[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:03.87,0:00:06.87,Default,,0000,0000,0000,,पाइथागोरियन दार्शनिक प्लेटो ने रहस्यमय ढंग से संकेत Dialogue: 0,0:00:06.87,0:00:09.01,Default,,0000,0000,0000,,दिया कि एक ऐसी स्वर्ण कुंजी है जिससे ब्रह्माण्ड Dialogue: 0,0:00:09.01,0:00:13.01,Default,,0000,0000,0000,,के सभी रहस्य खोजे जा सकते हैं । Dialogue: 0,0:00:13.01,0:00:17.63,Default,,0000,0000,0000,,यह वही स्वर्ण कुंजी है जिसके पास हम अपने Dialogue: 0,0:00:17.63,0:00:21.03,Default,,0000,0000,0000,,अन्वेषण के दौरान बारंबार लौट आएँगे। Dialogue: 0,0:00:21.03,0:00:24.47,Default,,0000,0000,0000,,स्वर्ण कुंजी `लोगो़` की बुद्धिमत्ता है, Dialogue: 0,0:00:24.47,0:00:27.73,Default,,0000,0000,0000,,प्रारंभिक ओम् के स्रोत को पहचानना । Dialogue: 0,0:00:27.73,0:00:33.00,Default,,0000,0000,0000,,कोई कह सकता है कि यह ईश्वर का स्मरण है । Dialogue: 0,0:00:33.00,0:00:36.83,Default,,0000,0000,0000,,अपनी सीमित चेतनाओं से हम केवल आत्म-अनुरूपता की Dialogue: 0,0:00:36.83,0:00:42.87,Default,,0000,0000,0000,,प्रच्छन्न प्रक्रिया के बाहरी प्रकटीकरण को देख रहे हैं । Dialogue: 0,0:00:42.87,0:00:52.33,Default,,0000,0000,0000,,इस दिव्य प्रतिसाम्य का स्रोत हमारे अस्तित्व का महानतम रहस्य है । Dialogue: 0,0:00:52.33,0:00:57.63,Default,,0000,0000,0000,,पाइथागोरस, केपलर, लियोनार्डो द विंसी तथा आईंस्टाइन जैसे इतिहास के कई Dialogue: 0,0:00:57.63,0:01:05.93,Default,,0000,0000,0000,,अत्यंत महत्वपूर्ण चिंतक रहस्य की इस दहलीज तक पहुँचे। Dialogue: 0,0:01:05.93,0:01:12.47,Default,,0000,0000,0000,,आईंस्टाइन ने कहा कि "अत्यधिक सुंदर वस्तु जिसे हम अनुभव कर सकते हैं वह रहस्यपूर्ण है । Dialogue: 0,0:01:12.47,0:01:16.00,Default,,0000,0000,0000,,यह सभी सत्य कला एवं विज्ञान का स्रोत है । Dialogue: 0,0:01:16.00,0:01:19.07,Default,,0000,0000,0000,,वह जिसके लिए यह भावना अपरिचित है, Dialogue: 0,0:01:19.07,0:01:23.63,Default,,0000,0000,0000,,जो आश्चर्यचकित होकर ठहर नहीं जाता और विस्मय में सम्मोहित Dialogue: 0,0:01:23.63,0:01:29.00,Default,,0000,0000,0000,,नहीं हो जाता है, वह मृतक समान है । उसके नेत्र बंद हैं ।" Dialogue: 0,0:01:29.00,0:01:31.87,Default,,0000,0000,0000,,हमारी स्थिति उस छोटे बच्चे की है जो अनेक भाषाओं की Dialogue: 0,0:01:31.87,0:01:36.01,Default,,0000,0000,0000,,पुस्तकों के बड़े पुस्तकालय में प्रवेश कर रहा है । Dialogue: 0,0:01:36.01,0:01:40.33,Default,,0000,0000,0000,,बच्चा जानता है कि किसी ने इन पुस्तकों को लिखा होगा Dialogue: 0,0:01:40.33,0:01:46.57,Default,,0000,0000,0000,,वह यह नहीं जानता कि कैसे ।\N23\N00:01:42,433 --> 00:01:46,567\Nवह उन भाषाओं को भी नहीं जानता जिसमें इन्हें लिखा गया है । Dialogue: 0,0:01:46.57,0:01:51.27,Default,,0000,0000,0000,,बच्चा पुस्तकों की व्यवस्था के रहस्यपूर्ण Dialogue: 0,0:01:51.27,0:01:53.33,Default,,0000,0000,0000,,क्रम पर थोड़ा आशंकित होता है लेकिन जानता नहीं कि यह सब है क्या Dialogue: 0,0:01:53.33,0:01:57.33,Default,,0000,0000,0000,,मुझे लगता है कि यही प्रवृति अत्यधिक बुद्धिमान Dialogue: 0,0:01:57.33,0:02:00.00,Default,,0000,0000,0000,,मनुष्य को ईश्वर की ओर ले जाती है । Dialogue: 0,0:02:00.00,0:02:05.57,Default,,0000,0000,0000,,हम देखते हैं कि यह ब्रह्माण्ड आश्चर्यजनक रूप से व्यवस्थित है और कुछेक नियमों का पालन कर रहा है । Dialogue: 0,0:02:05.57,0:02:14.47,Default,,0000,0000,0000,,हमारे सीमित मस्तिष्क उस रहस्यपूर्ण शक्ति को समझ नहीं सकते, जो नक्षत्रों को संचालित करता है । Dialogue: 0,0:02:14.47,0:02:17.27,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक वैज्ञानिक जो गहराई से ब्रह्माण्ड को देखता है Dialogue: 0,0:02:17.27,0:02:20.83,Default,,0000,0000,0000,,और प्रत्येक रहस्यवादी जो गहराई से स्वयं के भीतर झांकता है, Dialogue: 0,0:02:20.83,0:02:26.63,Default,,0000,0000,0000,,अंततोगत्वा एक ही चीज के समक्ष आ खड़ा हो जाता है। Dialogue: 0,0:02:26.63,0:02:41.01,Default,,0000,0000,0000,,आदिम सर्पिल गति । Dialogue: 0,0:02:41.01,0:03:00.83,Default,,0000,0000,0000,,पाषाण युग में प्राचीन वेधशला के सृजन के हजारों वर्ष पूर्व Dialogue: 0,0:03:00.83,0:03:07.00,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल पृथ्वी पर प्रमुख प्रतीक था । Dialogue: 0,0:03:07.00,0:03:11.87,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन सर्पिल विश्व के सभी भागों में पाए जा सकते हैं । Dialogue: 0,0:03:11.87,0:03:16.83,Default,,0000,0000,0000,,इस प्रकार के हजारों प्राचीन सर्पिल यूरोप, उत्तरी अमरीका, Dialogue: 0,0:03:16.83,0:03:23.00,Default,,0000,0000,0000,,न्यू मैक्सिको, ऊटा, आस्ट्रेलिया, चीन, रूस में पाए जा सकते हैं । Dialogue: 0,0:03:23.00,0:03:28.00,Default,,0000,0000,0000,,वास्तविक रूप में पृथ्वी पर प्रत्येक देशी संस्कृति में । Dialogue: 0,0:03:28.00,0:03:35.17,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन सर्पिल सूर्य तथा स्वर्ग में सम्मिलित विकास, विस्तार तथा Dialogue: 0,0:03:35.17,0:03:37.00,Default,,0000,0000,0000,,अंतरिक्षीय ऊर्जा का प्रतीक