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Video statement of Sheikha Latifa Bint Mohammed bin Rashid Al Maktoum (II)

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    हैलो।
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    मेरा नाम लतीफ़ा अल मख़तूम है।
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    मेरा जन्मदिवस दिसंबर 5, 1985 है।
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    मेरी माँ हुरिया अहमद लमारा हैं
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    वह अल्जीरिया से हैं।
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    मेरे पिता संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री हैं
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    और दुबई के शासक,
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    मोहम्मद बिन रशीद सईद अल मख़तूम।
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    उनकी तीन बेटियों का नाम लतीफ़ा है।
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    मैं मँझली हूँ।
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    यानी एक मुझसे बड़ी हैं और एक छोटी है।
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    उनकी दो बेटियाँ मरियम नाम से भी हैं।
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    कुल मिलाकर मेरे तीस भाई और बहनें हैं।
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    यह सब बताना ज़रूरी था
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    क्योंकि इस वीडियो को यह कह कर बदनाम या ख़ारिज किया जा सकता है
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    कि "नहीं, बस एक लतीफ़ा यहाँ है और दूसरी वहाँ"
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    जी हाँ, तीन लतीफ़ा हैं और मैं उनमें से एक हूँ।
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    मैं बीच वाली लतीफ़ा हूँ।
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    मेरी सगी बहनें मेथा और शम्सा हैं।
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    दोनों मुझसे बड़ी हैं
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    और माजिद वह मुझसे कम आयु के हैं।
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    और मैं इस वीडियो को बना रही हूँ क्योंकि यह मेरा आख़िरी वीडियो साबित हो सकता है।
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    हाँ।
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    बहुत जल्द, मैं किसी तरह.. यहाँ से जा रही हूँ।
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    और नतीजा क्या होगा पता नहीं, लेकिन
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    मुझे निन्यानवे प्रतिशत यकीन है कि यह हो सकेगा।
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    और अगर नहीं हो पाया तो यह वीडियो मेरे काम आ सकता है।
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    क्योंकि मेरे पिता सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा की परवाह करते हैं।
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    वह अपनी प्रतिष्ठा के लिए जानें भी ले सकते हैं।
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    उन्हें.. उन्हें केवल अपने आपकी और अपने अहम की परवाह है।
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    तो यह वीडियो मेरा जीवन बचा सकता है।
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    लेकिन अगर आप इस वीडियो को देख रहे हैं तो यह एक बुरी ख़बर है।
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    या तो मेरी जान जा चुकी है या मैं एक बहुत, बहुत,
    बहुत बुरी स्थिति में हूँ।
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    तो मैं कहाँ से शुरू करूँ?
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    साल 2000 में,
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    मेरी बहन शम्सा जब वह इंग्लैंड में छुट्टियों पर घूमने गई हुई थीं।
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    तब वह अठारह साल की थीं और उन्नीसवाँ साल चल रहा था।
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    वो वहाँ से भाग गईं।
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    और वो दो महीने, जिनमें वो आज़ाद रह पायी
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    हम संपर्क में थे और मैं उस वक्त दुबई में थी
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    अपनी माँ और दूसरी बहन के साथ।
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    जबकी वह यात्रा पर अपनी सौतेली माँ और..
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    और उन सभी के साथ गयी थी।
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    इसलिए वो..
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    वो वहाँ से भागी क्योंकि दुबई में उसके पास ज़्यादा आज़ादी नहीं थी।
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    उसके पास वह स्वतंत्रता नहीं थी जैसी एक सभ्य दुनिया में किसी को भी हासिल
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    हुआ करती है। जैसे
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    कार चला पाना या बाहर निकल पाना या अपने भविष्य से जुड़े कोई
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    भी निर्णय ले पाना।
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    अपने निर्णय खुद लेने की स्वतंत्रता आप मानिए कि यहाँ हमारे पास है ही नहीं।
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    तो जो कुछ आपके पास हमेशा से रहा है, आप उसका महत्व नहीं समझ पाते। और जो चीज़ आपके पास कभी न रही हो वो आपके लिए बहुत मायने रखती है।
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    तो जी हाँ, उसे भागना पड़ा और इस दौरान वह हर समय मेरे संपर्क में थी।
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    मैं उस समय चौदह साल की थी।
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    और हाँ, शम्सा ..
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    मेरे लिए लगभग एक माँ जैसी थी।
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    हाँ, वह मेरी बड़ी बहन है पर
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    मैंने उसे हमेशा अपनी माँ जैसा भी माना क्योंकि उसने हमेशा मेरा ख्याल रखा।
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    मैं हर एक दिन उससे बात किया करती थी।
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    तो हाँ उसके जाने के बाद का वक्त मेरे लिए मुश्किल था।
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    मैं उसके लिए खुश थी, लेकिन साथ ही साथ मुझे उसकी फिक्र भी थी।
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    और इसके साथ वो
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    दुबई में अपने दोस्तों में से एक के संपर्क में आयी
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    जिसका नाम लैला ?? हरब ?? है
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    और वो लैला को बार बार कॉल किया करती थी।
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    और मेरे पिता ने क्या किया की वो लैला के घर गए
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    और उसे एक रोलेक्स का लालच देने की कोशिश की
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    और कहा की वो उसका फोन टैप करना चाहते हैं
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    ताकि शम्सा का सही सही पता लगा सकें
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    और उन्होनें ऐसा ही किया।
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    लैला ने शम्सा को इस बारे में आगाह किया, और बताया कि
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    'मेरा फोन टैप किया गया है।'
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    'वे तुम्हें खोजने की कोशिश कर रहे हैं। सावधान रहना।'
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    और शम्सा ने इसके बारे में मुझे बताया और मैंने उससे कहा कि,
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    'लैला को कॉल करना बंद करो। क्योंकि अगर तुम उसे कॉल करोगी तो वो तुम्हें ढूंढ लेंगे। '
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    मुझे लगता है कि वह यू॰के॰ में बहुत अकेलापन महसूस कर रही थी।
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    उसके पास बात करने के लिए और कोई नहीं था। और उसने लैला से बात करना जारी रखा।
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    तो, हाँ दो महीने के बाद, उसे ढूंढ लिया गया।
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    वह लगभग सड़कों पर जी रही थी
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    और एक कार में कुछ लोग आए
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    और उसके लड़ने, चिल्लाने के बाद भी, जबरन उसे पकड़ कर
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    कार में कहीं ले गए
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    और बाद में किसी तरह एक हेलिकॉप्टर से
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    उसे फ्रांस पहुंचाया और फिर फ्रांस से दुबई ले आए।
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    उसे प्लेन में बेहोश करके रखा गया।
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    यह एक निजी जेट था, और किसी भी तरह की तलाशी नहीं की गई।
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    उसे नशे में रखा गया और दुबई वापस लाया गया
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    और एक इमारत में कैद कर दिया।
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    इस इमारत को 'ख़ेमा' नाम से जाना जाता है, यह 'तम्बू' के लिए अरबी का शब्द है।
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    लेकिन यह एक तम्बू नहीं, सिर्फ 'तम्बू' नाम भर है
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    और
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    यह इमारत ज़बील पैलेस में है,
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    मेरी सौतेली माँ हिंद की संपत्ति।
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    और उसे वहाँ तालाबंद करके रखा गया।
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    और उस समय के दौरान,
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    हम उसे कपड़े या और कुछ चीजें भेज सकते थे।
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    तो, हमनें छुपाकर उसके लिए एक टेलीफोन भेज दिया।
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    'हमनें' यानि में और मेरी गोद ली हुई बहन मोना
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    मोना ?? अल लमारा ??
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    हम उसके साथ संपर्क में थे और
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    हमनें चोरी-छिपे टेलीफोन भेजा था ताकि उससे बात कर सकें।
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    इस दौरान जब वो कैद थी,
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    वह यू॰के॰ के कुछ पत्रकारों के संपर्क में आई
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    और उन्होनें 'द गार्डियन' में यह ख़बर छाप दी।
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    मुझे लगता है कि यह मई 2001 के आसपास का समय था, कब ख़बर छपी मुझे सही सही नहीं पता।
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    ख़बरें..
