[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:51.03,0:00:56.70,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन से आधुनिक काल तक दुनिया के सबसे \Nमहानतम आध्यात्मिक गुरुओं ने विचार साझा किया है कि Dialogue: 0,0:00:56.70,0:01:01.62,Default,,0000,0000,0000,,हमारे अस्तित्व की गहरी सच्चाई किसी एक विशेष Dialogue: 0,0:01:01.62,0:01:06.78,Default,,0000,0000,0000,,धार्मिक या आध्यात्मिक परंपरा की सम्पत्ति नहीं है बल्कि Dialogue: 0,0:01:06.78,0:01:10.43,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक व्यक्ति के मन में समाई हैा Dialogue: 0,0:01:20.51,0:01:28.88,Default,,0000,0000,0000,,कवि रूमी ने कहा है "ऐसा चंद्रमा कहाँ है\Nजो न कभी उगता है न डूबता है? Dialogue: 0,0:01:28.88,0:01:36.58,Default,,0000,0000,0000,,ऐसी आत्मा कहाँ है जो हमारे साथ है भी \Nऔर नहीं भी। यह न कहो कि वह यहाँ या वहाँ है। Dialogue: 0,0:01:36.58,0:01:45.88,Default,,0000,0000,0000,,सारी रचना 'वही' है, लेकिन उन आँखों के लिए \Nजो उसे देख सकती हैं। Dialogue: 0,0:02:49.77,0:02:55.35,Default,,0000,0000,0000,,टॉवर ऑफ़ बेबल की कथा में \Nमानवता अनगिनत भाषाओँ , Dialogue: 0,0:02:55.35,0:03:04.25,Default,,0000,0000,0000,,विश्वास, संस्कृतियों और दिलचस्पियों में बँटी हुई है । \Nबेबल का शाब्दिक अर्थ है "ईश्वर का द्वार"। Dialogue: 0,0:03:04.25,0:03:15.51,Default,,0000,0000,0000,,द्वार हमारा सोचने वाली बुद्धि है - हमारी \Nअनुकूलित संरचनाएँ। उन लोगों के लिए Dialogue: 0,0:03:15.51,0:03:22.11,Default,,0000,0000,0000,,जो अपनी असली प्रकृति, नाम और रूप से अलग \Nअपने अस्तित्व को समझने का प्रयास करते हैं, Dialogue: 0,0:03:22.11,0:03:28.40,Default,,0000,0000,0000,,उन्हें द्वार से परे के महान रहस्य से अवगत कराया जाता है। Dialogue: 0,0:03:35.25,0:03:43.08,Default,,0000,0000,0000,,एक पुरानी हाथी की नीति कथा के ज़रिए \Nबताया गया है कि कैसे अलग-अलग Dialogue: 0,0:03:43.08,0:03:50.49,Default,,0000,0000,0000,,परंपराएँ एक ही महान सत्य की ओर \Nइशारा कर रही हैं। कुछ अंधे लोग Dialogue: 0,0:03:50.49,0:03:56.28,Default,,0000,0000,0000,,एक हाथी के अलग-अलग अंगों को छूते हैं, \Nऔर सबकी एक अलग धारणा बनती है कि Dialogue: 0,0:03:56.28,0:04:04.02,Default,,0000,0000,0000,,हाथी क्या है। हाथी के पैर के पास खड़ा व्यक्ति \Nहाथी को एक Dialogue: 0,0:04:04.02,0:04:11.40,Default,,0000,0000,0000,,पेड़ की तरह बताता है। पूंछ की ओर खड़ा व्यक्ति \Nउसे रस्सी जैसा बताता है। Dialogue: 0,0:04:11.40,0:04:20.49,Default,,0000,0000,0000,,हाथी के दाँत को छूने वाला व्यक्ति \Nउसे भाले की तरह बताता है। और कोई Dialogue: 0,0:04:20.49,0:04:25.73,Default,,0000,0000,0000,,जो कान को छूता है, उसे लगता है कि \Nहाथी एक पंखे की तरह है। Dialogue: 0,0:04:26.00,0:04:34.34,Default,,0000,0000,0000,,जो हाथी के पेट को छूता है \Nउसे हाथी दीवार की तरह लगता है। Dialogue: 0,0:04:34.34,0:04:39.98,Default,,0000,0000,0000,,समस्या यह है कि हम हाथी के अपने अंश को छूते हैं \Nऔर हम अपने अनुभव को ही Dialogue: 0,0:04:39.98,0:04:47.51,Default,,0000,0000,0000,,सच मान लेते हैं। हम न तो स्वीकार करते हैं \Nन ही मानते हैं कि हर व्यक्ति का अनुभव Dialogue: 0,0:04:47.51,0:04:53.92,Default,,0000,0000,0000,,एक ही प्राणी के विभिन्न पहलू हैं। Dialogue: 0,0:05:16.69,0:05:22.25,Default,,0000,0000,0000,,सार्वकालिक दर्शन एक समझ है कि \Nसभी आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराएँ Dialogue: 0,0:05:22.25,0:05:29.00,Default,,0000,0000,0000,,एक ही सार्वभौमिक सत्य का उल्लेख करती हैं। \Nएक रहस्यात्मक या Dialogue: 0,0:05:29.00,0:05:34.61,Default,,0000,0000,0000,,परम सत्य जिसकी नींव पर \Nसभी आध्यात्मिक ज्ञान और उसके Dialogue: 0,0:05:34.61,0:05:44.84,Default,,0000,0000,0000,,सिद्धांत विकसित हुए हैं। Dialogue: 0,0:05:45.92,0:05:52.40,Default,,0000,0000,0000,,स्वामी विवेकानंद ने यह कह कर सार्वकालिक \Nशिक्षा का सारांश प्रस्तुत किया, "हर धर्म का Dialogue: 0,0:05:52.40,0:05:59.87,Default,,0000,0000,0000,,लक्ष्य आत्मा में ईश्वर का बोध है। \Nयही एकमात्र वैश्विक धर्म है।" Dialogue: 0,0:05:59.87,0:06:08.30,Default,,0000,0000,0000,,इस फिल्म में जब हम ईश्वर शब्द का प्रयोग करते हैं \Nतो वह ज्ञानातीत रूपक मात्र है Dialogue: 0,0:06:08.30,0:06:16.16,Default,,0000,0000,0000,,जो सीमित अहंकारी मन से परे उस \Nविलक्षण रहस्य की ओर इशारा करता है। Dialogue: 0,0:06:16.16,0:06:23.87,Default,,0000,0000,0000,,अपने सच्चे आत्म ज्ञान या अंतर्निहित आत्म को समझने का मतलब \Nअपनी दिव्य प्रकृति को जानना है। Dialogue: 0,0:06:23.87,0:06:31.31,Default,,0000,0000,0000,,हर एक आत्मा में चेतना के नए उच्च स्तर की समझ, \Nउसे नींद से जगाने और उसके Dialogue: 0,0:06:31.31,0:07:04.17,Default,,0000,0000,0000,,स्वरूप के साथ उसे पहचानने की क्षमता होती है। Dialogue: 0,0:07:04.17,0:07:11.38,Default,,0000,0000,0000,,अपनी पुस्तक "ब्रेव न्यू वर्ल्ड " के लिए विख्यात\Nलेखक और दूरदर्शी आल्डस हक्सले ने Dialogue: 0,0:07:11.38,0:07:16.39,Default,,0000,0000,0000,,"द पेरिनियल फिलॉसफी" नामक पुस्तक भी लिखी, \Nजिसमें उन्होंने उस शिक्षा के बारे में लिखा है Dialogue: 0,0:07:16.39,0:07:22.27,Default,,0000,0000,0000,,जो इतिहास में बार बार दोहराई जाती है, \Nजो उस संस्कृति का रूप लेती है Dialogue: 0,0:07:22.27,0:07:29.02,Default,,0000,0000,0000,,जिसमें उसे महसूस किया जाता है। \Nवे लिखते हैं, "द पेरिनियल फिलॉसफी Dialogue: 0,0:07:29.02,0:07:36.40,Default,,0000,0000,0000,,संस्कृत सूत्र "तत् त्वम असि"; "जो तुम हो" में काफ़ी\Nसंक्षिप्त रूप में व्यक्त किया गया है। Dialogue: 0,0:07:36.40,0:07:45.13,Default,,0000,0000,0000,,आत्मा या श्रेष्ठ अविनाशी आत्म वही है \Nजो ब्रह्म में लीन है, यह परम सिद्धांत है Dialogue: 0,0:07:45.13,0:07:50.83,Default,,0000,0000,0000,,हर अस्तित्व का, और \Nहरेक मानव का आखिरी अंत है Dialogue: 0,0:07:50.83,0:08:00.09,Default,,0000,0000,0000,,स्वयं तथ्य की खोज करना। यह पता लगाना कि \Nदरअसल वह कौन है? Dialogue: 0,0:08:06.42,0:08:12.94,Default,,0000,0000,0000,,हर परम्परा रत्न के फलक जैसी है \Nजो उसी सत्य का अलग परिप्रेक्ष्य Dialogue: 0,0:08:12.94,0:08:19.83,Default,,0000,0000,0000,,दिखाती है, जबकि परस्पर वही भाव\Nप्रतिध्वनित और प्रकाशित करती है। Dialogue: 0,0:08:19.83,0:08:26.08,Default,,0000,0000,0000,,चाहे कोई भी भाषा या वैचारिक सोच \Nइस्तेमाल की गयी हो, सभी धर्म जो Dialogue: 0,0:08:26.08,0:08:31.03,Default,,0000,0000,0000,,शाश्वत सत्य की शिक्षा देते हैं, उनकी यही \Nअवधारणा होती है कि किसी परम तत्व से Dialogue: 0,0:08:31.03,0:08:35.85,Default,,0000,0000,0000,,मिलन होना है, जो हमारी समझ से परे है। Dialogue: 0,0:09:08.86,0:09:15.23,Default,,0000,0000,0000,,यह संभव है कि उनसे सीख और उनके साथ \Nस्व की भावना का भेद किए बिना Dialogue: 0,0:09:15.23,0:09:22.61,Default,,0000,0000,0000,,एक या अनेक स्रोतों की शिक्षा को एकीकृत करें। \Nऐसा कहा जाता है कि समस्त सच्चा Dialogue: 0,0:09:22.61,0:09:28.94,Default,,0000,0000,0000,,आध्यात्मिक ज्ञान उस परम सत्य की ओर \Nइशारा करती हुई उंगलियाँ हैं। यदि हम Dialogue: 0,0:09:28.94,0:09:34.73,Default,,0000,0000,0000,,राहत के लिए इस सीख से हठधर्मिता के साथ\Nचिपके रहते हैं तो यह हमारे आध्यात्मिक विकास में Dialogue: 0,0:09:34.73,0:09:42.65,Default,,0000,0000,0000,,बाधक बन जाएगा। सत्य को किसी \Nअवधारणा से परे जानने के लिए हमें Dialogue: 0,0:09:42.65,0:09:50.65,Default,,0000,0000,0000,,सभी लगाव और मोह को छोड़ना होगा, \Nसभी धार्मिक अवधारणाओं को त्यागना होगा। Dialogue: 0,0:09:53.68,0:09:59.86,Default,,0000,0000,0000,,अहंकार