1 00:00:00,763 --> 00:00:05,737 आपके सामने एक ऐसी औरत खडी है जो सार्वजनिक तौर पर दस साल से ख़ामोश रही। 2 00:00:06,711 --> 00:00:08,537 ज़ाहिर है, वो ख़ामोशी टूट रही है, 3 00:00:08,967 --> 00:00:10,381 और ये हाल में ही शुरु हुआ है। 4 00:00:11,051 --> 00:00:12,629 तब से कुछ महीने बीत चुके हैं 5 00:00:12,629 --> 00:00:15,602 जब मैने पहली बार सार्वजनिक रूप से कुछ बोला 6 00:00:15,602 --> 00:00:18,217 फ़ोर्ब्स थर्टी अंडर थर्टी सम्मेलन में: 7 00:00:18,217 --> 00:00:22,431 ३० साल से कम उम्र के १५०० प्रतिभाशाली लोगों के सामने 8 00:00:23,101 --> 00:00:25,865 अंदाज़ा लगाइये कि १९९८ में 9 00:00:25,865 --> 00:00:29,452 इन में से सब से बडे लोग भी बमुश्किल 14 साल के रहे होंगे, 10 00:00:29,452 --> 00:00:32,299 और सब से छोटे तो बस चार बरस के। 11 00:00:33,039 --> 00:00:36,628 मैने मज़ाक में उन से कहा कि आप मे कुछ ने तो मेरा नाम सुना भी होगा 12 00:00:36,628 --> 00:00:38,580 तो सिर्फ़ र्रैप गानों में। 13 00:00:38,580 --> 00:00:41,727 जी हाँ-मैं रैप गानों में बकायदा मौज़ूद हूँ। 14 00:00:41,727 --> 00:00:45,424 लगभग ४० रैप गानों में । (हँसी) 15 00:00:46,614 --> 00:00:50,109 पर जिस रात मैनें वो भाषण दिया, एक अचरच भरी बात हुई। 16 00:00:50,109 --> 00:00:56,355 ४१ साल की उमर में मेरे करीब आने की कोशिश की २७ साल के एक लडके नें । 17 00:00:57,155 --> 00:00:59,331 बाप रे! है न? 18 00:01:00,301 --> 00:01:02,914 वो बहुत अच्छा था और मैं काफ़ी खुश महसूस कर रही थी, 19 00:01:02,914 --> 00:01:04,687 मगर मैने बात वहीं खत्म कर दी। 20 00:01:05,387 --> 00:01:08,331 पर पता है उसने मुझसे क्या कहा? 21 00:01:09,141 --> 00:01:12,461 कि वो मुझे फिर से 22 जैसा महसूस करवाएगा। 22 00:01:12,461 --> 00:01:17,407 (ठहाका) (अभिवादन) 23 00:01:18,637 --> 00:01:23,908 मैने उस रात बाद में सोचा, कि शायद मैं ऐसी अकेली ४० साल के व्यक्ति हूँ 24 00:01:23,908 --> 00:01:26,509 जो फिर से कभी २२ की नहीं होना चाहती। 25 00:01:26,509 --> 00:01:29,109 (ठहाका) 26 00:01:29,109 --> 00:01:32,969 (अभिवादन) 27 00:01:35,269 --> 00:01:40,294 २२ साल की उम्र में, मुझे अपने बॉस से प्यार हो गया, 28 00:01:40,294 --> 00:01:43,115 और २४ की उम्र में, 29 00:01:43,115 --> 00:01:46,547 मैने उसके भयानक नतीज़े झेले। 30 00:01:47,667 --> 00:01:50,848 क्या यहाँ बैठे लोगों में से वो शख्स हाथ उठायेंगे 31 00:01:50,848 --> 00:01:55,361 जिनसे २२ की उम्र में कोई गल्ती नहीं हुई या ऐसा कुछ जिसका उन्हें पछतावा नही है? 32 00:01:57,151 --> 00:01:59,718 बिलकुल। मैने ठीक सोचा था कि ऐसा कोई नहीं होगा। 33 00:02:00,648 --> 00:02:06,428 तो मेरी ही तरह, २२ साल में, आप में कुछ लोग गलत मोडों पर मुडे होंगे 34 00:02:06,428 --> 00:02:09,466 और गलत लोगों के प्यार में पडे होंगे, 35 00:02:09,466 --> 00:02:11,428 हो सकता अपने बॉस के प्यार में। 36 00:02:12,378 --> 00:02:14,973 लेकिन मेरी तरह शायद आपके बॉस 37 00:02:14,973 --> 00:02:19,052 अमरीका के राष्ट्रपति नहीं रहे होंगे। 38 00:02:19,802 --> 00:02:24,098 सच है कि ज़िंदगी अजूबों से भरी पडी है। 39 00:02:24,098 --> 00:02:29,021 एक दिन भी ऐसा नहीं जाता जब मुझे अपनी गलती याद नहीं करायी जाती, 40 00:02:29,021 --> 00:02:31,294 और मुझे अपनी गलती का भरपूर पश्चाताप भी है। 41 00:02:33,404 --> 00:02:40,026 १९९८ में पहले मैं ऐसे रोमांस के भँवर में फ़ँसी जिसका अंत होना ही नहीं था, 42 00:02:40,026 --> 00:02:45,488 और फिर ऐसे भयानक राजनीतिक, कानूनी और मीडिया के भँवर में फ़ँसी 43 00:02:45,488 --> 00:02:49,535 जैसा मैने कभी न देखा था न सोचा था। 