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    अगर आप गूगल पर 'शम्सा अल मख़तूम' नाम लिखें तो पहली ख़बर यही होगी।
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    उसके भागने का सच और यह सब।
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    ख़बर छपते ही मुझे लगता है कि उन्हें पता चल गया कि वो किसी के संपर्क में किसी तरह है या
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    उसकी कोई मदद कर रहा था।
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    तो पुलिस आई और उन्होनें मोना को उसकी यूनिवर्सिटी से उठा लिया
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    और उससे पूछताछ की और उसे यातनाएँ दी गईं
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    और मेरी बहन मेथा उसी दिन शाम को
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    मेरे कमरे में आयी, और उसने कहा
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    'मोना को पुलिस ले गयी है और वे उससे पूछताछ कर रहे हैं
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    और उसे मारा-पीटा भी जा रहा है
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    तुम शम्सा के बारे में क्या जानती हो? '
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    और मेथा एक तरह से पुलिस जैसी पूछताछ कर रही थी।
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    जैसे की
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    मैं सवाल-जवाब करूंगी और तुम सब साफ-साफ बताओगी।
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    मैंने कहा कि मैं कुछ नहीं जानती।
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    और फिर.. ख़ैर
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    मैंनें अपनी दूसरी गोद ली हुई बहन फातिमा को इस बारे में बताया
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    फातिमा ?? लमारा ??
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    जिसे एक अलग कैबिन में बंद रखा जाता था।
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    उसे वहाँ रखा गया था ..
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    यह अपने में एक और कहानी है।
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    वह हमारी संपत्ति पर ही लेकिन एक अलग कैबिन में रहती थी, लेकिन तालाबंद करके।
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    परिवार के बाकी लोगों से अलग-थलग, क्योंकि वह "शरारती" है।
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    उसका शरारती व्यवहार।
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    उसके विद्रोही-स्वभाव के कारण।
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    तो कह सकते हैं की हमारे घर में उसे एक पिंजरे में रखा जाता था।
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    ख़ैर .. मैं .. मैंने उसके लिए एक नोट लिखा था और
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    नौकरानी को कहा उस तक पहुंचा देने के लिए
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    उसके दरवाज़े के नीचे से सरका देने के लिए और उसने यही किया।
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    और मैंने उसे बताया कि मोना को उठा लिया गया है और पुलिस उससे पूछताछ कर रही है
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    और बाकी सब कुछ।
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    और फिर फातिमा तो जैसे पागल हो गयी, उसने खिड़की तोड़ डाली .. वह .. वह ..
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    दरवाज़ा।
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    उसने खिड़की की चौखट उखाड़ दी और बाहर फेंक दी।
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    उसे तोड़ डाला।
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    वह बाहर निकल आई।
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    एक चाकू उठा लिया।
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    वह अली को धमका रही थी, जो एक खानसामे की तरह है
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    लेकिन रिश्ते से भाई जैसा भी है
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    मेरे पिता का दाहिना हाथ।
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    तो एक तरह से कर्मचारियों का जिम्मा उसके पास था
    या ऐसा ही कुछ।
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    तो उसने एक चाकू ले लिया और वह उसको धमका कर कह रही थी कि
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    'मैं मोना को देखना चाहती हूँ, मैं मोना को देखना चाहती हूँ'
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    तो वे फातिमा को भी उठा ले गए।
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    उसे भी जेल में डाल दिया और उसे भी यातनाएँ दीं।
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    और फिर उन्हें पता चला कि उसे कुछ भी मालूम नहीं था।
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    हमनें उसे नहीं बताया क्योंकि हम नहीं बता सकते थे कि हम शम्सा के संपर्क में थे।
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    ख़ैर उस के बाद क्या हुआ, हाँ उस दिन मैंनें एक तरह से हर किसी को खो दिया।
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    अपने सभी दोस्तों को, अपनी सभी .. अपनी बहनों को सब कुछ।
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    मैंनें उस दिन हर किसी को खो दिया।
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    यह .. यह मेरे लिए बहुत मुश्किल दिन था।
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    और ज़ाहीर है मैंनें शम्सा के साथ अपना संपर्क खो दिया।
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    तो लगभग एक साल बाद
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    16 साल की उम्र में मैंने तय कर लिया है कि मुझे यहाँ से बचकर निकलना है।
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    उस समय मेरे पास इंटरनेट नहीं था।
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    नहीं था ..
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    मैं बहुत .. यह साल 2002 की बात है।
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    इंटरनेट था, लेकिन मेरे पास नहीं, मुझे इंटरनेट इस्तेमाल की इजाज़त नहीं थी।
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    तो मेरे पास इंटरनेट नहीं था।
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    मेरे पास फोन भी नहीं था।
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    जो फोन था भी उसे मेरे दोस्त ने मुझे दिया था
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    तो यह मेरे परिवार या किसी और के कहने पर मुझे नहीं दिया गया था।
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    तो मैंने तय कर लिया कि मैं बचकर यहाँ से निकलूंगी।
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    मुझे जाना है, मैं यू॰ए॰ई छोड़ दूँगी।
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    मैं किसी दूसरे देश में एक वकील खोज लूँगी।
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    या फिर ओमान चली जाऊँगी।
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    मैं किसी भी तरह निकल भागूंगी और एक वकील खोजुंगी या कुछ और
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    और शम्सा की मदद करूंगी।
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    क्या होगा, ज़्यादा से ज़्यादा वे मुझे पकड़कर उसके साथ कैद कर देंगे।
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    जेल में कम से कम मैं उसके साथ रहूँगी, उसे देख पाऊँगी और उसे पता रहेगा कि मैं खुश हूँ
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    कि उसके साथ कोई है और वह कुछ भी ऐसा-वैसा नहीं करेगी।
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    वह खुद को चोट नहीं पहुंचाएगी।
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    उसकी बहन उसके साथ है, इसलिए वह ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगी।
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    तो..
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    तो मैं सोच रही थी कि या तो मैं उसे मदद दिला सकूँ या मैं उसके साथ जेल में डाल दी जाऊँ।
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    तो साल 2002 में मैं भाग निकली।
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    और उन्होंने मुझे सीमा पर पकड़ा।
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    और हाँ ..
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    मैं बहुत, बहुत भोली थी मैंने सोचा था कि कोई भी पार जा सकता है।
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    मैंने सोचा था कि .. वहाँ एक तरह की सीमा होगी और उसके बाद रेत या और कुछ ..
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    मुझे यह तक नहीं पता था की सीमा दिखती कैसी है।
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    मैं पूरी ज़िंदगी कभी सीमारेखा तक नहीं गयी थी।
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    यह जान सकने के लिए मेरे पास इंटरनेट नहीं था।
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    मुझे सलाह देने के लिए, बात करने के लिए कोई भी नहीं था।
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    मैं नहीं कर पायी ..
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    मैं पूरी तरह अकेली थी।
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    मैं पास कोई भी नहीं था।
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    मेरे आसपास किसी को ख़बर नहीं थी.. जैसे कि स्कूल में मेरे दोस्त..
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    उन्हें पता नहीं था कि मैं किन हालात से गुज़र रही हूँ।
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    मैं इसके बारे में किसी से बात नहीं कर सकती थी।
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    तो, हाँ .. मुझे बाहर जाने की इजाज़त नहीं थी।
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    मुझे बाहर जाने की इजाज़त नहीं थी.. जैसे मैं स्कूल तो जा रही थी।
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    और कभी-कभी घुड़सवारी करने के लिए परिवार के अस्तबल जाने देते थे
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    लेकिन इसके अलावा और कुछ नहीं और मैं सीधा अपने घर चली जाती थी।
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    इसलिए मैंनें.. मेरे पास
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    मैं..
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    मुझे कुछ भी नहीं पता था।
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    तो हाँ, मुझे सीमा पर रोक लिया गया और उसके बाद उन्हें पता चला कि मैं कौन हूँ।
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    मुझे दुबई वापस ले जाया गया और मेरे पिता के मुख्य सहायक ने मुझे जेल में डाल दिया
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    मेरे पिता के आदेश पर और उसके बाद उनके सीआईडी के लोगों ने, उन्होनें ..
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    उन्होनें मुझे जेल में डाल दिया और मुझे यातनाएँ दी गयीं
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    एक व्यक्ति ने मुझे पकड़कर रखा हुआ था, और दूसरा मुझे पीट रहा था..
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    और उन्होनें यह बार-बार किया।
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    पहली बार जब मुझे पीटा जा रहा था, मुझे दर्द महसूस नहीं हुआ
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    क्योंकि मैं इतने सदमे में थी।
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    मुझे आभास नहीं हुआ..
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    ऐसा लग रहा था जैसे कोई तकिया रख कर मार रहा हो।
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    मुझे दिख रहा था कि वे क्या कर रहे थे, लेकिन मैं ..
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    मुझे लग रहा थी की क्या सिर्फ मेरे शरीर पर ज्यादती हो रही है?
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    क्या हो रहा है?
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    मुझे .. दर्द का आभास नहीं था क्योंकि मुझे लगता है कि मैं इतने
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    ज़्यादा सदमे में थी और लंबे समय बीना नींद के
    और मैं बस .. दर्द का पता ही नहीं लगा ..
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    नहीं लगा ..
