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हैंस रोस्लिंग गरीबी की समस्या पर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं

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    मैनें आपको पिछले साल तीन बातें बताई थीं।
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    मैने कहा था कि दुनिया के बारे में सांख्यिकीय जानकारी
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    सही ढंग से उपलब्ध नहीं कराई गयी है।
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    इस कारण से, हम अभी तक पुरानी सोच रखते हैं,
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    विकासशील और औद्योगिक देशों के बारे में, जो कि गलत है।
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    और यह कि जीवंत चित्रों के ज़रिये इन्हें बेहतर दिखाया जा सकता है।
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    चीजें बदल रही हैं।
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    और आज, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी विभाग के होमपेज पर,
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    ये लिखा है कि, १ मई तक, सारी जानकारियाँ मुक्त रूप से उपलब्ध होंगी।
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    (अभिवादन)
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    अगर मैं आपको स्क्रीन पर तस्वीर दिखा सकता।
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    तो, तीन बातें होती ।
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    संयुक्त राष्ट्र ने अपने आंकडे साझा कर दिये हैं,
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    और इस साफ़्टवेयर का नया प्रारूप आ गया है
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    इंटरनेट पर, बीटा रूप में,
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    जिससे कि आप को इसे डाउनलोड भी नहीं करना पड़े।
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    और अब मैं दोहराता हूँ आपने जो पिछले साल देखा था।
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    ये गोले देशों को दर्शाते हैं।
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    यहाँ है इनकी - पैदावार दर - प्रति स्त्री बच्चों की संख्या --
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    और यहाँ है उम्र के वर्ष।
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    ये है १९५० का साल - और ये थे औद्योगिक देश,
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    ये थे विकासशील देश।
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    और उस समय 'हम' और 'वो' का फ़र्क था।
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    विश्व में बहुत असमानतायें थीं।
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    पर फ़िर वो बदल गया, और काफ़ी ठीक तरह से बदला।
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    और फ़िर ऐसा कुछ हुआ।
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    आप देख रहे हैं कैसे चीन एक बडा लाल गोला है;
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    और ये नीला वाला भारत है।
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    और ये सब हो रहा है .... इस साल मैं कोशिश करूँगा
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    थोडा संजीदा हो कर आपको दिखा सकूँ
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    कि असल में बदलाव आया कैसे।
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    और ये है अफ़्रीका, जो कि एक समस्या की तरह यहाँ नीचे पडा है, है न?
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    अभी भी बड़े परिवार, और एच.आई.वी. का प्रकोप
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    से नीचे जाते देश जैसे ये।
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    और पिछले साल हमने लगभग यही देखा था,
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    और आगे भविष्य में ये कुछ ऐसा दिखेगा।
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    और मैं ये बात करूँगा कि क्या ऐसा संभव है?
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    क्योंकि आप देखिये, यहाँ मैं वो आँकडे पेश कर रहा हूँ जो असली नहीं हैं।
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    क्योंकि ये है, जहाँ हम असल में हैं।
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    क्या ऐसा संभव है कि ये हो जाये?
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    मैं यहाँ अपने सारे जीवन की बात करूँगा।
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    और मैं सोचता हूँ कि मैं लगभग सौ साल जिऊँगा।
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    और हम यहाँ है अभी।
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    और आइये देखते हैं कि दुनिया की आर्थिक स्थिति कैसी है।
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    और इसे हम बच्चों की मृत्यु के अनुपात में देखेंगे।
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    आइये अब धुरियाँ बदलते हैं:
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    यहाँ है बच्चों की मृत्यु दर --- यानि --- जीवन ---
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    यहाँ चार बच्चे मरते हैं, यहाँ २०० मरते हैं।
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    और ये है प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. (सकल घरेलू उत्पाद) इस धुरी पर।
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    और ये था सन २००७.
