WEBVTT 00:00:01.358 --> 00:00:03.587 आप ने कभी अकेलापन महसूस किया है? 00:00:04.842 --> 00:00:07.557 लोगों से जुड़ने के बेहद तेज़ ख्वाहिश, 00:00:07.581 --> 00:00:10.662 मगर ऐसा कोई नहीं जिस से मिलने का मन करे? 00:00:11.877 --> 00:00:14.689 या, वीकेंड शुरू हो रहा है, आप दूसरों के साथ होना चाहते हैं, 00:00:14.713 --> 00:00:20.266 मगर जैसे बाहर जाने की ताक़त न बची हो, और सारी शाम आप घर पे बैठे रहें, अकेले, 00:00:20.290 --> 00:00:21.796 नेटफलिक्स देखते हुए 00:00:21.820 --> 00:00:24.977 और अकेलापन पहले से भी गहरा होता चला जाये 00:00:25.001 --> 00:00:26.624 आपको एक प्रेत जैसे अटके हुए हों 00:00:26.648 --> 00:00:29.145 उन तमाम इंसानो के बीच जिन्हें रहना जीना आता है. 00:00:30.193 --> 00:00:34.252 मुझे अकेलापन ऐसा ही लगता है. NOTE Paragraph 00:00:35.856 --> 00:00:37.241 मैं एक आर्टिस्ट हूँ, 00:00:37.265 --> 00:00:41.843 और मैं अपने जज़्बात अपनी कला के ज़रिए समझता हूँ. 00:00:42.846 --> 00:00:45.776 अगर आप अपनी भावनायें किसी से कहें, 00:00:45.800 --> 00:00:49.355 और उन्हें समझ आएँ और वो भी उन भावनाओं को समझें, 00:00:49.379 --> 00:00:52.866 तब ही एक गहरा दिली रिश्ता सा बन पाता है. 00:00:53.456 --> 00:00:57.687 इसीलिए आप सैकड़ों लोगों से घिरे होने पर भी, 00:00:57.711 --> 00:01:00.567 तमाम लोगों में भटकने के बाद भी, 00:01:00.591 --> 00:01:02.895 अकेलेपन में डूब सकते हैं. 00:01:02.919 --> 00:01:07.507 ऐसा इसलिए क्योंकि कहीं कोई गहरा रिश्ता पनप ही नहीं सका. NOTE Paragraph 00:01:09.258 --> 00:01:12.070 मैं हमेशा से एक ख़ुशमिज़ाज बच्चा था. 00:01:12.094 --> 00:01:14.751 मेरे ख़्याल से मेरी एक भी ऐसी तस्वीर नहीं है 00:01:14.775 --> 00:01:17.752 जिसमें मैं मुस्कराता, मस्ती करता न दिखूँ. 00:01:17.776 --> 00:01:20.246 और मैं तब ऐसा ही था जब तक ... 00:01:20.270 --> 00:01:22.193 असल में, मैं अभी भी वैसा ही हूँ. 00:01:22.217 --> 00:01:26.477 और मेरे बहुत दोस्त यार थे 00:01:26.501 --> 00:01:30.102 जब तक कि, किशोरावस्था में, मैं एक नए शहर में आया 00:01:30.126 --> 00:01:32.947 कॉमिक आर्टिस्ट की अपनी पहली नौकरी करने. 00:01:33.857 --> 00:01:38.670 और उन तमाम युवा लोगों की तरह जो इस पृथ्वी पर फलते फूलते हैं, 00:01:38.694 --> 00:01:42.698 मैंने भी अपनी सारी ताक़त लगा कर ख़ुद को बस अपने काम में झोंक दिया. 00:01:43.816 --> 00:01:49.486 मगर जब आपके दिन का 90 फ़ीसदी वक्त 00:01:49.510 --> 00:01:51.608 नौकरी और तरक़्क़ी पाने में निकाल जाए, 00:01:51.632 --> 00:01:53.228 तो ज़ाहिर है आपको वक्त न मिलेगा 00:01:53.252 --> 00:01:56.189 कि जीवन के और बहुत ज़रूरी पहलुओं के बारे में सोचें, 00:01:56.213 --> 00:01:58.228 जैसे बाक़ी लोगों से आपके रिश्ते. 00:01:59.665 --> 00:02:04.353 बड़े होने पर दोस्तियाँ बरकरार रखना एक काम होता है. 00:02:05.520 --> 00:02:09.071 आपको लगातार जुड़े रहने की ज़रूरत होती है. 