WEBVTT 00:00:01.341 --> 00:00:04.308 जब मैं लगभग 8 वर्ष की थी, 00:00:04.308 --> 00:00:08.550 तब मैंने पहली बार जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग के बारे में सुना था । 00:00:09.619 --> 00:00:14.189 प्रतीत होता था कि यह ऐसा कुछ था जिसकी रचना मनुष्यों ने अपनी जीवनशैली द्वारा की थी । 00:00:15.222 --> 00:00:18.839 मुझे बिजली बचाने के लिए बत्तियां बंद करने और (प्राकृतिक) संसाधनों को 00:00:19.088 --> 00:00:22.459 बचाने के लिए कागज़ को रीसायकल करने के लिए कहा गया था । 00:00:24.268 --> 00:00:27.079 मुझे याद है कि मैं सोच रही थी कि यह कितना विचित्र है 00:00:27.309 --> 00:00:31.019 कि मनुष्य जो दूसरे जीवों की ही तरह एक जीव प्रजाति है, 00:00:31.019 --> 00:00:35.198 वे पृथ्वी के जलवायु को बदलने में सक्षम हो सकते थे । 00:00:36.090 --> 00:00:39.561 क्योंकि यदि हम में यह क्षमता होती और वाकई बदलाव हो रहा होता 00:00:39.836 --> 00:00:42.739 तो हम किसी और चीज़ के विषय में बात ही नहीं कर रहे होते । 00:00:43.720 --> 00:00:48.000 जैसे ही आप टीवी चालू करते, तो सब कुछ इसी विषय पर होता । 00:00:48.508 --> 00:00:51.541 मुख्य समाचार, रेडियो, समाचार पत्र, 00:00:51.849 --> 00:00:54.690 आप किसी अन्य विषय पर कभी कुछ पढ़ते या सुनते ही नहीं, 00:00:55.180 --> 00:00:57.719 जैसे कि विश्व युद्ध चल रहा हो । 00:00:58.838 --> 00:01:01.360 परन्तु कोई भी कभी इस (विषय) पर बात नहीं करता था । 00:01:02.130 --> 00:01:08.154 यदि जीवाश्म ईंधन जलाना इतना हानिकारक था कि इससे हमारे अस्तित्व पर ही खतरा बन आया था, 00:01:08.649 --> 00:01:11.278 तो हम पहले की तरह जीवन का निर्वाह कैसे जारी रख रहे थे ? 00:01:12.263 --> 00:01:14.498 कोई प्रतिबंध क्यों नहीं थे ? 00:01:15.030 --> 00:01:17.320 इसे अवैध क्यों नहीं किया गया था ? NOTE Paragraph 00:01:18.921 --> 00:01:21.891 मैं यह समझ नहीं पा रही थी । 00:01:22.288 --> 00:01:24.297 यह बिल्कुल वास्तविक नहीं लग रहा था । 00:01:26.401 --> 00:01:28.978 तो जब मैं 11 वर्ष की थी, मैं बीमार पड़ गई । 00:01:29.250 --> 00:01:31.042 मैं गहरी निराशा से जूझ रही थी, 00:01:31.319 --> 00:01:32.613 मैंने बात करना और 00:01:32.998 --> 00:01:34.487 खाना खाना बंद कर दिया था । 00:01:35.699 --> 00:01:39.488 दो महीनों में मेरा वजन लगभग 10 किलो कम हो गया था । 00:01:40.889 --> 00:01:44.008 तत्पश्चात यह निदान किया गया कि मैं एस्पर्जर सिंड्रोम, 00:01:44.319 --> 00:01:47.289 विचार चिंतित याने ओसीडी और चयनात्मक गूंगापन से पीड़ित थी । 00:01:48.189 --> 00:01:51.760 इसका अर्थ यह है कि मैं केवल तभी बोलती हूँ जब मुझे लगता है कि यह ज़रूरी है । 00:01:51.760 --> 00:01:53.670 यह उन पलों में से एक है । NOTE Paragraph 00:01:53.670 --> 00:01:57.258 (तालियां) NOTE Paragraph 00:02:03.908 --> 00:02:06.290 हम में से वे लोग जो (आटिज्म) स्पेक्ट्रम पर है, 00:02:06.290 --> 00:02:08.857 उनके लिए लगभग हर चीज़ सही या फिर गलत होती है । 