मैं 1968 की गर्मियों मे किंग्स्टन,
जमाइका से अमेरिका आई
मेरा छह लोगों का परिवार सिकुड़ा था,
छोटे से दो कमरों के घर में
जो कि एक तीन मंजिला इमारत का
हिस्सा था ब्रुकलिन मे।
वहाँ काफी बच्चे थे
कुछ स्पेनिश बोलते तो कुछ अंग्रेज़ी ।
शुरुआत में मुझे उनके साथ
खेलने की इजाज़त नही थी
क्योंकि मेरे माता-पिता
कहते थे की 'वो जंगली हैं'
(हंसी)
तो मैं केवल उन्हें अपनी खिड़की से देखती थी।
'रोलर स्केटिंग' उनका पसंदीदा खेल था।
जैसे ही शहर की बस घर के नीचे आकर
बिल्डिंग के सामने खड़ी होती ,
उन्हें उसके पीछे लटककर घूमना अच्छा लगता
जिस कारण बस का पिछला बम्पर बिगड़ जाता था।
एक दिन उनके साथ एक नई लड़की दिखी।
मैंने रोज की तरह उनकी चिल्लाहट
भरी हंसी सुनी जिसमे था 'मीरा, मीरा'
'मीरा, मीरा'
जो कि स्पेनिश में 'देखो देखो' होता है ।
उनका समूह पहली मंजिल से ही बस पर कूदने लगा
सभी कूदते कूदते हंस रहे थे
और चिल्ला रहे थे 'मीरा, मीरा, मीरा, मीरा'
और तभी बस अचानक से रुकी।
रोज़मर्रा वाले बच्चों ने खुद को संभाल लिया
पर उस नई लड़की को झटका लगा
और वह सड़क पर गिर पड़ी।
वह हिली नही।
बस से कुछ लोग उसकी मदद के लिए उतरे
और बस चालक भी बाहर आया।
एम्बुलेंस को बुलाया गया।
उसके सर से खून बह रहा था।
उसने अपनी आंखें नही खोली।
हमने एम्बुलेंस का इंतजार किया
और इंतेज़ार किया
सभी ने पूछा " एम्बुलेंस कहाँ है? "
"एम्बुलेंस कहाँ है?"
आखिरकार पुलिस आई।
एक बूढ़ा सांवला अमेरिकन बोला
" क्या एम्बुलेंस नही आ रही?"
उसने दोबारा चिल्ला कर पुलिस से कहा
"तुम जानते हो कोई एम्बुलेंस नही आ रही"
"यहां कभी कोई एम्बुलेंस नही भेजता।"
पुलिस ने मेरे पड़ोसियों की ओर
देखा जोकि खिजियाये हुए थे
लड़की को गाड़ी में बैठाया
और चले गए।
मैं उस समय दस साल की थी
मुझे मालूम था कि यह सही नही है।
मुझे मालूम था कि हम इससे
कही ज्यादा कर सकते थे।
मैं कुछ कर सकती थी तो वह था डॉक्टर बनना।
मैं एक जनरल फिजिशियन बनी
और अपना जीवन उन
लोगों की सेवा में लगाया
जिन्हें हम नालायक कमजोर समझते हैं
जैसे कि मेरे पहले पड़ोसी जब मैं अमेरिका आई।
80 के दशक में मेरे प्रशिक्षण
के शुरुआती दिनों में
मैंने युवा पुरुषों में HIV की
आश्चर्यजनक बढ़ोतरी देखी।
फिर जब मैं मियामी गई
मैंने देखा कि वहां महिलाएं
और बच्चे भी HIV की चपेट मे हैं
ज्यादातर गरीब, अश्वेत, और सांवले लोग।
कुछ ही सालों में एक सीमित संक्रमण
विश्व आपदा बन गया।
मुझे फिर से कुछ करने की तीव्र इच्छा हुई।
सुभाग्य से समाज सेवकों, वकीलों , शिक्षकों
और मेरे जैसे फिजिशन्स कि मदद से
हमने एक राह खोजली।
बहुत बड़ी संख्या में संक्रमण को रोकने
के लिए जागरूकता फैलाई गई
और संक्रमितों को कानूनी रक्षा
मुहैया कराई गई।
एक राजनैतिक संकल्प हुआ
की ज्यादा से ज्यादा विश्व भर के संक्रमितों
अमीर या गरीब,
को इलाज मुहैया कराया जाए।
कुछ ही दशकों मे ऐसे नए इलाज हुए
जिन्होंने इस जानलेवा संक्रमण को
दीर्घकालिक बीमारी में परिवर्तित किया
जैसे मधुमेह।
अब इसके लिए एक टीका क्षितिज पर है।
