मै २३ से अधिक सालों से पत्रकार हूँ, "आर्कन्सा डेमोक्रैट-गैज़ेट", "पिट्सबर्ग ट्रिब्यून रिव्यु", और हाल ही में, "दी डैनवर पोस्ट" के लिए। (तालियां) जब मैने २००३ में "दी डैनवर पोस्ट" में शुरुआत किया था, वो देश के उच्च १० अखबारों में से था, एक विशाल लगभग ३०० पत्रकार अभिदाताओं की नीव पर है। उस समय, मै ३०-४० साल का था। उस उम्र का कोई भी महत्वाकांक्षी पत्रकार एक राष्ट्रीय अखबार जैसे, "दी न्यू यॉर्क टाइम्स" या "दी वॉल स्ट्रीट जर्नल" में काम करना चाहेगा। लेकिन मेरे "दी डैनवर पोस्ट" के पहले कुछ हफ़्तों में होश उड़ गए थे, और मैने सोचा, "यही मेरा अखबार होगा। मै अपना व्यवसाय यही बनाऊंगा।" सात साल बीत गए, हम एक हेज फंड को बिक गए, एल्डन ग्लोबल कैपिटल। कुछ सालों में -- (हसी) (हसी) आप में से कुछ यह किस्सा जानते हैं। (हसी) कुछ सालों में, अभी और पहले के मालिकों की खरीदी वाचनालय को करीब आधा कर देता। और मै समझा। अंगुष्ट नियम हुआ करता थे कि अखबार की ८० फ़ीसदी आमदनी महंगे छपे हुए विज्ञापनों और क्लासफील्ड्स से आती थी। उभरती हुई बड़ी कम्पनियाँ जैसे गूगल, फेसबुक, और क्रैगसलिस्ट के आने से विज्ञापनों का पैसा गायब हो गया। पूरा व्यवसाय प्रिंट से डिजिटल की ओर व्यापक मोड़ ले रहा था। एल्डन के आदेश थे डिजिटल पहले। ब्लोग्स, वीडियो, और सोशल मीडिया के लाभ उठाओ। उन्होंने ने कहा कि एक दिन, जो आमदनी हम ऑनलाइन में कमाएंगे, वो हमारे घाटे की भरपाई कर देगा। वो दिन कभी नहीं आया। २०१३ में हमने एक पुलित्ज़र पुरुस्कार जीता औरोरा थिएटर शूटिंग प्रकाशित करने के लिए। एल्डन ने आदेश पत्रकारों की कटौती का आदेश दिया। फिर से, फिर से, फिर से, फिर से। हमें हमारे होनहार, मेहनती पत्रकारों को अलविदा कहना पड़ा जिन्हे हम मित्र नहीं परिवार मानते थे। जो हममे से बच गए, उन्हें काम के बोझ से खींचा गया, कई सारे विषयों और अनुच्छेदों पे काम करवाया। मार्च २०१८ में एक बिना खिड़की के बैठक के कमरे में, हमें ज्ञात हुआ कि हममे से ३० और को जाना पड़ेगा। जिस अखबार के कभी ३०० पत्रकार थे उसके अब सिर्फ ७० बचेंगे। समझ में नहीं आ रहा था। यहां हमने पुलित्ज़र पुरस्कार जीते थे। हमारा ध्यान प्रिंट से डिजिटल की ओर गया, हम महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करते थे और ब्रास की ई-मेल ने पोस्ट के फायदों के बारे में बात की, जिसे व्यवसाय विशेषज्ञ लगभग २० फ़ीसदी मान रहे थे। तो अगर हमारी कंपनी इतनी फायदेमंद और सफल थी, हमारा वाचनालय के परिमाण घटता क्यों जा रहा था ? मै जनता था जो कोलोराडो में हो रहा था, वही पूरे देश में भी हो रहा था। २००४ से, लगभग १८०० वाचनालय बंद हुए हैं। आप खाद्य डेजर्ट जानते होंगे। ये समाचार डेजर्ट हैं। बहुत सारे समुदाय, अधिकतर सम्पूर्ण ज़िले जहां कम या ना के बराबर अख़बार व्याप्ति है। मामलों को और बिगड़ते हुए, कई अख़बार भूतिया जहाज बन गए हैं, वाचनालय तेहराने का नाटक कर रहे हैं असल में ये पूरक कॉपियों को विज्ञापनों से लपेट रहें हैं। एल्डन और ज्यादा कंपनियां खरीद