आप यात्रा से होने वाले आनंद को जानते हैं
तथा नृवंशी अध्ययन के शोध का एक आनंददायक अवसर
प्राचीन ढंग से जीवन व्यतीत करने वाले लोगों
के बीच रहना है,
वे लोग जो अब भी अपने बीते हुए समय को महसूस कर रहे हों
और पाषाण युग का अनुभव व
पत्तियों का स्वाद चख कर जीवन व्यतीत कर रहे हों।
यह जानने के लिए कि जगुआर शमनस अब भी आकाश गंगा के परे यात्रा करता है
या फिर पूर्वजों की भावनात्मक अर्थपूर्ण
कल्पनाओं अब भी प्रतिध्वनित हो रही है,
या फिर हिमालय पर्वत में बौद्ध आज भी धर्म का अनुसरण कर रहे हैं,
यह मानव शास्त्र के मूल भाव को वास्तविक तौर पर याद रखना है।
इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि
हम जिस संसार में जीवन व्यतीत कर रहे हैं
वह निश्चित तौर पर वैसा ही नहीं है अपितु वह तो वास्तविकता का एक नमूना है,
हमारे पूर्वजों ने जो परंपरा बनाई वह अनुकूलक विकल्पों
के एक निश्चित समूह का परिणाम है हालांकि वह अनेक पुश्तों पहले सफल था।
और हां, हम सभी उन अति आवश्यक अनुकूलकों का प्रयोग कर रहे हैं।
हम सभी ने जन्म लिया है। हम सभी अपने बच्चों को इस संसार में लाते हैं।
हम दीक्षा के रीति रिवाजों से गुजरते हैं।
हमें मृत्यु की कबेरता के कारण अलग होने को पीड़ा का सामना करना पड़ता है,
इसलिए हमें आश्चर्य चकित नहीं होना चाहिए कि हम गाना गाते हैं,
हम सभी नाचते हैं और हम सभी को कला का ज्ञान है।
परंतु इसमें रोचक बात यह है कि सभी संस्कृतियों में गीत का आलाप,
नृत्य की लय अनोखी होती है।
चाहे इसमें बोरनियो के वनों में की जाने वाली
तपस्या हो, या हैती में तंत्रमंत्र
का अनुसरण हो, या उत्तरी केनिया के कैसुत मरूस्थल में
यौद्धा हो, ऐंडिस पर्वतों में कुरानडेरो हो, या
सहारा रेगिस्थान के मध्य में कैसवैन सेराऐ हो।
यह शायद वह सहयात्री था जिसके साथ मैंने एक
महीना पहले रेगिस्थान की यात्रा की है या फिर
वास्तव में यह क्योमोलंगमा की ढालानों पर एक याक चराने वाला है।
एवरेस्ट चोटी विश्व की देवी भी है।
ये सभी लोग हमें यह शिक्षा देते हैं कि जीवन
व्यतीत करने के अन्य तरीके भी हैं, सोचने के
अन्य तरीके भी हैं, धरती पर रहने के अन्य तरीके भी है
अगर आप इसके विषय में विचार करें तो यह आपके
भीतर आशा की किरण उत्पन्न कर सकता है।
अब आप विश्व की असंख्य संस्कृतियों को एकत्रित करें
और आध्यामिक जीवन तथा सांस्कृतिक जीवन का जाल बुनें
जो कि इस ग्रह को घेरती हैं,
तथा वह ग्रह को बेहतर बनाने के लिए उतने आवश्यक हो
जितने जीवन में मौजूद जीव जिन्हें हम बतौर जीव मंडल जानते हों।
जीवन के इस सांस्कृतिक जाल को
शायद आप नृवंशी समझ बैठें
तथा आप विचारों व स्वपनों,
कल्पनाओं, प्रेरणाओं, अंर्तज्ञान
और जो भी कुछ चेतना की प्रारंभिक अवस्था से
मानव कल्पना में मौजूद हो को एक साथ लेकर नृवंशी को परिभाषित करे
नृवंशी होना मानवता की सबसे बड़ी विरासत है ।
हम सब क्या हैं यह उसका चिन्ह है
तथा हम कितनी जिज्ञासु प्रजाति के हो सकते हैं ।
जैसे कि जीवनमंडल अत्यधिक नष्ट हो चुका है
ठीक वैसे ही नृवंशीमंडल भी एक बहुत
ही तेज गति से नष्ट हो चुका है ।
कोई भी जीव-वैज्ञानिक यह कहने का दुस्साहस नहीं करेगा
कि सभी प्रजातियों में से 50 प्रतिशत या उससे अधिक प्रजातियां लुप्त होने
की कगार पर खड़ी हैं क्योंकि यह बिल्कुल सही बात नहीं है;
इसके साथ-साथ जैविक विविधता की प्रभुता
में यह भविष्य सूचक परिदृश्य है ।
जिसे हम अत्यधिक आशावादी परिदृश्य मानते हैं
