 3:34चमड़े की रस्सी,
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3:34 - 3:38और भेड़ों की उनके मोटे कंबल.
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3:38 - 3:40सिर्फ 3 से 4 घंटे लगते हैं
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3:40 - 3:43इन्हें बनाने या अलग करने में,
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3:43 - 3:44यह इन्हें गरम रखते हैं
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3:44 - 3:47माइनस 50 डिग्री सेल्सियस की सर्दियों में
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3:50 - 3:51झोपड़ियों के बाहर,
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3:51 - 3:53बच्चे भेड़ बकरियों के साथ खेल रहे थे,
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3:53 - 3:55और जब मैंने उन्हें नमस्ते किया,
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3:55 - 3:58उनके माता-पिता ने मुझे अंदर बुलाकर
सत्कार किया -
3:58 - 4:01उनके मां ने मुझे बढ़िया और गर्म दूध
वाली चाय -
4:01 - 4:03और पिता ने खाना दिया,
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4:03 - 4:05जो उन्हें बनाकर मेज पर तैयार रखा था
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4:05 - 4:06कुछ इधर उधर की बातों के बाद
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4:06 - 4:09बच्चों के पिता ने मेरा मकसद पूछा
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4:11 - 4:12तब मैंने साफ जवाब दिया
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4:12 - 4:13कि मैं बस भ्रमण कर रही थी
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4:13 - 4:16और अपने पूर्वजों के बारे में जानने
की कोशिश कर रही थी -
4:16 - 4:18और मुझे रहने के लिए जगह चाहिए थी
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4:18 - 4:19क्योंकि सूरज ढल रहा था
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4:19 - 4:21और सोचो क्या?
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4:21 - 4:24उन्होंने कहा मैं चाहो तब तक वहां रुक
सकती हूं. -
4:24 - 4:25एक शर्त पर,
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4:28 - 4:29कि मैं मोरन हूर बजाऊंगी
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4:29 - 4:33हमारा पारंपरिक घोड़ासर सारंगी
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4:33 - 4:37मुझे अपने मन में इस सच्चाई पर विश्वास
नहीं हुआ. -
4:37 - 4:41हमारी घोड़ासर सारंगी एक टिकट की तरह थी.
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4:41 - 4:43जब मंगोलिया वालों को मोरन हूर बजाने के
बारे में पता चलता है -
4:43 - 4:45तुरंत आपकी इज्जत होने लगती है
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4:46 - 4:49वह कहते हैं दो तारे दुनिया भर की
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4:49 - 4:51घटना व्यक्त कर सकती है.
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4:52 - 4:54मैं वहां 9 दिन तक रुकी
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4:54 - 4:56फिर भी उन्होंने मुझे जाने के लिए नहीं कहा.
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4:57 - 5:00मुझे लगता है अगर मैं वहां 2 महीने भी
रुकती, -
5:00 - 5:02तब भी वह मुझे रहने देते
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5:02 - 5:02और बात यह है:
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5:03 - 5:05उनसे मिलने से पहले,
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5:05 - 5:09मैंने सोचा था दयावान होने की वजह
से मंगोलियन बंजारे मेहमान नवाज है -
5:09 - 5:10बाकी लोगों की तरह
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5:10 - 5:14पर फिर मुझे समझ में आया की बात उससे
ज्यादा थी -
5:14 - 5:19बात थी उनकी जाति को बनाए रखने की.
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5:19 - 5:23क्योंकि बंजारे दूरदराज के इलाकों में रहते
हैं, -
5:23 - 5:26वह पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है.
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5:27 - 5:28भारी बर्फ,
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5:28 - 5:29अचानक सैलाब,
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5:29 - 5:30या भयंकर तूफान
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5:31 - 5:33बंजारों के पूरे परिवार को तबाह कर
सकते हैं. -
5:35 - 5:38आज एक अजनबी को मदद चाहिए,
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5:38 - 5:40पर कल, उन्हें जरूरत हो सकती है
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5:40 - 5:43इसलिए वह एक दूसरे का ख्याल रखते हैं
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5:43 - 5:46और किसी भी अपेक्षित की मदद करते हैं.
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5:46 - 5:48यह मेरे दिल को छू गई,
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5:49 - 5:54क्योंकि मुझे लगता है कि हम इंसान और ज्यादा
स्वार्थी हो रहे हैं -
5:54 - 5:57बंजारों के साथ रहने के बाद मैं जागरूक
हो गई. -
5:57 - 6:00ऐसा मैंने पहले कभी किसी समृद्ध देश में
नहीं देखा था -
6:00 - 6:02जो उस परिवार की पत्नी थी,
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6:02 - 6:06उन्हें मुझे दिखाया कि कैसे दूध की चीजें
बनती है, -
6:06 - 6:09जैसे कि सफेद मक्खन, दही और
सीगी, -
6:11 - 6:14एक देशी शराब भेजो गाय के दूध से बनती है.
