सोलहवीं शताब्दी मे, गणितज्ञ रोबर्ट रेकोर्डे ने अंग्रेज़ बच्चो को अलजेब्रा सिखाने के लिए 'The Whetstone of Witte' नामक पुस्तक लिखी पर वह बार-बार 'के बराबर है ' लिख लिख कर परेशान हो गए | उनका हल ? उन्होंने उन शब्दों को दो सामानांतर , क्षितिज समानांतर रेखाओ से बदल दिया क्योकि जिस तरीके से उन्होंने देखा था, कोई भी दो वस्तुऐं इससे ज्यादा बराबर नहीं हो सकती | क्या वह दो की बजाये चार रेखाएं प्रयोग कर सकते थे ? बिल्कुल क्या वह सीढ़ी खड़ी रेखाएं इस्तेमाल कर सकते थे ? वस्तुतः कुछ लोगो ने ऐसा ही किया | इसका कोई कारण नहीं था कि बराबर का चिन्ह उसी तरह दिखे जैसा आज दिखता है | एक समय पर इसने किसी मीम की तरह गति पकड़ी | ज्यादा से ज्यादा गणितज्ञ इनका इस्तेमाल करने लगे, और धीरे धीरे यही समानता का प्रामाणिक चिन्ह बन गया | गणित , चिन्हो से भरा हुआ है रेखायें , बिंदु , तीर , अंग्रेजी अक्षर , ग्रीक अक्षर , सुपरस्क्रिप्ट , सबस्क्रिप्ट | यह किसी अपठनीय मेल-जोल की तरह लग सकता है | इन चिन्हो की सम्पदा थोड़ी भयभीत करने वाली लग सकती है और यह कहाँ से आये इस बारे में विचार करना कोई आश्चर्य की बात नहीं है कभी-कभी स्वयं रेकॉर्डे ने पाया कि उसके 'के बराबर है ' चिन्हों के और बाकी चिन्हो तथा उनके प्रतिनिधित्व के बीच एक उचित अनुरूपता है इसका एक और उदाहरण , जोड़ने के लिए धन का चिन्ह है जो कि लैटिन वर्ड एट का संक्षिप्त रूप है कभी कभार चिन्हों का चुनाव कुछ ज्यादा अनियंत्रित होता है जैसे कि जब गणितज्ञ 'क्रिस्चियन क्रैम्प ' ने उपयोग किया फैक्टोरिअल्स के लिए, विस्मयादिबोधकचिह्न का सिर्फ इसीलिए कि उसे इस तरह के अभिव्यक्तियों के लिए कोई संक्षेप लेख चाहिए था | वस्तुतः इस तरह के सभी चिन्ह कल्पित या अंगीकृत किये गए थे , गणितज्ञों ने बनाये थे जो बार बार दोहराना नहीं चाहते थे या फिर गणितीय विचारो को संक्षेप में दर्शाने के लिए ज्यादातर गणितीय चिन्ह जिन्हे गणितज्ञ प्रयोग करते हैं, वे लैटिन और ग्रीक अक्षर होते हैं | यह संकेत ज्यादातर उन परिमानो को दर्शाते हैं जो अज्ञात होते है, और चर वस्तुएँ के बीच के सम्बन्ध | यह उन संख्याओं के भी होते हैं जो बार बार दोहराये जाते हैं पर उनको आवर्त के रूप में लिखना जटिल या/और असंभव होगा | संख्याओं के वर्ग और यहाँ तक कि पुरे समीकरणों को भी चिन्हो से दर्शाया जा सकता है | बाकी चिन्ह, संचालनों को दर्शाने के लिए प्रयोग किये जा सकते है | इनमे से कुछ विशेषतः संक्षेप रूप मे उपयोगी होते है क्योकि यह दोहराये गए संचालनों को केवल एक चिन्ह द्वारा दर्शा सकते है | किसी संख्या को अगर बार बार स्वयं से जोड़ा जाये तो इसके लिए गुणा का चिन्ह प्रयुक्त होगा जिससे हमें ज्यादा स्थान का प्रयोग न करना पड़े | किसी संख्या का अगर उसी से ही गुणन किया जाए तो उसे घातांक से दर्शाया जायेगा जो यह बताएगा कि कितनी बार यह संचालन दोहराया गया और क्रमबद्ध संख्याओं की कड़िया जिनको जोड़ा गया है उन्हें 'कैपिटल सिग्मा' के द्वारा दर्शाया जा सकता है | इन चिन्हो द्वारा लम्बे गणनाओं को छोटी शब्दावलियों में बदला जा सकता है जो कि बदलने के लिए आसान होते है चिन्ह , संक्षेप में बता सकते है कि क्या, और कैसी गणना करनी है | संख्याओं के संचालन के निचे दिए गए वर्गों पर विचार कीजिये अपने मन में कोई संख्या सोचिये, उसे दो से गुणा कीजिये, परिणाम से एक घटाइए, परिणाम को स्वयं से गुणा कीजिए, उसके बाद आये हुए परिणाम को तीन से गुणा कीजिये, फिर उसमे अंतिम उत्तर पाने के लिए एक जोड़िये | बिना अपने चिन्हो और प्रथाओं के हमें यह पूरा व्याख्यान लिखना पड़ता और उनके (चिन्हों के) साथ हमने एक संक्षिप्त और सहज समीकरण बना लिया कईबार , जैसे 'के बराबर है के' साथ ही चिन्ह अपने अर्थो को अपने आकृतियों के द्वारा बतलाते है हालांकि ज्यादातर स्वेच्छित होते है | इनको समझना ; इनके अर्थो को याद रखना है और उन्हें विभिन्न परिस्थितियों में प्रयोग करना. जैसे विभिन्न भाषाओ में करते है अगर हमारा कभी किसी परग्रही सभ्यता से सामना हुआ, तो हो सकता है कि उनके गणितीय चिन्ह हमसे पूरी तरह से अलग हो | पर अगर वो हमारे जैसा कुछ सोचते हो तो उनके पास भी चिन्ह होंगे | और हो सकता है कि वो चिन्ह हमारे चिन्हो से मेल खाते हो उनके पास खुद का गुणन चिन्ह होगा , खुद का पाई का चिन्ह होगा, और बेशक 'के बराबर है ' भी होगा |