00:02:09.564 --> 00:02:11.234 हम झूठ बोलने में बहुत अच्छे नहीं है 00:02:11.234 --> 00:02:14.598 और हम आमतौर पर सामाजिक मेलजोल में भाग लेने में आनंद नहीं लेते 00:02:14.598 --> 00:02:17.153 जो ऐसा लगता है कि आप शेष सभी को अत्यंत पसंद है । NOTE Paragraph 00:02:17.153 --> 00:02:18.423 (हंसी) NOTE Paragraph 00:02:18.688 --> 00:02:21.751 मुझे लगता है कि कई मायनों में हम खुद के विचोरोसे चितित होते है 00:02:22.041 --> 00:02:24.368 और शेष सभी लोग काफ़ी विचित्र, NOTE Paragraph 00:02:24.368 --> 00:02:25.561 (हंसी) NOTE Paragraph 00:02:25.561 --> 00:02:28.509 ख़ास तौर पर जब जीवन के निरंतर अस्तित्व पर खतरे की बात आती है, 00:02:28.800 --> 00:02:32.525 जहां सभी यह कहते रहते हैं कि जलवायु परिवर्तन हमारे अस्तित्व के लिए एक खतरा है 00:02:32.925 --> 00:02:35.136 और सभी समस्याओं में से सबसे महत्वपूर्ण है 00:02:35.534 --> 00:02:38.082 और फिर भी वे पहले की ही तरह (जीवन) व्यतीत कर रहे हैं । 00:02:39.631 --> 00:02:41.396 मैं यह समझ नहीं पा रही हूँ 00:02:41.699 --> 00:02:44.198 क्योंकि यदि उत्सर्जन रुकने चाहिए, 00:02:44.447 --> 00:02:46.579 तो हमें उत्सर्जनों को रोकना होगा । 00:02:47.194 --> 00:02:49.019 मेरे लिए यह बहुत ही स्पष्ट था । 00:02:49.698 --> 00:02:52.460 अस्तित्व का प्रश्न हो तो फिर बीच का कोई रास्ता नहीं होता । 00:02:52.830 --> 00:02:55.781 या तो हम सभी को एक सभ्यता के रूप में आगे बढ़ना होगा या फिर नहीं। 00:02:56.646 --> 00:02:58.939 हमें बदलना होगा । NOTE Paragraph 00:03:00.016 --> 00:03:03.950 स्वीडन जैसे समृद्ध देशों को उत्सर्जनों को कम करना शुरू करना होगा, 00:03:03.950 --> 00:03:07.230 हर वर्ष कम से कम 15 प्रतिशत तक, 00:03:08.199 --> 00:03:12.119 और यह इसलिए ताकि हम 2 डिग्री सेल्सीयस के वार्मिंग लक्ष्य के नीचे रह सके । 00:03:12.821 --> 00:03:16.273 हालांकि, जैसा कि आईपीसीसी ने हाल ही में प्रदर्शित किया है, 00:03:17.250 --> 00:03:20.116 इसके स्थान पर 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने पर 00:03:20.362 --> 00:03:23.302 जलवायु पर पड़ रहा प्रभाव काफी कम हो जाएगा । 00:03:23.928 --> 00:03:27.798 पर हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि उत्सर्जन को इतना कम करने के लिए क्या मायने होंगे। 00:03:28.897 --> 00:03:31.600 आप सोच रहे होंगे कि समाचार माध्यम और हमारे सभी नेता 00:03:31.607 --> 00:03:33.607 किसी अन्य चीज़ पर चर्चा नहीं कर रह होंगे 00:03:33.897 --> 00:03:36.168 परन्तु वे कभी इसका ज़िक्र भी नहीं करते हैं । 00:03:37.004 --> 00:03:38.733 न ही कभी कोई वायुमंडल में पहले से 00:03:38.739 --> 00:03:41.859 मौजूद ग्रीनहाउस गैसों का ज़िक्र करता है और न ही वायु प्रदूषण 00:03:42.340 --> 00:03:45.115 द्वारा तापमान में हुई (वास्तविक) वृद्धि को छिपाए जाने कि 00:03:45.455 --> 00:03:48.128 क्योंकि जब हम जीवाश्म ईंधन को जलाना बंद कर देंगे 00:03:48.416 --> 00:03:50.617 तो हमारे पास पहले से ही तापमान में वृद्धि की 00:03:50.864 --> 00:03:55.314 एक अतिरिक्त मात्रा होगी जो संभवतः 0.5 से 1.1 डिग्री सेल्सियस तक ऊँची हो सकती है । 00:03:57.072 --> 00:03:59.624 इसके अलावा, शायद ही कोई इस तथ्य पर बात करता है 00:03:59.624 --> 00:04:03.176 कि हम छठी बार घटित हो रहे जीवों के व्यापक विनाश के मध्य में है 00:04:03.765 --> 00:04:08.686 जहां हर दिन 200 जीव प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, 00:04:10.178 --> 00:04:13.819 (और) जीवों के विलुप्त होने की वर्त्तमान गति 00:04:13.819 --> 00:04:17.619 सामान्य गति से 1000 से 10,000 00:04:17.619 --> 00:04:19.848 गुना तक अधिक है । 