0:00:19.278,0:00:33.007 रविवार सत्संग [br] 0:00:33.007,0:00:39.020 अहम् ब्रह्मास्मि![br]19 जून, 2016 0:00:39.020,0:00:41.981 तुम जवाब के लिए बाहर देख रहे हो ,[br] 0:00:41.981,0:00:46.711 और मैं जवाब के तौर पर तुम्हें देख रहा हूँ।[br][हँसी] 0:00:46.711,0:00:49.444 तुम जवाब के लिए बाहर देख रहे हो। 0:00:49.444,0:00:53.381 'हाँ', तुम कहते हो,[br]'लेकिन कभी कभी दृष्टि धुंधली हो जाती है'।[br] 0:00:53.381,0:00:58.071 मुझे पता है, जो भी तुम देखना चाहते हो [br]और जो धुंधला हो जाता है, वो वह नहीं है।[br] 0:00:58.071,0:01:04.339 तुम, जो धुंधलेपन और साफ़ का साक्षी है,[br]तुम वह हो। 0:01:04.339,0:01:06.219 यही बात है![br] 0:01:06.219,0:01:10.829 यही चैतन्य का मोड़ है [br]जिसे अनुभव करना हर किसी के लिए ज़रूरी है । 0:01:10.829,0:01:13.223 हम बहुत वक़्त ज़ाया कर रहे हैं 0:01:13.223,0:01:15.903 क्योंकि कुछ जानने का परम्परागत तरीक़ा है 0:01:15.903,0:01:18.683 कि एक चीज़ दूसरी चीज़ को जान रही है। 0:01:18.683,0:01:21.157 और मैं तुम्हें कह रहा हूँ, [br]नहीं ,नहीं, नहीं! 0:01:21.157,0:01:27.614 ये दो चीज़ें नहीं हैं। [br]यह एक चीज़ भी नहीं है। 0:01:27.614,0:01:33.038 [म:] क्या तुम इस से उलझन में पड़ गए? 0:01:33.038,0:01:35.470 [म:] क्या तुम?[br][प्र:] नहीं।[br] 0:01:35.470,0:01:45.170 [म:] हाँ, तुम पड़ गए हो।[br][हँसी] 0:01:45.182,0:01:50.369 [म:] अब मैं कह सकता हूँ, सब कुछ छोड़ दो,[br]क्योंकि यह ठीक समय है । 0:01:50.369,0:01:59.327 मैं कहता हूँ ये सभी विचार छोड़ दो,[br]छोड़ो, छोड़ो, छोड़ो! 0:01:59.327,0:02:03.868 हम कभी अनुभव के तौर पर एक नहीं होंगे[br] 0:02:03.868,0:02:07.520 जब तक तुम खुद को व्यक्ति मानते रहोगे[br] 0:02:07.520,0:02:10.130 क्योंकि हर व्यक्ति अनुकूलित है । 0:02:10.130,0:02:12.489 हर व्यक्ति किसी पार्टी का होता है,[br] 0:02:12.489,0:02:18.139 किसी धर्म का, किसी फ़लसफ़े का,[br]किसी राजनीतिक संगठन का,[br] 0:02:18.139,0:02:23.296 किसी तरह की सामाजिक संस्था का ;[br]कुछ न कुछ पहचान तुमने ओढ़ी हुई है । 0:02:23.296,0:02:28.860 और हर पहचान अपना नज़रिया [br]बनाये रखने के लिए लड़ती है। ठीक है? 0:02:28.860,0:02:32.752 हम कभी भी, कभी भी सहमत नहीं होंगे, 0:02:32.752,0:02:35.412 जब तक तुम व्यक्ति-भाव में हो![br] 0:02:35.412,0:02:37.132 यह मौलिक बात है। 0:02:37.132,0:02:40.741 मैं तुम्हें रमन महर्षि का सन्देश[br]ला कर दूंगा, 0:02:40.741,0:02:43.615 मैं तुम्हें शंकर का सन्देश दूंगा, 0:02:43.615,0:02:45.815 जो सिर्फ सन्देश नहीं है,[br] 0:02:45.815,0:02:52.361 मैं ही उनका सन्देश हूँ, इसी क्षण में।