है । Dialogue: 0,0:03:37.00,0:03:43.37,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल रूप खुले ब्रह्माण्ड के विश्व का प्रतिरूप प्रस्तुत कर रहे हैं । Dialogue: 0,0:03:43.37,0:03:52.00,Default,,0000,0000,0000,,देशीय परंपराओं में, सर्पिल ऊर्जाशील स्रोत आदिम जननी थी । Dialogue: 0,0:03:52.00,0:04:00.23,Default,,0000,0000,0000,,न्यूग्रेंगे, आयरलैंड में पांच हजार वर्ष पीछे नियोलिथिक सर्पिल । Dialogue: 0,0:04:00.23,0:04:07.00,Default,,0000,0000,0000,,वे गिज़ा में बड़े पिरामिड से पांच सौ वर्ष पुराने हैं और Dialogue: 0,0:04:07.00,0:04:14.01,Default,,0000,0000,0000,,वे आधुनिक प्रेक्षकों की तरह पेचीदा हैं । Dialogue: 0,0:04:14.01,0:04:17.47,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल इतिहास में उस समय से हैं जब मानव, पृथ्वी से - Dialogue: 0,0:04:17.47,0:04:22.13,Default,,0000,0000,0000,,चक्रों व प्रकृति के सर्पिल से अधिक संबद्ध था । Dialogue: 0,0:04:22.13,0:04:26.00,Default,,0000,0000,0000,,ऐसा समय जब मानव विचारों से कम परिचित था । Dialogue: 0,0:04:26.00,0:04:33.73,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल जैसा कि हम समझते हैं, ब्रह्माण्ड के गुंथे हुए रुपहले तारों की कंठी है । Dialogue: 0,0:04:33.73,0:04:42.00,Default,,0000,0000,0000,,प्राण या सृजनात्मक शक्ति आकाश को ठोस रूपों के सातत्य में घुमाती है । Dialogue: 0,0:04:42.00,0:04:45.97,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल तारामंडल से मौसम प्रणालियों तक ब्रह्माण्ड और लघु ब्रह्माण्ड Dialogue: 0,0:04:45.97,0:04:47.07,Default,,0000,0000,0000,,के बीच सभी स्तरों पर Dialogue: 0,0:04:47.07,0:04:53.17,Default,,0000,0000,0000,,उपलब्ध आपके स्नानागार Dialogue: 0,0:04:53.17,0:04:58.37,Default,,0000,0000,0000,,में जल तक, Dialogue: 0,0:04:58.37,0:05:01.37,Default,,0000,0000,0000,,आपके डीएनए तक, Dialogue: 0,0:05:01.37,0:05:09.00,Default,,0000,0000,0000,,आपकी अपनी ऊर्जा के प्रत्यक्ष अनुभव तक जाता है । Dialogue: 0,0:05:09.00,0:05:11.01,Default,,0000,0000,0000,,आदिम सर्पिल एक विचार नहीं, Dialogue: 0,0:05:11.01,0:05:18.13,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि वह जो सभी संभव स्थितियों व विचारों का निर्माण करता है । Dialogue: 0,0:05:18.13,0:05:29.57,Default,,0000,0000,0000,,विभिन्न प्रकार के सर्पिल और सर्पिलज समग्र प्राकृतिक संसार में पाए जाते हैं । Dialogue: 0,0:05:29.57,0:05:34.93,Default,,0000,0000,0000,,घोंघें, Dialogue: 0,0:05:34.93,0:05:45.73,Default,,0000,0000,0000,,समुद्री मुंगे, Dialogue: 0,0:05:45.73,0:05:56.00,Default,,0000,0000,0000,,मकड़ी के जाले, Dialogue: 0,0:05:56.00,0:06:01.01,Default,,0000,0000,0000,,जीवाश्म । Dialogue: 0,0:06:01.01,0:06:07.23,Default,,0000,0000,0000,,समुद्री घोड़े की पूंछ Dialogue: 0,0:06:07.23,0:06:16.67,Default,,0000,0000,0000,,और शंख । Dialogue: 0,0:06:16.67,0:06:21.00,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति में दिखाई देने वाले अनेक सर्पिल लघु गणकीय सर्पिल या वृद्धिशील सर्पिल के Dialogue: 0,0:06:21.00,0:06:22.73,Default,,0000,0000,0000,,रूप में प्रेक्षणीय हैं । Dialogue: 0,0:06:22.73,0:06:32.83,Default,,0000,0000,0000,,जैसे ही आप केन्द्र से बाहर आते हैं, सर्पिल खंड घातीय रूप से बड़ा हो जाता है । Dialogue: 0,0:06:32.83,0:06:37.01,Default,,0000,0000,0000,,इन्द्र के रत्नजाल की तरह लघु Dialogue: 0,0:06:37.01,0:06:42.77,Default,,0000,0000,0000,,गणकीय सर्पिल स्वयं के समान या स्वलिखित हो जाते हैं, Dialogue: 0,0:06:42.77,0:06:45.00,Default,,0000,0000,0000,,जिससे प्रत्येक भाग की विशेषताएं संपूर्णता में प्रतिबिंबित होने लगती हैं । Dialogue: 0,0:06:45.00,0:06:51.17,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन ग्रीस में 2400 वर्ष पूर्व, प्लेटो ने सतत ज्यामितिक Dialogue: 0,0:06:51.17,0:06:56.47,Default,,0000,0000,0000,,समानुपात को अत्यधिक दो दुर्बोध ब्रह्मांडीय बंध होने पर विचार किया । Dialogue: 0,0:06:56.47,0:07:02.23,Default,,0000,0000,0000,,स्वर्ण अनुपात या दिव्य समानुपात प्रकृति का महानतम रहस्य था । Dialogue: 0,0:07:02.23,0:07:04.23,Default,,0000,0000,0000,,स्वर्ण अनुपात को ए+बी से ए के अनुपात के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है, Dialogue: 0,0:07:04.23,0:07:10.93,Default,,0000,0000,0000,,जो ए से बी के अनुपात के समान है । Dialogue: 0,0:07:10.93,0:07:18.93,Default,,0000,0000,0000,,प्लेटो के अनुसार विश्व की आत्मा एक अनुकूल प्रतिध्वनि में एक साथ बांधी जा सकती है । Dialogue: 0,0:07:18.93,0:07:22.83,Default,,0000,0000,0000,,इसी प्रकार की पंचभुजीय पद्धति जो तारामीन या भिंडी के भाग में है, Dialogue: 0,0:07:22.83,0:07:26.43,Default,,0000,0000,0000,,उसे आठ वर्ष की अवधि में रात्रि आकाश में शुक्रग्रह Dialogue: 0,0:07:26.43,0:07:39.01,Default,,0000,0000,0000,,के मार्ग में देखा जा सकता है । Dialogue: 0,0:07:39.01,0:07:51.73,Default,,0000,0000,0000,,ऊपर ज्यामितिक अनुरूपता के इस सिद्धांत के माध्यम से रूपों का बोधगम्य Dialogue: 0,0:07:51.73,0:08:02.07,Default,,0000,0000,0000,,संसार और नीचे भौतिक