जब मैं चौदह साल की थी ,
मेरा परिवार मेरे छोटे भाइयों को
इथियोपिया से अपनाने की प्रक्रिया में था|
एक दिन मेरी माँ ने पूछा,
"हमे इनके जन्मदिन के लिए
कौनसी तिथि डालनी चाहिए?"
"जाहिर है, जिस दिन वह पैदा हुए थे?
हास्यास्पद सवाल|
और तब माँ ने कहा,
क्रिस्टेन,
तुम्हारे छोटे भाइयों के पास
जन्म प्रमाण पत्र नहीं है,
तो हम कैसे पता लगाए की
उनकी जन्म तिथि कब है?
होश उड़ गए|
आज बीस साल बाद भी मैं
इस पर ही काम कर रही हूँ ,
बस मैं एक रहस्य को सुलझाने के सिवाय
भाइयों के
जन्म प्रमाण पत्र के अलावा,
मैं इस समस्या का समाधान वश्विक स्तर पर
करने का प्रयास करती हूँ|
तो जन्म प्रमाण पत्रों का
अंतर्राष्ट्रीय विकास से क्या सम्बन्ध?
जवाब के लिए, हमें असल डेवलपमेंट एजेंडा
को देखना होगा,
मानवाधिकारों का एजेंडा|
१९४८ में यूनिवर्सल डिक्लेरेशन
ऑफ़ ह्यूमन राइट्स ने,
पहली बार,
आधारभूत मानवाधिकारों और प्रतिष्ठाओं की
सामूहिक विचारधारा स्थित की
जो विश्व के प्रत्येक देश के लोगों पर
लागू होती है:
आर्टिकल छः सभी को कानून के सामने
मानवीय स्वीकृति देता है|
यानी एक कानूनी पहचान|
बच्चों के लिए, जन्म प्रमाण पत्र
ये पहचान है|
और जबकि यह एक सार्वत्रिक मानवाधिकार है,
आज भी एक अरब लोगों के पास अपने
अस्तित्व का आलेख नहीं है|
और ये हमारे समय के सबसे बड़े
मानवाधिकारों उल्लंघनों में से एक है,
पर लगता है की किसी को
इसके बारे में नहीं पता|
वैश्विक निर्धनता और भूख के सामने,
सभी की कानूनी पहचान सुनिश्चित करना
महत्वपूर्ण नहीं लगती,
पर असल में, यह (महत्वपूर्ण) है|
मेरे पेशे की शुरुआत में,
मैं मुंबई की मलिन बस्तियों में एक
समाज सेवक के साथ काम कर रही थी,
हम एक छोटी लड़की का मामला देख रहे थे
जो पोलियो के कारण
कमर के नीचे से लकवा गयी थी|
जब हम उसके घर पहुंचे,
हमने उसे ज़मीन पर पाया|
उसके पैर बुरी तरह घायल और संक्रमित थे,
वह कुपोषित थी,
वह कभी विद्यालय नहीं गयी थी
और उसने अपनी अधिकतम ज़िन्दगी एक
छोटे और अंधेरे वाले कमरे में गुज़ारी थी|
जब हम निकले, तब मैंने समाज सेवक से
योजना के बारे में पूछा|
उसने कहा "पहले हमे उसका
जन्म प्रमाण पत्र चाहिए|"
मुझे झटका लगा
मैंने कहा, "
हमें इसे सामाजिक सहायता देनी चाहिए
साथ ही एक सुरक्षित घर और विद्यालय|
उसने कहा "इसलिए जन्म प्रमाण पत्र चाहिए|"
देखिये, एक कानूनी पहचान के बिना ,
आपको सरकार द्वारा
व्यक्ति के रूप में मान्यता नहीं मिलती|
जिस व्यक्ति की सरकारी नोंद नही
वह सरकारी सुविधाओं नाही प्राप्त कर सकता
सरकार सिर्फ सुविधाएं
उन्हें प्रदान कर सकती है
जिनके अस्तित्व के बारे में
उन्हें पता हो|
इसलिए, उदाहरणार्थ , लोग प्रतिरक्षीकरण
सेवाओं द्वारा अनदेखा होते है|
बिना किसी कानूनी पहचान वाले लोगो को
न ही गिना जाता है और न ही रक्षा मिलती है |
वे समाज के सबसे
गरीब सदस्यो में से होते है
सबसे हाशिये पर होने वाले समुदायों में से|
वे (मानव) तस्करी के शिकार होते है|
मानव तस्कर जानते है कि
ऐसे व्यक्ति को ढूंढना लगभव असंभव है
जिनके अस्तित्व का पहले से ही
कोई अभिलेख नहीं है|
वे बाल विवाह और बाल श्रम
जैसे शोषणों का शिकार होते है |
आप जन्म प्रमाण पत्र के बिना ये कैसे
साबित करे कि एक बच्चा अभी भी बच्चा ही है?
