नमस्कार।
मैं एक फ़िल्मी सितारा हूँ,
मैं 51 वर्षीय हूँ,
और अभी तक बोटोक्स इस्तेमाल नहीं किया।
हँसी
तो मैं साफ़ हूँ, पर मैं एक 21 वर्षीय जैसा
व्यवहार करता हूँ जैसा आपने मेरी फ़िल्मों में देखा होगा।
हाँ, मैं वह सब करता हूँ।
मैं सपने बेचते हूँ
और भारत के करोड़ों लोगों के लिए प्रेम फैलाता हूँ
जो मानते हैं
कि सँसार का सबसे बेहतर प्रेमी हूँ।
हँसी
अगर आप किसी से कहेंगे नहीं,
तो आपको बता दूँ मैं नहीं हूँ,
पर मैं इस मान्यता को चलने दे ता हूँ।
हँसी
मुझे यह भी समझाया गया है
कि आपमें से बहुत लोग ऐसे हैं
जिन्होंने मेरा काम नहीं देखा है,
और मैं आपके लिए काफ़ी दुखी हूँ।
हँसी
तालियाँ
यह उस तथ्य से दूर नहीं
कि मैं अपनी ही धुन में रहता हूँ
जैसा एक फ़िल्मी सितारे को होना चाहिए।
हँसी
ऐसे समय में मेरे दोस्तों,
क्रिस और जुलियेट ने मुझे यहाँ बुलाया
भविष्य के तुम के बारे में बात करने।
स्वाभाविक है,
मैं वर्तमान के मैं के बारे में बोलूँगा।
हँसी
क्योंकि मैं सच में मानता हूँ
कि मानवता मेरे ही जैसी है।
हँसी
वह है। वह है।
वह एक बूढ़े हो रहे
फ़िल्मी सितारे की तरह है,
अपने आस-पास की नवीनता से जूझती हुई,
सोचते हुए कि उसने पहली बार
में सही किया या नहीं,
और फिर भी रास्ता ढूँढते हुए
इस सबके बावजूद चमकते रहने के लिए।
मैं भारत की राजधानी, नई दिल्ली
की एक शरणार्थी बस्ती में पैदा हुआ।
और मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे।
मेरी माँ, बाकी माँओं की तरह एक लड़ाकू थीं।
और मौलिक मानव जाति की तरह,
हम जीने के लिए संघर्ष करते थे।
जब मैं अपने शुरू के 20 वर्ष में था,
मैंने अपने दोनों माता-पिता को खो दिया,
जो मुझे मानना होगा अब कुछ हद तक
मेरी लापरवाही लगती है,
परंतु...
हँसी
मुझे याद है वह रात
जब मेरे पिता की मौत हुई थी,
और मुझे याद है वह पड़ोसी का ड्राइवर
जो हमें अस्पताल लेकर जा रहा था।
उसने कुछ मरे हुए लोग टिप भी अच्छी नहीं देते
जैसा कहा
और अँधेरे में चला गया।
और मैं तब बस 14 का था,
और मैंने अपने पिता के मृत शरीर
को कार की पिछली सीट में रखा,
और मेरी माँ मेरे साथ बैठी थीं,
मैंने अस्पताल से घर की ओर
चलाना शुरू कर दिया।
और माँ ने सुबकते हुए मेरी ओर देखकर कहा,
बेटा, तुमने गाड़ी चलाना कब सीखा
और मैंने उस बारे में सोचा और एहसास हुआ,
और माँ से कहा,
बस अभी, माँ।
हँसी
तो उस रात के बाद से,
मानवता की किशोरावस्था की तरह,
मैने जीने के रूखे तरीकों को सीख लिया।
और सच कहूँ तो,
उस समय जीवन का ढाँचा बहुत ही साधारण था।
