[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:16.29,0:00:18.75,Default,,0000,0000,0000,,मेरे विचार मे एक अवतार का व्यक्तित्व उसके \Nनिर्माता के व्यक्तित्व के काफी करीब होता है|\Nऔर ये खयाल मुझे कुछ लोग और उनके अवतार \Nके आचरण और उनके काम करने क तरीके को \Nदेख कर होता है |\Nउदाहरण मे : जो दूरी अवटर्स एक दूसरे से रखते है \Nदूसरी जिंदगी मे वह असली जिंदगी के पूर्णतः \Nहोता है |\Nजब कोई आपके बहुत करीब हो जाता है , तब \Nस्वाभाविक रूप से आप उससे एक या दो कदम\Nदूर हो जायेंगे | भले ही वह दो अवतार क बीच \Nवार्तालाप है फिर भी आप सूक्ष्मता और घनिष्ठता \Nको महसूस कर सकते है | मुझे लगता है की यह \Nबहुत सी चीजों मे लागू होता है , यहाँ तक की \Nउनके बोलने या लिखने के तरीके भी | कुछ लोग \Nबहुत असभ्य होते है | वह आपको टक्कर दे सकते है ,\Nया वह जो भाषा इस्तेमाल करते है उसमे कुछ \Nअहिंसात्मक सोच होती है| मेरे ख्याल से एक अवतार \Nकी पहचान उसके रचनाकार के समान होती है |\Nहो सकता है ये सिर्फ मई सोचती हु, पर मुगहे लगता \Nहै की कुछ लोग अपनी शख्सियत अपने अवतार से \Nप्रकाशित कर देते है | जब हम दूसरी जिंदगी से \Nगुजरते है तब निस्संदेह हम अपने पहले जीवन को \Nउसमे व्यक्त करते है | हम यहाँ तक अपने पहले \Nजीवन की दुविधा और उलझन को अपनी दूसरी \Nजिंदगी मे सुलझाने के लिए , सबके सामने ला देते \Nहै| या हम अपने दूसरी जिंदगी मे , अपनी असली \Nजिंदगी को समझने की कोशिश करते है |पर हम \Nइंसानी दुविधाओ को समझने और सुलझाने \Nमे असमर्थ है | सच्चाई यह है कि हम अपने स्थिति\Nऔर अवस्था का वीश्र्लेषण नहीं कर सकते| Dialogue: 0,0:00:18.75,0:00:20.78,Default,,0000,0000,0000,,