मैं आप लोगों से चिकित्सा की भविष्य
के बारे मे बात करना चाहता हूँ|
लेकिन इस से पहले मैं अतीत के बारे में
थोड़ा बहुत बात करना चाहता हूँ।
अब, चिकित्सा के हाल
के अधिकांश इतिहास में,
हम ने गहराई से साधारण मॉडल
के संदर्भ में बीमारी
और उपचार के बारे में सोचा था।
असल में, मॉडल बहुत आसान
आप इसे छे शब्दों मे सारांश निकाल सकते है:
बीमारी पाना, गोली लेना, कुछ वध|
ये मॉडल के प्राबल्य के लिए कारण
अक्सर प्रतिजैविक क्रांति है|
आप में से कई को ये पता नहीं हो सकता,
लेकिन हमें संयुक्त राज्य
अमेरिका में एंटीबायोटिक दवाओं की
शुरूआत के सौवें साल का जश्न मनाना होगा।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि
शुरूआत परिवर्तनकारी से कम नही था।
यहाँ आप एक रासायनिक,
या तो प्राकृतिक दुनिया से
या कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में संश्लेषित
और यह होगा बेशक अपने शरीर के माध्यम से,
यह अपने लक्ष्य मिल जाएगा
अपने लक्ष्य में बंद--
एक सूक्ष्म जीव या
एक सूक्ष्म जीव का हिस्सा -
और फिर एक ताला और
एक चाबी बंद कर देते हैं
उत्तम निपुणता,
उत्तम विशिष्टता के साथ।
और आप एक पहले से जो
प्राणघातक, घातक व्याधि होगी उसे लेंगे--
एक न्युमोनिया, सिफिलिस ,ट्युबरक्युलोसिस--
और उसे चंगा होने के योग्य या
इलाज के योग्य व्याधि मेँ बदल देंगे|
आपको न्युमोनिया है,
आप पेंसिलिन लेंगे,
आप सूक्ष्म जीवि को मार देंगे,
और आप व्याधि का इलाज करेंगे|
ताला और चाबी के इतने शक्तिशाली रूपक,
और किसीको मारना
ये विचार इतना आकर्षक थी कि,
यह वास्तव में जीवशास्त्र
के माध्यम से बह रही थी।
यह किसी और रूपांतर जैसा नही था|
और हम सच मेँ पिछले १०० साल
फिर से उस मॉडल को दौहराने मेँ
गैर संक्रामक रोगों मेँ,
पुराने रोगोँ जैसे मधुमेह,और उच्च रक्तचाप
और दिल की बीमारी|
और यह काम किया,
लेकिन अंशिक रूप मेँ काम किया|
मुझे आपको दिखाने दीजिये|
आप जानते हैँ, अगर आपके शरीर के लिए
सक्षम है कि हर रासायनिक प्रतिक्रिया के,
सम्पूर्ण ब्रह्मांड लेंगे,
ज्यादा लोग ये सोचते है कि
वो संख्या दस लाख के करीब होगा |
हम उसे एक कुछ दशलक्ष कहेंगे|
अब आप प्रश्न ये पूछेंगे,
कौनसी संख्या या
प्रतिक्रिया के खंड को पूरे
औषधिशास्त्र,औषधीय रसायन शास्त्र
वास्तव मेँ लक्ष्य बना सकते हैँ?
वो संख्या है २५०|
बाकी पूरा रसायन अंधकार है|
दूसरे श्ब्दोँ मेँ,आपके शरीर मेँ हो रहे
पूरे रसायन प्रतिक्रियाओँ मेँ ०.०२५ प्रतिशत
वास्तव मेँ इस ताला और चाबी के
तंत्र द्वारा लक्षित हो रहे हैं।
आप जानते हैँ ,अगर आप
मानव शरीर विज्ञान को
बातचीत नोड्स और
बातचीत खंडोँ के साथ,
एक विशाल वैश्विक टेलीफोन
नेटवर्क के रूप मेँ सोचते
फिर हमारा पूरा औषधीय रसायन शास्त्र
उस नेटवर्क की
एक छोटे से कोने पर
किनारे,बाहरी छोर पर
काम कर रहा है|
ये जैसे सब हमारा
फार्मास्युटिकल रसायन शास्त्र
एक पोल आपरेटर विचिटा, कॅन्सास मेँ
जो १० या १५ टेलिफोन लाइन्स
के साथ छेड छाड किया हो|
तो हम इस विचार के साथ क्या करेंगे?
