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कला जो दर्शाये कि टैकनोलजी वास्तविकता को कैसे ढालती है

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    मैं एक कलाकार और इंजीनियर हूं।
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    और हाल ही में, मैं ये सोच रही रही थी कि
    टैकनोलजी कैसे मध्यस्थता की भूमिका
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    निभाता है, हमारे वास्तविकता के अनुभव में।
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    और ये अतिविशिष्ट और बारीक
    तरीके से किया जा रहा है।
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    टैकनोलजी, खुद को ढक कर,
    दुनिया का वास्तविक अनुभव
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    देने के लिए डिजाइन की गयी है।
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    फलस्वरूप, हम अचेत और अनजान बन रहे हैं
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    कि यह सब हो रहा है।
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    उदाहरण के लिए,
    मैं आमतौर पर चश्मा पहनती हूं।
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    ये मुझे मेरे परिवेश का अनुभव
    कराने का हिस्सा बन गया है।
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    मेरा मुश्किल से उस पर
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    ध्यान जाता है, हालांकि वो लगातार
    मेरे लिए वास्तविकता तैयार कर रहा है।
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    मैं जिस टैकनोलजी की बात कर रही हूँ,
    वो ये काम के लिए ही डिज़ाइन की गयी है:
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    परिवर्तन जो हम देखते और सोचते हैं
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    लेकिन जिस पर ध्यान नहीं जाता।
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    अब मैं सिर्फ मेरे चश्मे को
    तब नोटिस करती हूं
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    जब इस पर मेरा ध्यान आकर्षित
    करने के लिए कुछ हो,
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    जैसे जब चश्मा गंदा हो जाये या
    उसका नंबर बदल जाये।
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    तो मैंने खुद से पूछा,“एक कलाकार के
    रूप में, मैं क्या बना सकती हूँ
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    जो उसी तरह से ध्यान आकर्षित करे
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    जैसे डिजिटल माध्यमों की तरह -
    समाचार संगठन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म,
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    विज्ञापन और खोज इंजन -
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    हमारी वास्तविकता को आकार दे रहे हैं? "
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    इसलिए मैंने,
    एक अवधारणात्मक मशीनों की श्रृंखला बनाई
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    जो हमें अनजान रखने और सवाल करने
    में मदद करे, ताकि हम जान सके की,
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    हम दुनिया को किस तरह से देखते हैं।
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    उदाहरण के लिए, आजकल, हम में से कई लोगों को
    एक तरह का एलर्जी रीऐक्शन है,
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    उन विचारों को लेकर
    जो हमारे विचारों से अलग है।
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    हमें इसका एहसास भी नहीं है कि इस तरह की
    मानसिक एलर्जी हममें विकसित हो गयी है।
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    इसलिए मैंने एक हेलमेट बनाया,
    जिसे लाल रंग से आर्टफिशल एलर्जी है।
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    यह लाल चीजों को बड़ा कर,
    अतिसंवेदनशीलता का अनुकरण करता है।
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    जब आप इसे पहनते हैं।
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    इसके दो मोड हैं: नोसेबो और प्लेसेबो।
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    नोसेबो मोड में, हाइपरलर्जी का
    संवेदी अनुभव बनता है।
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    जब भी मैं लाल रंग देखूंगी,
    वह विस्तार होगा।
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    ये सोशल् मीडिया के
    प्रवर्धन प्रभाव की तरह है,
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    जैसे जब आप किसी ऐसी चीज को देखते हैं
    जो आपको परेशान करे
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    तो आप समान विचारधारा वाले लोगों के साथ
    जुड़ना पसंद करते हैं
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    और मेस्इजस-मीम्स का आदान-प्रदान करते हैं,
    और आप और भी क्रोधित हो जाते हैं।
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    कभी-कभी, एक तुच्छ चर्चा
    बढ़ जाती है
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    और अनुपात से बाहर हो जाती है।
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    शायद इसीलिए भी हम
    क्रोध की राजनीति में जी रहे हैं।
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    प्लेसीबो मोड में, इस एलर्जी के लिए
    एक कृत्रिम इलाज है।
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    जब भी आप लाल रंग देखते हैं,
    वह सिकुड़ जाता है।
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    ये डिजिटल मीडिया में आराम देता है।
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    जब हम ऐसे लोगों के सामान आते हैं,
    जिनके विचार हमसे अलग हों तो
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    हम उन्हें अनफॉलो कर देते हैं,
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    उन्हें हमारे फ़ीड से
    पूरी तरह से निकाल देते हैं।
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    इससे बचने से एलर्जी ठीक हो जाती है।
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    लेकिन इस तरह से,
    विरोधी विचारों से जानबूझ कर
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    अनदेखी करने से, मानव समुदाय
    अति खंडित और अलग होता है।
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    हेलमेट के अन्दर का यंत्र
    वास्तविकता को बदल देता है।
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    और हमारी आँखों में,
    लेंस के एक सेट के माध्यम से
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    एक संवर्धित वास्तविकता बनाता है।
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    मैंने रंग लाल इसलिए लिया क्योंकि
    ये काफी गहरा और भावनात्मक है,
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    इसकी दृश्यता ज़्यादा है,
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    और ये राजनीतिक है।
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    तो क्या होगा अगर हम
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    हेलमेट के माध्यम से
    पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव मानचित्र
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    पर एक नज़र डालें?
