यह मानवता के लिए अशांत सत्य को पहचानने का समय है, हमने भविष्य को उपनिवेश बना लिया है। खासकर धनी देशों में, हम इसे दूर औपनिवेशिक चौकी की तरह मानते हैं जहाँ पारिस्थितिकी तंत्र को हटा सकते है और तकनीकी जोखिम ऐसे जैसे कि कोई था ही नहीं। त्रासदी यह है कि कल की पीढ़ी यहाँ नहीं है उनकी विरासत की इस भविष्यवाणी को चुनौती देने। वे आगे छलांग नहीं लगा सकते जैसे राजा के घोड़े की आगे आगए हो या नागरिक अधिकार कार्यकर्ता की तरह बैठक करे या विद्रोही बन नमक मार्च पर जाएं अपने औपनिवेशिक उत्पीड़क के विरोध में, महात्मा गाँधी जैसे। उनका कोई राजनीतिक अधिकार या प्रतिनिधित्व नहीं है, वे बाजार को प्रभावित नहीं कर सकते है। आने वाली पीढ़ियों का बहुमत असहाय हो गया है। इस अन्याय के पैमाने को समझ पाना कठिन हो सकता है, तो इसे इस तरह से देखतें है: 7.7 अरब लोग आज जीवित हैं। यह सिर्फ अनुमान का हिस्सा है 100 अरब लोग जी चुके है और पिछले 50,000 वर्षों में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन ये दोनों बहुत बड़े पैमाने पर लगभग 7 खरब लोग जो 50,000 वर्षों में जन्म लेंगे अगर मान लें कि वर्तमान जन्म दर स्थिर है। अगली दो शताब्दियों में अकेले करोड़ों-अरबों लोग पैदा होंगे, उनमें, आपके पोते पोती और उनके पोते पोती और उनके दोस्त और जिस समुदाय पर वे निर्भर हैं वे भी। ये सभी आने वाली पीढ़ियां हमें पीछे मुड़ कर कैसे देखेंगी और विरासत में हम उनके लिए क्या छोड़ रहे हैं? हमें स्पष्ट रूप से एक असाधारण वसीयत हमारे समान पूर्वजों से विरासत में मिली है: कृषि क्रांति का उपहार, चिकित्सक खोजें और शहर जिसमें हम अभी भी रहते हैं। हालांकि, विनाशकारी प्रकृति भी विरासत में मिली है। गुलाम होने और औपनिवेशिक विरासत नस्लीय भेदभाव ने गहरी असमानता पैदा कर दी है जिसे मरम्मत की जरूरत है। संरचनात्मक आर्थिक विरासत जो जीवाश्म ईंधन की आदि हो चुकी है और अनंत विकास जो अब रूपांतरित होना चाहिए। तो हम अच्छे पूर्वज कैसे बन सकते हैं? जो वह भावी पीढ़ी जिसके लायक है? खैर, पिछले 10 वर्षों में वैश्विक आंदोलन उभरने लगे हैं उन लोगों से जो भविष्य के विघटन पर काम कर रहे है और हमारे समय सीमा को अब लंबे समय तक बढ़ा रहे है। यह आंदोलन अभी खंडित है और अभी इसका कोई नाम नहीं है। मुझे लगता है कि इसके अग्रणी, समय के विद्रोही थे। उन्हें काम पर पाया जा सकता है जापान के दूरदर्शी फ्यूचर डिजाइन मुहीम में, जिसका लक्ष्य अल्पकालिक चक्रों को दूर करना है जो हावी है राजनीति पर, सिद्धांतों का उपयोग कर वो भी 7 वीं पीढ़ी का निर्णय अभ्यास जो आज भी कई मूल अमेरिकी समुदायों द्वारा करा जाता है। फ्यूचर डिज़ाइन निवासियों को इकट्ठा करती है और शहर के योजनाओं पर चर्चा करती है और वे जिस शहर में रहते हैं उसके। समूह के आधे हिस्से को बताया जाता है की वे निवासी है शुरू से ही। अन्य आधे को पहनने के लिए एक औपचारिक कपड़े देंगे और कल्पना करने के लिए कहा जाएगा 2060 से निवासी के रूप में। खैर, मुझे समझ आया कि निवासी जो 2060 से व्यवस्थित रूप से वकालत करते है बहुत अधिक नवीन शहर नियोजन, चिकित्सा निवेश से जलवायु परिवर्तन तक के उपायों के लिए। और यह अभिनव रूप, भविष्य की नागरिक रैली का वर्तमान में, यह एक छोटे शहर से पूरे देश में फैल रहा है क्योटो, याहबा जैसे प्रमुख शहरों के लिए। क्या अगर फ्यूचर डिजाइन को अपनाया गया है शहरों और दुनिया भर के लोकतांत्रिक निर्णय पुनर्जीवित करने और अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए? टाइम रिबेल्स उन्हें अदालत में भी ले गए लोगों के भविष्य के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए। संगठन, हमारे बच्चों का विश्वास, एक मुकदमा दायर किया अमेरिकी सरकार के खिलाफ मोर्चा कर रहे, 21 युवाओं की ओर से सुरक्षित जलवायु के कानूनी अधिकारों के लिए स्वस्थ वातावरण, दोनों वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए। उनके डेविड बनाम गोलियत की लड़ाई पहले से ही एक गंभीर मुकदमेबाजी का कारण बन चुकी है दुनिया भर में कोलंबिया से और पाकिस्तान से युगांडा और नीदरलैंड तक। और यह सक्रियता की लहर साथ साथ चल रही है एक आंदोलन के रूप में, जो प्रकृति को क़ानूनी रूप दे सके, न्यूजीलैंड के बाहर फंगानुई नदी से भारत में गंगा और यमुना नदियों को। टाइम रिबेल्स भी मतदान बॉक्स में कार्यवाही कर रहे हैं। 