1 00:00:00,494 --> 00:00:07,699 हम अब सांख्यिकी की दुनिया की सैर करेंगे, जो वास्तव में 2 00:00:07,699 --> 00:00:11,411 आंकड़ो को समझती है, और हमें आंकड़ो के बारे में सोचने का मौका देती है| 3 00:00:11,411 --> 00:00:14,531 सांख्यकी, पूरी तरह से आंकड़ो के बारे में है| 4 00:00:14,531 --> 00:00:19,044 और जैसे ही हम सांख्यकी की दुनिया में सैर करेंगे, 5 00:00:19,044 --> 00:00:23,615 तब हम वो बहुत कुछ करेंगे जिसे हम "वर्णनात्मक सांख्यकी" कहते है| 6 00:00:23,615 --> 00:00:29,728 यदि हमारे पास कुछ आंकड़े है और हम उसके बारे में कुछ बताना चाहते है, बिना सभी आंकड़े दिए-- 7 00:00:29,728 --> 00:00:34,196 क्या हम किसी तरह से आंकड़ो के कुछ छोटे समूह से सभी आंकड़ो के बारे में बता सकते है? 8 00:00:34,196 --> 00:00:35,692 तो हम इस तरह की बातो पर ध्यान देना चाहते है| 9 00:00:35,692 --> 00:00:39,096 और जब हम "वर्णनात्मक सांख्यकी" पर अपनी पकड़ कर लेंगे, 10 00:00:39,096 --> 00:00:52,059 तब हम उन आंकड़ो के बारे में अनुमान लगा कर निष्कर्ष निकाल सकेंगे, निर्णय ले सकेंगे, और फिर हम बहुत सारी "आनुमानिक सांख्यकी" करेंगे-- और अनुमान लगायेंगे| 11 00:00:52,059 --> 00:00:55,130 इस राह पर चलते हुए, आओ देखे की हम आंकड़ो का कैसे वर्णन कर सकते है| 12 00:00:56,760 --> 00:01:03,808 मान लो की हमारे पास बहुत सारे संख्याये है, इन्हें "आंकड़े" कहते है| 13 00:01:03,808 --> 00:01:06,379 जैसे हम बाग़ के पेड़ पोधो की लम्बाई नाप रहे है| 14 00:01:06,379 --> 00:01:08,897 मान लो की हमारे पास 6 पोधे है और उनकी लम्बाइया है- 15 00:01:08,897 --> 00:01:18,159 4 इंच, 3 इंच, 1 इंच, 6 इंच, 1 इंच और 7 इंच| 16 00:01:18,159 --> 00:01:23,097 अच्छा, अब कोई दुसरे कमरे में बेठे पूछे, बिना पोधो की और देखे 17 00:01:23,097 --> 00:01:33,829 "कितने लम्बे है ये पोधे?" और और वो बस एक संख्या सुनना चाहता है, जो किसी तरह से सभी पोधो की लम्बाई का प्रतिनिधित्व करती हो| 18 00:01:33,829 --> 00:01:36,907 हम ऐसे कैसे कर सकते है इसे? 19 00:01:36,907 --> 00:01:44,427 आप भी यही पूछोगे की कैसे निकाले? शायद मुझे बस एक ऐसी संख्या चाहिए? शायद मै उनके बीच वाली संख्या चाहता हूँ? 20 00:01:44,427 --> 00:01:52,712 या फिर मै वह संख्या चाहता हु जो बारबार सबसे ज्यादा आ रही है? या फिर मै वह संख्या चाहता हूँ जो उन सभी संख्याओ का केंद्र है? 21 00:01:52,712 --> 00:01:57,194 यदि आप इनमे से कुछ भी सोच रहे है, तो आप वही कर रहे है 22 00:01:57,194 --> 00:01:59,113 जो वो लोग कर रहे थे जो वर्णनात्मक सांख्यकी लेकर आये| 23 00:01:59,113 --> 00:02:01,048 हम जानना चाहते है -"की ... ये कैसे किया जा सकता है? " 24 00:02:01,048 --> 00:02:15,040 अच्छा पर हम शुरू करेंगे, औसत की तरकीब पर विचार कर के| रोजमर्रा की भाषा में, "औसत" एक विशिष्ट मतलब रखती है, "क्या मतलब"? जब औसत की बात होती है तो उसका मतलब होता है- "समांतर माध्य" 25 00:02:15,040 --> 00:02:18,481 पर सांख्यकी में, औसत का मतलब इससे ज्यादा विस्तृत है: 26 00:02:18,481 --> 00:02:38,897 इसका वास्तविक