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    और अगर हम समय में वापस चलें, मैने कुछ ऐतिहासिक आँकडे जोडे हैं --
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    यहाँ हम चलते है, चलते है, --- १०० साल पहले के ज्यादा आँकडे है नहीं।
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    कुछ देशों में तब भी थे आँकडे।
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    और हम गहरे जाते है,
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    और अब हम आ चुके है सन १८२० में,
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    केवल आस्ट्रिया और स्वीडन के पास ही आँकडे हैं।
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    (हँसी)
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    और ये लोग बहुत नीचे थे, प्रति व्यक्ति करीब १००० डॉलर प्रति वर्ष पर।
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    और लगभर एक-बटा-पाँच बच्चे अपनी पहली सालगिरह भी नहीं देख पाते थे।
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    तो ये है सारे विश्व में जो हो रहा है, एक साथ पूरे विश्व को चलाने पर।
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    कैसे धीरे धीरे उनकी समृद्धि बढती गयी,
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    और कैसे उन्होंने आँकडे जोडे।
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    क्या यह बढिया नहीं लगता जब आँकडे आ जाते है?
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    इसका महत्व देखा आपने?
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    और यहाँ, बच्चे लम्बे समय तक नहीं जीते।
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    पिछली शताब्दी, १८७०, बच्चों के लिये यूरोप में अच्छी नहीं थी,
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    क्योंकि ये आँकडे ज्यादातर यूरोप से ही हैं।
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    शताब्दी ख्त्म होने तक का समय लगा
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    ९०% से ज्यादा बच्चों को एक साल से ज्यादा जीवित रख पाने में।
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    ये भारत उभर रहा है, पहले आँकडॆ आये हैं भारत से।
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    और ये है अमरीका, दूर जाते हुए, और पैसे कमाते हुए।
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    और अभी दिखेगा चीन बिलकुल सुदूर कोने में।
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    और ये माओ-त्से-संग के स्वास्थ के साथ ऊपर उठता है,
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    लेकिन रईस नहीं होता।
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    फ़िर उनकी मृत्यु होती है, और डेंग जिआओपिंग पैसे लाते हैं,
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    और ये यहाँ आ जाता है।
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    और गोले ऊपर वहाँ हिलते रहते हैं,
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    और ये है जैसा कि आज विश्व दिख रहा है।
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    (अभिवादन)
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    चलिये अमरीका पर एक नज़र डालते हैं।
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    मेरे पास एक तरीका है -- मै दुनिया से कह सकता हूँ, "यहीं रुक जाओ।"
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    और मैं अमरीका पर केंद्रित होता हूँ -- हम अभी भी इसका प्रारूप देखना चाहते हैं --
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    इन्हें मैं ऐसे लगा देता हूँ, और फ़िर हम समय में वापस जाते हैं।
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    और हम देख सकते हैं कि अमरीका
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    बिलकुल दाहिनी तरफ़ चला गया है।
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    और वो पूरे समय ज्यादा पैसे की तरफ़ हैं।
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    और १९१५ में, यहाँ अमरीका भारत का पडोसी था --
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    आज के भारत का।
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    और इसका मतलब है कि वो ज्यादा रईस था,
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    लेकिन वहाँ बच्चों की मौत आज के भारत के मुकाबले ज्यादा थी।
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    और ये देखिये -- आज के फ़िलिपींस के मुकाबले।
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    आज के फ़िलिपींस की वहीं स्थिति है
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    जो कि अमरीका की पहले विश्व-युद्ध के समय थी।
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    मगर हमें अमरीका को आगे लाना होगा
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    अमरीका के स्वास्थ को पहुँचाने के लिये,
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    फ़िलिपींस के स्वास्थ तक।
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    करीब १९५७ में, अमरीका का स्वास्थ
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    फ़िलिपींस के बराबर आ गया है।
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    और यही है इस दुनिया की करामात जिसे कई लोग वैश्वीकरण कहते है कि,
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    एशिया, अरब देश, लेटिन अमरीका
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    आगे हैं स्वस्थ और शिक्षित
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    मानव संसाधनों में, बजाय आर्थिक रूप के।
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    और एक गडबड सी है आज जो हो रहा है, उसमें
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    खासकर उभरती अर्थ-व्यवस्थाओं में।
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    वहाँ सामाजिक लाभ, और सामाजिक प्रगति,
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    वित्तीय प्रगति से आगे निकल रही है।
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    और १९५७ में -- अमरीका का वित्तीय स्वास्थ आज के चिली जैसा था।
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    और अमरीका को हमें कितना आगे लाना होगा
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    चिली के आज के स्वास्थ के बराबर आने के लिये?
