[ब्रायन जेनिस्निक] मैं तैयार हूं.
[कैमरामैन ] आप तैयार हो ?
मेरा मतलब आप चाहें ,जो भी.
मैं सूनी कॉलेज में पढ़ा रहा था.
न्यूयार्क शहर के ठीक बाहर.
और एक विद्यार्थी जो कभी नहीं आता था.
कोई बड़ी बात नहीं.
वह मेरी दोपहर की कक्षा में आया,
और बोला, "मैं सिर्फ इस फॉर्म पर
आपसे हस्ताक्षर चाहता हूँ."
"मुझे कक्षा छोड़ने की अनुमति के लिए"
मैंने कहा, "तुम पूरे सत्र यहां नहीं आए,"
"मैं अंतिम दिन तुम्हें निकाल नहीं सकता"
"तुम मेरी कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गये हो"
वह बोला "फॉर्म पर हस्ताक्षर करो."
मैंने कहा "यह तुम्हारी कक्षा भी नहीं है."
"मैं पढ़ा रहा हूँ"
"वहां बीस विद्यार्थी यह देख रहे थे."
तब वह मेरे मुंह के और पास आ गया.
तो किसी क्षण मुझे उठना पड़ा
उसने अपने सीने से मुझे मारा,
और मुझे दीवार पर पटक दिया. और बोला,
"इस कमबख्त फॉर्म पर हस्ताक्षर करो."
तो उसने ऐसा किया और
मेरी मेज का सारा सामान गिरा दिया.
और बोला, "तुम वास्तविक अध्यापक नहीं हो."
"तुम एक कला अध्यापक हो."
"तुम सब खिझाते हो"
"कला खिझाती है."
मैंने उसे अनुत्तीर्ण कर दिया.
मैंने विद्यार्थी को अनुत्तीर्ण कर दिया.
मैं सोचता हूं यह शायद यह कोई कल्पना थी.
न्यूयॉर्क में कलाकार होना.
कुछ हद तक मैं महसूस करता हूं कि
मैं उस कल्पना को जी रहा हूं.
मैं प्रतिदिन कार्य करता हूं.
अद्भुत लोगों ,अद्भुत संस्थानों के साथ
काम करता हूं.
पर दूसरी ओर अभ्यास होने और
न्यूयॉर्क में होने की वास्तविकता
सदैव लोगों की अपेक्षा को पूरा नहीं करती.
यह वास्तव में कलाकार पर निर्भर करता है
कि वह काम करे और उस काम का खर्च भी उठाये.
आप कलाकार बनने के लिए सब कुछ दे डालते हो
और आप आर्थिक रूप से निश्चिंत हो जाते हो.
मैं ऐसी परियोजनाएं करता हूं जहां
मैं हजारों चीजें एकत्रित करता हूं.
मैं उन्हें व्यवस्थित करता हूं और
उनकी तस्वीरें लेता हूं,
उन्हे सरकाता हूं,
अधिष्ठापन बनाता हूं.
मुझे जीववाद का यह विचार पसंद है कि
एक निर्जीव वस्तु में
एक आत्मा या व्यक्तित्व है.
मैं सोचता हूं कि मैं इन वस्तुओं को
प्राप्त करने में रहस्य और
साहसिक कारनामे की ओर
सचमुच आकर्षित हो गया था.
कला जगत में यह बहुत आसान है कि आपको
लगता है कि आपसे काम हो गया और
वास्तव में आपने काम किया ही नहीं
मेरा मतलब आपको संस्थान से
बहुत सहयोग मिलता है,
पर उससे बहुत कम आर्थिक लाभ होता है.
मुझे याद है मेरा एक प्रदर्शन था,
एक वीथिका के साथ,
और मैंने विशाल अधिष्ठापन बनाया,
मैंने मूर्तियां बनाना प्रारंभ किया,
ऊँचे स्तंभ, जिनमें वस्तुएं जड़ी गयी थी.
यदि मैं उनको बेचता तो मैं बस उन्हें
एक ओर कर देता,
और जिसे भी चाहिए उसे भेज देता.
मुझे धनादेश दो और तुम ये
स्तंभ ले जा सकते हो.
मैंने उन्हें बनाना प्रारंभ किया.
संविरचना दल मुझसे आकर मिला
और बोला, "हमें एक समस्या है."
मैंने पूछा, "क्या?"
वे बोले, "हमें डर है कि आपका स्तंभ
गिर जावेगा और किसी को मार डालेगा."
तो मैंने पूछा, "ठीक है, इसका क्या हल है?"
वे बोले, "हमें स्तंभ का निचला हिस्सा
कंक्रीट की जमीन से पेंच से जोड़ना होगा."
मैंने पूछा, "काम होने पर
हम उन पेंचों को निकालेंगे कैसे?"
वे बोले, "हम बस उसे नष्ट कर देंगे."
तो मैंने कहा,"
ओह! मेरे स्तंभ जिन्हें मैं,
बेच सकता हूं, वे तो गये काम से!"
मुझे उनको नष्ट करना पड़ेगा.
मैं वाकई जो बना रहा था उससे
एक कदम पीछे हटना चाहता था.
ताकि वास्तव में एक नयी दिशा खोज सकूं.
मुझे एक अवकाश चाहिए था.
मुझे याद है जब मैंने लोगों से कहा
"मैं स्वीडन जा रहा हूं."
वे बोले, "तुम्हारी तो निकल पड़ी"
स्वीडन सपनों की भूमि है,
जहां कोई आर्थिक चिंताएं नहीं हैं.
आपको स्वास्थ्य सेवाओं की
फिक्र करने की आवश्यकता नहीं है
आप यहां पहुंचते हो.