पिछले पांच से सात सालों में,
मैंने फ्लोरिडा के मरीजों में एक
नई महामारी पर गौर किया है
और यह कुछ ऐसी दिखती है।
श्रीमती एना मए , बंधी तनख्वाह पर
गुजारा करने वाली एक सेवानिवृत्त चपड़ासी थी
वह दवा के पुनर भरन के लिए अंदर आई।
उन्हें आम दीर्घकालिक बीमारियां जैसे
बढ़ा रक्तचाप, मधुमेह,
दिल की बीमारी और दमा
जिसके साथ दीर्घकालिक
फेफड़ों की बीमारी
COPD था।
श्रीमती एना मए मेरी एक पालन
कर्ता मरीज़ थी
इसलिए मुझे अचरज हुआ कि वे
समय से पहले
दमे की दवाई की पुनर भरण के लिए आई।
उनके जाते समय,
उन्होंने मेरे हाथ में फ्लोरिडा पावर और
लाइट का फॉर्म थमाया
और उस बिजली बिल पर
मुझे हस्ताक्षर करने को कहा ।
यह फॉर्म फिजिशन्स को इजाजत देता था कि
वह उस उपकरण का उल्लेख करें
जिसे बिजली न पहुंचने पर
मरीज की हालत गंभीर हो सकती है।
"लेकिन श्रीमती एना मए" ,मैंने कहा,
"आप इस तरह का कोई उपकरण दमे के लिए
इस्तेमाल नही करती"।
मुझे नही लगता की यह जायज़ है।
ज्यादा पूछताछ पर मालूम हुआ कि
वह अपना वातानुकूलक दिन रात
इस्तेमाल कर रही हैं ताकि वह
सांस ले सकें।
और दमे की दवाई खरीदने के कारण
इनके हाथ तंग थे,
वह अपना बिजली बिल नही चुका
पाई और वह इकठ्ठा हो गया।
मैंने वह फॉर्म भरा,
और यह जानने के बावजूद की उन्हें मना
कर दिया जाएगा,
मैंने उन्हें एक समाज सेवी के पास भेजा।
और फिर वहां था जॉर्ज,
मीठा और दयालू पुरुष
जोकि अक्सर हमारे चिकित्सालय मे
कुछ फल तोहफे में देकर जाता था
जिन्हें वह मियामी की सड़कों पर बेचता था।
उन्हें खराब गुर्दा प्रकृया के लक्षण थे
जो कि तेज गर्मी में सड़कों पर पानी
की कमी के कारण हुए थे
पर्याप्त रक्त उनके गुर्दों तक नही
पहोंच रहा था।
उनके गुर्दे बेहतर काम करते थे जब वह
कुछ दिन के लिए छुट्टी लेते थे
लेकिन बिना किसी जीवनी के ,
वह क्या करते ?
जैसा कि वो कहते थे "धूप या बारिश, सर्दी
या गर्मी, मुझे काम करना होगा।
मगर सबसे भयावह स्थिति शायद फोर्ट
लौदरदले की श्रीमती सांड्रा फए ट्विग्स
की थी जो COPD से जूझ रही थी ।
उन्हें पंखे पर अपनी बेटी से झगड़ा
करने के संदर्भ में हिरासत में लिया था ।
उनकी रिहाई पर,
वे अपने घर आई,
बिना रुके खांसती रही,
और तीन दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई।
मैंने कुछ और भी गौर किया
आंकड़े कहते हैं कि एलर्जी के मौसम
हफ्तों पहले शुरू हो रहे हैं,
रात्रि का तापमान बढ़ रहा है,
पेड़ जल्दी उग रहे हैं,
और ज़ीका और डेंगू जैसे संक्रमण
वाले मच्छर
उन जगह दिख रहे हैं जहां वे
कभी नही हुए।
मैं जलवायु को आने वाले समय में
उच्च कुलीन बनने के संकेत देख रही हूँ।
ऐसा तब होता है जब अमीर लोग
अपने आस पास गरीब इलाकों में
उनकी समुद्र तल से ऊंचाई के कारण
रहने आते हैं
और जलवायु परिवर्तन से होने वाली
बाढ़ से बचे रहते हैं।
जैसा कि मेरी मरीज मैडम मेरी
के साथ हुआ जो तनावग्रस्त और
घबराई मेरे पास आई क्योंकि उन्हें
अपने लिटिल हैती वाले घर से
निकाल दिया गया ताकि वहां एक
आलीशान घर बन सके
जिसके निर्माता समझते थे कि