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    मेरे हिसाब से हमें वहाँ जाना होगा - २००१, २००२ ---
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    और अमरीका के पास वही स्वास्थ है जो चिली के पास है।
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    चिली आगे बढ रहा है।
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    कुछ दिनों मे चिली के पास बच्चों के जीने की बेहतर संभवनायें होंगी
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    अमरीका के मुकाबले।
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    ये बहुत बडा बदलाव है, कि आप के पास
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    तीस से चालीस साल का फ़र्क है स्वास्थ के मामले में।
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    और स्वास्थ के बाद है शिक्षा।
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    और बहुत सारी चीजें हैं मूलभूत सुविधाओं के बारे में,
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    और मानव संसाधनों के बारे में।
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    अब इसे हटा देते हैं---
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    और मैं आपको दिखाना चाहता हूँ
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    इस बदलाव की गति, इस की दर, कि कितना तेज सब हुआ है
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    हम वापस जाते हैं १९२० में, और मैं जापान को देखना चाहता हूँ।
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    और अमरीका और स्वीडन को।
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    यहाँ मैं एक दौड दिखाना चाहता हूँ
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    इस पीले सी फ़ोर्ड और
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    इस लाल टोयोटा के बीच,
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    और इस भूरी से वोल्वो के बीच।
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    (हँसी)
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    और ये हम चलते हैं,
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    टोयोटा ने शुरुवात अच्छी नहीं रखी है, आप देख सकते हैं,
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    और अमरीका की फ़ोर्ड रोड के बाहर आ रही है।
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    और वोल्वो अभी भी ठीक कर रही है।
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    ये लडाई का वक्त आ गया है। टोयोटा रास्ते से बाहर हो गयी है, और अब
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    टोयोटा फ़िर से स्वीडन के स्वास्थ की तरफ़ आ रही है ---
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    आप देख रहे हैं?
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    और वो स्वीडन से आगे निकल रहे हैं,
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    और अब वो स्वीडन से ज्यादा स्वस्थ हैं।
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    यहाँ पर वोल्वो को मैं बेच देता हूँ, और टोयोटा खरीद लेता हूँ।
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    (हँसी)
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    और अब हम देख सकते हैं कि किस महान गति से जापान आगे बढ रहा है।
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    और वो रेस में वापस आ चुके हैं।
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    और ये भी बदल रहा है।
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    हमें कई पीढियों पर नज़र डालनी होगी इसे समझने के लिये।
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    और मैं आपको अपने परिवार का ही इतिहास दिखाता हूँ ---
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    हमने ये कुछ ग्राफ़ बनाये हैं।
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    और फ़िर वही बात है, यहाँ नीचे पैसे, और वहाँ स्वास्थ, है न?
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    और ये है मेरा परिवार।
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    ये स्वीडन है, १८३० मे, जब मेरे परदादा की दादी का जन्म हुआ था।
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    स्वीडन तब सियरा लियोन की तरह था।
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    और ये है जब मेरी परदादी पैदा हुई थी, १८६३।
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    और तब स्वीडन मोज़ाम्बिक की तरह था।
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    और ये है जब मेरी दादी पैदा हुयी, १८९१।
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    और उन्होंने मुझे बचपन में पाला था,
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    तो मैं अब सांख्यिकी के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ --
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    ये मेरे परिवार का मौखिक इतिहास है।
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    और मैं आँकडों में तभी विश्वास करता हूँ
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    जब मेरी दादी उन्हें सही करार देती हैं।
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    (हँसी)
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    मेरे ख्याल से इतिहास के आँकडों को प्रमाणित करने का यह सबसे बेहतर तरीका है।
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    स्वीडन घाना के जैसा था।
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    ये विशाल अनेकता बहुत ही रोचक है
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    सह-सहारन अफ़्रीका के अंदर।
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    मैनें आपको पिछले साल बताया था, और मैं अब फ़िर बता रहा हूँ,
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    मेरी माँ मिश्र में पैदा हुई थी, और मैं -- मैं क्या हू?