[br]और मैं यह कहने से डरता नहीं हूँ। 0:02:52.361,0:02:55.238 यह अभिमान नहीं है, [br]मैं इसे अभिमान से नहीं कहता। 0:02:55.238,0:02:58.038 पर किसी में तो यह कहने का साहस होना चाहिए। 0:02:58.038,0:03:01.716 क्योंकि किसी ने मुझसे पूछा,[br]'आपके गुरु का सर्वोच्च उपदेश क्या है?' 0:03:01.716,0:03:04.386 मैंने कहा, [br]मैं अपने गुरु का सर्वोच्च उपदेश हूँ। 0:03:04.386,0:03:06.777 मुझे यह कहना पड़ेगा ![br]यह अक्खड़पन लगता है, 0:03:06.777,0:03:11.228 लेकिन यह अक्खड़पन नहीं है, क्योंकि [br]मुझमें साहस है यह कहने का कि मैं क्या हूँ। 0:03:11.228,0:03:15.875 [म:] तो मुझे तुम्हारी ओर से यह कहना पड़ेगा।[br][संघ] जी![br] 0:03:15.875,0:03:18.397 [म:] क्योंकि तुम यह कहने से डरते हो। 0:03:18.397,0:03:21.547 और यह इसलिए नहीं क्योंकि [br]तुम कहते हो कि तुम वह हो। 0:03:21.547,0:03:24.353 ऐसा नहीं है। इसे अनुभव करना पड़ेगा। 0:03:24.353,0:03:30.133 और मैं बहुत देर तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ।[br]तुम बहुत धीमे हो। तुम इतने शर्मिंदा हो। 0:03:30.133,0:03:35.505 तो इसलिए कभी कभी मुझे कहना पड़ता है: [br]मैं वह हूँ! /अहम् ब्रह्मास्मि! 0:03:35.505,0:03:37.775 तुम्हारी तरफ़ से 0:03:37.775,0:03:43.325 तुम्हें यह कहने का साहस देने के लिए, [br]कि हर बात मानने का एक उचित समय होता है... 0:03:43.325,0:03:48.066 यह ईश्वर निन्दा नहीं है[br]और यह कहना उद्दंडता नहीं है। 0:03:48.066,0:03:50.393 [प्र:] धन्यवाद।[br][म:] तुम समझे?[br] 0:03:50.393,0:03:56.339 हम एक मानवता के तौर पर [br]इस तक नहीं पहुँच पाएंगे 0:03:56.339,0:04:02.322 जब तक हम यह मानते रहेंगे कि[br]और तुम अपने गुट के लिए वफ़ादार रहोगे! 0:04:02.322,0:04:04.644 क्योंकि यह तुम्हें सिखाएगा, 0:04:04.644,0:04:09.177 'तुम मुसलमान हो, तुम ईसाई हो, तुम[br]हिन्दू हो - हम कभी नहीं मिल सकते!' 0:04:09.177,0:04:14.257 किसी गुट में जो सबसे उदार विचार के [br]भी होते हैं वे भी नहीं मिल पाते 0:04:14.257,0:04:18.264 मैं कई बार कुछ गुटों को मिला हूँ [br]और गुट के सबसे उदार लोग भी [br] 0:04:18.264,0:04:21.122 उस गुट का ही थोड़ा कमज़ोर रूप होते हैं।[br] 0:04:21.122,0:04:23.322 यह एक जीवित सत्य होना चाहिए! 0:04:23.322,0:04:27.010 और सिर्फ़ एक रास्ता जिससे तुम [br]इस जीवंत सत्य तक पहुँच सकते हो 0:04:27.010,0:04:30.540 तुम्हें उस गाय की तरह होना पड़ेगा [br]जो चाँद को पार कर गयी थी। 0:04:30.540,0:04:34.340 और यह चाँद तुम्हारा अपना दिमाग है ![br]तुम्हें इसे पार करना होगा। 