1 00:00:07,092 --> 00:00:10,192 क्या आप सच में उतने कुशल हैं जितना आप सोचते हैं? 2 00:00:10,192 --> 00:00:13,902 रुपए पैसे के मामले में आप कितने अच्छे हैं? 3 00:00:13,902 --> 00:00:16,732 दूसरों की भावनाओं को समझने में? 4 00:00:16,732 --> 00:00:20,172 औरों के मुक़ाबले आपका स्वास्थ कितना अच्छा है? 5 00:00:20,172 --> 00:00:23,114 क्या आपका व्याकरण आम लोगों से बेहतर है? 6 00:00:23,114 --> 00:00:24,701 अपनी कुशलता के बारे में जानना 7 00:00:24,701 --> 00:00:27,993 और दूसरों के मुक़ाबले ख़ुद को आँकना 8 00:00:27,993 --> 00:00:30,172 सिर्फ़ स्वाभिमान या ईगो की बात नहीं है। 9 00:00:30,172 --> 00:00:34,714 ये जानने से हमें अपने भविष्य के फ़ैसले लेने में आसानी होती है 10 00:00:34,714 --> 00:00:39,393 और हमें समझ आता है की कब हमें दूसरों के सलाह चाहिए। 11 00:00:39,393 --> 00:00:42,705 मगर मनोवैज्ञानिक शोध कहता है कि हम बहुत अच्छे नहीं हैं 12 00:00:42,705 --> 00:00:45,664 अपने क़ाबलियत को आँकने में 13 00:00:45,664 --> 00:00:50,001 बल्कि, हम अक्सर अपने को वास्तविकता से बेहतर गिनते हैं। 14 00:00:50,001 --> 00:00:52,293 रिसर्च के लोगों ने इस बात को एक नाम दिया है, 15 00:00:52,293 --> 00:00:55,626 डनिंग-क्रूगर एफेक्ट। 16 00:00:55,626 --> 00:00:58,204 ये एफेक्ट समझाता है की क्यों सौ से अधिक प्रयोगों में 17 00:00:58,204 --> 00:01:02,465 लोगों ने अपनी क़ाबलियत को बढ़ा-चढ़ा के बताया। 18 00:01:02,465 --> 00:01:04,544 हम ख़ुद को दूसरों से इतना बेहतर मानते हैं 19 00:01:04,544 --> 00:01:08,134 जितना की गणित के हिसाब से हम हो ही नहीं सकते हैं। 20 00:01:08,134 --> 00:01:12,665 जब दो कंपनियो के सॉफ़्टवेयर इंजिनियरो से ख़ुद को मापने के लिए कहा गया, 21 00:01:12,665 --> 00:01:17,637 तो एक कम्पनी के 32% और दूसरी के 42% इंजीनियरों ने 22 00:01:17,637 --> 00:01:21,224 ख़ुद को 5% बेहतरीन इंजिनयरों में गिना। 23 00:01:21,224 --> 00:01:25,195 दूसरे प्रयोग में, 88% अमेरिकन ड्राइवरों ने 24 00:01:25,195 --> 00:01:29,465 ख़ुद की ड़्राईवरी को औसत से बेहतर बताया। 25 00:01:29,465 --> 00:01:31,606 और ये हर जगह देखा गया है। 26 00:01:31,606 --> 00:01:34,945 आमतौर पर, लोग ख़ुद को दूसरों से बेहतर समझते हैं 27 00:01:34,945 --> 00:01:42,095 चाहे स्वास्थ हो, या नेत्रत्व के क्षमता, या मौलिकता या कुछ और। 28 00:01:42,095 --> 00:01:45,756 मज़े की बात ये है की जो लोग सबसे काम क़ाबिल होते हैं 29 00:01:45,756 --> 00:01:50,636 वो अपने को सबसे ज़्यादा क़ाबिल मानते हैं। 30 00:01:50,636 --> 00:01:53,367 वो लोग जो हल्के जानकार होते हैं तर्क के, 31 00:01:53,367 --> 00:01:54,070 व्याकरण के, 32 00:01:54,070 --> 00:01:55,117 वाणिज्य के, 33 00:01:55,117 --> 00:01:55,983 गणित के, 34 00:01:55,983 --> 00:01:57,361 भावनाओं के, 35 00:01:57,361 --> 00:01:59,357 प्रयोगशालाओं ने काम करने के, 36 00:01:59,357 --> 00:02:00,637 शतरंज के, 37 00:02:00,637 --> 00:02:08,238 वे सब अपने को निपुण लोगों जितना ही क़ाबिल बताते हैं। 38 00:02:08,238 --> 00:02:11,397 तो ऐसा सबसे ज़्यादा किसके साथ होता है? 39 00:02:11,397 --> 00:02:15,718 दुर्भाग्यवश, हममेसे कई समूह है जो अक्षम है 40 00:02:15,718 --> 00:02:18,638 और इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं। 41 00:02:18,638 --> 00:02:19,820 मगर ऐसा क्यों? 42 00:02:19,820 --> 00:02:24,719 जब मनोवैज्ञानिक डनिंग और क्रूगर ने इस एफेक्ट का पता लगाया 1999 में, 43 00:02:24,719 --> 00:02:28,873 तो उन्होंने तर्क दिया कि जिन्हें किसी क्षेत्र की जानकारी या कुशलता नहीं है, 44 00:02:28,873 --> 00:02:31,329 वो दोहरी मार खाते हैं। 