के परिप्रेक्ष्य से आपको समाधि की ओर \Nइशारा करने वाली उँगली सीधे पाताल की ओर Dialogue: 0,0:09:59.86,0:10:04.47,Default,,0000,0000,0000,,इशारा करती है। Dialogue: 0,0:10:05.63,0:10:11.66,Default,,0000,0000,0000,,क्रॉस के सेंट जॉन ने कहा है, "अगर कोई \Nसत्य की राह पर चलने की इच्छा रखता है, Dialogue: 0,0:10:11.66,0:10:17.65,Default,,0000,0000,0000,,तो उसको अपनी आंखें बंद कर लेनी चाहिए \Nऔर अंधेरे में चलना चाहिए।" Dialogue: 0,0:10:50.66,0:10:55.94,Default,,0000,0000,0000,,समाधि अज्ञात में एक छलांग के साथ शुरू होती है। Dialogue: 0,0:11:08.36,0:11:14.27,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन परंपराओं में यह कहा गया है कि \Nसमाधि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अंततः Dialogue: 0,0:11:14.27,0:11:20.45,Default,,0000,0000,0000,,चेतना को सभी ज्ञात वस्तुओं से \Nदूर रखना होगा; सभी बाहरी प्रत्यक्ष Dialogue: 0,0:11:20.45,0:11:27.52,Default,,0000,0000,0000,,वस्तुओं से, अनुकूलित विचारों और संवेदनाओं से, \Nस्वयं चेतना की दिशा में। Dialogue: 0,0:11:27.52,0:11:36.98,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक स्रोत की ओर; अपने अस्तित्व के केंद्र \Nया मूल में। इस फिल्म में जब हम Dialogue: 0,0:11:36.98,0:11:42.29,Default,,0000,0000,0000,,समाधि शब्द का प्रयोग करते हैं तो \Nहम परम तत्व की ओर इशारा करते हैं। उच्चतम Dialogue: 0,0:11:42.29,0:11:48.34,Default,,0000,0000,0000,,समाधि की ओर, जिसे निर्विकल्प समाधि नाम दिया गया है। Dialogue: 0,0:11:53.01,0:11:59.16,Default,,0000,0000,0000,,निर्विकल्प समाधि में अपनी गतिविधि बंद होती है, Dialogue: 0,0:11:59.16,0:12:06.15,Default,,0000,0000,0000,,खोजने और करने की। हम केवल उसके बारे में \Nबोल सकते हैं जो हमारे पास जाने पर दूर जाता है Dialogue: 0,0:12:06.15,0:12:13.20,Default,,0000,0000,0000,,और जो हमारे वापस लौटने पर फिर दिखाई देने \Nलगता है। न तो कोई समझ है और न ही Dialogue: 0,0:12:13.20,0:12:21.00,Default,,0000,0000,0000,,कोई नासमझी, न तो कोई "चीज़" है और न ही \N"कोई चीज़ नहीं", न तो चेतना और न ही Dialogue: 0,0:12:21.00,0:12:34.09,Default,,0000,0000,0000,,अचेतन। यह पूर्ण, अतुलनीय, \Nऔर मन के लिए रहस्यपूर्ण है। Dialogue: 0,0:12:34.09,0:12:39.92,Default,,0000,0000,0000,,जब आत्मा गतिविधि की ओर लौटती है तब \Nअज्ञानता रहती है ; एक तरह का पुनर्जन्म, Dialogue: 0,0:12:39.92,0:12:46.22,Default,,0000,0000,0000,,और सब कुछ फिर से नया हो जाता है। हमारे अंदर \Nदिव्य शक्ति की खुशबु रह जाती है, Dialogue: 0,0:12:46.22,0:12:54.31,Default,,0000,0000,0000,,जो तब तक रहती है जब तक मानव \Nइस पथ पर बढ़ते रहते हैं। Dialogue: 0,0:13:02.04,0:13:07.11,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन परंपराओं में अनेक तरह की \Nसमाधि का वर्णन है और Dialogue: 0,0:13:07.11,0:13:13.57,Default,,0000,0000,0000,,भाषा ने वर्षों तक काफ़ी भ्रम पैदा किया है। \Nहम समाधि शब्द का चयन Dialogue: 0,0:13:13.57,0:13:18.19,Default,,0000,0000,0000,,ज्ञानातीत मिलन को दर्शाने के लिए\Nकर रहे हैं, लेकिन हम इतनी ही Dialogue: 0,0:13:18.19,0:13:24.79,Default,,0000,0000,0000,,आसानी से किसी भी परंपरा के शब्द का प्रयोग \Nकर सकते थे। समाधि एक प्राचीन संस्कृत Dialogue: 0,0:13:24.79,0:13:30.97,Default,,0000,0000,0000,,शब्द है जो भारत के वैदिक, योगिक \Nऔर सांख्य परंपरा में आम है, और Dialogue: 0,0:13:30.97,0:13:38.41,Default,,0000,0000,0000,,कई अन्य आध्यात्मिक परंपराओं में \Nमौजूद है। समाधि पतंजली योग के Dialogue: 0,0:13:38.41,0:13:42.49,Default,,0000,0000,0000,,आठ अंगो में से एक, और बुद्ध के Dialogue: 0,0:13:42.49,0:13:50.20,Default,,0000,0000,0000,,पावन अष्टांगिक मार्ग में आठवां है। \Nबुद्ध ने "निर्वाण" शब्द का प्रयोग किया Dialogue: 0,0:13:50.20,0:13:57.51,Default,,0000,0000,0000,,"वान" का समापन या आत्म गतिविधि का समापन। Dialogue: 0,0:13:58.26,0:14:07.33,Default,,0000,0000,0000,,पतंजलि ने योग या समाधि को संस्कृत के \N"चित्त वृत्ति निरोध" के रूप में वर्णित किया, जिसका संस्कृत Dialogue: 0,0:14:07.33,0:14:16.47,Default,,0000,0000,0000,,अर्थ है "भंवर या सर्पिल मन का समापन।" यह चेतना के Dialogue: 0,0:14:16.47,0:14:47.70,Default,,0000,0000,0000,,सम्पूर्ण विन्यास या मन के रचनात्मक \Nविन्यास को सुलझाना है। Dialogue: 0,0:14:50.04,0:14:56.44,Default,,0000,0000,0000,,समाधि किसी अवधारणा को नहीं बताती \Nक्योंकि इसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक है Dialogue: 0,0:14:56.44,0:15:00.66,Default,,0000,0000,0000,,कि हम अपने वैचारिक मन को त्याग दें। Dialogue: 0,0:15:02.01,0:15:08.52,Default,,0000,0000,0000,,विभिन्न धर्मों ने दिव्य मिलन का वर्णन करने के लिए \Nविभिन्न शब्दों का उपयोग किया है। Dialogue: 0,0:15:08.52,0:15:16.69,Default,,0000,0000,0000,,दरअसल धर्म या रिलिजन शब्द का अर्थ भी \Nवैसा ही कुछ है। लैटिन में "रैलिगेर" Dialogue: 0,0:15:16.69,0:15:24.43,Default,,0000,0000,0000,,का मतलब है पुनः बांधना या पुनः जुड़ना। \Nयोग में भी इसका वही अर्थ है जिसका Dialogue: 0,0:15:24.43,0:15:33.61,Default,,0000,0000,0000,,मतलब है सांसारिकता को परमात्मा से \Nबांधना या जोड़ना। इस्लाम में Dialogue: 0,0:15:33.61,0:15:39.31,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन अरबी शब्द इस्लाम का ही शाब्दिक अर्थ है Dialogue: 0,0:15:39.31,0:15:47.17,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण समर्पण अथवा भगवान से याचना। \Nयह आत्मा की संपूर्ण विनम्रता या Dialogue: 0,0:15:47.17,0:15:52.75,Default,,0000,0000,0000,,आत्मसमर्पण का प्रतीक है। Dialogue: 0,0:15:52.75,0:16:03.12,Default,,0000,0000,0000,,ईसाई रहस्यवादी जैसे कि असीसी के \Nसेंट फ्रांसिस, एविला की सेंट टेरेसा और Dialogue: 0,0:16:03.12,0:16:10.15,Default,,0000,0000,0000,,क्रॉस के सेंट जॉन अंतर्निहित ईश्वर के साम्राज्य, \Nईश्वर से दिव्य मिलन का वर्णन करते हैं Dialogue: 0,0:16:10.15,0:16:19.59,Default,,0000,0000,0000,,गॉस्पेल ऑफ़ थॉमस में, ईसा मसीह ने कहा है \N"साम्राज्य यहाँ या वहाँ नहीं है। Dialogue: 0,0:16:19.59,0:16:25.57,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि पूरे संसार में परमपिता का शासन है \Nऔर लोग इसे Dialogue: 0,0:16:25.57,0:16:35.02,Default,,0000,0000,0000,,देख नहीं पाते हैं। "ग्रीक दार्शनिक प्लेटो, \Nप्लोटिनस, परमेनाइड्स Dialogue: 0,0:16:35.02,0:16:41.41,Default,,0000,0000,0000,,और हेराक्लिटस के लेखन को सार्वकालिक \Nशिक्षण बिंदु के लेंस के माध्यम से देखने पर Dialogue: 0,0:16:41.41,0:16:50.62,Default,,0000,0000,0000,,इसी ज्ञान की ओर इशारा करते नज़र आते हैं। \Nप्लॉटिनस सिखाता है कि सबसे बड़ा मानवीय प्रयास Dialogue: 0,0:16:50.62,0:16:57.13,Default,,0000,0000,0000,,अपनी आत्मा को सर्वोच्च शक्ति की ओर ले जाने \Nऔर उसमें एकाकार होने Dialogue: 0,0:16:57.13,0:17:00.92,Default,,0000,0000,0000,,के लिए निर्देशित होना चाहिए। Dialogue: 0,0:17:02.66,0:17:10.95,Default,,0000,0000,0000,,लकोटा औषधि और पवित्रात्मा ब्लैक एल्क ने \Nकहा है, "पहली शांति, जो Dialogue: 0,0:17:10.95,0:17:15.90,Default,,0000,0000,0000,,सबसे महत्वपूर्ण है, वह मानव के भीतर से आती है \Nजब वे ब्रह्मांड और उसकी Dialogue: 0,0:17:15.90,0:17:21.90,Default,,0000,0000,0000,,शक्तियों के साथ अपना संबंध, अपनी एकता \Nमह्सूस करते हैं, और जब Dialogue: 0,0:17:21.90,0:17:27.87,Default,,0000,0000,0000,,वे महसूस करते हैं कि ब्रह्मांड के केंद्र में \Nमहान आत्मा रहती है और Dialogue: 0,0:17:27.87,0:17:36.17,Default,,0000,0000,0000,,इसका केंद्र वास्तव में हर जगह है। \Nयह हम में से प्रत्येक के भीतर है। Dialogue: 