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    (हँसी)
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    आप देख सकते हैं कि इससे कोई
    फर्क नहीं पड़ता कि आप
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    डेमोक्रेट हैं या रिपब्लिकन, क्योंकि
    मध्यस्थता हमारी धारणाओं को बदल देता है।
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    एलर्जी दोनों तरफ मौजूद है।
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    डिजिटल मीडिया में,
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    हम जो रोज देखते हैं वो अक्सर
    मध्यस्थता की जाती है,
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    लेकिन बहुत बारीकी से।
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    अगर हमें इसकी जानकारी नहीं है,
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    तो हम कई प्रकार की
    मानसिक एलर्जी से असुरक्षित रहेंगे।
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    हमारी धारणा सिर्फ
    हमारी पहचान का हिस्सा नहीं है,
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    बल्कि डिजिटल मीडिया में,
    ये मूल्य श्रृंखला का एक हिस्सा भी है।
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    हमारा दृश्य क्षेत्र इतनी जानकारी से
    भरा हुआ है कि
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    हमारी धारणा एक वस्तु बन गई है,
    अचल संपत्ति मूल्य के साथ।
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    डिजाइन का उपयोग, हमारे अचेतन पक्षपात
    शोषण करने के लिए किया जाता है,
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    एल्गोरिदम सामग्री का पक्ष लेते हैं,
    जो हमारी राय की पुष्टि करता है
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    ताकि हमारे देखने के क्षेत्र के
    हर छोटे से कोने को विज्ञापनों को बेचने
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    के लिए उपनिवेश किया जा सके।
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    जैसे, जब ये छोटी सी लाल बिंदी
    आपके नोटफकैशन में आती है,
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    ये बढ़ती और फैलती है,
    और आपके दिमाग में, यह बहुत बढ़ी है।
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    इसलिए मैंने थोड़ी गंदगी डालने के तरीकों
    के बारे में सोचना शुरू कर दिया,
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    जैसे मेरे चश्मे का लेंस बदलना,
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    और मैं एक अन्य परियोजना के साथ आयी।
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    अब,ध्यान रखें कि यह वैचारिक है।
    ये एक वास्तविक प्राडक्ट नहीं है।
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    ये एक वेब ब्राउज़र प्लग-इन है जो हमें
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    उन चीजों को नोटिस करने में मदद कर सकता है
    जिन्हे हम आमतौर पर नजरअंदाज कर देते हैं।
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    हेलमेट की तरह,
    प्लग-इन वास्तविकता की आकृति बदल देता है,
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    लेकिन इस बार सीधे डिजिटल मीडिया में ही।
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    ये छिपी हुई फ़िल्टर्ड आवाज़ों को
    उच्च स्वर देता है।
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    अब आप जो ध्यान देंगे
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    वो बड़ा और जीवंत होगा,
    जैसे कि यहाँ,
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    ये कहानी लिंग पूर्वाग्रह के बारे में है,
    जो बिल्लियों के समुद्र से उभरी है।
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    (हँसी)
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    प्लग-इन चीजों को कम कर सकता है
    जो एल्गोरिथ्म द्वारा प्रवर्धित की गयी है।
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    जैसे, यहाँ इस कमेंट अनुभाग में,
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    बहुत सारे लोग की एक ही राय है।
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    प्लग-इन उनके कमेंट को काफी छोटा बनाता है।
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    (हँसी)
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    तो अब जो स्क्रीन पर
    पिक्सेल उपस्थिति की मात्रा है
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    वो वास्तविक मूल्य से आनुपातिक है
    जो बातचीत में योगदान दे रहे हैं।
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    (हँसी)
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    (तालियां)
