1 00:00:06,760 --> 00:00:09,160 क्या आप काली बिल्लियों से डरते हैं? 2 00:00:09,160 --> 00:00:11,890 क्या आप छत के नीचे छाता खोलेंगे? 3 00:00:11,890 --> 00:00:15,552 और आप तेरह अंक के बारे में क्या सोचते हैं? 4 00:00:15,552 --> 00:00:17,299 चाहे आप इनमें विश्वास करते हों या ना, 5 00:00:17,299 --> 00:00:20,650 आप इनमें से कुछ अंधविश्वासों के बारे में जानते तो होंगे ही। 6 00:00:20,650 --> 00:00:23,600 तो ऐसा कैसे हुआ कि दुनिया भर के लोग 7 00:00:23,600 --> 00:00:25,200 लकड़ी पर खटखटाते हैं, 8 00:00:25,200 --> 00:00:28,749 या फुटपाथ की दरारों से बच के निकलते हैं। 9 00:00:28,749 --> 00:00:31,711 ये बातें विज्ञान पर तो आधारित नहीं हैं, 10 00:00:31,711 --> 00:00:35,020 लेकिन इनमें से बहुत सी अजीब और विशिष्ट धारणाओं और प्रथाओं के 11 00:00:35,020 --> 00:00:39,400 उतने ही अजीब और विशिष्ट स्रोत हैं। 12 00:00:39,400 --> 00:00:41,850 क्योंकि इनमें अलौकिक कारण शामिल हैं, 13 00:00:41,850 --> 00:00:45,501 इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि बहुत से अंधविश्वास धर्म पर आधारित हैं। 14 00:00:45,501 --> 00:00:50,550 उदाहरण के लिये, तेरह अंक बाइबिल के अंतिम रात्रिभोज से सम्बन्धित था, 15 00:00:50,550 --> 00:00:53,682 जब ईसा मसीह ने अपने बारह शिष्यों के साथ खाना खाया था, 16 00:00:53,682 --> 00:00:57,720 अपने गिरफ्तार होने और सूली पर चढ़ाये जाने से बिलकुल पहले। 17 00:00:57,720 --> 00:01:02,462 परिणामस्वरूप ये विचार, कि मेज़ पर तेरह लोगों का होना दुर्भाग्य होता है, 18 00:01:02,462 --> 00:01:08,142 अंततः तेरह अंक के आम तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण होने के रूप में माना जाने लगा। 19 00:01:08,142 --> 00:01:12,821 और अब इस तेरह अंक के डर, जिसको Triskaidekaphobia कहते हैं, 20 00:01:12,821 --> 00:01:18,262 इतना आम है कि दुनिया भर में बहुत सी इमारतों में तेरहवीं मंज़िल ही नहीं होती, 21 00:01:18,262 --> 00:01:22,102 बारहवीं के बाद सीधा चौदहवीं होती है। 22 00:01:22,102 --> 00:01:26,361 बेशक, बहुत लोग फसह के भोज की कहानी को सच मानते हैं, 23 00:01:26,361 --> 00:01:29,360 लेकिन बाकी अंधविश्वास ऐसी धार्मिक परम्पराओं पर आधारित हैं 24 00:01:29,360 --> 00:01:33,033 जिनको कम लोग मानते हैं या जो और भी कम को याद हैं। 25 00:01:33,033 --> 00:01:37,793 माना जाता है कि लकड़ी पर खटखटाना प्राचीन भारत-युरोपीय लोकगीत से उत्पन्न हुआ 26 00:01:37,793 --> 00:01:40,733 या सम्भवतः उनके पूर्वजों से 27 00:01:40,733 --> 00:01:44,253 जो मानते थे कि पेड़, विभिन्न आत्माओं का घर होते हैं। 