यह उस सांस्कृतिक विविधता का बहुत ही छोटा अंश है ।
भाषा की हानि इसकी उत्तम सूचक है ।
इस कमरे में मौजूद सभी लोगों का जब
जन्म हुआ था तो उस समय इस ग्रह पर 6000 भाषाएं बोली जाती थी ।
आजकल भाषा मात्र एक शब्द संग्रह नहीं है
या फिर वह व्याकरण नियमावली भी नहीं है ।
भाषा मानव आत्मा की चमक है ।
भाषा एक माध्यम है जिसके द्वारा किसी विशिष्ट संस्कृति की आत्
एक अनात्मवादी संसार में प्रवेश करती है ।
प्रत्येक भाषा दिमाग के भीतर
प्राचीन वन, जल-संभर, एक विचार, आध्यात्मिक संभावनाओं के परितंत्र की भांति होती है ।
जैसे कि आज हम मोनटेरे में
बैठकर देख सकते हैं कि उन 6000 भाषाओं में से आधी भाषाएं बच्चों
के कानों तक नहीं पहुंच रही हैं । वे शिशुओं को
भी अब पढ़ाई नहीं जा रही हैं; जिसका अर्थ यह हुआ कि अगर कोई प्रभावशाली
बदलाव नहीं होंगे तो वे पहले ही समाप्त हो जाएंगी ।
चुप्पी से घिरे रहने से ज्यादा अकेलापन और क्या होगा, आप अप
भाषा बोलने वाले अपने लोगों में से आखिरी होंगे, आपके पास अपने
पूर्वजों के ज्ञान को आगे पहुंचाने का या अपने बच्चों के
इरादों का अनुमान लगाने को का कोई माध्यम नहीं होगा ।
तब भी यह भयानक किस्मत पृथ्वी पर कहीं न कहीं
किसी की दर्दनाक अवस्था है; क्योंकि प्रत्येक दो
सप्ताह में कोई ना कोई बड़ा व्यक्ति प्राण त्याग देता है और
अपने साथ अपनी प्राचीन भाषा का
ज्ञान ले जाता है ।
और मैं यह जानता हूं कि आप में से कुछ लोग कहेंगे;
"क्या यह सही नहीं होगा ?
क्या संसार बेहतर नहीं हो जाएगा अगर हम सभी लोग एक ही भाषा बोलेंगे ?"
मैं भी यही कहता हूं कि बहुत अच्छे, हमें योरुबा भाषा को उस भाषा का दर्जा दे देना चाहिए ।
हमें कैनटोनीस को वह भाषा बनानी चाहिए । हमें कोगी को वह भाषा बनानी चाहिए ।
और तभी अचानक आप पाएंगे कि ऐसा हो जाएगा
कि मानो आप अपनी खुद की भाषा को ही नहीं बोल पा रहे हैं।
आज मैं आपके साथ जो भी करने जा रहा हूं
वह एक प्रकार से नृवंशी की यात्रा------- नृवंशी में से एक लघ
यात्रा करवाने जा रहा हूं; इसके माध्यम से मैं आपको यह समझाने का
प्रयास कर रहा हूं कि आप क्या खो रहे हैं ।
जब मैं यह कहता हूं कि जीवन व्यतीत करने के विभिन्न तरीके हैं तो बहुत
से लोग इसे कुछ भूल सा जाते हैं; मैं वास्तव में कहना चाहता हूं कि
जीवन व्यतीत करने के अनेक तरीके होते हैं ।
उदारहण के तौर पर उत्तर-पूर्वी एमैज़ोन के बरसाना के एक बालक को
ले लीजिए, अनाकोंडा के लोगों को लीजिए जो यह मानते हैं
कि पौराणिक कथा के अनुसार वे पूर्व दिशा से
दुग्ध नदी के पवित्र सापों के पेट से उत्पन्न हुए हैं ।
यही वे लोग हैं जो नीले रंग की पहचाने
हरे रंग से अलग नहीं कर पा रहे हैं
क्योंकि स्वर्ग की छतरी को वनों की
छतरी के समान माना गया है,
जिस पर लोग निर्भर हैं ।
इनका भाषा और विवाह के लिए एक अलग ही नियम है
जिसे भाषा के आधार पर जाति के बाहर विवाह करना कहा जाता है,
आप उसी से विवाह कर सकते हैं जो आपसे विभिन्न भाषा बोलता हो ।
यह सभी कुछ पौराणिक है,
फ़िर भी इन घरों में आशचर्य की बात ये है
कि जहां इन घरों में अंतर्जातीय विवाह के कारण 6 या 7 भाषाएं बोली जाती हैं,
आप कभी भी किसी को कोई एक भाषा प्रयोग करता हुआ नहीं सुन पाएंगे ।
वे पहले सुनते हैं
फिर बोलना प्रारंभ करते हैं ।
उत्तर-पूर्वी इक्वाडोर की वाओरानी जाति एक ऐसी रोमांचकारी प्रजाति है,
जिसके साथ मैं पहले कभी नहीं रहा हूं ।
