0:00:01.015,0:00:04.686 ऐसा है कि जब मैं अपना काम करती हूँ, तो लोग चिढ जाते हैं। 0:00:04.686,0:00:07.196 बल्कि, जितना अच्छा काम मैं करती हूँ, 0:00:07.196,0:00:08.970 उतना ही लोग मुझसे और चिढ जाते हैं। 0:00:08.970,0:00:10.946 और मैं ट्रेफ़िक चालान काटने वाली नहीं हूँ, 0:00:10.946,0:00:12.765 और मैं कोई दादागिरी करने वाली भी नहीं हूँ। 0:00:12.765,0:00:15.978 मैं तो बस एक प्रगतिवादी लेस्बियन हूँ 0:00:15.978,0:00:19.075 और फ़ॉक्स न्यूज़ पर जब तब बक बक करती हूँ। (तालियाँ) 0:00:19.075,0:00:21.450 जी, सही सुना आपने! फिर से कह रही हूँ - सही सुना आपने! 0:00:21.450,0:00:24.755 मैं फ़ॉक्स न्यूज़ की समलैंगिक बातूनी हूँ। 0:00:24.755,0:00:26.557 और मैं आपको बताती हूँ कि मैं ये कैसे करती हूँ 0:00:26.557,0:00:28.762 और वो सबसे ज़रूरी बात जो मैने सीखी है। 0:00:28.762,0:00:30.369 तो मैं टेलीविज़न पर आती हूँ। 0:00:30.369,0:00:33.421 मैं उन लोगों से बहस करती हूँ जो हर उस बात को खत्म करना चाहते है 0:00:33.421,0:00:35.329 जिसमे मेरा विश्वास है, और कभी कभी तो, 0:00:35.329,0:00:38.742 जो ये तक नहीं चाहते कि मैं और मेरे जैसे लोग इस दुनिया में रहें। 0:00:38.742,0:00:41.991 ये त्योहार पर अपने उस दकियानूसी चचा से बतियाने जैसा है 0:00:41.991,0:00:43.925 जो राशन पानी ले कर लडने को तैयार बैठे हों, 0:00:43.925,0:00:47.060 बस ये दसियों लाख टीवी दर्शकों के सामने सीधे होता है। 0:00:47.060,0:00:49.980 ये एक्दम बिलकुल वैसा ही है। 0:00:49.980,0:00:51.252 बस ये टीवी पर होता है। 0:00:51.252,0:00:53.439 मुझे बेहद ज्यादा मात्रा में नफ़रत भरी चिट्ठियाँ आती हैं। 0:00:53.439,0:00:58.690 पिछले ही हफ़्ते, मुझे २३८ घृणा भरी ईमेल मिली हैं 0:00:58.690,0:01:01.567 और ट्वीट्स तो इतने कि मैं गिन भी नहीं सकती। 0:01:01.567,0:01:05.012 मुझे बेवकूफ़, गद्दार, अभिशापित, 0:01:05.012,0:01:07.524 कमीनी और बदसूरत आदमी कहा गया, 0:01:07.524,0:01:09.337 और ये सब बस एक ही ईमेल में था। 0:01:09.337,0:01:12.163 (हँसी) 0:01:12.163,0:01:14.810 तो मैने आखिरकार सीखा क्या, 0:01:14.810,0:01:17.580 इतनी गाली गलौच और ताने झेल कर? 0:01:17.580,0:01:20.375 देखिये, मेरा सब से बडी सीख ये है कि दसियों साल से, 0:01:20.375,0:01:23.522 हम लोग राजनैतिक नज़रिये से सही होने की कोशिश करते आये हैं, 0:01:23.522,0:01:27.810 मगर असल में जो चीज़ ज़रूरी है वो है भावनात्मक रूप से सही होना। 0:01:27.810,0:01:29.643 मै आपको एक छोटा सा उदाहरण देती हूँ। 0:01:29.643,0:01:32.560 मुझे रत्ती भर फ़र्क नहीं पडता यदि आप मुझे मर्दाना औरत पुकारें। सच में। 0:01:32.560,0:01:33.942 मैं सिर्फ़ दो बातों की फ़िक्र करती हूँ। 0:01:33.942,0:01:36.617 एक तो ये कि आप मर्दाना की स्पेलिंग ठीक लिखें। 0:01:36.617,0:01:41.872 (हँसी) (तालियाँ) 0:01:41.872,0:01:45.294 जानकारी के लिये, म र दा ना । 0:01:45.294,0:01:48.088 आपको पता नहीं है लोगों को ये नहीं आता है। 0:01:48.088,0:01:49.747 और दूसरा, आप क्या शब्द इस्तेमाल करते हैं, इसके बजाय, 0:01:49.747,0:01:51.355 ये कि आप उसे कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं। 