2019 में यूरोप भर के किशोरों ने पैरवी गतिविधियाँ शुरू कि माता-पिता के लिए और दादा-दादी के लिए, उन्हें अपना वोट देने के लिए उस वर्ष के यूरोपीय संसदीय चुनाव में। हैशटैग #givethekidsyourvote, सोशल मीडिया पर फैल गया जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ताओं द्वारा ऑस्ट्रेलिया तक फैला। मेरे साथी और मैंने इसके बारे में सुना मैंने अंत में हमारे वोट्स डालने का फैसला किया ब्रिटिश आम चुनाव में 11 वर्षीय जुड़वां बच्चों के लिए। इसलिए हम सब रसोई की मेज के चारों ओर बैठ गए और पार्टी के घोषणापत्र पर चर्चा करी, और उनमें से प्रत्येक ने हमें सिखाया कि मतदाता पत्र पर एक्स कहाँ डाले ? और अगर आप सोच रहे हैं तो नहीं, वो मेल नहीं खा रहे थे उनके माता-पिता की राजनीतिक राय से। टाइम रिबेलियन शुरू हो गयी है। विद्रोह बढ़ रहे हैं भविष्य को उपनिवेशण से बचाने के लिए वैश्विक आंदोलन बना रहा है, दीर्घ सोच और अंतरपीढ़ीगत न्याय जो बन सकता है अब तक का सबसे शक्तिशाली राजनीतिक आंदोलन। वे हमें भागने में मदद कर रहे हैं छोटा चक्र से जो डिजिटल व्याकुलता का और उपभोक्ता संस्कृति हमें अंदर बंद कर देती है तुरंत खरीदें बटन और 24/7 समाचार की अपील से। वे हमें प्रेरित करते है समयसीमा बढ़ाने के लिए सेकंड से दशकों तक, और भी बहुत दूर तक। कलाकार केटी पैटरसन की परियोजना, फ्यूचर लाइब्रेरी, यह एक शताब्दी की रचना होगी। हर साल, एक प्रसिद्ध लेखक एक पुस्तक दान करता है जो 2114 तक पूरी तरह से अपठित रहेगी जब तक संग्रह की किताबों को उन कागज़ पर नहीं छापा जाएगा इस उद्देश्य के लिए लगाए गए पेड़ों से बनी हो द स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट अपनी दृष्टि को और अधिक आगे रखा है, लाखों बीजों को नष्ट न होने वाले आर्कटिक रॉक बंकर में रखा गया है यह एक हजार साल तक चलने के लिए बनाया गया है। लेकिन हम वास्तव में कैसे सोचे व योजना बनाए आज कल के हिसाब से, सौ सालों के लिए। खैर, जवाब शायद है परम रहस्य, समय के विद्रोही होने का, बायोमिमिक्री डिजाइनर जेने बेनियस ने सुझाव दिया कि हम सीखें प्रकृति के 3.8 अरब वर्ष के विकास से। अन्य प्रजाति ने कैसे सीखा जीवित रहना और समृद्ध रहना 10,000 से अधिक पीढ़ियों के लिए? बहाल अपने वातावरण का ध्यान रख के जो उनके बच्चों का ध्यान रखेंगा, अपने पारिस्थितिकी तंत्र में ही रह कर जो उन्ही के लिए है, हमारे वातावरण को ख़राब न कर के जो मानव सालों से करते आ रहा है लगातार बढ़ती गति और विनाशकारी परिणामों के साथ पिछली सदी से। तो हर जगह विद्रोह के लिए गहन प्रारंभिक बिंदु यह समय निकालने या बढ़ाने बारे में नहीं है परन्तु जगह को सुधारने की है। हमे मरम्मत करनी चाहिए और सुधारना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए उस घर का जो हमारे वंशजों का ख्याल रखेगा। हमारे बच्चों और हमारे बच्चों के बच्चों के लिए, और उन सब के लिए जो अब आएंगे, हमें नदियों और पहाड़ों से प्यार करना चाहिए, बर्फ के बिस्तर और सवाना से भी और फिर से जुड़ना होगा प्रकृति के जीवन चक्र से। आइए हम सब टाइम रिबेल्स बनें और प्रेरित रहे सुन्दर मोहाक पाठ से जो बच्चे के जन्म पर बोला जाता है "धन्यवाद, पृथ्वी। तुम्हें रास्ता पता है ।"