WEBVTT 00:00:06.716 --> 00:00:10.277 दुनिया के सबसे ठन्डे पदार्थ, अंटार्कटिका मे नही हैं | 00:00:10.277 --> 00:00:12.401 वो माउंट ऐवरेस्ट के शिखर पर भी नही हैं 00:00:12.401 --> 00:00:14.156 और ना ही किसी हिमनदी मे दफ़्न | 00:00:14.156 --> 00:00:15.897 वो भौतिकी की प्रयोगशालाओं मे हैं : 00:00:15.897 --> 00:00:19.382 परम शुन्य तापमान से एक डिग्री के कुछ अंश ज्यादा; तापमान पर रखे गए 00:00:19.382 --> 00:00:20.382 गैसों के बादल | 00:00:20.382 --> 00:00:25.367 जो है आपके रेफ़्रिजेरेटर के तापमान से 3950000000 गुना कम, 00:00:25.367 --> 00:00:28.073 तरल नाइट्रोजन से 100,000,000 गुना ज्यादा ठंडा, 00:00:28.073 --> 00:00:30.510 तथा बाह्य अंतरिक्ष से 4,000,000 गुना ज्यादा ठंडा | 00:00:30.510 --> 00:00:34.081 इतने कम तापमान वैज्ञानिको को पदार्थों के भीतर की कार्यप्रणालियों का अवलोकन 00:00:34.081 --> 00:00:35.891 करने के लिए एक खिड़की प्रदान करते हैं, 00:00:35.891 --> 00:00:39.657 और अभियाँत्रिकों को आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील उपकरण बनाने की क्षमता देता है 00:00:39.657 --> 00:00:41.492 जो हमे सभी के बारे मे अधिक बताते हैं 00:00:41.492 --> 00:00:43.130 धरती पर हमारी सटीक स्थिति से लेकर 00:00:43.130 --> 00:00:46.135 ब्रह्माण्ड के सुदूर फैलाव में चल रही हलचल तक | NOTE Paragraph 00:00:46.135 --> 00:00:48.928 हम इतने चरम तापमान उत्पन्न कैसे करते हैं ? 00:00:48.928 --> 00:00:51.289 संक्षेप मे , गति करते हुए अणुओं को धीमा करके | 00:00:51.289 --> 00:00:53.231 जब हम तापमान के बारे मे चर्चा करते है 00:00:53.231 --> 00:00:55.951 तब हम वास्तव मे गति के बारे मे चर्चा कर रहे होते हैं | 00:00:55.951 --> 00:00:57.716 अणु जिनसे बने होते हैं ठोस , 00:00:57.716 --> 00:00:58.458 तरल 00:00:58.458 --> 00:00:59.338 और गैसें 00:00:59.338 --> 00:01:00.869 हरसमय गति कर रहे होते हैं 00:01:00.869 --> 00:01:03.866 जब अणु ज्यादा तेज़ी से गति कर रहे होते हैं, 00:01:03.866 --> 00:01:05.616 तब हमे पदार्थ गर्म अनुभव होते हैं 00:01:05.616 --> 00:01:07.737 जब वह धीरे गति कर रहे होते हैं, 00:01:07.737 --> 00:01:09.147 तब हमें ठन्डे अनुभव होते हैं NOTE Paragraph 00:01:09.147 --> 00:01:12.563 दैनिक जीवन मे किसी गर्म वस्तु या गैस को ठंडा करने के लिए 00:01:12.563 --> 00:01:15.960 हम उसे ज्यादा ठन्डे वातावरण मे रखते हैं जैसे, रेफ्रीजिरेटर 00:01:15.960 --> 00:01:20.498 गर्म वस्तुओ की कुछ आणविक गति आसपास के वातावरण मे स्थानांतरित हो जाती है 00:01:20.498 --> 00:01:22.251 और वो ठंडा हो जाता है 00:01:22.251 --> 00:01:23.788 पर इसकी भी एक सीमा है : 00:01:23.788 --> 00:01:27.865 यहां तक कि बाह्य अंतरिक्ष भी गर्म है अत्यंत कम तापमान उत्पन्न करने के लिए | 00:01:27.865 --> 00:01:30.533 तो इसके स्थान पर वैज्ञानिको ने एक रास्ता खोजा - 00:01:30.533 --> 00:01:32.823 अणुओं की गति को प्रत्यक्ष रूप से कम करना – 00:01:32.823 --> 00:01:34.204 एक लेज़र किरण से NOTE Paragraph 00:01:34.204 --> 00:01:35.751 अधिकांश परिस्थितियों मे, 00:01:35.751 --> 00:01:38.464 लेज़र किरण की शक्ति से वस्तुऐं गर्म होती हैं 00:01:38.464 --> 00:01:40.533 पर एक विधिपूर्वक ढंग से प्रयोग करने पर, 00:01:40.533 --> 00:01:44.813 किरण का आवेग गति करते हुए अणुओं को रोक सकता है, ठंडा कर सकता है 00:01:44.813 --> 00:01:49.403 मैग्नेटो - ऑप्टिकल ट्रैप नामक यन्त्र मे यही होता है 00:01:49.403 --> 00:01:51.954 अणुओं को एक निर्वात कक्ष मे डाला जाता है 00:01:51.954 --> 00:01:55.415 और एक चुम्बकीय क्षेत्र उन्हें केंद्र की और लाता है 00:01:55.415 --> 00:01:58.090 एक कक्ष के केंद्र की ओर लक्षित की हुई लेज़र किरण को 00:01:58.090 --> 00:02:00.623 मात्र सही आवृत्ति पर समायोजित किया जाता