0:04:34.340,0:04:36.674 जब तक तुम इस व्यक्ति के तौर पर रहोगे , 0:04:36.674,0:04:40.732 तुम व्यक्ति की तरह बहस करोगे,[br]व्यक्ति की तरह बचाव करोगे।[br][br] 0:04:40.732,0:04:43.449 और मैं तुम्हें सबसे[br]सुन्दर मार्ग दिखा रहा हूँ। 0:04:43.449,0:04:46.759 सबसे सुन्दर मार्ग है होने का मार्ग। 0:04:46.759,0:04:50.808 तुम्हें उसमें से बाहर आना होगा।[br]मैं दिखाता हूँ, मैं दिखाता हूँ। 0:04:50.808,0:04:53.940 मैं ये नहीं कहता, जाओ! मैं कहता हूँ, [br]आओ, मेरे साथ देखो। 0:04:53.940,0:04:58.430 और मेरे साथ प्रमाण दो [br]अपने असली स्वरुप का । 0:04:58.430,0:05:01.820 यह कल्पना नहीं है, यह कोई आध्यात्मिक[br]कल्पना नहीं है। 0:05:01.820,0:05:04.665 यह पलायनवाद नहीं है, यह सबसे सच्चा है। 0:05:04.665,0:05:07.462 और सब कुछ इस धरती पर से गायब हो जायेगा 0:05:07.462,0:05:10.837 सिवाय इसके जो मैं तुमसे कह रहा हूँ,[br]उसके सत्य के सिवा।[br] 0:05:10.837,0:05:12.977 और मैं तुम्हें सिर्फ यह बताने की [br]कोशिश कर रहा हूँ 0:05:12.977,0:05:16.777 कि तुम्हें इसका इलाज करवाना होगा[br]इस गलती का जो तुम कर रहे हो[br] 0:05:16.777,0:05:21.105 इस पहचान को पकड़े रहने की[br]कि तुम सिर्फ हाड़ मांस का पुतला हो। 0:05:21.105,0:05:24.986 तुम वह भी हो, [br]पर अधिकतर तुम वैसे नहीं रहते। 0:05:24.986,0:05:28.502 अब समय है बड़े होने का, [br]सिर्फ़ बूढ़े होने का नहीं। 0:05:28.502,0:05:31.572 बड़े हो जाओ! और उन आँखों से देखो[br]जिनसे मैं देख रहा हूँ। 0:05:31.572,0:05:33.783 जब मैं तुम्हें देखता हूँ, तो मैं [br]ब्रह्म: देखता हूँ; 0:05:33.783,0:05:36.953 जब तुम बोलते हो, [br]तुम ब्रह्म: के रूप में नहीं बोलते। 0:05:36.953,0:05:40.272 तुम किसी ऐसी चीज़ के रूप में बोलते हो[br]जो काल से पैदा हुआ है, 0:05:40.272,0:05:46.036 जो कुछ मौसमों के बाद यहाँ नहीं होगा। 0:05:46.036,0:05:48.186 तो हिम्मत करो।[br] 0:05:48.186,0:05:52.197 और जो मैं कहता हूँ उसे दिल से सुनो,[br]मेरे संकेत का अनुसरण करो। 0:05:52.197,0:05:56.792 जो इस समय मैं इतने विश्वास के साथ [br]कह रहा हूँ, तुम खुद कह पाओगे 0:05:56.792,0:05:59.652 अपने खुद के अनुभव के आधार पर। 0:05:59.652,0:06:02.059 मैं तुम्हें यकीन करने को नहीं कह रहा हूँ।[br] 0:06:02.059,0:06:07.091 विश्वास, आस्था- ये सब ठीक हैं।[br]लेकिन यह साबित होना चाहिए! 0:06:07.091,0:06:11.855 मैं बता रहा हूँ, मैं यहाँ इसे साबित करने[br]आया हूँ। और तुम्हारे तौर पे साबित करने![br] 0:06:11.855,0:06:15.073 [संघ:] जी![br][म:] और तुम तंग दिल हुए बैठे हो, 0:06:15.073,0:06:19.467 जब तुम कहते हो कि तुम दुनिया कि सबसे [br]महत्वपूर्ण चीज़ महसूस करना चाहते हो, 0:06:19.467,0:06:21.700 लेकिन तुम खुद को इतना कम प्रस्तुत करते हो। 