वस्तुओं का दृश्यात्मक संसार है । Dialogue: 0,0:08:02.07,0:08:06.13,Default,,0000,0000,0000,,रोमेनेस्को फूलगोभी के स्व-अनुरूप सर्पिल पद्धतियों से लेकर Dialogue: 0,0:08:06.13,0:08:11.03,Default,,0000,0000,0000,,तारामंडल तक लघुगणितीय सर्पिल सर्वव्यापी Dialogue: 0,0:08:11.03,0:08:15.67,Default,,0000,0000,0000,,और आद्यरूप पद्धतियां हैं । Dialogue: 0,0:08:15.67,0:08:20.03,Default,,0000,0000,0000,,हमारी अपनी आकाशगंगा तारामंडल की कई सर्पिल हैं जो Dialogue: 0,0:08:20.03,0:08:23.01,Default,,0000,0000,0000,,लगभग 12 डिग्रियों के पिच वाली लघु गणितीय सर्पिल है । Dialogue: 0,0:08:23.01,0:08:32.07,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल की पिच जितनी अधिक है, घुमाव उतना ही कड़ा है । Dialogue: 0,0:08:32.07,0:08:37.00,Default,,0000,0000,0000,,जब आप समय-अंतराल वीडियो में बढ़ते पौधों को देखते हैं तो Dialogue: 0,0:08:37.00,0:08:51.03,Default,,0000,0000,0000,,आप जीवंत सर्पिल नृत्य को देखते हैं । Dialogue: 0,0:08:51.03,0:09:07.23,Default,,0000,0000,0000,,स्वर्णिम सर्पिल एक लघु गणितीय सर्पिल है जो स्वर्ण Dialogue: 0,0:09:07.23,0:09:10.33,Default,,0000,0000,0000,,अनुपात के घटक से बाहरी ओर बढ़ता है । Dialogue: 0,0:09:10.33,0:09:14.77,Default,,0000,0000,0000,,स्वर्ण अनुपात एक विशेष गणितीय संबंध है जो Dialogue: 0,0:09:14.77,0:09:18.83,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण है । Dialogue: 0,0:09:18.83,0:09:23.97,Default,,0000,0000,0000,,इस पद्धति को फाइबोनेक्की शृंखला या फाइबोनेक्की Dialogue: 0,0:09:23.97,0:09:26.73,Default,,0000,0000,0000,,अनुक्रम कहा जाता है । Dialogue: 0,0:09:26.73,0:09:33.97,Default,,0000,0000,0000,,फाइबोनेक्की शृंखला इस तरह खुलती है कि प्रत्येक संख्या पूर्ववर्ती दो संख्याओं का जोड़ होती है । Dialogue: 0,0:09:33.97,0:09:38.00,Default,,0000,0000,0000,,जर्मन गणितज्ञ और खगोलज्ञ केपलर ने खोजा कि स्व-अनुरुप सर्पिल पद्धतियां उसी तरह प्रेक्षणीय हैं जैसे Dialogue: 0,0:09:38.00,0:09:43.97,Default,,0000,0000,0000,,जर्मन गणितज्ञ और खगोलज्ञ केपलर ने खोजा कि स्व-अनुरुप सर्पिल पद्धतियां उसी तरह प्रेक्षणीय Dialogue: 0,0:09:43.97,0:09:49.00,Default,,0000,0000,0000,,हैं जैसे पत्तों को पौधों के तनों पर व्यवस्थित किया गया है या फूलों की पुष्पक और पंखुड़ी व्यवस्थाओं में है । Dialogue: 0,0:09:49.00,0:09:52.00,Default,,0000,0000,0000,,लियोनार्डो द विंसी ने पाया कि पत्तों का अंतराल Dialogue: 0,0:09:52.00,0:09:55.07,Default,,0000,0000,0000,,प्राय: सर्पिल पद्धतियों में है । Dialogue: 0,0:09:55.07,0:09:57.97,Default,,0000,0000,0000,,इन पद्धतियों को `पर्ण विन्यास` पद्धतियां Dialogue: 0,0:09:57.97,0:10:02.93,Default,,0000,0000,0000,,या पत्ता व्यवस्था पद्धतियां कहा जाता है । Dialogue: 0,0:10:02.93,0:10:08.00,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण विन्यास व्यवस्थाएं स्व संगठित Dialogue: 0,0:10:08.00,0:10:16.87,Default,,0000,0000,0000,,डीएनए न्यूक्लोटाइड्स Dialogue: 0,0:10:16.87,0:10:21.77,Default,,0000,0000,0000,,में देखी जा सकती हैं और संतानोत्पत्ति करने वाले Dialogue: 0,0:10:21.77,0:10:23.83,Default,,0000,0000,0000,,नागफनी से लेकर Dialogue: 0,0:10:23.83,0:10:25.00,Default,,0000,0000,0000,,हिमकण तक और Dialogue: 0,0:10:25.00,0:10:25.97,Default,,0000,0000,0000,,डॉयटम जैसे सामान्य Dialogue: 0,0:10:25.97,0:10:30.87,Default,,0000,0000,0000,,जीवों में देखे जा सकते हैं । Dialogue: 0,0:10:30.87,0:10:34.01,Default,,0000,0000,0000,,डॉयटम अति सामान्य प्रकार के फाईटोपलेंक्टन, Dialogue: 0,0:10:34.01,0:10:37.73,Default,,0000,0000,0000,,एक कोशीय जीवों में से एक है जो संपूर्ण खाद्य Dialogue: 0,0:10:37.73,0:11:05.63,Default,,0000,0000,0000,,प्रणाली से अगणित जीवों को भोजन उपलब्ध करवाते हैं । Dialogue: 0,0:11:05.63,0:11:15.37,Default,,0000,0000,0000,,सूर्यमुखी या मधुमक्खी बनने के लिए आपको गणित की कितनी ज़रूरत होगी? Dialogue: 0,0:11:15.37,0:11:19.23,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति फूलगोभी उगाने के लिए भौतिक विभाग से परामर्श नहीं करती । Dialogue: 0,0:11:19.23,0:11:23.00,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति में संरचना स्वत: घटित होती है । Dialogue: 0,0:11:23.00,0:11:27.00,Default,,0000,0000,0000,,नैनोतकनीक के क्षेत्र में वैज्ञानिक डीएनए के निर्माण Dialogue: 0,0:11:27.00,0:11:29.97,Default,,0000,0000,0000,,के आरंभिक षड्भुजाकार चरण जैसी जटिलताओं को वर्णित करने Dialogue: 0,0:11:29.97,0:11:35.03,Default,,0000,0000,0000,,के लिए स्व-संयोजन शब्द का प्रयोग करते हैं । Dialogue: 0,0:11:35.03,0:11:38.47,Default,,0000,0000,0000,,नैनोतकनीक इंजीनियरिंग में कार्बन नैनोटयूब एकसमान Dialogue: 0,0:11:38.47,0:11:43.00,Default,,0000,0000,0000,,व्यवस्था में समाविष्ट किया जाता है । Dialogue: 0,0:11:43.00,0:11:47.01,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति इस प्रकार की ज्यामिती को बारंबार, सहजता से करती है। Dialogue: 0,0:11:47.01,0:11:51.17,Default,,0000,0000,0000,,स्वचालित रूप से। बिना संगणक के। Dialogue: 