आप जानते हैं, आपको जो मिलता था वह खाते थे
और जो कहा जाता था वह करते थे।
मैं सिलिएक को एख सब्ज़ी समझता था,
और वेगन, तो अवश्य ही स्टार ट्रेक के मि. स्पॉक
का बिछड़ा हुआ यार था।
हँसी
जिस पहली लड़की से तुम मिलते थे
उसी से शादी करते थे,
और तुम टैकी थे अगर अपनी कार के कॉर्बुरेटर
को ठीक कर सकते।
मैं सच में सोचता था
कि गे खुश का एक जटिल शब्द है।
और लेस्बियन तो अवश्य ही पुर्तगाल की राजधानी थी,
जैसा आप सब जानते हैं।
हँसी
मैं कहाँ था
हम उन प्रणालियों पर निर्भर थे
जो हमारी रक्षा के लिए पुश्तों
ने मेहनत और त्याग से बनाई थीं,
और हम सोचते थे
कि सरकारें हमारे भले के लिए काम करती हैं।
विज्ञान सरल और तार्किक था,
एपल तब भी एक फल ही था
जो ईव के बाद न्यूटन का था,
तब तक स्टीव जॉब्स का नहीं था।
और तुम यूरेका चिल्लाते थे
जब गलियों में नंगे भागना चाहते थे।
काम के लिए ज़िंदगी जहाँ ले जोती,
वहाँ चले जाते थे,
और लोग तुम्हारा स्वागत करते थे।
तब प्रवासन एक शब्द था
साइबेरिया की ट्रेनों के लिए, मनुष्यों के लिए नहीं।
सबसे अहम, तुम वह थे जो तुम थे
और वही बोलते थे जो सोचते थे।
फिर मेरे बाद के 20 में,
मैं विशाल महानगर मुंबई चला गया,
और मेरा ढाँचा,
एक नई औद्योगिकृत आकांक्षाओं
से भरी हुई मानवता,
की तरह परिवर्तित होने लगा।
अधिक आलंकृत जीवन की शहरी जल्दी में,
चीज़ें कुछ अलग सी दिखने लगीं।
मैं सँसार भर से आए लोगों से मिला,
चेहरे, जातियाँ, लिंगों, साहूकारों से।
परिभाषाएँ बदलने लगीं।
उस वक्त काम आपकी परिभाषित करने लगा
एक बहुत ही समान तरीके से,
और सभी प्रणालियाँ
मुझे अपना भरोसा खोते हुए दिखाई देने लगीं,
उनका सहारा लेना मुश्किल होने लगा
मानवता की भिन्नता
और मनुष्य की आगे बढ़ने
और विकसित होने की ज़रूरत के लिए।
विचाार अधिक आज़ादी और गति से बहने लगे।
और मैंने मानव के नवप्रवर्तन
और सहयोग के चमत्कार को अनुभव किया,
और मेरी स्वयं की सृजनात्मकता,
ने इस सामूहिक प्रयास की कुशलता की सहायता से
मुझे सर्वश्रेष्ठ सितारा बना दिया।
मुझे महसूस होने लगा कि मैं पहुँच गया था,
और सामान्यत 40 तक पहुँचते हुए,
मैं बस हवा में ही था।
मैं सब जगह था।
जानते हैं मैं तब तक 50 फ़िल्में कर चुका था
और 200 गाने,
और मुझे मलेशिया के लोगों ने सम्मानित किया।
फ़ाँस की सरकार
ने मुझे उनका सर्वोच नागरिक सम्मान दिया,
जिसका शीर्षक मैं आज तक
सही उच्चारित नहीं कर सकता हूँ।
हँसी
माफ़ करना, फ़ाँस, और शुक्रिया, फ़ाँस मुझे वह देने के लिए।
पर उससे भी ज़्यादा,
मेरी मुलाकात एंजेलीना जोली से हुई...