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6:14 - 6:18और उनका हर औजार प्राकृतिक चीजों
द्वारा हाथ से बनाया जाता है. -
6:19 - 6:21और झोपड़ी के अंदर,
-
6:21 - 6:24गर्म रहने के लिए हमने गोबर जलाया,
-
6:24 - 6:26बजाय के ईंधन के.
-
6:26 - 6:29यह सब चीजें मेरे प्लास्टिक और स्टील से भरी
-
6:29 - 6:32शहरी जिंदगी के बिल्कुल विपरीत
थी. -
6:33 - 6:36यह मेरे लिए पांचों इंद्रियों का अनुभव था
-
6:37 - 6:41बिल्कुल अलग तरह की विशेषज्ञता
-
6:41 - 6:44जैसे जैसे मैं मंगोलिया के दूर-दराज के
गांव में गई -
6:46 - 6:48मुझे और समझ में आया
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6:48 - 6:52कि कैसे पुराने बंजारों की जिंदगी
प्रकृति मां पर निर्भर थी -
6:53 - 6:57बंजारों की जिंदगी में कोई कूड़ा नहीं
था -
6:57 - 6:59उन 6 सालों के दौरान
-
6:59 - 7:0220 से भी ज्यादा परिवारों से मिली
-
7:02 - 7:04और मेरा अनुभव हमेशा वही था
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7:04 - 7:08वह मुझे अंदर बुलाते, खाना देते
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7:08 - 7:11और अगर मुझे जरूरत होती
तो रहने की जगह देते. -
7:11 - 7:14मुझे आश्चर्य था कि उनके पास खुद का कितना
कम सामान था. -
7:14 - 7:19पहले मैंने सोचा, इसलिए क्योंकि वह
साल में 4 बार घर बदलते थे -
7:19 - 7:22अच्छा, यह समझना तो आसान था
-
7:22 - 7:23बस उतना ही ले कर चलो जितनी जरूरत हो.
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7:23 - 7:25तो फिर मैंने समझा
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7:25 - 7:27इसके पीछे गहरा ज्ञान था.
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7:27 - 7:30ऐतिहासिक रूप से बंजारे मानते
थे कि -
7:30 - 7:32हम इस जिंदगी से सिर्फ गुजर रहे हैं
-
7:32 - 7:35लोग बिना कुछ लिए आते हैं और खाली
हाथ जाते हैं -
7:35 - 7:40इसलिए वह मानते हैं कि ऐसी कोई चीज नहीं
बनानी चाहिए जिससे प्रकृति को हानि हो -
7:40 - 7:43जब हमारी जिंदगी 100 वर्ष से कम है तो
-
7:43 - 7:49लालची होकर संसारी वस्तुओं में मोह रखने
में कोई फायदा नहीं है. -
7:49 - 7:51इन के बजाय वह विश्वास रखते हैं परंपरा,
-
7:51 - 7:54विरासत और इतिहास में,
-
7:54 - 7:57और यह देते हैं वह अपने आने वाले वनशो को
-
7:57 - 8:01इन ऐतिहासिक बंजारों की परंपरा ने
मुझे सिखाया -
8:01 - 8:05कि मुझे खुद के सुख सुविधा से बढ़कर और
आगे सोचना चाहिए -
8:05 - 8:11इन मंगोलिया के गांव में मुझे सच्ची आजादी
का एहसास हुआ -
8:12 - 8:16और जब भी मैं शहर वापस आती
-
8:16 - 8:18मैं कम से कम में जीने के तरीके ढूंढती.
-
8:18 - 8:21मैंने अपनी कंपनी के पेपर वाले कामों को
कंप्यूटर पर डाल दिया -
8:21 - 8:25जिन चीजों के लिए पहले 20 से भी ज्यादा A4
पेपर लगते थे -
8:25 - 8:28अब उन उनमें सिर्फ एक लगता है
-
8:28 - 8:30मैंने अपने घर का कार्बन फुटप्रिंट भी कम
कर दिया. -
8:30 - 8:33मैंने दोबारा सोचने की आदत डाल ली
-
8:33 - 8:37कुछ खरीदने, कहीं जाने से पहले,
-
8:37 - 8:40और अपने घर और काम में अन्य
कई बदलाव किए. -
8:40 - 8:43और सबसे जरूरी
-
8:43 - 8:46इन चीजों पर काम करना बंद कर दिया
जिनका उपयोग कम समय का था -
8:46 - 8:50और अब उन संस्थाओं के साथ ही काम
करती हो जो लंबे समय तक -
8:50 - 8:54काम आने वाली चीजें बनाते हैं. पर सबसे
बड़ा बदलाव यह है कि -
8:54 - 8:56मैं विकास को नए नजरिए से
-
8:56 - 9:00देखने लगी हूं
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9:00 - 9:03शहरों में,
-
9:03 - 9:06बंजारों की तरह पुराने छोटे घरों में रहना
-
9:06 - 9:08और कम चीजों का होना
-
9:08 - 9:11गरीबी की निशानी माना जाता है,
-
9:11 - 9:12बाहर के देशों में,
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9:12 - 9:15बल्कि मंगोलिया में भी.