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    मैं अपने परिवार का मैक्सिकन हूँ।
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    और मेरी बेटी, वो तो चिली में पैदा हुई थी।
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    और मेरी पोती सिंगापुर में,
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    जो कि पृथ्वी की सबसे स्वस्थ जगह है।
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    इस ने स्वीडन को करीब तीन साल पहले पछाड दिया,
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    बच्चों के जीने की बेहतर संभावना के साथ।
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    मगर वो बहुत छोटी जगह है।
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    वो अस्पताल के इतने नज़दीक होते हैं कि
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    हम उनसे तेज इन जंगलों में नहीं जा सकते।
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    (हँसी)
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    मगर जो है सो है,
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    तो सिंगापुर ही बेहतर है, कम से कम इस वक्त।
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    ये बड़ी अच्छी कहानी जैसा लगता है।
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    मगर ये सच में उतना आसान नहीं है;
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    क्योंकि अब आपको एक और खासियत दिखाना चाहता हूँ।
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    हम किसी एक रंग को किसी खास बात से जोड सकते हैं --
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    देखिये मैं क्या चुन रहा हूँ?
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    कार्बन-डाई-आक्साइड का निकास, टनों मे, प्रति व्यक्ति।
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    ये है १९६२, और अमरीक करीब १६ टन प्रति व्यक्ति छोड रहा है।
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    और चीन ०.६,
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    और भारत ०.३२ टन प्रति व्यक्ति।
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    और अब क्या होगा जब हम आगे बढेंगे?
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    देखिये, अब आप देख रहे है अच्छी कहानी रईस होने की
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    और स्वस्थ होने की --
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    सबने इसे अपना कार्बन डाई आक्साइड रिसाव बढा कर पूरा किया है।
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    आज तक ये किसी ने किया है।
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    और हमारे पास ताजा आँकडे भी नही है
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    क्योंकि ये आजकल काफ़ी कीमती जानकारी है।
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    और ये है , सन २००१।
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    और एक विचार-गोष्ठी जो मैनें संसार के प्रख्यात नेताओं के साथ की थी,
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    उसमें सबने कहा, कि समस्या है उभरती हुई अर्थ-व्यवस्थायें,
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    वो बहुत ज्यादा कार्बन डाई आक्साइड छोड रही हैं।
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    भारत के पर्यावरण मंत्री ने कहा,
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    "असल मे, आप लोगों ने ही समस्या को जन्म दिया है।"
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    ओ.ई.सी.डी. देश -- मतलब ऊँची कमाई वाले देश ---
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    उन्होंने ने ही पर्यावरण में बदलाव किया है।
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    "मगर हम आप को क्षमा करते है, क्योंकि आपको नहीं पता था।
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    अब से हम प्रति व्यक्ति गणना करेंगे।
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    अब से हम प्रति व्यक्ति ही गणना करेंगे।
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    और हर कोई इस प्रति व्यक्ति रिसाव के लिये जिम्मेदार होगा।"
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    ये आपको दिखाता है, कि हमने ढंग की आर्थिक तरक्की
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    और स्वास्थ तरक्की नहीं की है, दुनिया में कहीं भी
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    पर्यावरण को दूषित किये बिना।
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    और यही है जिसे बदलना होगा।
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    मेरी आलोचना हो सकती है आपको दुनिया का सकारात्मक रूप दिखाने के लिये,
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    मगर मुझे लगता है कि मैं सही हूँ।
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    विश्व असल में काफ़ी गडबड जगह है।
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    इसे हम कहते है डॉलर स्ट्रीट।
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    हर कोई इसे गली में रहता है।
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    ये यहाँ जो कमाते हैं -- किस नंबर में वो रहते हैं --
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    और वो कितना प्रति दिन कमाते हैं।
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    ये परिवार प्रति दिन करीब एक डॉलर कमाई करते हैं।
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    हम इस गली में आगे बढते हैं,
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    यहाँ हमें एक परिवार मिलता है जो करीब ३ डॉलर प्रतिदिन कमाता है।
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    और फ़िर हम यहाँ आते है -- हमें गली का पहला बगीचा दिखता है,
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    और वो करीब १० से ५० डॉलर प्रतिदिन कमाते हैं।
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    और वो रहते कैसे हैं?