हँसी
डाई सेकंड के लिए।
हँसी
और मुझे विश्वास है उन्हें भी वह भेंट कहीँ याद होगी।
ठीक है, शायद नहीं होगी।
और मैं खाने की गोल मेज़
पर हाना मोंटाना के साथ बैठा था
जब अधिकतर समय उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी।
जैसा मैंने कहा,
मैं माइली से जोली की तरफ़ उड़ रहा था,
और मानवता मेरे साथ उड़ रही थी।
हम दोनों काफ़ी हद तक बोखला गए थे।
और फिर आप सब जानते हैं क्या हुआ।
इंटरनेट शुरू हो गया।
मैं अपने 40 वें साल में था,
और पिंजरे में बैठे पक्षी की तरह
मैंने ट्वीट करना शुरू कर दिया
और यह मानकर कि जो लोग
मेरी दुनिया में ताक-झाँक करते हैं
उसका आनंद उठाएँगे
क्योंकि मैं उसे एक चमत्कार समझता था।
पर मुझे औऱ मानवता को कुछ औऱ ही मिला।
आप जानते हैं, हमने चाहा था
विचारों औऱ सपनों का विस्तार
सँसार में बढ़ते हुए संबंधों के साथ।
जिस जगह से आज़ादी और क्रांति का जन्म हो रहा था,
हमने वहीं से गाँव की तरह
विचारों के,, विवेक के, परिभाषा
के सिमटने का सौदा नहीं किया था।
जो कुछ मैं कहता, उसका नया अर्थ निकाला जाता।
जो भी मैं करता... अच्छा, बुरा, भद्दा...
उसपर सारा सँसार
अपने विचार प्रकट करता था।
असलियत में, मैं जो कुछ नहीं भी करता या कहता
उसका भी वही हश्र हो रहा था।
चार साल पहले,
मेरी प्यारी बीवी गौरी और मैंने
तीसरे बच्चे का निर्णय लिया।
नेट पर दावा किया गया
कि वह हमारे पहले बेटे
जो 15 साल का था
की नाजायज़ औलाद था।
स्पष्ट तौर से, उसने उसकी कार रोमेनिया
में उसकी कार चलाते हुए
यह काम किया था।
और हाँ, इसके साथ एक नकली वीडियो भी था।
और हमारा परिवार इतना परेशान हो गया था।
मेरा बेटा, जो अब 19 का है,
आप उससे अब भी अगर हेलो कहते हैं,
वह बस पलटकर कहता है,
"पर भाई, मेरे पास
तो यूरोप का ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।"
(हँसी)
हाँ।
इस नए सँसार में,
धीरे-धीरे, हकीकत आभास बन गई
और आभास वास्तविकता,
और मुझे एहसास होने लगा
मैं वह नहीं बन सकता जो मैं बनना चाहता हूँ,
या कह सकूँ जो सच में सोचता हूँ,
और इस वक्त मानवता
मेरी पहचान बन गई थी।
मेरा विचार है कि हम दोनों
अधेड़ उम्र के संक्रमण काल से गुज़र रहे थे,
और मानवता, मेरी ही तरह,
उद्भासित गायिका बनी जा रही थी।
मैंने सबकुछ बेचना शुरू कर दिया,
बालों के तेल से लेकर डीज़ल के जेनरेटरों तक।
मानवता सब खरीद रही थी,
कच्चे तेल से न्यूक्लियर रियेक्टरों तक।
जानते हैं, मैंने खुद को नया दिखाने के लिए
तंग सुपरहीरो सूट पहनने की कोशिश भी की।
मानना पड़ेगा कि बुरी तरह से असफल हुआ।
मैं सँसार के सभी बैटमेन, स्पाइडर-मेन
और सुपरमेन की तरफ़ से कहना चाहूँगा,
आपको उनकी प्रशंसा करनी चाहिए,
क्योंकि वह बहुत कष्टप्रद होता है,
सुपरहीरो का सूट।
हँसी
हाँ, मैं सच कह रहा हूँ।
मुझे आपको यहाँ यह बताना होगा।
सच में।
और संयोगवश, मैंने नाचने
का एक नया ढंग भी बनाया है
जो मुझे पता नहीं चला,
और वह बहुत लोकप्रिय हो गया।
तो अगर सही लगे तो,
