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[संगीत की धुन]
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ऐसे जिओ जैसे तुम हो ही नहीं
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मोंटे सहज
पोर्चुगल
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ऑगस्ट 2014
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[हंसी]
[मूजी:] यह सारे भाव-दशा हैं|
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यह हुमारा भूतकाल है;
यह हुमारी ज़िंदगी है |
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देखो |
[हंसी]
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ज़िंदगी ऐसी है|
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तुम उठते हो, तुम्हें पता नहीं होता
कि आज बादल छाएँगे
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किस तरह के बादल होंगे?
बादल की गति, शुरू हो जातें हैं,
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यह तुम्हारी ज़िंदगी है|
है ना?
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और ऐसा कुछ है जो इसमे बँधा नहीं है |
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तुम जब भी देखो तो आकाश है |
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मैं देखूं तो आकाश है|
बस इतना ही!
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तुम यह नहीं कहते, 'अब बारिश होने वाली है'
ठीक है, शायद [गरज ने की आवाज़]
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तूफान आ रहा है|
ठीक है|
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तुम्हें तुम्हारी भावनाओं को, ज़िंदगी को
और मानसिक सोच को
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इसी तरह देखना चाहिए-
कुछ नहीं|
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यह अच्छा नहीं है?
यह केवल... कुछ नहीं|
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'यह चीज़ कल हुई...'
कल?
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[हंसी]: क्या?
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[मू.] कल के बादलों के
बारे में कौन पूछता है?
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[हंसी]
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ऐसा है यह|
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हमारी ज़िंदगी ऐसी ही है
हमारी ज़िंदगी-
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हमारी परिवार जनों की ज़िंदगी,
पूरी दुनिया की ज़िंदगी;
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ब्रह्माण्ड की ज़िंदगी.
यही बात है!
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[संगीत की धुन]
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[मू.] क्योंकि सब अच्छा है|
उसका हर अंश अच्छा है|
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सबका अपना दृष्टिकोण होता है |
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सैर करनेवाले को यह पसंद नहीं,
'हे भगवान!'
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किसान को पसंद है,
'हाँ... अच्छा अच्छा..'
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आकाश को कोई फराक नहीं पड़ता |
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[हंसी]
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केवल जो खाली है वो कहेगा,
'आहा, ठीक है|
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यह ऐसा है, वह वैसा है|
ठीक है, ठीक है|'
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फिर तुम्हारा मन
कभी उदास नहीं होगा|
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कभी दुखी नहीं होगा|
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आकाश कभी दुखी नहीं होता|
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तुमने आकाश को कभी इन
पेड़ों के बीच चलते देखा है?
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नहीं, वह कभी नीचे नहीं होता
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उसे छोड़ दो जहाँ है |
[हंसी]
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मन कहता है, "आकाश अंधेरे और निराशाजनक है|"
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आकाश को यह नहीं पता |
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है ना?
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इतना ध्यान मत दो
अपनी भावनाओं को, अपने विचारों को
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और 'अपने' को|
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'तुम' भी एक बड़ा बदल हो|
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[हंसी]
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यह 'तुम' कौन है? कौन?
कौन है यह?
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[मूजी हस्ते हुए]
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जब 'तुम' भी बादल की तरह देखे जाते हो,
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तो तुम एक बहुत अच्छी जगह हो |
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वह बंदा?
[खारिज करने की आवाज़ करते हुए]
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[मूजी हस्ते हुए]
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किसी विकसित जीव को कह सकते हैं,
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'ऐसे जिओ जैसे तुम हो ही नहीं'
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वे इसे संपूर्ण रूप से समझेंगे |
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क्योंकि, इतनी स्वतंत्रता, इतना प्रकाश |
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तो सब कुछ, फिर भी कुछ भी नहीं|
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तुम कल जैसे थे,
वैसे होने की ज़रूरत नहीं|
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और कल... क्या है यह?
कल किसीने देखा है क्या?
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कल किसीने कभी भी देखा है क्या?
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कल किसीने कभी भी जिया है क्या?
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[हसी]
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तुम ऐसे चलो|
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तुम्हें किसिको बताने की ज़रूरत नहीं|
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रोज़िंदा की भाषा बोलो
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लेकिन अंतर में बिल्कुल शांति |
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खाली विस्तार की तरह रहो|
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और तुम पाओगे कि...
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मन कहेगा,
'यह सब बकवास है, तुम कैसे जियोगे?'
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और मैं कहता हूँ,
'तुम खुद क्यों नहीं पता लगाते?'
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मन कुछ कहता है
और तुम पूरी ज़िंदगी उसको मान लेते हो
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तुमने कभी करके देखा ही नहीं|
तुमने केवल उसे मान लिया|
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और इसीलिए तुम रुक जाते हो|
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अब करके देखो|
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कैसे हो तुम, जब तुम नहीं हो?
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तुम कैसे हो, जब तुम नहीं हो?
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लोग पूछते हैं, 'तुम्हारा नाम क्या है?'
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'आहा... सच में
मुझे नहीं पता'
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'अच्छा तुम पागल हो..'
[हंसी]
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हाँ, शायद।
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[मूजी चल देते हैं| चलने की आवाज़]
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[मूजी हंसते हुए]
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लेकिन यह तुम उसे नहीं कहोगे जो...
मुझे नहीं पता, तुम नहीं कहोगे
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[मूजी हंसते हुए]
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मैं चलने जा रहा हूँ!
नमस्ते।
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[संगीत]
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'तुम' पर इतना ध्यान मत दो
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'तुम' भी एक बड़ा बदल है|
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केवल किसी विकसित जीव को कह सकते हैं:
ऐसे जिओ जैसे तुम हो ही नहीं
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इतनी स्वतंत्रता, इतना प्रकाश |