00:02:09.095 --> 00:02:11.668 आपको खुलना होता है, ईमानदार होना पड़ता है. 00:02:11.692 --> 00:02:13.811 और बस यही मेरी मुश्किल थी, 00:02:13.835 --> 00:02:16.848 क्योंकि मैं अपनी असली भावनाओं को छिपा कर रखता था 00:02:16.872 --> 00:02:19.096 और हमेशा खुश दिखने की कोशिश करता था 00:02:19.120 --> 00:02:21.488 बाक़ी सब लोगों को भी खुश रखने की कोशिश करता था, 00:02:21.512 --> 00:02:23.803 उनके समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर के. 00:02:24.843 --> 00:02:28.207 और मुझे पता है आप में बहुतों यही करते हैं, 00:02:28.231 --> 00:02:32.082 क्योंकि ये आसान रास्ता होता है अपनी मुश्किलों से जी चुरा के निकल जाने का. 00:02:32.106 --> 00:02:33.384 है ना? 00:02:33.408 --> 00:02:34.888 हम्म? हम्म? हम्म? NOTE Paragraph 00:02:34.912 --> 00:02:37.174 (हंसी) NOTE Paragraph 00:02:37.198 --> 00:02:38.348 ठीक है. NOTE Paragraph 00:02:39.428 --> 00:02:42.213 फिर एक ऐसा मोड़ आया 00:02:42.237 --> 00:02:47.343 कि मैंने एक ऐसे सम्बंध में पड़ी जो भावनात्मक रूप से शोषण था. 00:02:47.367 --> 00:02:48.891 कुछ ही साल पहले की बात है. 00:02:49.492 --> 00:02:51.713 उसने मुझे सबसे अलग कर दिया 00:02:51.737 --> 00:02:55.370 और मुझे अकेलेपन में गहरा धकेल दिया. 00:02:56.565 --> 00:02:58.347 वो मेरे जीवन का सबसे ख़राब क्षण था, 00:02:58.371 --> 00:03:01.451 मगर वो मेरे लिए एक चेतावनी भी थी, 00:03:01.475 --> 00:03:03.463 क्योंकि उस क्षण में मैंने पहली बार 00:03:03.487 --> 00:03:06.552 जाना कि मैं अकेलेपन का शिकार थी. NOTE Paragraph 00:03:08.354 --> 00:03:11.136 बहुत लोगों ने भी अपनी भावनाओं का कला में इज़हार किया है. 00:03:11.747 --> 00:03:16.246 हज़ारों किताबें, फ़िल्में, पेंटिंग, संगीत के टुकड़े, 00:03:16.270 --> 00:03:19.130 सब कलाकारों की भावनाओं से लबरेज़. 00:03:19.154 --> 00:03:21.966 तो मैंने भी आर्टिस्ट के तौर पर वही किया. 00:03:21.990 --> 00:03:24.228 अपनी भावनायें व्यक्त कीं. 00:03:25.199 --> 00:03:29.606 मैं अकेलेपन से निबटने में लोगों की मदद करना चाहती थी. 00:03:29.630 --> 00:03:32.253 हाँ, मैं उन्हें अकेलेपन का सच समझाना चाहती थी, 00:03:32.277 --> 00:03:36.241 अपनी कला से उन्हें वो अनुभव देना चाहती थी 00:03:36.265 --> 00:03:39.758 एक संवाद के रूप में, 00:03:39.782 --> 00:03:41.111 एक विडीओ गेम के ज़रिए. NOTE Paragraph 00:03:42.825 --> 00:03:45.062 तो, हमारे गेम में --- 00:03:45.086 --> 00:03:48.431 हम इसे "अकेलेपन का समुंदर" कहते हैं -- (Sea of Solitude) 00:03:48.455 --> 00:03:50.956 आप केय नाम की व्यक्ति हैं, 00:03:50.980 --> 00:03:54.358 जो इतने भीषण अकेलेपन से जूझ रहा है कि 00:03:54.382 --> 00:03:56.696 उसकी अंदर की भावनायें -- 00:03:56.720 --> 00:03:57.958 उसका ग़ुस्सा, 00:03:57.982 --> 00:04:01.771 उसकी नाउम्मीदी, नाकामी -- 00:04:01.795 --> 00:04:03.774 बाहर आ जाती हैं, 00:04:03.798 --> 00:04:05.334 और वो एक दैत्य बन जाती है. 