0,0:17:59.37,0:18:03.72,Default,,0000,0000,0000,,जब तक हम समाधि में ना हो जागरूकता के पथ पर Dialogue: 0,0:18:03.72,0:18:11.31,Default,,0000,0000,0000,,हमेशा दो ध्रुवीयताएँ होती हैं, दो द्वार जिनमें \Nआप प्रवेश कर सकते हैं। इसके दो पहलु है Dialogue: 0,0:18:11.31,0:18:19.65,Default,,0000,0000,0000,,एक शुद्ध चेतना की ओर, दूसरा असाधारण \Nदुनिया की ओर। ऊपरी धारा Dialogue: 0,0:18:19.65,0:18:25.68,Default,,0000,0000,0000,,परमात्मा की ओर जाती है, और\Nनिचली धारा माया और उन सबकी ओर Dialogue: 0,0:18:25.68,0:18:33.03,Default,,0000,0000,0000,,जो प्रत्यक्ष है, देखा और अनदेखा, दोनों। \Nसगे सम्बन्धियों के साथ रिश्ता और Dialogue: 0,0:18:33.03,0:18:37.25,Default,,0000,0000,0000,,परमात्मा के साथ रिश्ते को श्री निसर्गदत्त महाराज के \Nनिम्नलिखित उद्धरण से संपूर्ण रूप से समझा जा सकता है Dialogue: 0,0:18:37.25,0:18:46.55,Default,,0000,0000,0000,,कि: "ज्ञान यह जानना है कि मैं कुछ भी नहीं हूँ, \Nप्रेम यह जानना है कि मैं ही सब कुछ हूँ, और Dialogue: 0,0:18:46.55,0:18:54.02,Default,,0000,0000,0000,,इन दोनों के बीच मेरी ज़िन्दगी चलती है" Dialogue: 0,0:18:54.02,0:19:01.32,Default,,0000,0000,0000,,इस मिलन से जिसका जन्म होता है वह एक \Nनई दिव्य चेतना है। इन ध्रुवीयताओं के Dialogue: 0,0:19:01.32,0:19:06.89,Default,,0000,0000,0000,,विवाह या मिलन से कुछ उत्पन्न हुआ या \Nद्वैतवादी पहचान का पतन, Dialogue: 0,0:19:06.89,0:19:16.69,Default,,0000,0000,0000,,फिर भी जो पैदा हुआ वह कोई चीज़ नहीं है \Nऔर वह कभी पैदा ही नहीं हुआ था। Dialogue: 0,0:19:18.74,0:19:25.08,Default,,0000,0000,0000,,चेतना कुछ नई रचना से खिलती है, \Nजिसे आप कह सकते हैं Dialogue: 0,0:19:25.08,0:19:28.46,Default,,0000,0000,0000,,शाश्वत त्रिमूर्ति। Dialogue: 0,0:19:28.72,0:19:35.23,Default,,0000,0000,0000,,परमपिता परमात्मा, ज्ञानातीत, जिसे जाना नहीं \Nजा सकता और जो अपरिवर्तनशील है, जो Dialogue: 0,0:19:35.23,0:19:43.54,Default,,0000,0000,0000,,दिव्य शक्ति से जुड़ा है , जो पूरी तरह \Nपरिवर्तनशील है। यह मिलन एक Dialogue: 0,0:19:43.54,0:19:49.74,Default,,0000,0000,0000,,रासायनिक परिवर्तन लाता है; \Nएक तरह की मृत्यु और पुनर्जन्म। Dialogue: 0,0:19:51.61,0:19:57.69,Default,,0000,0000,0000,,वैदिक शिक्षण में दो मौलिक शक्तियाँ \Nदिव्य मिलन का प्रतिनिधित्व करती हैं Dialogue: 0,0:19:57.69,0:20:06.46,Default,,0000,0000,0000,,शिव और शक्ति। विभिन्न देवताओं के नाम \Nऔर चेहरे पूरे इतिहास में बदल जाते हैं Dialogue: 0,0:20:06.46,0:20:13.99,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन उनके मौलिक गुण वही रहते हैं। \Nइस मिलन से पैदा होती है Dialogue: 0,0:20:13.99,0:20:22.65,Default,,0000,0000,0000,,एक नई दिव्य चेतना, दुनिया में अस्तित्व का \Nएक नया तरीका। दो ध्रुवीयताएँ Dialogue: 0,0:20:22.65,0:20:30.91,Default,,0000,0000,0000,,अविश्वसनीय रूप से एक। एक सार्वभौमिक ऊर्जा, \Nकेन्द्रहीन, सीमा से मुक्त। Dialogue: 0,0:20:30.91,0:20:35.09,Default,,0000,0000,0000,,यह विशुद्ध प्रेम है। इसमें पाने या खोने के लिए \Nकुछ भी नहीं है Dialogue: 0,0:20:35.09,0:20:51.13,Default,,0000,0000,0000,,क्योंकि यह पूरी तरह खाली है \Nलेकिन बिल्कुल संपूर्ण। Dialogue: 0,0:20:51.13,0:20:57.43,Default,,0000,0000,0000,,चाहे वह मेसोपोटामिया के रहस्यमय संप्रदाय हों, \Nया आध्यात्मिक परम्पराएँ हों Dialogue: 0,0:20:57.43,0:21:02.46,Default,,0000,0000,0000,,बेबिलोनिया और असीरिया की, \Nप्राचीन मिस्र के धर्म हों, Dialogue: 0,0:21:02.46,0:21:08.08,Default,,0000,0000,0000,,या प्राचीन अफ्रीका की नूबियन और \Nकेमेटिक संस्कृतियाँ, शमनिक और मूल Dialogue: 0,0:21:08.08,0:21:15.15,Default,,0000,0000,0000,,परंपराएँ दुनिया भर की , प्राचीन ग्रीस के \Nरहस्यवादी, नॉस्टिकवादी Dialogue: 0,0:21:15.15,0:21:30.24,Default,,0000,0000,0000,,अद्वैतवादी बौद्ध, ताओवादी, यहूदी, \Nज़रदुश्त, जैन , मुस्लिम, Dialogue: 0,0:21:30.24,0:21:37.03,Default,,0000,0000,0000,,या ईसाई हों, पर सबको जोड़ने वाली \Nकड़ी है उनकी सर्वोच्च आध्यात्मिक Dialogue: 0,0:21:37.03,0:21:43.71,Default,,0000,0000,0000,,अंतर्दृष्टि, जिसने अपने अनुयायियों को \Nसमाधि हासिल करने की इजाजत दी है। Dialogue: 0,0:21:44.94,0:21:52.42,Default,,0000,0000,0000,,मूल शब्द समाधि का अर्थ सभी चीज़ों में\Nसमानता या एकता को महसूस करना है। Dialogue: 0,0:21:52.42,0:21:59.92,Default,,0000,0000,0000,,इसका मतलब संघ है। यह अपने \Nसभी पहलुओं को एकजुट करना है। Dialogue: 0,0:21:59.92,0:22:07.87,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन समाधि की वास्तविक प्राप्ति के लिए \Nबौद्धिक समझ को Dialogue: 0,0:22:07.87,0:22:16.12,Default,,0000,0000,0000,,भ्रमित मत करो। दरअसल आपकी स्थिरता, \Nआपका खालीपन ही है जो एकजुट करता है Dialogue: 0,0:22:16.12,0:22:46.27,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल जीवन के सभी स्तरों को। Dialogue: 0,0:22:55.09,0:23:00.25,Default,,0000,0000,0000,,समाधि के इस प्राचीन शिक्षण के माध्यम से ही \Nमानवता सभी धर्मों के सामान्य स्रोत को Dialogue: 0,0:23:00.25,0:23:05.38,Default,,0000,0000,0000,,समझने की शुरुआत कर सकती है \Nऔर एक बार फिर सर्पिल जीवन, Dialogue: 0,0:23:05.38,0:23:12.81,Default,,0000,0000,0000,,परमात्म, धम्म या ताओ के साथ\Nएक सीध में आ सकती है। Dialogue: 0,0:23:13.86,0:23:21.02,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिलता वह पुल है जो सूक्ष्म जगत से \Nब्रह्मांड तक फैलता है। Dialogue: 0,0:23:23.38,0:23:30.63,Default,,0000,0000,0000,,आपके डीएनए से जो ऊर्जा आंतरिक कमल तक \Nचक्रों के माध्यम से, आकाशगंगा की Dialogue: 0,0:23:30.63,0:23:35.64,Default,,0000,0000,0000,,सर्पिल र्भुजाओं तक व्याप्त है। Dialogue: 0,0:23:35.64,0:23:42.65,Default,,0000,0000,0000,,आत्मा का हर स्तर सर्पिलता के माध्यम से \Nसदा विकसित शाखाओं के रूप में व्यक्त किया जाता है, Dialogue: 0,0:23:42.65,0:23:50.57,Default,,0000,0000,0000,,जीते हुए, अन्वेषण करते हुए। सच्ची समाधि \Nस्वयं के सभी स्तरों पर Dialogue: 0,0:23:50.57,0:24:00.14,Default,,0000,0000,0000,,शून्यता को प्राप्त करना है। आत्मा के सभी आवरणों में। \Nसर्पिलता अंतहीन खेल है Dialogue: 0,0:24:00.14,0:24:05.80,Default,,0000,0000,0000,,द्वंद्व तथा जीवन और मृत्यु के चक्र का। Dialogue: 0,0:24:08.20,0:24:18.10,Default,,0000,0000,0000,,कभी-कभी हम स्रोत से \Nअपना सम्बन्ध भूल जाते हैं। Dialogue: 0,0:24:19.94,0:24:27.90,Default,,0000,0000,0000,,जिस लेंस से हम देखते हैं वह बहुत छोटा है \Nऔर हम अपनी पहचान करते हैं कि Dialogue: 0,0:24:27.90,0:24:33.63,Default,,0000,0000,0000,,हम धरती पर रेंगने वाले सीमित प्राणी हैं, \Nताकि एक बार फिर यात्रा पूरी कर सकें Dialogue: 0,0:24:33.63,0:24:36.11,Default,,0000,0000,0000,,वापस उस स्रोत तक; Dialogue: 0,0:24:37.64,0:24:46.33,Default,,0000,0000,0000,,केंद्र तक, जो हर जगह है। Dialogue: 0,0:24:48.01,0:24:55.06,Default,,0000,0000,0000,,चुआंग त्ज़ू ने कहा है, "जब इस और उस के बीच \Nकोई और अलगाव नहीं होता है, तो उसे Dialogue: 0,0:24:55.06,0:25:02.04,Default,,0000,0000,0000,,ताओ का स्थिर बिंदु कहा जाता है। \Nसर्पिल के केंद्र में स्थिर बिंदु पर Dialogue: 0,0:25:02.04,0:25:10.30,Default,,0000,0000,0000,,सभी में अनंत को देख सकते हैं।" Dialogue: 0,0:25:13.73,0:25:22.96,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन मंत्र "ओम् मणि पद्मेहम" का \Nएक काव्यात्मक अर्थ है। जैसे कोई जागृत या महसूस करता है Dialogue: 0,0:25:22.96,0:25:31.27,Default,,0000,0000,0000,,अपने कमल के भीतरी रत्न को। उसी तरह\Nआपकी सच्ची प्रकृति आत्मा के भीतर जागती है, Dialogue: 0,0:25:31.27,0:25:36.88,Default,,0000,0000,0000,,दुनिया