यहाँ से केवल एक मील दूर, एडिन्ब्रह के ओल्ड टाउन में, है पैनम्यूर हाउस। पैनम्यूर हाउस दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्कॉटिश अर्थशास्त्री ऐडम स्मिथ का घर था। उनके काम "दी वेल्थ ऑफ़ नेशन्स" में ऐडम स्मिथ ने अन्य चीज़ों के साथ कहा, की एक देश की धन-संपत्ति सिर्फ़ उसके सोने और चाँदी में नहीं है। वह एक देश का समस्त उत्पादन और व्यापार है। यह ही शायद उस चीज़ का सबसे पुराना वर्णन था जिसे आज हम सकल घरेलू उत्पाद, यानि जीडीपी कहते हैं। अब, इतने सालों से, उस उत्पादन और व्यापार का माप, जीडीपी, इतना महत्गत्यावपूर्ण है, कि आज -- और मैं नहीं मानती कि यही ऐडम स्मिथ चाहते होंगे -- कि अब यह अक्सर एक देश की सम्पूर्ण सफलता का सबसे महत्त्वपूर्ण माप समझा जाता है। और मेरा तर्क है कि अब इसे बदलने का वक़्त आ गया है। आप जानते हैं, जिसे हम अपने देश को मापने के लिए चुनते हैं, वह ज़रूरी है। यह ज़रूरी है, क्योंकि राजनैतिक फोकस उससे तय होता है, और सार्वजनिक गतिविधि भी। और इसलिए, मुझे लगता है कि एक देश की सफलता मापने के लिए जीडीपी की कमियाँ ज़ाहिर सी हैं। आप जानते हैं कि जीडीपी हमारे सारे काम का उत्पादन बताता है, लेकिन वह हमारे काम के स्वरूप के बारे में नहीं बताता, कि वह काम सुयोग्य है या नहीं। वह एक कीमत लगा देता है, जैसे कि गैरकानूनी ड्रग्स का सेवन करना, लेकिन अवैतनिक देख-भाल पर नहीं। वह इकॉनमी की प्रगति के लिए अल्पावधि वाले काम को मान देगा, चाहे वह हमारे ग्रह के लिए आगे जाके नुकसानदायक क्यों न हो। और अगर हम पिछले दशक के राजनैतिक और आर्थिक उभार को, बढ़ती विषमता को सोचें, और अब हम आने वाली जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखें, बढ़ता स्वचालन, बढ़ती उम्र वाली आबादी, फिर मैं सोचती हूँ कि एक सफल देश, समाज की परिभाषा क्या होनी चाहिए, जिसका तर्क सही मायने में हो, और वैसा ही रहे। इसलिए, स्कॉटलैंड ने, 2018 में, एक नए नेटवर्क, वेलबींग इकॉनमी गवर्नमेन्ट्स ग्रुप बनाने का नेतृत्व लिया, और संस्थापक सदस्य देश स्कॉटलैंड, आइसलैंड, और न्यू ज़ीलैंड को साथ लाया, ज़ाहिर सी वजहों के लिए हमें कभी कभी "सिन" देश बुलाया जाता है, जबकि हमारा फोकस सार्वजनिक हित का ही रहता है। और इस समूह का उद्देश्य जीडीपी के संकुचित माप पर सवाल करना है। यह कहना कि हाँ, आर्थिक विकास मायने रखता है -- वह ज़रूरी है -- लेकिन इतना भी ज़रूरी नहीं। और जीडीपी में विकास के पीछे किसी भी कीमत पर नहीं पड़ना चाहिए। इस समूह का तर्क यह है कि आर्थिक नीति का उद्देश्य सार्वजनिक हित होना चाहिए: कि प्रजा कितनी खुश और स्वस्थ है, न कि सिर्फ़ कितनी धनी है। और मैं उन नीतियों के नतीजे के बारे में अभी बताऊँगी, लेकिन मुझे लगता है कि जिस दुनिया में हम आज रहते हैं, उसकी एक गहरी गूँज है। जब हम जनहित के बारे में सोचते हैं, हम एक संवाद शुरू करते हैं, जो कुछ एहम और मौलिक सवाल उठाता है। हमारी ज़िन्दगी में असल में क्या मायने रखता है? हमारे समुदायों में किन चीज़ों की कीमत है? हम किस तरह का देश, किस तरह का समाज वाकई बनना चाहते हैं? और जब हम लोगों को इन सवालों के साथ शामिल करते हैं, उन सवालों के जवाब ढूँढने में, तो मुझे लगता है कि हम तब ही लोगों का राजनीति में दिलचस्पी न रखने के बारे में समझ सकते हैं, जो दुनिया के बहुत से विक्सित देशों में प्रचलित है। निति में, यह सफ़र स्कॉटलैंड के लिए 2007 में शुरू हुआ, जब हमने नेशनल परफॉरमेंस फ्रेमवर्क का प्रकाशित किया, उन सूचक को ध्यान में रखते