सन् 1958 में कुछ विचित्र लोगों में शांतिपूर्ण ढंग से इन लोगों से संपर्क किया ।
सन् 1957 में पांच धर्म प्रचारकों ने इनसे संपर्क करने का प्रयास किया
और एक गंभीर गलती कर दी ।
उन्होंने वायु मार्ग से अपनी आठ-दस चमकदार तस्वीरें
इनके पास फैंक दी, जिसे हम दोस्ती का हाथ बढ़ाना कह सकते हैं;
वे यह भूल कर गए कि वर्षा-प्रचुर वन के
इन लोगों ने अपने जीवनकाल में कभी भी
द्वि-आयामी कोई भी वस्तु नहीं देखी है ।
उन्होंने जमीन से इन तस्वीरों को उठाया
और तस्वीर के मुख के पीछे देख आकृति को ढूढने का प्रयास किया, उन्हें जब कुछ प्राप्त नहीं हुआ
तो उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि ये तो शैतानों का बुलावा है,
इसलिए उन्होंने उन पांच धर्म प्रचारकों को भाले मार-मार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया ।
परन्तु वाओरानी बाहर के लोगों पर आक्रमण नहीं करते हैं ।
वे एक दूसरे को मारते हैं ।
उनमें 54 प्रतिशत मृत्यु का कारण आपसी लड़ाई है ।
हमने उनकी पिछली 8 पुश्तों तक का अध्ययन किया
और पाया कि केवल दो ही मृत्यु प्राकृतिक तौर पर हुई थी तथा जब हमने उन लोगों पर दबाव
डालकर पूछताछ की, तो उन्होंने स्वीकार करते हुए बताया कि उनका एक साथी इतना बूढ़ा
हो चुका था कि वह मरने की हालत में था,
(हंसते हुए कहा) इसलिए हमने उसे मौत के घाट उतार दिया ।
परन्तु साथ ही उनके पास वन के
बारे में चौका देने वाला सूक्ष्म ज्ञान था ।
उनके शिकारी 40 कदम की दूरी से ही पशुओं के मूत्र की गंध पहचान सकते
थे और यह भी बता सकते थे कि मूत्र त्यागने वाला पशु कौन सा था ।
80 के दशक की शुरुआत में, हमें एक अद्भुत काम करने का मौका मिला
जब मुझे हावर्ड के मेरे एक प्रोफेसर ने मुझसे पूछा
कि क्या मैं हेती जाने में,
सामाजिक समूहों के बारे में जानकारी खोजने में,
वे समूह जो कि डूबेलियर तथा टोनटोन मैकोट्स की नींव के बल थे
और जोंबी बनाने के लिए प्रयोग में
लाए जाने वाले विष के हासिल करने में रूचि है ।
इस सनसनी में से सही बात जानने के लिए
मुझे वोडून के लिए इतना विश्वास रखने के बारे में तथा वूंडू
कोई काले जादू की विधि नहीं है, के बारे में समझने की जरूरत थी ।
इसके विपरीत, विश्व भर में इसे पेचीदगीपूर्ण अध्यात्म विद्या समझा जाता है ।
यह रूचिपूर्ण है ।
अगर मैं आपको विश्व के कुछ महान धर्मों के नाम बताने को कहूंगा,
तो आपका उत्तर क्या होगा ?
ईसाई, इस्लाम, बौद्ध, जोविश और भी जो कोई धर्म हो ।
हमेशा कोई न कोई महाद्वीप छूट जाता है,
ऐसा माना जाता था कि उप-सहारा वाले अफ्रीका में
धर्म का पालन नहीं किया जाता ।
बिल्कुल वे भी धर्म को मानते थे तथा
जादू-टोना तो गहरे धार्मिक विचारों का शुद्धिकरण है
जो कि दास प्रथा युग की दर्दनाक समाप्ति के कारण उत्पन्न हुआ ।
लेकिन क्या चीज जादू-टोने को इतना रूचिकारक बनाती है,
क्या वह उसमें मौजूद जीवित
तथा मृत के बीच का संबंध है ।
आत्माओं को गहरे पानी के नीचे से भी बुलाया जा सकता है;
उन्हें लय पर नचाने से लेकर कुछ क्षणों में से जीवित व्यक्ति
में से बाहर निकालने तक प्रयोग किया जा सकता है,
ताकि उस क्षण भर की चमक
के लिए वह सेवक ईश्वर बन जाता है ।
इसलिए जादू-टोना करने वाले अंग्रेजों से कहते हैं कि
"तुम गोरे लोग गिरिजाघर में जाकर भगवान के बारे में बात करते हो ।"
हम मंदिर में नाचते हैं और भगवान बन जाते हैं ।
चूंकि आप आत्माग्रस्त होते हैं
इसलिए आपको हानि कैसे पहुंच सकती है?
