0:00:00.000,0:00:02.000 हम अक्सर सुनते हैं 0:00:02.000,0:00:04.000 कि लोगों को कोई फ़र्क नहीं पडता। 0:00:04.000,0:00:06.000 कितनी बार आपको बताया गया है 0:00:06.000,0:00:09.000 कि वास्तविक और ठोस बदलाव संभव ही नहीं है 0:00:09.000,0:00:11.000 क्योंकि ज्यादातर लोग इतने स्वार्थी, 0:00:11.000,0:00:13.000 या बेवकूक, या आलसी हैं 0:00:13.000,0:00:16.000 कि अपने समाज के बारे में बिलकुल नहीं सोचते? 0:00:16.000,0:00:19.000 आज मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि उदासीनता को जिस रूप में हम जानते हैं, 0:00:19.000,0:00:21.000 उदासीनता वैसी नहीं है, 0:00:21.000,0:00:23.000 बल्कि, मैं कहता हूँ लोगों को फ़िक्र है, 0:00:23.000,0:00:25.000 मगर हम ऐसी दुनिया में रहते हैं 0:00:25.000,0:00:27.000 जो कि तत्परता से भागीदारी को हतोत्साहित करती है, 0:00:27.000,0:00:30.000 लगातार हमारे रास्ते में रोडे-रुकावटें पैदा कर के। 0:00:30.000,0:00:32.000 और मैं आपको इस का उदाहरण देता हूँ। 0:00:32.000,0:00:34.000 टाउन-हाल से शुरु करते हैं। 0:00:34.000,0:00:36.000 इन में से एक आपने पहले देखा ही होगा? 0:00:36.000,0:00:38.000 ये एक अखबारी विज्ञापन है। 0:00:38.000,0:00:41.000 ये एक नयी ऑफ़िस की इमारत बनाने के लिये क्षेत्रीकरण बदलने का नोटिस है 0:00:41.000,0:00:43.000 जिस से कि आसपडोस वाले जान जायें कि क्या हो रहा है। 0:00:43.000,0:00:45.000 जैसा कि आप देख रहे है, इसे पढना नामुमकिन है। 0:00:45.000,0:00:47.000 आपको कम से कम आधे पन्ने तक जाना होगा 0:00:47.000,0:00:49.000 सिर्फ़ ये जानने के लिये कि बात कहाँ की हो रही है, 0:00:49.000,0:00:51.000 और फ़िर और नीचे, एकदम चींटीं बराबर अक्षरों में 0:00:51.000,0:00:54.000 पढना होगा कि आप कैसे हिस्सेदारी निभा सकते हैं। 0:00:54.000,0:00:57.000 सोचिये यदि निज़ी कंपनियों के विज्ञापन ऐसे होते -- 0:00:57.000,0:01:00.000 अगर नाइकी एक जोडी जूते बेचना चाहता और 0:01:00.000,0:01:03.000 अखबार में ऐसा विज्ञापन निकालता। 0:01:03.000,0:01:06.000 (ठहाका) 0:01:06.000,0:01:08.000 और ऐसा कभी भी नहीं होगा। 0:01:08.000,0:01:10.000 आप को कभी भी ऐसा विज्ञापन देखने को नहीं मिलेगा, 0:01:10.000,0:01:13.000 क्योंकि नाइकी वाकई चाहता है कि उसके जूते बिकें। 0:01:13.000,0:01:15.000 लेकिन टोरंटों शहर की सरकार 0:01:15.000,0:01:17.000 , ज़ाहिर तौर पर, नहीं चाहती कि आप योजना में शामिल हों, 0:01:17.000,0:01:19.000 नहीं तो उनके विज्ञापन कुछ इस तरह के दिखते -- 0:01:19.000,0:01:21.000 सारी जानकारी सुचारु रूप से प्रस्तुत की गयी होती। 0:01:21.000,0:01:23.000 जब तक शहर की सरकार ऐसे नोटिस निकालती रहेगी 0:01:23.000,0:01:25.000 लोगों से भागीदारी माँगने के लिये, 0:01:25.000,0:01:27.000 तब तक लोग, बिलकुल भी, शामिल नहीं होंगे। 0:01:27.000,0:01:29.000 लेकिन ये उदासीनता नहीं है; 0:01:29.000,0:01:32.000 ये जानबूझ कर आपको हटाया जा रहा है। 0:01:32.000,0:01:34.000 सार्वजनिक स्थान। 0:01:34.000,0:01:36.000 (ठहाका) 0:01:36.000,0:01:38.000 हमारे द्वारा की जाने वाली सार्वजनिक स्थानों की बेकद्री 0:01:38.000,0:01:40.000 भी बहुत बडी रुकावट है, 0:01:40.000,0:01:43.000 किसी भी प्रगतिवादी राजनैतिक बदलाव के रास्ते में। 