0,0:11:51.17,0:11:54.53,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति सूक्ष्म और अत्यंत कुशल है । Dialogue: 0,0:11:54.53,0:11:59.43,Default,,0000,0000,0000,,प्रसिद्ध वास्तुकार एवं लेखक बकमिंस्टर फुलर के अनुसार Dialogue: 0,0:11:59.43,0:12:01.97,Default,,0000,0000,0000,,ये पद्धतियां समय अंतराल के कार्यकलाप हैं । Dialogue: 0,0:12:01.97,0:12:08.01,Default,,0000,0000,0000,,बुलबुले के गोल होने का जो कारण है, वही कारण डीएनए और मधुमक्खी के छत्ते की आकृति से जुड़ा है । Dialogue: 0,0:12:08.01,0:12:13.00,Default,,0000,0000,0000,,अपेक्षाकृत कम ऊर्जा वाली यह अत्यंत कुशल आकृति है । Dialogue: 0,0:12:13.00,0:12:18.07,Default,,0000,0000,0000,,अंतरिक्ष का अपना आकार है और पदार्थ के लिए केवल कुछेक संरूपण की अनुमति Dialogue: 0,0:12:18.07,0:12:23.63,Default,,0000,0000,0000,,है और हमेशा व्यतिक्रम से केवल सर्वाधिक कुशल ही उपलब्ध कराती है । Dialogue: 0,0:12:23.63,0:12:26.01,Default,,0000,0000,0000,,ये प्रतिकृतियां अल्पांतरीय गुंबद जैसी वास्तु शिल्पीय Dialogue: 0,0:12:26.01,0:12:41.93,Default,,0000,0000,0000,,ढांचों के निर्माण के लिए सुदृढ़ एवं कुशल पद्धति है । Dialogue: 0,0:12:41.93,0:12:45.01,Default,,0000,0000,0000,,लघुगणकीय सर्पिल प्रतिकृतियां परागण हेतु पौधों को कीटों Dialogue: 0,0:12:45.01,0:12:53.73,Default,,0000,0000,0000,,के प्रति अधिकतम अनावरण, सूर्य की रोशनी एवं वर्षा की अधिकतम Dialogue: 0,0:12:53.73,0:12:59.00,Default,,0000,0000,0000,,पहुंच अनुमत करती हैं तथा उनकी जड़ों के लिए कुशल रूप से सर्पिल जल उपलब्ध होता है । Dialogue: 0,0:12:59.00,0:13:07.13,Default,,0000,0000,0000,,शिकारी पक्षी अपने अगले भोजन का लुकछिप कर शिकार करने के लिए लघुगणितीय सर्पिल पद्धति अपनाते हैं । Dialogue: 0,0:13:07.13,0:13:23.83,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल रूप में उड़ना शिकार का सबसे कुशल तरीका है । Dialogue: 0,0:13:23.83,0:13:28.87,Default,,0000,0000,0000,,भौतिक रूप में सर्पिल जीवन आकाश को नृत्य करते हुए देखने की किसी की क्षमता प्रकृति में सुन्दरता Dialogue: 0,0:13:28.87,0:13:36.01,Default,,0000,0000,0000,,एवं समनुरूपता को देखने की क्षमता से संबद्ध है । Dialogue: 0,0:13:36.01,0:13:40.87,Default,,0000,0000,0000,,कवि विलियम ब्लेक ने कहा है, "वानस्पतिक ब्रह्माण्ड" पृथ्वी के केन्द्र Dialogue: 0,0:13:40.87,0:13:44.73,Default,,0000,0000,0000,,से फूल की तरह खुलता है जिसमें शाश्वतत्व है । Dialogue: 0,0:13:44.73,0:13:49.47,Default,,0000,0000,0000,,यह सितारों से ऐहिक सीप तक विस्तृत होता है और दोबारा Dialogue: 0,0:13:49.47,0:14:09.03,Default,,0000,0000,0000,,भीतर और बाहर, दोनों जगह शाश्वतत्व से जा मिलता है । Dialogue: 0,0:14:09.03,0:14:12.03,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति में प्रतिकृतियों का अध्ययन कुछ ऐसा नहीं है जिससे पश्चिम अधिक परिचित हो, Dialogue: 0,0:14:12.03,0:14:19.00,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन प्राचीन चीन में, यह विज्ञान `ली` के रूप में जाना जाता था । Dialogue: 0,0:14:19.00,0:14:27.00,Default,,0000,0000,0000,,`ली` प्रकृति में गत्यात्मक क्रम एवं प्रतिकृति को प्रतिबिंबित करती है । Dialogue: 0,0:14:27.00,0:14:30.37,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन यह पच्चीकारी की तरह स्थिर, Dialogue: 0,0:14:30.37,0:14:33.17,Default,,0000,0000,0000,,अवरुद्ध या अपरिवर्तित प्रतिकृति नहीं है । Dialogue: 0,0:14:33.17,0:14:43.00,Default,,0000,0000,0000,,यह सभी जीवित वस्तुओं में निहित गतिशील प्रतिकृति है । Dialogue: 0,0:14:43.00,0:14:47.33,Default,,0000,0000,0000,,पत्तों की धमनियां, कछुए के निशान तथा Dialogue: 0,0:14:47.33,0:14:51.67,Default,,0000,0000,0000,,चट्टानों की धारीदार प्रतिकृतियां सभी प्रकृति की Dialogue: 0,0:14:51.67,0:14:55.73,Default,,0000,0000,0000,,रहस्यमयी भाषा तथा कला की अभिव्यक्तियां हैं । Dialogue: 0,0:14:55.73,0:14:58.87,Default,,0000,0000,0000,,आंतरकर्ण कई `ली` प्रतिकृतियों में एक है । Dialogue: 0,0:14:58.87,0:15:03.87,Default,,0000,0000,0000,,यह मोरेल जैसे कुकुरमुत्ते, Dialogue: 0,0:15:03.87,0:15:07.43,Default,,0000,0000,0000,,गोभी जैसे मूंगी ढांचे तथा Dialogue: 0,0:15:07.43,0:15:10.13,Default,,0000,0000,0000,,मानव मस्तिष्क Dialogue: 0,0:15:10.13,0:15:18.23,Default,,0000,0000,0000,,में पाया जाता है । Dialogue: 0,0:15:18.23,0:15:23.01,Default,,0000,0000,0000,,कोशिकीय प्रतिकृति प्रकृति में मौजूद एक और सामान्य प्रतिकृति है । Dialogue: 0,0:15:23.01,0:15:26.63,Default,,0000,0000,0000,,ऐसे असंख्य विभिन्न कोशिकीय ढांचे हैं लेकिन प्रयोजन एवं Dialogue: 0,0:15:26.63,0:15:33.53,Default,,0000,0000,0000,,कार्य द्वारा परिभाषित उनका एकसमान व्यवस्था क्रम है । Dialogue: 0,0:15:33.53,0:15:40.67,Default,,0000,0000,0000,,उनके स्वरूपों की सतत भूमिका से सम्मोहित होना आसान Dialogue: 0,0:15:40.67,0:15:44.57,Default,,0000,0000,0000,,है लेकिन अधिक दिलचस्प यह है कि कुछेक Dialogue: 0,0:15:44.57,0:15:51.01,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति की आदिम बनावट से बुने प्रतीत होते हैं । Dialogue: 