44 00:02:49,535 --> 00:02:51,877 याद कीजिये, कि १९८८ से सिर्फ़ कुछ साल पहले तक ही, 45 00:02:51,877 --> 00:02:54,879 समाचार सिर्फ़ तीन जगहों से मिलते थी: 46 00:02:54,879 --> 00:02:57,551 अखबार या मैगज़ीन पढ कर, 47 00:02:57,551 --> 00:02:59,386 रेडियो सुन कर, 48 00:02:59,386 --> 00:03:01,004 या टीवी देख कर। 49 00:03:01,004 --> 00:03:02,304 बस। 50 00:03:02,304 --> 00:03:06,259 मगर मेरे भाग्य में कुछ और था। 51 00:03:06,259 --> 00:03:09,881 इस स्कैंडल की खबर आप तक 52 00:03:09,881 --> 00:03:11,916 डिजिटल क्रांति के ज़रिये आई। 53 00:03:12,961 --> 00:03:15,988 इसका अर्थ ये था कि हम जानकारी पा सकते थे 54 00:03:15,988 --> 00:03:20,283 जब हम चाहें, जहाँ हम चाहें, 55 00:03:20,283 --> 00:03:24,973 और जब जनवरी १९९८ में ये खबर निकली, 56 00:03:24,973 --> 00:03:27,759 तो वो ऑनलाइन निकली। 57 00:03:27,759 --> 00:03:30,760 पहली बार ऐसा हुआ कि पारंपरिक मीडिया को 58 00:03:30,760 --> 00:03:35,283 इंटरनेट ने पछाड दिया था एक बडी खबर को ले कर 59 00:03:35,283 --> 00:03:39,964 एक क्लिक जो सारी दुनिया में गूँज उठी थी। 60 00:03:39,974 --> 00:03:43,972 निज़ी तौर पर मेरे लिये इसका मतलब था 61 00:03:43,972 --> 00:03:48,965 कि रातोंरात मैं पूरी तरह से गुमनाम व्यक्ति से 62 00:03:48,970 --> 00:03:53,487 सारी दुनिया में बदनाम व्यक्ति में बदल गयी। 63 00:03:53,487 --> 00:03:57,782 मैं पहली शिकार थी; अपनी सारी प्रतिष्ठा 64 00:03:57,782 --> 00:04:02,338 सारे विश्व में एक क्षण में गँवा देने की इस नयी बीमारी की। 65 00:04:03,588 --> 00:04:05,927 फ़ैसला सुनाने की इस दौड को टेक्नॉलजी ने और हवा दी। 66 00:04:05,927 --> 00:04:10,042 वर्चुअल पथराव करने वालों की तो मानो भीड इकट्ठा हो गयी थी। 67 00:04:10,042 --> 00:04:13,101 हालांकि तब तक सोशल मीडिया का ज़माना नहीं आया था, 68 00:04:13,101 --> 00:04:16,653 मगर तब भी लोग ऑन्लाइन कमेंट कर सकते थे, 69 00:04:16,653 --> 00:04:22,881 ईमेल में जानकारी और भद्दे कमेंट भेज सकते थे। 70 00:04:22,881 --> 00:04:25,970 समाचार मीडिया नें मेरी तस्वीरों को हर जगह चिपका डाला 71 00:04:25,970 --> 00:04:29,754 अखबार और ऑनलाइन बैनर विज्ञापन बेचने के लिये, 72 00:04:29,754 --> 00:04:32,293 और लोगों को टीवी से चिपकाने के लिये। 73 00:04:33,913 --> 00:04:37,462 आपको मेरी कोई ख़ास तस्वीर याद आती है, 74 00:04:37,462 --> 00:04:39,924 वो बेरेट टोपी पहनी हुई? 75 00:04:41,224 --> 00:04:44,219 देखिये, मैं अपनी गलती मानती हूँ 76 00:04:44,219 --> 00:04:47,087 ख़ासकर उस टोपी को पहनने की। 77 00:04:48,267 --> 00:04:52,556 मगर जो छीेछालेदर मेरी की गयी, इस खबर की नही, 78 00:04:52,556 --> 00:04:56,920 बल्कि व्यक्तिगत तौर पर मेरी, वो सच में ऐतिहासिक थी। 79 00:04:56,920 --> 00:05:00,079 मेरी ब्रांडिग कर दी गयी - बदचलन, 80 00:05:00,079 --> 00:05:06,627 आवारा, वेश्या, स्लट, वेबकूफ़, 81 00:05:06,627 --> 00:05:09,405 और, ज़ाहिर है, "उस टाइप की औरत"। 82 00:05:10,455 --> 00:05:13,220 बहुत लोगों ने मुझे देखा, 83 00:05:13,220 --> 00:05:16,608 मगर बहुत कम ने मुझे जाना। 84 00:05:16,608 --> 00:05:20,186 और मैं समझ सकती हूँ: बहुत आसान है ये भूलना कि 85 00:05:20,186 --> 00:05:22,787 "उस टाइप की औरत" का एक वज़ूद था, 86 00:05:22,787 --> 00:05:26,755 उसकी भी अत्मा थी, और एक ज़माने में वो ऐसी टूटी हुई बिखरी हुई नहीं थी। 87 00:05:29,505 --> 00:05:34,404 जब १७ साल पहले मेरे साथ ये हुआ, इस के लिये कोई नाम नहीं था। 88 00:05:34,404 --> 00:05:38,801 अब हम इसे साइबर-बुलीइंग और ऑन्लाइन उत्पीडन कहते हैं। 