औऱ आप मुझे थोड़ा तो देख ही चुके हैं,
तो मैं बेशर्म तो हूँ, मैं आपको दिखाता हूँ।
उसे लूँगी डाँस कहते थे।
तो अगर सही लगे, मैं आपको अभी दिखाऊँगा।
मैं वैसे काफ़ी प्रतिभावान हूँ।
चियर्स
तो वह कुछ ऐसे था।
लुँगी डाँस। लुँगी डाँस।
लुँगी डाँस। लुँगी डाँस।
लुँगी डाँस। लुँगी डाँस।
लुँगी डाँस। लुँगी डाँस।
लुँगी डाँस। लुँगी डाँस।
लुँगी डाँस। लुँगी।
बस यह ही था। काफ़ी लोकप्रिय हो गया था।
चियर्स
सच में हो गया था।
जैसा आपने देखा, मेरे सिवा किसी को
कुछ पता नहीं चल रहा था कि क्या हो रहा है,
और मुझे परवाह नहीं, सच में,
क्योंकि सारा सँसार, और पूर्ण मानवता,
उतनी ही उलझन में और गुमराह है जितना मैं।
मैंने तब भी उम्मीद छोड़ी नहीं।
सोशल मीडिया पर मैंने फिर से
अपनी पहचान बनाने की कोशिश की
जैसा कि सब करते हैं।
मैंने सोचा
कि अगर मैं दार्शनिक ट्वीटें डालूँगा
लोग सोचेंगे मैं वैसा हूँ,
पर उन ट्वीटों के बदले
में जो कुछ जवाब मुझे आए
बहुत ही उलझन भरी संक्षिप्तियाँ थीं
जो मैं समझ नहीं पाया। आपको पता है?
आरओएफ़एल, एलओएल।
किसीने मेरी एक विचारोत्तेजक ट्वीट पर लिखा एडीडास
और मैं सोच रहा था
कि जूते का नाम क्यों लिखा होगा,
मेरा मतलब आप जूते का नाम लिखकर
मुझे क्यों भेजेंगे?
और मैंने अपनी 16-वर्षीय बेटी को पूछा,
और उसने मुझे बताया।
एडीडास का अब मतलब है
ऑल डे आई ड्रीम अबाउट सेक्स।
हँसी
सच में।
मुझ नहीं पता अगर आप वह जानते हैं।
तो मैंने मि. एडीडास को मोटे अक्षरों
में वटफ वापिस लिख दिया,
मन ही मन शुक्रिया करते हुए कि कुछ
संक्षिप्तियाँ और चीज़ें कभी बदलेंगी नहीं।
वटफ।
परंतु हम यहाँ पर हैं।
मैं 51 वर्षीय हूँ, जैसा मैंने आपको बताया,
और दिमाग को हिलाने वाली संक्षिप्तियों
पर ध्यान ना देते हुए,
मैं बस आपको बताना चाहता हूँ
अगर मानवता के अस्तित्व
के लिए कोई महत्वपूर्ण समय है,
तो वह अभी है,
क्योंकि आज के आप बहादुर हो।
आज के आप आशावादी हो।
आज के आप नवीन और साधन सम्पन्न हैं,
और अवश्य ही, आज के आप अपरिभाष्य हैं।
और इस मंत्र-मुग्ध करने वाले,
अस्तित्व के अपूर्ण क्षण में,
यहाँ आने से पहले थोड़ा सा साहसी
महसूस कर रहा था,
मैंने अपने चेहरे पर
एक अच्छी, कड़ी निगाह डालने का निर्णय लिया।
और मुझे एहसास हुआ
कि मैं मैडम टुस्साड के मेरे माम के पुतले
जैसा अधिक दिखने लगा हूँ।
हँसी
हाँ, और एहसास के उस पल में,
मैंने स्वयं से और मानवता
से सबसे केंद्रीय और उपयुक्त सवाल पूछा:
मुझे अपने चेहरे को ठीक करने की ज़रूरत है
सच में। मैं एक अभिनेता हूँ,
जैसा मैंने आपको बताया,
मानव की सृजनात्मकता
की एक आधुनिक अभिव्यक्ति।
मैं जिस देश का वासी हूँ
अकथनीय परंतु अत्यंत सरल आध्यात्मिकता
का स्त्रोत है।
उसकी असीम उदारता में,
भारत ने किसी तरह निर्णय लिया
कि मैं, एक कड़के स्वतंत्रता सेनानी
का मुस्लिम बेटा
जो अनजाने में सपने बेचने
के कारोबार में आ गया,
को इसके रोमाँच का राजा बनना चाहिए,
बॉलीवुड का बादशाह,
देश का सबसे बेहतरीन प्रेमी...
