सबको हेलो ! लैंगफोकस चैनल में आपका स्वागत है और मेरा नाम है पॉल। आजका विषय है : भाषा की मृत्यु आम तौर पे इस चैनल में जब भाषा के बारे में बात करता हूँ वह अकसर जीवित भाषा होती है | ऐसी भाषा जिसे आज भी इसके मूल वक्ताओं द्वारा बोली जाती है, और इसका वृद्धि और विकास जारी है | लेकिन मृत और विलुप्त भाषाए भी होते है | भाषाओ को मृत तब मन जाता है, जब इसके मूल वक्ता बचे नहीं है भले ही इनका प्रयोग किसी तरह जारी है। उदहारण के लिए 'लैटिन' एक मृत भाषा है लेकिन इसका प्रयोग धार्मिक कार्यक्रम और वैटिकन में कुछ प्रशासनिक कार्यों में जारी है | कुछ लोग बोल सकते है, लेकिन इसके मूल वक्ताओं जैसे स्वाभाविक तरीके से नहीं और इसे मूल भाषा के रूप में पारित नहीं किया जाता एक और उदहारण है हिब्रू जो कि एक मृत भाषा थी, आधुनिक हिब्रू के रूप में पुनरुज्जीवन के पहले | काफी समय तक इसे मूल भाषा के रूप में नहीं बोली जाती थी, लेकिन इसका प्रयोग धार्मिक कार्यो में प्रयोग जारी रहा और लिखित साहित्यिक भाषा के रूप में | इसके विपरीत भाषा को विलुप्त तब मन जाता है जब कोई भी जीवित व्यक्ति इसे बोल नहीं सकता| उदहारण के लिए अगर मूल अमरीकी भाषा के अंतिम वक्ता के मृत्यु हो जाए और कोई भी इसे दूसरी भाषा के रूप में नहीं सीखा है फिर वह भाषा विलुप्त हो जाता है | उसी तरह, सुमेरियन जैसे प्राचीन भाषा विलुप्त हो चुकी है कुछ लोग शायद उस भाषा में प्राचीन पाठ पढ़ सकते है लेकिन आज कल इसका उपयोग कोई नहीं करता भाषा समाप्त या फिर विलुप्त हो सकता है भाषा के मृत्यु के कारण | भाषा के मृत्यु के प्रकार भाषा का अंत हमेशा एक ही तरीके से नही होता भाषा के मृत्यु के विभिन्न प्रकार है भाषा के मिठ जाने का सबसे सामान्य तरीका है क्रमिक तरीके से भाषा का अंत ये आम तौर पर तब होता है जब एक भाषा के वक्ता, उच्च प्रतिष्ठा की भाषा के संपर्क में आते है जो कि प्रमुख और ज़्यादा प्रभावशाली लोगो की भाषा है यह समुदाय काफी समय तक द्विभाषीय रहते है, लेकिन हर पीढ़ी के साथ कम युवा परंपरागत भाषा बोलते है और कम स्तर के भाषाई कुशलता के साथ क्यूंकि वो प्रतिष्ठित भाषा का उपयोग चुनते है फिर एक दिन उनका समुदाय अपने पारम्परिक भाषा की बोली बंद हो जाती है इसका एक उदहारण है कोर्निश जो 19 वीं सदी के आखिरी भाग में कम हो गया अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव के कारण और कोर्निश को प्रत्यक्ष में कम हैसियत भाषा होने के समज से जो इसके वक्ताओं के बीच में भी था लेकिन कोर्निश दरअसल लुप्त नहीं हुआ है क्यूंकि इसके पुनरोद्धार का प्रयास जारी है लोगो को प्रोत्साहित करने में, ताकि भाषा का उपयोग जारी रखे अगला : नीचे-से-ऊपर भाषा मृत्यु नीचे-से-ऊपर भाषा मृत्यु में भाषा को मूल भाषा के तौर पे प्रयोग ख़तम हो जाता है लेकिन कुछ संदर्भों में इसका प्रयोग जारी रहता है सामान्य तौर पर औपचारिक धार्मिक सन्दर्भ या समारोहिक सन्दर्भ में या फिर शायद साहित्यिक उद्देस्य के लिए क्रमिक भाषा मृत्यु में भाषा सामान्य रूप में पहले औपचारिक सन्दर्भ से गायब होता है क्यूंकि उसे प्रतिष्ठित भाषा से बदला जाता है पर उसे सामान्य संदर्भो में बोलना काफी समय तक जारी रहता है दूसरी तरफ नीचे-से-ऊपर भाषा मृत्यु में भाषा निचले स्तर पर ही मर जाता है अर्थात सामान्य संदर्भो में लेकिन औपचारिक सन्दर्भ में उपयोग जारी रहता है इसका एक उदहारण है लैटिन जिसे अभी धार्मिक कार्यो के बहार प्रयोग नहीं किया जाता, या फिर औपचारिक सन्दर्भ, या शायद साहित्यिक सन्दर्भ में अगला : आकस्मिक भाषा मृत्यु आकस्मिक भाषा मृत्यु तब होता है जब सभी या फिर भाषा के ज़्यादातर वक्ता अचानक से मरते है किसी दुर्घटना या हिंसा के कारण इसका एक उदहारण है सन 1830, तस्मानिया में जब द्वीप के लगभग सभी मूल निवासियाँ 'ब्लैक वॉर' के समय यूरोपियन उपनिवेशवादी द्वारा पूर्णतय नष्ट किया गया अगला : मौलिक भाषा मृत्यु यह आकस्मिक भाषा मृत्यु के समान है मौलिक भाषा मृत्यु आम तौर पर काफी तेज़ी से होता है और सामान्य रूप में राजनीतिक दमन का परिणाम है या फिर हिंसा का अंतर सिर्फ इतना है कि भाषा के वक्तो का पूर्णतय विनाश नहीं होता लेकिन अचानक से लोग भाषा का उपयोग बंद कर देते है ताकि वे उत्पीड़न से बच सके इसका एक उदहारण हुआ था एल सल्वाडोर में जहाँ सन 1930 के विद्रोह में जब आदिवासी जनजाति अचानक से अपने देशी भाषा का प्रयोग बंद कर दिया ताकि उनके आदिवासी होने का पता न चले और मारा न जाए