89 00:05:40,421 --> 00:05:43,917 आज मैं आप के साथ अपने कुछ अनुभव बाँटना चाहती हूँ, 90 00:05:43,917 --> 00:05:48,351 और उन अनुभवो की रोशनी में अपने कल्चर पर कुछ टिप्पणियाँ करना चाहती हूँ, 91 00:05:48,351 --> 00:05:53,203 और बताना चाहती हूँ कि मैं कितनी आशा रखती हूँ कि इस के ज़रिये ऐसा बदलाव आयेगा जिस से 92 00:05:53,203 --> 00:05:55,641 कुछ और लोगों के जीवन में कुछ परेशानी कम होगी। 93 00:05:58,221 --> 00:06:03,494 १९९८ मे, मैने अपनी प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान खो दिया। 94 00:06:03,494 --> 00:06:06,994 मेरा लगभग सब कुछ लुट गया था 95 00:06:06,994 --> 00:06:10,105 और मैने अपनी जीवन भी लगभग खो ही दिया था। 96 00:06:12,905 --> 00:06:15,299 मैं आप के लिये एक दृश्य रचती हूँ। 97 00:06:17,319 --> 00:06:20,866 सितंबर १९९८ है। 98 00:06:20,866 --> 00:06:23,552 मैं बिना किसी खिडकी वाले दफ़्तरनुमा कमरे में बैठी हूँ 99 00:06:23,552 --> 00:06:26,616 इन्डिपेंडेट काउंसल के ऑफ़िस मे, 100 00:06:26,616 --> 00:06:31,051 बजबजाती हुई ट्यूबलाइटों की रोशनी में 101 00:06:31,051 --> 00:06:34,882 मैं अपनी ही आवाज़ सुन रही हूँ, 102 00:06:34,882 --> 00:06:38,620 उन फ़ोन कॉल से आती मेरी आवाज़ जो गुप्त रूप से टेप किये गये थे 103 00:06:38,620 --> 00:06:41,756 मेरे एक तथाकथित दोस्त के द्वारा - लगभग एक साल पहले। 104 00:06:41,756 --> 00:06:45,331 मैं वो सुन रही हूँ क्योंकि कानूनन मुझे उन्हें सुनना ही पडेगा 105 00:06:45,331 --> 00:06:51,194 निजी रूप से २० घंटे लंबे उन टेपों की वैधता सुनिश्चित क्ररने के लिये। 106 00:06:53,194 --> 00:06:57,181 पिछले आठ महीनों से इन टेपों में जमा सामग्री 107 00:06:57,181 --> 00:07:01,129 मेरे ऊपर तलवार की तरह उल्टी लटक रही थी। 108 00:07:01,129 --> 00:07:05,215 मतलब, कौन याद रख सकता है कि एक साल पहले उस ने क्या कहा था? 109 00:07:05,215 --> 00:07:09,303 सहमी हुई और बेज्ज्त, मै सुन रही हूँ, 110 00:07:11,013 --> 00:07:15,555 सुन रही हूँ उस दिन की आपाधापी; 111 00:07:15,555 --> 00:07:19,426 सुन रही हूँ खुद को, राष्ट्रपति के प्रति अपने प्यार का इज़हार करते हुए, 112 00:07:19,426 --> 00:07:22,805 और फिर अपने दिल टूट्ने का जिक्र करते हुए; 113 00:07:22,805 --> 00:07:27,623 कभी कभी तेज-तर्रार, कभी बस नासमझी भरी 114 00:07:27,623 --> 00:07:32,342 कभी खराब बर्ताव करती, कभी असभ्य; 115 00:07:33,262 --> 00:07:36,121 सुन रही हूँ, अंदर तक, गहरे भीतर तक शर्मिंदा, 116 00:07:36,121 --> 00:07:38,805 अपने सबसे खराब स्वरूप का सामना करती, 117 00:07:38,805 --> 00:07:42,317 ऐसा रूप जिसे मैं पहचान तक नहीं पाती। 118 00:07:44,537 --> 00:07:48,659 कुछ दिन बाद, संसद में स्टार्र रिपोर्ट पेश होती है, 119 00:07:48,659 --> 00:07:53,770 और वो सारे टेप, वो चुराये गयी बातचीत, उसमें सम्मिलित हैं । 120 00:07:54,790 --> 00:07:58,961 ये डरावना है कि लोग उन सब बातों को पढ सकते हैं, 121 00:07:58,961 --> 00:08:01,708 और कुछ हफ़्तों बाद, , 122 00:08:01,708 --> 00:08:05,005 वो ऑडियो टेप टीवी पर सुनाये जाते हैं, 123 00:08:05,005 --> 00:08:08,591 और उस में ज्यादातार हिस्सा ऑनलाइन रिलीज़ होता है। 124 00:08:10,661 --> 00:08:15,245 पब्लिक में होने वाला अपमान दर्दनाक था। 125 00:08:15,245 --> 00:08:18,708 जीवन ढोया नहीं जाता था। 126 00:08:20,938 --> 00:08:26,054 और १९९८ में ऐसे किस्से हरदिन नहीं होते थे, 127 00:08:26,054 --> 00:08:31,836 और ऐसे किस्से का अर्थ है चोरी से - लोगों के निज़ी वार्तालाप और निज़ी क्रियाकलापो की 128 00:08:31,836 --> 00:08:34,459 और फ़ोटो की, 129 00:08:34,459 --> 00:08:37,038 और फ़िर उन्हें सार्वजनिक करने से -- 130 00:08:37,038 --> 00:08:39,475 बिना इजाज़त के सार्वजनिक करने से -- 131 00:08:39,475 --> 00:08:41,937 बिना किसी संदर्भ के सार्वजनिक करने से -- 132 00:08:41,937 --> 00:08:44,531 और बिना किसी संवेदना के सार्वजनिक करने से। 