समुद्र से दस फुट ऊंचा होने के
कारण यह इलाका बाढ़ से
ग्रस्त नही होगा।
एक आपातकालीन स्वास्थ्य स्थिति,
HIV/AIDS से कहीं बड़ी इसका
कारण नजर आ रही थी, जिसका सुराग
मेरे कम आय वाले मरीजों ने मुझे दिया,
की वह कैसी दिखेगी।
यह नई महामारी जलवायु का
परिवर्तन होगा
और इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव
कई तरह से होगा।
जलवायु परिवर्तन हमे चार अहम
तरिकों से प्रभावित करता है,
प्रत्यक्ष रूप से गर्मी के द्वारा,
मौसम की अती और प्रदूषण,
बीमारी के संक्रमण के द्वारा,
हमारे खाने और पानी की उपलब्धता
मे बाधा के द्वारा,
और हमारे मानसिक स्वास्थ्य
में बाध्यता के द्वारा।
चिकित्सा क्षेत्र में हम स्मृति विज्ञान
से अपनी स्मृति को बढ़ाते हैं,
और यह स्मृति विज्ञान , "heatwave",
हमे जलवायु परिवर्तन द्वारा आठ
स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बताता है,
"H: Heat Illnesses" - लू से
बीमारियां लगना
"E: Exacerbation of heart and lung
disease" - दिल और फेफड़ों की
बीमारी का बढ़ना
A: asthama worsening दमा बिगड़ना
T: traumatic injuries-
मानसिक आघात
खासकर मौसम की अति के दौरान।
W:water and food borne illness
खाने और पानी से होने वाली बीमारी
A: allergies worsening
एलर्जी का बढ़ना
V:vector borne disease
मच्छर द्वारा उत्पन हुई बीमारी
E:emotional stress increasing
भावनाओं का तनाव बढ़ना।
गरीब और कमजोर लोग अभी से
ही इन प्रभावों को महसूस कर रहे हैं।
वह एक कोयले की खान के
प्रसिद्ध मुखबिर हैं।
सचमुच उनके तजुर्बे आकाशवाणी
या भविष्यवाणी की तरह हैं।
हमारे लिए मार्गदर्शक रोशनी
जो हमारा ध्यान इस ओर करे
की हम अपनी दुनिया के लिए कुछ गलत कर
रहे हैं जो पहले उन्हें दुखी कर रही है।
लेकिन कुछ ही समय बाद, हमारी
बारी होगी।
अगर हम सब एक साथ
काम करें-
चिकित्सक , मरीज़ औऱ अन्य
स्वास्थ्य पेशेवर,
तो हम हल खोज लेंगे।
हमने यह HIV आपदा के समय
किया है।
ये सब उन्ही सक्रिय HIV मरीजों
के कारण हुआ
जिन्होंने दवाओं और बेहतर
शोध की मांग की,
और चिकित्सकों और वैज्ञानिकों
के मेलजोल से
हम इस महामारी पर
काबू पा सके।
और फिर यह आभार जाता है
अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थानों को,
गैर राजनैतिक संस्थाओं को, राजनेता
और दवा बनाने वाली कंपनियों को
की कम आय वाले देशों में भी
HIV की दवा उपलब्ध हो सकी।
ऐसा कोई कारण नही कि हम
इन्ही आदर्शों को जलवायु परिवर्तन
के स्वास्थ्य प्रभाव को ठीक करने
के लिए इस्तेमाल ना करें।
जलवायु परिवर्तन आ चुका है।
यह पहले से ही निर्धनों का घर
और स्वास्थ्य बिगाड़ चुका है।
मेरे मरीज जॉर्ज की तरह,
हम में से ज्यादातर को काम
करना होगा,
भले ही बारिश हो या धूप,
गर्मी या सर्दी।
लेकिन एक साथ ये मरीज और
उनके चिकित्सक , हाथों में हाथ डाले,
कुछ बुनियादी औज़ारों के साथ,
इस जलवायु परिवर्तन को कम
घातक बनाने के लिए बहुत
कुछ कर सकते हैं।
इन्ही मरीजों ने मुझे एक चिकित्सक
संस्था बनाने की प्रेरणा दी
जो जलवायु परिवर्तन से लड़ सके।