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    और आधे घंटे तक मुझे पीटा गया।
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    और उसके बाद जब मुझे यातना दी गयी तो
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    पांच घंटे तक चला। मुझे बिस्तर से घसीट कर
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    महल में किसी दूसरी जगह ले गए
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    उस ही इमारत में,
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    "ख़ेमा", तम्बू, जो एक तम्बू नहीं है।
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    और फिर से मुझे यातना दी गयी।
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    मुझे पता था कि यह कितने समय तक चला, क्योंकि मेरे पास एक घड़ी थी
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    और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारे पिता ने हमें कहा है कि
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    इसे तब तक पीटो जब तक इसकी जान न चली जाये।
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    ये कहा है, तुम्हारे पिता ने।
  • 11:51 - 11:56
    तुम्हारे पिता, दुबई के शासक, यह कहा उन्होनें।
  • 11:56 - 12:00
    तो उनकी यह सार्वजनिक छवि जो वो दिखाने कि कोशिश कर रहें हैं, मानवाधिकार वगैरह
  • 12:00 - 12:02
    यह सब बकवास है।
  • 12:02 - 12:05
    इससे बुरा इंसान मैंने अपने जीवन में नहीं देखा।
  • 12:05 - 12:07
    बुराई के अलावा कुछ नहीं
  • 12:07 - 12:09
    उसमें ज़रा भी अच्छाई नहीं है।
  • 12:09 - 12:12
    वह इतने सारे लोगों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार है
  • 12:12 - 12:15
    और कई लोगों की ज़िंदगी बर्बाद कर चुका है।
  • 12:21 - 12:22
    उसे किसी की भी परवाह नहीं है।
  • 12:22 - 12:25
    वह केवल, अपनी छवि, अपनी प्रतिष्ठा की परवाह करता है
  • 12:25 - 12:30
    और बड़ी आसानी से किसी की भी जान ले सकता है
  • 12:30 - 12:31
    लेकिन वह ऐसा खुद नहीं करता।
  • 12:31 - 12:37
    वह .. वह अपने हाथ गंदे नहीं करता।
  • 12:37 - 12:39
    यह सब करने के लिए उसके अलग लोग हैं।
  • 12:39 - 12:41
    उसे परवाह नहीं है।
  • 12:43 - 12:47
    मेरे चाचा की मृत्यु होने के बाद, उसने उनकी पत्नियों में से एक को मार डाला
  • 12:47 - 12:49
    ..उसे जान से मार डाला
  • 12:49 - 12:52
    हर किसी को पता है, वो मोरक्को से थी।
  • 12:52 - 12:54
    और वो भी किस वजह से ..
  • 12:54 - 12:56
    क्योंकि उसका व्यवहार अपमानजनक था।
  • 12:56 - 12:57
    वो बहुत..
  • 12:57 - 12:58
    मुझे लगता है कि वो कुछ ज़्यादा बोल जाती थी
  • 12:58 - 13:00
    और मेरे पिता को उससे खतरा महसूस होता था।
  • 13:00 - 13:02
    तो उसे मार डाला गया।
  • 13:02 - 13:04
    बेशक, अगर मेरे चाचा होते तो यह नहीं होता,
  • 13:04 - 13:06
    लेकिन मेरे चाचा की मृत्यु के बाद वो यह कर सकता था।
  • 13:06 - 13:12
    हर कोई जानता है कि वह किस तरह का व्यक्ति है।
  • 13:12 - 13:15
    तो कुल मिलाकर मैं तीन साल और चार महीने के लिए कैद में थी।
  • 13:15 - 13:21
    मुझे जून 2002 में जेल में डाला गया था और अक्टूबर 2005 में मैं बाहर आई।
  • 13:21 - 13:23
    आप खुद ही अंदाज़ा लगा लीजिये।
  • 13:23 - 13:29
    लेकिन एक सप्ताह के लिए 2003 में मैं जेल से बाहर आयी थी।
  • 13:29 - 13:31
    उन्होंने मुझे घर भेज दिया,
  • 13:31 - 13:33
    "घर" यह एक घर नहीं है।
  • 13:33 - 13:35
    यह मकान है, मेरी माँ का मकान।
  • 13:35 - 13:38
    उन्होंने मुझे एक सप्ताह के लिए वहाँ वापस भेजा
  • 13:38 - 13:41
    और ये सब सपने जैसा था।
  • 13:43 - 13:45
    जब मैं अपने घर पहुँची अपनी माँ से मिलने
  • 13:45 - 13:49
    मुझे थोड़ी सहानुभूति की उम्मीद थी?
  • 13:49 - 13:50
    शायद?
  • 13:50 - 13:55
    क्योंकि जेल में एक सामान्य जेल वाला अनुभव नहीं था
  • 13:55 - 13:59
    निरंतर यातना, निरंतर यातना।
  • 13:59 - 14:02
    यहां तक कि जब मुझे शारीरिक यातना नहीं दी जा रही होती थी
  • 14:02 - 14:03
    तब भी वे मुझे परेशान करते थे।
  • 14:03 - 14:05
    वे सभी रोशनियां बुझा देते थे।
  • 14:05 - 14:08
    मैं एकान्त कारावास में थी, अकेली
  • 14:08 - 14:10
    और वहाँ कोई खिड़कियाँ नहीं थी, न कोई रोशनी,
  • 14:10 - 14:12
    इसलिए जब वे रोशनी बुझा देते थे, तो घुप्प अंधेरा हो जाता था।
  • 14:12 - 14:14
    वे कई कई दिनों के लिए इसे बंद कर देते थे, तो ,मुझे पता नहीं
  • 14:14 - 14:17
    चल पता था कि कब दिन शुरू हुआ और कब खत्म
  • 14:17 - 14:19
    और उसके बाद वे ..
  • 14:19 - 14:21
    वे मुझे परेशान करने के लिए आवाज़ें लगाते थे
  • 14:21 - 14:23
    बीच रात में आकर
  • 14:23 - 14:25
    मुझे बिस्तर से घसीट कर पीटा जाता था
  • 14:25 - 14:28
    यह ..
  • 14:28 - 14:31
    यह किसी भी तरह से एक सामान्य जेल जैसा अनुभव नहीं था।
  • 14:31 - 14:33
    सिर्फ यातना।
  • 14:33 - 14:34
    और उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं दिया।
  • 14:34 - 14:36
    मेरे पास अलग कपड़े तक नहीं थे।
  • 14:36 - 14:39
    तो मैं रोज़ उन्हीं कपड़ों में अपने को किसी तरह साफ रखने कि कोशिश करती थी,
  • 14:39 - 14:42
    लेकिन मारपीट के बाद मैं चल तक नहीं पाती थी।
  • 14:42 - 14:46
    तो मैं बाथरूम भी घुटनों के बल जाती थी पानी पीने के लिए, नल खोलने के लिए .. पानी के लिए।
  • 14:46 - 14:47
    मैं अपनें हाथों और घुटनों के बल जाती थी।
  • 14:47 - 14:49
    वहाँ कोई चिकित्सीय सहायता नहीं मिलती थी।
  • 14:49 - 14:50
    उन्हें इसकी परवाह नहीं थी।
  • 14:50 - 14:52
    वैसे भी वो मुझे ज़िंदा नहीं चाहते थे ।
  • 14:52 - 14:56
    तो हाँ, मेरे पास कुछ भी नहीं हुआ करता था।
  • 14:56 - 15:01
    एक पुराना छेदवाला पतला गद्दा था और उसमें ख़ून और गंदगी के दाग थे
  • 15:01 - 15:03
    बहुत घिन आती थी, इतनी बुरी बदबू।
  • 15:03 - 15:07
    एक पतला कंबल भी था उतना ही गंदा।
  • 15:07 - 15:09
    मेरे कपड़े जो मैंने पहने हुए थे।
  • 15:09 - 15:13
    और आखिर के कुछ महीनों में मुझे एक टूथब्रश दे दिया गया था, सिर्फ एक टूथब्रश,
  • 15:13 - 15:14
    तो
  • 15:14 - 15:16
    तो ..
  • 15:16 - 15:21
    साफ रह पाना बहुत मुश्किल था और अंत में मुझे कुछ कपड़े दे दिए थे,
  • 15:21 - 15:24
    कपड़े धोने के लिए .. टाईड की तरह, कपड़े धोने का पाउडर।
  • 15:24 - 15:30
    मैं कपड़े धोने वाले पाउडर से खुद को साफ रखती थी।
  • 15:30 - 15:31
    यह वास्तव में बहुत ही घृणित था।
  • 15:31 - 15:37
    तो, हाँ .. उस अनुभव के बाद, मैं एक सप्ताह के लिए घर भेज दी गयी और ..