00:04:05.869 --> 00:04:08.086 ये गेम -- या -- केय --- 00:04:08.110 --> 00:04:11.093 असल में मैं ही हूँ 00:04:11.117 --> 00:04:15.222 और ये वो रास्ता है जो मैंने अपनी मुश्किलों से निपटने के लिए अखतियार किया. 00:04:16.309 --> 00:04:18.421 ये गेम, दरअसल, केय के दिमाग़ में चलता है, 00:04:18.445 --> 00:04:23.268 तो आप ऐसी दुनिया में चलते हैं जहां केय के आँसुओ से बाढ़ आ गयी है, 00:04:23.292 --> 00:04:27.494 और मौसम उस के मूड के हिसाब से बदलता है, 00:04:27.518 --> 00:04:29.461 जैसे जैसे उसका मूड बदलता है. 00:04:30.301 --> 00:04:35.620 और, केय केवल एक चीज़ पहनती है, 00:04:35.644 --> 00:04:37.497 केवल एक चीज़, 00:04:37.521 --> 00:04:39.130 अपना पिट्ठू बैग. 00:04:40.272 --> 00:04:44.973 ये वो भार है जो हम सब तज़िंदगी ढोते रहते हैं. 00:04:44.997 --> 00:04:48.252 और केय नहीं जानती है कि भावनाओं को सम्हालने का सही रास्ता क्या है. 00:04:48.276 --> 00:04:51.024 तो उसका पिट्ठू बैग बड़ा होता जाता है 00:04:51.048 --> 00:04:52.492 और फिर फट जाता है., 00:04:52.516 --> 00:04:56.794 और अंततः उसे अपनी मुश्किलों से लड़ कर उनसे आगे निकलना ही पड़ता है. NOTE Paragraph 00:04:58.135 --> 00:05:03.221 हम अपनी कहानी में कई अकेलेपन के कई रूपों को लाते हैं. 00:05:04.443 --> 00:05:08.428 समाज से कट कर रहने से होने वाला अकेलापन अक्सर दिखता है. 00:05:09.041 --> 00:05:12.983 हमारे गेम में, केय का भाई, अपने स्कूल में धौंस या बुलींग का शिकार होता है, 00:05:13.007 --> 00:05:15.655 और बस छुप जाना या भाग जाना चाहता है. 00:05:15.679 --> 00:05:19.923 और हम उसे घने कोहरे से घिरे विशाल दैत्य पक्षी के रूप में देखते हैं. 00:05:21.317 --> 00:05:23.816 गेम खेलने वाले को उसके स्कूल से गुजरना होता है 00:05:23.840 --> 00:05:27.592 और उस अनुभव से भी, उस दर्द और हानि को 00:05:27.616 --> 00:05:29.437 झेलते हुए जो केय के भाई ने झेली, 00:05:30.488 --> 00:05:33.442 क्योंकि बहुत लम्बे समय तक, उस की सुनने वाला तक कोई नहीं था. 00:05:34.081 --> 00:05:39.513 मगर जैसे ही दोस्त और परिवार के लोग उस की बात पे ध्यान देना शुरू करते हैं, 00:05:39.537 --> 00:05:44.350 वो अपने इस तरह के अकेलेपन से निकलने का पहला कदम लेता है. NOTE Paragraph 00:05:44.374 --> 00:05:48.343 हम संबंधो में मौजूद अकेलापन भी देखते हैं, 00:05:48.367 --> 00:05:53.139 जैसे जब पति-पत्नी सिर्फ़ बच्चों के लिए साथ रहने को मजबूर होते हैं 00:05:53.163 --> 00:05:56.022 मगर अंततः पूरे परिवार को पीड़ा देते हैं. 