दुनिया के सबसे ठन्डे पदार्थ, अंटार्कटिका मे नही हैं | वो माउंट ऐवरेस्ट के शिखर पर भी नही हैं और ना ही किसी हिमनदी मे दफ़्न | वो भौतिकी की प्रयोगशालाओं मे हैं : परम शुन्य तापमान से एक डिग्री के कुछ अंश ज्यादा; तापमान पर रखे गए गैसों के बादल | जो है आपके रेफ़्रिजेरेटर के तापमान से 3950000000 गुना कम, तरल नाइट्रोजन से 100,000,000 गुना ज्यादा ठंडा, तथा बाह्य अंतरिक्ष से 4,000,000 गुना ज्यादा ठंडा | इतने कम तापमान वैज्ञानिको को पदार्थों के भीतर की कार्यप्रणालियों का अवलोकन करने के लिए एक खिड़की प्रदान करते हैं, और अभियाँत्रिकों को आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील उपकरण बनाने की क्षमता देता है जो हमे सभी के बारे मे अधिक बताते हैं धरती पर हमारी सटीक स्थिति से लेकर ब्रह्माण्ड के सुदूर फैलाव में चल रही हलचल तक | हम इतने चरम तापमान उत्पन्न कैसे करते हैं ? संक्षेप मे , गति करते हुए अणुओं को धीमा करके | जब हम तापमान के बारे मे चर्चा करते है तब हम वास्तव मे गति के बारे मे चर्चा कर रहे होते हैं | अणु जिनसे बने होते हैं ठोस , तरल और गैसें हरसमय गति कर रहे होते हैं जब अणु ज्यादा तेज़ी से गति कर रहे होते हैं, तब हमे पदार्थ गर्म अनुभव होते हैं जब वह धीरे गति कर रहे होते हैं, तब हमें ठन्डे अनुभव होते हैं दैनिक जीवन मे किसी गर्म वस्तु या गैस को ठंडा करने के लिए हम उसे ज्यादा ठन्डे वातावरण मे रखते हैं जैसे, रेफ्रीजिरेटर गर्म वस्तुओ की कुछ आणविक गति आसपास के वातावरण मे स्थानांतरित हो जाती है और वो ठंडा हो जाता है पर इसकी भी एक सीमा है : यहां तक कि बाह्य अंतरिक्ष भी गर्म है अत्यंत कम तापमान उत्पन्न करने के लिए | तो इसके स्थान पर वैज्ञानिको ने एक रास्ता खोजा - अणुओं की गति को प्रत्यक्ष रूप से कम करना – एक लेज़र किरण से अधिकांश परिस्थितियों मे, लेज़र किरण की शक्ति से वस्तुऐं गर्म होती हैं पर एक विधिपूर्वक ढंग से प्रयोग करने पर, किरण का आवेग गति करते हुए अणुओं को रोक सकता है, ठंडा कर सकता है मैग्नेटो - ऑप्टिकल ट्रैप नामक यन्त्र मे यही होता है अणुओं को एक निर्वात कक्ष मे डाला जाता है और एक चुम्बकीय क्षेत्र उन्हें केंद्र की और लाता है एक कक्ष के केंद्र की ओर लक्षित की हुई लेज़र किरण को मात्र सही आवृत्ति पर समायोजित किया जाता है फिर उसकी ओर बढ़ता एक अणु, लेज़र किरण के फोटोन को सोख कर धीमा हो जाता है यह धीमा होने का प्रभाव आवेग के स्थानांतरण के बाद आता है अणु और फोटोन के बीच कुल ६ किरणे लंबरूप व्यवस्था मे सुनिश्चित करता है कि सभी दिशाओ मे जाते हुए अणु अवरोधित हो केंद्र पर जहां किरणे मिलती हैं अणु धीरे- धीरे गति करते हैं जैसे कि किसी गाढ़े तरल में फंसे हों एक प्रभाव जिसे उसके खोजी अनुसंधान कर्ताओ ने नाम दिया "ऑप्टिकल मोलासेस " | इस तरह के एक मैग्नेटो - ऑप्टिकल जाल मे अणुओं को महज कुछ मिक्रोकेलविन्स तक, ठंडा किया जा सकता है लगभग -२७३ केल्विन तक यह तकनीक १९८० के दशक मे विकसित की गयी थी, और जिन वैज्ञानिको ने इसमें योगदान दिया था उन्होंने १९९७ का भौतिकी का नोबल पुरुस्कार जीता तब से, लेज़र कूलिंग को और भी कम तापमान तक पहुंचने के लिए उन्नत किया गया है पर आप अणुओं को इतना ठंडा क्यों करना चाहेंगे ? सर्वप्रथम , ठन्डे अणु बहुत अच्छे अनुवेदक बनते हैं | बहुत कम ऊर्जा के साथ, वे वातावरण मे हो रहे बदलावों के प्रति आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील होते हैं इसलिए ये भूमिगत तेल और खनिज भण्डारो को खोजने के लिए प्रयुक्त होते हैं, तथा बेहद सटीक आणविक घड़ियाँ बनाने मे, जैसे कि वो जो प्रयोग की जाती हैं ग्लोबल पोजिशनिंग सैटेलाइट्स पर दूसरा , ठन्डे अणु वृहद् सामर्थ्य रखते हैं भौतिकी की सीमाओं तक जाने मे इनकी उच्च संवेदनशीलता इन्हे अभयर्थी बनाते हैं गुरुत्वाकर्षणीय तरंगो का पता लगाने, भविष्य के अंतरिक्ष पर आधारित अनुवेदक के निर्माण मे इन्हे आणविक और उपपरमाण्वीय घटनाओ का अधययन करने मे जिन्हे अणु मे होने वाले बहुत ही बारीक ऊर्जा के उतार - चढ़ावों का सामान्य तापमानों पर ये डूब जाते हैं जहां पर अणुओ की गतियां कई मीटर्स प्रति सेकंड होती हैं लेज़र कूलिंग अणुओं को कुछ सेन्टीमीटर्स प्रति सेकंड तक धीमा कर देता है — एटॉमिक क्वांटम के द्वारा पैदा हुए गति को और प्रभावों को प्रत्यक्ष करने के लिए अतयंत ठन्डे अणुओं ने वैज्ञानिको को बोस - आइंस्टीन कॉन्डेंसेट जिसमे अणुओं को लगभग परमशुन्य तक ठंडा किया जाता है और वे पदार्थ की एक नयी अवस्था बन जाते हैं जैसी वस्तुओं का अध्ययन करने का अवसर दिया अनुसन्धानकर्ताओ ने अपनी, भौतिकी के नियमो की खोज जारी रखी है और ब्रह्माण्ड के रहस्यों से पर्दा उठा रहे हैं और ऐसा वे करेंगे उसमे उपस्थित सबसे ठन्डे अणुओ से