के भीतर दुनिया के रूप में। Dialogue: 0,0:25:50.01,0:25:57.76,Default,,0000,0000,0000,,हर्मेटिक सिद्धांत "जो ऊपर है वही नीचे है, \Nजो नीचे है वही ऊपर है" के प्रयोग द्वारा हम समनुरूप Dialogue: 0,0:25:57.76,0:26:03.42,Default,,0000,0000,0000,,उपयोग कर सकते हैं मन और स्थिरता के बीच \Nसंबंधों की समानता, सापेक्ष और निरपेक्ष को Dialogue: 0,0:26:03.42,0:26:07.05,Default,,0000,0000,0000,,समझने के लिए। Dialogue: 0,0:26:12.83,0:26:18.74,Default,,0000,0000,0000,,समाधि की गैर-वैचारिक प्रकृति को \Nसमझने का एक तरीका है Dialogue: 0,0:26:18.74,0:26:24.98,Default,,0000,0000,0000,,ब्लैक होल की सादृश्यता का प्रयोग करना। Dialogue: 0,0:26:24.100,0:26:30.61,Default,,0000,0000,0000,,ब्लैक होल परंपरागत रूप से \Nअंतरिक्ष के एक क्षेत्र के रूप में वर्णित है Dialogue: 0,0:26:30.61,0:26:37.21,Default,,0000,0000,0000,,जिसमे गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली है कि \Nकोई प्रकाश या पदार्थ बच नहीं सकता है। नए सिद्धांत Dialogue: 0,0:26:37.21,0:26:42.81,Default,,0000,0000,0000,,यह पुष्टि करते है कि सभी वस्तुएँ \Nछोटे से छोटे सूक्ष्मदर्शी कण से लेकर Dialogue: 0,0:26:42.81,0:26:48.36,Default,,0000,0000,0000,,आकाशगंगा जैसी ब्रह्मांडीय संरचनाओं तक में \Nब्लैक होल या रहस्यमय Dialogue: 0,0:26:48.36,0:26:55.48,Default,,0000,0000,0000,,एक केंद्र होता है । इस समानता में \Nहम उपयोग करने जा रहे हैं Dialogue: 0,0:26:55.48,0:27:01.59,Default,,0000,0000,0000,,ब्लैक होल की यह नई परिभाषा कि \N"केंद्र जो हर जगह है"। Dialogue: 0,0:27:06.63,0:27:13.59,Default,,0000,0000,0000,,ज़ेन में कई कवितायें और उपाख्यान हैं \Nजो हमें बिना द्वार के प्रवेश-द्वार से Dialogue: 0,0:27:13.59,0:27:23.59,Default,,0000,0000,0000,,रू-ब-रू करवाते हैं। समाधि प्राप्त करने के लिए \Nहमें बिन दरवाज़े के प्रवेश द्वार से गुज़रना होगा। Dialogue: 0,0:27:23.59,0:27:30.25,Default,,0000,0000,0000,,किसी घटना का क्षितिज अंतरिक्षीय समय में \Nवह सीमा है जिसके बाद कोई भी घटना Dialogue: 0,0:27:30.25,0:27:36.07,Default,,0000,0000,0000,,किसी बाहरी व्यक्ति को प्रभावित नहीं कर सकती है '\Nजिसका मतलब है कि Dialogue: 0,0:27:36.07,0:27:43.21,Default,,0000,0000,0000,,घटना क्षितिज आपके लिए अज्ञात है। \Nआप कह सकते हैं कि घटना के क्षितिज Dialogue: 0,0:27:43.21,0:27:50.47,Default,,0000,0000,0000,,का ब्लैक होल एक द्वारविहीन द्वार की तरह है। \Nयह आत्म और अनात्म के बीच की Dialogue: 0,0:27:50.47,0:28:00.89,Default,,0000,0000,0000,,सीमा है। ऐसा कोई "मैं "नहीं है \Nजो इस घटना के क्षितिज के पार जा सके। Dialogue: 0,0:28:00.89,0:28:07.01,Default,,0000,0000,0000,,ब्लैक होल के केंद्र में एक-आयामी चीज़ है जिसमें Dialogue: 0,0:28:07.01,0:28:13.58,Default,,0000,0000,0000,,बहुत ही छोटी जगह में अरबों सूर्यों का भार है। \Nजिसका मतलब है Dialogue: 0,0:28:13.58,0:28:20.45,Default,,0000,0000,0000,,अनंत भार। यानी कि ब्रह्मांड कुछ \Nइतनी छोटी जगह में Dialogue: 0,0:28:20.45,0:28:27.11,Default,,0000,0000,0000,,जो एक रेत के कण से भी छोटा हो। \Nएकात्मकता समय से परे है और Dialogue: 0,0:28:27.11,0:28:35.42,Default,,0000,0000,0000,,अंतरिक्ष से भी। भौतिकी के अनुसार \Nगति असंभव है , चीज़ों का अस्तित्व Dialogue: 0,0:28:35.42,0:28:40.65,Default,,0000,0000,0000,,असंभव है। यह जो कुछ है, \Nवह सम्बंधित नहीं है Dialogue: 0,0:28:40.65,0:28:46.14,Default,,0000,0000,0000,,किसी भी धारणा से, इसके बावजूद\Nइसे स्थिरता नहीं कहा जा सकता। Dialogue: 0,0:28:46.14,0:28:53.88,Default,,0000,0000,0000,,यह स्थिरता और गति से परे है। \Nजब आप उस केंद्र को समझ जाते हैं जो Dialogue: 0,0:28:53.88,0:29:01.16,Default,,0000,0000,0000,,हर जगह है कहीं भी नहीं है, तो द्वंद्व खंडित करता है, \Nआकार और खालीपन को Dialogue: 0,0:29:01.16,0:29:05.82,Default,,0000,0000,0000,,समय और अनंत को। Dialogue: 0,0:29:05.82,0:29:13.39,Default,,0000,0000,0000,,इसे हम ऐसी गतिशील स्थिरता और भरा पूरा \Nखालीपन कह सकते हैं जो स्थापित है Dialogue: 0,0:29:13.39,0:29:22.08,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण अंधेरे के केंद्र में। ताओवादी शिक्षक \Nलाओ त्से ने कहा है Dialogue: 0,0:29:22.08,0:29:29.54,Default,,0000,0000,0000,,"अंधेरे के भीतर अंधेरा सभी समझ का प्रवेश द्वार।" Dialogue: 0,0:29:38.63,0:29:45.33,Default,,0000,0000,0000,,लेखक और तुलनात्मक पुराणों के अध्येता \Nजोसेफ़ कैम्पबेल पुनरावर्ती प्रतीक का वर्णन करते है Dialogue: 0,0:29:45.33,0:29:52.40,Default,,0000,0000,0000,,जो हिस्सा है शाश्वत दर्शन का \Nजिसको वो एक्सिस मंडी कहते है,जिसका Dialogue: 0,0:29:52.40,0:29:57.09,Default,,0000,0000,0000,,मतलब है केंद्र बिंदु या उच्चतम शिखर। एक धुरी Dialogue: 0,0:29:57.09,0:30:02.82,Default,,0000,0000,0000,,जिसके चारों ओर सब कुछ घूमता है। \Nवह बिंदु जहाँ स्थिरता और गति Dialogue: 0,0:30:02.82,0:30:11.82,Default,,0000,0000,0000,,एक साथ होते हैं। इसके केंद्र से एक शक्तिशाली \Nवृक्ष फलता फूलता है। एक बोधी वृक्ष Dialogue: 0,0:30:11.82,0:30:24.81,Default,,0000,0000,0000,,जो पूरे संसार को जोड़ता है। जैसे सूर्य \Nब्लैक होल में चला जाता है, जब आप Dialogue: 0,0:30:24.81,0:30:31.47,Default,,0000,0000,0000,,परम ज्ञान के करीब पहुँचते है, आपका जीवन \Nइसके चारों ओर घूमना शुरू कर देता है और आप Dialogue: 0,0:30:31.47,0:30:35.03,Default,,0000,0000,0000,,गायब होने लगते हैं। Dialogue: 0,0:30:38.70,0:30:46.45,Default,,0000,0000,0000,,जैसे ही आप स्थिर आत्म से संपर्क करते हैं, \Nयह अहंकार संरचना को डरा सकता है। Dialogue: 0,0:30:46.45,0:30:53.33,Default,,0000,0000,0000,,द्वारपालक उनका परिक्षण करते है \Nजो अपनी यात्रा पर हैं। Dialogue: 0,0:30:53.33,0:30:59.46,Default,,0000,0000,0000,,हर किसी को अपने सबसे बड़े डर का सामना करने के लिए \Nतैयार रहना चाहिए और साथ ही साथ Dialogue: 0,0:30:59.46,0:31:07.95,Default,,0000,0000,0000,,अपनी अंतर्निहित शक्ति को स्वीकार करना चाहिए। \Nअपने अचेतन भय को और छिपी सुंदरता को Dialogue: 0,0:31:07.95,0:31:19.65,Default,,0000,0000,0000,,प्रकाशित करना चाहिए। यदि आपका मन विचलित नहीं होता है \Nऔर आप कोई आत्म प्रतिक्रिया भी नहीं करते है तो Dialogue: 0,0:31:19.65,0:31:26.40,Default,,0000,0000,0000,,अचेतन से उत्पन्न सभी घटनाएँ समाप्त हो जाती है। Dialogue: 0,0:31:26.40,0:31:33.33,Default,,0000,0000,0000,,यह आध्यात्मिक यात्रा का वह समय है जब \Nविश्वास की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। Dialogue: 0,0:31:33.33,0:31:42.36,Default,,0000,0000,0000,,विश्वास से हमारा क्या मतलब है? आस्था और विश्वास \Nएकसमान नहीं है। विश्वास है अपने दिमागी स्तर पर Dialogue: 0,0:31:42.36,0:31:49.17,Default,,0000,0000,0000,,कुछ स्वीकार करना राहत और आश्वासन के लिए। \Nविश्वास है अनुभव के अंकन या Dialogue: 0,0:31:49.17,0:31:57.39,Default,,0000,0000,0000,,उसे नियंत्रित करने का दिमाग़ी तरीक़ा। \Nआस्था इसके ठीक विपरीत है। आस्था है Dialogue: 0,0:31:57.39,0:32:03.36,Default,,0000,0000,0000,,पूरी तरह से अज्ञानी बने रहना, हर वो चीज़ \Nस्वीकार करना जो उत्पन्न हो Dialogue: 0,0:32:03.36,0:32:10.26,Default,,0000,0000,0000,,आपके अचेतन से। आस्था \Nएकात्मकता के खिंचाव के प्रति समर्पण है, Dialogue: 0,0:32:10.26,0:32:27.04,Default,,0000,0000,0000,,अपने आप का सम्मिलन या समापन \Nद्वारविहीन द्वार से गुज़रने के लिए। Dialogue: 0,0:32:28.34,0:32:34.83,Default,,0000,0000,0000,,आकाशगंगा का विकास और उसकी संरचना \Nब्लैक होल से निकटता से बंधी हुई है Dialogue: 0,0:32:34.83,0:32:40.38,Default,,0000,0000,0000,,ठीक उसी प्रकार जैसे आपका विकास जुड़ा