वे राज्यविहीन में से है;
जन्म प्रमाण पत्र सबूत देते है कि
आपके माता-पिता कौन है
और आप कहां पैदा हुए थे,
जो राष्ट्रीयता लेने हेतु मुख्य कारक है|
विश्व में बिना कानूनी पहचान वाले
एक अरब लोगों में से,
विशाल बहुमत उन्ही की है
जो जन्म पर अभिलेख नहीं किये गए|
दुनिया के सबसे कम उन्नत देशों में,
६० प्रतिशत से ज़्यादा
बच्चों के जन्म कभी अभिलेख नहीं हुए है|
सब-सहारन अफ्रीका के
१७ देशों में हुई एक जाँच
के अनुसार ८० प्रतिशत बच्चों के पास
जन्म प्रमाण पत्र नहीं है|
जिन देशों ने अभी तक प्राप्त नहीं की
सार्वभौमिक जन्म पंजीकरण कवरेज,
२६ देशो में स्वास्थ्य सुविधाओं तक
पहुंचने हेतु जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक है,
टीके सहित.
ये ३७ देशों में समाज सेवा तक
पहुंचने हेतु आवश्यक है
जिसका इरादा
लोगों को गरीबी से निकालना है|
और ५९ देशों में,
जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक है
एक बच्चे की विद्यालय में
भर्ती और समापन के लिए|
जन्म प्रमाण पत्र अक्सर अन्य रूपों की
कानूनी पहचान के लिए आवश्यक है,
जैसे एक राष्ट्रीय पहचान या एक पासपोर्ट|
और लगभग हर देश में किसी
तरह की कानूनी पहचान आवश्यक है
मतदान करने, सिम कार्ड पाने
या बैंक खाता खोलने हेतु |
असल में, दुनिया के जिन १.७
अरब लोगों का बैंक खाता नहीं है,
२० प्रतिशत कानूनी पहचान
के दस्तावेज न होने के कारण है|
ये देखने के लिए विशेषज्ञ होने की ज़रूरत
नहीं है कि ये, अरब गुणा ,
एक बहुत बड़ी समस्या है|
तो ये विचित्र नहीं है कि सबूत दिखाता है
कि उन्नत जन्म पंजीकरण कवरेज के साथ
विकास के परिणामों में सुधार होता है,
निर्धनता उपशमन से लेकर
बेहतर स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा
आर्थिक सुधार
और सुरक्षित और व्यवस्थित स्थानांतरण (तक)|
२०१५ में, विश्व नेता साथ आये
और वादा किया कि
वे सभी लोगों के मानवाधिकार बनाये रखेंगे
और किसी को पीछे नहीं छोड़ेंगे
गरीबी मिटाने के प्रयासों में,
भूख,
और असमानताएँ कम करने में|
पर वे मानवाधिकार कैसे बनाये रखेंगे
और उन्हें कैसे पता कि
कोई पीछे नहीं छोड़ा जा रहा है
अगर उन्हें ये नहीं पता कि
वे कौन और कहाँ है
पहली जगह में?
तो देश इसके बारे में क्या
कर सकते हैं?
अब,इसके लिए कोई एक आदर्श नहीं है
जो सभी के लिए ठीक बैठे,
क्योंकि हर देश का संदर्भ अनोखा है.