0:06:21.700,0:06:24.460 तुममें साहस होना चाहिए खड़े हो कर कहने का 0:06:24.460,0:06:27.550 मूजी मैं इसके लिए पूरी तरह से यहाँ हूं।'[br][संघ:] जी हाँ![br] 0:06:27.550,0:06:30.060 '[प्र:] मैं यहाँ हूं। धन्यवाद।[br][म:] धन्यवाद।[br] 0:06:30.060,0:06:33.010 [म:] धन्यवाद्। ऐसे। देखा तुमने? 0:06:33.010,0:06:36.298 क्यूंकि पूरी दुनिया तुम्हें देख रही है,[br]और कह रही है, 0:06:36.298,0:06:39.728 'अगर वे वहां हो सकते हैं[br]उनके सामने, उन्हें सुनते हुए, 0:06:39.728,0:06:43.261 और वे पीछे पीछे हट रहे हैं, [br]डरे हुए बच्चों की तरह....' 0:06:43.261,0:06:45.926 और मैं कह रहा हूं, देखो, पीछे चलो और देखो। 0:06:45.926,0:06:48.786 मैं कोई जादुई मसाला नहीं फेंक रहा[br]तुम्हारे चेहरे पर, 0:06:48.786,0:06:52.006 मैं तुमसे बहुत सीधी सादी [br]भाषा में बात कर रहा हूं। 0:06:52.010,0:06:54.970 और फिर भी मुझे कोई प्रतिक्रिया[br]नहीं मिल रही। कि मुझे लगे 0:06:54.970,0:06:58.529 तुम्हें तो इतना खुश होना चाहिए, [br]कि इस ज़माने में 0:06:58.529,0:07:04.109 तुम्हारे पास यह अवसर है[br]इस सब बकवास से सच में मुक्त होने का ! 0:07:04.109,0:07:08.079 [हंसी][br][संघ] हाँ! जी हाँ! 0:07:08.079,0:07:16.868 [म:] ठीक है! तो हम फिर बैठ सकते,[br]और चलते हैं। [हंसी] 0:07:16.868,0:07:20.508 धन्यवाद्। 0:07:20.508,0:07:27.420 यह बहुत अद्भुत बात है, क्योंकि हमारे समय[br]में यह उपदेश अभी भी जीवंत है। 0:07:27.420,0:07:29.645 यह कभी भी पुराना नहीं होगा। 0:07:29.645,0:07:35.995 और कई पीढ़ियों बाद, जब हम [br]शारीरिक रूप से यहाँ से चले गए होंगे 0:07:35.998,0:07:38.398 वे प्राणी जो अभी अजन्मे हैं, वे आएंगे 0:07:38.398,0:07:43.538 और इस से सीखेंगे जो मैं आज कह रहा हूं। 0:07:43.538,0:07:47.913 येसु मसीह के कुछ सबसे बड़े अनुयायी[br] 0:07:47.913,0:07:51.993 ज़रूरी नहीं कि उन बारह अनुयायियों [br]में से थे जो उनके साथ चले थे। 0:07:51.993,0:07:58.271 शायद उनके सबसे बड़े अनुयायी अभी अजन्मे थे। 0:07:58.271,0:08:00.670 तुम्हें शारीरिक रूप से वहां होना ज़रूरी नहीं, 0:08:00.670,0:08:04.890 लेकिन तुम्हारे पास ऐसा दिल होना चाहिए[br]जिसमें प्रेम और विश्वास की शक्ति हो , 0:08:04.890,0:08:12.759 और इन शब्दों का अनुसरण करो ! 0:08:12.769,0:08:15.295 ऐसे ही।[br] 0:08:15.295,0:08:18.165 तुम्हें मुक्ति के कोई 17 चरण [br]नहीं दिए जा रहे। 0:08:18.165,0:08:20.775 यह आसान है, मैं आसान सा इशारा कर रहा हूं,[br] 0:08:20.775,0:08:24.188 लेकिन अगर तुम अपने व्यक्ति के तौर पर[br]बहस करते रहोगे, 0:08:24.188,0:08:26.591 तो तुम छोटे छोटे कदम लोगे।