  • 15:37 - 15:44
    उन हालात से एकदम से अब घर, साबुन और कपड़े और न जाने क्या क्या यह सब चकरा देने वाला था।
  • 15:44 - 15:47
    इसलिए मैं दिन में पाँच-पाँच बार नहाया करती थी क्योंकि अब मुमकिन था।
  • 15:47 - 15:49
    गर्म पानी था।
  • 15:49 - 15:50
    .. साबुन था।
  • 15:50 - 15:51
    तौलिया था।
  • 15:51 - 15:52
    कपड़े थे।
  • 15:52 - 15:53
    यकीन नहीं होता था।
  • 15:53 - 15:54
    टूथब्रश है।
  • 15:54 - 15:56
    खाना है, मेरा मतलब खाने लायक खाना ..
  • 15:56 - 15:57
    किसी डिब्बे में परोसा हुआ नहीं
  • 15:57 - 15:59
    मांस और चावल, मांस और चावल।
  • 15:59 - 16:01
    छोटे से डिब्बे में नहीं।
  • 16:01 - 16:02
    ऐसा खाना जिसे ..
  • 16:02 - 16:05
    अब मुझे ताज़ा खाना नसीब था।
  • 16:05 - 16:08
    जब मैं बाहर आयी मैं बहुत, बहुत कमज़ोर थी।
  • 16:08 - 16:10
    मेरा वज़न बहुत कम हो गया था।
  • 16:10 - 16:14
    मेरे कपड़े जैसे चीथड़ों की तरह लटक रहे थे
  • 16:14 - 16:18
    मुझे नए कपड़ों की ज़रूरत थी।
  • 16:18 - 16:20
    सब कुछ मेरे लिए सिर्फ एक बड़ा झटका था।
  • 16:20 - 16:24
    तो मुझे याद है, बहुत अजीब है, लेकिन
  • 16:24 - 16:26
    मुझे याद है जब मैं पहली बार जेल से बाहर आयी थी
  • 16:26 - 16:30
    कार में, मुझे याद है ऐसा लग रहा था जैसे कार बहुत तेज से चल रही हो
  • 16:30 - 16:34
    क्योंकि मैं एक साल और एक महीने तक एक जगह से हिली तक नहीं थी
  • 16:34 - 16:37
    तो कार में ऐसा लगा जैसे मैं एक रोलर-कोस्टर में थी।
  • 16:37 - 16:41
    मुझे लगा कि उफ़्फ़ यह कितनी तेज चल रही है।
  • 16:41 - 16:44
    और जब मैं अपने घर पहुंची सभी लोग मुझसे कितने सामान्य ढंग से बात कर रहे थे।
  • 16:44 - 16:46
    सामान्य? मेरे साथ जो कुछ हुआ उसके बाद सामान्य?
  • 16:46 - 16:49
    अब सामान्य होता क्या है मुझे नहीं पता, कुछ भी सामान्य नहीं बचा।
  • 16:49 - 16:55
    हर वक्त, आज भी ..
  • 16:55 - 16:59
    हल्की सी आवाज़ से में जाग जाती हूँ
  • 16:59 - 17:02
    मुझे याद है जेल से बाहर आने के कुछ सालों बाद
  • 17:02 - 17:04
    जब भी दरवाज़े के बाहर कोई आवाज़ होती
  • 17:04 - 17:06
    मैं तो चौंककर जैसे, बिस्तर से बाहर आ गिरती थी
  • 17:06 - 17:08
    एकदम से
  • 17:08 - 17:11
    मैं .. मैं अपने पैरों पर होती थी, क्योंकि मैं तैयार थी ..
  • 17:11 - 17:14
    किसी से भी जूझने के लिए तैयार।
  • 17:15 - 17:17
    हाँ।
  • 17:18 - 17:25
    तो, हाँ .. वो एक अच्छा समय नहीं था।
  • 17:26 - 17:30
    तो घर पर अपनी माँ और बहन के साथ एक सप्ताह के बाद भी
  • 17:30 - 17:34
    उनमें मेरे लिए ज़रा भी सहानुभूति नहीं थी
  • 17:34 - 17:36
    बल्कि मुझसे तो यह कहा गया
  • 17:36 - 17:38
    'तुम्हें लगता है तुम्हारे जेल का अनुभव बुरा था?'
  • 17:38 - 17:41
    'इससे भी बदतर होता है'
  • 17:41 - 17:44
    और यह सुनकर मुझे एहसास हुआ
  • 17:45 - 17:48
    मुझे गहरा धक्का लगा बहुत निराशा हुई।
  • 17:48 - 17:51
    मुझे उम्मीद थी की उनमें कुछ तो दया होगी
  • 17:51 - 17:53
    जैसी किसी भी माँ में होती है
  • 17:53 - 17:57
    लेकिन उनमें नहीं थी।
  • 17:58 - 18:01
    मुझे मेरी बहन, मेथा से भी कोई हमदर्दी नहीं मिली।
  • 18:01 - 18:05
    ठीक है ... जैसा भी हो
  • 18:07 - 18:09
    वो मेरी मदद कर सकते थे अगर चाहते तो..
  • 18:09 - 18:10
    लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया ..
  • 18:11 - 18:18
    हाँ उन्होनें मुझे जेल नहीं भेजा, लेकिन वे मेरी मदद कर सकते थे।
  • 18:18 - 18:20
    वहाँ मुझसे मिलने तो आ सकते थे।
  • 18:20 - 18:22
    वे मेरे लिए थोड़ा संघर्ष कर सकते थे।
  • 18:22 - 18:25
    थोड़ी दया दिखा सकते थे, लेकिन उन्होंनें
    एक तरह से यही जताया
  • 18:25 - 18:26
    'ओह यह सब तुमने अपने आप खुदपर किया'
  • 18:26 - 18:28
    नहीं, मैंने ऐसा नहीं किया।
  • 18:28 - 18:30
    मैंने शम्सा को नहीं कहा था इंग्लैंड से भागने के लिए।
  • 18:30 - 18:31
    मैंने उसे लैला से बात करते रहने को नहीं कहा था।
  • 18:31 - 18:33
    मैंने नहीं कहा था की पकड़ी जाओ।
  • 18:33 - 18:33
    मैंने नहीं किया ..
  • 18:33 - 18:35
    मैंने खुदपर कुछ नहीं किया।
  • 18:35 - 18:36
    सिर्फ़ एक ही बात थी ..
  • 18:36 - 18:39
    मैं अपनी बहन को बचाने की कोशिश कर रही थी और उसकी मदद करने की कोशिश कर रही थी
  • 18:39 - 18:41
    और मुझे उसकी यह कीमत चुकानी पड़ी
  • 18:42 - 18:44
    तो हाँ वापस वहीं, मैं घर में थी।
  • 18:44 - 18:46
    मैं सिर्फ़ एक सप्ताह के लिए घर में रह पायी
  • 18:46 - 18:50
    क्योंकि एक सप्ताह के बाद मैंनें अपना आपा खो दिया
  • 18:50 - 18:53
    मुझे ठीक से याद नहीं किस बात पर झगड़ा शुरू हुआ,
  • 18:53 - 18:56
    लेकिन मैं चीख-चीख के कह रही थी कि
  • 18:56 - 18:59
    मुझे शम्सा से मिलना है और मेरा चिल्लाना नहीं रुक रहा था।
  • 18:59 - 19:01
    ऐसा था जैसे..
  • 19:03 - 19:04
    मैं नहीं बता सकती।
  • 19:04 - 19:07
    मैं सचमुच सिर्फ चिल्ला रही थी
  • 19:07 - 19:08
    'मैं शम्सा को देखना चाहती हूँ, मैं शम्सा को देखना चाहती हूँ'
  • 19:08 - 19:09
    'मैं शम्सा को देखना चाहती हूँ'
  • 19:09 - 19:12
    और बात इस हद तक चली गयी कि मैं लोगों से लड़ने की कोशिश कर रही थी।
  • 19:12 - 19:15
    तो उन्होनें मुझे पकड़ा हुआ था और मुझे याद नहीं
    है कि उन्होनें किसको कॉल किया।
  • 19:15 - 19:20
    पुलिस को बुलाया, लेकिन एक वक्त पर कुछ लोगों
    ने मुझे पकड़ा हुआ था।
  • 19:20 - 19:23
    और फिर वहाँ एक डॉक्टर था।
  • 19:23 - 19:27
    मैंने एक डॉक्टर को देखा और उसने मुझे इंजेक्शन दिया और मुझे या तो एक कार या एक एम्बुलेंस में ले गए,
  • 19:27 - 19:28
    मुझे याद नहीं।
  • 19:28 - 19:31
    मुझे लगता है कि यह एक कार थी, और मैं तो बस चिल्ला रही थी।
  • 19:31 - 19:32
    मुझे याद नहीं।
  • 19:32 - 19:33
    उन्होंने मुझे दवा देकर शांत करने की कोशिश की।
  • 19:33 - 19:34
    यह पहली बार काम नहीं किया।
  • 19:34 - 19:35
    उन्होंने मुझे अस्पताल में डाल दिया।
  • 19:35 - 19:39
    मुझे याद है उन्होनें मुझे इंजेक्शन देकर शांत किया था।
  • 19:39 - 19:48
    और फिर हल्का सा याद है.. मैं अस्पताल के बिस्तर पर हूँ और जागने के बाद
  • 19:48 - 19:52
    लोग मुझे खिलाने की कोशिश कर रहे हैं.. उसके बाद बाथरूम में मेरी नींद टूटती है
  • 19:52 - 19:56
    इस तरह मैंने कुछ बेहिसाब समय खो दिया.. कुछ दिन खो दिए।
  • 19:56 - 20:00
    इतना चिल्लाने से मेरी आवाज़ चली गयी थी।
  • 20:00 - 20:05
    तो, हाँ .. मुझे कुछ समय लगा..