है 00:02:00.623 --> 00:02:03.900 फिर उसकी ओर बढ़ता एक अणु, 00:02:03.900 --> 00:02:06.170 लेज़र किरण के फोटोन को सोख कर धीमा हो जाता है 00:02:06.170 --> 00:02:09.089 यह धीमा होने का प्रभाव आवेग के स्थानांतरण के बाद आता है 00:02:09.089 --> 00:02:11.108 अणु और फोटोन के बीच 00:02:11.108 --> 00:02:14.208 कुल ६ किरणे लंबरूप व्यवस्था मे 00:02:14.208 --> 00:02:18.375 सुनिश्चित करता है कि सभी दिशाओ मे जाते हुए अणु अवरोधित हो 00:02:18.375 --> 00:02:21.018 केंद्र पर जहां किरणे मिलती हैं 00:02:21.018 --> 00:02:24.840 अणु धीरे- धीरे गति करते हैं जैसे कि किसी गाढ़े तरल में फंसे हों 00:02:24.840 --> 00:02:29.924 एक प्रभाव जिसे उसके खोजी अनुसंधान कर्ताओ ने नाम दिया "ऑप्टिकल मोलासेस " | 00:02:29.924 --> 00:02:32.315 इस तरह के एक मैग्नेटो - ऑप्टिकल जाल मे 00:02:32.315 --> 00:02:35.405 अणुओं को महज कुछ मिक्रोकेलविन्स तक, ठंडा किया जा सकता है 00:02:35.405 --> 00:02:38.785 लगभग -२७३ केल्विन तक NOTE Paragraph 00:02:38.785 --> 00:02:41.609 यह तकनीक १९८० के दशक मे विकसित की गयी थी, 00:02:41.609 --> 00:02:43.913 और जिन वैज्ञानिको ने इसमें योगदान दिया था 00:02:43.913 --> 00:02:47.931 उन्होंने १९९७ का भौतिकी का नोबल पुरुस्कार जीता 00:02:47.931 --> 00:02:52.751 तब से, लेज़र कूलिंग को और भी कम तापमान तक पहुंचने के लिए उन्नत किया गया है NOTE Paragraph 00:02:52.751 --> 00:02:55.990 पर आप अणुओं को इतना ठंडा क्यों करना चाहेंगे ? 00:02:55.990 --> 00:02:59.786 सर्वप्रथम , ठन्डे अणु बहुत अच्छे अनुवेदक बनते हैं | 00:02:59.786 --> 00:03:01.530 बहुत कम ऊर्जा के साथ, 00:03:01.530 --> 00:03:05.411 वे वातावरण मे हो रहे बदलावों के प्रति आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील होते हैं 00:03:05.411 --> 00:03:09.562 इसलिए ये भूमिगत तेल और खनिज भण्डारो को खोजने के लिए प्रयुक्त होते हैं, 00:03:09.562 --> 00:03:11.543 तथा बेहद सटीक आणविक घड़ियाँ बनाने मे, 00:03:11.543 --> 00:03:15.093 जैसे कि वो जो प्रयोग की जाती हैं ग्लोबल पोजिशनिंग सैटेलाइट्स पर NOTE Paragraph 00:03:15.093 --> 00:03:18.152 दूसरा , ठन्डे अणु वृहद् सामर्थ्य रखते हैं 00:03:18.152 --> 00:03:20.243 भौतिकी की सीमाओं तक जाने मे 00:03:20.243 --> 00:03:22.662 इनकी उच्च संवेदनशीलता इन्हे अभयर्थी बनाते हैं 00:03:22.662 --> 00:03:25.480 गुरुत्वाकर्षणीय तरंगो का पता लगाने, 00:03:25.480 --> 00:03:28.020 भविष्य के अंतरिक्ष पर आधारित अनुवेदक के निर्माण मे 00:03:28.020 --> 00:03:31.624 इन्हे आणविक और उपपरमाण्वीय घटनाओ का अधययन करने मे 00:03:31.624 --> 00:03:35.894 जिन्हे अणु मे होने वाले बहुत ही बारीक ऊर्जा के उतार - चढ़ावों का 00:03:35.894 --> 00:03:38.046 सामान्य तापमानों पर ये डूब जाते हैं 00:03:38.046 --> 00:03:41.090 जहां पर अणुओ की गतियां कई मीटर्स प्रति सेकंड होती हैं 00:03:41.090 --> 00:03:42.525 लेज़र कूलिंग अणुओं को 00:03:42.525 --> 00:03:45.265 कुछ सेन्टीमीटर्स प्रति सेकंड तक धीमा कर देता है — 00:03:45.265 --> 00:03:49.122 एटॉमिक क्वांटम के द्वारा पैदा हुए गति को और प्रभावों को प्रत्यक्ष करने के लिए 00:03:49.122 --> 00:03:53.599 अतयंत ठन्डे अणुओं ने वैज्ञानिको को बोस - आइंस्टीन कॉन्डेंसेट 00:03:53.599 --> 00:03:56.150 जिसमे अणुओं को लगभग परमशुन्य तक ठंडा किया जाता है 00:03:56.150 --> 00:03:59.631 और वे पदार्थ की एक नयी अवस्था बन जाते हैं 00:03:59.631 --> 00:04:02.200 जैसी वस्तुओं का अध्ययन करने का अवसर दिया NOTE Paragraph 00:04:02.200 --> 00:04:05.791 अनुसन्धानकर्ताओ ने अपनी, भौतिकी के नियमो की खोज जारी रखी है 00:04:05.791 --> 00:04:07.925 और ब्रह्माण्ड के रहस्यों से पर्दा उठा रहे हैं 00:04:07.925 --> 00:04:12.161 और ऐसा वे करेंगे उसमे उपस्थित सबसे ठन्डे अणुओ से