133 00:08:46,091 --> 00:08:49,181 12 साल आगे चलते है 2010 में, 134 00:08:49,181 --> 00:08:52,338 और एक नया सोशल मीडिया जन्म ले चुका है। 135 00:08:53,158 --> 00:08:58,190 दुर्भाग्य से, मेरे साथ जो हुआ, वो आम बात हो चुकी है, 136 00:08:58,190 --> 00:09:01,208 भले ही किसी ने कोई गल्ती की हो या नहीं, 137 00:09:01,208 --> 00:09:06,920 भले ही ये पब्लिक फ़िगर हो या आम आदमी। 138 00:09:06,920 --> 00:09:11,849 कुछ लोगो के लिये इस के नतीज़े बहुत ही ज्यादा बुरे साबित हुए हैं। 139 00:09:13,799 --> 00:09:16,347 मैं अपनी माँ से फ़ोन पर बात क्रर रही था 140 00:09:16,347 --> 00:09:19,064 सितंबर २०१० में, 141 00:09:19,064 --> 00:09:20,921 और हम उस ख़बर का ज़िक्र कर रहे थे 142 00:09:20,921 --> 00:09:23,713 रुट्गर यूनिवर्सिटी के फ़र्स्ट इयर के युवा छात्र, 143 00:09:23,713 --> 00:09:25,866 टाइलर क्लेमेंटी के बारे में। 144 00:09:26,656 --> 00:09:29,804 प्यारा, संवेदनशील और रचनात्मक टाइलर 145 00:09:29,804 --> 00:09:32,183 का एक ऐसा वि्डियो उसके रूम मेट ने बना लिया 146 00:09:32,183 --> 00:09:34,956 जिसमें वो एक और आदमी के साथ अंतरंग होता दिखता था। 147 00:09:36,826 --> 00:09:39,264 जब ऑनलाइन दुनिया को इस वाकये की खबर लगी, 148 00:09:39,264 --> 00:09:42,399 तो भद्दी बेज्जती और साइबर-बु्लींग का विस्फ़ोट हो गया। 149 00:09:44,079 --> 00:09:45,998 कुछ दिन बाद, 150 00:09:45,998 --> 00:09:49,714 टाइलर ने जार्ज वाशिंगटन पुल से छलांग लगा कर 151 00:09:49,714 --> 00:09:51,247 जान दे दी। 152 00:09:51,247 --> 00:09:53,194 वो महज़ 18 साल का था। 153 00:09:55,644 --> 00:10:00,347 मेरी माँ अपना आपा खो बैठी थीं टाइलर और उसके परिवार के बारे में सोच कर। 154 00:10:00,347 --> 00:10:02,902 और असहनीय दुःख से भर गयी थीं, 155 00:10:02,902 --> 00:10:06,570 और पहलेपहल मुझे ये समझ नही आया 156 00:10:06,570 --> 00:10:08,940 लेकिन धीरे धीर्रे मैने महसूस किया कि 157 00:10:08,940 --> 00:10:11,921 वो १९९८ को फिर से जी रही थीं, 158 00:10:11,921 --> 00:10:15,954 वो समय जब वो हर रात मेरे सिरहाने बैठ कर बिताती थीं, 159 00:10:18,824 --> 00:10:24,797 वो समय जब वो मुझे बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं करने देती थीं 160 00:10:24,797 --> 00:10:28,907 और वो समय जब मेरे माता -पिता को हरदम डर लगता था कि 161 00:10:28,907 --> 00:10:31,857 इतनी बदनामी मेरी जान ले कर रहेगी, 162 00:10:31,857 --> 00:10:34,169 सचमुच। 163 00:10:36,339 --> 00:10:39,286 आज, बहुत सारे माता-पिता 164 00:10:39,286 --> 00:10:42,628 को ये मौका ही नहीं मिल पाता है कि वो अपने बच्चों को बचा पाये। 165 00:10:42,628 --> 00:10:46,809 बहुत लोगों को अपने बच्चों की परेशानी का पता तब लगता है 166 00:10:46,809 --> 00:10:49,374 जब बहुत देर हो चुकी होती है। 167 00:10:49,944 --> 00:10:54,541 टाइलर की दुख्द, बेमतलब मौत मेरे लिये बहुत बडा क्षण बनी। 168 00:10:54,541 --> 00:10:58,582 उस घटना ने मेरे अनुभवों को एक नया संदर्भ दिया, 169 00:10:58,582 --> 00:11:02,877 और मैने अपने आसपास फ़ैले शोषण और ज़ोर-जबरदर्स्ती को महसूस किया, 170 00:11:02,877 --> 00:11:06,360 और नए सिरे से देखना शुरु किया। 171 00:11:06,360 --> 00:11:11,584 १९९८ में हमारे पास ये जानने का कोई तरीका नहीं था कि ये नयी तकनीक 172 00:11:11,584 --> 00:11:14,254 जिसे हम इंटरनेट कहते थे, हमें कहाँ ले जायेगी ? 