मतलब है, मुझे एक "विशिष्ट" या "बिचली" संख्या या... वास्तव में यह एक प्रयास है आंकड़ो की "केंद्रीय प्रवृत्ति" को नापने का| 27 00:02:38,897 --> 00:02:50,664 तब फिर से, आप के पास कुछ संख्याये है, आप किसी तरह से उन्हें एक संख्या (औसत) से प्रदर्शित करना चाहते है, जो की किसी तरह इस संख्याओ में विशिष्ट या बिचली या केंद्रीय संख्या हो| 28 00:02:50,664 --> 00:02:55,095 और हम देखेंगे, की औसत कई तरह की होती है| 29 00:02:55,095 --> 00:03:03,865 पहली वह, जिससे आप जानते होंगे| यह वह है, जब पूछा जाता है की इस परीक्षा की औसत क्या है? या औसत ऊचाई क्या है? और यह है- "माध्य" 30 00:03:03,865 --> 00:03:13,843 मै इसे पीले रंग में लिख रहा हूँ| "समांतर माध्य" 31 00:03:22,193 --> 00:03:26,761 यह सभी संख्याओ को जोड़ कर उनकी गिनती से विभाजित करने से मिलती है| 32 00:03:26,761 --> 00:03:29,756 और यह लोगो द्वारा रचित परिभाषा है, जिसे हम उपयोगी पाते है- 33 00:03:29,756 --> 00:03:35,581 सभी संख्याओ को जोड़कर उनकी गिनती से विभाजित करने से प्राप्त होती है| 34 00:03:35,581 --> 00:03:39,809 तब इन आंकड़ो का समांतर माध्य क्या है? 35 00:03:39,809 --> 00:03:56,157 चलो इसे निकालते है| यह है- 4+3+1+6+1+7 भागा ... ये कितने आंकड़े है, 6, सही 6 तब हम इसे 6 से विभाजित कर देंगे| 36 00:03:56,157 --> 00:04:14,776 और हमें मिलेगा: 4 +3 = 7 +1 = 8 +6 = 14 +1 = 15 +7 = 22 | एक बार दोहरा लेता हूँ- 7, 8, 14, 15, 22 ... भागा 6| 37 00:04:14,776 --> 00:04:29,606 और हम इसे मिश्रित संख्या में लिख सकते है, जब 22 को 6 से विभाजित करेंगे तो आएगा 3 और शेष बचा 4| जो हुआ 3 सही 4 बटा 6 जो की 3 और 2/3 के बराबर है| इसे हम दशमलव में 3.6 पुनरावर्त लिख सकते है| 38 00:04:29,606 --> 00:04:40,768 हम इसे इनमे से किसी तरह से लिख सकते है किन्तु एक प्रतिनिधित्व करने वाली संख्या है, यह एक "केंद्रीय प्रवृत्ति" को बताती है| 39 00:04:40,768 --> 00:04:44,043 ये सभी लोगो द्वारा बने गई है, ऐसा नहीं की किसी ने इन्हें खोजा है| 40 00:04:44,043 --> 00:04:50,345 धार्मिक किताबे कहती है की- "इस तरह "समांतर माध्य" को परिभाषित होना चाहिए| 41 00:04:50,345 --> 00:05:00,446 यह पूरी तरह शुद्ध गणना नहीं है जैसे की, वेल्त्लाल्ल्स के अध्धयन से वृत की खोज| 42 00:05:00,446 --> 00:05:04,440 यह लोगो द्वारा बने गई चीज है, जो उपयोगी है| 43 00:05:04,440 --> 00:05:10,765 वैसे, औसत मापने के और भी तरीके है, मापने के एक विशिष्ट प्रतिनिधि या औसत| 44 00:05:10,765 --> 00:05:23,812 एक दूसरा तरीका है, बहुत विशिष्ट माध्यिका संख्या, और मै इसे गुलाबी रंग से लिखूंगा| 45 00:05:23,812 --> 00:05:28,024 और माध्यिका एक प्रतिनिधि संख्या के रूप में| 46 00:05:28,024 --> 00:05:32,764 यदि आप सभी संख्याओ क्रम (आरोही / अवरोही) से जमा ले तब उनके बीच की संख्या, माध्यिका कह लाती है| 47 00:05:32,764 --> 00:05:36,543 तब इस आंकड़ो के समूह की माध्यिका क्या होगी? 48 00:05:36,543 --> 00:05:48,641 तब इस आंकड़ो के समूह की माध्यिका क्या होगी? 