मैं तीन महीने गर्भ से थी जब मेरे पाती रॉस और मैं अपने दूसरे अल्ट्रसाउंड के लिए गए। मैं उस समय 35 साल की थी, और मुझे पता था की रिस्क ज़्यादा था हमारी प्रेग्नन्सी में गड़बड़ का। तो रॉस और मैंने प्रेग्नन्सी की आम गड़बड़ों पर रिसर्च की, और अपने को तैयार किया। मगर, हम बिलकुल भी तैयार नहीं थे उस भयानक रोग के लिए जिस का हमसे सामने होने वाला था। डॉक्टर ने हमें बताया कि हमारे जुड़वा बच्चों में से एक, टॉमस, एनेंसिफ़ेली नाम की एक जानलेवा स्थिति से ग्रस्त था। इसका मतलब था की उसका दिमाग़ ठीक से नहीं बना था क्योंकि उसके सर का एक हिस्सा ग़ायब था। इस स्थिति में बच्चे ज़्यादातर गर्भ में ही मर जाते हैं, या जन्म के कुछ मिनट या घंटो या दिनों में। मगर दूसरा बच्चा, कैलम, स्वस्थ दिख रहा था, जैसा कि डॉक्टर का अंदाज़ा था, और ये आयडेंटिकल, यानि हमशक्ल, जुड़वा थे। जेनेटिक रूप से भी हमशक्ल। तो ऐसी अद्भुत स्थिति कैसे पैदा हुई, इस पर तमाम विमर्श के बाद, बीमार बच्चे को गिराने की बात आई, और हालाँकि ये प्रक्रिया नामुमकिन नहीं थी, इसमें स्वस्थ बच्चे और मेरे लिए ख़तरा था, तो हमने प्रेग्नन्सी पूरी करने का फ़ैसला लिया। अब मैं तीन महीने के गर्भ के साथ थी, मेरे सामने पूरे छः महीने और थे, और मुझे तरीक़े ढूँढने थे अपना ब्लड प्रेशर और तनाव ठीक रखने के। ऐसा लगता था जैसे मेरे ही रूम मेट ने छः महीने तक मुझ पर बंदूक़ तान के रखी हो। पर बंदूक़ की उस नली को देर तक देखने पर मुझे उस नली के सिरे पर रोशनी के आसार दिखे। इस दुःख से पार पाने के हमारे पास कोई तरीक़ा नहीं था, लेकिन मैं टॉमस की छोटी सी ज़िंदगी का कोई सकारात्मक असर बनाना चाहती थी। उस के लिए मैंने अपनी नर्से से नेत्र दान और अंग दान के बारे में पूछा। उस ने मुझे हमारी लोकल अंग दान संस्था से जोड़ दिया, वॉशिंटॉन रीजनल ट्रैन्स्प्लैंट कम्यूनिटी (wrtc) WRTC ने मुझे बताया की टामस अंग दान के लिए बहुत छूट था, और मुझे झटका लगा: मुझे पता ही नहीं की आप इस में भी असफल हो सकते हैं। पर उन्होंने कहा कि टॉमस का शरीर शोध के काम आ सकता है। इस में मुझे टॉमस को देखने के लिए एक नई नज़र मिली। बजाय बीमारी के शिकार के, मैं उसे एक मेडिकल गुत्थी सुलझाने की चाबी की तरह देखने लगी। मार्च 23, 2010 को मेरे जुड़वा बच्चे पैदा हुए, दोनो जीवित पैदा हुए थे। और जैसा की डॉक्टर ने बताया था, टॉमस के सिर का ऊपरी भाग ग़ायब था, मगर वो मेरा दूध पी सकता था, बोतल से भी पी सकता था, हमसे चिपकना और ऊँगली पकड़ना भी साधारण बच्चों जैसे कर रहा था, और वो हमारी गोदी में सो भी गया। छः दिन बाद, टॉमस रॉस की बाहों में लेटे हुए चला गया, हमारे परिवार से घिरा हुआ। हमने WRTC को फ़ोन किया, और उन्होंने एक वैन भेज दी और उसे चिल्ड्रेन नैशनल मेडिकल सेंटर ले आए। कुछ घंटो बाद, हमें फ़ोन पर पता लगा कि टॉमस की प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो गयी, और टॉमस के योगदान को चार अलग अलग जगहों पर भेजा जाएगा। उसका कॉर्ड ब्लड डयूक यूनिवर्सिटी जाएगा। उसका लिवर डरहम में सेल थेरपी की एक कम्पनी, सैटोनेट