हम जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य
पर प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करते हैं,
और उनके लिए वकालत करना सीखते
हैं जिन्हें जलवायु संबंधी बीमारी है
और असल दुनिया के इलाजों
को प्रोत्साहन देते हैं।
हाल ही के एक "गैलप" के शोध
में मालूम हुआ कि तीन सबसे
प्रतिष्ठित पेशे हैं -परिचारक,
चिकित्सक और औषधज्ञ।
इसलिए समाज के प्रतिष्ठित
नागरिक के तौर पर ,
हमने जलवायु परिवर्तन की नीतियों
और राजनीति
पर प्रभाव डालने के लिए
आवाजों को बढ़ावा दिया।
ऐसा बहुत कुछ है जो हम
कर सकते हैं।
चिकित्सक के तौर पर हमारे बहुत
से मरीजों का संबंध हमे चीज़े
दूसरों से पहले देखने की
इजाजत देता है।
और हमें एक आदर्श बनाता है
जिससे हम बदलाव मे अग्रणी रहें।
हम जलवायु संबंधी बीमारियां अपने
चिकित्सक विद्यालय में पढ़ा सकते हैं।
हम अपने मरीजों की जलवायु
संबंधित स्थितियों के आंकड़े
उन्हें सुनिश्चितता से पहचान
कर एकत्रित कर सकते हैं।
हम जलवायु संबंधी स्वास्थ्य
शोध कर सकते हैं।
हम घरों में हरित अभ्यास
करना सिखा सकते हैं।
हम अपने मरीज की ऊर्जा
जरूरत की वकालत कर सकते हैं।
हम उन्हें सुरक्षित घर पाने
में मदद कर सकते हैं।
हम उन्हें उन घरों में जरूरी
औजार उपलब्ध करा सकते
हैं जो स्थिति बिगड़ने पर
उनके काम आए।
हम कानून निर्माताओं को
साख्य दे सकते हैं,
और मरीजों के जलवायु संबंधी
रोग का इलाज कर सकते हैं।
सबसे जरूरी हम उन्हें मानसिक
और शारीरक तौर पर तैयार कर
सकते हैं , उन स्थितियों के लिए
जिनका उन्हें सामना करना होगा,
एक ऐसे औषधीय आदर्श के
आधार पर
जो आर्थिक और सामाजिक
इंसाफ पर बना हो।
इसका मतलब यह होगा कि
श्रीमती सैंड्रा जिन्हें COPD था,
जिनकी रिहा होने के बाद
मृत्यु हो गई थी
उन्होंने एक पंखे के
लिए अपनी बेटी से झगड़ा किया
उन्हें मालूम होता कि उनके घर
की गर्मी उन्हें बीमार और गुस्सैल
बना रही है और वह ठंडक के
लिए एक सुरक्षित जगह जा पाती।
इससे भी बेहतर, उनका घर कभी
इतना गर्म ही न होता।
निर्धनों से मैने सीखा की न
केवल हमारा जीवन खतरे में है
परंतु यह प्रतिरोध, नवाचार और
उत्तरजीविता की कहानी है।
जैसे कि उस समझदार बूढ़े आदमी
की तरह जो कोतवाल पर
चिल्लाया था,
उस गर्मी की रात
"क्या कोई एम्बुलेंस नही आ रही"?
और कोतवाल उस लड़की को
अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर हुआ।
क्या आप जानते हैं ?
सुनिए।
अगर जलवायु परिवर्तन के लिए
कोई चिकित्सीय उत्तर होगा ,
तो यह केवल उस
एम्बुलेंस का इंतेज़ार नही होगा।
यह होकर ही रहेगा क्योंकि
हम चिकित्सक पहला कदम लेंगे।
हम इतना शोर करेंगे
की यह विषय नजरअंदाज या
गलतफहमी का शिकार नही होगा।
यह सब हमारे मरीजों द्वारा
सुनाई कहानियों से शुरू होगा
और वो कहानियां जो
हम उनकी तरफ से सुनाएंगे।
हम हमेशा की तरह अपने
मरीजों के लिए सही करेंगे,
जैसा हमेशा किया है लेकिन
जो पर्यावरण के लिए भी सही हो,
हमारे लिए भी,
और इस धरती के सभी
लोगों के लिए
सभी के लिए।
धन्यवाद।
(सराहना और तालियां)