[br] 0:08:26.591,0:08:29.631 ये छोटे कदम, ये ठीक हैं। 0:08:29.631,0:08:34.601 पर तुम ऐसे व्यवहार करते हो जैसे तुम्हारे[br]पास यह करने के लिए करोड़ों जन्म पड़े हैं । 0:08:34.601,0:08:39.556 मैंने कहा, आज तुम यहां से कुछ देख सकते हो।[br] 0:08:39.556,0:08:43.461 चैतन्य की नज़रों से देखो।[br]तुम पहले ही वह हो। 0:08:43.461,0:08:46.651 तुम्हें कहीं बाहर जा कर इसके लिए [br]कोई साधन नहीं ढूंढने हैं। 0:08:46.651,0:08:48.797 तुम पहले ही यहाँ हो, ना? 0:08:48.797,0:08:54.626 यह समय धन्य है, और इस वक़्त [br]हमारी दुनिया में ऎसी स्थिति है 0:08:54.626,0:09:00.826 कि मुझे लगता है, कि हम मजबूर हों,[br]अपने बच्चों के लिए भी, [br] 0:09:00.826,0:09:04.703 पर पहले अपने लिए भी,[br]कि हमें उसे पाना ही है । 0:09:04.703,0:09:08.752 कभी कभी जब हम हवाई जहाज़ में जाते हैं[br]तो मैं देखता हूं 0:09:08.752,0:09:11.922 कि वे आपको बताते हैं,[br]विधि दिखाते हैं 0:09:11.922,0:09:15.572 कि आपातकालीन स्थिति में [br]क्या करना चाहिए। 0:09:15.572,0:09:20.792 वे कहते हैं अगर हवा का दबाव कम हो रहा हो,[br]तो वे ये मास्क नीचे उतारते हैं। 0:09:20.792,0:09:22.822 क्या कहा उन्होंने?[br] 0:09:22.822,0:09:29.636 उन्होंने कहा, 'पहले अपना पहनो![br]और फिर अपने बच्चों को पहनाओ।' 0:09:29.636,0:09:31.456 'पहले ख़ुद पहनो।' 0:09:31.456,0:09:35.614 क्योंकि यदि तुमने ख़ुद पहनने का [br]मौका गवां दिया, तो वे गए! 0:09:35.614,0:09:43.524 पहले ख़ुद पहनो। पहले अपनी ज़िन्दगी बचाओ।[br]यह स्वार्थ नहीं है। 0:09:43.524,0:09:49.813 यदि तुम लोगों को संसार सागर में [br]डूबते हुए देखो, 0:09:49.813,0:09:54.013 तुम्हें करुणा महसूस हो, तुम उन्हें [br]बचाना चाहते हो,और तुम भाग रहे हो, 0:09:54.013,0:10:00.173 'आओ आओ, मेरे पास आ जाओ!'[br]पर तुम ख़ुद तैर नहीं सकते। 0:10:00.173,0:10:06.447 तो तुम्हें वह सत्य पाना होगा [br]जो तुम्हारे सामने ख़ुद पेश हो रहा है। 0:10:06.447,0:10:09.420 यह सरल सा संकेत है।[br] 0:10:09.420,0:10:13.520 कई लोग आये और उन्होंने ये बातें कीं,[br]अलग अलग बातें, 0:10:13.520,0:10:16.506 पर अब यह इतना स्पष्ट दिख रहा है, 0:10:16.506,0:10:20.519 कि जैसे यह हमें उपहार स्वरूप मिला है,[br]मनुष्यों को, 0:10:20.519,0:10:23.001 इस तरह आसानी से देखने का। 0:10:23.001,0:10:26.921 ब्रह्माण्ड की नज़रों से देखने का।[br]ब्रह्माण्ड की नज़रों से कौन देख सकता है?[br] 0:10:26.921,0:10:31.826 तुम्हें अपने अनुकूलन से मुक्त होने की [br]ज़रूरत नहीं,लेकिन तुम उसके पार जा सकते हो। 