इस चेहरे के साथ।
हाँ।
हँसी
जिसे बदले में भद्दा, अपरम्परागत,
और हैरानी की बात है
इतना चॉक्लेटी नहीं कहा गया है।
हँसी
इस प्राचीन भूमि के लोगों ने
अपने असीमित प्रेम से मुझे गले लगाया,
औऱ मैंने इन लोगों से सीखा है
कि ना सत्ता ना ही गरीबी
आपके जीवन को अधिक शानदार
या कम जटिल बना सकते हैं।
मैंने अपने देश के वासियों से सीखा है
कि एक जीवन, एक मनुष्य,
एक संस्कृति, एक धर्म, एक देश की शान
उसकी करूणा औऱ कृपा
की क्षमता में ही वास करते हैं।
मैंने सीखा है कि जो आपको हिला सकता है,
आपको रचना,
निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है,
जो आपको असफलता से बचाता है,
जो आपको जीना सिखाता है,
वह है मानवता की सबसे पुरानी औऱ सरल भावना,
और वह है प्रेम।
मेरे देश के एक आध्यात्मिक कवि ने लिखा था,
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ,
पंडित भया ना कोई,
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ,
भया ना पंडित कोई।
ढाई आखर प्रेम के
पढ़े सो पंडित होय।
जिसका अनुवाद है कि जो भी...
हाँ, अगर आप हिंदी जानते हैं,
कृपया ताली बजाएँ, हाँ।
तालियाँ
याद रखना बहुत मुश्किल है।
जिसका अनुवाद करें तो वास्तव में ऐसा होगा
कि आप ज्ञान की कितनी भी किताबें
क्यों ना पढ़ लें
औऱ फरि अपना ज्ञान बाँटें
आविष्कार, सृजनात्मकता, तकनीक के द्वारा,
पर मानवता अपने भविष्य को सही से नहीं जान पाएगी
जब तक इनके साथ अपने साथियों के लिए
प्रेम और सहानुभूति नहीं लाएगी।
प्रेम शब्द के ढाई अक्षर,
जिसका अर्थ है प्यार,
अगर आप यह समझ लें
और इसे अपनाएँ,
मानवता को प्रबुद्ध करने के लिए
बस इतना ही काफ़ी होगा।
तो मैं सच में मानता हूँ कि भविष्य के आप
एक ऐसे आप होने चाहिए जो प्रेम करे।
नहीं तो यह फलना-फूलना बंद कर देगा।
अपने ही स्व-अवशोषण में नष्ट हो जाएगा।
तो आप दीवारें बनाकर
लोगों को बाहर रखकर
अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं,
या आप इसका प्रयोग बाधाएँ तोड़कर
उन्हें अंदर ला सकते हैं।
आप अपनी श्रद्धा का प्रयोग
लोगों को डराने में कर सकते हैं
और डराकर समर्पण करवा सकते हैं,
या आप उसका प्रयोग
लोगों की हिम्मत बढ़ाने में कर सकते हैं
ताकि वे प्रबुद्धता
की चरम सीमा तक पहुँच पाएँ।
आप अपनी उर्जा का प्रयोग
न्यूक्लियर बम बनाकर
विनाश का अँधकार फैला सकते हैं,
या आप उसका प्रयोग करोड़ों
में खुशी की लहर फैलाने में कर सकते हैं।