हम अगर इस पहुंचको
पुनरर्घठित करेंगे तो क्या होगा?
असल मेँ,प्राक्रुतिक दुनिया हमेँ
बीमारी, चिकित्सा, लक्ष्य के बजाय
एक बिल्कुल अलग तरीके से,
कैसे कोई बीमारी के बारे मेँ सोचते हैँ
ये एहसास देता है|
असल मेँ,प्राक्रुतिक दुनिया पदानुक्रम
ऊपर की ओर आयोजित किया जाता है,
नीचे की ओर नही,पर ऊपर की ओर,
और हम शुरू करते हैँ एक स्व-विनियमन,
अर्द्ध स्वायत्त मात्रक जिसे सेल बुलाया|
ये स्व-विनियमन,
अर्द्ध- स्वायत्त मात्रक
अंग स्व-विनियमन,अर्द्ध-स्वयत्त
नामक मात्रकोँ को उत्पन्न करते हैँ,
और ये सब अंगोँ संगठित होकर
मनुष्य नाम के चीज बनाते हैँ,
और ये जीवोँ जो अंशिक रूप से स्व-विनियमन
और अंशिक रूप से अर्द्ध-स्वयत्त हैँ,
अंततः वातावरण में रहते हैं|
ये नई योजना मेँ अच्छा क्या है?,
इस श्रेणीबद्ध योजना
ऊपर की ओर आयोजित किया जाता है
नीचे की ओर नही,
है जो ह्मेँ व्याधी के बारे मेँ
एक अलग तरीके से
सोचने की अनुमती देता है|
कैंसर जैसा एक व्याधी को लेलो|
१९५० से
हम ये ताला और चाबी नमूना कैंसर को
लागू करने के लिये सख्त कोशिष कर रहे हैँ|
हम कोशिकाओँ को मारने की कोशिश किये
तरह तरह के कीमोथेरपी या
लक्षित थेरपी इस्तेमाल करके,
और जैसे हम मेँ से बहुत लोग
जानते है, वह काम किया|
वह ल्युकेमिया जैसे रोग केलिये काम किया|
वह स्तन कैंसर के कुछ रूपोँ मेँ काम किया,
पर अंततः आप उस दृष्टिकोण की
छत के लिए चला रहे हैं।
और सिर्फ पिछले दस साल मे
हम प्रतिरक्षा प्रणाली को
उपयोग करने कीबारे मेँ सोचना शुरू
किये,ये याद करके कि वास्तव मेँ
कैंसर कोशिका शून्य मेँ नही उगती|
वह वास्तव मेँ मानव जीव मेँ उगता है|
और क्या आप जीवधारी
क्षमता का उपयोग कर सकते हैँ,
कैंसर पर वार करने के लिये?
ये सत्य है कि मानव का एक प्रतिरक्षा
प्रणाली है हालाँकि,ये कैंसर के सबसे
शानदार नये दवाइयोँ का नेत्रुत्व किया है|
और अंत मेँ पर्यावरण
का स्तर है,है कि नही?
पता है ,हम कैंसर को पर्यावरण
मेँ बदलाव जैसा नही सोचते|
पर मुझे आप को गहराई से कैंसरकारी पर्यावरण
का एक उद्धरण देने दो|
उस को जेल बुलाते हैँ|
आप अकेलापन को लेलो,
आप मंदी को लेलो, आप कारावास को लेलो,
और आप उसको जोड दीजिये,
कागज के एक छोटे
सफेद चादर में लुढ़का ,
हमारे जानकारी मेँ सबसे श्क्तिशाली
न्युरोस्टिमुलन्ट मेँ से एक निकोटिन नाम का,
और उसको आप सबसे शक्तिशाली
नशे की लत मेँ से एक को जोड दीजिये,
और आप पायेंगे एक
समर्थक कैंसरकारी पर्यावरण|
पर आप विरोधी कैंसरकारी
वातावरण भी पा सकते हैँ|
परिवेश बनाने की प्रयास कर रहे हैँ,
उदाहरण के लिये, स्तन कैंसर के लिये
हार्मोनल परिवेश बदल जाना|
हम दूसरे तरह की कैंसरोँ मेँ चयापचय परिवेश
को बदलने की कोशिश करते हैँ|
या दूसरे रोग को लो, जैसे अवसाद|
फिर से,ऊपर की तरफ काम करते हुए,
१९६० और १९७० से,हम सख्त
फिर से कोशिश की है
तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचालित
अणुओं को बंद करने के लिए -
सिरोटोनिन, डोपमैन--
और मंदि को इस तरह से
इलाज करने की
कोशिश किया,और वह काम किया,
लेकिन वह सीमा पहुंच गयी|
और अब हम जानते हैँ कि वास्तव मेँ
हमेँ क्या करने की
जरूरत है कि अंगोँ की,मस्तिष्क की
शरीर विज्ञान बदलना चाहिये,
उसको फिरसे जोडिए करो,
फिर से तैयार करो,
और वह जाहिर है, हमे पता है
अध्ययन पर अध्ययन दिखा दिया
किबात चिकित्सा वोही काम करती है,
और अध्ययन पर अध्ययन
ये दिखा दिया कि बात चिकिस्ता
दवाइयाँ, गोलियाँ के साथ मिलकर
वास्तव मेँ दोनोँ मेँसे एक
अकेलेसे अधिक प्रभावी है|
हम अवसूद को बदलने वाला तल्लीन
पर्यावरण कल्पना कर सकते हैँ?
