1 00:00:09,445 --> 00:00:12,117 जब अल्ट्रावायलेट सूरज की रोशनी हमारी त्वचा पर गिरती है| 2 00:00:12,117 --> 00:00:14,890 वे हम सबको थोड़े अलग ढंगसे प्रभावित करती है| 3 00:00:14,890 --> 00:00:18,235 आपकी त्वचा के रंग के आधार पर, इसके लिये थोड़े ही मिनट काफी होते है| 4 00:00:18,235 --> 00:00:20,585 एक व्यक्ति को चुकंदर गुलाबी रंग होने में, 5 00:00:20,585 --> 00:00:24,783 जबकि किसीको ज्यादा घंटे लगेंगे थोडासा परिवर्तन अनुभव करने में| 6 00:00:24,783 --> 00:00:26,831 तो क्या है इस अंतर का राज़? 7 00:00:26,831 --> 00:00:31,721 और शुरुसे कैसे हमारी त्वचा अलग अलग रंग कैसे ले आती आई है? 8 00:00:31,721 --> 00:00:32,976 जो बी रंग हो, 9 00:00:32,976 --> 00:00:38,323 हमारी त्वचा महाकाव्य कहानी कहती है मानव सहनशीलता और अनुकूलता की, 10 00:00:38,323 --> 00:00:42,922 प्रकाशित करती है उसका भेद जीव विज्ञान का काम| 11 00:00:42,922 --> 00:00:44,634 मेलेनिन इसके केंदस्थानमे है, 12 00:00:44,634 --> 00:00:47,944 रंगद्रव्य जो त्वचा और बालों को उनका रंग देता है| 13 00:00:47,944 --> 00:00:51,192 ये घटक त्वचा के कोशिकाओं से आता है जिनका नाम है मेलानोसैतेस 14 00:00:51,192 --> 00:00:53,485 और दो आधारभूत रूप लेता है| 15 00:00:53,485 --> 00:00:57,637 एक है युमेलानिं, जो कई भूरे त्वचा के रंगों को वृद्धि करता है, 16 00:00:57,637 --> 00:01:00,823 उसके साथ काले, भूरे और गोर्रबालों को भी, 17 00:01:00,823 --> 00:01:06,000 दूसरा फेओमेलनिन, जो लाल भूरे चकतो और लाल बालों को उत्पन्न करता है| 18 00:01:06,000 --> 00:01:08,518 परंतु मनुष्य हमेशा ऐसे नहीं थे| 19 00:01:08,518 --> 00:01:12,310 हमारे अलग-अलग त्वचा के रंग एक उद्विकासी प्रक्रिया से बने थे 20 00:01:12,310 --> 00:01:14,435 सूरज से प्ररित हो कर| 21 00:01:14,435 --> 00:01:19,556 कुछ ५०,००० सालों पहले जब हमारे पूर्वज अफ्रीका से उत्तर की तरफ जा बसे 22 00:01:19,556 --> 00:01:22,356 और यूरोप और एशिया में| 23 00:01:22,356 --> 00:01:27,544 ये प्राचीन मानव भूमध्य रेखा और "ट्रोपिक ऑफ़ काप्रिकोर्ण" के बिच रहते थे, 24 00:01:27,544 --> 00:01:31,372 एक जगह जो सूरज की अतिनील किरणों से तर-बतर थी| 25 00:01:31,372 --> 00:01:34,908 जब युव त्वचा पर लम्बे समयतक प्रकट होती है, 26 00:01:34,908 --> 00:01:38,287 वे युव हमारे कोशिकाओं के अन्दर के डीएनए को नुक़सान पोहचती है, 27 00:01:38,287 --> 00:01:40,634 और हमारी त्वचा जलने लगती है| 28 00:01:40,634 --> 00:01:42,342 अगर यह हानि काफी गंभीर हो, तो 29 00:01:42,342 --> 00:01:44,980 कोशिकाओं का परिवर्तन मेलेनोमा को ढावा दे सकता है, 30 00:01:44,980 --> 00:01:49,687 एक प्राणनाशक कैंसर त्वचा के मेलानोसैतेस में पैदा होता है| 31 00:01:49,687 --> 00:01:53,901 सनस्क्रीन, जैसे हमे आज पता है, ५०,००० सालों पहले मौजूद नहीं था| 32 00:01:53,901 --> 00:01:58,179 हमारे पूर्वजोंने कैसे इस अतिनील प्रकाश के हमलेका सामना किया? 33 00:01:58,179 --> 00:02:01,749 उनके उत्तरजीविता की चाबी थी उनके अपने निजी सनस्क्रीन में 34 00:02:01,749 --> 00:02:05,166 विनिर्मित त्वचा के निचे मेलेनिन| 35 00:02:05,166 --> 00:02:07,613 आपकी त्वचा में मेलेनिन का प्रकार और उसकी मात्रा 36 00:02:07,613 --> 00:02:11,637 निर्धारित करता है की आप सूरज से कम ये ज्यादा संरक्षित रहेंगे| 37 00:02:11,637 --> 00:02:15,373 ये निर्भर है त्वचा की प्रतिक्रिया पे, जब सूरज उसपे गिरता है| 38 00:02:15,373 --> 00:02:17,334 जब युव रोशनी उसपे प्रकट होती है 39 00:02:17,334 --> 00:02:21,070 वह शुरू करता है विशेष रोशनी-सेद्नशील रिसेप्टर जिनका नाम है रेडोप्सीन, 40 00:02:21,070 --> 00:02:25,637 जो मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित