क्या बताएँगे आप अपनी बेटियों को २०१६ के बारे में?
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0:01 - 0:03इस साल अपनी बेटियों को बताइए,
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0:03 - 0:05कैसे हम काॅफी की तलब करते हुए उठे
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0:05 - 0:09लेकिन उसकी जगह सुबह के
अखबारों में बिखरी लाशें पाई, -
0:09 - 0:14हमारी बहनों, पतियों या पत्नियों,
छोटे बच्चों की जलग्रस्त प्रतिकृतियाँ -
0:15 - 0:18इस साल जब आपकी बच्ची पूछे,
जो उसे ज़रूर करना चहिए, -
0:18 - 0:20उसे बताइए
इसे आने में देर हो गई -
0:20 - 0:24स्वीकार कीजिए कि जिस साल हमें आज़ादी मिली,
तब भी हम पूरे तौर से उसके मालिक नही बने -
0:24 - 0:27तब भी कानून थे कि हम अपने
निजी हिस्सों का किस तरह वापर करें -
0:27 - 0:30जब वह हमारे कोमल सिलवटों को छूते रहे,
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0:30 - 0:32बिना हमारी इजाज़त की फ़िक्र किए
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0:32 - 0:35मर्दों पर लागू होने वाले
कोई कानून नहीं बनाए गए -
0:35 - 0:37हमें बचना सिखाया गया था,
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0:38 - 0:40इंतज़ार करना, डरना, छिपना सिखाया गया
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0:40 - 0:43और भी रुकना, अभी तक रुकना
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0:43 - 0:45हमे बताया कि हम खामोश रहें
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0:45 - 0:48पर इस युद्ध-काल में अपनी बच्चियों को बताइए
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0:48 - 0:50एक साल, पिछले हज़ारों की तरह ही, बीत गया
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0:50 - 0:53तो पिछले दो दशकों से,
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0:53 - 0:54हमने अपनी आँखें पोंछ दी,
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0:54 - 0:56ध्वजों के संदूकों से सजी,
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0:56 - 0:58क्लब के मौका-ए-वारदात को खाली कर दिया,
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0:58 - 1:00सड़क पर चीखें,
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1:00 - 1:03अपने जिस्मों को ज़मीन पर लिटाया,
हमारे शहीदों के शवों के पास, -
1:03 - 1:05रोये, "बेशक हम मायने रखते थे,"
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1:05 - 1:06गुमशुदाओं के लिए
इबादत की -
1:06 - 1:08इस साल औरतें रोयी हैं
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1:08 - 1:10रोयी हैं वे।
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1:10 - 1:12उस ही साल, हम तैयार हुए ।
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1:12 - 1:15जिस साल हमने अपना खौफ़ खोया,
और हिम्मती बेपरवाही के साथ चलें -
1:15 - 1:18उस ही साल हमने बंदूकों को डटकर देखा
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1:18 - 1:20आसमान के सारसों के गीत गाए,
झुके और टाला -
1:20 - 1:22हिजाबों में सोना पकड़ा,
मौत की धमकियाँ इकट्ठा की, -
1:22 - 1:24खुदको देशभक्त के नाम से जाना
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1:24 - 1:27कहा, "हम अब 35 के हुए हैं, वक्त आ गया है
घर बसाने का, अपना साथी ढूँढने का," -
1:27 - 1:31बच्चे-सी खुशी के लिए सड़कों के नक्शे बनाए,
सिर्फ़ डर को शर्मिंदा किया, -
1:31 - 1:33खुदको मोटा बुलाया, जिसका मतलब, ज़ाहिर है,
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1:33 - 1:34कमाल था.
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1:34 - 1:36इस साल, हम औरतें थी,
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1:36 - 1:38न किसी की दुल्हन, न कोई ज़ेवर
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1:38 - 1:39न कोई नीच लिंग
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1:39 - 1:41न कोई रियायत,बल्कि औरते
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1:41 - 1:43अपने बच्चों को सिखाएं।
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1:43 - 1:46उन्हें याद दिलाइए कि सीधी-सादी बनी
और नीच बने रहने का साल बीत चुका है -
1:46 - 1:49हम में से कुछ ने पहली दफा कहा
कि हम औरतें हैं -
1:49 - 1:51एकता की इस शपथ को सच-मुच माना
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1:51 - 1:53हम में से कुछ को बच्चे हुए
और कुछ को नहीं हुए -
1:53 - 1:56और हम में से किसी ने नहीं पूछा कि
क्या इससे हम असली -
1:56 - 1:58या माकूल या सच हुए
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1:58 - 2:00जब वह इस साल के बारे में आप से पूछेगी,
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2:00 - 2:03आपकी बेटी, क्या आपकी औलाद है,
या आपके जीत की वारिस -
2:03 - 2:06उसका के दिलासा देनेवाले इतिहास ,
जो औरतों की ओर लड़खड़ा रहा है -
2:06 - 2:08उसे ताज्जुब होगा और वह उत्सुकता से पूछेगी,
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2:08 - 2:10भले उसे आपकी कुरबानी का एहसास नही होगा,
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2:10 - 2:13पर आपके अंदाज़े को वह पाक मानेगी
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2:13 - 2:15जिज्ञासा से पूछते, "आप कहाँ थी?