  • 20:05 - 20:10
    नहीं पता कि मुझे कितना बेहोश रखा गया या मुझे क्या दिया था, लेकिन हाँ मैंने कुछ दिन खो दिए।
  • 20:10 - 20:14
    और फिर, हाँ .. तो मैंने एक सप्ताह अस्पताल में बिताया
  • 20:16 - 20:19
    बेआवाज़ और नर्सों के साथ
  • 20:19 - 20:22
    जो बहुत, बहुत, बहुत अच्छी थीं।
  • 20:22 - 20:26
    और वे मेरे लिए हर तरह से सब सामान्य बनाने कि कोशिश कर रहीं थीं
  • 20:26 - 20:31
    इस तरह से नहीं जैसे मैं कोई मानसिक रोगी हूँ ..
  • 20:31 - 20:32
    क्योंकि मैं एक मानसिक रोगी नहीं हूँ।
  • 20:32 - 20:37
    मैंने अपनी हल्की आवाज़ में उन्हें बताया कि मेरे साथ क्या हुआ है
  • 20:37 - 20:45
    मैं उनसे बात कर पाती थी और वे वास्तव में अच्छीं थीं
  • 20:45 - 20:49
    उन्होनें मुझे सामान्य महसूस कराने की कोशिश की।
  • 20:49 - 20:54
    ख़ैर.. तो एक सप्ताह घर में और एक सप्ताह अस्पताल में,
  • 20:54 - 20:59
    और मुझे फिर से वापस जेल में डाल दिया।
  • 20:59 - 21:03
    तो कुल मिलाकर तीन साल और चार महीने मैंने कैद में बिताए।
  • 21:04 - 21:08
    और मैं नहीं जानती थी कि कब तक मैं वहाँ रहूँगी।
  • 21:08 - 21:14
    मुझे सिर्फ इतना बताया गया कि तुम्हारे पिता ने कहा है इसे तब तक पीटो जब तक इसमें जान ना बचे। बस
  • 21:14 - 21:21
    वे मुझे ख़त्म नहीं कर पाए।
  • 21:21 - 21:24
    वे चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाए।
  • 21:24 - 21:31
    तो जब मैं दूसरी बार कैद से बाहर आई..
  • 21:31 - 21:35
    तो मैं ..
  • 21:35 - 21:37
    मैं तो बस..
  • 21:37 - 21:38
    मुझे हर किसी से नफ़रत थी।
  • 21:38 - 21:40
    मुझे किसी पर भरोसा नहीं था ..
  • 21:40 - 21:42
    मेरे लिए जैसे सभी लोग बुरे थे
  • 21:42 - 21:44
    किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता था,
  • 21:44 - 21:45
    जैसे सभी लोगों आपके खिलाफ हों,
  • 21:45 - 21:48
    मुझे ऐसा लगता था।
  • 21:48 - 21:50
    इसलिए मैं जानवरों के साथ बहुत समय बिताती थी
  • 21:50 - 21:54
    घोड़ों, कुत्तों, बिल्लियों के साथ पक्षियों के साथ
  • 21:54 - 21:56
    अलग अलग जानवरों के साथ।
  • 21:56 - 21:58
    मैं पने दिन जानवरों के बिताती थी
  • 21:58 - 22:02
    और फिर मैं अपने कमरे में जाकर कोई फिल्म वगैरह देख लेती थी
  • 22:02 - 22:05
    लेकिन मैं लोगों के साथ बातचीत नहीं करती थी।
  • 22:05 - 22:07
    कोई नहीं था जिस पर मुझे भरोसा हो।
  • 22:09 - 22:18
    और फिर मैं .. हाँ, तो मुझे..
  • 22:18 - 22:19
    मुझे नहीं पता..
  • 22:19 - 22:23
    मुझे नहीं पता जेल से बाहर आने के बाद मुझे कितने साल लगे
  • 22:23 - 22:26
    पूरी तरह से उस अनुभव से उबरने में।
  • 22:31 - 22:31
    मुझे नहीं पता।
  • 22:31 - 22:33
    मुझे नहीं पता कब मैं सामान्य हो पायी।
  • 22:33 - 22:35
    मैं नहीं जानती कि मैं अब भी सामान्य हूँ या नहीं।
  • 22:35 - 22:36
    मेरा मतलब है यह कुछ ऐसा है कि
  • 22:36 - 22:38
    आपको बदल देता है,
  • 22:38 - 22:41
    आप लोगों में विश्वास खो देते हैं।
  • 22:41 - 22:45
    2017 की गर्मियों में ऐसा बहुत कुछ हुआ,
  • 22:45 - 22:48
    जिसने मुझ पर दबाव डाला ..
  • 22:49 - 22:55
    कि अब और नहीं रुका जा सकता, मैं शम्सा के ठीक होने का अब इंतजार नहीं कर सकती ताकि उसे अपने साथ ले चलूँ।
  • 22:55 - 23:01
    मुझे एहसास हुआ, यह समझने में मुझे लगभग दस साल लगे
  • 23:01 - 23:05
    कि यहाँ रह कर उसकी कोई मदद नहीं हो रही है।
  • 23:05 - 23:06
    मैं उसकी यहाँ मदद नहीं कर सकती।
  • 23:06 - 23:07
    मुझे जाना होगा।
  • 23:07 - 23:10
    यह एक ही रास्ता है जिससे मैं उसकी मदद कर सकती हूँ।
  • 23:10 - 23:11
    अपनी मदद कर सकती हूँ।
  • 23:11 - 23:12
    उसकी मदद कर सकती हूँ।
  • 23:12 - 23:15
    मैं बहुत से लोगों की मदद कर सकती हूँ, बस निकलना होगा। यहाँ रहकर ..
  • 23:15 - 23:18
    मैं उसकी बिल्कुल भी मदद नहीं कर सकती।
  • 23:18 - 23:22
    तो .. और 2017 की,
  • 23:22 - 23:26
    गर्मियों में मैंने एक अच्छा दोस्त खो दिया है
  • 23:26 - 23:31
    और मुझे एहसास हुआ कि जीवन कितना छोटा है।
  • 23:31 - 23:33
    इसकी कोई गारंटी नहीं है।
  • 23:33 - 23:39
    किसी के परिवर्तन लाने का बैठकर इंतज़ार करने का कोई फ़ायदा नहीं
  • 23:39 - 23:40
    या किसी के तैयार होने का।
  • 23:40 - 23:44
    इंतज़ार करने की कोई वजह नहीं, बस एक बड़ा कदम लेना होगा।
  • 23:44 - 23:48
    शम्सा को कुछ नहीं होगा और एक बार बाहर आ जाओ तो तुम उसकी मदद कर सकती हो।
  • 23:48 - 23:52
    इसलिए इस वीडियो को बनाने की जरूरत है।
  • 23:52 - 23:55
    अगर मैं कामयाब ना हो पाऊँ तो।
  • 23:55 - 24:03
    यह सब व्यर्थ नहीं जाएगा, किसी के पास कुछ फ़ुटेज तो रहेगी।
  • 24:03 - 24:04
    मुझे ..