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    प्लग-इन, रियल एस्टेट दृश्य क्षेत्र
    और हमारी धारणा कितनी संशोधित की जा रही है
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    की संख्या को भी दर्शाता है।
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    ये विज्ञापन ब्लॉकर्स से अलग है,
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    हर एक विज्ञापन
    जो आप वेब पेज पे देखते हैं,
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    उसके लिए ये दर्शाता है कि
    आपको कितनी कमाई करनी चाहिए।
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    (हँसी)
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    हम वास्तविकता और
    वाणिज्यिक वितरित वास्तविकता
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    के बीच एक युद्ध के मैदान में रह रहे हैं,
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    तो प्लग-इन का अगला वर्श़न
    उस व्यावसायिक वास्तविकता को दूर कर सकता है
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    और आपको चीजें दिखाते हैं
    जैसे वे वास्तव में हैं।
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    (हँसी)
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    (तालियां)
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    खैर, आप कल्पना कर सकते हैं कि
    वास्तव में ये कितनी दिशाओं में जा सकता है।
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    विश्वास करें, मुझे पता है कि जोखिम अधिक है
    अगर ये वास्तविक प्राडक्ट बन जाए।
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    और मैंने इसे अच्छे इरादों के साथ बनाया है
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    हमारी धारणा को प्रशिक्षित और
    पक्षपात को खत्म करने के लिए।
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    लेकिन येही दृष्टिकोण, बुरे इरादों के साथ
    इस्तेमाल किया जा सकता है,
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    जैसे नागरिकों को मजबूर करना
    प्लग-इन इंस्टॉल करने के लिए
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    ताकि सार्वजनिक कथा को नियंत्रित कर सके।
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    इसे निष्पक्ष और व्यक्तिगत होये बिना
    बनाना चुनौतीपूर्ण है
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    बिना इसके मध्यस्थता की एक और परत बनना।
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    तो ये सब हमारे लिए क्या मायने रखता है?
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    भले ही टैकनोलजी अलगाव पैदा कर रहा है,
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    हम मौजूदा मॉडल को तोड़कर और इसके पार जाकर,
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    दुनिया को फिरसे जोड़ सकते हैं।
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    ये खोज कर कि हम टैकनोलजी से
    कैसे इंटरफ़ेस करते हैं,
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    हम अपने अभ्यस्त, लगभग मशीन की तरह
    व्यवहार से बाहर निकल सकते हैं,
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    और आखिरकार,
    एक दूसरे में समानता ढूंढ सकते हैं।
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    टैकनोलजी कभी निष्पक्ष नहीं होती है।
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    ये एक संदर्भ और वास्तविकता प्रदान करती है।
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    ये समस्या का हिस्सा है
    और समाधान का भी।
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    हम इसका इस्तेमाल अपने अन्ध बिन्दु को
    उजागर करने के लिए कर सकते हैं।
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    अपनी धारणा को बनाए रखें और फलतः
    चुनें कि हम एक दूसरे को कैसे देखते हैं।
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    धन्यवाद।
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    (तालियां)
Title:
कला जो दर्शाये कि टैकनोलजी वास्तविकता को कैसे ढालती है
Speaker:
जियाबाओ ली
Description:

एक ऐसा भाषण जो आपका नजरिया बदल दे, जिसमे डिजाइनर और कलाकार जियाबाओ ली ने अपने वैचारिक प्रोजैक्ट का परिचय दिया है जो डिजिटल मीडिया के निहित पक्षपात को उजागर करता है। हेलमेट जो आपको लाल रंग से एलर्जी दे से लेकर, ब्राउज़र प्लग-इन जो इंटरनेट को अनपेक्षित तरीके से फ़िल्टर करे, ली का निर्माण ये उजागर करता है कि टैकनोलजी किस तरह वास्तविकता को ढालती है।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
08:21

Hindi subtitles

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