पृथ्वी पर, हर दिन मानव २.७ किलो अनाज खा लेता है. याने ३६५ किलो ग्राम हर साल. जीवन मे करीबन २८८०० किलो ग्राम यह सब गुजरता है पचनसंस्था से जिसमे होते है दस इंद्रिये नौ मीटर जगह मे. उन मे बीस खास किस्म की कोशिका होती है. यह एक विशेष जटील संस्था होती है मानवी शरीर मे. इसके हिस्से लगातार एकस्वर में काम करते हैं एक विलक्षण कार्य को पूरा करने के लिए: अपने भोजन का कच्चा माल को बदलकर पोषक तत्वों और ऊर्जा में रुपांतरीत करके आपको जीवित रखने का अपने धड़ की पूरी लंबाई फैले, पाचन तंत्र चार मुख्य घटक हैं एक घुमा चैनल जो आपके भोजन को स्थानांतरित करता है और एक आंतरिक सतह क्षेत्र है के बीच 30 और 40 वर्ग मीटर, आधा बैडमिंटन कोर्ट को कवर करने के लिए पर्याप्त है दूसरा, वहाँ अग्न्याशय है, आग्राशय पित्ताशय, जिगर.. यकृय भोजन के टूटने वाले अंगों की तिकड़ी विशेष रस की एक सरणी का उपयोग कर तीसरा, शरीर के एंजाइमों, हार्मोन्स चेतापेशी खून सभी भोजन को तोड़ने के लिए मिलकर काम करते हैं, जिससे की पाचन प्रक्रिया सुलभ हो. उसका अंतिम नतीजा प्राप्त हो. इसके लिये काम करती है दुहेरी परत जो की एक दीर्घ ऊती होती है सभी पाचन इंद्रीयो में अपना काम सुचरित करने . पाचन संस्था की शुरुवात होती है जबसे जोकि तय करती है अन्नक स्वाद आपके मुँह में ग्रंथियां शुरू होती हैं लार बाहर पंप करने के लिए हर दिन 1.५ लिटर लार हम पैदा करते है अपने मुह मे . जोकि मुह मे घुल जाता है अन्न के साथ उसे गिला नर्म बनाने लार के enzymes पिष्ट पदार्थ पचाते है. उसके बाद वह प्रवेश करता है अन्ननलीका में जोकि २५ सेमी लंबी होती है उसमे से जाके नीचे पेट में प्रवेश करता है अन्न नलिका के बाहरी स्नायू अन्न को भाप लेते है उनके लगातार आकुंचन प्रसारण से अन्न पेट मे याने जठर मे जाता है . जठर की स्नायू की बाह्य परत उसे टुकड़े में तोड़ते है अंदार्के आवरण से स्त्रावीत होनेवाले आम्ल से घुल मील जाता है जठर की दिवार से जो विकर निकलते है उससे अन्न के प्रोटीन घटक का पाचन होता है यह हार्मोन्स पंक्रिया को यकृत को पित्ताशाय को सचेत करता है पाचक स्त्राव निर्माण करने . पित्ताशय मे हरा पिला पित्त द्रव चरबी का पाचन करता है अगली पाचन अवस्था होती है यह पेट मे जठर मे . इसके तीन घंटे बाद जिससे कि पाचीत अन्न द्रवरूप अन्नरस मे तबदील होता है. जोकि आसानी से जा सक्त है छोटे आतो मे पित्तशायसे लिव्हर पित्त प्राप्त करता है जो स्त्रावीत होता है छोटे आतो के प्रारंभी अवयव डीओडीयम मे पित्त वहा अन्नरस मे तैरने वाली चरबी को पाचन करता है . आतो के तथा स्वादुपिंड के स्त्राव से भी उसका पाचन होता है यह स्त्राव चरबी को fatty असिड .ग्लायसेरोल मे रुपांतरीत करते है. ताकि शरीर मे शोषित हो. इसी स्त्राव्से प्रोटीन को अमिनो आम्ल मे बदलने की अंतिम अवस्था होती है और कार्बोद्को को ग्लुकॉसे मे यह क्रिया होती है छोटे आतो के निचले भाग मे jejunum और ileum, मे जोकि जुड़े होते है करोड़ो शोषणेन्द्रीयो से जिसके कारण बडा पृष्ठभाग मिलता है अभिशोषण के लिये . रक्त मे शोषित होने के लिये . उसके बाद वह पहुँच जाता है शरीर की कोशियो तक. शरीर अवयव इंद्रीयो को पोषित करने लेकीन इतने पर कार्य नही रूकता , जो अवशोषित भाग पानी मृत पेशी जमा करके बड़े आतो मे याने कोलोन मे लाया जाता है इ सकी भित्तीका से पानी निकल जाता है जिसके कारण एक मृदू स्टूल बनता है इस को रेक्टम मे ले जाता है कोलोन स्नायू की मदद से रेक्ट म के स्नायू प्रसरण होते है व शरीर हमे सूचना देता है उसे उत्सर्जित करने गुद्वार से वह बाहर फेका जाता है . इतना लम्बा है अन्नप्रवास लागभाग तीस से चालीस घंटे लगते है अंतिम प्रवास पहुचने