45 00:02:31,329 --> 00:02:35,148 पहले तो वो ग़लत फ़ैसले लेते हैं और ग़लतियाँ करते हैं। 46 00:02:35,148 --> 00:02:40,581 और दूसरा, वो अपने कम जानकारी की वजह से अपनी ग़लतियाँ पकड़ भी नहीं पाते हैं। 47 00:02:40,581 --> 00:02:44,449 दूसरे शब्दों में, कम जानने वाले को वो ज्ञान ही नहीं होता जिस से 48 00:02:44,449 --> 00:02:47,419 वो ये पता लगा सके की वो कितना काम जानता है 49 00:02:47,419 --> 00:02:49,419 मिसाल के तौर पर, एक प्रयोग में 50 00:02:49,419 --> 00:02:51,979 कॉलेज की डिबेट टीमों में 51 00:02:51,979 --> 00:02:55,569 सब से कमज़ोर प्रदर्शन करने वाली 25% टीमों ने 52 00:02:55,569 --> 00:02:59,623 लगभग 5 में से 4 मैच हारे 53 00:02:59,623 --> 00:03:03,229 मगर उन्हें लग रहा था कि वो लगभग 60% जीत रहे हैं। 54 00:03:03,229 --> 00:03:06,001 डिबेट के नियमो की पक्की पकड़ के बग़ैर 55 00:03:06,001 --> 00:03:09,550 उन्हें ये पता ही नहीं चलता था की वो कब और कितनी बार 56 00:03:09,550 --> 00:03:12,491 अपने तर्क में गड़बड़ कर रहे थे। 57 00:03:12,491 --> 00:03:17,440 डनिंग-क्रूगर एफेक्ट ये नहीं कहता है की अपने घमंड में अपनी कमियाँ नहीं देखते हैं। 58 00:03:17,440 --> 00:03:21,541 अक्सर लोग अपने ग़लतियाँ मान लेते हैं जब वो उन्हें देखते हैं 59 00:03:21,541 --> 00:03:25,651 एक प्रयोग में, स्टूडेंट जिन्होंने तर्क की परीक्षा में ख़राब प्रदर्शन किया था, 60 00:03:25,651 --> 00:03:28,040 उन्हें जब तर्क सिखाया गया, 61 00:03:28,040 --> 00:03:34,081 तो उन्होंने अपने पिछली प्रदर्शन को बुरा कहा। 62 00:03:34,081 --> 00:03:38,071 हो सकता है इसीलिए औसत से ज़्यादा ज्ञानी लोगों 63 00:03:38,071 --> 00:03:41,291 को ख़ुद की क़ाबलियत पर उतना ज़्यादा भरोसा नहीं होता है। 64 00:03:41,291 --> 00:03:44,691 उन्हें पता होता है की बहुत कुछ ऐसा है जो उन्हें पता ही नहीं है 65 00:03:44,691 --> 00:03:49,241 और साथ ही, बढ़िया जानकारो को ये तो पता होता है कि वो ज्ञान रखते हैं 66 00:03:49,241 --> 00:03:51,201 मगर वो अक्सर दूसरी ग़लती करते हैं। 67 00:03:51,201 --> 00:03:56,432 वो सोचते हैं कि सबको उनके बराबर ही ज्ञान है 68 00:03:56,432 --> 00:04:00,083 नतीजा ये होता है की लोग, चाहे कम या ज़्यादा जानकार हों, 69 00:04:00,083 --> 00:04:04,352 अक्सर अपनी क़ाबलियत के बारे में ग़लत अनुमान ही लगाते हैं। 70 00:04:04,352 --> 00:04:07,673 जब वो काम क़ाबिल होते हैं, तो अपनी ग़लती देख नहीं पाते, 71 00:04:07,673 --> 00:04:09,461 और जब बहुत क़ाबिल होते हैं, 72 00:04:09,461 --> 00:04:14,303 तो उन्हें अंदाज़ा नहीं होता है कि उनके जैसे बहुत काम लोग हैं। 73 00:04:14,303 --> 00:04:18,493 तो अगर हमें डनिंग-क्रूगर एफेक्ट का पता ही नहीं चलता है, 74 00:04:18,493 --> 00:04:24,873 तो हम कैसे समझें की हम असल में कितने पानी में हैं? 75 00:04:24,873 --> 00:04:27,524 पहला, दूसरों से अपने क़ाबलियत का हिसाब लगवाएँ। 76 00:04:27,524 --> 00:04:30,584 और उसे सुने, चाहे वो सुनने में कितना ही ख़राब क्यों ना लगे। 77 00:04:30,584 --> 00:04:33,235 दूसरा, और बहुत ज़रूरी, सीखते रहें। 78 00:04:33,235 --> 00:04:34,935 जितना हम सीखेंगे , 79 00:04:34,935 --> 00:04:40,454 उतना ही हम अपनी कमियों को देख सकेंगे। 80 00:04:40,454 --> 00:04:43,333 शायद बात एक पुरानी कहावत पर आती है: 81 00:04:43,333 --> 00:04:44,835 वेवक़ूफ़ो से बहस करने से पहले 82 00:04:44,835 --> 00:04:49,115 सोच लें कि दूसरा भी तो वही नहीं कर रहा है।