पाँच सिद्ध हस्तक्षेप है
जो हर व्यवस्था पर लागू हो सकते है|
संख्या एक, दूरी कम करें|
दो, लागत हटाएँ|
तीन, प्रक्रिया को सरल बनाये|
चार, भेदभाव हटाएँ|
पांच, मांग बढ़ाएं|
लिंग भेदभाव छिपी हुई समस्या है
क्योंकि, सांख्यिकीय, कोई फर्क नहीं है
लड़कों और लड़कियों के पंजिकरण दरों के बीच|
पर भेदभाव बच्चे के विरुद्ध नहीं है --
ये माँ के विरुद्ध है|
अंगोला ३५ देशों में से एक था
जिसे पिता के नाम की ज़रुरत थी
या उनकी उपस्थिति की,
बच्चे के जन्म के पंजीकरण के लिए|
तो जिन स्थितियों में
पिता अनजान हो, अनिच्छुक (हो)
या पितृत्व का दावा करने में असमर्थ हो,
माँ कानून से प्रतिबंध है, माँ जन्म
पंजीकरण करने में कानून से प्रतिबंध है,
अपने खुद के बच्चों का (पंजीकरण)|
तो इसे सम्बोधित करने के लिए,
अंगोला ने एक नीति बनाई
एकल माँ के रूप में, माताओं को
अपने बच्चों की पंजीकरण कराने की अनुमति दी|
तंज़ानिया में, २०१२ में,
सिर्फ १३ प्रतिशत बच्चों के पास
जन्म प्रमाण पत्र था|
तो सरकार एक नयी व्यवस्था के साथ आयी|
उन्होंने मौजूदा बुनियादी ढांचों में,
पंजीकरण केंद्र लगाये,
जैसे सामुदायिक वार्ड
और स्वास्थ्य सुविधाएँ|
तो वे सुविधाएं जरूरतमंद लोगों के पास लाये|
उन्होंने शुल्क हटा दी|
उन्होंने प्रक्रिया को सरल बनाकर
स्वचालित किया,
तो जन्म प्रमाण पत्र
उसी स्थान पर जारी हो सकता था|
माँग बढ़ाने हेतु, एक जन जागरूकता अभियान
शुरू किया गया,
लोगो को बताया गया कि एक नई प्रक्रिया है
और उनके बच्चों का जन्म पंजीकरण
क्यों महत्वपूर्ण है|
कुछ ही सालों में, जिन जिलों में
नई व्यवस्था लागू की गयी थी,
अब वहाँ ८३ प्रतिशत बच्चों के पास
जन्म प्रमाण पत्र है|
और वे इसे देशभर में
लागू करने की प्रक्रिया में है|
तो आप क्या कर सकते है?
देखिये, मेरा मानना है कि
हम सब मानवता द्वारा संयुक्त है|
हम समान धरती पर रहते है|
हम समान हवा में साँस लेते है|
जबकि हममें से किसी ने न पैदा होना
और किन परिस्थितयो में जन्म लेना चुना है
हम चुन सकते है कि हम कैसे रहे|
बदलाव तब होता है जब जागरूकता का एक पल
या सहानुभूति का एक पल
इंसान को कर्म करने की प्रेरणा देता है|
और हमारे सामूहिक कार्य के माध्यम से
हम बदलाव के सबसे
शक्तिशाली एजेंट्स बन जाते है|
जब निष्क्रियता की लागत है
मासूम बच्चों का असुरक्षित छोड़ा जाना,
टीका न हो पाना, विद्यालय न जा पाना ,
बड़े होकर ऐसे व्यसक बनना जो
न ही उम्दा काम
ढूंढ पाए और न ही मतदान कर पाए,
गरीबी, बहिष्करण और
अदर्शन के चक्र में फंसे,
यह हमारी जिम्मेदारी बन जाती है
कि हम इस मुद्दे को
अंधेरे से बाहर निकाले
और उजाले में लाये|
क्योंकि दुनिया बदलने का अवसर
रोज़ नहीं मिलता,
पर आज,
आपके पास (ये अवसर) है|
धन्यवाद|
(तालियां)
(तालियां)