00:04:22.516 --> 00:04:27.879 ना ही कभी कोई समानता या जलवायु न्याय के उस पहलू की बात करता है 00:04:28.250 --> 00:04:31.227 जिसकी व्याख्या स्पष्ट रूप से पेरिस समझौते में की गई है, 00:04:31.614 --> 00:04:35.849 जो कि वैश्विक स्तर पर उसे सफल बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक है । 00:04:37.486 --> 00:04:39.342 इसका अर्थ यह है कि समृद्ध देशों 00:04:39.342 --> 00:04:43.279 को अपनी वर्त्तमान उत्सर्जन गति को 6 से 12 वर्षों के भीतर शून्य उत्सर्जन 00:04:44.065 --> 00:04:46.337 तक लाना होगा और यह इसलिए करना होगा 00:04:48.190 --> 00:04:50.330 ताकि गरीब देशों में रह रहे लोगों को 00:04:50.330 --> 00:04:52.990 अपने जीवन के स्तर को उठाने का अवसर मिल सके 00:04:52.990 --> 00:04:56.558 कुछ बुनियादी ढांचों के निर्माण के द्वारा, जिनका निर्माण हम पहले कर चुके हैं 00:04:56.863 --> 00:04:59.911 जैसे कि सड़कें, स्कूल, अस्पताल, 00:04:59.911 --> 00:05:02.960 स्वच्छ पेयजल, बिजली इत्यादि । 00:05:03.707 --> 00:05:08.299 क्योंकि हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि भारत या नाइजीरिया जैसे देश 00:05:08.303 --> 00:05:10.180 जलवायु संकट के बारे में चिंता करे 00:05:10.185 --> 00:05:15.190 जबकि हम जिनके पास पहले से ही सब कुछ है स्वयं एक क्षण के लिए भी इस विषय पर या 00:05:15.190 --> 00:05:18.048 पेरिस समझौते में किए गए अपने असल वादों के बारे में नहीं सोचते NOTE Paragraph 00:05:20.449 --> 00:05:24.527 तो क्यों हम अपने उत्सर्जनों को कम नहीं कर रहे हैं ? 00:05:25.611 --> 00:05:28.909 वास्तव में वे अभी भी बढ़ क्यों रहे हैं ? 00:05:29.820 --> 00:05:33.031 क्या हम जानबूझकर असंख्य जीवों का विनाश कर रहे हैं ? 00:05:33.738 --> 00:05:35.429 क्या हम बुरे हैं ? 00:05:37.118 --> 00:05:39.299 नहीं । निस्संदेह नहीं । 00:05:39.700 --> 00:05:41.329 लोग जैसा (जीवन व्यतीत) कर रहे थे 00:05:41.329 --> 00:05:43.969 वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि एक विशाल बहुमत को 00:05:43.969 --> 00:05:47.722 हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी के वास्तविक परिणामों के बारे में कोई ज्ञान नहीं है और 00:05:48.474 --> 00:05:51.449 उन्हें यह नहीं पता है कि हमें तेज़ी से परिवर्तन की आवश्यकता है 00:05:52.480 --> 00:05:56.446 हम सभी सोचते हैं कि हमें पता है, हम सभी को लगता है कि हर किसी को पता है, 00:05:56.447 --> 00:05:58.020 परन्तु ऐसा नहीं है । 00:05:58.708 --> 00:06:00.339 क्योंकि हमें कैसे पता हो सकता था ? 00:06:02.474 --> 00:06:04.459 यदि वास्तव में कोई संकट होता और 00:06:04.696 --> 00:06:07.583 इस की उत्पत्ति हमारे द्वारा किये गए उत्सर्जन के कारण हुई होती 00:06:08.000 --> 00:06:10.277 तो हमें कुछ संकेत तो अवश्य दिखाई देते । 00:06:11.048 --> 00:06:14.918 सिर्फ बाढ़ में डूबे हुए शहर ही नहीं अपितु हज़ारों की संख्या में मृतक 00:06:15.166 --> 00:06:19.100 और ढही हुई इमारतों के ढेर के समान उजड़े हुए समूचे राष्ट्र । 