आप अवसाद को प्रकट करनेवाला
संकेत को ताला लगा सकते हैँ?
फिर, संगठन के इस श्रेणीबद्ध श्रृंखला के
साथ ऊपर की तरफ बढ़ रहा है।
वास्तव में यहां दांव पर क्या है
खुद दवाई नही बल्कि रूपंतर है|
गँभीर चिरकारी अपेक्षीय रोगोँ--
गुर्दे की विफलता, मधुमेह,
उच्च रक्तचाप, ऑस्टियोआर्थराइटिस --
के मामलोँ मेँ किसी चीज को
मारने की बजाय, हमेँ वास्तव मेँ
क्या करने की जरूरत है कि
रूपांतर को बदलना नाकि किसी चीज को बढायेँ|
और शायद वह कुंजी है,
हमारे सोचने की तरीके को
फिर से निर्माण करने के लिए|
अब,ये बदलने की विचार,
एक अवधारणात्मक पारी
बनाने की,लगभग १० साल पहले एक
बहुत ही व्यक्तिगत रूप में
बसेरा करने के लिए मेरे पास आया था|
लगभग दस साल पहले--
मैँ मेरे अधिकांश जीवन एक हरकारा था--
मैँ शनिवार सुबह एक दौढ के लिए गया था,
मैँ वापस आया और जागा और मैं
मूल रूप से हिल नहीं पारहा था।
मेरा दाएं घुटने, सूज गया था,
और आप हड्डी के खिलाफ
हड्डी की अशुभ कमी सुन सकते हैँ।
और वैद्य होने का एक लाभ ये है कि
आप अपना MRI खुद मंगा सकते हैँ|
और मेरा MRI अगले हफ्ते हुआ,
और वह ऐसा दिख रहा था|
मूलतः, हड्डी के बीच कि
उपास्थि का मेनिस्कस
पूरीतरह से टूट चुका था
और हड्डी ही टूट गया था|
अब आप मेरे तरफ देख रहे हैँ
और खेद मेहसूस कर रहे हैँ,
मुझे आप को कुछ बातेँ बताने दीजिये|
अगर मैँ यहाँ के श्रोतागण
के हर व्यक्ति के MRI लूंगा,
आप मेँ से ६० प्रतिशत इसतरह के
हड्डी अध: पतन और उपास्थी
अध: पतन के लक्षण दिखायेंगे|
७०साल की उम्र से सभी
महिलाओं में से ८५ प्रतिशत
उदार से तीव्र उपास्थि के
अध: पतन लक्षण दिखायेंगे|
इस स्रोतागण के
पुरुषोँ मेँ ५० से ६० प्रतिशत भी
ऐसे लक्षण दिखायेंगे|
ये बहुत आम रोग है|
खैर,वैद्य होने का दूसरा लाभ ये है
कि आप अपने बीमारिओँ
पर खुद प्रयोग करने को मिलता है|
तो १० साल पहले हमने शुरू किया,
हम इस विधि को प्रयोगशालामेँ लायेँ,
और हम सरल प्रयोगोँ करना शुरू किये,इस
अध: पतन को बुद्धिरहित रूप से
तय करने की कोशिश किया|
हमने जानवरोँ के घुटनोँ के रिक्थ स्थानोँ
मेँ रसायन इंजेक्ट करने की कोशिश की हैँ
उपास्थि की अध: पतन
को उल्टा करने के लिये ,
और एक बहुत लंबी और दर्दनाक प्रक्रिया पर