  • 24:04 - 24:08
    मुझे सब कुछ याद करना होगा ये मेरा आख़िरी वीडियो हो सकता है।
  • 24:08 - 24:10
    मैं और क्या कहूँ पता नहीं।
  • 24:10 - 24:13
    मैं और क्या कहूँ पता नहीं।
  • 24:15 - 24:22
    वे निश्चित रूप से इस विडियो को बदनाम करने की कोशिश करेंगे, कहेंगे कि यह एक झूठ है या यह एक अभिनेत्री है
  • 24:22 - 24:24
    ऐसा ही कुछ।
  • 24:26 - 24:29
    मैं नहीं जानती और क्या अपने बारे में कहूँ।
  • 24:29 - 24:32
    तो मैं बस अपने बारे में और अधिक जानकारी देती हूँ।
  • 24:32 - 24:35
    जब मैं छोटी थी तब दुबई इंग्लिश स्पीकिंग स्कूल जाती थी
  • 24:35 - 24:38
    और फिर मैं इंटरनेशनल स्कूल ऑफ़ शूएफ़ात गयी
  • 24:38 - 24:42
    और उसके बाद एक साल के लिए मैं लतीफ़ा स्कूल फॉर गर्ल्स गयी।
  • 24:42 - 24:46
    और फिर, हाँ, जब मैं जेल से बाहर आई तो ज़बील अस्तबल में घुड़सवारी करती थी।
  • 24:46 - 24:51
    और फिर फ़ुजैरा में स्कूबा डाइविंग और
    बाद में स्काईडाइव दुबई में स्काइडाइविंग शुरू की।
  • 24:51 - 24:57
    तो ऐसे बहुत से लोग हैं जो मुझे जानते पहचानते हैं।
  • 24:57 - 24:58
    वे मेरे चेहरे को जानते हैं। उन्हें मेरे बात करने का अंदाज़ पता है।
  • 24:58 - 24:59
    वो मुझे जानते हैं।
  • 24:59 - 25:02
    तो भले ही वे कोशिश करें मुझे बदनाम करने की, मुझे आशा है कि
  • 25:02 - 25:05
    मेरे कुछ दोस्त कहेंगे कि
  • 25:05 - 25:08
    'मैं लतीफ़ा को जानता हूँ और ये वास्तव में वही है'
  • 25:08 - 25:11
    वैसे भी मैं अपनी बहन मेथा की तरह दिखतीं हूँ।
  • 25:11 - 25:15
    मैं अपने भाई माजिद की तरह दिखतीं हूँ और वे दोनों मशहूर लोग हैं।
  • 25:15 - 25:20
    इसलिए भले ही वे मुझे बदनाम करने की कोशिश करें, मैं मेरे भाई बहन की तरह दिखतीं हूँ।
  • 25:20 - 25:21
    तो..
  • 25:22 - 25:27
    और मैंने अपने पासपोर्ट की प्रतियां भी दी हैं
    और मेरे प्रमाण पत्र वगैरह
  • 25:27 - 25:28
    और हाँ ..
  • 25:28 - 25:32
    मेरा पासपोर्ट मेरे पास नहीं रहता, वो मुझे मेरा पासपोर्ट नहीं देते।
  • 25:32 - 25:35
    मेरा संयुक्त अरब अमीरात पासपोर्ट कभी मेरे पास नहीं रहता।
  • 25:35 - 25:38
    मुझे तो उसकी बस एक कॉपी मिली थी ..
  • 25:39 - 25:40
    अरे मेरा..
  • 25:41 - 25:44
    जब मैंने अपनी जीसीएसई परीक्षा दी थी
  • 25:44 - 25:48
    जेल से छूटने के बाद, मैंने कुछ परीक्षाएँ दी थीं और
    उनके लिए पासपोर्ट प्रतियों की ज़रूरत थी।
  • 25:48 - 25:51
    तब मैंने पासपोर्ट की तस्वीर ली थी
  • 25:51 - 25:56
    और जब मैंने स्काइडाइविंग टैंडम रेटिंग ली थी
  • 25:58 - 26:01
    एफएआई? शायद यह कहा जाता है..उन्हें चिकित्सीय मंजूरी की ज़रूरत होती है
  • 26:01 - 26:04
    और उसके लिए पासपोर्ट की एक प्रति की ज़रूरत होती है
  • 26:04 - 26:05
    तो मैंने अपने पासपोर्ट प्रति की कॉपी बना ली।
  • 26:05 - 26:10
    वे मुझे मेरा पासपोर्ट नहीं देते, लेकिन उन्होंने मुझे मेरे पासपोर्ट की एक प्रति दी थी।
  • 26:10 - 26:12
    तो.. मुझे ड्राइव करने की इजाज़त नहीं है।
  • 26:12 - 26:15
    मैं ना कहीं जा सकती हूँ या दुबई छोड़ सकती हूँ
  • 26:15 - 26:18
    मैं साल 2000 के बाद से देश से बाहर नहीं गयी।
  • 26:19 - 26:23
    मैंने बहुत कोशिश की पढ़ने या कुछ भी सामान्य करने की इजाज़त मिले।
  • 26:23 - 26:26
    पर नहीं।
  • 26:26 - 26:27
    मुझे ..
  • 26:27 - 26:29
    मैं कब बाहर जाती हूँ कब वापस लौटती हूँ ..
  • 26:29 - 26:31
    सब निश्चित समय पर करना होता है।
  • 26:31 - 26:35
    वे .. मेरी माँ को हमेशा यह जानना होता है कि मैं कहाँ हूँ।
  • 26:35 - 26:40
    ड्राइवर मेरे पिता को रिपोर्ट देते हैं, मैं कहाँ जाती हूँ वगैरह।
  • 26:40 - 26:42
    हमारे ड्राइवर चुने हुए होते हैं।
  • 26:42 - 26:44
    ऐसे ही किसी की भी कार में नहीं जा सकते।
  • 26:44 - 26:45
    मुझे ड्राइवर के साथ जाना होता है।
  • 26:45 - 26:47
    ड्राइवर को हमेशा पता रहता है कि मैं कहाँ हूँ।
  • 26:47 - 26:51
    हाँ, तो यही है मेरी ज़िंदगी।
  • 26:51 - 26:52
    बहुत ही प्रतिबंधित।
  • 26:52 - 26:53
    मैं ..
  • 26:53 - 26:55
    मैं भी बिना इजाज़त किसी दूसरे अमीरात तक नहीं जा सकती।
  • 26:55 - 26:56
    नहीं।
  • 26:56 - 26:59
    इसलिए मुझे दुबई में रहना पड़ता है।
  • 27:01 - 27:02
    हाँ।
  • 27:02 - 27:04
    तो हाँ, भले ही वो मुझे बदनाम करने की कोशिश करें,
  • 27:04 - 27:11
    मेरे पास ऐसी बहुत जानकारी है की वो मुझे ख़ारिज नहीं कर सकते।
  • 27:11 - 27:18
    खैर, वे कोशिश करेंगे और फिर खुद ही ख़ारिज कर दिए जाएंगे।
  • 27:18 - 27:20
    तो हाँ, यह मेरा आखिरी वीडियो हो सकता है।
  • 27:21 - 27:22
    मुझे आशा है कि ऐसा नहीं होगा ..
  • 27:22 - 27:24
    मुझे आशा है कि इस वीडियो की मुझे जरूरत ना पड़े।
  • 27:24 - 27:31
    मुझे आशा है कि यह वीडियो सिर्फ नष्ट कर दिया जाए और हम सब ठीकठाक रहें
  • 27:33 - 27:35
    लेकिन इस वीडियो को बनाने की ज़रूरत थी।
  • 27:37 - 27:39
    नहीं पता और क्या कहूँ।
  • 27:42 - 27:46
    तो बाहर आने के बाद मैं आशा करती हूँ कि
  • 27:47 - 27:48
    कि
  • 27:49 - 27:51
    मेरे पास पासपोर्ट हो
  • 27:52 - 27:55
    और मेरे जीवन में निर्णय लेने की आज़ादी हो
  • 27:55 - 27:59
    और मैं जहाँ भी रहूँ शम्सा की मदद कर पाऊँ।
  • 27:59 - 28:02
    मैं कह सकूंगी कि उसे भी उसका पासपोर्ट दो।
  • 28:02 - 28:03
    उसे भी बाहर घूमने दो।
  • 28:03 - 28:05
    मुझसे मिलने दो।
  • 28:05 - 28:05
    और
  • 28:07 - 28:10
    मुझे लगता है कि अपनी और किसी दूसरे की मदद का यही एक रास्ता है।
  • 28:15 - 28:17
    और क्या कहूँ पता नहीं।
  • 28:17 - 28:20
    मैं अपने जीवन में देखी कई चीज़ों के बारे में बता सकती हूँ।
  • 28:23 - 28:32
    जब मैं छः महीने की थी, मेरे पिता की बहन मुझे चाहती थी।
  • 28:32 - 28:34
    तो वह मुझे मेरी माँ से दूर ले गईं।
  • 28:37 - 28:40
    तो ज़िंदगी के पहले दस साल मैंने महल में गुज़ारे
  • 28:40 - 28:42
    यह सोचते हुए कि मेरी चाची ही मेरी माँ हैं
  • 28:42 - 28:45
    और मैं साल में सिर्फ़ एक बार अपनी असली माँ से मिलने जाती थी।
  • 28:45 - 28:47
    मैं वहाँ कभी रात तक नहीं ठहरती थी।
  • 28:47 - 28:49
    सिर्फ़ दिन बिताकर, रात में महल चले जाते थे।
  • 28:51 - 28:54
    और जब मेरा छोटा भाई, तीन महीने का था
  • 28:54 - 28:58
    मेरी माँ ने उसे भी सौंप दिया।
  • 28:59 - 29:03
    खैर, यह स्वैच्छिक था क्योंकि वो मुझे अकेले रहने देना नहीं चाहती थीं,
  • 29:03 - 29:07
    तो उन्होनें मेरे भाई को मुझे सौंप दिया, ताकि हम दोनों साथ रहें।
  • 29:08 - 29:11
    तो हाँ, ज़िंदगी के पहले दस साल मैं एक झूठ जी रही थी
  • 29:11 - 29:14
    बाद में मुझे पता चला कि मैं कौन हूँ और फिर मैं अपनी माँ के साथ रहने चली गयी
  • 29:14 - 29:15
    और मैं अपनी माँ के साथ रहने के लिए झगड़ती थी
  • 29:15 - 29:20
    शम्सा हमारे उसके साथ रहने के लिए लड़ती थी।
  • 29:20 - 29:23
    इसलिए मैंने हमेशा शम्सा को उस व्यक्ति की तरह देखा जिसने मुझे बचाया।
  • 29:24 - 29:27
    इसलिए मैं उसे बचाने की कोशिश कर रही थी, तो ..