0:01:43.000,0:01:46.000 क्योंकि हमने असल में अभिव्यक्ति की कीमत लगा दी है। 0:01:46.000,0:01:49.000 जिसके पास सबसे ज्यादा पैसा है, उस की आवाज़ सबसे ऊँची हो जाती है, 0:01:49.000,0:01:51.000 और वो पूरे दृश्य और मानिसिक परिवेश पर छा जाता है। 0:01:51.000,0:01:53.000 इस मॉडल के साथ समस्या ये है 0:01:53.000,0:01:55.000 कि कुछ ऐसे संदेश हैं जिन्हें जनता तक पहुँचाना अनिवार्य है 0:01:55.000,0:01:57.000 मगर मुनाफ़े के हिसाब से फ़ायदेमंद नहीं है। 0:01:57.000,0:02:00.000 इसलिये वो संदेश कभी भी आपको होर्डिंग पर नहीं दिखेंगे। 0:02:00.000,0:02:02.000 मीडिया की भारी भूमिका है 0:02:02.000,0:02:05.000 राजनैतिक बदलाव से हमारी रिश्तेदारी विकसित करने में, 0:02:05.000,0:02:07.000 मुख्यतः ज़रूरी राजनैतिक आंकलन को नज़रअंदाज़ कर के, 0:02:07.000,0:02:09.000 स्कैंडलों और सेलिबिट्रियों के समाचारों पर केंद्रित हो कर। 0:02:09.000,0:02:12.000 और जब वो बात करते भी हैं महत्वपूर्ण मुद्दों पर, 0:02:12.000,0:02:15.000 तो ऐसे कि लोग हिस्सेदारी निभाने से कतराने लगें। 0:02:15.000,0:02:17.000 और मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ: द नाओ मैगज़ीन पिछले हफ़्ते की -- 0:02:17.000,0:02:19.000 टोरंटो की प्रगतिवादी, शहरी साप्ताहिक मैगज़ीन। 0:02:19.000,0:02:21.000 ये इसकी कवर स्टोरी है। 0:02:21.000,0:02:24.000 ये एक थियटर प्रस्तुति की रपट है, 0:02:24.000,0:02:26.000 और ये उसके बारे में मूल जानकारी से शुरु होती है कि ये कहाँ होगी, 0:02:27.000,0:02:30.000 - कि अगर आप जाना चाहें और देखना चाहें इस रपट को पढने के बाद --- 0:02:30.000,0:02:32.000 कहाँ , कब, वेब्साइट। 0:02:32.000,0:02:34.000 यहाँ भी वही है --- ये एक फ़िल्म की आलोचना है, 0:02:34.000,0:02:36.000 एक आर्ट रपट, 0:02:36.000,0:02:39.000 एक किताब पर रपट -- इसकी रीडिंग कहाँ है, यदि आप शामिल होना चाहें। 0:02:39.000,0:02:41.000 एक रेस्त्रां - हो सकता आप सिर्फ़ पढना ही नही चाहते, 0:02:41.000,0:02:43.000 बल्कि कभी जाना भी चाहें इस रेस्त्रां में। 0:02:43.000,0:02:45.000 तो वो बताते हैं कि, कहाँ है, दाम कितने हैं, 0:02:45.000,0:02:47.000 पूरा पता, फ़ोन नंबर वगैरह। 0:02:47.000,0:02:49.000 अब इनके राजनैतिक लेख देखिये। 0:02:49.000,0:02:52.000 ये एक बढिया लेख है जल्द ही होने वाले एक चुनावी बहस पर। 0:02:52.000,0:02:54.000 ये उम्मीदवारों के बारे में बताता है - बहुत बढिया लिखा है -- 0:02:54.000,0:02:56.000 मगर जानकारी गायब है, न कोई आगे की बात, 0:02:56.000,0:02:58.000 कोई वेब्साइट नहीं, 0:02:58.000,0:03:01.000 न ही ये कि कब है ये बहस, कहाँ इस का ऑफ़िस है। 0:03:01.000,0:03:03.000 ये एक और बढिया लेख है 0:03:03.000,0:03:06.000 परिवहन के निज़ीकरण के विरोध में होने वाले आंदोलन पर 0:03:06.000,0:03:09.000 बिना किसी जानकारी के, कि भाग कैसे लें। 0:03:09.000,0:03:11.000 मीडिया का संदेश लगता है ये है कि 0:03:11.000,0:03:13.000 पाठकगण खाना तो चाहेंगे, 0:03:13.000,0:03:16.000 हो सकता है किताब भी पढना चाहें, या फ़िल्म देखना, मगर समाज में हिस्सेदारी तो नहीं लेंगे। 