संक्षिप्त सारांश डालने के लिये,
अनिवार्य रूप से यह शून्य पर आया था।
कुछ भी नही हुआ|
और फिर सात साल पहले ,ऑस्ट्रेलिया
से एक शोध छात्र हमारे पास आया था|
ऑस्ट्रेलियंस के बारे मेँ अच्छी
बात ये है कि उनको दुनिया को उल्टा
देखने की आदत हो चुकी है|
(हँसी)
और इसीलिये डान ने मुझे सुझाव दिया ,"तुम
जानते हो,शायद ये मेखानिकल समस्या नही|
शायद ये रसायन समस्या नही|
शायद ये स्टेम सेल की समस्या है|"
अन्य श्ब्दोँ मेँ,उनके पास
दो परिकल्पनायेँ हैँ|
नँबर एक,कंकाल की
स्टेम सेल के रूप में ऐसी कोई चीज है--
एक कंकाल की स्टेम सेल जो
पूरे कशेरुकी कंकाल को बनाती है,
हड्डी, उपास्थि और
कंकाल की रेशेदार तत्वों,
ठीक जैसे एक स्टेम सेल खून मेँ है,
ठीक वैसा एक स्टेम सेल
तंत्रिका व्यवस्था मे है|
और नंबर दो,शायद ,इस स्टेम सेल की
अध: पतन या शिथिलता
आस्टियोखांड्रियल गठिया,
एक बहुत ही आम बीमारी के कारण है।
तो वास्तव मेँ प्रश्न ये है था कि,
हम एक पिल के लिये देख रहे हैँ
जब हमेँ वास्तव मे
एक सेल के तरफ देखना चाहिये|
इसलिये हमने हमारे
नमूने को बदल दिया,
और अब हम कंकाल की
स्टेम कोशिकाओँ के लिये देख्ना शुरू किया|
और फिर एक लंबी कहानी संक्षेप में कटौती,
पांच साल पहले, हमने इन सेल्स को डूंढ लिया|
ओ कंकाल मेँ रहते हैँ|
यहाँ एक योजनाबद्ध और
फिर एक असली फोटोग्राफ है।
सफेद पदार्थ हड्डी है,
और यह आप देख रहे हैँ
लाल कालम्स और पीले कोशिकाओँ
एक ही कंकाल की स्टेम सेल से
पैदा हुई कोशिकाओं हैं -
उपास्थि के कॉलम्स ,हड्डी के कॉलम्स
एक ही कोशिका मेँ से आरहे हैँ|
ये कोशिकायेँ अद्भुत हैँ|
उन्के चार गुण हैँ|
नंबर एक उनको जहाँ जीने
की उम्मीद हो वो वहाँ रहते हैँ|
वे सिर्फ हड्डी की और उपास्थि की सतह के
नीचे रहते हैं,
आप जानते हैँ,जीव शास्त्र मेँ
वह स्थान,स्थान,स्थान है|
और वे उचित क्षेत्रों पर जाते हैँ
और उपास्थि और हड्डी बनाते हैँ|
वह एक है|
यहाँ एक दिलचस्प लक्षण है|
आप उनको कशेरुकी कंकाल
के बाहर निकाल सकते हैँ,
आप उनको प्रयोग शाला मेँ
पेट्रि डिषेस मेँ कल्चर करसकते,
और वे मरके उपास्थि का स्रुष्टि करेंगे|
हम कैसे उपास्थि को
पैसे या प्यार के लिये नहीँ बना पाये?