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2:15 - 2:18क्या आप लड़ी?
क्या आप डरी हुई थी या डरानेवाली थी? -
2:18 - 2:20दीवारों पर आपके अफसोस का रंग कैसे लगा?
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2:20 - 2:23जब वक्त था उस साल आपने
औरतों के लिए क्या किया? -
2:23 - 2:26यह रास्ता आपने मेरे लिए बनाया,
कौन सी हड्डियों को टूटना पड़ा? -
2:26 - 2:28क्या आपने काफ़ी कर लिया,
क्या आप ठीक हो, माँ? -
2:28 - 2:29और क्या आप एक हीरो हो?"
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2:29 - 2:32वो मुशकिल सवाल पूछेगी
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2:32 - 2:34उसे परवाह नहीं होगी
आप की भृकुटि के वक्र की -
2:34 - 2:35आप की पकड़ के वज़न की
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2:35 - 2:37आप के उल्लेख सम्बंधित
नहीं पूछगी -
2:37 - 2:40आपकी बेटी, जिस के लिए आपने इतना कुछ किया,
वो जानना चाहेगी -
2:40 - 2:44क्या तोहफा लाये आप,
कोनसी रौशनी आपने बुझने से बचायी -
2:44 - 2:46जब वह शिकार के लिए
रात को आये -
2:46 - 2:48तब आप सो रहे थे
या जाग गए थे -
2:48 - 2:50आपको जागने की क्या कीमत भरनी पड़ी?
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2:50 - 2:53इस साल, जब हमने कहा समय आ गया है,
आप ने अपने विशेषाधिकार से क्या किया? -
2:53 - 2:55दूसरों के घिनोनेपन
का घूट पी गए? -
2:55 - 2:57क्या आप ने मुह मोड़ा
या आग में झाँक के देखा? -
2:57 - 2:59क्या आपने अपना हुनर पहचाना
या उसे बोझ समझ लिया? -
2:59 - 3:03क्या आपके "बुरे" और "दूसरों से कम" उपनामो
ने आपको मूर्ख बनाया? -
3:03 - 3:05क्या आपने दिल खोल के पढ़ाया
या मुट्ठी भींच कर -
3:05 - 3:07आप कहाँ थे?
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3:07 - 3:08उसे सच बताना
अपनी ज़िन्दगी बनाओ -
3:08 - 3:10पुष्टि करो
कहो "बेटी मैं वहां कड़ी थी" -
3:10 - 3:13वह पल मेरे चेहरे पर
खंजर की तरह खिंचा है -
3:13 - 3:14और मैंने उसे पीछे धकेला
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3:14 - 3:15काट कर तुम्हारे लिए जगह बनाई
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3:15 - 3:18सच बताओ किस तरह
हर कुटिल परिस्थिति के बावजूद -
3:18 - 3:20आप बाहादुर थे
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3:20 - 3:22और हमेशा बहादुरों के साथ खड़े थे
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3:22 - 3:24खासकर उन दिनों
जब आप अकेले ही थे -
3:24 - 3:26वह भी आप की तरह ही पैदा हुई
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3:26 - 3:29जैसे आप की माँ और उनके साथ आपकी बहनें
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3:29 - 3:31बहादुरों के समय, हमेशा की तरह
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3:31 - 3:34उसे बताओ की वह
सही समय पर पैदा हुई थी -
3:34 - 3:35सही समय पर
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3:36 - 3:37नेतृत्व करने के लिए
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3:37 - 3:44(तालियाँ)
- Title:
- क्या बताएँगे आप अपनी बेटियों को २०१६ के बारे में?
- Speaker:
- चीनाका हौज
- Description:
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शीशे के टुकड़ों की तरह शब्दों का प्रयोग कर चीनाका हौज ने खोल डाला २०१६ और हिंसा, शोक, डर, शर्म, साहस और उम्मीद के १२ महीने बिखेर के रख दिए इस मूल कविता में उस साल के बारे में जो हम में से कोई जल्दी नहीं भूल पायेगा
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 03:57
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