173 00:11:14,254 --> 00:11:18,462 तब से, इंटरनेट ने लोगों को नये तरीकों से जोडा है, 174 00:11:18,462 --> 00:11:20,379 बिछडे भाई-बहनों को मिलवाया है, 175 00:11:20,379 --> 00:11:24,450 जाने बचायी है, आंदोलन शुरु करवाये हैं, 176 00:11:24,450 --> 00:11:29,300 मगर जो अँधेरा, साइबर-बुलींग, और स्लट बता की गयी शमिंदगी मैने देखी, 177 00:11:29,300 --> 00:11:31,805 वो कई गुना बढी है। 178 00:11:33,145 --> 00:11:37,845 हर दिन, ऑनलाइन, खास तौर पर कम उम्र के लोग, 179 00:11:37,845 --> 00:11:40,772 जो कि इस से निपटने के लिये तैयार तक नहीं हैं, 180 00:11:40,772 --> 00:11:43,304 इतने शोषित और प्रताडित होते हैं 181 00:11:43,304 --> 00:11:45,996 कि वो अगले दिन तक जीना भी नहीं चाहते, 182 00:11:45,996 --> 00:11:49,145 और कुछ तो, सच में, जीते भी नहीं, 183 00:11:49,145 --> 00:11:51,901 और ये ऑन्लाइन नहीं, असली दुनिया में होता है 184 00:11:53,551 --> 00:11:59,628 यू.के. की एक संस्था जो कि कई तरह से युवाओं की मदद करती है, चाइल्डलाइन 185 00:11:59,628 --> 00:12:03,309 ने पिछले साल एक तथ्य ज़ारी किया था: 186 00:12:03,309 --> 00:12:06,930 २०१२ से २०१३ के बीच, 187 00:12:06,930 --> 00:12:10,204 ८७ प्रतिशत बढत देखी गयी है 188 00:12:10,204 --> 00:12:15,080 साइबर-बुलींग से जुडी ईमेल और फ़ोन कॉल में। 189 00:12:15,080 --> 00:12:17,262 नीदरलैंड में की गयी एक जाँच में 190 00:12:17,262 --> 00:12:19,257 पहली बार ये पता लगा 191 00:12:19,257 --> 00:12:24,299 कि साइबर-बुलींग खुद्कुशी की बडी वजह बन रहा है, 192 00:12:24,299 --> 00:12:28,199 ऑफ़्लाइन बुलींग के मुकाबले। 193 00:12:28,199 --> 00:12:31,960 हालांकि इस में अचरच की बात नहीं हैं, लेकिन मुझे ये जान कर बडा झटका लगा कि 194 00:12:31,960 --> 00:12:35,897 एक और जाँच ने पता लगाया कि प्रताडित किए जाने की भावना 195 00:12:35,897 --> 00:12:38,895 को लोग ज्यादा महसूस कर रहे हैं 196 00:12:38,895 --> 00:12:42,955 बजाये खुशी के, और बजाय गुस्से के। 197 00:12:44,305 --> 00:12:47,490 दूसरों के प्रति निष्ठुरता कोई नयी बात नहीं है, 198 00:12:47,490 --> 00:12:53,870 मगर ऑन्लाइन, तकनीकी तरीकों से करे जाने पर ये कई गुना बढ जाती है, 199 00:12:53,870 --> 00:12:59,187 बेकाबू हो जाती है, और हर समय होती रहती है। 200 00:12:59,187 --> 00:13:04,877 पहले तो शर्मिंदगी सिर्फ़ आस-पासपरिवार, गाँव, 201 00:13:04,877 --> 00:13:07,221 स्कूल या नजदीकी समाज तक सीमित थी, 202 00:13:07,221 --> 00:13:11,099 मगर अब ये ऑनलाइन भी होती है। 203 00:13:11,099 --> 00:13:13,941 लाखों लोग, बिन जान-पहचान के, 204 00:13:13,941 --> 00:13:17,934 आपको अपने शब्दों से छलनी करते हैं, और ये बहुत पीडादायी होता है, 205 00:13:17,934 --> 00:13:21,070 और इसकी कोई बाउंडरी नही है कि कितने लोग 206 00:13:21,070 --> 00:13:23,158 आपको देख सकते हैं, 207 00:13:23,158 --> 00:13:26,577 और आप पर सार्वजनिक रूप से कमेंट कर सकते हैं। 208 00:13:27,717 --> 00:13:30,186 बहुत निजी तौर चुकानी होती है 209 00:13:30,186 --> 00:13:32,300 सार्वजनिक शर्मिंदगी की, 210 00:13:33,130 --> 00:13:38,901 और इंटरनेट के चलते चुकाई गयी कीमत कई गुना बढ चुकी है। 211 00:13:39,841 --> 00:13:42,268 लगभग पिछले दो दशकों से, 212 00:13:42,268 --> 00:13:46,386 हम धीरे धीरे शमिंदगी और सार्वजनिक बेज्जती के बीज बोते आ रहे हैं 213 00:13:46,386 --> 00:13:52,207 अपनी संस्कृति की ज़मीन मे ऑन्लाइन और ऑफ़्लाइन दोनो तरह से। 214 00:13:52,207 --> 00:13:57,105 गप्प-गॉसिप वेबसाइट, पापारात्ज़ी कैमरा, रियलटी टीवी, राजनीति 215 00:13:57,105 --> 00:14:02,941 समाचार मीडिया और कभी कभी हैकर भी, इस प्रताडना का हिस्सा बनते हैं। 