WEBVTT 00:00:00.000 --> 00:00:13.000 (संगीत) 00:00:13.000 --> 00:00:18.000 स्कूल के साधारण दिन में 00:00:18.000 --> 00:00:20.000 अनगिनत घंटे 00:00:20.000 --> 00:00:22.000 प्रश्नों के उत्तर सीखने में व्यतीत होते हैं | 00:00:22.000 --> 00:00:25.000 पर अभी हम उसके उलट 00:00:25.000 --> 00:00:28.000 उन प्रश्नों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे जिनके उत्तर हम नहीं सीख सकते 00:00:28.000 --> 00:00:31.000 क्योंकि वो अनुत्तरित हैं | 00:00:31.000 --> 00:00:34.000 बाल्यकाल में मैं कई चीज़े सोचता था | 00:00:34.000 --> 00:00:37.000 जैसे कि, कुत्ता होना 00:00:37.000 --> 00:00:39.000 कैसा लगता होगा? 00:00:39.000 --> 00:00:42.000 क्या मछलियों को कुछ महसूस होता होगा? कीटो का क्या? 00:00:42.000 --> 00:00:46.000 क्या बिग बैंग एक संयोग मात्र था? 00:00:46.000 --> 00:00:49.000 और क्या कोई ईश्वर है? 00:00:49.000 --> 00:00:53.000 और अगर है तो हमें यह कैसे पता कि वह पुरुष है स्त्री नहीं? 00:00:53.000 --> 00:00:56.000 क्यूँ कुछ निर्दोष व्यक्तियों एवं जीवों को दुर्भाग्य भोगना पड़ता है? 00:00:56.000 --> 00:00:59.000 क्या वास्तव में मेरे जीवन के लिए कोई योजना है? 00:00:59.000 --> 00:01:02.000 क्या भविष्य अभी लिखा जाना है? 00:01:02.000 --> 00:01:04.000 या सब कुछ पूर्व लिखित है? 00:01:04.000 --> 00:01:07.000 या हम ही कुछ देख नहीं पाते हैं? फिर क्या मेरी कोई स्वयं की इच्छा है? 00:01:07.000 --> 00:01:10.000 एवं मैं हूँ क्या? क्या मैं एक जैविक मशीन मात्र हूँ? 00:01:10.000 --> 00:01:13.000 तो फिर मैं चेतन अवस्था में कैसे हूँ? 00:01:13.000 --> 00:01:17.000 चेतना है क्या? क्या रोबोट भी एक दिन चेतना प्राप्त करेंगे? 00:01:17.000 --> 00:01:20.000 ऐसा मुझे लगता था 00:01:20.000 --> 00:01:23.000 कि एक दिन मुझे मेरे इन प्रश्नों का उत्तर अवश्य मिलेगा | 00:01:23.000 --> 00:01:27.000 किसी को तो अवश्य ही पता होगा, नहीं? 00:01:27.000 --> 00:01:31.000 लेकिन पता है क्या? किसी को भी नहीं पता | 00:01:31.000 --> 00:01:34.000 इनमें से अधिकांश प्रश्न मुझे आज और भी ज्यादा हैरान करते हैं | 00:01:34.000 --> 00:01:37.000 लेकिन इन प्रश्नों में गोता लगाना रोमांचकारी अनुभव है 00:01:37.000 --> 00:01:40.000 क्योंकि ये आपको ज्ञान के उस छोर पर ले जाते हैं, 00:01:40.000 --> 00:01:42.585 जहाँ न जाने क्या प्राप्त हो जाये | 00:01:42.585 --> 00:01:47.000 तो इस श्रृंखला के आरम्भ में दो प्रश्न, 00:01:47.000 --> 00:01:51.477 प्रश्न जो आज तक इस पृथ्वी पर अनुत्तरित हैं ........................ 00:01:51.997 --> 00:01:55.529 कितनी सृष्टियां हैं? 00:01:55.529 --> 00:01:59.308 हम परग्रही जीवन के सबुत क्यों नही देख पाते?