को जाएगा। उसकी आँखो के कोरनीआ शेपेंस आइ रीसर्च इन्स्टिटूट को जाएँगे, जो कि हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल कर हिस्सा है, और आँखो की सफ़ेदी पेन्सल्वेन्या यूनिवर्सिटी को दिए जाएँगे। कुछ दिन बाद, उसका अंतिम संस्कार हमने परिवार के साथ हमने कर दिया, बेबी कैलम भी मौजूद था, और हमने अपने जीवन के इस हिस्से को बंद कर दिया। पर मैं हमेशा सोचती रही की अब क्या हो रहा है? रीसर्च कहाँ तक पहुँची है? क्या इस दान का वाक़ई कोई फ़ायदा था? WRTC ने मुझे और रॉस को एक रिट्रीट पर बुलाया, जहाँ हम 15 परिवारों से मिले जिन्होंने किसी को खोया था, और उसके अँगो का दान किया था। उन में से कुछ को तो चिट्ठियाँ भी आयी थीं उन लोगों से जिन्हें वो अंग मिले थे, धन्यवाद के पत्र। मुझे पता लगा की वो एक दूसरे से मिल भी सकते थे, अगर उन्होंने एक वेवर साईन किया हो, जैसे गोद लेने में होता है। और मैं उत्साहित थी, शायद मैं भी एक पत्र लिख सकूँगी या पत्र पा सकूँगी और मुझे पता लगेगा की क्या हुआ। पर ऐसा नहीं था। ये सिर्फ़ उन के लिए था जिनके अंग प्रत्यरोपित हुए हों। मुझे अच्छा नहीं लगा। शायद जलन सी महसूस हुई। (ठहाका) मगर आने वाले सालों में, मैंने अंगदान के बारे में बहुत जानकारी ली, इस क्षेत्र में काम भी किया। और मुझे एक आयडिया आया। मैंने पत्र लिखा जो शुरू होता था-- "प्रिया शोधकर्ता!" मैंने बताया मैं कौन हूँ, और उनसे पूछा की नवजात शिशु की आँखों की सफ़ेदी उन्हें क्यूँ चाहिए थीं, मार्च 2010 में, और उनकी लैब में आने की अनुमति माँगी। मैंने नेत्र दान के इंतज़ाम करने वाले आइ बैंक को लिखा, द ओल्ड डमिन्यन आइ फ़ाउंडेशन, और कहा की कृपया सही व्यक्ति तक उसे पहुँचाए। उन्होंने कहा की पहले उन्होंने कभी नहीं देखा था, और वो जवाब की गारंटी नहीं दे सकते, मगर वो इसे रोकेंगे नहीं, और दान को सही जगह तक पहुँचाएगे। दो दिन बाद, मुझे जवाब मिला पेन्सलवेन्या यूनिवर्सिटी की डॉक्टर अरुपा गांगुली से। उन्होंने मुझे शुक्रिया कहा, और बताया कि वो रेटिनोबलस्टोमा पर शोध कर रही हैं, आँख की सफ़ेदी का जानलेवा कैन्सर जो पाँच से कम उम्र के बच्चों में होता है, और उन्होंने कहा, कि हम उनकी लैब में जा सकते थे। तो हमने फ़ोन पर बात की, और सब से पहले उन्होंने मुझसे कहा की वो सोच भी नहीं सकती हैं कि हम पर क्या गुज़री होगी, और टॉमस ने सबसे बड़ा बलिदान दिया था, और वो हमारी एहसानमंद हैं। तो मैंने कहा, "आपका शोध ठीक है, मगर हमसे कुछ पूछा नहीं गया। हमने तो सिस्टम में दान दिया, और सिस्टम ने आप तक पहुँच दिया। मैंने कहा, "दूसरी बात ये है की बच्चों के साथ अनहोनी रोज़ ही होती है, और अगर अपने ये आँखे नहीं ली होती, तो ये कहीं ज़मीन में बेकार दबी पड़ी होतीं। तो आपके शोध का हिस्सा होने से टॉमस के जीवन को एक नया उद्देश्य मिलता है। तो इस का इस्तेमाल करने में ज़रा की झिझकिए मत।" फिर उन्होंने बताया कि ये कितना असाधारण रोग है। उन्होंने इस के लिए छः साल पहले माँग रखी थी नैशनल डिज़ीज़ रीसर्च इंटर्चेंज के सामने। उन्हें अपनी ज़रूरत के हिसाब