हुआ है \Nअंतर्भूत आत्म की उपस्थिति के साथ Dialogue: 0,0:32:40.38,0:32:46.55,Default,,0000,0000,0000,,एकात्म, जो आपका सच्चा स्वभाव है। Dialogue: 0,0:32:47.70,0:32:53.19,Default,,0000,0000,0000,,हम ब्लैक होल को नहीं देख सकते हैं, लेकिन \Nहमें इसके आस-पास गतिशील चीज़ों से इसके बारे में Dialogue: 0,0:32:53.19,0:33:01.38,Default,,0000,0000,0000,,पता चलता है, जिस प्रकार यह भौतिक वास्तविकता के साथ \Nपरस्पर-क्रिया करता है। उसी तरह हम Dialogue: 0,0:33:01.38,0:33:08.72,Default,,0000,0000,0000,,अपनी असली प्रकृति को नहीं देख सकते हैं। \Nस्थिर आत्म कोई वस्तु नहीं है, लेकिन हम देख सकते हैं Dialogue: 0,0:33:08.72,0:33:16.79,Default,,0000,0000,0000,,प्रबुद्ध क्रिया। जैसा कि ज़ेन मास्टर सुजुकी ने कहा है, \N"सच मानिये तो यहाँ Dialogue: 0,0:33:16.79,0:33:25.82,Default,,0000,0000,0000,,कोई प्रबुद्ध लोग नहीं है। केवल प्रबुद्ध गतिविधि है।" Dialogue: 0,0:33:25.99,0:33:34.28,Default,,0000,0000,0000,,हम इसे देख नहीं सकते जैसे कि आँख खुद को नहीं देख सकती है। \Nहम इसे नहीं देख सकते क्योंकि यह वो चीज़ है Dialogue: 0,0:33:34.28,0:33:41.03,Default,,0000,0000,0000,,जिसके माध्यम से देखना संभव है। ब्लैक होल की तरह समाधि भी Dialogue: 0,0:33:41.03,0:33:48.26,Default,,0000,0000,0000,,शून्यता नहीं है , और न ही यह कोई चीज़ है। \Nयह होने या न होने के द्वन्द्व को Dialogue: 0,0:33:48.26,0:33:56.90,Default,,0000,0000,0000,,खत्म करती है। परम सत्य में प्रवेश के लिए \Nकोई द्वार नहीं है, Dialogue: 0,0:33:56.90,0:34:04.76,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन अनंत पथ हैं। धर्म का पथ \Nएक अंतहीन सर्पिल पथ की तरह है Dialogue: 0,0:34:04.76,0:34:13.01,Default,,0000,0000,0000,,जिसका कोई आदि और कोई अंत नहीं है। कोई भी \Nद्वारविहीन द्वार से गुज़र नहीं सकता। किसी की बुद्धि ने Dialogue: 0,0:34:13.01,0:34:22.73,Default,,0000,0000,0000,,अभी तक यह पता नहीं लगाया है और न कभी लगा पायेगा। \Nकोई भी द्वारविहीन द्वार से नहीं गुज़र सकता है, Dialogue: 0,0:34:22.73,0:34:29.12,Default,,0000,0000,0000,,तो ऐसा ही सही। Dialogue: 0,0:34:43.97,0:34:53.37,Default,,0000,0000,0000,,समाधि पथहीन मार्ग, सुनहरी कुंजी है। \Nयह हमारी आत्म संरचनाओं के साथ Dialogue: 0,0:34:53.37,0:35:15.06,Default,,0000,0000,0000,,पहचान का अंत है जो हमारी आंतरिक \Nऔर बाहरी दुनिया को अलग करती हैं। Dialogue: 0,0:35:15.06,0:35:20.40,Default,,0000,0000,0000,,कई विकासशील नमूने हैं जो आत्म संरचना की परतों \Nया स्तरों का वर्णन करते हैं Dialogue: 0,0:35:20.40,0:35:28.38,Default,,0000,0000,0000,,हम एक उदाहरण का उपयोग करेंगे \Nजो बहुत प्राचीन है। Dialogue: 0,0:35:28.38,0:35:36.03,Default,,0000,0000,0000,,उपनिषदों में, आत्मन या आत्मा को ढकने वाले आवरण को \Nकोष कहा जाता है। प्रत्येक कोष Dialogue: 0,0:35:36.03,0:35:44.04,Default,,0000,0000,0000,,एक दर्पण की तरह है। आत्म संरचना की एक परत; \Nएक आवरण या माया का स्तर Dialogue: 0,0:35:44.04,0:35:51.32,Default,,0000,0000,0000,,जो हमें अपनी मूल प्रकृति को समझने से \Nभटकाता है अगर उससे हमारी पहचान होती है। Dialogue: 0,0:35:51.32,0:35:59.67,Default,,0000,0000,0000,,अधिकांश लोग प्रतिबिंब देखते हैं \Nऔर मान लेते हैं कि वे वही हैं। Dialogue: 0,0:35:59.67,0:36:07.11,Default,,0000,0000,0000,,एक दर्पण पशु परत, यानी भौतिक शरीर को दर्शाता है। \Nएक और दर्पण दर्शाता है Dialogue: 0,0:36:07.11,0:36:14.58,Default,,0000,0000,0000,,आपके मन, आपकी सोच, आपकी सहज वृत्तियों, \Nऔर धारणाओं को। दूसरा आपकी आंतरिक ऊर्जा Dialogue: 0,0:36:14.58,0:36:21.03,Default,,0000,0000,0000,,या प्राण को, जिसे आप अंतर्मुखी होकर \Nदेख सकते हैं। एक और दर्पण Dialogue: 0,0:36:21.03,0:36:26.49,Default,,0000,0000,0000,,आपके काल्पनिक स्तर को दर्शाता है \Nजो उच्चतर मन या ज्ञान की परत है, Dialogue: 0,0:36:26.49,0:36:33.30,Default,,0000,0000,0000,,और बहुत सारी ऐसी सर्वोच्च परतें हैं \Nजो अतींद्रिय या अद्वैत आनंद का अनुभव कराती हैं Dialogue: 0,0:36:33.30,0:36:36.95,Default,,0000,0000,0000,,समाधि की ओर अग्रसर होने पर। Dialogue: 0,0:36:37.00,0:36:42.53,Default,,0000,0000,0000,,यहाँ संभावित रूप से अनगिनत दर्पण \Nया आत्मा के पहलू हैं जिसमें कोई भी Dialogue: 0,0:36:42.53,0:36:50.64,Default,,0000,0000,0000,,अंतर कर सकता है, और वे लगातार बदलते रहते हैं। Dialogue: 0,0:36:50.64,0:36:56.22,Default,,0000,0000,0000,,अधिकांश लोगों ने अभी तक प्राणिक, उच्च मन और \Nअद्वैत आनंद की परतों की खोज नहीं की है Dialogue: 0,0:36:56.22,0:37:01.07,Default,,0000,0000,0000,,वे उनके अस्तित्व के बारे में भी नहीं जानते हैं। Dialogue: 0,0:37:01.19,0:37:09.03,Default,,0000,0000,0000,,ये परतें आपके जीवन को सूचित कर रही हैं \Nलेकिन आप उन्हें नहीं देख रहे हैं। छिपे दर्पण Dialogue: 0,0:37:09.03,0:37:13.88,Default,,0000,0000,0000,,दिखाई देने वालों की तुलना में हमारे \Nजीवन को अधिक जानकारी देते हैं। Dialogue: 0,0:37:13.88,0:37:19.35,Default,,0000,0000,0000,,वे अदृश्य हैं क्योंकि ज्यादातर लोगों के लिए वे \Nपूरी तरह उनकी चेतना मे प्रकाशित नहीं होते हैं Dialogue: 0,0:37:19.35,0:37:28.68,Default,,0000,0000,0000,,इंद्र के रत्न-जाल की तरह, सभी दर्पण एक दूसरे को \Nप्रतिबिंबित करते हैं और Dialogue: 0,0:37:28.68,0:37:35.94,Default,,0000,0000,0000,,प्रतिबिंब असीम रूप से हर दूसरे प्रतिबिंब को \Nप्रतिबिंबित करते हैं। एक स्तर पर कोई बदलाव Dialogue: 0,0:37:35.94,0:37:41.69,Default,,0000,0000,0000,,सभी स्तरों को एक साथ प्रभावित करता है। Dialogue: 0,0:37:42.42,0:37:48.67,Default,,0000,0000,0000,,इन दर्पणों में से कुछ छाया में छोड़े जा सकते हैं \Nजब तक कि हम इतने भाग्यशाली न हों Dialogue: 0,0:37:48.67,0:37:55.12,Default,,0000,0000,0000,,कि उन पर प्रकाश डालने में हमारी मदद के लिए \Nकोई सक्षम मार्गदर्शक हमारे साथ हो। सच ये है कि Dialogue: 0,0:37:55.12,0:38:03.48,Default,,0000,0000,0000,,हम ये नहीं जानते कि हम क्या नहीं जानते है | \Nअब कल्पना करें कि आप सभी दर्पणों को तोड़ दें। Dialogue: 0,0:38:03.48,0:38:12.42,Default,,0000,0000,0000,,आपके पास स्वयं को प्रतिबिंबित करने के लिए \Nकुछ भी नहीं है। आप कहाँ हैं? Dialogue: 0,0:38:14.14,0:38:23.35,Default,,0000,0000,0000,,जब मन स्थिर हो जाता है तो दर्पण \Nप्रतिबिंबित करना बंद कर देते हैं। फिर कोई Dialogue: 0,0:38:23.35,0:38:32.98,Default,,0000,0000,0000,,विषय और वस्तु नहीं रह जाता है। लेकिन इस स्थिति को \Nशून्यता या विस्मृति की आदिम स्थिति समझने की Dialogue: 0,0:38:32.98,0:38:47.72,Default,,0000,0000,0000,,गलती ना करें। आत्म कुछ नहीं है लेकिन ऐसा भी न समझें \Nकि यह कुछ भी नहीं है। Dialogue: 0,0:38:47.75,0:38:57.35,Default,,0000,0000,0000,,स्रोत कोई चीज नहीं है, यह अपने आप मे \Nखालीपन या स्थिरता है। Dialogue: 0,0:38:57.35,0:39:05.72,Default,,0000,0000,0000,,यह एक खालीपन है जो सभी चीजों का स्रोत है।