इन सेल्स मरके
उपास्थि को बनायेंगे |
वे अपने चारोँ ओर
खुद के उपास्थि के फर्ल्स बनायेंगे|
वे ,नँबर तीन,
भंग के मरम्मत के सबसे निपुण
जो हमने कभी भी सामना किया|
ये बहुत छोटा हड्डी है,
एक मौस का हड्डी जो हमने तोडा और फिर खुद
मरम्मत करने
के लिये छोड दिया|
ये स्टेम कोशिकायेँ
आयेँ और हलदी मेँ, हड्डी,
सफेद मेँ ,उपास्थी,लगभग
पूरी तरह से मरम्म्त किया|
इतना तो है कि यदि आप एक
फ्लोरोसेंट डाई के साथ उन्हें लेबल
आप उन्हेएक तरह के
अजीब सेलुलर गोंद जैसे देख सकते हैँ
फ्राक्चर के जगह मेँ आते हैँ,
स्थानीय स्थर पर फिक्स करते हैँ
और उन्के काम रोकते हैँ|
अब,चौधा वाला सबसे भयंकर है,
और वह ये है कि उनकी
संख्या तेजी सेगिरती है,
तेजी से,दस गुना,पचास गुना,
जैसे आप बडे होते हैँ|
और वास्तव मेँ क्या हुआ,
कि हम खुद को एक
अवधारणात्मक पाली मेँ पाते हैँ।
हम पिल्स को डूँढ्ने गये
पर हम सिद्धंतोँ को
खोज करते हुये खत्म कर दिये|
और कुछ मायनोँ मेँ
हम इस विचार पर खुद वापस झुके थे:
कोशिकायेँ, जीवोँ, वातावरण,
क्योंकि हम अब हड्डी के
स्टेम सेल्स के बारे मेँ
सोच रहे थे, हम गठिया को एक
सेलुलर रोग के रूप मेँ सोच रहे थे|
और फिर अगला सवाल है
कि वो अवयव हैं क्या?
क्या आप शरीर के बाहर अंग का
निर्माण कर सकते हो?
क्या आप आघात के क्षेत्रों में उपास्थि
प्रत्यारोपण कर सकते हो?
और शायद बहुत दिलचस्पी से,
क्या आप ठीक ऊपर चढ़ कर
वातावरण की रचना कर सकते हो?
आप को पता और हमें भी पता
कि व्यायाम से हड्डीयों का पुनर्निर्माण
होगा लेकिन हम मे से
कोई भी व्यायाम नहीं करते|
इसलिये आप हड्डी के लोडिंग और अनलोडिंग
के तरीकोँ के कल्पना कर सकते हो
ताकि आप अध: पतन उपास्थी का
पुन:सृष्ट या पुनरुद्धार कर सकते हैँ?
और शायद अधिक दिलचस्प है,
और अधिक महत्वपूर्ण बात,
सवाल ये है कि क्या आप इस मॉडल को
अधिक विश्व स्तर पर लागू कर सकते हैं?
जैसे कि मैंने पहले कहा था,
कुछ चीज को मारना नही
बल्कि बढा करना दांव पर है|
और यह मुझे लगता है, चिकित्सा के बारे
में सोचने के तरीके के बारे में
सबसे दिलचस्प सवालों की एक
श्रृंखला को जन्म देती है।
क्या आपकी दवा एक सेल
और गोली नही हो सकता है?
कैसे हम इन कोशिकाओं को विकसित करेंगे?
हम इन कोशिकाओं की हानिकारक
व्रुद्धी को कैसे रोक सकते है?
हम ने विकास छेडऩे की समस्याओं
के बारे में सुना है।
क्या हम बढ़नते हुए इन कोशिकाओं को
रोकने के लिए आत्महत्या
जीन प्रत्यारोपण कर सकते हैं?
क्या आपकी दवा शरीर के बाहर
बनाया एक अंग हो सकता है जो
फिर शरीर में प्रत्यारोपित किया गया?
क्या वो कुछ भ्रष्ट होने से रोक सकता है?
अंग मे स्मृति होने की जरूरत क्या है?
तंत्रिका तंत्र के रोगों के मामलों में,
उन अंगों के कुछ स्मृति है।
हम कैसे उन यादों को
प्रत्यारोपण कर सकते है?
हम क्या ये अंगों को बचा रख सकते हैं?
क्या इन्सान की हरेक अंग को
विकसित करके
और उसको वापस रखना होगा?
और शायद सबसे उलझन पैदा करते हुए,
क्या आपकी दवा एक वातावरण हो सकता है?
क्या आप वातावरण को पेटेंट कर सकते?
आप जानते है, हर संस्कृति में,
शामन्स दवाओं के रूप में वातावरण
का उपयोग किया गया है।
हम अपने भविष्य के लिए
क्या कल्पना कर सकते हैं?