0,0:15:51.01,0:15:56.37,Default,,0000,0000,0000,,शाखन प्रतिकृति एक और `ली` प्रतिकृति या आदिम प्रतिकृति है जिसे सभी Dialogue: 0,0:15:56.37,0:16:26.73,Default,,0000,0000,0000,,स्तरों एवं सभी अंशिक प्रतिमानों पर देखा जा सकता है । Dialogue: 0,0:16:26.73,0:16:30.67,Default,,0000,0000,0000,,उदाहरण के लिए, “मिलेनियम रन” के रूप में अभिज्ञात सुपरकंप्यूटर अनुरूपण, Dialogue: 0,0:16:30.67,0:16:32.53,Default,,0000,0000,0000,,वह अविश्वसनीय छवि है जो स्थानीय ब्रह्माण्ड Dialogue: 0,0:16:32.53,0:16:36.43,Default,,0000,0000,0000,,में निष्क्रिय पदार्थ का वितरण दर्शाती है । Dialogue: 0,0:16:36.43,0:16:41.37,Default,,0000,0000,0000,,इसका सृजन जर्मनी में मेक्स प्लेंक सोसायटी द्वारा किया गया था । Dialogue: 0,0:16:41.37,0:16:49.37,Default,,0000,0000,0000,,निष्क्रिय पदार्थ वह है जिस पर पहले हमने रिक्त अंतरिक्ष के रूप में विचार किया था। Dialogue: 0,0:16:49.37,0:17:00.27,Default,,0000,0000,0000,,यह अदृश्य तंत्रिका तंत्र की तरह है जो पूरे ब्रह्माण्ड में प्रसरित है । Dialogue: 0,0:17:00.27,0:17:04.00,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड शाब्दिक रूप में महामस्तिष्क की तरह है । Dialogue: 0,0:17:04.00,0:17:08.77,Default,,0000,0000,0000,,यह निष्क्रिय या छिपी ऊर्जा का प्रयोग करते हुए लगातार सोच- Dialogue: 0,0:17:08.77,0:17:14.73,Default,,0000,0000,0000,,विचार करता है जिसे विज्ञान अभी समझने की शुरुआत कर रहा है । Dialogue: 0,0:17:14.73,0:17:19.33,Default,,0000,0000,0000,,इस असीम संजाल के माध्यम से, ब्रह्माण्ड के विस्तार एवं विकास Dialogue: 0,0:17:19.33,0:17:42.83,Default,,0000,0000,0000,,को गति प्रदान करने के लिए अगाध ऊर्जा संचालित होती है । Dialogue: 0,0:17:42.83,0:17:50.00,Default,,0000,0000,0000,,जब हम उचित परिस्थितियाँ निर्धारित करते हैं, प्रकृति स्वत: शाखन प्रतिकृतियों का सृजन करती है । Dialogue: 0,0:17:50.00,0:17:55.43,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति कला प्रोद्भवन मशीन या सौंदर्य सृजनकारी इंजिन है । Dialogue: 0,0:17:55.43,0:18:00.00,Default,,0000,0000,0000,,यहां, बिजली रजत स्फटिक शाखाओं के विकास के लिए प्रयुक्त की जा रही है । Dialogue: 0,0:18:00.00,0:18:05.67,Default,,0000,0000,0000,,फुटमान व्यपगत समय है चूंकि यह कई घंटों में बढ़ता है । Dialogue: 0,0:18:05.67,0:18:10.73,Default,,0000,0000,0000,,आयन के रूप में एल्यूमिनियम कैथोड पर स्फटिक आकार Dialogue: 0,0:18:10.73,0:18:13.43,Default,,0000,0000,0000,,को सिल्वर नाइट्रेट घोल से विद्युत निक्षेप किया जाता है । Dialogue: 0,0:18:13.43,0:18:15.01,Default,,0000,0000,0000,,निर्माण स्व-व्यस्थित है, Dialogue: 0,0:18:15.01,0:18:23.27,Default,,0000,0000,0000,,आप प्रकृति द्वारा प्रोद्भूत कलात्मक कार्य देख रहे हैं । Dialogue: 0,0:18:23.27,0:18:26.23,Default,,0000,0000,0000,,जोहान वुल्फगेंग वान गेटे ने कहा है Dialogue: 0,0:18:26.23,0:18:31.57,Default,,0000,0000,0000,,"सौंदर्य गुप्त प्राकृतिक नियमों का प्रकटीकरण Dialogue: 0,0:18:31.57,0:18:37.87,Default,,0000,0000,0000,,है जो अन्यथा हमसे हमेशा छिपा रहता है।" Dialogue: 0,0:18:37.87,0:18:43.97,Default,,0000,0000,0000,,इस अर्थ में: प्रकृति में सब कुछ जीवित है, आत्म व्यवस्थित है । Dialogue: 0,0:18:43.97,0:18:49.83,Default,,0000,0000,0000,,जब उच्च विद्युतीय संचालन शक्ति का प्रयोग किया जाता है तो स्वभावत: अंश यानी फ्रैक्टल शाखन और अधिक स्पष्ट हो जाता है । Dialogue: 0,0:18:49.83,0:19:21.01,Default,,0000,0000,0000,,यह यथार्थ समय में घटित हो रहा है । Dialogue: 0,0:19:21.01,0:19:26.37,Default,,0000,0000,0000,,मानव शरीर में, वृक्ष जैसी संरचनाएं तथा प्रतिकृतियां संपूर्ण रूप में पाई जाती हैं । Dialogue: 0,0:19:26.37,0:19:29.97,Default,,0000,0000,0000,,निस्संदेह ऐसे तंत्रिका तंत्र हैं, Dialogue: 0,0:19:29.97,0:19:32.43,Default,,0000,0000,0000,,जिनके बारे में पश्चिमी औषध जानते हैं । Dialogue: 0,0:19:32.43,0:19:37.23,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन चीनी, आयुर्वेदिक तथा तिब्बती औषधि में, Dialogue: 0,0:19:37.23,0:19:41.53,Default,,0000,0000,0000,,ऊर्जा सर्वोतम अनिवार्य संघटक है जिससे शरीर के कार्यों को समझा जाता है । Dialogue: 0,0:19:41.53,0:19:45.93,Default,,0000,0000,0000,,`नाड़ी` या ऊर्जा पराकाष्ठा वृक्ष जैसी संरचनाएँ रचती हैं । Dialogue: 0,0:19:45.93,0:19:51.01,Default,,0000,0000,0000,,पोस्टमार्टम परीक्षण से चक्रों या `नाड़ी` का पता नहीं चलेगा, Dialogue: 0,0:19:51.01,0:19:55.43,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि उनका अस्तित्व नहीं है । Dialogue: 0,0:19:55.43,0:19:59.00,Default,,0000,0000,0000,,आपको अपने औजार परिष्कृत करने की आवश्यकता है, ताकि आप इन्हें ठीक से देख सकें । Dialogue: 0,0:19:59.00,0:20:02.77,Default,,0000,0000,0000,,सबसे पहले आपको अपना मन शांत करना सीखना होगा । Dialogue: 0,0:20:02.77,0:20:08.27,Default,,0000,0000,0000,,केवल तभी आप ये चीज़ें अपने भीतर देख पाओगे । Dialogue: 0,0:20:08.27,0:20:12.00,Default,,0000,0000,0000,,विद्युतीय सिद्धांत में, तार में प्रतिरोध जितना कम होगा, Dialogue: 0,0:20:12.00,0:20:15.33,Default,,0000,0000,0000,,वह