प्रकाश, हम जानते हैं कि सबसे तेज चीज़ है|
यह इतनी तेज़ है कि इससे
हम विशाल दूरियों को मापते हैं
प्रकाश को वहाँ पहुचने के
समय के आधार पर ।
एक साल में प्रकाश करीब
६,०००,०००,०००,००० मील यात्रा करता हैं
जिस दूरी को हम एक प्रकाश वर्ष कहते हैं।
यह कितना बड़ा है ,
इसे आपको समझाने के लिए ,
चंद्रमा, जिसमे पहुँचने केलिए
अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों को ४ दिन लगे,
यह पृथ्वी से सिर्फ
एक प्रकाश सेकंड ही दूर हैं।
इसी बीच, हमारे अपने सूर्य से परे
सबसे नजदीकी सितारा, प्रोक्सिमा सेंटौरी ,
४.२४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।
हमारी आकाशगंगा करीब
१००,००० प्रकाश वर्ष के क्रम पर है।
हमारे पास के अगली नजदीकी गैलेक्सी जो है,
एंड्रोमेडा,
करीब २.५ लाख प्रकाश वर्ष दूर हैं।
अंतरिक्ष अत्यधिक विशाल है।
लेकिन रुकिए, यह हमने कैसे जाना कि
तारे और आकाशगंगाएं कितने दूर हैं?
आखिर, जब हम आकाश की ओर देखते हैं,
हमे एक समतल, दो आयामी दृष्टिकोण दिखता है।
अगर आप एक तारे की ओर ऊँगलीसे इशारा करते हो
आप नहीं बता सकते कि वह तारा कितनी दूर हैं,
तो खगोलशास्त्री यह कैसे पता करते हैं?
नज़दीकी वस्तुओं के लिए
हम त्रिकोणमितीय लंबन के
एक संकल्पना का उपयोग करते हैं।
विचार बहुत आसान है।
चलो एक प्रयोग करते हैं।
अपने अंगूठे आगे करके
अपनी बायी आंख बंद कीजिये।
अब, अपनी बायी आंख खोलें और
अपने दाहिने आंख बंद कर दें.
आपको लगेगा कि आपका अंगूठा का स्थान
बदल गया
जबकि बहुत दूर के वस्तुओं के
स्थान नहीं बदले।
यही अवधारणा लागू होती है जब
हम तारों को देखते हैं।
पर, दूर के सितारे तुम्हारे हाथ के
लम्बाई से कही ज़्यादा दूरी पर हैं
और पृथ्वी इतनी बड़ी नहीं हैं,
तो अगर आपके पास दो दूरबीन होते
जो भूमध्यरेखा में रखे हुए है ,
तो आपको उनके स्थान में
कोई ज़्यादा परिवर्तन नज़र नहीं आएगा।
इसके बजाय, हम छह महीनोंके दौरान सितारों के
स्पष्ट स्थान के बदलाव को देखेंगे,
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा का
आधा रास्ता।
जब हम गर्मी के मौसम में सितारों के
सापेक्ष स्थिति को मापते है
और फिर से जब लेते है सर्दी में ,
तब हमारे दूसरी आँख से देखने जैसे लगते हैं।
ऐसे लगता हैं कि पास के सितारों के स्थान
बदल गए पृष्ठभूमि के सापेक्ष में
जो दूर के सितारे और आकाशगंगाएं हैं।
पर यह विधि लागू होती हैं सिर्फ उन्ही
चीज़ों केलिए जो कुछ हजार प्रकाशवर्ष दूर है।
हमारे आकाशगंगा के पार
दूरियां इतनी लम्बी हैं कि
लंबन इतना छोटा है कि वह सबसे संवेदनशील
उपकरणों से भी पता नहीं लगा सकते।
इस समय, हमें एक और तरीके पे
भरोसा करना पड़ेगा।
जो हम मानक मोमबत्ती के नाम से पुकारते हैं।
मानक मोमबत्ती वो चीज़ें होती है
जिसके आंतरिक चमक अथवा प्रकाश
हमें अच्छी तरह मालूम हैं।
उदाहरणार्थ, अगर तुम्हे पता है कि तुम्हारे