0:03:16.000,0:03:18.000 और आपको लग सकता है कि ये तो छोटी सी बात है, 0:03:18.000,0:03:21.000 मगर मुझे लगता है कि ये एक पृथा को जन्म देती है, 0:03:21.000,0:03:25.000 और इस खतरनाक मानसिकता को बढावा देती है 0:03:25.000,0:03:28.000 कि राजनीति तो दूर से देखने की चीज़ है। 0:03:28.000,0:03:30.000 नायक: हम नेतृत्व को कैसे देखते हैं? 0:03:30.000,0:03:33.000 इन दस फ़िल्मों को देखिये। इनमें क्या बात एक सी है? 0:03:33.000,0:03:35.000 कोई बतायेगा? 0:03:35.000,0:03:37.000 इन सब के हीरों भाग्य द्वार चुने गये थे। 0:03:37.000,0:03:40.000 कोई उन तक आया और कह गया, "आप तो महान हैं। 0:03:40.000,0:03:42.000 आपका जन्म दुनिया को बचाने के लिये हुआ था।" 0:03:42.000,0:03:45.000 और फ़िर ये जा कर विश्व का संकट हर लेते है, क्योंकि कोई उन्हें बता गया था, 0:03:45.000,0:03:47.000 और साथ में एक दो लोग और होते हैं। 0:03:47.000,0:03:49.000 इस से मुझे समझ आता है कि 0:03:49.000,0:03:52.000 क्यों बहुत सारे लोग खुद को नेतृत्व के काबिल नहीं समझते हैं। 0:03:52.000,0:03:55.000 क्योंकि ये बहुत गलत संदेश देती है कि नेतृत्व आखिर है क्या। 0:03:55.000,0:03:57.000 वीरता भरा प्रयास दरअसल एक पूरे दल का प्रयास होता है, 0:03:57.000,0:03:59.000 पहली बात। 0:03:59.000,0:04:02.000 दूसरी बात, कि ये पूर्णतः मंझा हुआ नहीं होता; और न ही गलैमरस; 0:04:02.000,0:04:04.000 और ये अचानक शुर और अंत नहीं हो जाता है। 0:04:04.000,0:04:06.000 ये ताज़िंदगी लगातार चलने वाला कार्यक्रम होता है। 0:04:06.000,0:04:08.000 मगर सबसे ज़रूरी, ये स्वेचछा से अपनाया गया होता है। 0:04:08.000,0:04:10.000 स्वेच्छा इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है। 0:04:10.000,0:04:13.000 जब तक हम अपने बच्चों को ये पढाते हैं 0:04:13.000,0:04:16.000 कि आप तब ही नेतृत्व कर सकते हैं जब आपके माथे पर कोई आ कर निशान लगाये, 0:04:16.000,0:04:18.000 या फ़िर कोई आ कर बताये कि आपको विशेष रूप से इस के लिये बनाया गया है, 0:04:18.000,0:04:21.000 तब तक वो लोग नेतृत्व का मूल गुण ही नहीं सीख पायेंगे, 0:04:21.000,0:04:23.000 जो कि ये है कि नेतृत्व की ललक भीतर से आती है। 0:04:23.000,0:04:25.000 नेतृत्व अपने सपनों को साकरा करने के बारे में है -- 0:04:25.000,0:04:27.000 बिना निमंत्रण, बिन बुलाये -- 0:04:27.000,0:04:30.000 और फ़िर दूसरों के साथ मिल कर उन सपनों को साकार करना । 0:04:30.000,0:04:32.000 राजनैतिक पार्टियाँ - बाप रे! 0:04:32.000,0:04:35.000 राजनैतिक पार्टिया को होना चाहिये और वो हो सकती हैं 0:04:35.000,0:04:37.000 एक अच्छा रास्ता 0:04:37.000,0:04:39.000 लोगों के राजनीति में शामिल होने का। 0:04:39.000,0:04:41.000 बजाय इसके, दुःख की बात है कि वो बन गयी है, 0:04:41.000,0:04:44.000 निराशाजनक और गैर-रचनात्मक संगठन 0:04:44.000,0:04:46.000 जो कि पूरी तरह पर मार्किट-रिसर्च 0:04:46.000,0:04:48.000 और पॉलिंग और वोट-बैंकों पर केंद्रित हैं, 0:04:48.000,0:04:50.000 और अपना सारा समय बस वही कहने में लगाती हैं, 0:04:50.000,0:04:53.000 जो कि हम सुनना चाहते है पहले से, 0:04:53.000,0:04:56.000 बजाय कुछ वास्तविक और चुनौती भरे सुझावों के। 