00:06:19.904 --> 00:06:22.184 आपको कुछ प्रतिबंध तो अवश्य दिखाई देते । 00:06:22.616 --> 00:06:24.300 परन्तु ऐसा नहीं है और 00:06:24.774 --> 00:06:26.570 इस विषय पर कोई बात भी नहीं कर रहा है। 00:06:28.359 --> 00:06:34.032 कोई आपातकालीन बैठकें, कोई मुख्या समाचार, कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं है । 00:06:34.659 --> 00:06:37.645 कोई भी ऐसे आचरण नहीं कर रहा है जैसा कि संकट में करना चाहिए । 00:06:38.309 --> 00:06:42.129 यहां तक कि अधिकांश जलवायु वैज्ञानिक या पर्यावरणवादी नेता भी 00:06:42.399 --> 00:06:46.130 मांस और दूध से बने उत्पाद खाना जारी रखते हुए दुनिया भर में उड़ते रहते हैं । 00:06:50.267 --> 00:06:56.057 यदि मैं 100 वर्ष (की आयु) तक जीवित रही (तो) मैं वर्ष 2103 में जीवित रहूंगी । 00:06:57.738 --> 00:07:03.181 आज जब आप भविष्य के बारे में सोचते हैं, तो आप वर्ष 2050 के आगे नहीं सोचते । 00:07:04.178 --> 00:07:08.992 अगर सब कुछ अच्छा रहा (तो) तब तक मैंने अपना आधा जीवन भी नहीं बिताया होगा । NOTE Paragraph 00:07:10.319 --> 00:07:11.969 उसके बाद क्या होगा ? 00:07:13.559 --> 00:07:19.590 वर्ष 2078 में मैं अपना 75वां जन्मदिन मनाऊंगी । 00:07:20.450 --> 00:07:25.460 अगर मेरे बच्चे या पोते हुए तो शायद वे वह दिन मेरे साथ बिता रहे होंगे । 00:07:26.682 --> 00:07:28.953 शायद वे मुझसे आप के बारे में पूछेंगे, 00:07:29.384 --> 00:07:32.893 वे लोग जो 2018 में जीवित थे । 00:07:34.786 --> 00:07:37.268 शायद वे पूछेंगे कि आप लोगों ने क्यों कुछ नहीं किया था 00:07:37.830 --> 00:07:40.260 जब कोशिश करने के लिए फिर भी समय था । 00:07:41.890 --> 00:07:46.268 इस समय हम जो कुछ भी करेंगे या नहीं करेंगे उसका असर मेरे संपूर्ण जीवन 00:07:46.268 --> 00:07:49.471 और मेरे बच्चों और पोतों के जीवन पर पड़ेगा । 00:07:49.960 --> 00:07:52.555 इस समय हम जो कुछ भी करेंगे या नहीं करेंगे, 00:07:52.562 --> 00:07:56.681 मैं और मेरी पीढ़ी भविष्य में उसे बदल नहीं सकेंगे । 00:08:00.169 --> 00:08:03.034 इसलिए जब इस वर्ष अगस्त में स्कूल की शुरुआत हुई थी, 00:08:03.034 --> 00:08:05.594 तब मैंने यह निर्णय लिया था कि अब बहुत हो चुका था । 00:08:06.083 --> 00:08:10.015 मैं स्वीडिश संसद के बाहर मैदान में बैठ गई । 00:08:10.510 --> 00:08:12.928 मैंने जलवायु संरक्षण के लिए स्कूल से हड़ताल की थी । 00:08:14.677 --> 00:08:17.755 कुछ लोग कहते है कि इसके स्थान पर मुझे स्कूल में होना चाहिए था । 00:08:18.269 --> 00:08:21.929 कुछ लोग कहते है कि मुझे जलवायु वैज्ञानिक बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए 00:08:21.929 --> 00:08:25.224 ताकि मैं जलवायु संकट को हल कर सकूं । 00:08:26.868 --> 00:08:29.631 परन्तु जलवायु संकट को तो पहले से ही सुलझाया जा चुका है । 00:08:30.400 --> 00:08:33.368 सभी तथ्य और समाधान हमारे पास पहले से ही है । 00:08:33.920 --> 00:08:36.818 हमें बस इतना करना है कि जागना है और बदलना है । 00:08:38.100 --> 00:08:42.729 और मैं एक ऐसे भविष्य के लिए पढ़ाई क्यों करूँ जिसका जल्द ही अस्तित्व ही नहीं होगा, 00:08:42.839 --> 00:08:46.799 जिसे बचाने के लिए कोई भी कुछ कर ही नहीं रहा है । 