से बस एक ही दान मिला था, और वो टॉमस का था। उसके बाद, हमने लैब जाने के लिए एक दिन मुक़र्रर किया, और मार्च 23, 2015 को चुना, जो कि दोनो बच्चों का जन्मदिन था। फ़ोन रखने के बाद मैंने उन्हें टॉमस और कैलम की फ़ोटो ईमेल की, और कुछ हफ़्ते बाद, हमें ये टी-शर्त पार्सल में मिली। कुछ महीने बाद, रॉस, कैलौम, और मैं कर में बैठ कर एक रोड ट्रिप के लिए निकले। हम अरूपा और उनकी टीम से मिले, और अरूपा ने बताया मेरे बेझिझक रहने को कहने से उन्हें बहुत सुकून मिला, और तब तक उन्होंने हमारे नज़रिए को नहीं देखा था। उन्होंने बताया की टॉमस का एक गुप्त कोड नाम भी है। जैसे हेनरिएटा लैक्स HeLa कही जाती हैं, टॉमस को RES 360 नाम मिला था। RES मतलब रीसर्च, 360 मतलब तीन सौ साठवाँ नमूना पिछले दस सालों में। उन्होंने हमें एक ख़ास काग़ज़ भी दिखाया, जो की कूरियर की रसीद थी जिस से आँखों को डीसी से फ़िलाडेलफ़िया भेजा गया था। ये रसीद अब हमारे लिए विरासत जैसे है। जैसे की कोई मिलिटेरी मेडल या शादी का सर्टिफ़िकेट। अरूपा ने बताया की वो टॉमस की आँखो और उस के RNA से ट्यूमर बनाने वाली जीन को रोकने की कोशिश कर रही हैं, उन्होंने हमें कुछ RES 360 पर किए शोध के कुछ नतीजे भी दिखाए। फिर वो हमें फ़्रीज़र तक ले गयीं और दो अनछुए नमूने दिखाए जो अभी तक RES 360 के नाम से सहेजे रखे थे। दो छोटे छोटे नमूने। उन्होंने कहा इन्हें रखने का कारण है कि आगे कुछ नया शायद निकल आए। इसके बाद, हम कॉन्फ़्रेन्स रूम में गए और साथ में लंच किया, और लैब की टीम ने कैलम को जन्मदिन का तोहफ़ा दिया। बच्चों की लैब किट। और उसे इंटर्न्शिप का भी ऑफ़र दिया। (ठहाका) तो बात ख़त्म करते हुआ, आज मेरे दो संदेश हैं, एक ये की हम से ज़्यादातर लोग अंगदान के बारे में सोचते नहीं हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था। मैं ज़्यादातर लोगों से ही हूँ। मगर मैंने अंगदान किया। ये अच्छा अनुभव था, इसे महसूस करना चाहिए और इस से मेरे परिवार को बहुत शांति मिली। और दूसरा ये की अगर आप मानव नमूनो पर काम करते हैं, और सोचते हैं की वो कहाँ से आए, किस परिवार से, तो उन्हें पत्र लिखिए। उन्हें बताइए की वो आपको मिल गए हैं, और आप क्या शोध कर रहे हैं, और उन्हें अपने लैब में बुलाइए, क्यूँकि उनका आना आपको बहुत संतोष दे सकता है, उन से भी ज़्यादा संतोष। और में आप से एक और गुज़ारिश करूँगी अगर ऐसा कोई परिवार आपकी लैब तक पहुँचे, तो मुझे ज़रूर ज़रूर बताएँ। मेरे परिवार की कहानी आगे ये है कि हम उन चारों जगह गए जहाँ टॉमस के अंग गए थे। और हम ग़ज़ब के लोगों से मिले जो प्रेरक काम कर रहे हैं। अब तो मुझे ऐसा लगता है जैसे टॉमस का एडमिशन एक साथ हॉर्वर्ड डयूक और पेन में हो गया है -- (ठहाका) और उसे सैटोनेट में नौकरी भी मिल गयी, और उस के साथी हैं, टीम है, जो की अपने क्षेत्र के शीर्ष लोग हैं। और उन्हें अपने काम के लिए टॉमस की ज़रूरत है। और वो ज़िंदगी जो कभी बेमतलब जाया सी थी, आज अमर, महत्वपूर्ण और ख़ास है। मैं आशा करती हूँ कि मेरी ज़िंदगी भी इतनी कामयाब हो। धन्यवाद। (तालियाँ)