आप संवेदनाहीन बनकर महासागरों को दूषित
कर सकते हैं और वनों को काट सकते हैं।
आप पर्यावरण कानाश कर सकते हैं,
या उन्हें प्रेम से सींचते हुए
पानी और वृक्षों से नए जीवन
का आरम्भ कर सकते हैं।
आप मंगल ग्रह पर जा सकते हैं
और सशस्त्र गढ़ बना सकते हैं,
या आप जीवन की प्रजाती और रूप ढूँढकर
उनका सम्मान करके सीख सकते हैं।
औऱ आप हम सभी के कमाए
पैसे का प्रयोग कर सकते हो
फिज़ूल के युद्ध छेड़ने में
और नन्हें बच्चों के हाथों में बंदूकें देने में
ताकि एक-दूसरे को मार सकें,
या आप उसका प्रयोग कर सकते हैं
उनका पेट भरने के लिए
अधिक भोजन उगाने में।
मेरे देश ने मुझे सिखाया है
एक मनुष्य की प्रेम करने की क्षमता
धार्मिकता के बराबर है।
यह उस सँशार में दमकती है
जिसे मेरे खयाल में,
सभ्यता बहुत अधिक उजाड़ चुकी है।
पिछले कुछ दिनों में,
यहाँ की वार्ताएँ, कमाल के लोग
जो आकर अपनी प्रतिभा दिखा रहे थे,
व्यक्तिगत उपलब्धियों, आविष्कारों,
तकनीक, विज्ञान के बारे में बात कर रहे थै
यहाँ होने की वजह से जो ज्ञान हम पा रहे हैं
टेड टॉक्स औऱ आप सबकी उपस्थिति में
पर्यापत कारण हैं हमें भविष्य के हम का जश्न मनाने के लिए।
परंतु उस जश्न में
हमारी प्रेम और सहानुभूति
को बढ़ावा देने की हमारी खोज
को दृढ़ता से डटे रहना होगा,
को दृढ़ता से डटे रहना होगा,
उतनी ही बराबरी से।
तो मेरा मानना है कि भविष्यके आप
एक अनन्त आप हैं।
इसे भारत में चक्र कहते हैं,
एक वृत्त की तरह।
वह सम्पूर्ण होने के लिए जहाँ से शुरू होता है
वहीं पर अंत होता है।
एक आप जो समय और अंतरिक्ष
को भिन्न रूप से देखते हैं
दोनों को समझते हैं
आपका अकल्पनीय
और गज़ब का महत्व
और सृष्टि के संदर्भ में आपकी पूर्णत: महत्वहीनता।
एक आप जो वापिस जाते हो
मानवता की मौलिक मासूमियत में,
जो हृदय की पवित्रता से प्रेम करते हो,
जो सत्य की आँथों से देखते हो,
जो एक अक्षत दिमाग की स्पष्टता से सपने लेते हो।
भविष्य के आप
एक बूढ़ हो रहे फ़िल्मी सितारे की तरह होना चाहिए
जिसे यह मानने पर मजबूर किया गया है
एक ऐसे सँसार की सम्भावना है
जो पूर्ण रूप से अपने ही जुनून में
अपने ही प्रेम में संलिप्त हो।
एक सँसार ... सच में, एक आप चाहिए
जो उस सँसार की रचना करे
जो अपना ही बेहतरीन प्रेमी हो।
मेरा मानना है, देवियों औऱ सज्जनों, वह
होंगे भविष्य के आप।
बहुत-बहुत शुक्रिया।
तालियाँ
शुक्रिया।
तालियाँ
शुक्रिया।
तालियाँ