0:04:56.000,0:04:59.000 और लोग ये समझते है, और इस से निराशा बढती है। 0:04:59.000,0:05:05.000 (अभिवादन) 0:05:05.000,0:05:07.000 चैरिटी होना: 0:05:07.000,0:05:10.000 कनाडा में जो दल चैरिटी घोषित हो चुके हैं, वो विज्ञापन नहीं दे सकते। 0:05:10.000,0:05:13.000 ये एक भारी समस्या है, और बदलाव के रास्ते की रुकावट भी, 0:05:13.000,0:05:16.000 क्योंकि इसका मतलब है कि सबसे ज्यादा समझदार और जज़्बे वाली आवाजों 0:05:16.000,0:05:19.000 को बिलकुल ही खामोश कर दिया गया, खासकर चुनावों के समय। 0:05:19.000,0:05:21.000 और अब आखिरी वाला, 0:05:21.000,0:05:23.000 जो कि है हमारे चुनाव। 0:05:23.000,0:05:26.000 आपने ध्यान दिया होगा, कनाडा में चुनाव सिर्फ़ एक मज़ाक है। 0:05:26.000,0:05:28.000 हम प्राचीन बेकार प्रणालियाँ इस्तेमाल करते हैं 0:05:28.000,0:05:30.000 जो कि पक्षपाती हैं और बेतरतीबी नतीज़ें देती हैं। 0:05:30.000,0:05:32.000 कनाडा में आज जिस पार्टी की सरकार है, 0:05:32.000,0:05:35.000 उसे ज्यादातर कनाडावासी नहीं चाहते। 0:05:35.000,0:05:38.000 हम कैसे लोगों को वोट डालने के लिये उकसायें 0:05:38.000,0:05:40.000 जब कि वोटों का कनाडा में कोई मतलब ही नहीं? 0:05:40.000,0:05:42.000 आप ये सब एक साथ कर सोचिये तो 0:05:42.000,0:05:44.000 ठीक ही लगेगा कि लोग उदासीन हैं। 0:05:44.000,0:05:46.000 भागीदारी करना चट्टान में सिर मारने जैसा लगता है। 0:05:46.000,0:05:48.000 देखिये, मैं नकारात्मक नहीं हूँ 0:05:48.000,0:05:50.000 कि इन सब बातो को आप के सामने प्रस्तुत करने पर भी। 0:05:50.000,0:05:53.000 उसका ठीक उल्टा: मै असल में मानता हूँ कि लोग रचनात्मक और बुद्धिमान हैं, 0:05:53.000,0:05:56.000 और उन्हें सच में फ़र्क पढता है। 0:05:56.000,0:05:59.000 मगर ये, जैसा कि मैने कहा, कि हम ऐसी दुनिया में हैं 0:05:59.000,0:06:03.000 जहाँ ये सारी रुकावटे हमारे रास्ते में अडी हैं। 0:06:03.000,0:06:06.000 जब तक हम ये मान कर बैठे रहेंगे कि हमारे लोग, हमारे पडोसी, 0:06:06.000,0:06:10.000 खुदगर्ज़ है, बेवकूक हैं, या आलसी हैं, 0:06:10.000,0:06:12.000 तो फ़िर कोई आशा बाकी नहीं रहेगी। 0:06:12.000,0:06:14.000 मगर हम उन चीजों को बदल सकें जो मैने अभी कहीं। 0:06:14.000,0:06:16.000 हम टाउन हाल को जनता-जनार्दन के लिये सच में खोल दें। 0:06:16.000,0:06:18.000 हम अपने चुनाव की प्रक्रिया को बदलें। 0:06:18.000,0:06:20.000 हम अपने सार्वजनिक स्थानों को प्रजातांत्रिक बनायें। 0:06:20.000,0:06:22.000 मेरा मुख्य संदेश है कि, 0:06:22.000,0:06:24.000 यदि हम उदासीनता को 0:06:24.000,0:06:26.000 किसी गहरे पैठे मर्ज़ की तरह नहीं देखें, 0:06:26.000,0:06:28.000 बल्कि हमारी संस्कृति और आदत में शुमार रुकावटों के रूप में लें, 0:06:28.000,0:06:31.000 जो कि उदासीनता को बढावा देती हैं, 0:06:31.000,0:06:34.000 और यदि हम उन्हें ढंग से पहचानें, परिभाषित करें, 0:06:34.000,0:06:36.000 कि वो क्या रुकावटें है, 0:06:36.000,0:06:39.000 और फ़िर यदि हम साथ मिल कर उन रुकावटों को उखाड फ़ेंके, 0:06:39.000,0:06:41.000 तो कुछ भी संभव है। 0:06:41.000,0:06:43.000 ध्न्यवाद। 0:06:43.000,0:06:45.000 (अभिवादन)