00:08:47.859 --> 00:08:51.279 और इस शिक्षा प्रणाली में पढ़ाए जाने वाले तथ्यों को सीखने का क्या लाभ, 00:08:51.943 --> 00:08:53.902 जब उसी शिक्षा प्रणाली में पढ़ाए जा रहे 00:08:53.902 --> 00:08:57.349 उत्कृष्ट विज्ञान द्वारा दिए गए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य 00:08:57.620 --> 00:09:01.629 स्पष्ट रूप से हमारे नेताओं और हमारे समाज के लिए कुछ मायने ही नहीं रखते हैं। 00:09:03.588 --> 00:09:06.648 कुछ लोग कहते हैं कि स्वीडन सिर्फ एक छोटा सा देश है 00:09:06.869 --> 00:09:09.499 और हम जो कुछ भी करें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, 00:09:09.901 --> 00:09:14.179 परन्तु मुझे लगता है कि अगर कुछ बच्चे पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर सकते हैं 00:09:14.179 --> 00:09:16.646 मात्र कुछ हफ़्तों तक स्कूल नहीं जा कर, 00:09:17.077 --> 00:09:20.108 (तो) कल्पना कीजिये की अगर आप चाहे तो हम मिलकर क्या कर सकते हैं । NOTE Paragraph 00:09:20.108 --> 00:09:23.524 (तालियां) NOTE Paragraph 00:09:24.500 --> 00:09:27.170 अब हम लगभग मेरी बात के अंत तक पहुँच चुके हैं 00:09:29.089 --> 00:09:34.380 और यह वह समय है जहां लोग आमतौर पर उम्मीद, सौर पैनल, 00:09:34.960 --> 00:09:39.412 वायु ऊर्जा, सर्कुलर इकॉनमी और इसी तरह की अन्य बातें करने लगते हैं, 00:09:40.380 --> 00:09:42.418 लेकिन मैं ऐसा नहीं करुँगी । 00:09:42.751 --> 00:09:47.319 हमें 30 वर्ष हो गए है प्रोत्साहन भरी बातें सुनते हुए और आशावादी विचारों को बेचते हुए 00:09:47.912 --> 00:09:50.199 और मुझे खेद है पर यह काम नहीं कर रहे हैं । 00:09:50.909 --> 00:09:52.517 क्योंकि यदि यह (कारगर) होते 00:09:52.521 --> 00:09:54.779 तो उत्सर्जन अब तक कम हो चुके होते । 00:09:54.779 --> 00:09:56.432 वे कम नहीं हुए हैं । 00:09:57.472 --> 00:09:59.920 और हाँ, हमें उम्मीद की ज़रूरत है, 00:10:00.580 --> 00:10:02.189 निस्संदेह । 00:10:02.649 --> 00:10:06.469 परन्तु वह एक चीज़ जिसकी ज़रूरत हमें उम्मीद से भी ज्यादा है, वह है कुछ करने की । 00:10:07.040 --> 00:10:10.183 जैसे ही हम कोशिश करना शुरू करेंगे तो हम पाएंगे की उम्मीद हर जगह है NOTE Paragraph 00:10:11.720 --> 00:10:13.960 इसलिए उम्मीद ढूंढने की जगह 00:10:13.960 --> 00:10:15.820 यह ढूंढिए की आप क्या कर सकते हैं । 00:10:16.510 --> 00:10:20.519 तब और सिर्फ तभी आशा (की किरण) नज़र आएगी । NOTE Paragraph 00:10:22.561 --> 00:10:29.045 आज हम प्रतिदिन 10 करोड़ बैरल तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं । इसे बदलने के लिए 00:10:29.970 --> 00:10:32.221 कोई राजनैतिक (प्रयास) नहीं किये जा रहे हैं । 00:10:33.148 --> 00:10:35.750 इस तेल को धरती में ही रखने के लिए कोई कानून नहीं हैं । 00:10:37.358 --> 00:10:40.395 इसलिए (मौजूदा) नियमों का पालन करके हम दुनिया को नहीं बचा पाएंगे 00:10:40.990 --> 00:10:43.570 क्योंकि इन नियमों को ही बदलना होगा । NOTE Paragraph 00:10:44.199 --> 00:10:46.206 प्रत्येक चीज़ को बदलना होगा 00:10:46.676 --> 00:10:48.540 और इसकी शुरुआत आज से ही करनी होगी । NOTE Paragraph 00:10:49.009 --> 00:10:50.148 धन्यवाद । NOTE Paragraph 00:10:50.148 --> 00:10:53.497 (तालियां)