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9:16 - 9:20हम समझते हैं कि हर विकासशील देश
का मकसद -
9:20 - 9:23टोक्यो या न्यूयॉर्क शहर की तरह होना है,
-
9:23 - 9:27उनकी ऊंची इमारतें बड़े शॉपिंग मॉल और
टोल की सड़कों की तरह. -
9:28 - 9:32दुनिया भर की जातियां अपने परंपरागत
जीवन शैली को छोड़ रही है -
9:32 - 9:35भौतिकवादी वस्तुओं के पीछे भाग कर.
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9:35 - 9:36पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए
-
9:36 - 9:37कि समृद्ध देश
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9:38 - 9:42जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे ज्यादा
जिम्मेदार हैं -
9:42 - 9:44इसीलिए हमें अपने आप से पूछना चाहिए
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9:44 - 9:47कि हम वही भेड़ चाल क्यों चलते हैं
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9:47 - 9:51जब हमें पता है कि इससे दुनिया को
हानि होती है. -
9:51 - 9:54पिछले 8 महीनों में हमने
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9:54 - 9:57अपने फैसलों का फल भुगता है.
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9:57 - 10:00इसलिए प्रकृति मां की इज्जत करना
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10:00 - 10:03धरती की तरफ ध्यान देना, और बर्बादी कम करना
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10:03 - 10:06कोई संदेह का विषय नहीं है.
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10:06 - 10:10और इन मूल चीजों के बारे में
हमारे वंशजों से बेहतर कौन जान सकता है -
10:10 - 10:12टीवी और टेक्नोलॉजी के
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10:12 - 10:14बिना जीना जानते थे
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10:14 - 10:17सिर्फ समझदारी के बलबूते पर.
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10:17 - 10:20मंगोलिया की नागरिक के तौर पर
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10:20 - 10:22बड़े होते हुए मैंने यह सुना है
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10:22 - 10:25कि विकासशील देश इतने अच्छे नहीं है
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10:25 - 10:28और इसे मैंने दिल से लगा लिया.
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10:28 - 10:33पर आज मैं खुलकर और साफ बोलना चाहती हूं
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10:33 - 10:37कि विकासशील देशों में कोई नुकसान नहीं है.
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10:37 - 10:38बल्कि
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10:38 - 10:41जिन देशों में चीजों को सही करने का
-
10:41 - 10:42सबसे बड़ा मौका है
-
10:42 - 10:46देश जोकि प्रगति की परिभाषा खुद
बना सकते हैं -
10:48 - 10:53उन्हीं के पास अवसर है बेहतर और
सुरक्षित परिस्थिति बनाने के लिए -
10:53 - 10:54सभी के लिए.
-
10:54 - 10:58जो हजारों सालों तक हमारे वंशजों के लिए
सही था -
10:58 - 11:00वही हमारे लिए भी सही हो सकता है आज,
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11:00 - 11:01और भविष्य में,
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11:01 - 11:04अगर उसे नई खोज के साथ जोड़ा जाए.
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11:04 - 11:07आखिरकार हम सब इस दुनिया में मेहमान हैं,
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11:07 - 11:11इसलिए हमें वह करना चाहिए जो पृथ्वी और
हमारे लिए सही है
- Title:
- मंगोलिया के बंजारों का प्राचीन, पृथ्वी हितैषी ज्ञान
- Speaker:
- खुलन बतखुयाग
- Description:
-
हम मंगोलिया के बंजारों से आने वाले सालों और सदियों मे कैसे जी सकते हैं इसके बारे मे बहुत कुछ सीख सकते हैं - ऐसा हमे पर्यावरण कार्यकर्ता खुलन बतखुयाग बताती हैं। मंगोलिया के आश्चर्यजनक ग्रामीण परिदृश्य के माध्यम से हमें यात्रा पर ले जाते हुए, वह दिखाती है कि कैसे मंगोलिया के बंजारे हजारों वर्षों से दूरदराज के इलाकों में कुछ सचमुच अविश्वसनीय, पृथ्वी हितैषी , शून्य-अपशिष्ट नवाचारों के आधार पर जी रहे हैं। हम सभी के लिए यहां ज्ञान है कि हम प्रकृति माँ के साथ कैसे कम से कम, टिकाऊ और सद्भावनीक तरीकों के साथ रह सकते हैं।
हिंदी में अनुवादित उपशीर्षक ऊर्विका गुप्ता द्वारा प्रदान किये गए हैं।
The translated subtitles in Hindi have been provided by Urvika Gupta. - Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 11:30
Arvind Patil approved Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Urvika Gupta edited Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Urvika Gupta edited Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Urvika Gupta edited Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Urvika Gupta edited Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads | ||
Urvika Gupta edited Hindi subtitles for The ancient, earth-friendly wisdom of Mongolian nomads |