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    अगर हम बिस्तरों को देखें, तो पायेंगे
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    कि ये फ़र्श पर पडी दरी पर सोते हैं।
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    ये है गरीबी की रेखा --
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    ८० प्रतिशत पारिवारिक कमाई केवल बिजली और
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    खाने की समस्या निपटाने में चली जाती है।
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    ये है दो से पाँच डॉलर की स्थिति, जहाँ आपके पास बिस्तर है।
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    और यहाँ एक बेहतर बेडरूम है, आप देख सकते हैं।
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    मैनें आइकिया में इस पर लेक्चर दिया था, और वो इसे देखना चाहते थे
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    ये सोफ़ा जल्दी से लग जाये।
  • 11:05 - 11:07
    (हँसी)
  • 11:07 - 11:11
    और ये सोफ़ा, अब ये यहाँ से कैसे आगे बढेगा।
  • 11:11 - 11:14
    और रोचक बात ये है , कि जब आप इसमें आगे बढेंगे,
  • 11:14 - 11:16
    तो आप देखेंगे कि ये परिवार अभी भी फ़र्श पर ही बैठा है,
  • 11:16 - 11:18
    जब कि यहाँ सोफ़ा है।
  • 11:18 - 11:20
    अगर आप रसोई देखेंगे, तो आप पायेंगे कि
  • 11:20 - 11:25
    औरतों के जीवन में बदलाव महज दस डॉलर में नहीं आता।
  • 11:25 - 11:27
    वो आता है इस से आगे, जब आप
  • 11:27 - 11:30
    परिवार के लिये अच्छी कार्य-स्थितियाँ पैदा कर सकें।
  • 11:30 - 11:32
    और अगर सच में फ़र्क देखना है,
  • 11:32 - 11:34
    तो आप टायलट देखें।
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    ये बदल सकता है।
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    ये तस्वीरें अफ़्रीका की हैं,
  • 11:39 - 11:41
    और ये बेहतर हो सकती हैं।
  • 11:42 - 11:44
    हम गरीबी से बाहर निकल सकते हैं।
  • 11:44 - 11:47
    मेरा अपना शोध आई.टी. या इस से जुडी विधा में नहीं है।
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    मैने २० साल बिताये हैं अफ़्रीकन किसानों से बातचीत करते हुये,
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    जो कि भुखमरी के कगार पर हैं।
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    और ये परिणाम है किसानों की ज़रूरत पर किये गये शोध का।
  • 11:55 - 11:57
    इस में आप को ये नहीं पता लगेगा कि
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    आखिर शोधकर्ता कौन हैं।
  • 11:59 - 12:02
    तब ही जा कर शोध वास्तव में समाज में काम कर सकता है --
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    आप को सच में लोगों के साथ रहना होता है।
  • 12:06 - 12:10
    जब आप गरीबी से जूझ रहे होते है, बात जिंदगी-मौत की होती है।
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    खाना खा पाने का सवाल होता है।
  • 12:12 - 12:14
    और ये युवा किसान, अब ये लड़कियाँ हैं --
  • 12:14 - 12:18
    क्योंकि माता-पिता एच.आई.वी और एड्स के शिकार हो चुके हैं --
  • 12:18 - 12:20
    वो एक प्रशिक्षित कृषि-अर्थ-शास्त्री से विमर्श कर रही हैं।
  • 12:20 - 12:24
    ये मालावी से सबसे माने हुए विद हैं, जनताम्बे कुम्बिरा
  • 12:24 - 12:26
    और ये विमर्श कर रहे है, कि किस तरह के कसावा इन्हें लगाने चाहिये --
  • 12:26 - 12:30