मैं ने मॉडल के बारे में कई बात की।
मैं ने मॉडल के साथ इस बातचीत शुरू की।
मॉडल के निर्माण के बारे में
कुछ विचार से खत्म करूँ।
यहीं हमारे जैसे वैज्ञानिक करते है|
आप जानते है कि जब एक
वास्तुकार मॉडल को बनाते है,
वह लघु में आपको एक दुनिया को दिखाने
की कोशिश कर रहा/रही है।
लेकिन जब एक वैज्ञानिक मॉडल को बनाते है,
वह रूपक में दुनिया को दिखाने
की कोशिश कर रहा/रही है।
वह नई तरह से देखने की सृजन करने
की कोशिश कर रहा/रही है।
पहला पैमाने बदलाव है।
बाद वाला एक अवधारणात्मक बदलाव है।
अब, एंटीबायोटिक दवा के बारे
में पिछले सौ सालों में
अपनी सोच में वास्तव में
रंगीन, विरूपित, बहुत
सफलतापूर्वक अवधारणात्मक
पारी बनाया|
लेकिन हमें भविष्य में दवा के बारे में
सोचने के लिए नई मॉडलों की जरूरत है|
कि दांव पर क्या है|
आप जानते है कि एक
लोकप्रिय खीस्तयाग वहाँ है
जिसके कारण है कि हमें परिवर्तनकारी
बीमारी के उपचार पर
प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि
हमारे पास पर्याप्त
शक्तिशाली दवाओं नहीं है
और ये आंशिक रूप से सच है।
लेकिन शायद सही कारण ये है
कि हमारे पास दवाई के बारे में
सोचने की शक्तिशाली तरीके नहीं है|
ये जरूर सच है कि
नई दवाई मिलने से अच्छा होगा|
लेकिन शायद वास्तव में दांव पर
जो तीन अमूर्त समाप्त हैं:
तंत्र, नमूने, रूपकों।
धन्यवाद|
(तालियाँ)
क्रिस एंडरसन:
मुझे वास्तव में इस तरह की रूपक पसंद है।
कैसे ये लिंक होता है?
चिकित्सा के निजीकरण के बारे में
तकनीकी प्रदेश में बहुत
कुछ बात हो रही है,
कि हमारे पास सब कुछ समाचार है
और भविष्य के चिकित्सा उपहार
विशेष रूप से आप के लिए हो, अपने जीनोम,
अपने वर्तमान संदर्भ में होगा।
क्या इस नमूना के लिए
ये लागू हो सकता है?
सिद्धार्थ मुख्रर्जी:
ये एक बहुत ही दिलचस्प सवाल है|
हम जीनोमिक्स के मामले में
बहुत ज्यादा दवा के
निजीकरण के बारे में सोचा है।
ये इसलिए कि जीन एक
ऐसा प्रभावी रूपांतर है कि,
फिर से,उस शब्द को इस्तेमाल करना,
आज औषधि शास्त्र मेँ,
कि हम ये सोचते जीनोम चिकित्सा की
निजीकरण को ड्राइव करेगी|
पर बेशक जीनोम एक
लंबी श्रुंखला की तल पर है,
योँ कहिये तो|
वह श्रुंखला,वास्तव मेँ उसका सबसे
पहला संगठित मात्रक, कोशिका है|
तो,अगर हम वास्तव में इस तरह से
चिकित्सा में वितरित करने के लिए
जा रहे हैं,हम सेलुलर उपचारों को
व्यक्तिगत के बारे में
सोचना है,और फिर अंग या
जीवधारी उपचारों को व्यक्तिगत,
और अंत मेँ पर्यावरण के लिए इमार्शन के
उपचारों को व्यक्तिगत रूप देना पडेगा|
इसलिए मुझे लगता है कि आप जानते हैं,
हर स्तर पर लगता है कि --
रूपक ये है कि सभी
तरह से कछुए वहाँ है।
खैर, इस में, पूरी तरह से निजीकरण है।
CA: तो अगर आप जब कहते हैं कि
दवा एक सेल हो सकता है
और एक गोली नहीं,
आप संभवतः
अपने ही सेलों के बारे में
बात कर रहे हैं।
SM: बिल्कुल।
CA: तो स्टेम सेल में परिवर्तित करके,
शायद सभी प्रकार के दवाओं या और कुछ के
खिलाफ जांच करके और तैयार किया।
SM: और कोई शायद नहीं है।
यही है जो हम कर रहे है।
यह क्या हो रहा है, और वास्तव में,
हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं,
जीनोमिक्स से दूर नही,
बल्कि जीनोमिक्स को हम क्या कहते
बहु-व्यवस्था, अर्द्ध स्वायत्त, आत्म
विनियमन प्रणालियों,मेँ शामिल करते हुये
जैसे कोशिकायेँ, जैसे जीवोँ, जैसे वातावरण|
CA: बहुत धन्यवाद|
SM: खुशी हुई| धन्यवाद|