28 00:01:44,253 --> 00:01:46,677 पेड़ को छूने से उसके अन्दर रह रही आत्मा का आशीर्वाद 29 00:01:46,677 --> 00:01:50,107 या सुरक्षा का आह्वान होगा। 30 00:01:50,107 --> 00:01:52,372 और किसी तरह, 31 00:01:52,372 --> 00:01:56,197 ये परम्परा इन आत्माओं पर आस्था के लुप्त हो जाने के बरसों बाद भी ज़िन्दा रह गई। 32 00:01:56,197 --> 00:02:00,237 रूस से लेकर आयलैंड में आज के बहुत से आम अन्धविश्वास 33 00:02:00,237 --> 00:02:05,813 उन मूर्तिपूजक धर्मों के अवशेष लगते हैं जिनका स्थान ईसाई धर्म ने लिया। 34 00:02:05,813 --> 00:02:08,693 लेकिन सारे अन्धविश्वास धार्मिक नहीं होते। 35 00:02:08,693 --> 00:02:13,313 कुछ केवल अमंगल संयोगों और सम्बन्धों पर आधारित हैं। 36 00:02:13,313 --> 00:02:16,453 उदाहरण के लिये, इटली के बहुत से लोग १७ अंक से डरते हैं 37 00:02:16,453 --> 00:02:23,284 क्योंकि रोम के अंक XVII को पुनर्व्यवस्थित करके vixi शब्द बनाया जा सकता है, 38 00:02:23,284 --> 00:02:25,633 जिसका अर्थ है "मेरा जीवन समाप्त हुआ"। 39 00:02:25,633 --> 00:02:27,754 इसी तरह चार अंक के लिये जो शब्द है 40 00:02:27,754 --> 00:02:30,494 वो बिलकुल मृत्यु के शब्द के जैसा सुनाई देता है 41 00:02:30,494 --> 00:02:32,044 कैंटोनीज़ जैसी भाषाओं में भी, 42 00:02:32,044 --> 00:02:33,774 और जापानी और 43 00:02:33,774 --> 00:02:37,705 कोरियाई भाषाओँ में भी जो चीनी अंक प्रयोग करती हैं। 44 00:02:37,705 --> 00:02:41,274 और क्योंकि एक अंक भी "ज़रूर" के लिये उपयोग होने वाले शब्द जैसा सुनाई देता है, 45 00:02:41,274 --> 00:02:45,383 चौदह अंक "मरना होगा" जैसे मुहावरे जैसा सुनाई देता है। 46 00:02:45,383 --> 00:02:50,294 ये तो लिफ्टों और अंतरराष्ट्रीय होटलों में ना प्रयोग करने के लिये बहुत सारे अंक हैं। 47 00:02:50,294 --> 00:02:51,414 और मानें या न मानें, 48 00:02:51,414 --> 00:02:53,994 कुछ अंधविश्वास सच में समझ आते हैं, 49 00:02:53,994 --> 00:02:58,174 या काम से काम तब तक आते थे जब तक हम उनका वास्तविक उद्देश्य भूले नहीं थे। 50 00:02:58,174 --> 00:03:03,185 उदाहरण के लिये, थिएटर की दृश्यावली में चित्रकारी की हुई बड़ी पृष्ठभूमि होती थीं, 51 00:03:03,185 --> 00:03:07,925 जिनको रंगमंच के मज़दूर सीटी बजा कर एक- दूसरे को संकेत देते हुए ऊपर नीचे करते थे। 52 00:03:07,925 --> 00:03:11,325 अन्य लोगों द्वारा यूँ ही बजा दी गई सीटी से दुर्घटना हो सकती थी। 53 00:03:11,325 --> 00:03:16,694 लेकिन परदे के पीछे सीटी बजाने की पाबन्दी आज भी जीवित है, 54 00:03:16,694 --> 00:03:20,576 मज़दूरों के रेडियो हेडसेट का प्रयोग शुरू करने के बरसों बाद भी। 