216 00:14:02,941 --> 00:14:07,159 संवेदन हीनता की इज़ाजत सी मिल गयी है ऑनलाइन दुनिया में 217 00:14:07,159 --> 00:14:13,521 जिस से, दादागिरी, निजता के हनन, और साइबर-बुलींग को बढावा मिल रहा है। 218 00:14:13,521 --> 00:14:17,306 इस से कुछ ऐसा पैदा हुआ है जिसे प्रोफ़ेसर निकोलस मिल्स 219 00:14:17,306 --> 00:14:21,090 प्रताडना के कल्चर का नाम देते हैं। 220 00:14:21,090 --> 00:14:26,269 पिछले छः महीनों के कुछ बडे उदाहरण ले कर देखिये। 221 00:14:26,269 --> 00:14:31,353 स्नैप-चैट, एक ऑन्लाइन सर्विस जो ज्यादातर युवा इस्तेमाल करते हैं, 222 00:14:31,353 --> 00:14:34,048 और जो संदेशों को मिटाने का दावा करती है 223 00:14:34,048 --> 00:14:35,751 कुछ ही क्षणॊं में। 224 00:14:35,751 --> 00:14:39,161 आप समझ सकते है कि किस तरह के संदेश वहाँ चलते होंगे। 225 00:14:39,161 --> 00:14:43,294 एक तीसरी कंपनी जो स्नैप-चैटर के यूज़र को मैसेज सेव करने देती थी 226 00:14:43,294 --> 00:14:45,988 हैक की गयी 227 00:14:45,988 --> 00:14:52,838 और एक लाख निज़ी बातचीतें और फ़ोटो और विडियो ऑन्लाइन लीक हो गये 228 00:14:52,838 --> 00:14:57,095 और अब वो सदा सदा के लिये सार्वजनिक हो गये हैं। 229 00:14:57,095 --> 00:15:01,251 जेनिफ़र लारेंस और कई और फ़िल्म कलाकारों का आई-क्लाउड हैक हो गया, 230 00:15:01,251 --> 00:15:05,198 और उनके निजी, नग्न फ़ोटो सारी इंटरनेट पर पब्लिक हो गये 231 00:15:05,198 --> 00:15:07,080 बिना उनकी इजाजत के। 232 00:15:07,080 --> 00:15:11,212 एक ग्प्प-गॉसिप वेबसाइट पर 50 लाख बार हिट हुआ 233 00:15:11,212 --> 00:15:13,787 सिर्फ़ इस एक खबर के लिये। 234 00:15:15,027 --> 00:15:18,526 और सोनी पिक्चर की हैकिंग? 235 00:15:18,526 --> 00:15:21,523 जिन दस्तावेजों को सबसे अधिक देख गया 236 00:15:21,523 --> 00:15:27,559 वो निजी ईमेल था जिनमे सबसे ज्यादा शमिंदा करने की क्षमता थी। 237 00:15:27,559 --> 00:15:30,809 मगर प्रताडना के इस कल्चर में, 238 00:15:30,809 --> 00:15:34,899 सार्वजनिक शमिंदगी से प्राइस-टैग भी जुडे है 239 00:15:35,639 --> 00:15:38,797 और ये प्राइस-टैग पीडित द्वारा चुकाई गयी कीमत को नही नापते, 240 00:15:38,797 --> 00:15:41,050 जो टाइलर और कई और लोगों को, 241 00:15:41,050 --> 00:15:43,024 खासकर, औरतो और अल्प-संख्यकोंको चुकानी पडती है। 242 00:15:43,024 --> 00:15:47,202 और एल.जी.बी.टी.क्यू लोगों ने चुकाई है, 243 00:15:47,202 --> 00:15:51,758 मगर ये प्राइस-टैग बखूबी नापता है इस से पैदा होने वाले मुनाफ़े को। 244 00:15:52,868 --> 00:15:56,931 दूसरों पर किया गया हमला जैसे कच्चा माल है, 245 00:15:56,931 --> 00:16:02,921 हमला जो क्रूर्ता और दक्षता से होता है, और पैकेज कर के मुनाफ़े में बेचा जाता है 246 00:16:02,921 --> 00:16:08,703 एक बाज़ार विकसित हुआ है जहाँ सार्वजनिक शमिंदगी बिकती है 247 00:16:08,703 --> 00:16:12,047 और प्रताडना एक इंडस्ट्री बन गयी है। 248 00:16:12,047 --> 00:16:15,739 और पैसा बनता कैसे है? 249 00:16:15,739 --> 00:16:17,573 क्लिक्स से। 250 00:16:17,573 --> 00:16:20,104 जितनी शर्मिंदगी, उतने क्लिक्स। 251 00:16:20,104 --> 00:16:23,958 जितने क्लिक्स, उतने विज्ञापनी डॉलर। 252 00:16:25,428 --> 00:16:27,633 हम खतरनाक भँवरजाल में हैं। 253 00:16:27,633 --> 00:16:30,558 जितना ही हम इस तरह की चीजों को क्लिक करेंगे, 254 00:16:30,558 --> 00:16:34,279 उतना हे संवेदनशील हम होंगे, उन खबरों के पीछे छुपे इंसानों के प्रति, 255 00:16:34,279 --> 00:16:39,735 और जितन हम संवेदना हीन हेगे, उतना ही हम क्लिक करेंगे। 256 00:16:39,735 --> 00:16:42,658 और पूरे समय, कोई इस से पैसा कमा रहा होगा 257 00:16:42,658 --> 00:16:45,541 किसी और के दुख परेशानी और उत्पीडन के ज़रिये। 