हुए जिससे हम अपना माप करते हैं। वे सूचक विभिन्न हैं जैसे कि आय असमानता, बच्चों की ख़ुशी, हरे स्थानों तक पहुँच, घर होने की पहुँच। जीडीपी के आंकड़ों में यह सब नहीं होता, लेकिन यह एक स्वस्थ और खुशहाल समाज के लिए ज़रूरी है। (तालियाँ) और यही तरीका अपनाना हमारी आर्थिक रणनिति का सबसे बड़ा हिस्सा है, जहाँ हम विषमता को संभालना और आर्थिक प्रगति दोनों को महत्त्व देते हैं। इससे हम निष्पक्ष काम कर पाते हैं, ताकि लोगों के लिए काम संतोषप्रद और सही वेतन देने वाला हो। यह हमारे जस्ट ट्रांजीशन कमीशन की स्थापना करने के निर्णय के लिए है, जो हमें एक कार्बन ज़ीरो इकॉनमी बनने की तरफ़ ले जाएगा। हमें आर्थिक इतिहास से पता है कि अगर हम ध्यान से न रहे, तो फ़ायदे से ज़्यादा नुक्सान है। और जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन और स्वचालन की चुनौतियाँ आ रही हैं, हमें वह गलतियाँ वापस नहीं दोहरानी। जो काम हम यहाँ स्कॉटलैंड में कर रहे हैं, वह महत्त्वपूर्ण है, लेकिन हमें दुसरे देशों से सीखने के लिए बहुत कुछ है। कुछ क्षण पहले मैंने आपको वेलबींग नेटवर्क के पार्टनर देशों के बारे में बताया: आइसलैंड और न्यू ज़ीलैंड। इस पर गौर करना, लेकिन यह निर्णय आपका है कि यह प्रासंगिक है या नहीं, कि यह तीनों देश इस समय औरतें चला रही हैं। (तालियाँ) और वे भी बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं। न्यू ज़ीलैंड ने, 2019 में, अपना पहला वेलबींग बजट प्रकाशित किया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य सबसे एहम है; आइसलैंड सामान वेतन, बच्चे की देखभाल, और पितृत्व अधिकार की तरफ़ बढ़ता -- ऐसी नीतियाँ जिनके बारे में हम धनी इकॉनमी बनाते वक़्त सोचते भी नहीं, लेकिन नीतियाँ जो एक स्वस्थ इकॉनमी और एक खुशहाल समाज के लिए ज़रूरी हैं। मैंने ऐडम स्मिथ के "वेल्थ ऑफ़ दी नेशन्स" से शुरुआत की। ऐडम स्मिथ के पुराने काम "दी थ्योरी ऑफ़ मोरल सेंटीमेंट्स" में, जो भी बहुत महत्त्वपूर्ण है, उन्होंने बताया कि किसी भी सरकार की कीमत की परख उस अनुपात में होगी जितना वह अपनी प्रजा को खुश रख सकती है। यह मेरे हिसाब से एक अच्छा सिद्धांत है किसी भी देशों के समूह के लिए जो जनता का हित चाहते हो। हम सबके पास सारे जवाब तो नहीं है, स्कॉटलैंड, ऐडम स्मिथ का जन्मस्थान के पास भी नहीं। लेकिन जिस दुनिया में हम आज रहते हैं, बढ़ते विभाजन और विषमता के साथ, अलगाव की भावना के साथ, अभी ही वक़्त है कि हम सवाल पूछ कर उनके जवाब ढूँढे और उस समाज की दृष्टि को बढ़ावा दें जहाँ सिर्फ़ धन नहीं, लेकिन खुशहाली पर ध्यान दिया जाए। (तालियाँ) आप इस वक़्त खूबसूरत, धूप वाली राजधानी ... (सब हँसते हैं) उस देश में है जो दुनिया को प्रबोधन की तरफ़ ले गया, जो देश दुनिया को औद्योगिक युग की तरफ़ ले गया, जो देश इस समय दुनिया को कम कार्बन की तरफ़ ले जाने में मदद कर रहा है। मैं चाहती हूँ कि स्कॉटलैंड वह देश भी हो जो देशों और सरकारों का फोकस बदलने में मदद करें, ताकि वे हर चीज़ में खुशहाली और स्वास्थ्य को महत्त्व दें। मुझे लगता है कि हमें यह इस पीढ़ी के लिए करना ज़रूरी है। और मुझे बिलकुल लगता है कि यह हमें उन साड़ी पीढ़ियों के लिए करना है जो हमारे बाद आएँगी। और अगर हम यह करें, उस देश से जो प्रबोधन की तरफ़ ले गया, हम एक बेहतर, स्वस्थ, निष्पक्ष, और खुशहाल समाज, यहाँ इस घर में बना सकते हैं। और हम निष्पक्ष और खुशहाल दुनिया बनाने का कर्ताव्व्य स्कॉटलैंड में निभा सकते हैं। आप सब का बहुत धन्यवाद। (तालियाँ)