कितनी बार हम एक कागज़ के टुकड़े को मोड़ सकते है? मान लीजिये की एक कागज़ है जो बहुत पतला होता है जिसमे बाइबिल छपा है असल में वो सिल्क के टुकड़े जैसा लगेगा इसे योग्य करने के लिए मान लीजिये की आपके पास एक कागज़ है जो सेंटीमीटर का हजारवा भाग है. जो होता है दस के पॉवर में माइनस तीन सेंटीमीटर. बराबर ०.००१ सेंटीमीटर अब मान लीजिये की एक बड़ा कागज़ है. जैसे की अखबार का उसे आधा मोड़ने से शुरुआत करे कितनी बार आप उसे मोड़ सकते है? एक सवाल आप उसे जितना चाहे उतनी बार मोड़े मान लीजिये ३० बार उसकी मोटाई कितनी होगी? आगे बढ़ने से पहले आप सचमे इसका जवाब सोचे अब एक बार कागज़ मोड़ने से उसकी मोटाई एक सेंटीमीटर के दो हजारवे हिस्से जितनी हुई वापस एक बार मोड़े. अब एक सेंटीमीटर के चार हजारवे हिस्से जितनी हो गयी. हर एक बार मोड़ने से मोटाई दो गुनी हो जाती है. और हम मोड़ते ही जाये बार बार, तो हमारे पास ये होगा १० बार मोड़ने के बाद. दस के पॉवर में दो. मतलब आप दो को ही दस बार गुणा करे. तो होता है १.०२४ सेंटीमीटर. जो एक सेंटीमीटर से थोडा ही ज्यादा है. मान लीजिये की हम मोड़ते ही रहे कागज़ को. फिर क्या होगा? १७ बार मोड़ने पर, मोटाई मिलेगी सत्रह के पॉवर में दो/ जो एक सौ एकतीस सेंटीमीटर है/ या फिर चार फीट से थोडा ज्यादा पचीस बार मोड़ने से मोटाई होगी पचीस के पॉवर में दो जो ३३,५५४ सेंटीमीटर है. ग्यारासो फीट से थोडा ज्यादा या फिर एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की उचाई जितना ये कुछ ज्यादा हो गया! कागज़ का एक टुकड़ा जो बहुत पतला होता है. उसे पचीस बार मोड़ने से मोटाई एक मील के क्वार्टर जितनी होगी तो हमने क्या सीखा? इसे कहते है एक्सपोनेंशियल ग्रोथ और अभी देखा की एक कागज़ को मोड़ने से हम बहुत दूर और बहुत तेज़ आगे जा सकते है. वापस आते है, अगर हम कागज़ को पचीस बार मोड़े तो मोटाई एक मील के क्वार्टर जितनी होगी तीस बार, तो मोटाई ६.५ मील होगी. जो हाइट है किसी भी हवैजहाज़ के उड़ने की चालीस बार, मोटाई होगी लगभग ७००० मील, या फिर जीपीएस उपग्रह की हाइट जितनी ४८ बार, और मोटाई होगी एक मीलिओन मील से थोडा ज्यादा अब आप सोचे पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच का अंतर तो वो है २५०,००० मील से थोडा कम, मतलब, बाइबिल के एक कागज़ से शुरुआत करे. और उसे ४५ बार मोड़े तो हम चन्द्रमा तक पहुच सकते है और उसे दो गुना करे तो हम वापस पृथ्वी पर आ सकते है. [संगीत]