\Nआकृति को बिल्कुल खालीपन के स्वरूप में Dialogue: 0,0:39:05.72,0:39:16.88,Default,,0000,0000,0000,,महसूस किया जाता है और खालीपन को एक आकृति में\Nपा सकते हैं। यह स्रोत महान Dialogue: 0,0:39:16.88,0:39:23.32,Default,,0000,0000,0000,,सृष्टि का गर्भ है जो सभी संभावनाओं से भरी हुई है। Dialogue: 0,0:39:40.80,0:39:47.71,Default,,0000,0000,0000,,समाधि अवैयक्तिक चेतना की जागृति है। जैसे ही आप Dialogue: 0,0:39:47.71,0:39:53.62,Default,,0000,0000,0000,,सपना देखते है, जागने पर आपको एहसास होता है\Nकि सपने में जो कुछ था वो Dialogue: 0,0:39:53.62,0:39:58.93,Default,,0000,0000,0000,,बस आपके दिमाग में है। समाधि को समझने पर \Nयह महसूस किया जाता है कि Dialogue: 0,0:39:58.93,0:40:04.60,Default,,0000,0000,0000,,इस दुनिया में सब कुछ ऊर्जा के स्तर पर \Nस्तरों और चेतना के भीतर हो रहा है Dialogue: 0,0:40:04.60,0:40:13.15,Default,,0000,0000,0000,,यह दर्पण के भीतर सारे दर्पण हैं, \Nसपनों के भीतर सपने। आप जिसे Dialogue: 0,0:40:13.15,0:40:20.52,Default,,0000,0000,0000,,मानते हैं कि आप हैं, सपना और \Nऔर सपना देखने वाला, दोनों हैं। Dialogue: 0,0:40:33.56,0:40:43.53,Default,,0000,0000,0000,,इस फिल्म में हम जो भी कहते हैं, उसे भूल जाएँ। \Nउसे मन में धारण न करें। आत्मा Dialogue: 0,0:40:43.53,0:40:48.89,Default,,0000,0000,0000,,सपना देख रहा है, आपका सपना देख रहा है। Dialogue: 0,0:40:49.13,0:40:56.97,Default,,0000,0000,0000,,सपना, वह सब कुछ है जो बदल रहा है, लेकिन \Nइस परिवर्तनहीनता को महसूस करना संभव है। Dialogue: 0,0:40:56.97,0:41:13.41,Default,,0000,0000,0000,,यह अहसास सीमित व्यक्तिगत मन से Dialogue: 0,0:41:13.41,0:41:22.31,Default,,0000,0000,0000,,समझा नहीं जा सकता है। Dialogue: 0,0:41:22.31,0:41:29.02,Default,,0000,0000,0000,,जब हम निर्विकल्प समाधि से बाहर आते हैं \Nतो दर्पण फिर से प्रतिबिंबित करना प्रारंभ करते हैं Dialogue: 0,0:41:29.02,0:41:36.55,Default,,0000,0000,0000,,यह समझा जाता है कि जिस दुनिया में अपने रहने की बात\Nआप सोचते हैं दरअसल वह आप हैं। Dialogue: 0,0:41:36.55,0:41:43.97,Default,,0000,0000,0000,,जो केवल आपका एक अस्थायी प्रतिबिंब है \Nऔर आप उसी तक सीमित नहीं है, लेकिन Dialogue: 0,0:41:43.97,0:41:53.80,Default,,0000,0000,0000,,आप अपने सच्चे प्रकृति के सभी के स्रोत को जानते हैं । \Nउच्च ज्ञान की यह शुरुआत, Dialogue: 0,0:41:53.80,0:42:04.22,Default,,0000,0000,0000,,भ्रूण, "प्रज्ञा" या आत्मिक ज्ञान \Nसमाधि से उत्पन्न हुआ है। Dialogue: 0,0:42:04.22,0:42:13.04,Default,,0000,0000,0000,,जॉब चोकमाह की किताब के अनुसार \Nज्ञान शून्यता से उपजती है। ज्ञान का यह बिंदु Dialogue: 0,0:42:13.04,0:42:18.89,Default,,0000,0000,0000,,असीम रूप से छोटा होते हुए भी पूरे अस्तित्व को घेरता है, \Nलेकिन इसे तब तक Dialogue: 0,0:42:18.89,0:42:24.97,Default,,0000,0000,0000,,समझा नहीं जा सकता जब तक उसने दर्पणों के महल में \Nकोई आकार और स्वरूप ना दिया हो Dialogue: 0,0:42:24.97,0:42:31.76,Default,,0000,0000,0000,,उस दर्पण के महल को "बिनाह " कहा जाता है, \Nजो गर्भ उच्च ज्ञान से उत्पन्न होता है और जो Dialogue: 0,0:42:31.76,0:42:50.33,Default,,0000,0000,0000,,भ्रूणीय ईश्वर की आत्मा को आकार देता है। Dialogue: 0,0:42:50.33,0:43:00.60,Default,,0000,0000,0000,,[संगीत] इंडियाजिव द्वारा "अब्वून द बाश्माया" Dialogue: 0,0:43:07.57,0:43:14.65,Default,,0000,0000,0000,,दर्पण या मन का अस्तित्व \Nकोई समस्या नहीं है। Dialogue: 0,0:43:14.65,0:43:22.03,Default,,0000,0000,0000,,इसके विपरीत, मानव धारणा की त्रुटि या विचलन \Nयह है कि हम इससे अपनी पहचान करते हैं। Dialogue: 0,0:43:22.03,0:43:32.62,Default,,0000,0000,0000,,यह भ्रम, कि हम सीमित आत्म हैं, माया है। योगिक Dialogue: 0,0:43:32.62,0:43:38.02,Default,,0000,0000,0000,,मार्ग का कहना है कि समाधि को समझने के लिए \Nध्यान लक्ष्य का पालन तब तक करना चाहिए Dialogue: 0,0:43:38.02,0:43:49.63,Default,,0000,0000,0000,,जब तक कि आप इसमें लीन न हो जाएँ या \Nयह आप में न समा जाए। हालांकि Dialogue: 0,0:43:49.63,0:43:55.93,Default,,0000,0000,0000,,विभिन्न परंपराओं में भाषा अपने मूल में \Nअसमान हैं, लेकिन वे सभी आत्म-पहचान और Dialogue: 0,0:43:55.93,0:44:00.85,Default,,0000,0000,0000,,आत्म केंद्रित गतिविधि के समापन की ओर Dialogue: 0,0:44:00.85,0:44:08.14,Default,,0000,0000,0000,,इशारा करते है। बुद्ध हमेशा नकारात्मक शब्दों में \Nपढ़ाया करते थे। उन्होंने सिखाया कि सीधे Dialogue: 0,0:44:08.14,0:44:14.67,Default,,0000,0000,0000,,आत्म संरचना की खोज करें। \Nउन्होंने यह नहीं कहा कि समाधि क्या थी Dialogue: 0,0:44:14.67,0:44:23.50,Default,,0000,0000,0000,,सिवाय इसके कि यह सभी कष्टों का अंत है । \Nअद्वैत वेदांत का एक शब्द है "नेति " Dialogue: 0,0:44:23.50,0:44:31.20,Default,,0000,0000,0000,,जिसका अर्थ है "ना ये ना वो।" \Nआत्म-प्राप्ति के मार्ग पर चलने वाले लोग Dialogue: 0,0:44:31.20,0:44:37.81,Default,,0000,0000,0000,,अपनी असली प्रकृति या ब्रह्म की प्रकृति के बारे में\Nपहले यह जानकर खोज करते हैं कि Dialogue: 0,0:44:37.81,0:44:42.49,Default,,0000,0000,0000,,वे क्या नहीं हैं। Dialogue: 0,0:44:42.72,0:44:49.18,Default,,0000,0000,0000,,इसी तरह ईसाई धर्म में अविला की सेंट टेरेसा ने \Nप्रार्थना के लिए एक दृष्टिकोण का वर्णन किया Dialogue: 0,0:44:49.18,0:44:56.62,Default,,0000,0000,0000,,जो नकारात्मक पथ, या नेगेटिवा पर आधारित है । \Nशांत, समर्पण और मिलाप द्वारा प्रार्थना, Dialogue: 0,0:44:56.62,0:45:02.76,Default,,0000,0000,0000,,यही एक तरीका है परम तत्व तक\Nपहुँचने का। Dialogue: 0,0:45:03.40,0:45:09.01,Default,,0000,0000,0000,,अलग होने की इस क्रमिक प्रक्रिया से व्यक्ति ऐसी\Nकोई चीज़ छोड़ सकता है Dialogue: 0,0:45:09.01,0:45:17.68,Default,,0000,0000,0000,,जो स्थाई न हो, जो बदल रहा हो। \Nमन, अहंकार का निर्माण और Dialogue: 0,0:45:17.68,0:45:24.16,Default,,0000,0000,0000,,आत्म की छिपी परतों सहित सभी घटनाएं। \Nअचेतन मन का उस Dialogue: 0,0:45:24.16,0:45:30.100,Default,,0000,0000,0000,,एक स्रोत को प्रतिबिंबित करने के लिए \Nपारदर्शी होना ज़रूरी है। अगर अचेतन में कुछ Dialogue: 0,0:45:30.100,0:45:37.36,Default,,0000,0000,0000,,गहरा ज्ञान या कोई आत्म परिचालन है, तो \Nफिर हमारा जीवन बंद रह जाता है Dialogue: 0,0:45:37.36,0:45:44.52,Default,,0000,0000,0000,,एक छिपे पैटर्न की भूलभुलैया में \Nजिसमे अज्ञात आत्म शामिल है। Dialogue: 0,0:45:47.96,0:45:55.29,Default,,0000,0000,0000,,जब स्व की सभी परतें शून्य के रूप में \Nप्रकट होती हैं तो व्यक्ति स्व से मुक्त हो जाता है। Dialogue: 0,0:45:55.29,0:46:00.02,Default,,0000,0000,0000,,सभी अवधारणाओं से मुक्त। Dialogue: 0,0:46:03.75,0:46:11.16,Default,,0000,0000,0000,,आपके विकास का महत्वपूर्ण बिंदु वह है जब आप \Nमहसूस करते हैं कि आप नहीं जानते कि आप कौन हैं। Dialogue: 0,0:46:11.16,0:46:22.24,Default,,0000,0000,0000,,साँस का अनुभव कौन करता है? \Nस्वाद का अनुभव कौन करता है? Dialogue: 0,0:46:22.24,0:46:35.88,Default,,0000,0000,0000,,मंत्र, अनुष्ठान, नृत्य, पहाड़ का अनुभव \Nकौन करता है? साक्ष्य ही गवाह है, Dialogue: 0,0:46:35.88,0:46:39.63,Default,,0000,0000,0000,,अवलोकन ही पर्यवेक्षक। Dialogue: 0,0:46:40.22,0:46:47.21,Default,,0000,0000,0000,,सबसे पहले जब आप पर्यवेक्षक का अवलोकन करते हैं \Nतो आप केवल झूठे आत्म को देखेंगे, लेकिन यदि Dialogue: 0,0:46:47.21,0:46:52.30,Default,,0000,0000,0000,,आप आग्रही हैं तो वह हार मान लेगा। Dialogue: 0,0:46:54.02,0:47:00.14,Default,,0000,0000,0000,,सीधे पूछताछ करें कौन और क्या अनुभव करता है। Dialogue: 0,0:47:00.14,0:47:10.04,Default,,0000,0000,0000,,बिना पलकें झपकाए, तीखेपन से, सूक्ष्मदर्शी बनकर \Nअपने अस्तित्व की पूरी ताकत के साथ। Dialogue: 0,0:47:17.00,0:47:19.06,Default,,0000,0000,0000,,[संगीत] "गते, गते, परागते। पार सम गते, बोधिस्वाहा।" \N(अर्थ: चला गया, बहुत दूर, जागृत स्रोत से परे पूरी तरह से) Dialogue: 0,0:47:19.58,0:47:32.36,Default,,0000,0000,0000,,- बिना अनुवाद उपशीर्षक - Dialogue: 0,0:47:47.84,0:47:57.14,Default,,0000,0000,0000,,जागने वाला कोई आत्म नहीं है। \Nजागने वाला कोई "आप" नहीं हो। आप जिसे Dialogue: 0,0:47:57.14,0:48:03.50,Default,,0000,0000,0000,,जगा रहे हैं वह अलग आत्म का भ्रम है। \Nअपने उस सपने से जो Dialogue: 0,0:48:03.50,0:48:08.12,Default,,0000,0000,0000,,सीमित "आप" हैं। इसके बारे में बात करना अर्थहीन