उतनी आसानी से ऊर्जा संचारित करेगी । Dialogue: 0,0:20:15.33,0:20:18.00,Default,,0000,0000,0000,,जब आप ध्यान के माध्यम से समत्व ग्रहण करते हैं, Dialogue: 0,0:20:18.00,0:20:22.07,Default,,0000,0000,0000,,तब आपके शरीर में अप्रतिरोधी दशा उत्पन्न होती है । Dialogue: 0,0:20:22.07,0:20:29.01,Default,,0000,0000,0000,,प्राण या ची या आंतरिक ऊर्जा साधारण रूप में आपकी जीवंतता है । Dialogue: 0,0:20:29.01,0:20:33.01,Default,,0000,0000,0000,,आप जो अपने शरीर में चेतना का संचार होने पर अनुभव करते हैं । Dialogue: 0,0:20:33.01,0:20:38.43,Default,,0000,0000,0000,,आपके शरीर में वे सूक्ष्म तारें जो प्राण, नाड़ियों को वहन करती हैं, वे चक्रों के माध्यम Dialogue: 0,0:20:38.43,0:20:42.93,Default,,0000,0000,0000,,से अधिकाधिक प्राणिक ऊर्जा ग्रहण करने में सक्षम हो जाती हैं । Dialogue: 0,0:20:42.93,0:20:50.53,Default,,0000,0000,0000,,आप तारों का जितना अधिक प्रयोग करेंगे, जितनी ऊर्जा प्रवहित होने देंगे, वे उतनी अधिक ताकतवर होंगी । Dialogue: 0,0:20:50.53,0:20:55.53,Default,,0000,0000,0000,,जहाँ कहीं चेतना हो, ची या ऊर्जा प्रवहित होने लगती Dialogue: 0,0:20:55.53,0:21:00.00,Default,,0000,0000,0000,,है और शारीरिक संवेग ऊर्जावान हो जाता है । Dialogue: 0,0:21:00.00,0:21:03.01,Default,,0000,0000,0000,,मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र के भीतर, पुनरावृति द्वारा शारीरिक Dialogue: 0,0:21:03.01,0:21:08.97,Default,,0000,0000,0000,,तार प्रणालियां स्थापित हो जाती हैं । Dialogue: 0,0:21:08.97,0:21:11.57,Default,,0000,0000,0000,,अपना ध्यान सतत रूप से भीतर उतारने तथा संवेदनाओं Dialogue: 0,0:21:11.57,0:21:15.33,Default,,0000,0000,0000,,के प्रतिरोध को कम करते हुए आप अपनी ऊर्जा Dialogue: 0,0:21:15.33,0:21:33.93,Default,,0000,0000,0000,,क्षमता के विकास का अनुभव कर सकते हैं । Dialogue: 0,0:21:33.93,0:21:37.83,Default,,0000,0000,0000,,ताओज्म में, यिन येंग प्रतीक प्रकृति की सर्पिल Dialogue: 0,0:21:37.83,0:21:40.83,Default,,0000,0000,0000,,शक्तियों का अंतर्भेदन दर्शाता है । Dialogue: 0,0:21:40.83,0:21:46.13,Default,,0000,0000,0000,,यिन यांग, दो नहीं हैं और एक भी नहीं । Dialogue: 0,0:21:46.13,0:21:49.00,Default,,0000,0000,0000,,`हर` की प्राचीन अवधारणा यिन यांग Dialogue: 0,0:21:49.00,0:21:52.01,Default,,0000,0000,0000,,या सर्पिल चक्कर से दर्शाई जाती है । Dialogue: 0,0:21:52.01,0:21:57.03,Default,,0000,0000,0000,,यह नाभि के नीचे उदर के अंदर स्थित शक्ति केन्द्र है । Dialogue: 0,0:21:57.03,0:22:02.17,Default,,0000,0000,0000,,`हर` का शाब्दिक अर्थ है ऊर्जा का समुद्र या महासागर । Dialogue: 0,0:22:02.17,0:22:05.47,Default,,0000,0000,0000,,चीन में, `हर` को निम्न डेंटियन कहा जाता है । Dialogue: 0,0:22:05.47,0:22:08.01,Default,,0000,0000,0000,,एशियन मार्शल आर्ट के कई रूपों में, Dialogue: 0,0:22:08.01,0:22:15.73,Default,,0000,0000,0000,,सुदृढ़ `हर` वाले योद्धा को अबाधित कहा जाता है । Dialogue: 0,0:22:15.73,0:22:19.93,Default,,0000,0000,0000,,समुराई परंपरा में विधि के अनुसार आत्महत्या या सेप्पुकु Dialogue: 0,0:22:19.93,0:22:26.01,Default,,0000,0000,0000,,का एक रूप `हरा` किरी था, जो प्राय: `हेरी केरी` के रूप में गलत उच्चारित किया गया । Dialogue: 0,0:22:26.01,0:22:30.93,Default,,0000,0000,0000,,इसका अर्थ है एक `हर` को छेदना जिससे व्यक्ति की ची या Dialogue: 0,0:22:30.93,0:22:37.57,Default,,0000,0000,0000,,ऊर्जा चैनल को खत्म किया जा सके। Dialogue: 0,0:22:37.57,0:22:41.23,Default,,0000,0000,0000,,इस केन्द्र से चलकर कई जमीनी गरिमापूर्ण संचालन सृजित हुए, Dialogue: 0,0:22:41.23,0:22:52.27,Default,,0000,0000,0000,,जिन्हें आप न केवल सामरिक Dialogue: 0,0:22:52.27,0:22:57.13,Default,,0000,0000,0000,,कला में देखते हैं बल्कि इन्हें महान गोल्फरों, Dialogue: 0,0:22:57.13,0:23:07.93,Default,,0000,0000,0000,,बैले नर्तकों और Dialogue: 0,0:23:07.93,0:23:09.67,Default,,0000,0000,0000,,घुमावदार दरवेशियों में भी देखा जा सकता है । Dialogue: 0,0:23:09.67,0:23:12.97,Default,,0000,0000,0000,,यह एकल केन्द्र अनुशासित सचेतनता का परिष्कार है Dialogue: 0,0:23:12.97,0:23:17.07,Default,,0000,0000,0000,,जो प्रभंजन के नेत्रों में `हर` Dialogue: 0,0:23:17.07,0:23:31.00,Default,,0000,0000,0000,,स्थिरता का सार तत्व है । Dialogue: 0,0:23:31.00,0:23:49.00,Default,,0000,0000,0000,,यह किसी व्यक्ति की ऊर्जा स्रोत से संबंधित मूल चेतना है । Dialogue: 0,0:23:49.00,0:23:55.01,Default,,0000,0000,0000,,अच्छे `हर` से युक्त व्यक्ति, पृथ्वी से तथा अंतदर्शी बुद्धिमता Dialogue: 0,0:23:55.01,0:24:04.37,Default,,0000,0000,0000,,से जुड़ जाता है और ये उसे सभी प्राणियों से जोड़ती है । Dialogue: 0,0:24:04.37,0:24:08.03,Default,,0000,0000,0000,,अपनी तोंद से सोचना “हर दे कंगनसई” Dialogue: 0,0:24:08.03,0:24:16.47,Default,,0000,0000,0000,,से अभिप्राय है अपनी आंतरिक बुद्धिमता से जुड़ना । Dialogue: 0,0:24:16.47,0:24:20.00,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन आस्ट्रेलियन आदिवासी जाति विशेषज्ञों ने नाभि के ठीक