0:10:31.826,0:10:35.961 मैं कहता हूँ, पार जाओ।[br]उस पार नहीं, इस पार। 0:10:35.961,0:10:39.432 उस मूल में वापस आ जाओ जहाँ से देखना [br] 0:10:39.432,0:10:43.306 और दृष्टि का होना,[br]ख़ुद भी देखा जा सकता है। 0:10:43.306,0:10:49.615 और तुम सब जानते हो। तुम यह जानते हो।[br]इस जगह पर खड़े हो, वहां पर एक हो जाओ।[br] 0:10:49.615,0:10:52.764 कुछ भी बनाओ नहीं, कोई नए विचार मत उठाओ। 0:10:52.764,0:10:58.774 खड़े हो कर पुष्टि करो कि तुम यहाँ हो।[br]तुम ही इस जगह की दृष्टि हो।[br] 0:10:58.774,0:11:03.864 कितना सुन्दर, हमें कितना [br]कृतज्ञ होना चाहिए, इंसानी तौर पर 0:11:03.864,0:11:07.701 कि इतने वर्षों तक जो शिक्षा बहुत ऊँची[br]और बहुत मुश्क़िल मानी गयी, 0:11:07.701,0:11:12.384 कि जिसे प्राप्त करने में [br]जन्मों लग जायेंगे, 0:11:12.384,0:11:15.602 वह तुम्हें बच्चों के खाने की तरह[br]दी जा रही है। 0:11:15.602,0:11:19.092 क्योंकि जैसे जैसे वक़्त निकलता गया, 0:11:19.092,0:11:23.910 हम अब वे लोग नहीं रहे [br]जिनमें ज़्यादा ध्यान देने की क्षमता हो। 0:11:23.910,0:11:31.507 जगत के परमात्मा ने [br]एक नया, सरल तरीका प्रस्तुत किया है,[br] 0:11:31.507,0:11:35.823 'ऐसे देखो'।[br]और यह सबसे सुन्दर तरीका भी है। 0:11:35.823,0:11:39.364 क्योंकि जब तुम सत्य के प्रति जागृत हुए हो, 0:11:39.364,0:11:43.569 तुम सिर्फ ईसाई या मुसलमान या हिन्दू [br]के तौर पर जागृत नहीं हुए। 0:11:43.569,0:11:48.689 तुम अस्तित्व के तौर पर जागृत हुए हो,[br]जो सर्वव्यापी है। 0:11:48.689,0:11:53.657 ये है जो मैं कहना चाह रहा हूँ।[br] 0:11:53.657,0:11:57.993 इस वक़्त दूसरे देशों में और लोग हैं [br]जो अलग अलग गुटों में देख रहे हैं। 0:11:57.993,0:12:01.862 वे इसके साथ शायद इसमें [br]तुमसे भी ज़्यादा मौजूद हैं। 0:12:01.862,0:12:09.010 क्योंकि वे इसे जानते हैं।[br]वे इसके लिए तरसते हैं।[br] 0:12:09.010,0:12:11.838 इसीलिए मैंने यह तुम्हारे [br]सामने ऐसे प्रस्तुत किया, 0:12:11.838,0:12:15.103 क्योंकि मैं तुम्हारे भ्रमों को[br]बढ़ावा नहीं दे सकता। 0:12:15.103,0:12:18.143 लेकिन देखना, क्योंकि तुममें वह शक्ति है! 0:12:18.143,0:12:23.342 किसी को तुम्हें यह बताने न दो कि [br]तुममें सर्वोच्च को जानने की ताकत नहीं है। 0:12:23.342,0:12:26.552 छोटी चीज़ें करने की ताकत शायद तुममें न हो, 0:12:26.552,0:12:29.132 क्योंकि शायद वे तुम्हारी नहीं हैं। 0:12:29.132,0:12:31.459 लेकिन सभी के लिए, वे ब्रह्म हैं।[br] 0:12:31.459,0:12:35.915 किसी न किसी पड़ाव पर यह [br]तुम्हारी आकांक्षा जगायेगा इसे ढूंढने के लिए। 