है। Dialogue: 0,0:48:08.12,0:48:15.13,Default,,0000,0000,0000,,आत्म को समझने के लिए आत्म का वास्तविक \Nसमापन होना चाहिए कि यह क्या है, और Dialogue: 0,0:48:15.13,0:48:23.54,Default,,0000,0000,0000,,जब यह महसूस हो जाए तो इसके बारे में \Nकहने को कुछ भी नहीं बचता है। जैसे ही आप Dialogue: 0,0:48:23.54,0:48:39.51,Default,,0000,0000,0000,,कुछ कहते हैं आप मन में वापस आ जाते हैं। \Nमैंने पहले ही बहुत कुछ कहा है। Dialogue: 0,0:48:39.51,0:48:46.03,Default,,0000,0000,0000,,आम तौर पर चेतना की तीन अवस्थाएँ होती हैं: \Nजागना, सपना देखना और गहरी नींद। Dialogue: 0,0:48:46.03,0:48:53.38,Default,,0000,0000,0000,,समाधि को कभी-कभी चौथी अवस्था कहा जाता है, \Nजो प्राथमिक अवस्था है Dialogue: 0,0:48:53.38,0:49:00.46,Default,,0000,0000,0000,,चेतना की। आदिम जागृति जो \Nनिरंतर उपस्थित हो सकती है और Dialogue: 0,0:49:00.46,0:49:10.47,Default,,0000,0000,0000,,अन्य चेतन अवस्थाओं के साथ समानांतर में \Nउपस्थित है। वेदांत में इसे तूरीय कहा जाता है। Dialogue: 0,0:49:10.95,0:49:17.22,Default,,0000,0000,0000,,तूरीय के लिए अन्य नाम दिए गए है \Nक्राइस्ट चेतना , कृष्ण चेतना, Dialogue: 0,0:49:17.22,0:49:26.68,Default,,0000,0000,0000,,बुद्ध प्रकृति या सहज समाधि। \Nसहज समाधि में स्थिर आत्म अपनी सभी Dialogue: 0,0:49:26.68,0:49:33.67,Default,,0000,0000,0000,,मानवीय गतिविधियों के पूर्ण उपयोग के साथ \Nउपस्थित है। स्थिरता Dialogue: 0,0:49:33.67,0:49:38.58,Default,,0000,0000,0000,,बदलती सर्पिल घटना के केंद्र में गतिहीन है। Dialogue: 0,0:49:38.58,0:49:45.63,Default,,0000,0000,0000,,विचार, भावनाएँ, संवेदनाएँ और ऊर्जा \Nइसकी परिधि के चारों ओर घूमती हैं Dialogue: 0,0:49:45.63,0:49:54.13,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन स्थिरता की मात्रा या मैं-हूँ-की भावना \Nबाहरी गतिविधि के दौरान बिल्कुल वैसी बनी रहती है Dialogue: 0,0:49:54.13,0:50:02.68,Default,,0000,0000,0000,,जैसे कि ध्यान में। यह संभव है कि \Nअंतर्हित आत्म गहरी नींद में भी Dialogue: 0,0:50:02.68,0:50:11.80,Default,,0000,0000,0000,,मौजूद रहे; कि आपकी मैं हूँ की जागरूकता\Nचेतना के परिवर्तन की अवस्थायों के रूप में Dialogue: 0,0:50:11.80,0:50:15.45,Default,,0000,0000,0000,,आती या जाती नहीं है। Dialogue: 0,0:50:20.42,0:50:24.19,Default,,0000,0000,0000,,यह योगिक निद्रा है। Dialogue: 0,0:50:24.66,0:50:29.97,Default,,0000,0000,0000,,हिब्रू बाइबिल या ओल्ड टेस्टामेंट का\Nसांग्स ऑफ सांग्स, या सांग ऑफ़ सोलोमन Dialogue: 0,0:50:29.97,0:50:40.01,Default,,0000,0000,0000,,यह कहता है, "मैं सोता हूँ लेकिन मेरा दिल जागता है"। \Nशाश्वत अवैयक्तिक चेतना का Dialogue: 0,0:50:40.01,0:50:47.04,Default,,0000,0000,0000,,यह अहसास मसीह के शब्दों में दिखाई देता है\Nजब वे कहते हैं Dialogue: 0,0:50:47.04,0:50:54.36,Default,,0000,0000,0000,,"इब्राहिम से पहले, मैं हूँ।" Dialogue: 0,0:50:56.29,0:51:08.82,Default,,0000,0000,0000,,एक चेतना जो अनगिनत चेहरे, \Nअनगिनत रूपों के माध्यम से चमकती है। Dialogue: 0,0:51:16.47,0:51:22.64,Default,,0000,0000,0000,,सबसे पहले यह आपके भीतर ध्रुवीयताओं से \Nपैदा हुई नाजुक लौ की तरह लगती है। Dialogue: 0,0:51:22.64,0:51:29.16,Default,,0000,0000,0000,,समर्पण के साथ समाती हुई \Nपुरुषत्व चेतना या स्त्री शक्ति का Dialogue: 0,0:51:29.16,0:51:36.09,Default,,0000,0000,0000,,उद्घाटन। यह नाजुक है, और आसानी से खो सकता है, \Nइसकी रक्षा करने के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए Dialogue: 0,0:51:36.09,0:51:40.85,Default,,0000,0000,0000,,और जब तक यह परिपक्व न हो इसे जीवित रखना चाहिए। Dialogue: 0,0:51:43.80,0:51:50.85,Default,,0000,0000,0000,,समाधि साथ ही समयहीन अवस्था है \Nचेतना की एक और अवस्था Dialogue: 0,0:51:50.85,0:51:58.31,Default,,0000,0000,0000,,विकास प्रक्रिया को प्रकट करने की। \Nकुछ जैविक और समय के साथ विकसित। Dialogue: 0,0:52:04.52,0:52:13.99,Default,,0000,0000,0000,,जैसे-जैसे कोई समाधि में अधिक से अधिक \Nसमय बिताता है, वर्तमान में, शाश्वतता में, Dialogue: 0,0:52:13.99,0:52:22.52,Default,,0000,0000,0000,,तब वह अधिक से अधिक हृदय, आत्मा से \Nदिशाबोध ग्रहण करता है, और Dialogue: 0,0:52:22.52,0:52:28.28,Default,,0000,0000,0000,,अनुकूलित संरचना से कम। Dialogue: 0,0:52:28.81,0:52:38.41,Default,,0000,0000,0000,,इस तरह कोई निम्नतर मन से मुक्त हो जाता है। \Nमनोविकार से मुक्त हो जाता है । Dialogue: 0,0:52:38.41,0:52:45.11,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक तारों में परिवर्तन आ जाता है। \Nऊर्जा बहुत देर तक अचेतन रूप से Dialogue: 0,0:52:45.11,0:52:51.86,Default,,0000,0000,0000,,पुरानी अनुकूलित संरचनों में नहीं बहती, जोकि यह \Nकहने का एक और तरीका है कि किसी को Dialogue: 0,0:52:51.86,0:53:09.83,Default,,0000,0000,0000,,उसकी आत्म संरचना से उसके स्वरूप की \Nबाहरी दुनिया से नहीं पहचाना जाता है। Dialogue: 0,0:53:10.92,0:53:17.31,Default,,0000,0000,0000,,समाधि प्राप्त करने के लिए इतनी ज़्यादा कोशिश ज़रूरी है \Nकि यह पूरी तरह आत्मसमर्पण बन जाता है Dialogue: 0,0:53:17.31,0:53:24.72,Default,,0000,0000,0000,,स्वयं का, और आत्मसमर्पण ऐसा कि \Nइसमें शामिल हो पूर्ण प्रयास Dialogue: 0,0:53:24.72,0:53:33.87,Default,,0000,0000,0000,,किसी के अस्तित्व का ; उसकी सभी ऊर्जा का। \Nयह संतुलन है प्रयास और Dialogue: 0,0:53:33.87,0:53:41.40,Default,,0000,0000,0000,,आत्मसमर्पण का, यिन और यांग का। \Nएक तरह का सरल प्रयास। Dialogue: 0,0:53:47.43,0:53:55.33,Default,,0000,0000,0000,,भारतीय रहस्यवादी और योगी \Nपरमहंस रामकृष्ण ने कहा, "मत खोजो प्रकाश Dialogue: 0,0:53:55.33,0:54:02.62,Default,,0000,0000,0000,,जब तक कि आप उसे इस तरह नहीं खोजते जैसे कि\Nबालों में आग लगी हो और जो तालाब की खोज में हो" Dialogue: 0,0:54:02.62,0:54:06.30,Default,,0000,0000,0000,,आप इसे अपने पूरे अस्तित्व के साथ खोजते हैं। Dialogue: 0,0:54:06.36,0:54:12.84,Default,,0000,0000,0000,,किसी के अहंकार से आगे बढ़ने के दौरान \Nअत्यधिक साहस, सतर्कता और दृढ़ता ज़रूरी है Dialogue: 0,0:54:12.84,0:54:21.85,Default,,0000,0000,0000,,भ्रूण को जीवित रखने के लिए। \Nसांसारिक माया जाल में न फँसने के लिए। Dialogue: 0,0:54:21.85,0:54:28.12,Default,,0000,0000,0000,,इच्छाशक्ति बेहद जरूरी है \Nप्रवाह के विरुद्ध तैरने के लिए, Dialogue: 0,0:54:28.12,0:54:35.59,Default,,0000,0000,0000,,दैहिक साँचे के दबाव और सांसारिक पहिए में \Nपिसने से बचने के लिए। हर सांस Dialogue: 0,0:54:35.59,0:54:43.87,Default,,0000,0000,0000,,हर विचार, हर क्रिया स्रोत को \Nहासिल करने के लिए होनी चाहिए। समाधि Dialogue: 0,0:54:43.87,0:54:51.49,Default,,0000,0000,0000,,प्रयास से हासिल नहीं होती है और ना ही बिना प्रयास के। \Nप्रयास या बिना प्रयास को जाने दें; यह Dialogue: 0,0:54:51.49,0:54:59.38,Default,,0000,0000,0000,,द्वंद्व केवल मन में मौजूद है। समाधि का \Nवास्तविक अहसास इतना सरल Dialogue: 0,0:54:59.38,0:55:05.44,Default,,0000,0000,0000,,इतना निर्विवाद है कि इसे हमेशा भाषा के \Nमाध्यम से गलत समझा जाता है Dialogue: 0,0:55:05.44,0:55:12.61,Default,,0000,0000,0000,,जो स्वाभाविक रूप से द्वंद्वात्मक है। \Nकेवल एक प्रायोगिक चेतना है जो Dialogue: 0,0:55:12.61,0:55:21.16,Default,,0000,0000,0000,,दुनिया के रूप में जागृत है लेकिन यह मन की \Nकई परतों में अस्पष्ट है। जिस तरह Dialogue: 0,0:55:21.16,0:55:27.61,Default,,0000,0000,0000,,सूर्य बादलों के पीछे छिपा हुआ है वैसे ही मन की \Nप्रत्येक परत हटने के बाद व्यक्ति के अस्तित्व का Dialogue: 0,0:55:27.61,0:55:30.90,Default,,0000,0000,0000,,सार प्रकट हो जाता है। Dialogue: 