0:01:51.355,0:01:53.790 क्या आप बस मज़ाक कर रहे हैं? या आपको पता नहीं है शब्द का मतलब? 0:01:53.790,0:01:57.805 या फ़िर आप सच में मुझे व्यक्तिगत रूप से दुःख पहुँचाना चाहते है? 0:01:57.805,0:02:02.200 भावनात्मक रूप से सही होना बोलने के ढँग, उस में निहित भावना पर है, 0:02:02.200,0:02:04.356 कि हम कैसे कहते हैं जो भी हम कहते हैं, 0:02:04.356,0:02:07.608 और एक दूसरे के प्रति स्नेह और आदर जो हम अभिव्यक्त करते हैं। 0:02:07.608,0:02:10.162 और मैने महसूस किया है कि राजनैतिक समझ बूझ भी 0:02:10.162,0:02:14.351 किसी आइडिया या तथ्य या संख्याओं की मोहताज़ नहीं होती। 0:02:14.351,0:02:18.450 बल्कि वो भावनात्मक रूप से सही होने से शुरु होती है। 0:02:18.450,0:02:21.094 तो जब मैं पहली बार फ़ॉक्स न्यूज़ में काम करने गयी, 0:02:21.094,0:02:22.662 एकदम सच बात, 0:02:22.662,0:02:25.424 तो मुझे लगा था कि वहाँ तो फ़र्श में निशान बने होंगे 0:02:25.424,0:02:27.644 इधर उधर घसीटे जाने से। 0:02:27.644,0:02:32.308 और यदि आप ध्यान दें, तो ऐसा कहना भावनात्मक रूप से सही नहीं हैं। 0:02:32.308,0:02:35.263 मगर उदारवादी लोग मेरी तरफ़ हैं, 0:02:35.263,0:02:38.326 तो हम खुद को न्याय संगत, प्रभु समान मान सकते हैं, 0:02:38.326,0:02:41.195 हम किसी भो ऐसे व्यक्ति को रद्द कर सकते हैं[br]जो हम से सहमत न हो। 0:02:41.195,0:02:44.032 दूसरे शब्दों मे, हम राजनैतिक रूप से सही हो सकते हैं 0:02:44.032,0:02:46.838 मगर भावनात्मक रूप से सरासर गलत। 0:02:46.838,0:02:49.481 और इसका एक परिणाम ये है कि 0:02:49.481,0:02:52.976 लोग हमें पसंद नहीं करेंगे। है न? 0:02:52.976,0:02:54.931 और सुनिये कान खडे करने वाली बात। 0:02:54.931,0:02:57.024 रूढिवादी लोग असल में बहुत अच्छे लोग होते हैं। 0:02:57.024,0:02:58.718 मतलब, सारे के सारे नहीं, 0:02:58.718,0:03:00.690 और वो तो बिल्कुल नहीं जो मुझे घृणा भरे ईमेल भेजते हैं, 0:03:00.690,0:03:02.481 पर आपको अचरच होगा कि कितने सारे लोग अच्छे होते हैं। 0:03:02.481,0:03:04.850 शॉन हैनिटी दुनिया के सबसे प्यारे व्यक्तियों में से हैं 0:03:04.850,0:03:06.743 जिन्हें मैं जानती हूँ। 0:03:06.743,0:03:08.338 वो अपना खाली समय 0:03:08.338,0:03:10.946 अपने स्टाफ़ के लोगों को ब्लाइंड डेट पर भेजने में व्यतीत करते है, 0:03:10.946,0:03:12.883 और मुझे पता है कि अगर कभी मैं किसी मुश्किल में हुई, 0:03:12.883,0:03:15.872 तो वो मेरी मदद करने का हर संभव प्रयास करेंगे। 0:03:15.872,0:03:18.116 और देखिये मुझे लगता है कि शॉन हैनिटी 0:03:18.116,0:03:20.819 निन्यान्वे प्रतिशत राजनैतिक रूप से सही नहीं हैं, 0:03:20.819,0:03:24.267 मगर वो कमाल के दर्ज़े तक भावनात्मक रूप से सही हैं। 0:03:24.267,0:03:26.356 और इसीलिये लोगो उनकी बात सुनते हैं? 0:03:26.356,0:03:28.809 क्योंकि आप किसी को मना तो सकते ही नहीं 0:03:28.809,0:03:31.672 अगर वो आपकी बात भी सुनने को राज़ी न हो। 