    धूप को भोजन में बदलने में माहिर पौधे।
  • 12:30 - 12:33
    और वो बहुत ही ज्यादा उत्सुक हैं सलाह पाने के लिये,
  • 12:33 - 12:36
    और गरीबी में भी जिंदा रह पाने में।
  • 12:36 - 12:37
    ये एक संदर्भ है।
  • 12:37 - 12:39
    गरीबी से बाहर आना।
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    एक औरत ने हम से कहा, "हमें तकनीकों की ज़रूरत है।
  • 12:42 - 12:45
    हमें इस कंक्रीट से घृणा है, घंटों खडे रहना पसंद नहीं।
  • 12:45 - 12:48
    हमें एक चक्की दें जिस से कि हम अपना आटा पीस सकें,
  • 12:48 - 12:51
    इस से हम अपने खर्चे उठा सकेंगे।"
  • 12:51 - 12:54
    तकनीक आपको गरीबी से बाहर निकाल सकती है,
  • 12:54 - 12:58
    मगर गरीबी से बाहर आने के लिये एक बाज़ार की ज़रूरत है।
  • 12:58 - 13:01
    ये औरत बहुत खुश है, क्योंकि ये अपने उत्पाद को मार्केट तक पहुँचा सकती है।
  • 13:01 - 13:03
    मगर ये धन्यवाद देती है स्कूलों में खर्च हुये सरकारी धन का
  • 13:03 - 13:06
    जिस से इसने गिनती सीखी, और इसे अब बाज़ार में कोई धोखा नहीं दे सकता।
  • 13:06 - 13:09
    ये चाहती है कि इस का बच्चा स्वस्थ रहे, जिस से कि ये बाजार जा सके
  • 13:09 - 13:11
    और इसे घर पर न रहना पडे।
  • 13:11 - 13:14
    और उसे एक ढाँचा चाहिये -- पक्की सड़क तो चाहिये ही
  • 13:14 - 13:16
    साथ ही ऋण भी चाहिये।
  • 13:16 - 13:19
    लघु-ऋण से उसे साइकिल मिली, पता है आपको?
  • 13:19 - 13:22
    और ताजा जानकारी से पता लगेगा कि उसे कब बाजार जाना चाहिये और क्या ले कर।
  • 13:22 - 13:24
    आप ये कर सकते हैं
  • 13:24 - 13:27
    मेरा अफ़्रीका का २० साल का अनुभव ये कहता है कि
  • 13:27 - 13:30
    जो असंभव सा लगता है, वो संभव है।
  • 13:30 - 13:32
    अफ़्रीका ने कुछ गलती नहीं की है।
  • 13:32 - 13:35
    पचास सालों में वो पुरातन स्थितियों से आगे आ कर
  • 13:35 - 13:38
    करीब १०० साल पहले के यूरोप जितनी तरक्की कर चुके हैं,
  • 13:38 - 13:41
    सही रूप से कार्य कर रहे राष्ट्र सरकार के साथ|
  • 13:41 - 13:44
    मेरे ख्याल से सह-सहारन अफ़्रीका ने विश्व में सबसे ज्यादा तरक्की की है,
  • 13:44 - 13:45
    पिछले पचास सालों में।
  • 13:45 - 13:47
    क्योंकि हम ये भूल जाते हैं कि इन्होंने यात्रा शुरु कहाँ से की।
  • 13:47 - 13:50
    ये जो वेवकूफ़ाना तर्क है विकासशील देश नाम का,
  • 13:50 - 13:53
    जो कि हमें, और अर्जेंटीना और मोजाम्बिक को पचास साल पहले एक ही जगह रख देता है,
  • 13:53 - 13:55
    और कहता है कि मोजाम्बिक नें उतनी तरक्की नहीं की।
  • 13:56 - 13:58
    हमें दुनिया के बारे में और समझना पडेगा।
  • 13:58 - 14:01
    मेरा एक पडोसी है जो कि २०० तरह की वाइन के बारे में जानता है।
  • 14:01 - 14:02
    उसे सब पता है।
  • 14:02 - 14:04
    उसे हर अंगूर का नाम, तापमान, और बाकी सब पता है।
  • 14:04 - 14:07
    और मुझे दो ही तरह की वाइन पता है - रेड वाइन, और वाइट वाइन।
  • 14:07 - 14:09
    (हँसी)
  • 14:09 - 14:11
    मगर मेरे पडोसी को सिर्फ़ दो तरह के देशों के बारे में पता है --
  • 14:11 - 14:13
    औद्योगिक और विकासशील।
  • 14:13 - 14:16
    और मुझे करीब २०० तरह के देश पता है, और मुझे आंकड़े पता हैं।
  • 14:16 - 14:17
    मगर आप ऐसा कर सकते हैं।
  • 14:17 - 14:22
    (अभिवादन)
  • 14:22 - 14:24
    मगर अब संजीदा होना पडेगा। और संजीदा कैसे हों?
  • 14:24 - 14:26
    ज़ाहिर है, पावर-पाइंट बना कर, है न?