258 00:16:46,871 --> 00:16:49,674 हर क्लिक के ज़रिये हम एक विकल्प चुनते हैं 259 00:16:49,674 --> 00:16:53,086 जितना ही हम अपने क्लचर को सार्वजनिक शमिंदगी से भरेंगे, 260 00:16:53,086 --> 00:16:54,945 उतना ही स्वीकार्य ये होती जायेगी, 261 00:16:54,945 --> 00:16:58,148 और उतनी ही साइबर-बुलींग हम देखेंगे, 262 00:16:58,148 --> 00:17:00,795 उतनी ही हैकिंग, और धमकीगर्दी। 263 00:17:00,795 --> 00:17:03,721 और ऑनलाइन उत्पीडन। 264 00:17:03,721 --> 00:17:11,429 क्यों? क्योंकि इन सबके जडोंमें शर्मिंदगी है। 265 00:17:11,429 --> 00:17:15,725 ये बर्ताव उस कल्चर का लक्षण है जो हमने रचा है 266 00:17:15,725 --> 00:17:18,032 थोडा सोच कर देखिये। 267 00:17:19,232 --> 00:17:22,644 बर्ताव में बदलाव शुरु होता है बदलते मूलोंसे। 268 00:17:22,644 --> 00:17:26,150 हमने ये होते देखा है रेसिस्म, होमोफ़ोबिया, 269 00:17:26,150 --> 00:17:30,100 और ऐसे ही कई और चीज़ोंमें , आज और इतिहास में। 270 00:17:30,910 --> 00:17:34,068 और हमारे नज़्ररियों मे बदलाव आया है - सम-लैंगिक शादियों को ले कर। 271 00:17:34,068 --> 00:17:38,550 ज्यादा से ज्यादा लोगों को बराबरी मिली है। 272 00:17:38,550 --> 00:17:40,733 जब हम निरंतरता को तवज्जो देने लगते है, 273 00:17:40,733 --> 00:17:43,681 ज्यादा से ज्यादा लोग कूडे को रिसाइकिल करने लगते हैं। 274 00:17:43,681 --> 00:17:46,956 तो जहाँ तक हमारे कल्चर के प्रताड्ना वाले हिस्से का सवाल है, 275 00:17:46,956 --> 00:17:50,601 हमे एक सांस्कृतिक आंदोलन की ज़रूरत है। 276 00:17:50,601 --> 00:17:54,524 सार्वजनिक शमिर्द्गी का ये खूनी खेल बंद करना ही पडेगा। 277 00:17:54,524 --> 00:17:59,401 और समय आ गया है कि इंटरनेट के कल्चर में हस्तक्षेप करने का। 278 00:17:59,401 --> 00:18:03,077 शुरुवात किसी छोटी चीज़ से होगी, और ये आसान नहीं होगा। 279 00:18:04,137 --> 00:18:10,772 हमें संवेदनशीलता और सहानुभूति की ओर वापस जाना होगा। 280 00:18:10,772 --> 00:18:13,959 ऑन्लाइन दुनिया में, सहानुभूति और संवेद्ना की गहरी कमी है, 281 00:18:13,959 --> 00:18:16,021 लगभग अकाल है। 282 00:18:17,091 --> 00:18:20,995 शोधकर्ता ब्रेन ब्राउन का कहना है, 283 00:18:20,995 --> 00:18:24,571 "प्रताड्ना संहानुभूति के सामने नहीं ठहर सकती।" 284 00:18:24,571 --> 00:18:29,015 प्रताडना सहानुभूति के सामने नहीं ठहर सकती। 285 00:18:30,515 --> 00:18:34,136 मैने अपने जीवन में कुछ बहुत खराब अँधेरे से पटे दिन देखे हैं 286 00:18:34,136 --> 00:18:40,197 और ये मेरे परिवार, दोस्तों और साथियों की सहानुभूति और संवेदना ही थी, 287 00:18:40,197 --> 00:18:44,273 और कभी कभी, अजनबियों की भी - कि मै बच सकी। 288 00:18:45,583 --> 00:18:49,128 एक इंसान से आती सहानुभूति भी बडा फ़र्क ला सकती है। 289 00:18:50,318 --> 00:18:52,991 माइनर्टी इन्फ़्लुएंस की थियरी, 290 00:18:52,991 --> 00:18:56,195 सामजिक मनोविज्ञानी सेर्गे मोस्कोविसी द्वारा दी गयी है, 291 00:18:56,195 --> 00:18:58,981 और कहती है कि बहुत कम संख्या में ही सही, 292 00:18:58,981 --> 00:19:01,233 जब लम्बे समय तक कुछ चले, 293 00:19:01,233 --> 00:19:03,834 तो बडा फ़र्क आ सकता है। 294 00:19:03,834 --> 00:19:07,061 ऑन्लाइन दुनिया मे, हम इस माइनर्टी इन्फ़्लुएंस को ला सकते हैं 295 00:19:07,061 --> 00:19:09,488 खिलाफ़त क्रर के। 296 00:19:09,488 --> 00:19:13,214 खिलाफ़त करने का मतलब है चुपचाप खडे नहीं रह जाना। 297 00:19:13,214 --> 00:19:18,452 हम किसी के लिये सकारत्मक कमेंट कर सकते है, साइबर बुलींग होती देख कर शिकायत दर्ज़ कर सकते हैं। 