एक सॉफ्टवेयर डेवलपर और टेक्नोलॉजिस्ट
के रूप में,
मैंने कई सालों तक नागरिक
प्रौद्योगिकी परियोजनाओं
पर काम किया है।
सिविक तकनीक कभी-कभी "अच्छे के लिए तकनीक"
के रुप में जानी जाती है,
मानवीय समस्याएँ प्रौद्योगिकी से
सुलझाती हुई।
ये युगांडा में 2010 की बात है,
ऐसे समाधान पर काम हो रहा था
जो स्थानीय आबादी को
असंतोष व्यक्त करने पर सरकार निगरानी
से बचा सकता था।
बाद में वही तकनीक उत्तरी अफ्रीका
में काम में लाई गई,
समान उद्देश्यों के लिए, जिससे कार्यकर्ता
आपस में जुड़े रहते,
जब सरकारें जान-बूझकर संपर्क
समाप्त कर रही थी,
जनसंख्या नियंत्रण के एक साधन के रूप में।
पर बीते कुछ सालों में जैसे मैंने इन
तकनीकों के बारे में सोचा है
और जिन चीज़ों पर में काम करता हूँ,
एक सवाल मुझे हमेशा सताता रहता है,
और वो ये कि
कहीं हम प्रौद्योगिकी के गुणों के बारे
में गलत तो नहीं हैं।
और कहीं ये उन समुदायों को नुकसान
तो नहीं पहुँचाती जिनकी हम मदद करना
चाहते हों?
दुनिया भर में प्रौद्योगिकी उद्योग इसी तरह
की मान्यताओं के तहत काम करता है
कि हम बढ़िया चीज़ें बनाते हैं,
ये हर किसी को सकारात्मक रुप
से प्रभावित करेगा।
आखिरकार, ये नवाचार बाहर निकलकर सभी
को ढ़ूंढ़ ही लेंगे।
पर हमेशा ऐसा नहीं होता।
मैं तकनीक के इस अंधे समर्थन को
"ट्रिकल-डाउन टिकोनोमिक्स," कहना चाहुँगा,
एक वाक्यांश उधार लेते हुए।
(हँसी)
हम सोचते हैं कि यदि हम कुछ गिने-चुने
लोगों के लिए चीजे़ं डिजा़इन करें,
तो आखिरकार, वो तकनीक हर किसी के पास
पहुँच जाएगी,
पर हमेशा ऐसा नहीं होता।
प्रौद्योगिकी और नवाचार बहुत कुछ धन और
पूंजी की तरह बर्ताव करते हैं।
वे कुछ के हाथों में ही मज़बूत होने
लगते हैं,
और कई बार वे बहुत से लोगों के हाथों
में पहुँच जाते हैं।
तो आप में से अधिकतर सप्ताहांत पर दमनकारी
शासनों से नहीं निपट रहे,
इसलिए मैं कुछ ऐसे उदाहरण सोचना चाहता था
तो ज्यादा संबंधित हों।
धारण करने योग्य चीज़ों, स्मार्टफोन्स
और ऐप्पस की दुनया में
लोगों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर नज़र रखने
के लिए एक बड़ा आंदोलन चल रहा है,
ऐसे एप्लीकेशनस से जो आपकी नष्ट कैलोरी
की संख्या पर नज़र रखते हैं
या कि आप ज्यादा बैठ रहे हैं या फिर
पर्याप्त चल रहे हैं।
इन तकनीकों से चिकित्सा केंद्रों में
रोगियों के दाखिले अधिक कुशल हो गए हैं,
और बदले में, ये चिकित्सा केंद्र
इसी तरह की कुशलता कि अपेक्षा
करने लगे हैं।
जैसे ये डिजिटल उपकरण चिकित्सा कक्षों
में अपना रास्ता बना रहे हैं,
और वे डिजिटल रुप से तैयार
हो रहे हैं,
डिजिटल रुप से अदृश्य का क्या होता है।
उसके लिए चिकित्सा अनुभव कैसा होता है
जिसके पास 400 डाॅलर का फोन
या घड़ी नहीं है,
जो उनकी हर हरकत पर नज़र रखे?
तो क्या वो अब चिकित्सा प्रणाली पर बोझ हैं?
क्या उनका अनुभव बदला है?
वित्त के क्षेत्र में,
बिटकॉइन और क्रिप्टो-करेंसिस
दुनिया भर में पैसे के लेनदेन के हमारे
तरीके में क्रांति ला रही हैं,
पर इन तकनीकों के साथ चुनौती है
कि प्रवेश में बाधा अविश्वसनीय रूप
से उँची है, ठीक?