00:05:57.182 --> 00:06:03.279 हम गेम खेलने वाले को झगड़ते माँ-बाप के ठीक बीच पहुँच देते हैं, 00:06:03.303 --> 00:06:05.154 और उसे उनकी बीच का झगड़ा देखना होता है 00:06:05.545 --> 00:06:10.146 और माँ-बाप ये देखते तक नहीं कि उनकी बिटिया केय वही खड़ी है 00:06:10.170 --> 00:06:11.891 जब तक की वो टूट नहीं जाती. NOTE Paragraph 00:06:13.016 --> 00:06:18.047 हम मानसिक बीमारी से होने वाले अकेलेपन को भी शामिल करते हैं, 00:06:18.071 --> 00:06:22.150 केय के बॉय-फ़्रेंड के ज़रिए जो डिप्रेशन से पीड़ित है 00:06:22.174 --> 00:06:24.692 और ये समझाता है कि कभी-कभी 00:06:24.716 --> 00:06:29.926 सबसे ज़रूरी होता है ख़ुद को ठीक और स्वस्थ रखना. 00:06:31.770 --> 00:06:35.233 ये बॉय-फ़्रेंड भी अपनी भावनाओं को छुपाता है, 00:06:35.257 --> 00:06:39.352 और एक अकेले रहने वाली सफ़ेद लोमड़ी के रूप में आता है. 00:06:39.376 --> 00:06:43.828 मगर जैसे ही वो अपनी गर्ल-फ़्रेंड केय से जुड़ता है, 00:06:43.852 --> 00:06:45.439 उसका नक़ाब उतर जाता है, 00:06:45.463 --> 00:06:48.829 और हमें अंदर एक काला कुत्ता दिखता है: 00:06:48.853 --> 00:06:50.152 वही डिप्रेशन है. NOTE Paragraph 00:06:51.355 --> 00:06:54.623 कभी कभी हम मुस्करा कर 00:06:54.647 --> 00:06:58.304 समस्या का सामना करने के बजाय उसे टाल देते हैं, 00:06:58.328 --> 00:07:01.006 और वो उस समस्या को और जटिल बनाता है, 00:07:01.030 --> 00:07:03.138 आसपास के लोगों पर बुरा असर करता है 00:07:03.162 --> 00:07:05.220 और हमारे रिश्तों को ख़राब करता है. NOTE Paragraph 00:07:07.561 --> 00:07:08.827 तो केय को ख़ुद 00:07:08.851 --> 00:07:13.281 हम अपनी मूल भावनाओं के बीच कटे-फटे रूप में दिखाते हैं. 00:07:14.457 --> 00:07:15.732 कुछ आपकी मदद करते हैं, 00:07:15.756 --> 00:07:17.880 कुछ आपको रोकते हैं, 00:07:18.994 --> 00:07:22.165 'ख़ुद पर संदेह' एक विशालकाय जानवर है, 00:07:22.189 --> 00:07:25.408 जो हमेशा केय को हमेशा नाकारा कहता है 00:07:25.432 --> 00:07:27.690 और उसे हार मानने को प्रेरित करता है. 00:07:28.167 --> 00:07:29.646 जैसे कि असल ज़िंदगी होती है, 00:07:30.531 --> 00:07:32.869 ख़ुद पर संदेह उसका रास्ता रोकता है, 00:07:32.893 --> 00:07:35.128 और उस से बचना नामुमकिन लगता है. 00:07:36.271 --> 00:07:40.705 ऐसे हर जगह मौजूद संदेह को हराने की लड़ाई धीमी गति से लड़ी जाती है. 00:07:40.729 --> 00:07:44.501 मगर गेम में, आप धीरे धीरे उसे छोटा कर देते हैं, 00:07:44.525 --> 00:07:46.981 और वो ख़ुद पर संदेह से 00:07:47.005 --> 00:07:48.791 ख़ुद के प्रति चौकसी में बदलता है, 00:07:48.815 --> 00:07:51.045 और आप आख़िर में, उसकी सलाह मान सकते हैं. 00:07:52.544 --> 00:07:55.251 हम "ख़ुद की बर्बादी" भी दिखाते हैं. 00:07:55.769 --> 00:07:57.391 बहुत बड़ी दैत्य है वो. 00:07:57.415 --> 00:08:00.722 हमेशा पानी के सतह के नीचे छुप के बैठने वाली 00:08:01.627 --> 00:08:04.635 यही इस गेम में असली दुश्मन है. 00:08:04.659 --> 00:08:08.673 और हमेशा आपको आंसुओं के समंदर में डुबाने की कोशिश में तत्पर. 00:08:09.432 --> 00:08:11.857 मगर जब वो आपको असल ने डुबाने लगती है. 