करके बचाता है कोशिकाओं को नुकसान से 41 00:02:25,637 --> 00:02:29,338 गोरें लोंगों मे अधिक मेलेनिन, त्वचा को काला करता है और टॅन पैदा करता है| 42 00:02:30,598 --> 00:02:33,264 का उत्पादन करता है| कई पीढ़ियों से, 43 00:02:33,264 --> 00:02:36,643 मनुष्य जो अफ्रीका के सूरज से तर-बतर जगाओं में रहते थे 44 00:02:36,643 --> 00:02:39,959 अनुकूलित हुए उच्चतर मेलेनिन उत्पादन रखने के लिए 45 00:02:39,959 --> 00:02:41,917 और ज्यादा यूमेलानिन के लिए, 46 00:02:41,917 --> 00:02:44,592 अत त्वचा को गहेरा रंग दिया. 47 00:02:44,592 --> 00:02:48,036 ये निर्मित-में सूरज कवच ने उन्हें मेलेनोमा से बचाने में मदद की, 48 00:02:48,036 --> 00:02:50,388 संभाव्य उन्हें उद्विकासी लायक बनाया 49 00:02:50,388 --> 00:02:55,127 और सक्षम बनाया ये उपयोगी विशेषता नयी पीढ़ियों को देने के लिए. 50 00:02:55,127 --> 00:03:00,137 लेकिन शीघ्र ही, हमारे कुछ पूर्वज उत्तर की ओर बस गए 51 00:03:00,137 --> 00:03:01,718 "ट्रॉपिकल" क्षेत्र के बहार, 52 00:03:01,718 --> 00:03:04,678 दूर और व्यापक आर-पार पृथ्वी पर फैलाने लगे| 53 00:03:04,678 --> 00:03:08,316 जितना आगे उत्तर की तरफ वो गए, उतनी कम धूप उन्हें दिखी| 54 00:03:08,316 --> 00:03:12,211 यह एक समस्या थी क्यूंकि हालांकि युवी रोशनी त्वचा को हनी पहुंचा सकती है, 55 00:03:12,211 --> 00:03:15,269 उसका एक महत्वपूर्ण समांतर लाभ है| 56 00:03:15,269 --> 00:03:18,227 युव हमारे शरीर को विटामिन डी उत्पादित करने में मदद करता है, 57 00:03:18,227 --> 00:03:22,251 एक घटक जो हड्डियां मजबूत करके हमे अहम खनिज पदार्थ लेने में मदद करता है| 58 00:03:22,251 --> 00:03:26,384 करता है, जैसे की कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फेट और झिंक| 59 00:03:26,384 --> 00:03:30,524 उसके बिना, मनुष्य गंभीर थकान तथा हड्डियांमे कमजोरी लगती है 60 00:03:30,524 --> 00:03:33,783 जो एक अवस्था पैदा कर सकती है जिसका नाम है रिकेट्स| 61 00:03:33,783 --> 00:03:37,706 साँवली त्वचा सूरज की रोशनी को अवरुद्ध करती थी, 62 00:03:37,706 --> 00:03:42,057 उनके लिए विटामिन डी की कमी ने गंभीर आशंका पैदा की होगी, उत्तर में| 63 00:03:42,057 --> 00:03:44,656 लेकिन उनमे से कुछ कम मेलेनिन उत्पादित करते थे| 64 00:03:44,656 --> 00:03:49,232 वे रोशनी के छोटी पर्याप्त मात्रा से प्रकाशित हुए थे इसलिए मेलेनोमा की 65 00:03:49,232 --> 00:03:53,347 संभावना कम थी, और उनकी गोरी त्वचा युवी किरणों को बेहतर अवशोषित कर सकी| 66 00:03:53,347 --> 00:03:55,438 अतः वे लाभान्वित हुए विटामिन डी से, 67 00:03:55,438 --> 00:03:56,666 हड्डियों को मज़बूत बनाया, 68 00:03:56,666 --> 00:04:00,657 और आचे से जीवित रहें स्वस्थ संतति उत्पादित करने के लिए| 69 00:04:00,657 --> 00:04:02,715 चयन की कई पीढ़ियों से अधिक, 70 00:04:02,715 --> 00:04:05,997 त्वचा का रंग उन क्षेत्रों में धीरे-धीरे हल्का हुआ| 71 00:04:05,997 --> 00:04:09,509 हमारे पपूर्वजों की अनुकूलनशीलता के परिणाम स्वरूप, 72 00:04:09,509 --> 00:04:13,828 आज ग्रह कई त्वचा के रंगवाले लोंगों से भरा हुआ है, 73 00:04:13,828 --> 00:04:19,165 गहरे रंग यूमेलानिन-तर त्वचा गरम, इक्वेटर के पास वाले पट्टे में, 74 00:04:19,165 --> 00:04:23,869 और तेजी से गोरे फेओमेलनिन-तर त्वचा के रंग बहार की तरफ 75 00:04:23,869 --> 00:04:26,211 जैसे सूरज की रोशनी कम होती जाती है| यानि, त्वचा का 76 00:04:26,211 --> 00:04:30,461 रंग बस थोडा ही ज्यादा है एक अनुकूली लक्षण एक चट्टान पे रहने के लिए 77 00:04:30,461 --> 00:04:32,551 जो सूरज को गृह्पथित करता है, यह शायद 78 00:04:32,551 --> 00:04:36,551 रोशनी को सोखता है परंतु यह निस्संदेह चरित्र को प्रतिबिंबित नहीं करता|