नीचे उसी Dialogue: 0,0:24:20.00,0:24:25.01,Default,,0000,0000,0000,,स्थान पर ध्यान संकेन्द्रित किया जहां इंद्रधनुष की रज्जु सर्पगति से कुंडलित होती है । Dialogue: 0,0:24:25.01,0:24:32.53,Default,,0000,0000,0000,,दोबारा, मनुष्य में विकासात्मक ऊर्जा का प्रतिबिंबन होता है । Dialogue: 0,0:24:32.53,0:24:43.83,Default,,0000,0000,0000,,यह आकस्मिक नहीं कि `हर` में नया जीवन आरंभ होता है । Dialogue: 0,0:24:43.83,0:24:54.47,Default,,0000,0000,0000,,आभ्यांतरिक तंत्रिका तंत्र, Dialogue: 0,0:24:54.47,0:24:59.13,Default,,0000,0000,0000,,जो कभी कभार `गट ब्रेन` के रूप में संदर्भित होता है, Dialogue: 0,0:24:59.13,0:25:02.57,Default,,0000,0000,0000,,अपनी तंत्रिका कोशिकाओं एवं न्यूरो ट्रांसमीटर्स से सिर में मस्तिष्क के समान Dialogue: 0,0:25:02.57,0:25:07.57,Default,,0000,0000,0000,,संपर्कों के जटिल मेट्रिक्स को बनाए रखने में सक्षम हो जाता है । Dialogue: 0,0:25:07.57,0:25:12.83,Default,,0000,0000,0000,,यह स्वायत्त रूप से, यानी अपनी बुद्धिमत्ता से काम कर सकता है । Dialogue: 0,0:25:12.83,0:25:17.33,Default,,0000,0000,0000,,आप कह सकते हैं कि `गट ब्रेन` सिर मस्तिष्क का अंश रूप है या Dialogue: 0,0:25:17.33,0:25:22.01,Default,,0000,0000,0000,,कदाचित सिर मस्तिष्क `गट ब्रेन` का अंश रूप है । Dialogue: 0,0:25:22.01,0:25:28.17,Default,,0000,0000,0000,,तंदरुस्त भालू का ताकतवर `हर` होता है । Dialogue: 0,0:25:28.17,0:25:31.00,Default,,0000,0000,0000,,जब भालू जानता है कि कहां चारा खोजना है तो Dialogue: 0,0:25:31.00,0:25:34.63,Default,,0000,0000,0000,,वह `हर` में या उदर में संकेंद्रित अपनी चेतनाओं के माध्यम से Dialogue: 0,0:25:34.63,0:25:37.37,Default,,0000,0000,0000,,चि के संचालन का अनुसरण करता है। Dialogue: 0,0:25:37.37,0:25:41.57,Default,,0000,0000,0000,,यह भालू का स्वप्न मांद से संबंध है, देशी परंपराओं में वह स्थल, Dialogue: 0,0:25:41.57,0:25:51.01,Default,,0000,0000,0000,,जहां सारी जानकारी जीवन की सर्पिल गति से आती है । Dialogue: 0,0:25:51.01,0:25:55.63,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन प्राचीन लोग सर्पिल के बारे में कैसे जान पाए, Dialogue: 0,0:25:55.63,0:25:59.93,Default,,0000,0000,0000,,जबकि आधुनिक विज्ञान ने इसके महत्व को अभी जानना आरंभ किया है ? Dialogue: 0,0:25:59.93,0:26:09.77,Default,,0000,0000,0000,,मधुमक्खी से पूछो, क्योंकि वे प्रेम करना नहीं भूलीं । Dialogue: 0,0:26:09.77,0:26:12.01,Default,,0000,0000,0000,,मधुमक्खियों के प्रतीकात्मक तंत्र के भाग के रूप में स्रोत से विशेष संबंध Dialogue: 0,0:26:12.01,0:26:18.93,Default,,0000,0000,0000,,है जो सुंदरता एवं वैविध्य में इसकी सहायता करता है । Dialogue: 0,0:26:18.93,0:26:23.01,Default,,0000,0000,0000,,वे ब्रह्माण्ड एवं लघु ब्रह्माण्ड के मध्य पुल हैं । Dialogue: 0,0:26:23.01,0:26:29.00,Default,,0000,0000,0000,,एक ही हृदय है जो सभी को जोड़ता है, संग्रह करने वाला मस्तिष्क । Dialogue: 0,0:26:29.00,0:26:32.83,Default,,0000,0000,0000,,खुले मस्तिष्क की तरह, संग्रह करने, अभिव्यक्त होने के लिए Dialogue: 0,0:26:32.83,0:26:47.43,Default,,0000,0000,0000,,संसार को स्वप्न भेजता है । Dialogue: 0,0:26:47.43,0:26:51.57,Default,,0000,0000,0000,,प्रकृति में कई जीव-जंतु जानते हैं कि किस प्रकार मैत्रीभाव रखना है, Dialogue: 0,0:26:51.57,0:27:42.63,Default,,0000,0000,0000,,सम भावना के साथ एक दिशा में गतिशील होना है। Dialogue: 0,0:27:42.63,0:27:46.37,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन सभी अपने आस-पास के अन्य जीवों से लाभ नहीं उठाते हैं । Dialogue: 0,0:27:46.37,0:27:50.67,Default,,0000,0000,0000,,उदाहरण के लिए टिड्डी अपने रास्ते में प्रत्येक वस्तु खा जाएगी । Dialogue: 0,0:27:50.67,0:27:55.00,Default,,0000,0000,0000,,टिड्डी के पास इसके सिवाय कोई विकल्प नहीं कि वह टिड्डी की भांति कार्य करे । Dialogue: 0,0:27:55.00,0:28:00.13,Default,,0000,0000,0000,,वह पौधों से शहद या पराग उस तरीके से नहीं निकाल सकती, जिस प्रकार मधुमक्खी \Nइस कार्य को करती है । Dialogue: 0,0:28:00.13,0:28:04.13,Default,,0000,0000,0000,,टिड्डी का व्यवहार कठोर है लेकिन मनुष्य विशिष्ट है और हम मधुमक्खी Dialogue: 0,0:28:04.13,0:28:09.43,Default,,0000,0000,0000,,की तरह कार्य कर सकते हैं या हम टिड्डी की तरह कार्य कर सकते हैं । Dialogue: 0,0:28:09.43,0:28:12.43,Default,,0000,0000,0000,,हम सांसारिक व्यवहार के पैटर्न को Dialogue: 0,0:28:12.43,0:28:15.03,Default,,0000,0000,0000,,बदलने के लिए स्वतंत्र हैं । Dialogue: 0,0:28:15.03,0:28:16.87,Default,,0000,0000,0000,,हम सहजीवी या परजीवी के Dialogue: 0,0:28:16.87,0:28:35.01,Default,,0000,0000,0000,,रूप में रह सकते हैं । Dialogue: 0,0:28:35.01,0:28:39.53,Default,,0000,0000,0000,,आज मनुष्य सर्पिल को तर्कसंगत मस्तिष्क से समझने का प्रयत्न करते हैं, Dialogue: 0,0:28:39.53,0:28:50.00,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन इस बारे में कभी नहीं सोचा जिसने हमें इस सर्पिल जीवन से जोड़ा । Dialogue: 0,0:28:50.00,0:28:57.63,Default,,0000,0000,0000,,हम हमेशा इससे संबद्ध रहे हैं । Dialogue: 