0,0:55:33.18,0:55:39.48,Default,,0000,0000,0000,,मन की प्रत्येक परत हटने पर, लोग इसे \Nअलग समाधि कहते हैं। वे इसे Dialogue: 0,0:55:39.48,0:55:45.26,Default,,0000,0000,0000,,विभिन्न अनुभवों या विभिन्न भौतिक विषयों के \Nनाम देते हैं Dialogue: 0,0:55:55.01,0:56:00.29,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन समाधि इतनी सरल है कि जब आपको बताया जाता है कि \Nयह क्या है और कैसे हासिल किया जाए Dialogue: 0,0:56:00.29,0:56:04.60,Default,,0000,0000,0000,,तो आपका मन हमेशा चूक जाता है। Dialogue: 0,0:56:05.17,0:56:13.04,Default,,0000,0000,0000,,दरअसल समाधि सरल या जटिल नहीं है; \Nयह केवल मन है जो इसे Dialogue: 0,0:56:13.04,0:56:19.85,Default,,0000,0000,0000,,ऐसा बनाता है। जब कोई मन नहीं होता है \Nतो कोई समस्या नहीं होती है, क्योंकि मन है Dialogue: 0,0:56:19.85,0:56:28.72,Default,,0000,0000,0000,,जिसे रोकने की ज़रूरत है इसे प्राप्त करने के लिए। \Nयह कोई घटना तो बिल्कुल नही है। Dialogue: 0,0:56:36.88,0:56:44.17,Default,,0000,0000,0000,,समाधि की सबसे संक्षिप्त व्याख्या \Nशायद इस वाक्यांश में है: Dialogue: 0,0:56:44.17,0:56:55.53,Default,,0000,0000,0000,,"शांत रहें और जानें।" Dialogue: 0,0:56:59.19,0:57:05.49,Default,,0000,0000,0000,,हम स्थिरता को व्यक्त करने के लिए शब्दों और चित्रों का उपयोग \Nकैसे कर सकते हैं? हम शोर के ज़रिये Dialogue: 0,0:57:05.49,0:57:12.87,Default,,0000,0000,0000,,शांति कैसे व्यक्त कर सकते हैं? समाधि को \Nएक बौद्धिक सिद्धांत कहने के बजाय, Dialogue: 0,0:57:12.87,0:57:22.74,Default,,0000,0000,0000,,यह फिल्म निष्क्रियता का परिवर्तनवादी आह्वान है। \Nयह ध्यान, आंतरिक शांति और Dialogue: 0,0:57:22.74,0:57:31.01,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक प्रार्थना के लिए बुलावा है। \Nथमने का आह्वान। Dialogue: 0,0:57:38.42,0:57:45.14,Default,,0000,0000,0000,,तर्कहीन अहंकारी मन से संचालित \Nहर चीज को रोक दें। Dialogue: 0,0:57:46.27,0:57:50.19,Default,,0000,0000,0000,,स्थिर रहें और जानें। Dialogue: 0,0:57:54.47,0:57:59.89,Default,,0000,0000,0000,,स्थिरता से क्या निकलेगा यह आपको \Nकोई भी नहीं बता सकता। Dialogue: 0,0:57:59.91,0:58:05.72,Default,,0000,0000,0000,,यह आध्यात्मिक मन से कार्य करने का आह्वान है। Dialogue: 0,0:58:21.50,0:58:30.05,Default,,0000,0000,0000,,यह किसी पुराने को याद करने जैसा है। \Nआत्मा जागती है और खुद को याद करती है। Dialogue: 0,0:58:30.05,0:58:37.26,Default,,0000,0000,0000,,यह एक नींद में डूबे यात्री की तरह है लेकिन \Nअब खालीपन जाग जाता है और खुद को ही Dialogue: 0,0:58:37.26,0:58:43.44,Default,,0000,0000,0000,,सब कुछ मानने लगता है। Dialogue: 0,0:58:44.39,0:58:50.87,Default,,0000,0000,0000,,आप सीमित अहंकारी मन से समाधि क्या है \Nइसकी कल्पना नहीं कर सकते बिलकुल उसी तरह जैसे Dialogue: 0,0:58:50.87,0:58:57.50,Default,,0000,0000,0000,,आप अंधे इंसान को यह नहीं समझा सकते की रंग क्या है। \Nआपका मन जान नहीं सकता। वह इसे Dialogue: 0,0:58:57.50,0:59:06.56,Default,,0000,0000,0000,,बना भी नहीं सकता। समाधि को पाने का मतलब \Nअलग दृष्टिकोण से देखना है, अलग चीज़ों को Dialogue: 0,0:59:06.56,0:59:12.58,Default,,0000,0000,0000,,देखना नहीं बल्कि द्रष्टा को पहचानना है। Dialogue: 0,0:59:15.36,0:59:24.84,Default,,0000,0000,0000,,असीसी के सेंट फ्रांसिस ने कहा है, "जो आप खोज रहे हैं \Nवही देख रहा है।" आपने अगर एक बार Dialogue: 0,0:59:24.84,0:59:34.29,Default,,0000,0000,0000,,चंद्रमा को देखा हो तो उसकी हर परछाई \Nपहचान सकते हैं। सच्चा आत्म Dialogue: 0,0:59:34.29,0:59:42.92,Default,,0000,0000,0000,,हमेशा वहीं रहा है, यह हर चीज़ में है, लेकिन \Nआपने इसकी उपस्थिति को महसूस नहीं किया है। Dialogue: 0,0:59:43.07,0:59:50.75,Default,,0000,0000,0000,,जब आप मन और इन्द्रियों से परे अपने स्वरूप को \Nपहचानते और उसे मानने लगते हैं Dialogue: 0,0:59:50.75,1:00:08.53,Default,,0000,0000,0000,,तो यह मुमकिन है कि आप बेहद मामूली चीज़ों से \Nविस्मय का एहसास करें। हम स्वयं विस्मय बन जाते हैं। Dialogue: 0,1:00:08.72,1:00:15.53,Default,,0000,0000,0000,,इच्छाओं से मुक्त होने की कोशिश न करें \Nक्योंकि इच्छाओं से मुक्त होने की इच्छा भी Dialogue: 0,1:00:15.53,1:00:26.02,Default,,0000,0000,0000,,एक इच्छा है। आप स्थिर रहने की कोशिश नहीं कर सकते \Nक्योंकि प्रत्येक प्रयास एक गति है। Dialogue: 0,1:00:26.02,1:00:34.57,Default,,0000,0000,0000,,उस स्थिरता को समझें जो हमेशा पहले से मौजूद है। Dialogue: 0,1:00:34.57,1:00:37.57,Default,,0000,0000,0000,,खुद स्थिर हो जाएँ और जानें Dialogue: 0,1:00:38.84,1:00:45.14,Default,,0000,0000,0000,,जब सभी प्राथमिकताएँ त्याग दी जाती हैं, \Nतब पता चलता है स्रोत का, लेकिन स्रोत से भी Dialogue: 0,1:00:45.14,1:00:57.14,Default,,0000,0000,0000,,न चिपकें। महान वास्तविकता, ताओ \Nन तो एक है न ही दो। रमण महर्षि ने कहा है Dialogue: 0,1:00:57.14,1:01:07.58,Default,,0000,0000,0000,,"आत्मा केवल एक है। यदि यह सीमित है तो \Nयह अहंकार है, और अगर असीमित है तो यह अनंत Dialogue: 0,1:01:07.58,1:01:20.75,Default,,0000,0000,0000,,और महान वास्तविकता है।" जो कहा जा रहा है \Nउसे यदि आप मानते हैं तो आपने इसे नहीं समझा है। Dialogue: 0,1:01:20.75,1:01:27.50,Default,,0000,0000,0000,,यदि आप नहीं मानते हैं तब भी आपने इसे नहीं समझा है। \Nविश्वास और अविश्वास आपके मन के Dialogue: 0,1:01:27.50,1:01:34.90,Default,,0000,0000,0000,,स्तर पर काम करते हैं। उन्हें जानकारी चाहिए, \Nलेकिन यदि आप अपने अस्तित्व की Dialogue: 0,1:01:34.90,1:01:40.37,Default,,0000,0000,0000,,तहकीकात करते हुए अपने अस्तित्व के सभी पहलुओं की \Nजाँच करते हैं, यह जानकर कि जाँच Dialogue: 0,1:01:40.37,1:01:46.34,Default,,0000,0000,0000,,कौन कर रहा है, अगर आप इस सिद्धांत पर चलना चाहते हैं \N"मेरी नहीं, ऊपर वाले की मर्ज़ी चलेगी," Dialogue: 0,1:01:46.34,1:01:53.54,Default,,0000,0000,0000,,अगर आप सारे ज्ञान से आगे बढ़ना चाहते हैं \Nतब आप वह एहसास समझ पाएंगे Dialogue: 0,1:01:53.54,1:01:59.60,Default,,0000,0000,0000,,जिसकी ओर मैं इशारा कर रहा हूँ। \Nतभी आप गूढ़ रहस्य और साधारण अस्तित्व की Dialogue: 0,1:01:59.60,1:02:07.94,Default,,0000,0000,0000,,सुंदरता का एहसास कर पाएंगे। Dialogue: 0,1:02:08.45,1:02:16.07,Default,,0000,0000,0000,,जीवन की एक और संभावना है। \Nकुछ ऐसा जो पवित्र, समझ से परे है Dialogue: 0,1:02:16.07,1:02:22.57,Default,,0000,0000,0000,,जिसे आपके अस्तित्व की शांत \Nगहराइयों में पाया जा सकता है, Dialogue: 0,1:02:22.57,1:02:33.92,Default,,0000,0000,0000,,धारणाओं, नीतियों, अनुकूलित गतिविधियों \Nऔर हर अभिरुचियों से परे। इसे Dialogue: 0,1:02:33.92,1:02:41.41,Default,,0000,0000,0000,,तकनीकों, अनुष्ठानों या प्रथाओं से नहीं पाया जा सकता। \Nइसे "कैसे" पाएँ का कोई तरीक़ा नहीं है। Dialogue: 0,1:02:41.41,1:02:54.14,Default,,0000,0000,0000,,कोई प्रणाली नहीं है। उपाय का \Nकोई रास्ता नहीं है। जैसा कि ज़ेन में कहा जाता है Dialogue: 0,1:02:54.14,1:03:01.16,Default,,0000,0000,0000,,यह जन्म से पहले अपने मूल चेहरे की खोज है। यह खुद को Dialogue: 0,1:03:01.16,1:03:10.01,Default,,0000,0000,0000,,निखारने का नाम नहीं है। यह स्वयं \Nप्रकाश बनना है; वह प्रकाश जो आत्मा के Dialogue: 0,1:03:10.01,1:03:20.21,Default,,0000,0000,0000,,भ्रम को दूर करता है। जीवन हमेशा अपूर्ण रहेगा Dialogue: 0,1:03:20.21,1:03:26.92,Default,,0000,0000,0000,,और हृदय तब तक बेचैन रहेगा \Nजब तक कि यह नाम और रूप से परे के Dialogue: 0,1:03:26.92,1:03:32.65,Default,,0000,0000,0000,,रहस्य में राहत न पा जाए। Dialogue: 0,1:04:04.06,1:04:06.06,Default,,0000,0000,0000,,[संगीत] ओम् श्रीम् लक्ष्मी