00:08:11.881 --> 00:08:13.878 आप बस डूबने से कुछ ही पल पहले उठ जाते हैं, 00:08:13.902 --> 00:08:16.732 और आपको फिर आगे बढ़ने का मौक़ा मिलता है. 00:08:17.432 --> 00:08:19.913 हम दिखाना चाहते थे कि 00:08:19.937 --> 00:08:23.737 हम सब जीवन में मुश्किल दौर से गुजरते हैं, 00:08:23.761 --> 00:08:29.458 मगर थोड़ी सी कोशिश की जाए, और अपने लिए खड़े हुआ जाए, 00:08:29.482 --> 00:08:34.079 तो बहुत सम्भव है की हम अपनी मुश्किलों से लड़ सकें, 00:08:34.103 --> 00:08:35.599 एक एक कदम कर के. NOTE Paragraph 00:08:37.742 --> 00:08:43.897 ख़ुशी ऐसी कोई चीज़ है जिसे केय कभी मिल नहीं सकती, छू नहीं सकती. 00:08:43.921 --> 00:08:46.675 वो बस दूर कही है. 00:08:46.699 --> 00:08:49.198 उसे हमने बचपन की छोटी सी केय के रूप में दिखाया है. 00:08:49.222 --> 00:08:50.590 एक पीली बरसाती ओढ़े हुए. 00:08:50.614 --> 00:08:53.834 और वो भी आँसुओ के समंदर के ख़तरे में है. 00:08:53.858 --> 00:08:57.101 मगर ख़ुशी भी पागलपन में बदल सकती है 00:08:57.125 --> 00:08:59.188 और केय को असल में नुक़सान पहुँचा सकती है, 00:08:59.212 --> 00:09:02.284 जैसे कि जब वो बस अपने बॉय-फ़्रेंड के लिए पागल हो जाती है. 00:09:02.974 --> 00:09:08.656 ख़ुशी तब तक अपने साधारण रूप में नहीं आती जब तक केय ये न समझे 00:09:08.680 --> 00:09:13.502 कि उसकी ख़ुशी किसी और की मोहताज नहीं होनी चाहिए 00:09:13.526 --> 00:09:15.700 बस वो अपने में खुश हो सकती है. NOTE Paragraph 00:09:17.977 --> 00:09:20.904 तो हमारे दैत्य विशाल और डरावने दिखते हैं 00:09:20.928 --> 00:09:24.203 मगर अगर आप अपने डर को क़ाबू कर के उन तक पहुँचे तो, 00:09:24.227 --> 00:09:28.278 आप जल्द ही या पाते है की वो कोई भयंकर दैत्य नहीं हैं 00:09:28.302 --> 00:09:33.603 बल्कि कमजोर से जीव हैं जो बस ख़ुद ही अपनी ज़िंदगी से जूझ रहे हैं. NOTE Paragraph 00:09:36.325 --> 00:09:39.062 और वो सारी भावनायें, 00:09:39.086 --> 00:09:42.511 चाहे ख़ुद पर शक हो या ख़ुद का नुक़सान हो, 00:09:42.535 --> 00:09:44.838 गेम में कभी पूरी तरह ख़त्म नहीं होते. 00:09:46.292 --> 00:09:52.190 इस का मुख्य संदेश है कि सिर्फ़ आनंद और ख़ुशी के पीछे न भागें 00:09:52.214 --> 00:09:55.164 बल्कि अपनी सारी भावनाओं को अपनाएँ 00:09:55.188 --> 00:09:57.365 और उनके बीच एक संतुलन बनाएँ, 00:09:59.138 --> 00:10:02.934 "सब ठीक है" कहना हमेशा ठीक नहीं है. NOTE Paragraph 00:10:05.468 --> 00:10:09.099 हर किसी के पास अपने अकेलेपन की एक कहानी है. 00:10:09.123 --> 00:10:12.794 ये समझते ही मेरे लिए सब कुछ बदल गया. 00:10:13.910 --> 00:10:16.053 मैंने अपनी भावनाओं को खुल के अपनाया 00:10:16.077 --> 00:10:19.842 और अपने निजी जीवन पर ध्यान दिया, 00:10:19.866 --> 00:10:22.270 अपने दोस्तों, और परिवार पर भी. 