तब आप यहां तीस प्रदर्शनियां लगा सकते हो.
जिस समस्या का मुझे सामना करना पड़ा,
वह यह थी कि मैं स्वीडिश भाषा नहीं बोलता.
तो जब मैं कहता, "मैं एक कलाकार हूं."
"मुझे अपना मुफ्त का पैसा दे दो."
वे कहते,
"ठीक है ये तीस फॉर्म हैं स्वीडिश में,
किस्मत तुम्हारा साथ दे!"
मैं स्वीडन के इस पहलू से
सचमुच आकर्षित हुआ.
जहां किसी का व्यवसाय उसकी पहचान से इतना
कस के बंधा नहीं होता.
तो मैंने बहुत सारी क्रियाओं में भाग लिया
जो आम तौर पर स्वीडिश थीं.
जाहिर है लंबी पदयात्रा एक बड़ी बात है
पर खासतौर से छत्रक ढूंढना,
और छत्रक की पहचान करना सीखना.
मुझे याद है एक बार राष्ट्रीय उद्यान से
नगर की ओर बस में लौटते हुए,
बस में चालीस लोग थे.
और सभी अपने छत्रक की तुलना कर रहे थे
जो उन्हें उस दिन मिला.
न्यूयॉर्क में हर कोई सीधी बात करता है
आप बाहर जाते हो, किसी से मिलते हो.
वे पूछते हैं, "आप क्या करते हो?"
और तब सवाल आते हैं,
बिना उन्हें सीधे पूछे,
"आप जो करते हैं उसमें कितने कामयाब हैं?"
मानों, "क्या आप मेरे जानने लायक हो?"
पर स्वीडन में आप बाहर जाते हो
और लोग पूछते हैं,
"आपकी पसंदीदा पेस्ट्री कौनसी है?"
वह मुझे स्वाभाविक लगता है.
पर हमारी संस्कृति में आज
यदि आप हर सप्ताह इंस्टाग्राम पर,
पोस्ट नहीं कर रहे हो कि
आप क्या कर रहे हो, कहां जा रहे हो
आप स्टूडियो में क्या कर रहे हो, तो
लोग, विशेष रूप से, न्यूयॉर्क में कहते हैं
"अरे वह अब कलाकार नहीं रहा"
पर मैं मानता हूं कि इसको संभालने का,
सबसे अच्छा तरीका है अपने भीतर झांकना.
क्या हम अपने जीवन को जितना होना चाहिए
उससे अधिक कष्टमय बना रहे हैं?
मुझे लगता है कि यहां पर प्रश्न
यह है कि यदि कुछ बहुत सरलता से मिल जाए
या बहुत आनंददायी हो
तो क्या यह एक काम की सफलता है?
मैंने एक नया काम प्रारंभ किया है.
मैं एक चित्रकार प्रकिया का
उपयोग कर रहा हूं.
मैं सचमुच अपने काम में आनंद
और मुझे क्या प्रसन्न करता है
के बारे में सोच रहा हूं.
इसमें एक स्थिरता है.
मैं एक प्रकार से एक स्थान पर बैठा हुआ हूं
और अपने हाथ से एक क्रिया को दोहरा रहा हूं.
मुझे लगता है कि मैं इसे जितना
एक शारीरिक स्थिरता बता रहा हूं,
वहां एक तनावमुक्त
मानसिक स्थिरता भी हो सकती है.
यह नया काम जो मैं कर रहा हूं,
हो सकता है लोग इसे पसंद न करें.
हो सकता है लोग कहें
"अरे ब्रायन अब पहले जैसा
तनावग्रस्त नहीं रहा."
"वह स्वयं को यातना नहीं दे रहा."
"वह पूरे देश में पांच हजार
सबवे टाईल्स नहीं घसीट रहा है."
हो सकता है कि उम्र के साथ मुझमें
थोड़ा अधिक भरोसा आ गया है.
कुछ बनाने का, जो बनाना मुझे सचमुच पसंद है
और तब हो सकता है उसे मिलने वाली
प्रतिक्रिया से मैं अधिक चिंतित न होऊं.
मैं सोचता हूं कि मैं एक ऐसे बिंदू पर
पहुंच गया हूं , जहां
यदि मेरे पास अवसर न भी हों
तब भी मैं उस कला की रचना करूंगा
और मैं वन में रहने वाले
सिरफिरे व्यक्ति सा बन जाऊंगा.
मैं लोगों को अपनी मिल्कियत से
हटने को कहूंगा.
और वे कहेंगे, "ओह वह एक कलाकार था."
उसने एक बार आर्ट21 किया था.
अब वह उस झोपड़ी में रहने वाला एक साधु है.
मैं इस अनुभव से बारंबार
गुजरना चाहूंगा, जहां मैं किसी से मिलूं
और वे कहें, "मध्यग्रीष्म आ रहा है."
"प्यारा स्वीडिश अवकाश!"
मैं कहूंगा, "ओह! मुझे पता है."
वे कहेंगे, "पागलों की पार्टी!"
हम वन में जाते हैं.
नग्न होकर चारों ओर दौड़ते हैं.
मद्यपान और नृत्य करते हैं.
लोग हाथी का भेस धरकर नृत्य करते हैं.
मैंने कहा, "वॉव."
वह कहता है, "मेरे यहां ऐसा एक समारोह है
इस सप्ताहांत."
मैं कहता हूं, "मैं भी खाली हूं."
"मैं जाना चाहता हूं."
आपको ऐसा समारोह ढूंढना होगा
जहां से न्यौता मिले,
यदि आपको बुलाते हैं, तो आपका दिन शुभ हो!