हेलो!, मैं हूँ सूज़न सांग,
जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के चाइल्ड,
एडोलसेंट एंड फैमिली साइकाइट्री
विभाग के डायरेक्टर
और हुमेनिटरियन प्रोटेक्शन एडवाइजर
जो वैश्विक और घरेलू स्तर पर जबरन
विस्थापन के उत्तरजीवी के लिए है |
दुनिया भर में अभूतपूर्व तेज़ी से
विस्थापित लोगो की
संख्या में वृद्धि हुई है|
जिनमे शामिल है शरणार्थी,
आश्रयस्थान चाहने वाले,
बिना दस्तावेज़ के आप्रवासी
और अकेले नाबालिग |
दुनिया भर में 6.5 करोड़ से ज़्यादा लोग
वर्त्तमान समय में विस्थापित है
युद्ध, सशस्त्र संघर्ष या उत्पीड़न के कारण |
2018 की शुरुआत तक करीब 3.1 करोड़ बच्चे
दुनिया भर में,
हिंसा और संघर्ष के कारण विस्थापित हुए है|
अगर ऐसा ही चलता रहा तो
सौ में एक इंसान आने वाले समय में
शरणार्थी बनेंगे |
दुर्भाग्य से ज़्यादातर शरणार्थी और
जबरन विस्थापन के उत्तरजीवी,
अति आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य
सेवा प्राप्त नहीं कर सकते
जिसका कारण है सेवाओं की कमी,
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं
की पहुँच की कमी
और मानसिक रोग के प्रति कलंक के भाव |