रहा है। और उस बैठक में, उनकी नियत और स्पष्ट नहीं हो सकती थी। हड़प लो जो हड़प सकते हो, बाकी सब फ़ेंक दो। तो एकांत में आठ लेखकों के दल में काम कर के हमने खास रविवार दृष्टिकोण भाग बनाया स्थानीय समाचार के महत्व पे। (हसी) डैनवर विद्रोह अस्त्र की तरह लांच हुआ, और उदजन बम की तरह फटा। [अवज्ञा के एक अद्भुत कार्य में, डैनवर पोस्ट मालिक से पेपर बेचने का आग्रह कर रहा है।] ['डैनवर पोस्ट' संपादकीय मंडल ने सरे आम मालिक का खुलासा किया। ] [डैनवर पोस्ट में दरिंदे और सुपर हीरो ] (तालियां और प्रोत्साहान) स्पष्ट था कि हमारे उल्लंघन में हम अकेले नहीं थे। अपेक्षानुसार, मुझे इस्तीफा देना पड़ा। (हसी) एक साल बाद, कुछ नहीं बदला है। "दी डैनवर पोस्ट" महज कुछ पत्रकारों से बना है जो अपना सबसे बेहतरीन काम कर रहे हैं, एक कभी-महान अख़बार के अवशेष में। आप में से कुछ लोग स्वयं से सोच रहे होंगे, "तो क्या?" है ना? तो क्या? इस मरते हुए व्यवसाय को मरने दो। और मै समझ सकता हूँ। एक बात है, स्थानीय समाचार इतने समय से डूब रहा है कि आप में से बहुतों को याद नहीं होगा कैसा लगता है एक बढ़िया स्थानीय समाचार का होना। शायद आपने "स्पॉटलाइट" या "दी पेपर" फिल्में देखी होंगी जो रोमानी तौर से पत्रकारिता दिखते हैं। मै यहां रोमानी या उदासीन नहीं होने आया हूँ। मै चेतावनी देने आया हूँ कि जब स्थानीय समाचार के साथ लोकतंत्र भी मरता है। और यह चिंताजनक होना चाहिए -- (तालियां और प्रोत्साहन) और यह चिंताजनक होना चाहिए चाहें स्वीकार करें या ना करें। कारण यह है। लोकतंत्र लोगों की सर्कार होती है। लोग ताकत और अधिकार के उत्तम स्रोत हैं। एक बेहतरीन वाचनालय आईने समान होता है। जिसके पत्रकार स्थानीय समुदाय को परावर्तित करते हैं। ये जानकारी सशक्त बनती है। देखना, जानना, समझना -- इन तरीकों से अच्छे निर्णय लिए जाते हैं। जब आपका बेहतरीन स्थानीय अखबार हो, पत्रकार हर एक नगर परिषद बैठक का हिस्सा बनेंगे। वे राज्य सभाओं और सीनेट को सुनेंगे। वे आवश्यक पर, सत्य कहूँ तो कभी कभी अत्यंत उबालू कमिटी सुनवाईआं। (हसी) पत्रकार गलतियां और दुर्भावनापूर्ण उपायों को खोजते हैं और वो बिल सफल नहीं होते क्योंकि जनता जानकार थी। ग्राहक मतदान जाते हैं और वो प्रत्येक मतदान उपाय की खूबियां और खामियां जानते हैं, क्योंकि पत्रकारों ने उनका मेहनती काम कर दिया है। और बेहतर, शोधकर्ताओं ने खोजै है कि स्थानीय अख़बार पढ़ने से १३ फ़ीसदी अमतदताों का मतदान की ओर लामबंद हो जाता है। १३ प्रतिशत। (तालियां) ये ऐसा आंकड़ा है जिससे चुनाव के नतीजे बदल सकते हैं। अगर आपके पास बेहतरीन स्थानीय अख़बार ना हो, मतदाता मतदानों में असहाय, उलझे हुए रह जाते हैं, अपना उत्तम अनुमान लगते हैं, एक क़ानूनी अनुच्छेद के अनुसार। त्रुटिपूर्ण उपाय लागु होते हैं। सुनियोजित और बहुत तकीनीकी उपाय असफल रह जाते हैं। मतदाता ज्यादा पक्षपातपूर्ण हो जाते हैं। हाल ही कोलोराडो के राज्य्पाल चुनाव में इतने भागेदार थे कि कोई भी सबको याद ना कर सके। पिछेल वर्षों