मेरे विचार मे एक अवतार का व्यक्तित्व उसके निर्माता के व्यक्तित्व के करीब होता है| और ये ख्याल मुझे कुछ लोग और उनके अवतार के आचरण और उनके काम करने के तरीके को देख कर होता है| उदाहरण मे: जो दूरी अवतार एक दूसरे से रखते है दूसरी जिंदगी, मे वह असल जिंदगी के पूर्णतः होती है| जब कोई आपके बहुत करीब हो जाता है, तब स्वाभाविक रूप से आप उससे एक या दो कदम दूर हो जायेंगे| भले ही वह दो अवतार के बीच वार्तालाप है फिर भी आप सूक्ष्मता और घनिष्ठता को महसूस कर सकते है| मुझे लगता है की यह बहुत सी चीजों मे लागू होता है, यहाँ तक की उनके बोलने या लिखने के तरीको मे भी| कुछ लोग बहुत असभ्य होते हैं| वह आपको टक्कर देसकते है, या वह जो भाषा इस्तेमाल करते है उसमे कुछ अहिंसात्मक सोच होती है| मेरे ख्याल से एक अवतार की पहचान उसके रचनाकार के समान होती है| हो सकता है ये सिर्फ मै सोचती हूँ , पर मझे लगता है कि कुछ लोग अपनी शख्सियत अपने अवतार से प्रकाशित करते है| जब हम दूसरी जिंदगी से गुजरते है तब निस्संदेह हम अपने पहले जीवन को उसमे व्यक्त करते है| हम यहाँ तक अपने पहले जीवन की दुविधा और उलझन को अपनी दूसरी जिंदगी मे सुलझाने के लिए, सबके सामने ला देते है| या हम अपने दूसरी जिंदगी मे , अपनी असली जिंदगी को समझने और सुलझाने की कोशिश करते है| पर हम इंसानी दुविधाओ को समझने और सुलझाने मे असमर्थ है| सच्चाई यह है कि हम अपने स्थिति और अवस्था का विश्र्लेषण नहीं कर सकते|