  • 29:27 - 29:30
    लेकिन मैं अब तक सफल नहीं हो पायी।
  • 29:34 - 29:37
    ओह! वे शायद ऐसा भी कर सकते हैं।
  • 29:37 - 29:44
    वे शायद शम्सा को विडियो बनाने के लिए मजबूर करें कहलवाएँ कि मैं झूठी हूँ या
  • 29:44 - 29:46
    मुझे बदनाम करने के लिए ऐसा ही कुछ।
  • 29:46 - 29:48
    यकीनन वे ऐसा करने की कोशिश करेंगे ..
  • 29:48 - 29:49
    मैं उन्हें जानती हूँ।
  • 29:49 - 29:50
    बेशक।
  • 29:50 - 29:51
    उसके पास किसी तरह की आज़ादी नहीं है।
  • 29:51 - 29:53
    वह कुछ भी नहीं कर सकती।
  • 29:53 - 29:57
    वह .. अभी वह ..
  • 29:57 - 29:58
    उसके साथ एक मनोचिकित्सक रहता है
  • 29:58 - 30:01
    और वह नर्सों से घिरी रहती है।
  • 30:02 - 30:04
    वे उसके साथ कमरे में रहते हैं जब वह सोती है।
  • 30:04 - 30:06
    और जब जागती है तो नोट्स लेते हैं,
  • 30:06 - 30:08
    कि वो कब सोती है, कब खाना खाती है, क्या खाती है,
  • 30:08 - 30:10
    क्या कहती है, क्या बातचीत करती है,
  • 30:10 - 30:12
    उसे अपने सामने गोलियाँ खिलाते हैं,
  • 30:12 - 30:14
    पक्का करने के लिए कि उसने सारी गोलियाँ ली हैं,
  • 30:14 - 30:16
    दवाएँ उसके दिमाग को क़ाबू करने के लिए,
  • 30:16 - 30:17
    मुझे नहीं पता वो क्या हैं।
  • 30:18 - 30:21
    तो इस तरह उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाता है।
  • 30:21 - 30:24
    और हाँ गर्मियों में एक और बात हुई जो
  • 30:24 - 30:26
    मुझे कहनी चाहिए थी कि
  • 30:29 - 30:33
    शम्सा के पास से कुछ मोबाइल फ़ोन बरामद हुए इसलिए..
  • 30:36 - 30:38
    मेरी माँ और मेरी दूसरी बहन बहुत घबरा गए
  • 30:38 - 30:41
    कि वह फिर से इंग्लैंड में पत्रकारों से संपर्क करने की कोशिश करेगी
  • 30:41 - 30:44
    अपनी परिस्थिति या किसी और बारे में उनसे बात करने के लिए,
  • 30:44 - 30:47
    मेरे पिता की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश में।
  • 30:47 - 30:49
    उन्हें इस बात का डर था।
  • 30:49 - 30:52
    तो इसके बाद उसकी स्थिति और ज़्यादा नियंत्रित हो गयी है।
  • 30:52 - 30:55
    यही कारण है कि अब एक मनोचिकित्सक रखा गया है हमेशा उसके पास रहने के लिए।
  • 30:55 - 30:59
    पहले भी मनोचिकित्सक था लेकिन वह हमेशा उसके साथ नहीं रहता था
  • 30:59 - 31:01
    जैसा अब हो रहा है
  • 31:02 - 31:04
    और चौबीस घंटे उसके साथ रहने वाली नर्सें।
  • 31:04 - 31:08
    ऐसा है जैसे जहाँ वो जाती है एक पिंजड़ा उसके साथ-साथ पीछे चलता है,
  • 31:08 - 31:10
    तो उसके पास कोई .. कोई आज़ादी नहीं है।
  • 31:10 - 31:11
    तो, हाँ मुझे लगता है कि ..
  • 31:11 - 31:14
    वो मुझे लगता है कि उसका इस्तेमाल मुझे ख़ारिज करने के लिए कर सकते हैं।
  • 31:14 - 31:15
    ऐसा हुआ तो देखने लायक होगा
  • 31:16 - 31:18
    क्योंकि..
  • 31:19 - 31:21
    हाँ तो वे उसका इस्तेमाल मुझे ख़ारिज करने के लिए कर सकते हैं।
  • 31:21 - 31:25
    लेकिन वे कभी मुझसे अपने आपको ख़ारिज नहीं करावा पाएंगे क्योंकि
  • 31:25 - 31:27
    वो..
  • 31:28 - 31:30
    मैं ज़िंदा उनके हाथ नहीं लगने वाली
  • 31:32 - 31:34
    ऐसा बिलकुल नहीं होगा।
  • 31:36 - 31:38
    और क्या कहूँ पता नहीं।
  • 31:39 - 31:45
    मेरा मतलब है कि साल 2000 से यानी लगभग दो दशक हो चुके हैं, इस पागलपन को शुरु हुए।
  • 31:46 - 31:50
    अब हम 2018 में हैं, यह सब वाकई सिर घूमा देने वाला था।
  • 31:50 - 31:51
    बहुत से लोग..
  • 31:51 - 31:55
    बहुत से लोगों की ज़िंदगी को चोट पहुंची है,
  • 31:55 - 31:57
    बहुत से लोगों को प्रताड़ित किया गया है,
  • 31:57 - 32:00
    बहुत से लोगों ने जानें गवाईं हैं
  • 32:00 - 32:01
    बहुत कुछ हुआ है...
  • 32:02 - 32:04
    उसने बहुत से कत्लों पर पर्दा डलवाया है
  • 32:04 - 32:06
    मेरे पिता को किसी का डर नहीं।
  • 32:07 - 32:12
    इससे बड़े अपराधी की आप कल्पना नहीं कर सकते हैं।
  • 32:12 - 32:16
    और उनकी छवि एक आधुनिकतावादी की बनाई गयी है
  • 32:16 - 32:19
    यह सब बकवास है।
  • 32:19 - 32:21
    मेरे तीस भाई और बहनें हैं।
  • 32:21 - 32:22
    लेकिन..
  • 32:22 - 32:28
    उनकी सिर्फ ऐसी तस्वीरें डाली जाती हैं और ऐसी सार्वजनिक छवि दिखाई जाती है जैसे वह एक परिवारिक व्यक्ति हो,
  • 32:28 - 32:30
    यह .. सब बकवास है।
  • 32:30 - 32:31
    वो ऐसा नहीं है।
  • 32:31 - 32:32
    यह सिर्फ पी॰आर॰ है।
  • 32:34 - 32:37
    उसका लेबनान में एक बेटा है जिसकी वो कभी सुध नहीं लेता।
  • 32:37 - 32:40
    उसने.. वह उससे शायद एक या दो बार मिला है और तब भी हाथ भर मिलाया था ..