तो आप ये अद्भुत प्रदर्शन देख सकते हैं ।
जादू-टोने के अनुचर को समाधि लेते हुए,
जलते हुए कोयले के साथ सरलता से प्रयोग करते हुए,
यह दिमाग की एक अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन है
जिससे प्रभावित होने वाले शरीर के अत्यधिक उत्तेजित होने के कारण
उस पर प्रतिकूल स्थितियों का प्रभाव नहीं हो पाता है ।
अब तक मैं जितने भी लोगों के साथ रहा हूं
उनमें से सर्वाधिक असाधारण लोग उत्तरी कोलंबिया के
सिएरा नोवादा दे सांता मार्टा के कोगी होते हैं ।
प्राचीन कठोर सभ्यता के वंशज जो किसी समय आक्रमण
के दृष्टिकोण से कोलंबिया के कैरेबियन तटीय
समतल भूभागों में बसे हुए थे; ये लोग एक वीरान ज्वालामुखी पर्वत श्रृंखला में
घुस गए जो कैरिबियन तटीय भूभाग के ऊपर दिखाई देती थी ।
खून खराबे से भरे इस महाद्वीप में,
केवल यही लोग थे जिन पर
स्पेन को कभी भी विजय प्राप्त नहीं हुई ।
आज तक भी एक पुरोहित ही उन पर शासन कर रहा है,
परन्तु पुरोहित के लिए उनकी प्रशिक्षण विधि बहुत असाधारण है ।
धर्म के युवा अनुचरों को तीन या चार वर्ष
ही आयु में ही उनके परिवार से अलग कर
उन्हें 18 वर्षों तक बर्फीली चट्टानों में
बने पत्थर के झोपड़ों में अंधकार में रखा जाता है ।
नौ महीनों की दो अवधियां जान-बूझकर चुनी जाती हैं
क्योंकि ये गर्भधारण के नौ महीनों के
समान दर्शायी जाती हैं ।
जिस दौरान वे नौ महीनों तक प्राकृतिक तौर पर
मां के गर्भ में रहते हैं और अब वे एक तरह से महान धरती माता के गर्भ में रहते हैं ।
इस संपूर्ण अवधि में उनके भीतर जीवन के अच्छी बातें भरी जाती हैं,
वे बातें जिनसे यह कथित होता है कि
उनकी इन्हीं बातों पर ही यह संसार टिका हुआ है
या हम यूं कहें कि पर्यावरण इन्हीं पर संतुलित हो रखा है ।
इस अद्भुत दीक्षा के बाद,
अचानक एक दिन उन्हें बाहर निकाला जाता है
और 18 वर्ष की आयु के पश्चात वे अपने जीवन को पहली बार सूर्योदय के दर्शन करते हैं
और इस जागरूकता के स्वच्छ क्षणों में
सूर्य की पहली किरण हैरान करने वाले खूबसूरत प्राकृतिक नजारों में
ढालानों पर अपनी छटा बिखेरती है,
उन्होंने अब तक जो कुछ भी शिक्षा ग्रहण की होती है,
वह अचानक ही उन्हें चौका देती है । अब पुरोहित पीछे हटकर कहता है
"आप देखिए ? यह बिल्कुल वैसा है जैसा मैंने आपको बताया था ।
वह सुंदर है । यह आपका है और आप ही को इसे बचाना है ।"
वे स्वयं को ज्येष्ठ भ्राता कहते हैं
और वे हमें कनिष्ठ भ्राता कहते हैं
और वे इस संसार को नष्ट करने के लिए हमें जिम्मेदार ठहराते हैं ।
अब तक इस श्रेणी की दीक्षा बहुत आवश्यक होती है ।
जब कभी भी हम स्थान विशेष के लोगों तथा प्रकृति के बारे में सोचते हैं तो
हम रोसेऊ का आह्वान करते हैं
तथा उसके साथ पुरानी निराधार क्रूरता को याद करते हैं
जो कि स्वयं ही एक जातिभेद पूर्ण विचार है,
या फिर हम थोरेयू का आह्वान करते हैं
और कहते हैं कि हमारी तुलना में ये लोग पृथ्वी के अधिक नजदीक हैं ।
हां, स्थानीय लोग न तो भावुक होते हैं
और न ही कमजोर होते हैं ।
इन दोनों अवस्थाओं के लिए,
न तो असमत के दलदल में और न ही तिब्बत की बर्फीली हवाओं में स्थान होता है,
परन्तु फिर भी उन्होंने समय
और रीतियों का प्रयोग कर पृथ्वी की परंपरागत रोचकता को गढ़ा है ।
यह स्व-योजना के विचार पर आधारित नहीं है,
अपितु यह दीक्षा की सूक्षमता पर आधारित है:
कि पृथ्वी स्वयं विराजमान रह सकती है
क्योंकि इसे मानव चेतना द्वारा सींचा जा रहा है ।
अब बताइए, इसका क्या अर्थ हुआ ?