00:10:23.274 --> 00:10:24.641 जब हमने ये गेम निकाला, 00:10:24.665 --> 00:10:27.985 तो हज़ारों लोगों ने हमें संदेश भेजे, 00:10:28.009 --> 00:10:30.606 अपनी कहानी हमें बताने के लिए 00:10:30.630 --> 00:10:35.439 और ये कि वो अब उतना अकेला महसूस नहीं करते हैं क्योंकि 00:10:35.463 --> 00:10:37.796 ये गेम खेलना उन्हें सहारा देता है. 00:10:38.497 --> 00:10:41.419 कई लोगों ने लिखा कि उन्हें आशा मिली 00:10:41.443 --> 00:10:45.102 अपने लिए एक भविष्य गढ़ने की, कई सालों में पहली बार. 00:10:45.955 --> 00:10:48.625 कई लोगों ने लिखा कि वो अब इलाज ले रहे हैं, 00:10:49.584 --> 00:10:54.054 बस क्योंकि उन्होंने हमारा गेम खेला 00:10:54.078 --> 00:10:57.060 और उन्हें अपनी परेशानियों से निबटने की हिम्मत जुटी. 00:10:59.155 --> 00:11:00.629 हमारा गेम कोई इलाज़ नहीं है. 00:11:00.653 --> 00:11:02.273 हमने इलाज़ बनाया भी नहीं है. 00:11:02.297 --> 00:11:05.217 बस मैं और मेरे कुछ दोस्त अपने दिल की बात बता रहे हैं 00:11:05.241 --> 00:11:07.932 कला और विडीओ गेम के ज़रिए. 00:11:07.956 --> 00:11:12.687 मगर हम तह-ए-दिल से हर संदेश के लिए शुक्रगुज़ार हैं 00:11:12.711 --> 00:11:14.447 कि लोगों को अच्छा महसूस हुआ, 00:11:14.471 --> 00:11:17.999 बस क्योंकि हमने अपनी आपबीती बनती, NOTE Paragraph 00:11:19.456 --> 00:11:20.915 तो... 00:11:20.939 --> 00:11:27.932 मैंने दूसरों के समस्या सुलझाने की अपनी आदत पूरी तरह नहीं छोड़ी. NOTE Paragraph 00:11:27.956 --> 00:11:30.129 मगर अब मैं उसे पूरी तरह छोड़ना चाहती भी नहीं. 00:11:30.740 --> 00:11:32.113 मुझे ये अच्छा लगता है. 00:11:32.137 --> 00:11:36.748 बस मुझे उसे संतुलन में लाना था, 00:11:36.772 --> 00:11:39.843 जिस से कि वो मुझे गहरे रिश्तों बनाने से न रोक सके, 00:11:39.867 --> 00:11:42.402 बल्कि और भी ज़्यादा लोगों से जुड़ने में मदद करे. NOTE Paragraph 00:11:44.264 --> 00:11:47.743 तो अगर आप के अंदर दैत्य है 00:11:47.767 --> 00:11:51.456 जो ख़राब भावनाओं से पैदा हुआ है, 00:11:51.480 --> 00:11:54.915 तो सिर्फ़ उसे ख़त्म कर देना ही उद्देश्य नहीं है 00:11:54.939 --> 00:11:58.775 बल्कि हमें ये समझना होगा कि हम लोग काफ़ी जटिल प्राणी हैं. 00:11:59.918 --> 00:12:06.173 ये देखिए की आपकी ज़िंदगी का कौन सा हिस्सा बाक़ी सब हिस्सों पे हावी है. 00:12:06.920 --> 00:12:10.354 पता करिए क्या भावनाएँ आपको बस महसूस होती 00:12:10.378 --> 00:12:11.928 है और कौन सी ज़रूरत से ज़्यादा 00:12:11.952 --> 00:12:14.541 और उन हावी भावनाओं पर क़ाबू पाइए. 00:12:15.191 --> 00:12:17.772 सबसे ज़रूरी है कि हम ये समझें 00:12:17.796 --> 00:12:21.500 कि हमारी ये तमाम सारी छोटी बड़े भावनायें और जद्दोजहद 00:12:21.524 --> 00:12:23.939 ही वो चीज़ हैं जो हमें 00:12:23.963 --> 00:12:25.183 मनुष्य बनाती हैं. NOTE Paragraph 00:12:26.162 --> 00:12:27.324 धन्यवाद. NOTE Paragraph 00:12:27.348 --> 00:12:29.142 (तालियाँ)