  • 32:40 - 32:43
    जब वह बेटा दुबई आया था।
  • 32:43 - 32:47
    वह .. उपेक्षित रहा है इतनी सारी दूसरी संतानों की तरह।
  • 32:47 - 32:49
    .. वह एक पिता नहीं है।
  • 32:49 - 32:51
    वह सच में, बहुत ही घृणित ,
  • 32:51 - 32:53
    बहुत ही घृणित इंसान है।
  • 33:00 - 33:01
    हाँ,
  • 33:02 - 33:07
    जिस तरह से उसने अपनी ज़िंदगी गुज़ारी है और दूसरों से उसका व्यवहार रहा है
  • 33:10 - 33:16
    वह वैसा नहीं है जैसा मीडिया दिखाता है, उसका खुदका मीडिया।
  • 33:16 - 33:18
    दुबई में याद रखें, मीडिया पूरी तरह नियंत्रित किया जाता है
  • 33:20 - 33:22
    और लगभग पूरे मध्यपूर्व में भी।
  • 33:26 - 33:27
    और समझ नहीं आता कि क्या कहूँ।
  • 33:29 - 33:32
    मुझे लगता है कि अगर इस कोशिश में मेरी जान जाती है
  • 33:32 - 33:34
    या अगर मैं जीवित बाहर नहीं आ पाती तो कम से कम एक वीडियो तो रहेगा।
  • 33:34 - 33:41
    यह दुख़ की बात है कि सब इस हद तक आ चुका है की मुझे एक वीडियो बनाना पड़ा, लेकिन यह ज़रूरी है।
  • 33:42 - 33:44
    और क्या कहूँ पता नहीं।
  • 33:45 - 33:48
    सोचने की कोशिश कर रही हूँ,
  • 33:49 - 33:53
    और क्या मैं अपने जीवन के बारे में बता सकती हूँ।
  • 33:57 - 34:01
    पता नहीं और क्या कहूँ ।
  • 34:03 - 34:09
    मुझे आशा है कि इस विडियो की मुझे ज़रूरत ना पड़े।
  • 34:09 - 34:14
    और लग रहा है मुझे इसकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
  • 34:14 - 34:18
    मैं भविष्य के बारे में सकारात्मक महसूस कर रहीं हूँ
  • 34:18 - 34:23
    और मैं महसूस कर रही हूँ जैसे कि यह एक नयी शुरुआत है।
  • 34:23 - 34:30
    यह शुरुआत है मेरे द्वारा अपने जीवन का जिम्मा लेने की .. मेरी स्वतंत्रता, निर्णय की स्वतंत्रता।
  • 34:30 - 34:33
    मुझे इसके इतना आसान होने की उम्मीद नहीं है, कुछ भी आसान नहीं होता है,
  • 34:33 - 34:38
    लेकिन मुझे आशा है यह मेरे जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत होगी
  • 34:38 - 34:42
    जिसमें मेरी आवाज़ का कोई महत्व होगा
  • 34:42 - 34:46
    जहाँ मुझे खामोश नहीं किया जा सकेगा
  • 34:46 - 34:49
    और मैं अपने बारे बात कर सकूँगी, और शम्सा के बारे में बात कर पाऊँगी।
  • 34:49 - 34:52
    बता पाऊंगी की हमारे साथ क्या कुछ हुआ।
  • 34:56 - 35:01
    हाँ, मैं उस कल की राह देख रही हूँ।
  • 35:04 - 35:06
    हाँ, मैं नहीं जानती,
  • 35:07 - 35:13
    मुझे नहीं पता की वो सुबह कैसी होगी
  • 35:13 - 35:14
    जब मैं जागकर सोच सकूँगी..
  • 35:14 - 35:15
    कि मैं जो चाहूँ आज कर सकती हूँ।
  • 35:15 - 35:17
    जहाँ चाहूँ जा सकती हूँ।
  • 35:17 - 35:20
    मेरे पास दुनिया के वे सभी विकल्प हैं जो दूसरों के पास हैं।
  • 35:22 - 35:24
    कितना अलग और नया अनुभव होगा।
  • 35:25 - 35:27
    वह अद्भुत होगा।
  • 35:27 - 35:28
    मैं इसके लिए तत्पर हूँ।
  • 35:31 - 35:33
    एक देश में फंसे होकर आप एक हद तक ही कुछ कर सकते हैं
  • 35:33 - 35:35
    और वो भी इन बंधनों के साथ।
  • 35:35 - 35:37
    एक आम इंसान क्या कर सकता है उसकी कुछ सीमाएँ हैं।
  • 35:37 - 35:44
    मैं आशावान हूँ आने वाले समय के लिए, शम्सा के अच्छे जीवन लिए।
  • 35:44 - 35:47
    ऐसा बहुत कुछ है जिसके लिए मैं आशावान हूँ।
  • 35:51 - 35:59
    हाँ, मुझे वाकई लगता है कि यह मेरे जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत है।
  • 35:59 - 36:06
    मेरे दुबई में रहने की कोई वजह नहीं बची है।
  • 36:06 - 36:08
    मेरे यहाँ वापस आने की कोई वजह नहीं बची है।
  • 36:08 - 36:11
    मेरे आसपास ऐसे लोग हैं जिन्हें में मैं प्यार करती हूँ, लेकिन वे मुझसे मिलने आ सकते हैं।
  • 36:11 - 36:16
    जैसे मेरे परिवार में कुछ लोग हैं, दोस्त हैं जिनकी मुझे परवाह है,
  • 36:16 - 36:18
    मैं जहाँ भी रहूँ वे मुझसे मिलने आ सकते हैं।
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    और एक मुश्किल यह भी है कि मैं कल कहाँ जाऊँगी इसका भी पता नहीं।
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    मुझे..
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    मुझे नहीं पता मैं कहाँ रहूँगी।
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    नहीं पता .. मैं कहाँ रह सकती हूँ।
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    मुझे कुछ भी पता नहीं है।
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    मैं नहीं जानती मैं कहाँ जा रही हूँ।
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    हम नहीं जानते।
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    मैं जानती हूँ मैं कहाँ ठहरूँगी।
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    जानती हूँ कहाँ थोड़ी देर के लिए ठहरना होगा, लेकिन आख़िर में मैं कहाँ पहुँचूँगी इसका नहीं पता।
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    एक तरह से अच्छा ही है।
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    सभी विकल्प जो मेरे पास होंगे।
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    हाँ .. क्या मैं कहीं कुछ भूल तो नहीं गयी?
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    और किस बारे में बात करूँ?
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    क्या उन सभी हत्याओं के बारे में बात करूँ?
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    या उन अत्याचारों के बारे में जो मैंने देखे हैं?
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    किस बारे में बात करूँ?
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    मैं और क्या बताऊँ नहीं जानती
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    क्योंकि वो एक बहुत ही लंबी कहानी होगी।
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    मुझे नहीं पता।
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    पता होना चाहिए मुझे, हैं ना?
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    वो कई जानों के जाने के लिए ज़िम्मेदार है।
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    वो एक बहुत बड़ा अपराधी है।
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    यहाँ कोई न्याय नहीं है।
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    उन्हें कोई परवाह नहीं है, खासकर यदि आप एक महिला हैं, आपके जीवन के कोई मायने नहीं।
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    उन्हें कोई परवाह नहीं है।
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    यहाँ तक कि उसने सबूत छिपाने के लिए घरों तक को जला दिया है।
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    घरों को जलाकर राख़ कर दिया।
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    वह पागल इंसान है।
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    मुझे लगता है कि समय आ गया है कि वह अपने किए का अंजाम भुगते।
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    ऐसा होगा।
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    उसे अंजामों का सामना करना ही होगा।
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    मेरे साथ वो क्या करता है, यातनाएँ ..
    सब कुछ, मैं उससे नहीं डरती।
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    मुझे उससे कोई डर नहीं।
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    वह दयनीय है
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    दयनीय इंसान।
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    और वह अपने किए का अंजाम भुगत कर रहेगा, उसने जो कुछ किया है
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    न सिर्फ मेरे साथ, लेकिन हर किसी के साथ।
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    उसे परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
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    हाँ।
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    तो, मुझे नहीं लगता मेरे पास अब कहने के लिए ज़्यादा कुछ है।
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    उम्मीद है, मुझे इस वीडियो की जरूरत नहीं होगी।
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    और कोई अंतिम शब्द ..
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    कोई आख़िरी अल्फ़ाज़ ..
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    मेरे सभी दोस्तों को मेरा आभार, और उन लोगों का जिन्होनें मेरी परवाह की
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    और मेरे .. परिवार के उन सदस्यों को जिन्हें मेरी परवाह रही,
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    आपको पता है कि आप कौन हैं,
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    तुम सबने भले ही मेरी परवाह ना की हो, लेकिन आप में से कुछ ने की।
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    उन लोगों को मेरा धन्यवाद।
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    और अगर मैं यहाँ से बाहर नहीं निकल पाती,
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    मुझे आशा है कि इस सबसे एक अच्छा बदलाव आ पाएगा।
  • 39:33 - 39:35
    ठीक है।
Title:
Video statement of Sheikha Latifa Bint Mohammed bin Rashid Al Maktoum (II)
Description:

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Video Language:
English
Duration:
39:37

Hindi subtitles

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