इसका अर्थ हुआ कि अगर ऐंडस पर्वत के वासी किसी छोटे बच्चे का
पालन-पोषण करते हुए उसे यह बताए कि
पर्वत अपू की आत्मा होती है
जो कि उसकी किस्मत को दिशा प्रदान करेगी,
तब वह हृदय से एक भिन्न मानव होगा
और उसका इस संसाधन या स्थान के साथ एक अलग ही संबंध होगा,
जो कि मोन्टाना में पले-बड़े एक छोटे बच्चे से अलग होगा जिसे
यह बताया गया है कि पर्वत तो पत्थरों का ढेर होता है और उसमें खान खोदी जाती है ।
चाहे वह आत्मा हो या धातु का ढेर हो यह सब बेकार की बातें हैं ।
इसमें व्यक्ति विशेष तथा प्राकृतिक संसार के
बीच संबंध दर्शाने वाले लक्षण रुचिकारक हैं ।
मैं ब्रिटिश कोलम्बिया के जंगलों में पला बढा़ था,
जहाँ ये माना जाता था कि जंगलों का अस्तित्व ही काटने के लिये है।
इन बातों ने मुझे अपने क्वाक्यूती मित्रों के बीच कुछ
अलग इंसान बना दिया, जो कि यह मानते थे
कि वे वन हूकूक का आवास,
स्वर्ग की टेढ़ी चोंच
तथा संसार के उत्तरी छोर पर रहने वाली नरभक्षी आत्माएं थी,
वे आत्माएं जिनकी आवश्यकता उन्हें हमेशा दीक्षा के दौरान पड़ेगी ।
अगर आप इन विचारों को देखें तो पाएंगे कि
ये संस्कृतियां भिन्न-भिन्न वास्तविकताएं उत्पन्न कर सकती हैं;
आप इनकी कुछ असाधारण खोजों को समझ सकते हैं ।
इस पौधे को ही लें ।
मैंने पिछले साल अप्रैल में यह तस्वीर उत्तर-पश्चिमी अमेजन में खींची थी ।
यह आयाहुअस्का है, जिसके बारे में
आप में से बहुत से लोगों ने सुन रखा होगा;
यह शमन के रंग पटल की सबसे शक्तिशाली दिमाग उत्तेजक पदार्थ है ।
आपको आयाहुअस्का मांत्र उसके संघटक क्षमता
के कारण ही नहीं आकर्षित कर रही है,
वरन उसके बारे में विस्तृत जानकारी आपको लुभा रही है ।
यह वास्तव में दो विभिन्न स्रोतों से तैयार की जानी है ।
एक तरफ तो छाल है जिसमें बीटाकैरोटीन, हार्मिन; हार्मोलीन,
हल्के फुलके भ्रांतिकारक तत्वों की श्रृंखला मौजूद है।
केवल इसकी लता को ही ले तो,
ऐसा लगता है कि एक धुंधला नीला सा धुआं
आपकी चेतना को छू गया है।
परंतु इसे साईक्रोटिया विरीडिस नामक काफी के पौधे की
प्रजाति की एक बूटी के साथ मिलाया जाता है।¥
दिमाग के सैरोटोनिन रसायन के बहुत ज्यादा समान
ट्रीपटैमाईन, डाईमिथाईलट्रीपटैमाईन-5, मिथौक्सी डाईमिथाईलट्रीपटैमाईन,
जैसे शक्तिशाली रसायन इस पौधे में मौजूद हैं।
अगर कभी आपने यानोमामीयो को
नाक से नसवार खींचते देखा हो
वे वह पदार्थ अन्य किसी उपजाति का प्रयोग कर बनाते हैं,
उसमें भी मिथोक्सी डाईमिथाईल ट्रीपटामाईन होती है।
उस पाउडर को नाक से खींचने का मतलब,
बंदूक की नली में से गोली निकलना जैसा होता है,
साथ ही भड़कीले चित्रों की कतार दिखना तथा बिजली के सागर पर गिरने के समान होता है (हंसी)।
यह वास्तविकता को भंग नहीं करता है,
यह वास्तविक का विच्छेदन करता है।
अदृश्य वस्तुओं को सुनने व देखने की बीमारी के
के युग की शुरूआत करने वाले व्यक्ति, मेरे प्रोफेसर रिचर्ड ईवान शूल्टस ने 1930
में मैक्सिको में उनके द्वारा खोजे गए
जादुई कुकुरमुतों के बारे में तर्क किया करता था।
मैं तर्क करता था कि आप इन ट्रीपटैमीन को भ्रम उत्पन्न
करने वाले पदार्थों में वर्गीकृत नहीं कर पाए
क्योंकि जब तक आप उसके प्रभाव में रहते हो तब तक कोई भी उस भ्रम की अवस्था को समझने वाला घर पर नहीं होता है (हंसते हैं)।
परंतु ट्रीपमाईन को आप मुंह के रास्ते नहीं ग्रहण कर सकते
क्योंकि हमारे उदर में मौजूद एक मोनोएमाईन ऑक्सीडेस नामक
एनजाईम द्वारा वह ग्रहण करने योग्य नहीं रहता।
इन्हें मुख के रास्ते किसी अन्य रसायन के साथ लिया जा सकता है
जो एमएओ को निष्क्रिय कर दे।
अब रोमांचित करने वाली बात है कि
बीटा-कार्बोलाईन पदार्थ जो छाल में पए जाते हैं,
वे एमएओ रोधक होते है,
जो कि एक प्रकार से ट्रीपटामाईन के क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक होते हैं। तो आप स्वयं से एक प्रश्न पूछें।
80,000 उपजातियों के पेड़ पौधों में ये लोग किस प्रकार
रचना के आधार पर भिन्न दो असंबंधित पौधों की पहचान कर लेते हैं,
जिन्हें जब मिलाया जाता है तो वे एक जैविक रसायन उत्पन्न करते हैं,
जो कि जोड़े गए पदार्थों से
कई गुणा अधिक प्रभावशाली होता है?