49 00:05:48,641 --> 00:05:52,691 हमारे पास है- 1, और 1,3,4,6 और 7| बिचली संख्या क्या है? 50 00:05:52,691 --> 00:06:02,765 लेकिन हमारे पास सम संख्याये है, जिस कारण हमारे पास बिचली संख्या नहीं है, या- यों कहा जाये की दो बिचली संख्याये है| 51 00:06:02,765 --> 00:06:04,762 3 और 4 52 00:06:04,762 --> 00:06:10,856 और इस परिस्थिति में जहाँ हमारे पास दो बिचली संख्याये है, तब हम उनमे दोंपो संख्याओ के बीच की संख्या लेंगे, 53 00:06:10,856 --> 00:06:14,842 यानि इन दोनों संख्याओ का समांतर माध्य , माध्यिका निकालने के लिए| 54 00:06:14,842 --> 00:06:25,096 तब 3 और 4 के बीच की संख्या हुई 3.5, और इस तरह इस स्थिति में माध्यिका हुई 3.5 | 55 00:06:25,096 --> 00:06:31,946 अत: जब आपके पास आंकड़ो की संख्या सम हो तब मध्यिका बीच की दो संख्याओ का समान्तर माध्य होता है| 56 00:06:31,946 --> 00:06:35,761 और जब आपके पास आंकड़ो की संख्या विषम हो, तब थोडा आसान काम है| 57 00:06:35,761 --> 00:06:38,730 अब मै आपको भिन्न प्रकार का आंकड़ो का समूह देता हूँ| 58 00:06:38,730 --> 00:06:41,829 यह है आंकड़ो का समूह, और मैंने इसे पहले ही क्रमबध कर दिया है: 59 00:06:41,829 --> 00:06:57,723 हमारे पास है- 0,7,50, 10000 और 1,000,000 | 60 00:06:57,723 --> 00:07:02,945 एक बड़ा ही अजीब सा समूह| इस परिस्थिति में माध्यिका क्या होगी? 61 00:07:02,945 --> 00:07:08,249 हमारे पास 5 संख्याये है, एक विषम संख्या| इसमें आसान है बिचली संख्या निकालना| 62 00:07:08,249 --> 00:07:14,476 बीच की संख्या वह है, जो दो से बड़ी है, और दो से छोटी| 63 00:07:14,476 --> 00:07:19,481 यह है सही बीच में| इस सवाल में माध्यिका है 50 | 64 00:07:19,481 --> 00:07:28,629 अब, केंद्रीय प्रवृत्ति को मापने का तीसरा तरीका, जो सबसे कम काम लिया जाता है: बहुलक| 65 00:07:28,629 --> 00:07:43,712 यह सुनने में थोडा कठिन लगता है, पर यह बहुत ही आधारभूत तरीका है: आंकड़ो के समूह में सर्वाधिक पाई जाने वाली संख्या, बहुलक कहलाती है| 66 00:07:43,712 --> 00:07:47,879 और बहुलक तब क्या होगा, जब सभी संख्या एक बार ही आये, तब कोई बहुलक नहीं होगा| 67 00:07:47,879 --> 00:08:05,280 परन्तु हमारे आंकड़ो के समूह में बहुलक क्या है? हमारे पास एक 4, एक 3, दो 1, एक 6 और एक 7 है 68 00:08:05,280 --> 00:08:17,690 तब सर्वाधिक पाई जाने वाली संख्या हुई 1| और इसलिए ही बहुलक हुआ-1 69 00:08:17,690 --> 00:08:28,307 अभी हमने औसत को भिन्न प्रकार से निकाला, बिल्कुल भिन्न तरीको से, और हम सांख्यकी के अध्धयन में देखंगे की 70 00:08:28,307 --> 00:08:31,012 यह अच्छा है भिन्न चीजो के लिए| 71 00:08:31,012 --> 00:08:33,508 यह बहुत ज्यादा काम लिया जाता है, भिन्न चीजो के लिए, 72 00:08:33,508 --> 00:08:38,146 माध्यिका तब बहुत उपयोगी होती है जब आपके पास अजीब संख्याये हो जो माध्य को बेकार कर दे| 73 00:08:38,146 --> 00:08:45,647 बहुलक भी ऐसी परिस्थितियों में काम आ सकता है जहा एक संख्या कई बार आ रही हो| 74 00:08:45,647 --> 00:08:52,700 अभी के लिए इतना काफी है, अगले विडियो में हम सांख्यकी की और गहराई में जायेंग|