प्रकाश बल्ब कितना चमकीला है,
और तुम अपने दोस्त से वह बल्ब लेके
तुमसे दूर जाने के लिए कहो ,
तुम्हें पता होगा कि जो प्रकाश की मात्रा
तुम्हारे दोस्त से मिलती है,
कम होती जाएँगी जब दूरी दुगनी हो जाती है।
तो, तुम्हे जो प्रकाश मिलता है
उसके मात्रा के तुलना
उस प्रकाश बल्ब के आंतरिक चमक से करके
तुम बता सकते हो कि तुम्हारा दोस्त
कितनी दूर हैं।
खगोल विज्ञान में, अपना प्रकाश बल्ब
एक विशेष सितारा होता है
जिसको सेफीड वेरिएबल कहते हैं।
इन सितारे आंतरिक रूप से अस्थिर होते है,
एक बलून जैसे जो लगातार बड़े
और छोटे होते रहते हैं।
और क्यूंकि विस्तार और
संकुचन चमक को कम करती है ,
इस चक्र की अवधि को नापकर
हम उनकी चमक की गणना कर सकते हैं।
अधिक चमकदार सितारे
और धीरे बदलाव के साथ।
इन सितारों के निरीक्षण करके मिलने वाली
प्रकाश की तुलना
हम पहले गणन करके रखे हुए
उनके आंतरिक चमक से करके
हम बता सकते है कि वे कितने दूर हैं।
दुर्भाग्य से यह कहानी का अंत नहीं हैं।
हम केवल व्यक्तिगत सितारों का
निरीक्षण कर सकते हैं
जो करीब ४०,०००,००० प्रकाश वर्ष दूर हैं
जिसके बाद वे हल करने के लिए
बहुत धुँधले हो जाते हैं।
लेकिन सौभाग्य से हमारे पास
एक और मानक मोमबत्ती हैं।
यह है, प्रसिद्ध टाइप "१ ए " सुपरनोवा।
सुपरनोवे, एक विशाल तारकीय विस्फोट
एक तरीका है सितारों के मरने का,
यें विस्फोट बहुत चमकदार होते है
जो पूरी आकाशगंगा को
ग्रहण कर देते है जहाँ पे वह होते हैं।
तो जब भी हम एक गैलेक्सी के व्यक्तिगत
सितारे नहीं देख सकते ,
हम सुपरनोवे को देख सकते हैं
जब भी वे होते हैं।
और "टाइप ए" सुपरनोवे
मानक मोमबत्तियों के तरह उपयोग कर सकते हैं।
क्यूंकि आंतरिक रूप से चमकीले,
हल्के वालों की तुलना में
धीमी गति से धुंधले होते हैं ।
इस संबंध की हमारी समझ के माध्यम से
चमक और गिरावट की दर के बीच,
हम इन सुपरनोवे को दूरी की जांच के लिए
उपयोग कर सकते है
वो भी कई अरबों प्रकाश वर्ष तक।
लेकिन दूर की वस्तुओं को देखना
महत्वपूर्ण क्यों है?
खैर, याद है ,प्रकाश कितनी
तेज़ी से यात्रा करता हैं ?
उदाहरणार्थ,सूर्यद्वारा उत्सर्जित प्रकाश को
हम तक पहुँचने के लिए आठ मिनट लगते हैं,
जिसका मतलब है कि जो प्रकाश हम अब देखते है,
वह एक चित्र है सूर्य का जो ८ मिनट पहले था।
जब आप सप्तऋषि को देखते हो,
तब आप ८० साल पहले के
सप्तर्षि को देख रहे हैं ।
और उन अस्पष्ट गलक्सीस ?
वे लाखों प्रकाश वर्ष दूर हैं।
इनके प्रकाश हमतक
पहुँचने के लिए लाखों वर्ष लगे।
तो एक तरह से ब्रह्मांड खुद अपने आप में
एक काल यंत्र हैं।
जितने पीछे हम देखेंगे,
उतनी ही यौवन ब्रह्मांड को हम देख पाएंगे|
खगोलशास्त्री ब्रह्मांड के इतिहास को
पढ़ने की कोशिश करते है
यह समझने की
कि हम कहाँ से आए।
ब्रह्मांड लगातार प्रकाश के रूप में
हमें जानकारी भेज रहा है।
हमारे लिए जो बचा है, वो है इनको समझना।