  • 14:26 - 14:31
    (हँसी)
  • 14:31 - 14:33
    ऑफ़िस पैकेज को धन्यवाद, है न?
  • 14:35 - 14:37
    ये क्या है, मैं आखिर बता क्या रहा हूँ?
  • 14:37 - 14:40
    मैं ये बता रहा हूँ कि विकास के कई पहलू हैं।
  • 14:40 - 14:42
    हर कोई आपकी प्यारी चीज चाहता है।
  • 14:42 - 14:45
    अगर आप कार्पोरेट सेक्टर में है, तो आपको लघु-ऋण पसंद आयेंगे।
  • 14:45 - 14:47
    अगर आप गैर-सरकारी संस्था में लड़ाई लड़ रहे हैं,
  • 14:47 - 14:50
    तो आपको स्त्री-पुरुष की बराबरी पसंद होगी।
  • 14:50 - 14:52
    और अगर आप शिक्षक है, तो आप को यूनेक्सो पसंद होगा, वगैरह।
  • 14:52 - 14:54
    पूरे विश्व के हिसाब से, हमें हमारी पसंदीदा चीज से आगे जाना होगा।
  • 14:54 - 14:56
    हमें असल में सब कुछ चाहिये।
  • 14:56 - 14:58
    ये सारी चीजें विकास के लिये जरूरी हैं,
  • 14:58 - 15:00
    खासकर जब आप गरीबी से लडाई की बात करती हैं,
  • 15:00 - 15:03
    और आपको सर्व-कल्याण की तरफ़ जाना है।
  • 15:03 - 15:05
    अब हमें क्या सोचने की ज़रूरत है
  • 15:05 - 15:08
    कि विकास का लक्ष्य आखिर है क्या,
  • 15:08 - 15:09
    और विकास का अर्थ क्या है?
  • 15:09 - 15:12
    मुझे बताने दीजिये कि 'सबसे ज़रूरी' का क्या अर्थ है?
  • 15:13 - 15:15
    पब्लिक-स्वास्थ का प्रोफ़ेसर होने के नाते, आर्थिक सुधार मेरे लिये
  • 15:15 - 15:19
    सबसे महत्वपूर्ण है विकास के लिये,
  • 15:19 - 15:21
    क्योंकि इस से ८०% प्रतिशत लोगों के जीने के बारे में है।
  • 15:22 - 15:25
    शासन प्रणाली. सरकार के चलने के लिये --
  • 15:25 - 15:29
    इसी ने कैलीफ़ोर्निया को १८५० से संकट से बाहर निकाला था।
  • 15:29 - 15:32
    कानून का राज आखिर कार सरकार ने ही लागू किया था।
  • 15:33 - 15:35
    शिक्षा, मानव-संसाधन भी ज़रूरी है।
  • 15:35 - 15:39
    स्वास्थ जरूरी है, मगर एक ज़रिये के रूप में शायद नहीं।
  • 15:39 - 15:41
    पर्यावरण महत्वपूर्ण है।
  • 15:41 - 15:43
    मानवाधिकार भी ज़रूरी है, मगर उसे थोडे कम नंबर मिले हैं।
  • 15:43 - 15:46
    लेकिन लक्ष्य क्या है? हम कहाँ जा रहे हैं?
  • 15:46 - 15:48
    हम पैसे में रुचि नहीं रखते।
  • 15:48 - 15:49
    पैसा लक्ष्य नहीं है।
  • 15:49 - 15:52
    वो बहुत बढिया साधन है, मगर लक्ष्य के रूप में उसे जीरो मिलता है।
  • 15:53 - 15:56
    शासन-प्रणाली, ठीक है, वोट देना थोडा सा मजेदार है,
  • 15:56 - 15:58
    मगर ये भी लक्ष्य नहीं है।
  • 15:58 - 16:02
    और स्कूल जाना, नहीं वो भी लक्ष्य नहीं, बल्कि एक साधन है।
  • 16:02 - 16:04
    स्वास्थ को मैं दो नंबर दूँगा। स्वस्थ होना तो अच्छा है न।
  • 16:04 - 16:06
    खासकर मेरी उम्र में -- अगर आप यहाँ खडे रह सकते है, तो आप स्वस्थ हैं।
  • 16:06 - 16:08
    और ये बढिया बात है, तो इसे मिलते हैं दो नंबर।
  • 16:08 - 16:10
    पर्यावरण बहुत ही ज्यादा ज़रूरी है।
  • 16:10 - 16:12
    आपके पोते-पोतियों के लिये कुछ नहीं बचेगा अगर आप नही कुछ करेंगे।
  • 16:12 - 16:14
    मगर ज़रूरी लक्ष्य क्या हैं?