चलिए हम मधुर शब्दों, प्रयास एवं त्रुटि का प्रयोग करते हैं,
जो कि निरर्थक ही होता है।
परंतु आप भारतीयों से बात करें, तो वे कहेंगे कि ‘’पौधे हमसे वार्तालाप करते है।‘’
इसका क्या मतलब हुआ?
कोफान उपजाति में आयाहुआस्का की 17 किस्में हैं
जो देखने में सभी
एक जैसी उपजातियां प्रतीत होती हैं।
और जब आप उनसे पूछेंगे कि उन्हें इसके वर्ग की पहचान कैसे की,
तो वे उत्तर देंगे कि ‘’मैंने सोचा आपको पेड़ पौधों के बारे में कुछ पता होगा।
मेरे कहने का तात्पर्य है कि क्या आपको कुछ मालूम नहीं है? तब मैंने उत्तर दिया ‘’नहीं’’।
तो तब आप पूर्णीमा की रात को 17 की 17 किस्में ले लेते हैं,
तब इनमें से प्रत्येक अलग-अलग ताल पर गुनगुनाती है।
हां, यह सब करने से आपको हावार्ड में पीएचडी की डिग्री नहीं मिलने वाली,
परंतु यह फूलों पराग के सिर गिनने से कहीं ज्यादा रूचिकारक है।
अब, (धन्यवाद), समस्या ----------- समस्या यह है कि हम में से भी कुछ ½
(धन्यवाद),
समस्या ----------- समस्या यह है कि हम में से भी कुछ
लोग जिनको स्थानीय लोगों के साथ सहानुभूति है
वे भी इसे प्राचीन और रंगीन मानते हैं,
परंतु फिर भी यह इतिहास के हाशिए पर आ खड़ा हुआ है,
चूंकि वास्तविक संसार, हमारा संसार तो चलता ही जा रहा है।
हां, 20वी सदी ही सत्य होगी,
अब से 300 वर्षों बाद, यह समय युद्धों या इसके
तकनीकी क्षोध के लिए नहीं याद किया जाएगा,
बल्कि इसे उस सदी की तरह से याद करेंगे,
जिसमें हमने चुपचाप खड़े रहकर या उसमें क्रियाशील होकर भाग ले कर
जैविक तथा सांस्कृकतिक विविधता का नाश इस ग्रह पर होते हुए देखा है।
यह समस्या बदलाव नहीं है।
हर समय सभी सांस्कृतियां
जीवन में निरंतर
बदलाव में व्यस्त रही है।
तकनीक खुद ही एक समस्या नहीं है।
जब सियोक्स भारतीयों ने तीर-कमान त्याग दिया
तो उन्होंने सियोक्स कहलाना बंद नहीं किया।
कि अमरीकी ने धोड़ा गाड़ी को छोड़ने के बाद
खुद को अमरीकी कहना बंद कर दिया।
बदलाव या तकनीक से नृवंशी को
किसी प्रकार का खतरा नहीं होता है।
ताकत है वह चीज जो खतरनाक बन जाती है। हावी होने का घिनौना चेहरा।
और जब भी अपने आसपास देखते हैं
तो आपको ज्ञात होगा कि ये सांस्कृतियां मिट जाने के लिए नहीं बनी हैं।
ये तेजी से प्रगति करते हुए लोग हैं
जो संभाले जाने वाले बल से
अधिक बल द्वारा बाहर धकेले जा रहे हैं।
चाहे वह पेनान की गृहभूमि में
वनों का असाधारण काटना हो;
पेनान दक्षिणी पूर्वी एशिया के सारवाक के चलवासी लोग,
जो एक पुश्त पहले तक वनों से आजाद घूमते थे,
अब सभी कुछ नदी किनारे दासत्व व
वैश्यावृत्ति में बदलकर रह गया है।
यहां आप देख सकते हैं कि नदी खुद ही प्रदूषक तत्वों से गंदी हो गई है
और ऐसा प्रतीत होता है मानो वह आधा बोर्नयो
चीनी सागर के दक्षिण की ओर ढोकर ले जा रहा हो।
जहां पर जापानी मालवाहक किनारों पर वनों से काटे गए
पेड़ों के तनों को पकड़ने के लिए तैयार खड़े हो।
या यानोमामी के मामले में दखें
तो वहां सोने की खोज के चलते
रोग के रूप में वास्तविकता सामने आई है।
या फिर हम अगर तिब्बत के पर्वतों की ओर जाएं,
जहां पर मैं हाल ही में बहुत सा क्षोध कार्य कर रहा था,
वहां आप राजनैतिक प्रभाव का बिगड़ा रूप देख पाएंगे।
आप लोगों का लुप्त होना यानि वृंश संहार को तो समझते होगे
इसकी विश्व भर में निन्दा की जाती है।
परंतु, नृवंश संहार; जिसमें लोगों के जीने के तरीके का नाश हो रहा हो,