में, पत्रकार विस्तार से हर भागीदार का निरक्षण, जांच, रूपरेखा, और बेहेस करते स्थानीय अखबारों के द्वारा। "दी डैनवर पोस्ट" ने पूरा प्रयास किया। लेकिन पिछले समय की सख्त समाचार प्रेषण और अनुसन्धान की जगह जनता को अधिकतर खुद ही से विस्तृत प्रदर्शनीय भाषण और चतुर प्रचार विज्ञापनों के अनुसार निर्णय लेना होता है। विज्ञापनों के लागत को देखते हुए चुनावी क्षमता पैसों पर निर्भर है। तो प्रिमरियों के अंत तक वही भागेदार बचते हैं जो सबसे रईस और सबसे अधिक वित्त पोषित हैं। बहुत अनुभवी और काबिल-ए-तारीफ भागेदार सांस नहीं ले पाते, क्योंकि जब स्थानीय समाचार ढलता है, बड़ी-टिकट चुनाव भी पैसों का खेल बन जाते हैं। क्या यह आश्चर्यजनक है कि हमारे नए राज्य्पाल वो भागेदार थे जिनकी मूल-कीमत ३० करोड़ डॉलर है? या यह कि अरबपति बिजनेस मेन जैसे डोनाल्ड ट्रम्प और हॉवर्ड शुल्ट्ज़ राजनीतिक मंच को जीत सकते हैं? मुझे नहीं लगता कि हमारा राष्ट्रदाताओं के मन में यह था जब वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की बाते करते थे। (तालियां और प्रोत्साहन) यही वजह है कि हम सिर्फ बड़े राष्ट्रीय अख़बारों पर निर्भर नहीं रह सकते जैसे "दी जर्नल" और "दी टाइम्स" और "दी पोस्ट।" स्थानीय अख़बार उम्दा हैं, और हमें उनकी ज़रूरत अभी है, ईश्वर, कभी पहले से अधिक। ऐसी कोई दुनिया नहीं है जहां वो लोग हर देश के हर ज़िले के चुनाव की जांच कर सकें। नहीं। जो वाचनालय आपके स्थानीय चुनाव को जांचने में सबसे उचित है, वो है आपका स्थानीय वाचनालय। अगर भाग्य से आपके यहाँ अभी भी वाचनालय है। जब चुनाव का दिन ख़त्म हो जायेगा, एक सर्वश्रेष्ठ स्थानीय अख़बार अभी भी है, प्रहरी सा ठहरा हुआ। जब उनपे निगरानी राखी जाये, नेताओं के पास कम ताकत होती है, पुलिस जनता के साथ सही व्यवहार करती है, और बड़े व्यापारसंध भी उच्च बर्ताव करते हैं। यह तंत्र जो सदियों से हमको सूचित बनता है और राह दिखता है अब वैसे काम नहीं करता जैसे कभी करता था। आप भीतर जानते हैं एक जहरीला राष्ट्रीय अधर्म कैसा लगता है, वह तर्क सहित बहसों का मजाक बन चूका है। यही होता है जब स्थानीय वाचनालय बंद पड़ जाते हैं और देशभर के समुदायों को नज़रअंदाज और अनदेखा कर दिया जाता है। जब तक हम स्थानीय समाचार के घटौती को समझेंगे नहीं इसके परिणाम समाज के लिए घातक हो सकते हैं, स्थिति बदलेगी नहीं। एक यथोचित कर्मचारियों का वाचनालय फायदेमंद नहीं होता गूगल और फेसबुक के इस युग में और हो भी नहीं सकता। अगर अखबार लोकतंत्र के लिए आवश्यक हैं, हमें उनमें ऐसे निवेश करना चाहिए जैसे वे लोकतंत्र के लिए ज़रूरी हों। (तालियां और प्रोत्साहन) हम बगल में खड़े होकर हमारे प्रहारिओं को नीचा नहीं दिखा सकते। हम और समुदायों को अँधेरे में गुप्त नहीं रख सकते। हमें एक जनता निवेश उपाय के लिए लड़ना चाहिए न्यूज़ मीडिया और प्रेस के मिटने से पहले, और उसके साथ, हमारा महान लोकतांत्रिक प्रयोग। हमें विद्रोह से बढ़कर कुछ चाहिए। यह क्रांति की घड़ी है। धन्यवाद। (तालियां और प्रोत्साहन)