0:03:31.672,0:03:34.645 हम एक दूसरे से कन्नी काट लेने में इतना मशगूल रहते हैं 0:03:34.645,0:03:37.823 कि हम अपनी असहमतियों पर तो कभी बात ही नहीं करते, 0:03:37.823,0:03:41.463 और अगर हम एक दूसरे के प्रति स्नेह का भाव रखना सीख लें, 0:03:41.463,0:03:45.048 तो कम से कम सहमति का संभावना तो दिखेगी। 0:03:45.048,0:03:47.157 और ये सुन कर बडा अजीब सा लगता है 0:03:47.157,0:03:49.093 यहाँ से खडे हो कर ये सब कहना, 0:03:49.093,0:03:51.335 मगर जब आप इसे जीवन में उतारेंगे तो देखेंगे, 0:03:51.335,0:03:53.321 कि इसमें गज़ब की शक्ति है। 0:03:53.321,0:03:56.200 मान लीजिये कोई कहता है कि उसे प्रवासियों से नफ़रत है, 0:03:56.200,0:03:58.448 मैं ये अनुमान लगाने का प्रयास करती हूँ कि वो कितने डरे हुये होंगे 0:03:58.448,0:04:01.536 कि उनका समाज कितनी तेज़ी से बदल रहा है। 0:04:01.536,0:04:05.046 या जब कोई कहता है कि उन्हें शिक्षकों की यूनियन पसंद नहीं, 0:04:05.046,0:04:06.961 तो मैं जानती हूँ कि उनका दिल बैठ जाता होगा 0:04:06.961,0:04:08.534 अपने बच्चों के स्कूलों को बरबाद होते देख कर, 0:04:08.534,0:04:11.634 और उन्हें कोई चाहिये जिसे पर वो आरोप मढ सकें। 0:04:11.634,0:04:15.932 हमारी चुनौती है कि हम दूसरों के लिये दिल में प्यार पैदा कर सकें, 0:04:15.932,0:04:18.587 जैसा हम उन के दिलों में अपने लिये चाहते हैं। 0:04:18.587,0:04:21.665 ये है भावनात्मक रूप से सही होना। 0:04:21.665,0:04:23.481 मै ये बिल्कुल नहीं कहती कि ये आसान है। 0:04:23.481,0:04:26.063 औसतन, मुझे दिन में पाँच दशम्लव छः बार 0:04:26.063,0:04:27.899 खुद को रोकना पडता है अपने जवाबों में 0:04:27.899,0:04:33.083 गंदी गंदी भद्दी गालियों को भरने से। 0:04:33.083,0:04:36.112 ये पूरा मसला कि प्यार ढूँढो 0:04:36.112,0:04:38.160 और अपने दुश्मनों से भी सहमति की संभावना खोजो, 0:04:38.160,0:04:41.361 ये एक तरीके का राजनैतिक आध्यात्म है मेरे लिये, 0:04:41.361,0:04:44.428 और मैं कोई दलाई लामा भी नहीं हूँ। 0:04:44.428,0:04:50.299 मै सर्वोत्त्म नहीं हूँ लेकिन मैं आशावादी तो हूँ ही, 0:04:50.299,0:04:52.616 क्योंकि मुझे सिर्फ़ नफ़रत भरे ख़त ही नहीं आते, 0:04:52.616,0:04:55.912 मुझे बहुत सारे प्यार भरे ख़त भी मिलते हैं। 0:04:55.912,0:04:58.553 और मेरा सबसे पसंदीदा ख़त ऐसे शुरु होता है, 0:04:58.553,0:05:01.238 "मै आपके राजनैतिक मूल्यों का कायल नहीं हूँ, न ही 0:05:01.238,0:05:06.477 आपके काफ़ी खराब से तर्कों का, 0:05:06.477,0:05:10.420 मगर मैं एक व्यक्ति के रूप में आपक बहुत बडा फ़ैन हूँ।" 0:05:10.420,0:05:14.313 ये व्यक्ति मुझसे ज़रा भी सहमति नहीं रखता, फ़िर भी! 0:05:14.313,0:05:17.288 (हँसी) 0:05:17.288,0:05:20.988 मगर वो सुनता है, जो मैने कहा उस की वजह से नहीं, 0:05:20.988,0:05:22.894 मगर मैने कैसे कहा, इस वजह से, 0:05:22.894,0:05:24.471 और न जाने कैसे, हम कभी मिले भी नहीं, मगर 0:05:24.471,0:05:26.884 हमने एक रिश्ता कायम कर लिया है। 0:05:26.884,0:05:29.194 ये है भावनात्मक रूप से सही होन, 0:05:29.194,0:05:31.879 और यही तरीका है बातचीत सुलह की शुरुवात करने का 0:05:31.879,0:05:33.803 जिस से कि बदलाव आ सकता है। 0:05:33.803,0:05:36.276 धन्यवाद। 0:05:36.276,0:05:40.276 (तालियाँ)