विश्व भर में उसकी निंदा नहीं की जाती परंतु
साथ ही उस पर खुशियां मनाई जाती हैं कि वह तो विकास का एक अंश है।
आप उसकी जमीन से जुड़े बिना
तिब्बत की पीड़ा को नहीं समझ सकते हैं।
एक बार मैंने एक युवा साथी के
साथ दक्षिण पूर्वी तिब्बत से होकर पश्चिमी चीन में
चंगडू से लासा तक 6000 मील की यात्रा की।
लासा पहुंचने पर ही मै उन आंकड़ों को समझ पाया
जिनके बारे में आप सभी सुनते हैं।
6000 धार्मिक इमारतों को धूल में मिलाया गया।
सांस्कृतिक आंदोलन के दौरान 12 लाख लोगों
को शासन द्वारा मौत के घाट उतारा गया।
इस युवक के पिता पर पांचेन लामा का आरोपण किया गया।
उसका अर्थ था कि उन्हें चीन द्वारा
आक्रमण के समय तुरंत मार दिया गया।
इसका रिश्तेदार जन विसर्जन के दौरान
धर्मगुरू के साथ नेपाल चला गया।
इसकी मां को कैद कर लिया गया –
यह उनके लिए धनवान होने की सजा थी।
इसे दो वर्ष की आयु में जेल के भीतर घुसा दिया गया
जहां इसे मां की र्स्कट के पीछे छुपना पड़ा,
ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि मां इसके बिना नहीं रह सकती थी।
जिस बहन ने यह बहादुरी का काम किया
उसे शिक्षा शिविर में भर्ती करा दिया गया।
एक दिन उसने गलती से माओ के एक बाजूबंद
पर पांव रख दिया, उसे इस अपराध के लिए
सात वर्षों का कठोर परिश्रम बतौर सजा दिया गया।
तिब्बत की परेशानी असहनीय थी,
लेकिन लोगों के जीने की इच्छा मान रखने लायक थी।
अंत में यह एक ही विकल्प पर पहुंचता है।
क्या हम एक ही ढंग से सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहते हैं
या फिर हम विविधवता के संसार की रंगीनियों को अपनाना चाहते हैं?
अपनी मृत्यु से पहले महान मानव-शास्त्री मारग्रारेट मीड;
ने कहा था कि मेरा सबसे बड़ा भय यह था
सकल मनुष्य की सोच,
विश्व भर का नरम रुख छोटी
सोच में बदल गया,
परंतु हम इस स्वप्न से एक दिन जरूर जाएगा।
यह भूलकर की इसके अतिरिक्त और भी विकल्प मौजूद हैं।
यह एक विनम्र विचार है कि हमारी उपजातियां
लगभग 600,000 वर्षों से मौजूद हैं
कि ज्यों ज्यों हम पाषाण युग की क्रांति की ओर बढ़ेंगे,
पाषाण युग ने हमें कृषि प्रदान की,
उस समय हम बीज के वशीभूत हो गए।
शमन की कविताओं का स्थान धर्म गुरू के गद्यों ने ले लिया।
हमने अनुक्रमण विशेषज्ञता अधिशेष की रचना की।
यह केवल 10,000 वर्ष पूर्व ही हुआ था।
हम जानते हैं कि आधुनिक औद्योगिक
संसार मात्र 300 वर्ष पुराना है।
इस नवीन इतिहास से मुझे यह महसूस होता है
कि आने वाली शताब्दी में जिन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा
हमारे पास उनके लिए उत्तर उपलब्ध नहीं होंगे।
जब हम विश्व की इन असंख्य संस्कृतियों से
मनुष्य होने का अर्थ पूछते हैं
तो वे 10,000 अलग-अलग आवाजों में उत्तर देते हैं।
हम क्या हैं, यह सभी विकल्प हमारे पास मौजूद नहीं हैं।
पूर्ण सचेत उपजाति, पूर्णत:
यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी लोगों तथा सभी उद्यानों को
फलने फूलने का तरीका मिल जाए। सकारात्मकता के महान क्षण भी मौजूद हैं।
यह तस्वीर मैंने तब खीची थी जब मैं बैफिन टापू के उत्तरी छोर पर
इन्यूट प्रजाति के लोगों के साथ छोटी सफेद व्हेल के शिकार के लिए गया था,
तब इस व्यक्ति, ओलाया ने मुझे अपने दादाजी की एक बहुत अच्छी कहानी सुनाई।
कनाडा की सरकार कभी भी इन्यूट लोगों के लिए दयालु नहीं रही
तथा उसने वर्ष 1950 के दशक में
अपनी प्रधानता को स्थापित करने हेतु इन लोगों को कही और बसाने पर जोर दिया।