0,0:28:57.63,0:29:01.00,Default,,0000,0000,0000,,सोच ही एक ऐसी चीज़ रही है कि जो हमारे अपने अस्तित्व Dialogue: 0,0:29:01.00,0:29:03.01,Default,,0000,0000,0000,,में हमें अलगाव के संभ्रम में रखती है । Dialogue: 0,0:29:03.01,0:29:06.83,Default,,0000,0000,0000,,सोचना अलगाववाद का सृजन है । Dialogue: 0,0:29:06.83,0:29:09.63,Default,,0000,0000,0000,,परिसीमा का अनुभव । Dialogue: 0,0:29:09.63,0:29:18.00,Default,,0000,0000,0000,,जितना हम विचार करते हैं, उतना स्रोत से परे हो जाते हैं । Dialogue: 0,0:29:18.00,0:29:21.57,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन संस्कृतियां कम विचार उन्मुख थी और उन्होंने स्वयं को आज की अपेक्षा अधिक प्रत्यक्ष Dialogue: 0,0:29:21.57,0:29:26.53,Default,,0000,0000,0000,,एवं व्यक्तिगत तरीके से सर्पिल गति में सम्मिलित किया था । Dialogue: 0,0:29:26.53,0:29:31.37,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन भारत में, कुंडलिनी व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व Dialogue: 0,0:29:31.37,0:29:38.97,Default,,0000,0000,0000,,करती थी जो सांप की तरह या घोंघे की तरह रीढ़ में ऊपर उठती है । Dialogue: 0,0:29:38.97,0:29:43.00,Default,,0000,0000,0000,,भारत की प्राचीन यौगिक परंपराओं में, तत्कालीन लोगों का Dialogue: 0,0:29:43.00,0:29:48.13,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक संसार `हर` केन्द्रित संस्कृतियों से तुलनीय था । Dialogue: 0,0:29:48.13,0:29:51.17,Default,,0000,0000,0000,,आपकी प्रत्यक्षदर्शी सचेतनता के साथ सर्पिल की शक्त्िा के संतुलन Dialogue: 0,0:29:51.17,0:29:56.97,Default,,0000,0000,0000,,के लिए आपकी पूर्ण विकासात्मक संभावना को समनुरूप करना है। Dialogue: 0,0:29:56.97,0:30:02.77,Default,,0000,0000,0000,,आपको उस अनन्य विशिष्ट बहु आयामी रूप में विकसित होना है, जिसके लिए आपको बनाया गया है । Dialogue: 0,0:30:02.77,0:30:10.13,Default,,0000,0000,0000,,`इड़ा़` स्त्री सुलभ या चंद्रमा माध्यम दाएं मस्तिष्क से संबद्ध है और `पिंगला` Dialogue: 0,0:30:10.13,0:30:18.27,Default,,0000,0000,0000,,पुरुषोचित या सूर्य माध्यम बाएं मस्तिष्क से संबद्ध है । Dialogue: 0,0:30:18.27,0:30:23.01,Default,,0000,0000,0000,,जब ये दो माध्यम संतुलन में हों तो ऊर्जा तीसरे माध्यम सुषुम्ना Dialogue: 0,0:30:23.01,0:30:28.01,Default,,0000,0000,0000,,में प्रवाहित होती है जो रीढ़ के केन्द्र में होती है और चक्रों को ऊर्जस्वित करती Dialogue: 0,0:30:28.01,0:30:33.47,Default,,0000,0000,0000,,है एवं व्यक्ति की पूर्ण विकासात्मक संभावना खोलती है । Dialogue: 0,0:30:33.47,0:30:42.00,Default,,0000,0000,0000,,`चक्र` प्राचीन संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ऊर्जा चक्र है । Dialogue: 0,0:30:42.00,0:30:45.73,Default,,0000,0000,0000,,कुंडलिनी आदिम सर्पिल से कम नहीं है जो आपके Dialogue: 0,0:30:45.73,0:30:48.01,Default,,0000,0000,0000,,मानव जीवन का नर्तन अस्तित्व में लाती है । Dialogue: 0,0:30:48.01,0:30:53.13,Default,,0000,0000,0000,,यह ऊर्जा का अलग क्रम है, जिसे हम सामान्यतया समझते हैं । Dialogue: 0,0:30:53.13,0:30:57.01,Default,,0000,0000,0000,,एकल पदार्थ से अत्यधिक सूक्ष्म ऊर्जाओं में पुल की तरह । Dialogue: 0,0:30:57.01,0:31:00.63,Default,,0000,0000,0000,,आप वह पुल हैं । Dialogue: 0,0:31:00.63,0:31:04.73,Default,,0000,0000,0000,,कुण्डलिनी वह ऊर्जा नहीं जिसे इच्छा, प्रयास और घर्षण से शक्ति प्रदान की जा सके । Dialogue: 0,0:31:04.73,0:31:07.33,Default,,0000,0000,0000,,यह पुष्प की तरह खिलती है । Dialogue: 0,0:31:07.33,0:31:14.13,Default,,0000,0000,0000,,एक अच्छे माली की तरह मिट्टी और उचित स्थितियों से हम आधार बना सकते Dialogue: 0,0:31:14.13,0:31:20.97,Default,,0000,0000,0000,,हैं और फिर प्रकृति अपना कार्य करती है । Dialogue: 0,0:31:20.97,0:31:25.00,Default,,0000,0000,0000,,यदि आप पुष्प को समय से पूर्व बलपूर्वक खिलाने का प्रयास करेंगे तो आप इसे नष्ट कर देंगे । Dialogue: 0,0:31:25.00,0:31:32.27,Default,,0000,0000,0000,,यह अपनी बुद्धिमत्ता अपनी आत्म संयोजित दिशा से खिलता है । Dialogue: 0,0:31:32.27,0:31:35.01,Default,,0000,0000,0000,,अहंशील मन जो बाहरी संसार को निर्धारित करता है वह आपकी Dialogue: 0,0:31:35.01,0:31:40.00,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक प्रकृति के उत्तेजित अनुभव से दूर करता है । Dialogue: 0,0:31:40.00,0:31:45.27,Default,,0000,0000,0000,,जब संचेतनता आपके भीतर प्रत्यावर्तित होती है तो यह सूर्य की किरणों के फूटने तथा Dialogue: 0,0:31:45.27,0:31:52.07,Default,,0000,0000,0000,,कमल के खिलने की तरह आपके भीतर उतर जाती है । Dialogue: 0,0:31:52.07,0:31:56.27,Default,,0000,0000,0000,,जैसे ही कुण्डलिनी किसी व्यक्ति के भीतर जागृत होती है, Dialogue: 0,0:31:56.27,0:31:59.67,Default,,0000,0000,0000,,त्यों ही वह सभी वस्तुओं में सर्पिल के स्वरूप को देखना आरंभ कर देता है । Dialogue: 0,0:31:59.67,0:32:03.47,Default,,0000,0000,0000,,सभी आंतरिक प्रतिकृतियों सहित व उसके बिना । Dialogue: 0,0:32:03.47,9:59:59.99,Default,,0000,0000,0000,,Tसर्पिल हमारे आंतरिक संसार व हमारे बाहरी संसार के बीच संपर्क सूत्र है । \N