आपको वैसे ही फोन, उपकरण और उसी प्रकार
का संपर्क चाहिए,
और जहाँ आपको नहीं भी मिलते,
जहाँ आप एक प्रॉक्सी एजेंट पा सकते हैं,
आम तौर पर उन्हें भाग लेने के लिए निश्चित
मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है।
तो मैं अपने आप से पूछता हूँ कि उस अंतिम
समुदाय का क्या होगा
जो कागज के नोट उपयोग कर रही है जबकि बाकी
दुनिया में डिजिटल मुद्रा का चलन है?
एक और उदाहरण मेरे गृहनगर
फिलाडेल्फिया से:
मैं हाल ही में वहाँ के सार्वजनिक
पुस्तकालय गया,
और वो अस्तित्व संकट से जूझ रहे हैं।
लोक निधि घटती जा रही है,
उन्हें अपने पदचिह्न छोटे करने पड़ रहे हैं,
खुले और प्रासंगिक बने रहने के लिए,
और एक तरीका जो वो अपना रहे हैं
वो है बहुत सी किताबों को डिजिटाइज कर
उन्हें क्लाउड पर डालना।
ये बहुत सारे बच्चों के लिए अच्छा है।
ठीक?
आप घर से ही किताबें देख सकते हैं,
आप स्कूल आते या जाते समय
खोज कर सकते हैं,
पर ये सच में दो बड़े पुर्वानुमान हैं,
एक ये कि आप घर बैठे इन तक पहुँच सकते हैं,
और दूसरा कि आपके पास मोबाइल फोन है,
फिलाडेल्फिया में कई बच्चों के पास नहीं है।
तो उनका शिक्षा अनुभव कैसा होगा
तब जबकि पुस्तकालय पूरी तरह
क्लाउड-आधारित हों,
जो कि शिक्षा का एक बुनियादी हिस्सा
समझा जाता है?
वे प्रतिस्पर्धी कैसे बने रहें?
एक अंतिम उदाहरण पूर्वी अफ्रीका से:
भूमि स्वामित्व अधिकारों को डिजिटाइज करने
के लिए एक बड़ा आंदोलन चल रहा है,
कई कारणों से।
प्रवासी समुदाय, पुरानी पीढ़ियाँ
खत्म हो रहे हैं,
और आखिरकार घटिया अभिलेख रक्षण
ने स्वामित्व पर टकराव की स्थिति
पैदा कर दी है।
और इसलिए ये सारी जानकारी ऑनलाइन
करने के लिए एक मुहिम चली,
जिससे इन भूखंडों के स्वामित्व का पता
लगाया जा सके,
इन्हें क्लाउड पर डालने की
और इन्हें समुदायों को सौंपने की।
पर असल में, इसके अनिच्छित परिणाम ये हुए
कि उद्यम पूँजीपति, निवेशक, रियल
एस्टेट डेवलपर
झपट पड़े हैं और इन भूखंडों को खरीदना
शुरु कर दिया है
इन समुदायों की नाक के नीचे
क्योंकि उनकी पहुँच तकनीक तक है
और उस कनेक्टिविटी तक जिससे
ये संभव हुआ है।
तो यही एक कड़ी है जो इन उदाहरणों
को जोड़ती है,
हमारे बनाए गए उपकरण और तकनीक
के अनपेक्षित परिणाम।
इंजीनियरों के रूप में,
प्रौद्योगिकीविदों के रूप में,
हम कभी-कभी कुशलता को गुणकारिता
से अधिक वरीयता देते हैं।
हम काम के परिणामों की तुलना में काम
किए जाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
इसे बदलने की जरुरत है।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी बनाई हुई
तकनीकों के परिणामों के बारे में सोचें,
विशेष रूप से तब जब वो हमारी दुनिया
को तेज़ी से नियंत्रित कर रहे हैं।
नब्बे के दशक के अंत में,
निवेश और बैंकिंग के क्षेत्र में नैतिकता
पर ज़ोर दिया गया।
मेरे विचार से २०१४ में इस तरह का आंदोलन
लंबे समय से अपेक्षित है,
तकनीक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में।
तो मैं आपको प्रोत्साहित करता हूँ, जैसे आप
सभी अगली बड़ी चीज के बारे में सोच रहे हैं,
उद्यमी, सीईओ, इंजीनियर, निर्माता
के रूप में,
कि आप अनपेक्षित परिणामों
के बारे में सोचें
उनके जो आप बना रहे हैं,
क्योंकि असली नवाचार सभी को शामिल करने
के तरीके ढ़ूढ़ने में है।
धन्यवाद।
(तालियाँ)