इस बुजर्ग आदमी के दादाजी ने जाने से इन्कार कर दिया।
उस व्यक्ति का डरा हुआ परिवार अपने साथ सभी हथियार व
सभी औजारों को लेकर चला गया।
अब आपको यह समझ लेना चाहिए कि इन्यूट लोग सर्दी से नहीं घबराते हैं,
वे उसका लाभ उठाते हैं।
उनकी गाड़ी के पहियों को मूलत: मछली केरिबोऊ की
खाल में लपेट कर बनाया जाता था।
तो इस आदमी के दादाजी उत्तरी ध्रुव की रातों से डरते नहीं थे
और न ही वे वहां बह रही बर्फीली हवाओं से घबराते थे।
वे सरलता से बाहर निकलते और
सील मछली की खाल से बनी अपनी पतलून उतारकर अपने हाथ में विष्ठा कर लेते।
जैसे ही विष्ठा ठंड के कारण जमने लगती वे उसे एक ब्लेड का आकार दे देते हैं।
उन्होंने उस विष्ठा के चाकू के किनारे पर थूक छिड़की
जो अंतत: जम कर कठोर हो गई, उन्होंने उस चाकू से एक कुत्ते को काट डाला।
उन्होंने कुत्ते की खाल उतार कर अपनी गाड़ी की जीन को सुधारा,
कुत्ते की पसलियों के ढांचे का प्रयोग कर अपनी गाड़ी को बेहतर बनाया;
फिर पास खड़े एक कुत्ते को बांध कर बर्फ के ढेरों पर लुप्त हो गए,
वह विष्ठा से बना चाकू उनकी बेल्ट में लगा था।
खाली हाथ निकलने के बारे में कहिए (हंसते हैं)।
और इसी तरह, अन्य बहुत से तरीके हैं;
(शाबाशी मिलती है)
यह इन्यूट लोगों तथा संसार के
अन्य स्थानीय लोगों के लौटने का चिन्ह है।
अप्रैल 1999 में कनाडा सरकार ने
कैलीफोर्निया और टैकसास को जोड़कर बनने वाले
क्षेत्र से भी अधिक क्षेत्र इन्यूट लोगों को पूर्णत: दे दिया।
यह हमारी नई मातृभूमि है। इसे नूनावत कहते हैं।
यह एक स्वतंत्र क्षेत्र है। ये सभी खनिज संसाधनों पर नियंत्रण रखते हैं।
यह लोगों द्वारा प्रत्यर्पण पाने का राष्ट्र-प्रदेश
प्राप्त करने का एक अदभुत उदाहरण है।
और अंत में यह हम सभी के लिए
और उनके लिए जिन्होंने
इन दूर स्थित जगहों पर यात्रा की है;
उनके लिए मैं कहना चाहूंगा कि कोई भी स्थान निजर्न नहीं है।
वे किसी न किसी की मातृभूमि है।
ये सभी मानव कल्पना का प्रतिनिधित्व बहुत पहले से ही करते आ रहे हैं।
और हम सभी के लिए इन बच्चों के सपने,
जैसेकि हमारे अपने बच्चे के सपने।
आशा के नग्न भूगोल शास्त्र का एक भाग हैं।
इसलिए हम नेशनल जियोग्राफिक्स पर अंतत:,
प्रयास कर रहे, हमें यह विश्वास है कि इसे कोई राजनेता कभी भी पूरा नहीं कर पाएगा।
हम समझते हैं कि तर्क ---
(शाबाशी मिलती है)
हम सोचते हैं कि तर्क द्वारा समझाया नहीं जा सकता;
परंतु हमारा मानना है कि हम कहानी सुनकर संसार में बदलाव ला सकते हैं;
और इसलिए शायद हम विश्व का सर्वश्रेष्ठ कथा वाचक संस्थान हैं।
प्रतिमाह हमारी वेबसाईट 35 लाख बार खोली जाती है।
156 देश हमारा टेलीविजन चैनल दिखाते हैं।
हमारी पत्रिकाएं करोड़ों लोगों द्वारा पढ़ी जाती हैं।
हम यात्राओं की एक श्रृंखला तैयार कर रहे हैं
जिसमें हम अपने दर्शकों को अदभुत संस्कृति वाले स्थानों पर ले जाएंगे;
चाहे वे वहां किसी प्रकार की सहायता न दे पाए
परंतु वे जो कुछ भी देखें उससे चकित हो वापिस लौटें,
और आशा करते हैं वे मानव शास्त्र पर डाले गए प्रकाश
की एक के बाद एक सराहना करें
कि यह संसार विविधतापूर्ण होने की क्षमता रखता है।
हम सही तौर पर बहु-सांस्कृतिक बहुवादी
संसार में रहने का
तरीका ढूंढ़ सकते हैं
जहां पर सभी लोगों की बुद्धि हम
सभी की भलाई में अपना योगदान दे सकती हैं।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
शाबाशी दी गई।