0:12:35.915,0:12:39.249 तुम आये हो। मैं नहीं जानता तुममें से[br]बहुत से लोग कहाँ कहाँ से आये हैं , 0:12:39.249,0:12:43.382 पर मैं जानता हूँ कि पूरी दुनिया से लोग [br]इस कमरे में हैं। 0:12:43.382,0:12:51.784 क्योंकि यह सर्वयापी आवाज़ है[br]जो तुम्हें बुलाती है। 0:12:51.784,0:12:56.050 मैं तुम्हें केवल यह याद दिला रहा हूँ कि [br]तुममें क्षमता है, ताकत है, 0:12:56.050,0:12:58.371 जो कुछ भी तुम्हें चाहिए पार जाने के लिए,[br] 0:12:58.371,0:13:05.048 उस जीवन को छोड़ने के लिए जो इतना अस्थिर[br]है, जो केवल दिमाग के द्वारा जिया जाता है, 0:13:05.048,0:13:08.057 केवल परंपरा और आदत के द्वारा। 0:13:08.057,0:13:14.019 और उस जीवन में वापस आने की[br]जो गहरे अंतर्ज्ञान और नयेपन से भरा हुआ है।[br] 0:13:14.019,0:13:18.823 मैं तुम्हें सिर्फ़ यही संकेत देना चाहता हूँ। 0:13:18.823,0:13:20.573 देखा? 0:13:20.573,0:13:23.588 [प्र:] धन्यवाद![br][म:] मैं और तुम कहते हो, ' धन्यवाद', 0:13:23.588,0:13:27.158 और मैं कहता हूँ, जगत के परमात्मा को[br]धन्यवाद, 0:13:27.158,0:13:38.831 और श्री शंकर को,[br]और श्री रमन महर्षि,और श्री पूंजाजी ,[br] 0:13:38.831,0:13:44.311 श्री निसर्गदत्ता महाराज,[br]श्री योगी रामसुरतकुमार, श्री आनंदमयी माँ, 0:13:44.311,0:13:49.311 और ये सभी प्राणी जो आये,[br]और जो हमारे समय में आये 0:13:49.311,0:13:54.155 यह याद दिलाने के लिए..... 0:13:54.155,0:13:58.385 शायद यह कभी बहुत धार्मिक मायने नहीं लेगा,[br]मुझे नहीं पता। 0:13:58.385,0:14:01.775 यह बहुत ही क्रन्तिकारी रूप से सरल है।[br] 0:14:01.775,0:14:07.347 सत्य सरल है,[br]लेकिन सत्य को खोजने वाले जटिल हैं,[br] 0:14:07.347,0:14:11.555 और हम हमेशा अपनी जटिलताओं से[br]आसक्त रहते हैं। 0:14:11.555,0:14:14.465 हम हर समय ख़ुद से ही लड़खड़ाते रहते हैं 0:14:14.465,0:14:16.725 क्योंकि हम इतने स्थिर नहीं हैं[br]की हम देख सकें 0:14:16.725,0:14:20.075 हमें कुछ ज़्यादा नहीं करना है, 0:14:20.075,0:14:26.341 बस चुप रहना है और देखना है,[br]जो निर्देश तुम्हें दिया गया है उसके साथ,[br] 0:14:26.341,0:14:31.954 वह सत्य पाने के लिए जिसके लिए [br]तुम्हारा दिल इतना तरसता है। 0:14:31.954,0:14:36.474 मैं तुमसे कोई कविता नहीं कह रहा हूँ। 0:14:36.474,0:14:37.692 [प्र:] आपको प्यार![br] 0:14:37.692,0:14:40.714 [म:] तुम्हें भी प्यार।[br][प्र:] प्यार, प्यार।[br] 0:14:40.714,0:14:42.767 [म:] बहुत अच्छा। 0:14:42.767,0:14:50.731 कॉपीराइट © 2017 मूजी मीडिया [br]लिमिटेड सर्वाधिकार आरक्षित 0:14:50.734,0:14:55.724 इस रिकॉर्डिंग का कोई भाग मूजी मीडिया लि की[br]सहमति बिना पुन:प्रस्तुत नहीं किया जा सकता