55 00:03:20,576 --> 00:03:24,345 इसी तरह, एक ही तीली से तीन सिगरेट जलाना 56 00:03:24,345 --> 00:03:29,565 सच में दुर्भाग्यपूर्ण हो सकता था अगर आप गड्ढे में बैठे हुए एक सैनिक होते 57 00:03:29,565 --> 00:03:34,586 जहाँ तीली ज़्यादा देर जलाये रखने से शत्रु निशानची का ध्यान आकर्षित हो सकता था। 58 00:03:34,586 --> 00:03:37,458 ज़्यादातर धूमपान करनेवालों को अब निशानची का सोचना नहीं पड़ता, 59 00:03:37,458 --> 00:03:39,636 लेकिन ये अन्धविश्वास ज़िंदा है। 60 00:03:39,636 --> 00:03:42,596 तो लोग इन भूले हुए धर्मो, संयोगों और 61 00:03:42,596 --> 00:03:43,486 पुराने परामर्शों 62 00:03:43,486 --> 00:03:45,376 के टुकड़ों से लिपटे क्यों रहते हैं? 63 00:03:45,376 --> 00:03:48,137 क्या वो पूर्णतः तर्कहीन नहीं हो रहे? 64 00:03:48,137 --> 00:03:50,077 हाँ, लेकिन बहुत से लोगों के लिये, 65 00:03:50,077 --> 00:03:54,816 अंधविश्वास एक जाग्रत आस्था पर कम और सांस्कृतिक आदत पर आधारित ज़्यादा हैं। 66 00:03:54,816 --> 00:03:59,027 आखिर कोई भी ये जान के पैदा नहीं होता कि सीढ़ी के नीचे नहीं चलना 67 00:03:59,027 --> 00:04:00,717 या अंदर सीटी नहीं बजानी, 68 00:04:00,717 --> 00:04:04,743 लेकिन अगर आपके परिवार ने आपको हमेशा ऐसी चीज़ों से बचने के लिए बोला हो, 69 00:04:04,743 --> 00:04:06,846 तो सम्भावना है कि ये तर्कपूर्ण समझने 70 00:04:06,846 --> 00:04:11,208 के बाद भी कि कुछ बुरा नहीं होगा, इनसे आपको असुविधा होगी। 71 00:04:11,208 --> 00:04:14,838 और क्योंकि लकड़ी पर खटखटाने जैसे काम में ज़्यादा मेहनत नहीं है, 72 00:04:14,838 --> 00:04:19,946 अन्धविश्वास कायम रखना, उसका जागरूक रूप से प्रतिरोध करने से अक्सर आसान होता है। 73 00:04:19,946 --> 00:04:23,696 और वैसे भी, अन्धविश्वास थोड़ा काम तो करते भी हैं। 74 00:04:23,696 --> 00:04:27,508 हो सकता है आपको अपने शुभ मोज़े पहने हुए छक्का मारना याद हो। 75 00:04:27,508 --> 00:04:29,947 ये सिर्फ हमारा मनोवैज्ञानिक पक्षपात काम कर रहा है। 76 00:04:29,947 --> 00:04:33,417 बहुत काम सम्भावना है कि आपको उन्हीं मोजों को पहने हुए 77 00:04:33,417 --> 00:04:35,448 कितनी बार आउट होना याद होगा। 78 00:04:35,448 --> 00:04:39,008 लेकिन उनके शुभ होने में विश्वास रखना आपको परिणाम पर अधिक नियंत्रण होने का 79 00:04:39,008 --> 00:04:43,697 भ्रम देकर सच में अच्छा खिला सकता है। 80 00:04:43,697 --> 00:04:48,369 तो ऐसी स्थितियाँ जिनमें वो आत्मविश्वास पासा पलट सकता है, जैसे खेल प्रतियोगिता, 81 00:04:48,369 --> 00:04:52,838 उनमें ये सनकी अन्धविश्वास शायद आखिर उतने भी सनकी ना लगें।