  • 16:14 - 16:16
    मानवाधिकार, बेशक।
  • 16:16 - 16:18
    मानवाधिकार ही लक्ष्य है,
  • 16:18 - 16:21
    मगर ये उतना बडा साधन नहीं है विकास प्राप्त करने का।
  • 16:22 - 16:26
    और संस्कृति? संस्कृति सबसे ही ज्यादा जरूरी है, मैं कहूँगा,
  • 16:26 - 16:28
    क्योंकि उस से ही तो जीवन में प्रसन्नता आती है।
  • 16:28 - 16:30
    जीवन की पूँजी तो वही है न।
  • 16:30 - 16:33
    तो देखिये, जो असंभव लगता है, वो संभव है।
  • 16:33 - 16:35
    जी हाँ, अफ़्रीकी देश भी इसे पा सकते हैं।
  • 16:36 - 16:42
    और मैने आपको दिखाया है कि उन्होंने असंभव को संभव किया है।
  • 16:42 - 16:46
    और याद रखियेगा, मेरा मुख्य संदेश,
  • 16:46 - 16:49
    जो कि ये है: कि असंभव सा लगने वाला बिलकुल ही संभव है।
  • 16:49 - 16:51
    और हम एक अच्छे विश्व की कामना कर सकते हैं।
  • 16:51 - 16:54
    मैने आपको दिखाया है, बिल्कुल पावर-पाइंट इस्तेमाल करके,
  • 16:54 - 17:00
    और मुझे लगता है कि मैं आपको संस्कृति से भी मनवा लूँगा।
  • 17:00 - 17:04
    (हँसी)
  • 17:04 - 17:05
    (अभिवादन)
  • 17:05 - 17:07
    मेरी तलवार लाइये!
  • 17:11 - 17:16
    तलवार निगलने का ये तरीका प्राचीन भारत का है।
  • 17:16 - 17:21
    संस्कृति की इस पहचान ने हज़ारों साल तक
  • 17:21 - 17:27
    मनुष्य को सहज से आगे सोचने पर मजबूर किया है।
  • 17:27 - 17:29
    (हँसी)
  • 17:29 - 17:34
    और अब मैं प्रमाण दूँगा कि असंभव को संभव किया जा सकता है
  • 17:34 - 17:37
    इस लोहे की तलवार को --- असली लोहे की तलवार को ---
  • 17:38 - 17:41
    ये स्वीडन आर्मी की तलवार है, १८५० से,
  • 17:41 - 17:43
    जब आखिरी बार हमने युद्ध किया था।
  • 17:44 - 17:47
    और ये खालिस लोहा -- सुनिये ध्यान से।
  • 17:47 - 17:53
    और मैं इस तलवार को लूँगा
  • 17:53 - 17:58
    अपने शरीर के अंदर, माँस और खून से भरे शरीर के अंदर,
  • 17:58 - 18:02
    और दिखा दूँगा कि असंभव को भी पाया जा सकता है।
  • 18:03 - 18:07
    क्या एक मिनट के लिये सन्नाटा कर सकते हैं?
  • 18:18 - 18:40
    (अभिवादन)
Title:
हैंस रोस्लिंग गरीबी की समस्या पर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं
Speaker:
Hans Rosling
Description:

शोधकर्ता हैंस रोस्लिंग अपनी विशिष्ट सांख्यिकी तकनीकों द्वारा दिखाते हैं कि कैसे राष्ट्र गरीबी से लड़ रहे हैं। वो डॉलर-स्ट्रीट का नमूना दिखाते हैं, और दुनिया भर की पारिवारिक आमदनी की तुलना करते हैं। और फ़िर वो करते हैं कुछ खास...

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
18:40
Swapnil Dixit added a translation

Hindi subtitles

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