0:00:16.290,0:00:18.750 मेरे विचार मे एक अवतार का व्यक्तित्व उसके [br]निर्माता के व्यक्तित्व के काफी करीब होता है|[br]और ये खयाल मुझे कुछ लोग और उनके अवतार [br]के आचरण और उनके काम करने क तरीके को [br]देख कर होता है |[br]उदाहरण मे : जो दूरी अवटर्स एक दूसरे से रखते है [br]दूसरी जिंदगी मे वह असली जिंदगी के पूर्णतः [br]होता है |[br]जब कोई आपके बहुत करीब हो जाता है , तब [br]स्वाभाविक रूप से आप उससे एक या दो कदम[br]दूर हो जायेंगे | भले ही वह दो अवतार क बीच [br]वार्तालाप है फिर भी आप सूक्ष्मता और घनिष्ठता [br]को महसूस कर सकते है | मुझे लगता है की यह [br]बहुत सी चीजों मे लागू होता है , यहाँ तक की [br]उनके बोलने या लिखने के तरीके भी | कुछ लोग [br]बहुत असभ्य होते है | वह आपको टक्कर दे सकते है ,[br]या वह जो भाषा इस्तेमाल करते है उसमे कुछ [br]अहिंसात्मक सोच होती है| मेरे ख्याल से एक अवतार [br]की पहचान उसके रचनाकार के समान होती है |[br]हो सकता है ये सिर्फ मई सोचती हु, पर मुगहे लगता [br]है की कुछ लोग अपनी शख्सियत अपने अवतार से [br]प्रकाशित कर देते है | जब हम दूसरी जिंदगी से [br]गुजरते है तब निस्संदेह हम अपने पहले जीवन को [br]उसमे व्यक्त करते है | हम यहाँ तक अपने पहले [br]जीवन की दुविधा और उलझन को अपनी दूसरी [br]जिंदगी मे सुलझाने के लिए , सबके सामने ला देते [br]है| या हम अपने दूसरी जिंदगी मे , अपनी असली [br]जिंदगी को समझने की कोशिश करते है |पर हम [br]इंसानी दुविधाओ को समझने और सुलझाने [br]मे असमर्थ है | सच्चाई यह है कि हम अपने स्थिति[br]और अवस्था का वीश्र्लेषण नहीं कर सकते| 0:00:18.750,0:00:20.783