298 00:19:18,452 --> 00:19:22,605 मेरा यकीन मानिये, सकारात्मक कमेंट से नकारात्मक्ता ख्त्म होती है। 299 00:19:23,385 --> 00:19:27,193 हम एक खिलाफ़त का कल्चर भी ला सक्ते है उन संस्थाओं को सहारा दे कर 300 00:19:27,193 --> 00:19:29,469 जो इन मुद्दो पर काम कर रही हैं, 301 00:19:29,469 --> 00:19:32,277 जैसे कि यू.एस. की टाइलर क्लेमेंटी फ़ाउंडेशन 302 00:19:32,277 --> 00:19:35,088 यू. के. में एंटी-बुलींग प्रो है, 303 00:19:35,088 --> 00:19:38,680 आस्ट्रेलिया में, प्रोजेक्ट रोकिटहै। 304 00:19:40,350 --> 00:19:46,157 हम अपने फ़्रीडम ओफ़ एक्स्प्रेश्न के बारे में अत्यधिक सचेत हो कर बात करते हैं 305 00:19:46,157 --> 00:19:48,182 मगर हमें ये भी बात करनी होगी कि 306 00:19:48,182 --> 00:19:51,736 फ़्रीडम ऑफ़ एक्स्प्रेशन के प्रति हमारे कर्त्व्य क्या हैं 307 00:19:51,736 --> 00:19:54,475 हम सब चाहते हैं कि हमें सुना जाये 308 00:19:54,475 --> 00:19:59,258 मगर उद्देश्य से बोलने में और 309 00:19:59,258 --> 00:20:02,374 ध्यान आकर्षित करने के लिये बोलने में फ़र्क है 310 00:20:03,684 --> 00:20:07,222 इंटरनेट अभिव्यक्ति का सुपर हाई-वे है, 311 00:20:07,222 --> 00:20:10,380 मगर ऑन्लाइन, दूसरों के प्रति संवेदनशील होने से 312 00:20:10,380 --> 00:20:15,930 हम सबका भला होगा, और एक बेहतर, सुरक्षित दुनिया कायम होगी। 313 00:20:15,930 --> 00:20:19,134 हमें ऑन्लाइन बर्ताव में सहानुभूति लानी होगी, 314 00:20:19,134 --> 00:20:21,595 समाचारों को संवेदना के साथ कनस्यूम करना होगा, 315 00:20:21,595 --> 00:20:24,289 और सोच-समझ कर क्लिक करना होगा। 316 00:20:24,289 --> 00:20:28,923 फ़र्ज़ कीजिये कि आप किसी और के हेड-लाइन में एक मील चल रहे हैं। 317 00:20:31,476 --> 00:20:34,461 मै दिल की बात कह कर जाना चाहूँगी 318 00:20:35,561 --> 00:20:37,651 पिछले नौ महीनों मे, 319 00:20:37,651 --> 00:20:41,175 मुझ्से जो प्रश्न सबसे ज्यादा पूछा गया है वो है , "क्यो?" 320 00:20:41,175 --> 00:20:45,193 अब क्यो? अब मैं अपना सर इतने साल के बाद क्यो उठा रही हूँ? 321 00:20:45,193 --> 00:20:47,710 इन प्रश्नों में निहित बातों को आप समझ सकते है। 322 00:20:47,710 --> 00:20:51,559 और मेरे जवाब का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। 323 00:20:51,559 --> 00:20:57,166 मेरा एक ही जवाब है, और वो है कि - अब समय आ गया है। 324 00:20:57,166 --> 00:20:59,873 समय आ गया है कि मैं अपने अतीत से छुप छुप कर भागना बंद करूँ: 325 00:20:59,873 --> 00:21:03,115 अपमानित हो कर जीने का समय ख्तम हो गया है; 326 00:21:03,115 --> 00:21:06,349 और समय आ गया है कि मैं अपनी कहानी पर वापस अपना अधिकार पाऊँ 327 00:21:06,349 --> 00:21:11,194 और ये सिर्फ़ मेरे अकेले के बारे में नहीं है। 328 00:21:11,194 --> 00:21:14,607 कोई भी जो शर्म और सार्वजनिक रूप से उत्पीडित है, 329 00:21:14,607 --> 00:21:17,394 ये एक बात जान ले: 330 00:21:17,394 --> 00:21:20,111 कि वो उस से लड सकता है और आगे बढ सकता है। 331 00:21:20,111 --> 00:21:22,874 मुझे पता है कि ये बहुत मुश्किल है। 332 00:21:22,874 --> 00:21:26,505 बहुत दर्द भरा, आसान बिल्कुल भी नहीं, और लम्बा सफ़र। 333 00:21:26,505 --> 00:21:31,181 मगर आप अपनी कहानी को एक अलग अंत दे सकते हैं। 334 00:21:31,181 --> 00:21:34,548 अपने प्रति सहानुभूति और संवेदना रख के। 335 00:21:34,548 --> 00:21:37,636 हम सब संवेदना के पात्र हैं, 336 00:21:37,636 --> 00:21:43,835 और ऑन्लाइन और ऑफ़्लाइन, संवेदनाशील दुनिया में रहने के हकदार हैं। 337 00:21:43,835 --> 00:21:46,435 मेरी बात सुनने के लिये धन्यवाद। 338 00:21:46,435 --> 00:21:56,815 (अभिवादन और तालियाँ)